विधवा माँ के अनौखे लाल

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rajsharma
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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.शाज़िया की दूसरी चुची को अनीस चुसने लगता है...5 मिनट की चुसाई के बाद जीशान सोचता है कि आगे बढ़ा जाए मगर तभी शाज़िया खुद ब खुद अपने दोनों हाथ दोनो के लन्ड पर रख देती है और सहलाने लगती है और उसकी साँसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी....उन दोनो के खुसी का ठिकाना नही रहता दरअसल शाज़िया जो है वो कब से अपने अंदर की कामाग्नि को दबाये हुए थी मगर आज वो सब बाहर आने को आतुर था अब वो भी अपने बदन की ज्वाला को बुझाना चाहती थी...लग ही नही रहा था कि वो दो जवान बेटो की माँ है....एक वासना की भूखी औरत की तरह व्यवहार कर रही थी

तभी जीशान बिना वक़्त गवाए झटके से उठ कर सोफे के नीचे फर्श पर आ जाता है औऱ शाज़िया की टांगो को फैला देता है.....और अपना मुह उसकी सालो से अनछुई चूत पर लगा देता है और चाटने लगता है

शाज़िया तो जैसे अब मरी तब मरी वालो हालत हो गयी थीं उसने अनीस के लन्ड को इतनी जोर से रगड़ना चालू किया कि वो भी बेचारा आह आह माँ करने लगा पर शाज़िया तो चूट चटवाई में इतनी खो गयी थी कि उसे कुछ नही सूझ रहा था....वो आह शुरू मेरे बच्चे आह मार डाला रे आह क्या कर रहा है कहा मुह लगा दिया।।।।। ओह्ह माँ मैं मरी रे।।आह ओह्ह

जीशान शाज़िया की टांगे पूरी तरह से खोल कर चुत की गहराइयों तक चुसने लगा बीच बीच मे उसके दाने को काट भी ले रहा था ऊपर अनीस उसकी दोनो चुचियो पे कब्जा जमाए हुए था जिससे शाज़िया मजे ओर दर्द से दोहरी हो जा रही थी और 10 मिनट की लगातार चुत चटवाई और चुची चुसाई के बाद उसका बदन ऐंठने लगा और वो झरने लगी और उसका सारा रस जीशान पीने लगता है....1 मिनट तक झरने के बाद शाज़िया हांफती हुई सोफे पे निढाल सी पड़ जाती है.....

अब जीशान अपनी माँ को खड़े हो कर उसके होठो को चूम लेता है और ये देख कर अनीस भी उसके होठ चुम लेता है....औऱ तभी शाज़िया कहती है....शैतानों तुम्हारी वजह से आज मेंरे शरीर का एक बहुत ही बड़ा बोझ हल्का हो गया ऐसा लगा जैसे कितनी दिनो कि कसर आज निकली हो.....मेरे प्यारे शैतानो....आज तुमने मुझे जो मजा दिया वो मैं कभी नही भुल पाऊंगी....

तभी जीशान कहता है....
मा अभी तो ये शुरुवात है....आगे आगे देखो तुम्हे तुम्हारे ये शैतान कैसे कैसे मजा देते है....बस्स तुम अपना प्यार हमे देना और कभी भी गलग मत समझना....हम दोनों भाई तुम्हे हमेशा खुश रखेंगे....दुनिया की हर खुशि तुम्हारे कदमो में ला कर रखेंगे माँ.... और वो हस्ते हुए दोनो को अपने सिने से वापस लगा लेती है....

फिर वो कहती है तुम दोनो ने शाम की चाय भी नही पीने दी...बहुत ज्यादा बदमाश हो भाई....और हस देती है....

तभी अनीस कहता है अब से हम घर मे नंगे ही रहेंगे.... सब काम तुम नंगी ही रह कर करोगी माँ अब से ये कपड़े की कोई जरूरत नही....और हा मा आज का खाना बाहर से आएगा वो भी तुम्हारी पसन्द का...

शाज़िया - मेरी पसंद वही है जो तुमदोनो कि है तुमदोनो जो लाओगे मैं खाऊँगी.... और एक बात अगर घर में कोई आएगा तब भी ऐसे ही नंगे रहेंगे हम....

जीशान कहता है कौन आता ही है यह मा हमारे पास.... ओर अगर गलती से आ भी गया तो तब की तब देखेंगे... फिलहाल तो हम नंगे ही रहेंगे... और अनीस जीशान को कहता है खाना बाहर से लाने...तब वो कहता है भाई तुम भी साथ मे चलो....

तब शाज़िया कहती है इसको चोट लगी है ये कहा से जाएगा.... अनीस जीशान को आंखों ही आंखों में इशारे से कहता है कि वो चला जाए अभी चोट का भेद खोलना सही नही रहेगा....तीनो एक साथ खड़े होते है और अनीस और जीशान एक साथ उसकी चुतड़ों के दोनों पल्लो को अपने अपने एक हाथ मे दबा कर दूसरे हाथ से उसकी एक एक चुची को पकर कर कहते है
अनीस - जीशान - आज रात को हम तुम्हे एक बार फिर से औरत बनानेवाले है माँ और उसके गालो के साथ साथ उसके गर्दन पर भी चुम लेते है.....शाज़िया फिर से एक बार अंदर तक सिहर जाती है...

वो कहती है अब मैं तुमदोनो की ही हु.....जैसे रखो बस मुझे कभी छोड़ कर मत जाना और ये बोल कर वो जीशान के कान पकड़ लेती है और कहती है.... खास कर तू समझा...

जीशान - हा मा हा समझ गया...आह अब कान तो छोड़ो.....

वो उसके कान छोड़ देती है और किचन में जाने लगती है चाय के कप्स को उठा कर और दोनों भाई...अपने कमरे मे आ कर एक दूसरे से गले मिल कर खुसी जाहिर करते है....की आखिर इस जंग में उनकी जीत हुई....अब आने वाले रात का इंतजार था...
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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वो उसके कान छोड़ देती है और किचन में जाने लगती है चाय के कप्स को उठा कर और दोनों भाई...अपने कमरे मे आ कर एक दूसरे से गले मिल कर खुसी जाहिर करते है....की आखिर इस जंग में उनकी जीत हुई....अब आने वाले रात का इंतजार था...

रात का खाना जीशान बाहर से लाने चला जाता हैं और इधर शाज़िया किचन का काम निपटाने में लग जाती है.... अनीस हॉल में बैठा आने वाले चुदाई को ले कर सोच रहा था आखिर उसने और उसके भाई ने जीत हासिल कर ही ली थी.... अब कोई नही था उनके बीच न शर्म न हया न पर्दा कुछ नही....तभी जीशान खाना ले आता है शाज़िया भी उसकी आवाज सुन कर बर्तन ले कर टेबल पर आती है वो नंगी घर मे घूमती हुई बहुत ही मादक दिख रही थी और खाना खाने के बाद वो तीनो कमरे में आये जहा शाज़िया सोती थी....आज से सब मा बेटे वही सोने वाले थे....

जीशान - मा आज हम तुम्हे खूब प्यार देंगे और लेंगे भी.....आज से एक नई जिंदगी की शुरुवात हो रही है हमारी....

अनीस - हॉ भाई सही बोले जीवन के इस पड़ाव पर आ कर पता चला कि प्यार मिलना भी क्या होता है खास कर जब वो तुम्हारे जैसे औरत का हो माँ....

वो तीनो नंगे ही थे कमरे में खड़े थे....
शाज़िया - मेरे बच्चो आज से जैसा तुमलोग कहोगे वैसा मैं करूंगी आख़िर मेरे पास तुमदोनो के अलावा है ही कौन जिसको मैं अपना कह सकू......अनीस शाज़िया को एक चुची को पकड़ कर कहता है माँ अब इन्हें हमसे दूर मत करना कभी...हम सब अब एक है तीन शरीर एक जान. ....माँ हम तुम्हे बहुत प्यार करते है और करेंगे भी....

शाज़िया - अच्छा जब तुम दोनों की पत्नियां आ जाएंगी तब इस बुड्ढी औरत को भूल जाओगे....

अनीस - नही माँ ये ऐसा कभी हो ही नही सकता..... जीशान भो उसकी हा में हा मिलाता है.....और दोनो उसके गले लग जाते है.....और शाज़िया उन्न दोनो को कस कर दबा लेती है और तब जीशान कहता है चलो भाई अब सोने चलते है....और एक शरारत भरी मुस्कान हस देता है....जिसका मतलब शाज़िया बखूबी समझती है....

जीशान बेड पर चढ़ जाता है और शाज़िया भी फट से बेड पर चढ़ जाती है...अनीस अपनी माँ की हरकतो को देख कर मन्द मन्द मुस्कुरा रहा था...वो भी बेड पर चढ़ जाता है और फिर दोनों भाई शाज़िया को एकदम चिपका लेते है खुद से....शाज़िया भी उनका साथ देती है....

शाज़िया के नंगे बदन ने तो उनके लन्ड में आग लगा रखी थी ही अब उसके बदन का स्पर्श ने उसमे आग में घी का काम कर दिया था....दोनो के लन्ड अकड़ कर उसकी चुत और गांड से टकरा रहे थे....कमरे की बत्ती अभी भी जल रही थी तो एक दूसरे को अच्छे से देख सकते थे जो माहौल को और रोमानी बना रह था....

जीशान सबसे पहले शाज़िया की पीठ पर चुम्मबन की बरसात कर देता है और अनीस उसके गर्दन पर बस्स इतना ही काफी था शाज़िया की आग को भड़काने के लिए....औऱ शाज़िया उनदोनो के लन्ड पकड़ कर सहलाने लगती है और तभी जीशान उठ कर शाज़िया की एक चुची को मुह में भर लेता है और अनीस भी ऐसा ही करता है....और उनके हाथ शाज़िया कक चिकनी चुत पर आ जाते है और शाज़िया उनका स्वागत खुले टांगो से करती है....जीशान फटाक से अपनी दो उंगली उसकी चुत में घुसा देता है जिससे शाज़िया तड़प उठती है....

शाज़िया - आह.....बेटा आह....और वो अपनी कमर उठाने लगती है तभी अनीस जीशान को हटा कर शाज़िया की टांगो के बीच आ कर उसकी चुत में मुह लगा देता है....औऱ जीशान भला कैसे पीछे रह सकता था उसने तुरंत शाज़िया को ऐसे पलट जिससे शाज़िया की गांड उपर आ गयी और अनीस नीचे चला गया उसकी चुत को चाटते हुए और जीशान शाज़िया की गांड को फैला कर उसके छेद को चाटने लगता है जिससे शाज़िया तो लगभग पागल ही हो जाती है...

शाज़िया - आह बेटे...... ओह्हहहह....मा मरी मैं....उफ्फ बेटा अनीस अब शाज़िया की चूत को दांतों से ले कर चुभला रहा था जिससे शाज़िया झरने के कगार पे आ रही थी तभी अनीस उसकी चुत से मुह हटा लेता है और जीशान उसकी गांड से शाज़िया तड़प कर रह जाती है और उठ कर कहती है क्या हुआ अनीस हट क्यों गए...दरअसल ये दोनों शाज़िया को तड़पाना चाहता था जिससे उनकी पहली चुदाई में ओर मजा आने वाला था...

तभी दोनो भाई अपने लन्ड शाज़िया को दिखाते हुए कहते है माँ अगर तुम झर जाओगी तो इन् बेचारो का क्या होगा.....और इतना कहना था कि शाज़िया फुर्ती के साथ झुक के उनके लन्ड को मुह में भर लेती है एक साथ दो दो लन्ड उसकी मुह में अट नही रहे थे फिर भी वो पूरी कोसिस कर रहीं थी कि दोनों को खुश कर सके क्योकि वो उनदोनो को अब दुखी नही करना चाहती थी....

10 मिनट की चुसाई के बाद शाज़िया की मुह थक गया था जिसे उनदोनो ने देख लिया था मगर फिर भी शाज़िया उनके लन्ड चूसे जा रही थी और तभी जीशान अपनी माँ की गांड को सहलाते हुए उसे दबा देता है ओर अनीस उसे उठा देता है और शाज़िया लाल लाल चेहरा लिए उन दोनो की तरफ सवालिया नजरो से देखती है ....जीशान शाज़िया की टांगो को पकड़ कर बेड के किनारे कर देता है और शाज़िया की जगह खुद लेट जाता है.....

तभी अनीस - माँ तुम जीशान के ऊपर आ जाओ....

शाज़िया बिना देर किये उसके ऊपर आ जाती है शाज़िया की लटकती हुई चुचियो को देख कर जीशान का लन्ड एक झटका खाता है...और अनीस कहता है कि माँ अपनी कमर को उठाओ वो उठती है तभी अनीस उसकी चुत को फिर आए चाटने लगता है....

जिससे शाज़िया फिर से पागल होने लगती है और उत्तेजना भरे स्वर में कहती है......तुमदोनो के ये काम मुझे समझ नही आते...आह...उह ओह.....आई.... कुछ ही मिनट के बाद जब शाज़िया की चूत पूरी गीली हो जाती है तब अनीस जीशान के लन्ड को सीधा पकड़ कर शाज़िया की चूत के मुहाने पे लगाता है...

तभी जीशान एक करारे झटके में आधा से ज्यादा लन्ड माँ की चूत में पल देता है जिससे शाज़िया सहन नही कर पाती है और जोर से चीख पड़ती है....जिसको अनीस जल्दी से आगे आ कर उसके होठ चुसने लगता है...और शाज़िया अपने आप को संभाले हुए उकड़ू जीशान के दोनों तरफ पैर किये बैठी थी तभी जीशान जब देखता है कि माँ का दर्द कम है तो एक और झटका देता है और पूरा का पूरा लन्ड पेल देता है....

इस बार शाज़िया को चीखने का मौका नही मिलता क्योकि अनीस उसके होठो को चूस रहा था.....जीशान अपना लन्ड ऐस ही घुसाए रखता है और जब शाज़िया शांत होने लगती है तब्ब अनीस उसके होठ छोड़ देता है और तुरंत नीचे झुक कर शाज़िया की चूत जिसमे जीशान का लन्ड घुसा पड़ा था उसे साइड साइड स चुसने लगता है.....जिससे शाज़िया का दर्द कम होने लगता है और मजा आने लगता है.....जिसे जीशान देख कर अपनी कमर हिलाने लगता है औऱ अनीस शाज़िया को जीशान के ऊपर झुका देता है शाज़िया की चुचियो उसके लन्ड को और भड़का रही थी नतीजतन ये की अब जीशान पूरी ताकत से अपना लन्ड अंदर बाहर कर रहा था.....औऱ शाज़िया उसके सीने पर लेटी गांड हवा मे उचकाए आह आह ओह्ह ओह्ह करती हुई अपने बेटे के लन्ड का स्वाद अपनी चुत से चख रही थी....


तभी अनीस जीशान के टांगो के बीच आता है जहाँ शाज़िया की गांड उसे न्योता दे रही थी....वो उधर आ कर जीशान को रुकने बोलता है जीशान अनीस का इरादा समझ कर शाज़िया के होंठ चुसने लगता है ...और इधर अनीस अपने माँ की गांड को फैलाता है औऱ उसमे एक साथ दो उंगली डाल देता है...जिससे शाज़िया को बहूत दर्द होता है मगर होठ चुसवाने के कारण वो चीख नही पाती पर अपने हाथों से उसे छिपाती है कि नही वहा नही मगर अनीस को तो करना था और तभी अनीस पास ही रखी वेसिलीन की डिबिया उठता है और पूरी की पूरी डिबिया उसके गांड के छेद पे रगड़ देता है

शाज़िया बहुत बार हाथो से उसे रोकने की कोसिस की मगर सब बेकार और अच्छी तरह से छेद को मलने के बाद अनीस अपना लन्ड को उसके छेद पे रगड़ता है शाज़िया आने वाले लम्हे को सोच कर थर्रा उठती है....उसकी सारी उत्तेजना गायब हो गयी थी...तभी जीशान उसके होठ छोड़ देता है....शाज़िया अपनी साँसों को नियंत्रित करते हुए उससे कहती है....
शाज़िया - नही बेटा नही वहां नही वो जगह पे मैं इसे नही ले पाऊंगी..... तू आगे से कर ले बेटा मैं तुझे नही रोकूंगी.... पर बेटा वहा नही....मैं मर जाऊंगी....वो लगभग गिरगिराते हुए कहती हैं मगर अनीस नही मानता हैं
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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शाज़िया बहुत बार हाथो से उसे रोकने की कोसिस की मगर सब बेकार और अच्छी तरह से छेद को मलने के बाद अनीस अपना लन्ड को उसके छेद पे रगड़ता है शाज़िया आने वाले लम्हे को सोच कर थर्रा उठती है....उसकी सारी उत्तेजना गायब हो गयी थी...तभी जीशान उसके होठ छोड़ देता है....शाज़िया अपनी साँसों को नियंत्रित करते हुए उससे कहती है....
शाज़िया - नही बेटा नही वहां नही वो जगह पे मैं इसे नही ले पाऊंगी..... तू आगे से कर ले बेटा मैं तुझे नही रोकूंगी.... पर बेटा वहा नही....मैं मर जाऊंगी....वो लगभग गिरगिराते हुए कहती हैं मगर अनीस नही मानता हैं

अनीस - कुछ नही होगा माँ बस तुम हौसला रखना....तुम्हे पहले थोड़ा दर्द होगा मगर फिर बहुत मजा आएगा....

अब भला जिसकी गांड फटने वाली हो उसे क्या मजा सूझेगा
शाज़िया - नही बेटा वहां नही तू अनीस के साथ आगे ही कर ले....मगर वहां नही बेटा ....

अनीस - तुमने जो कहा मा एक साथ जीशान के लन्ड के साथ मैं भी डाल दु तुम्हारी चुत में वो भी करूँगा मगर इसके बाद ओर शाज़िया की गांड़ पर एक करारा थप्पड़ लगा देता है....शाज़िया कराह उठती है.....और अनीस अपना लन्ड उसके गांड़ की छेद पे रखता है और तभी जीशान अपनी माँ को होंठ दुबारा चुसने लगता है....और इधर अनीस शाज़िया की गांड में जैसे जैसे लन्ड का दबाव डाल रहा था वैसे वैसे उसकी गांड़ का छेद फैलता जा रहा था और साथ साथ शाज़िया की आंखे भी....वो हाथों से अनीस को रोकती है धकेलती है मगर नतीजा सिफर ही रहता हैं......


तभी अपने लन्ड के सुपारे को उसके छेद पर बैठाने के बॉद एक करारा जानदार झटका मारता है और पूरा का पूरा लन्ड एक ही बार मे अंदर जड़ तक पेल देता है.....

शाज़िया की आंखे फैल के बाहर आने को होती है......उसकी कुँवारी गांड से खून बहने लगता है.....वो छटपटाने लगती है.....जीशान से अपने होठो को जबरदस्ती खिंच कर छुड़ा कर दर्द से कराहने लगती हैं लगभग लगभग उसकी गांड़ फट गयीं थी....जिसका असहनीय दर्द उसे हो रहा था

अनीस के लन्ड को शाज़िया की गांड़ के छल्ले ने एकदम कस कर पकड़ा हुआ था तुरंत जीशान और अनीस उसकी एक एक चुची को मुह में भर लेते हैं और उसके दर्द को कम करने की कोशिस करते है

तब शाज़िया कहती है मार डाला तुमलोगों ने आह मेरी कुँवारी गांड़ ओह उफ्फ....ऎसे कोई करता है भला....अपनी माँ के साथ....

जीशान उसकी चुची छोड़ कर कहता है... कोई मा तुम जैसे प्यार भी तो नही कर सकती ना अपने बेटो के साथ.....

शाज़िया का दर्द के मारे बुरा हाल था वो सुबकते हुए कहती है चुप कर तू...

आह तब जीशान वापिस से उसकी चुची को मुँह में भर लेता हैं....

आलम ये था कि जीशान सबसे नीचे बीच मे शाज़िया और उसके ऊपर अनीस.....हर शाज़िया की चूत और गांड़ दोनो में ही लन्ड.....जिसके दर्द को दोनो भाई मिल कर कम करने की कोशिश में लगे थे......
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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आलम ये था कि जीशान सबसे नीचे बीच मे शाज़िया और उसके ऊपर अनीस.....हर शाज़िया की चूत और गांड़ दोनो में ही लन्ड.....जिसके दर्द को दोनो भाई मिल कर कम करने की कोशिश में लगे थे......



थोड़े ही समय मे शाज़िया का दर्द कम हो जाता है और तभी शाज़िया खुद कहती है अनीस बेटा अब हो गया न अब उसे बाहर निकाल ले जलन हो रही हैं वहाँ.....

वो नही सुनता और फिर दोनों भाई लग जाते है धक्के लगाने में और साथ ही साथ उसकी चुचिया का कचुम्बर बनाने में.........

और शाज़िया जिसका दर्द अब मजे में बदल चुका था वो थर्राते हुए लफ्जो से कहती है आह बेटो आह तुमदोनो ने तो मेरे बदन में तुमदोनो ने क्या कर दिया है आह बेटे मैं मर रही हु.....आह बेटे कुछ तो रहम कर अपनी माँ पे....

और अनीस कहता है तो मर जाओ ना मा हम तुम्हे फिर से जिंदा कर देंगे अपने इस इलाज से.....

जीशान - हा मा भैया बिल्कुल ठीक कह रहा है....और तो और हम दोनो इस इलाज के माहिर डॉक्टर है....2 इंजेक्शन्स में तुम एकदम घोड़ी की तरह काम करोगी मा औ तभी अनीस शाज़िया के बालों को पकड़ कर खिंचता है और जोर जोर से शाज़िया की गांड मे धक्के लगाने लगता है....

शाज़िया दर्द और मजे से दोहरी हो जाती है

उधर जीशान भी कोइ कसर नाहज छोड़ रहा था वो भी अपनी पूरी ताकत झोंक कर शाज़िया की चूत में धक्के लगा रहा था....इस बीच शाज़िया 4 बार झड़ चुकी थी और इस उम्र में 4 बार झड़ना बहुत बड़ी बात थी मगर उसके दोनों बेटे तो जैसे चोदने की मशीन बने हुए थे.....

तभी अनीस पचाक की आवाज के साथ शाज़िया की गांड़ से लन्ड खिंच लेता है और जीशान भी इधर उसकी चुत में से लन्ड निकाल कर शाज़िया को बेड पर गिरा देता है और फिर जीशान की जगह अनीस ले लेता है और अनीस की जगह जीशान और फिर वक बार शाज़िया का सैंडविच बन जाता है......

उसकी दर्द और मजे से भरी सिसकियों से कमरा अगले 1 घण्टे तक गूंजता रहता है.....और अंत मे दोनो अपना अपना वीर्य उसकी गांड़ और चुत में छोड़ देते है इनके साथ साथ शाज़िया भी 6 थ्वी बार झड़ जाती है और फिर तीनो उसी हालत में हान्फते हुए एक दसरे के ऊपर लेटे हुए रहते है.....

शाज़िया की हालत देखने वाली थी दोनो बेटो के मुरझाए हुए लन्ड अभी भी उसकी चुत और गांड़ में फसे हुए थे....और दोनो चुचिया अनीस ले सीने के दोनों तरफ लटक रही थी और शाज़िया की टांगे एकदम चौड़ी फैली हुई.....बाल बिखड़े हुए....अपनी साँसों को नियंत्रित करने में जुटी हुई थी उसके बदन में इतनी भी जान नही बची थी कि वो उनपे से उतर कर बेड पर लेट जाएं....आज कई सालों बाद उसकी चुदाई हुई थी औऱ वो भी उसके दोनों छेदों में एक साथ..... उसके अपने ही बेटो से.....

बिस्तर पर शाज़िया की गांड़ से निकला हुआ खून इस बात की गवाही दे रहा था कि उसकी गांड़ बहुत बुरे तरीके से फाड़ी गयी थी.....उस दो घण्टे की कामलीला के बाद वो तीनो मा बेटे वैसे ही सोये रह गए जो सुबह ही उठे सीधे.....
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