जुली को मिल गई मूली compleet

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rajsharma
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जुली को मिल गई मूली compleet

Post by rajsharma »

जुली को मिल गई मूली--1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और कहानी लेकर हाजिर हूँ आशा करता हूँ कि ये कहानी भी आपको बहुत पसंद आएगी --मैं जूली हूँ. मैं उस समय 14 साल की थी और क्लास 9 मे थी. मैं यहाँ बता दूं कि मेरा बेडरूम और मेरे पेरेंट्स का बेडरूम साथ साथ है. दोनो के बेडरूम के बीच मे एक कामन बाथरूम है जो दोनो तरफ से यूज़ हो सकता है. अगर मुझे बाथरूम जाना हो तो मैं उसको अपने पेरेंट्स के रूम मे खुलने वाले डोर को अंदर से लॉक करती हूँ और यही मेरे पेरेंट्स करते है, मेरे रूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे को अंदर से लॉक करते है. यह बाथरूम हमारे दोनो बेडरूम के बीच आने जाने का एक अंदर के दरवाजे का काम भी करता था.

अब तक मैं सेक्स और चुदाई के बारे मैं पूरी तरह नही जानती थी. बस, केवल आधा अधूरा ही नालेज था.

एक दिन मैं स्कूल से आने के बाद घर मे अकेली ही थी. मेरे पेरेंट्स और मेरे चाचा हमारे फार्म हाउस पर हमारे एक वर्कर की बेटी की मैरिज मे गये थे. मुझे स्कूल जाना था इसलिए मैं नही गयी थी. सब लोग शाम को ही वापस आने वाले थे. मेरी मा ने मेरा खाना बना कर किचन मे रखा था और हम रात का खाना साथ मे ही खाने वाले थे.

मैं दोपहर को करीब 12 बजे स्कूल से आई और खाना खा लिया. मैं टाइम पास के लिए VCआर पर मूवी देख रही थी. ( उस समय VCड और डVड नही थे) कुछ समय बाद मैं उस मूवी से बोर होगयि और कोई दूसरी मूवी की कॅसेट तलाश करने लगी. अचानक, मेरी मा की अलमारी मे मैने एक बिना लेबल की कॅसेट देखी. मैने सोचा देखते हैं ये कौन सी मूवी है, शायद कोई अच्छी मूवी हो. मैने कॅसेट लगाई तो देखा कि वो तो एक ब्लू फिल्म थी. घर मे कोई नही था और मैं वो ब्लू फिल्म देखने लगी. थोड़ी ही देर मे मैं गरम हो गयी और मैने देखा कि मेरी पॅंटी गीली हो गयी है. मुझे समझ मे नही आया कि ये कैसे हो गया. मैं देख रही थी कि एक गोरा आदमी अपने बड़े और मोटे लंड से एक काली लड़की को अलग अलग पोज़िशन मे चोद रहा था. मैं और गरम होने लगी और अंजाने मे मेरी उंगली मेरी छ्होटी सी चूत पर पॅनी के उपर पहुँच गयी. मैने देखा कि मेरी पॅंटी काफ़ी गीली हो गयी है. मैने अपनी पॅंटी उतार दी और धीरे धीरे अपनी उंगली अपनी छ्होटी सी चूत पर फिराने लगी. उस समय मेरी चूत गीली, और गीली होती जा रही थी. उस समय मैं ये नही समझ पाई कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्यों मेरी चूत गीली हो गयी है? क्या मेरा पेशाब निकल गया है? मैं थोड़ा डर गयी थी और मैने अपनी चूत पर से अपनी उंगली हटा ली. मैने VCऱ से कॅसेट निकाल कर वापस मेरी मा की अलमारी मे उसी जगह रख दी. मैं डर रही थी कि अचानक मेरी चूत से पानी कैसे निकलने लगा जो रुक ही नही रहा था. जैसे मैं अपने पेशाब को कंट्रोल कर सकती थी, वैसे वो पानी कंट्रोल ही नही हो रहा था और लगातार निकलता ही जा रहा था. मैं जल्दी से बाथरूम गयी और अपनी गीली पॅंटी धोने लगी क्यों कि मैं अपने पेरेंट्स के आने से पहले वोही पॅंटी सूखा कर वापस पहन ना चाहती थी ताकि उनको पता ना चले. मैने पेशाब किया और अपनी नन्ही सी चूत को साबुन से धोया. चूत धोने के बाद उसको टवल से पोन्छा. मुझे ये देख कर संतोष हुआ कि अब और पानी नही निकल रहा है मेरी चूत से.

दूसरे दिन जब मैं स्कूल गई और मेरी सबसे अच्छी फ्रेंड आंजेलीना को बताया कि कल मेरे साथ क्या हुआ था तो वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी. उसने मुझे बताया कि ये तो नॉर्मल चीज़ है और सब कुछ ठीक है. मैं जानती थी कि आंजेलीना को सेक्स का ज्ञान मेरे से ज़्यादा है क्यों कि वो मेरे से एक साल बड़ी है. मैने उसको पूछा कि उसको ये सब कैसे पता है तो उसने बताया कि उसने इसके बारे मे किताबो मे पढ़ा है. मैने उसको पूछा कि क्या उसने किसी के साथ चुदाई की है तो उसने बताया कि चुदाई तो उसने नही की है पर वो जानती है कि चुदाई कैसे होती है और एक लड़की अपने आप को कैसे सॅटिस्फाइ कर सकती है. मेरे कहने पर वो मुझे सिखाने को तय्यार हो गई.

स्कूल के बाद अपने घर पर बता कर वो मेरे साथ मेरे घर आई. लंच के बाद हम दोनो मेरे बेडरूम मे आ गई. उसने बेडरूम का दरवाजा अंदर से बंद किया और मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया ताकि मेरी मा मेरे बेडरूम मे बाथरूम के दरवाजे से ना आ सके क्यों कि लंच के बाद वो अपने बेडरूम मे आराम करने गयी थी.

आंजेलीना ने अपने सभी कपड़े उतार दिए और पूरी नंगी हो गयी मेरे सामने. उसने मुझे भी सभी कपड़े उतार कर नगी होने को कहा. मुझे शरम तो आई मगर उसको नंगी देख कर मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी.

आंजेलीना का बदन बहुत सेक्सी था. उसकी चुचियाँ मेरे से थोड़ी बड़ी थी. उसकी चूत भी मुझसे ज़्यादा उभरी हुई थी. उसकी गंद मेरी तरह गोल और कड़क थी. उसने मेरा चेहरा अपने हाथों के बीच ले कर मेरे होटो पर किस किया. हे भगवान...... ये मेरा पहला किस था. ऐसे लगा जैसे कोई बिजली सी दौड़ गई हो मेरे अंदर. मैने भी उसका पूरा साथ दिया किस करने मे.उसने मुझे अपनी चुचि चूसने को कहा. मैने उसकी एक निपल अपने मुँह मे लेकर चूसना चालू किया तो मुझे लगा कि उसकी निपल टाइट हो गई है. वो अपने मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी थी. उसने मुझे और ज़ोर से चूसने को कहा और मैं भी मज़े लेती हुई उसकी चुचि ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. उसको मज़ा आने लगा और वो अपने मुँह से आनंद भरी आवाज़े निकालने लगी. तब उसने कहा मैं उसकी चूत पर हाथ लगाऊ. मैने देखा कि उसकी चूत भी गीली हो रही थी जैसे कल मेरी हुई थी. फिर मैने अपनी चूत को चेक किया पर मेरी चूत तो गीली नही हुई थी. मैने उस से पूछा तो उसने कहा कि अभी हो जाएगी गीली मेरी चूत भी. उसने मुझे पकड़ा और मेरे नींबू जैसे एक चुचि को मसलने लगी और दूसरी चुचि को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. मेरी चुचि मसलते मसल्ते उसके हाथ मेरे पूरे नंगे बदन पर रेंगने लगे. मैने महसूस किया कि मेरी निपल्स भी हार्ड हो गयी है और मुझे बहुत मज़ा आने लगा. अन्जाने मैं ही मेरे मुँह से आवाज़ें निकलने लगी थी. मैने महसूस किया कि मेरी चूत भी गीली होनी सुरू हो गई है और उस मे से कल की तरह पानी निकलना सुरू हो गया है. उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत पर रखा. उसने कहा कि मैं उसकी चूत पर हाथ फिराऊ और उसके दाने को मसलूं. वो पहली बार था जब मैने फीमेल क्लिट की इंपॉर्टेन्स को जाना. मैने उसके क्लिट को मसलना चालू किया और उसने मेरी क्लिट को मसलना चालू कर दिया. मेरा बदन गरम होने लगा था. फिर उस ने अपने होठ मेरी चूत पर रख दिए और वहाँ से निकलने वाले रस को चाटने लगी. मैने उसको कहा कि ये गंदी बात है, ऐसा मत करो. नीचे से निकलने वाला पानी मुँह मे मत लो, तो उसने बताया कि ये गंदी चीज़ नही है. ये कोई पेशाब नही है. ये तो जवानी का रस है जो कि स्वाद भरा और सेफ है. उसने मेरी क्लिट को अपने मुँह मे दबाया और हे भगवान, कितना मज़ा आया मुझे लिख नही सकती. मैं जान गई कि वो एक बहुत ही उस्ताद चूसने वाली है. मेरी चुचियाँ और बदन कड़क हो गये और मैने उस से कहा ज़रा जल्दी जल्दी चूसो मेरी चूत. पता नही क्यों, मेरी गंद अपने आप उपर उठने लगी और मन ने चाहा कि वो मेरी चूत चबा जाए. मेरे बदन मे कुछ अजीब सा होने लगा और अचानक ही मैं झाड़ गई. मैने उसके सिर को अपनी टाँगो के बीच दबा लिया औट वो समझ गई कि मेरा हो गया है. मुझे ऐसा मज़ा पहली बार मालूम हुआ. उसने धीरे धीरे मेरी चूत का सारा रस चाट लिया. मैं तो अपने आनंद और मस्ती मे आँखें बंद कर के पड़ी थी और मज़ा ले रही थी. चुदाई से ये मेरी पहली पहचान थी और क्या शानदार परिचय हुआ मेरा चुदाई से. कहानी को छोटा रखने के लिए केवक इतना ही लिखूँगी कि मैने भी उसके साथ वोही किया जो उसने मेरे साथ किया था. उसको भी मैने पूरा पूरा मज़ा दिया अपने मुँह का उसकी प्यारी सी चूत पर.

हम दोनो ही नंगी बेड पर सोई थी और मैने उस से पूछा कि क्या मैं अभी भी वर्जिन हूँ? उस ने मुझे समझाया कि हम दोनो ही अभी तक कुमारी है. जब तक किसी मर्द का लंड हमारी चूत मे नही जाता है, हम वर्जिन रहेंगी. उसने मुझे आगे समझाया कि जब भी मैं गरम होने लगु, अपनी खुद की उंगली अपनी चूत मे डाल कर मज़ा ले सकती हूँ. ये बिल्कुल सेफ है.

उसको हमारे बाथरूम का सिस्टम पता था. उसने मुझे कहा कि मेरे पापा और मा काफ़ी सेक्सी दिखते है. वो शायद रोज़ ही चुदाई करते होंगे. उसने मुझे कहा कि अगर कभी मौका मिले तो मैं अपने पापा और मा को चुदाई करते हुए देखूं ताकि मैं असली वाली, और औरत - मर्द वाली चुदाई के बारे मे ज़्यादा जान सकु. मैने पूछा कि क्या ये ठीक होगा अपने मा बाप को चुदाई करते हुए देखना? उसने कहा कि इसमे कुछ भी ग़लत नही है. वो खुद अपने मा बाप को चुदाई करते हुए कई बार देख चुकी है और बहुत कुछ सीखा है. हम ने कुछ देर ऐसी ही बातें की और कुछ देर बाद वो अपने घर लौट गई. मेरे दिमाग़ मे एक ही बात थी, कैसे चोद्ते होंगे मेरे पापा मेरी मा को? कब मौका मिलेगा मुझे देखने का मेरे पापा - मा की चुदाई?

उसी रात को, जब मेरी नींद खुली और मुझे बाथरूम जाना था. मैं बाथरूम के अंदर गई और आदत के मुताबिक जैसे ही अपने पापा के बेडरूम की तरफ खुलने वाला दरवाजा लॉक करने वाली थी कि मैने अपनी मा - पापा के बेडरूम से आने वाली कुछ आवाज़ें सुनी. मैं समझ गई कि अंदर ज़रूर कुछ हो रहा है. ह... ओह्ह्ह...... हां...... जानू................... ओह........... की आवाज़ें आ रही थी. ज़रूर मेरे पापा मेरी मा को चोद रहे थे. मैने चाबी के होल से देखा कि उनके बेडरूम की लाइट ऑन थी मगर मैं कुछ देख नही पाई क्यों कि उनके बिस्तर की पोज़ीशन ऐसी थी कि बिना दरवाजा खोले पता नही चलता था कि बिस्तर पर क्या हो रहा है. मैं वापस अपने बेडरूम मे आई, लाइट ऑफ करी और बाथरूम का दरवाजा जो मेरे पापा के बैडरूम मे खुलता था ट्राइ किया. ओह, मेरी अच्छी किस्मत ! दरवाजा उनकी तरफ से बंद नही था. मैने धीरे से थोड़ा सा दरवाजा खोला और अपनी जिंदगी का सब से शानदार नज़ारा देखा. बेड रूम की लाइट ऑन थी. शायद मेरे मा - बाप को फुल लाइट मे चोदने का मज़ा आता होगा.

सबसे पहले मुझे अपनी मा की गोल गोल, गोरी गोरी गंद दिखी. वो ज़मीन पर खड़ी थी और बेड पर झुकी हुई थी. वो पूरी नंगी थी. मेरी तरफ उनकी शानदार गंद थी. मैने देखा कि मेरी मा की बॉडी कितनी शानदार और सेक्सी थी. मेरे पापा बेड पर बैठे हुए थे, उनका लंबा, मोटा और मज़बूत लंड उनके हाथ मे था. वो अपने लंड पर कुछ कर रहे थे. ( मुझे अब पता है कि वो अपने लंड पर कॉंडम लगा रहे थे. ) वो खड़े हो गये ज़मीन पर और मेरी मा के पीछे आए. एक हाथ से वो अपना लंड पकड़े हुए थे. उनका लंड लाइट मे चमक रहा था ( क्यों कि उस पर कॉंडम था). उन्होने एक हाथ मेरी मा की गंद पर रखा और उस से थोड़ा और पीछे झुकने को कहा. मैने सोचा कि वो मेरी मा की गंद मारने वाले है. मैं हैरान हो गई कि पहली बार किसी की चुदाई लाइव देखने का मौका मिला है, वो भी अपने मा - बाप की, जो कि मेरी मा की गंद मारने वाले है. ( मुझे अब पता है कि चूत को पीछे से भी चोदा जा सकता है) मेरी मा थोड़ा सा झुकी, अपनी टांगे चौड़ी की. मेरे पापा को मा की चूत नज़र आने लगी और उन्होने अपने लंड की टोपी मा की चूत पर रख कर एक धक्का दिया. उनका लंड मा की चूत मे उतरता चला गया. उन्होने अपने दोनो हाथो मे मा की गंद पकड़ रखी थी और अपना लंड मेरी मा की चूत मे अंदर बाहर करने लगे. मेरी मा की बड़ी चुचियाँ आगे - पीछे हिलने लगी क्यों कि मेरे पापा उनकी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर करते हुए धक्के लगा रहे थे. उधर मेरी मा चुद रही थी और इधर मुझे मज़ा आ रहा था उनकी चुदाई देखने मे. मैं शायद बहुत किस्मत वाली हूँ जिसने अपने पापा को मा को चोद्ते हुए देखा. वो दोनो कुछ कह रहे थे जो मेरी समझ मे नही आया. पापा लगातार आगे पीछे हो रहे थे और मेरी मा चुद रही थी. अब वो ज़ोर ज़ोर से मेरी मा को चोद्ने लगे थे. मेरा हाथ अपनी छोटी सी चूत पर गया और मैने पाया कि वो फिर से गीली हो गई है. मैने अपनी चूत के दाने को टच किया तो बदन मे बिजली सी दौड़ गई और आग लग गई. मुझे लगा कि आनंद के मारे मेरे मुँह से आवाज़ निकल जाएगी. मैने अपना हाथ अपनी गीली चूत से हटा लिया और फिर से अपने मा - बाप की चुदाई देखने लगी. वो किसी जानवर की तरह पीछे से मेरी मा को चोद रहे थे ज़ोर ज़ोर से. अचानक उनकी स्पीड बढ़ गई और वो मेरी मा से चिपक गये. उन्होने मेरी मा की चुचियाँ हाथ मे लेकर दबानी सुरू करदी. मैं समझ गयी कि उनका हो गया है और मेरे पापा का चोद रस निकल गया है. मेरी मा धीरे से अपने पेट के बल बिस्तर पर लेट गयी और मेरे पापा उसके उपर थे. मेरे पापा का लंड अभी भी मेरी मा की चूत मे था.

मैं जैसे सपने जागी और पोज़िशन को समझा. मैने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया बिना किसी आवाज़ के. मैं अपने बेडरूम मे आ गई और बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से बंद करलिया. मेरी साँस फूली हुई थी जैसे मैं लंबी दौड़ लगा कर आई हूँ. मैने जल्दी से अपनी चड्डी उतार फेंकी जो कि पूरी तरह गीली हो चुकी थी. मैं अपने आप को रोक नही सकी और अपनी चूत को रगड़ने लगी. मेरी उंगलियों की स्पीड काफ़ी ज़्यादा थी क्यों कि मैं बहुत गरम हो चुकी थी अपनी मा की चुदाई देख कर. मैं पहले से काफ़ी गरम थी इस लिए जल्दी ही मैं अपनी मंज़िल पर पहुँच गई और मेरी चूत ने अपना रस निकाल दिया.

मैं कब सो गयी मुझे पता ही नही चला मगर सपने मे मैं अपनी मा को चुद्ते हुए देखती रही.

क्रमशः.......................................


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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

जुली को मिल गई मूली—2

गतान्क से आगे……………………………..

अब ये मेरा शौक हो गया था, या यूँ कहिए कि आदत हो गई थी कि मैं कोई भी मौका नही छोड़ती थी अपने मा बाप की चुदाई देखने का. मेरे पापा मेरी मा को वीक मे तीन - चार बार चोद्ते थे और जब भी वे बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से बंद करना भूल जाते थे, मैं पहुँच जाती थी उनकी चुदाई देखने के लिए. अब तक मैं चुदाई के बारे मे काफ़ी जान गई थी. मैने अपने मा बाप को अलग अलग पोज़िशन मे चोद्ते हुए देखा था जैसे कि ब्लू फिल्म मे होता है. मैं जब भी मेरी मा को चुद्ते हुए देखती, अपनी चूत मे उंगली डाल कर अपने आप को शांत और ठंडी करती थी. मेरा भी मन करता था कि कोई मुझे भी ऐसे ही चोदे. मैने देखा कि मेरे पापा बहुत अच्छा चोद्ते है और एक औरत को सॅटिस्फाइ करना बहुत अच्छी तरह जानते है. मेरी मा बहुत सुन्दर है और उसका बदन अभी भी जवान औरत जैसा सेक्सी है. मैने देखा कि मेरी मा भी चुदाई मे मेरे पापा का पूरा साथ देती थी और चुदाई का पूरा मज़ा लेती है और पापा को पूरा मज़ा देती है. वो दोनो एक दूसरे को चोद कर बहुत खुस है. मैं जान गई थी कि ना तो मेरे पापा किसी और औरत को चोद्ते है और ना ही मेरी मा किसी और मर्द से चुद्वाती है. दोनो एक दूसरे से पूरी तरह सॅटिस्फाइ है और खुस है.

मेरी मा अपनी चूत को हमेशा सॉफ रखती है बिना बालों के. मेरे पापा भी अपने लंड पर बाल पसंद नही करते हैं. एक बार तो मैने पापा को मा की चूत शेव करते हुए भी देखा था. मेरे पापा का लंड करीब 7 इंच लंबा है और काफ़ी मोटा भी है. मैने जब भी उनका लंड खड़ा हुआ देखा, वो बहुत हार्ड और मज़बूत लगा..

मैने उनको हर पोज़िशन मे चोद्ते हुए देखा पर उनको मा की गंद मारते हुए कभी नही देखा. मुझे आंजेलीना ने बताया था कि कुछ मर्द लोग अपनी फीमेल पार्ट्नर की गंद भी मारते है जैसे कि उसके पापा मारते हैं उसकी मा की. मैं सोचती थी की गंद चोद्ना कैसा होता होगा. खैर............... ये मेरे लिए बहुत ही अच्छा था कि मेरे मा बाप लाइट ऑन रख कर चुदाई करते है और मैं हर चीज़ सॉफ सॉफ देख सकती थी. शायद वो सोचते होंगे कि उनकी प्यारी बेटी तो दूसरे बेडरूम मे गहरी नींद सो रही है. शायद इसी लिए वो बाथरूम के दरवाजे को अपनी तरफ से बंद करने पर ज़्यादा ध्यान नही देते थे क्यों कि उनकी चुदाई जब भी होती थी, आधी रात के बाद ही होती थी और शायद इसी लिए दरवाजे पर उन्होने ज़्यादा ध्यान नही दिया. उन को क्या पता कि उनकी छ्होटी प्यारी बेटी अब चुदाई को जान ने लगी है और उनकी ही चुदाई देखती है. आज उस बात को इतने साल हो गये, पर मैं अब भी अपने आप को रोक नही पाती उनको चोद्ते हुए देखने से.

मेरे पापा और मेरे चाचा दो ही भाई है. मेरे पापा और चाचा मे बहुत प्यार है. मेरे पापा क्यों कि बड़े भाई है, चाचा उनकी बहुत इज़्ज़त करते है. मेरे चाचा ने अभी तक शादी नही की है क्यों कि वो शादी नही करना चाहते. वो भी मेरे पापा की तरह बहुत हॅंडसम है.

मैं अपने मा बाप की अकेली औलाद हूँ. मेरे कोई भाई या बहन नही है.

मेरे चाचा का बेड रूम मेरे बेडरूम के सामने है. हमारे घर मे कुल पाँच बेड रूम है. तीन फर्स्ट फ्लोर पर, मेरे पापा का, मेरे चाचा का और मेरा. दो बेडरूम सेकेंड फ्लोर पर है जो कि गेस्ट बेडरूम है.

ड्रॉयिंग रूम, किचन डाइनिंग रूम और हमारा ऑफीस ग्राउंड फ्लोर पर है.

खैर.......... अब मैं असली बात पर आती हूँ. एक रात की बात है कि हमेशा की तरह मुझे मौका मिला और मैं देख रही थी कि मेरी मा के मुँह मे पापा का लंबा लंड है और पापा मा की चूत चाट रहे है. वो 69 पोज़िशन मे थे. वो दोनो मज़ा ले रहे थे पर मुझे लग रहा था कि उन से ज़्यादा मज़ा मैं ले रही हूँ. मेरा हाथ मेरी चड्डी के अंदर था और मैं अपनी चूत के साथ खेल रही थी. मेरी चूत से रस निकल रहा था और मेरी उंगलियाँ मेरी चूत के रस से गीली हो गई थी. जब मेरे पापा और मा ने एक दूसरे की चूत / लंड चूसना बंद कर दिया तो मैने भी धीरे से बाथरूम का दरवाजा बंद कर्दिया और अपनी तरफ का दरवाजा बंद करने के बाद अपने बेडरूम मे घुसी. मैं इतनी गरम हो चुकी थी किमेरी चूत को जोरदार मालिश की ज़रूरत थी. मैं जल्दी जल्दी अपनी चूत मे उंगली करके झड़ना चाहती थी.

मुझे ये देख कर शॉक लगा कि मेरे चाचा मेरे बेड के नज़दीक एक कुर्सी पर बैठे है. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया और मेरी समझ मे नही आ रहा था कि मैं अब क्या करू. मैं इतना तो समझ गयी थी कि मेरे चाचा ने मुझे अपने पापा और मा की चुदाई देखते हुए देख लिया है. मैं कुछ नही बोल पाई और मेरे पैर जैसे ज़मीन मे जाम हो गये थे. मैने धीरे से अपना सर उपर किया और सोच रही थी कि क्या बोलू. मेरे चाचा मेरी तरफ ही देख रहे थे और उनकी आँखो मे बहुत से क्वेस्चन्स थे. अचानक वो खड़े हो गये और उन्होने मेरे होटो पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया. उन्होने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बेड रूम मे ले गये. अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करने के बाद वो मेरी तरफ मुड़े और कहा

चाचा - मैं नही चाहता कि भाई और भाभी हमारी आवाज़ सुने, इसी लिए मैं तुम को यहाँ लाया हूँ. अब बताओ तुम क्या कर रही थी वहाँ?

मैं - कुछ नही चाचा, मैं तो बाथरूम से आ रही थी.

चाचा - मुझे मूर्ख बनाने की कोशिस मत करो. मैने सब देख लिया है कि तुम क्या कर रही थी.

मैं - क्या? क्यदेख लिया है? मैं तो कुछ नही कर रही थी.

चाचा - तुम अपने मा बाप को देख रही थी उनके बेडरूम मे. उनके बेडरूम की लाइट तुम्हारे बेडरूम तक आ रही थी खुले हुए बाथरूम से. और तुम उनके बाथरूम के दरवाजे के पीछे खड़ी थी थोड़ा सा दरवाजा खोल के जहाँ से लाइट तुम्हारे बेड रूम तक आ रही थी. मैने सब देख लिया है.

मैं कुछ नही बोल पाई पर समझ गई कि सारा भेद चाचा जान गये है. अब चाचा सब जान गये है और वो मेरे पापा और मा को सब बता देंगे. मैं चाचा के बेड पर बैठी थी और मेरी आँखों से आँसू निकलने चालू हो गये डर से. चाचा मुझे देख रहे थे और मैं अपना सिर नीचे कर के रो रही थी.

चाचा - हे! रो मत. चुप हो जाओ.

उन्होने अपना हाथ उपर किया और मेरे आँसू पोन्छे.

चाचा - साफ साफ बताओ. क्या तुम चाहती हो कि मैं ये बात भाई और भाभी को बताऊ?

मैं - नही चाचा ! प्लीज़......., मैने उनका हाथ पकड़ लिया.

चाचा - ठीक है. नही बताउन्गा. मुझे बताओ, ये सब तुम कब से कर रही हो?

मैं - पिछले सिक्स मंत्स से.

चाचा - ओह! सिक्स मोन्थ से? मतलब बहुत दिन हो गये. तुम छ्होटी लड़की हो, क्या तुम समझ सकती हो कि तुम उनको क्या करते हुए देखती हो?

मैं - हां. मैं जानती हूँ.

चाचा - साफ साफ बोलो. मुझ से कुछ मत छिपाओ. तुम मेरी छ्होटी बच्ची हो और ये विश्वास रखो कि ये बात हम दोनो के बीच मे ही रहेगी. शरमाओ मत. बताओ.

मैं - वो आपस मे प्यार करते है रात को.

चाचा - क्या तुम पूरी तरह समझती हो कि वो क्या करते है?

मैं - हां. वो सेक्स करते हैं.

चाचा - ठीक है. लेकिन तुम अभी बहुत छ्होटी हो. किसने सिखाया ये तुम को?

मैने सोच लिया था कि मैं इस मे अंग्र्लिना का नाम नही आने दूँगी. वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है और मैं उसका नाम नही ले सकती.

मैं - एक रात को जब मैं पेशाब करने गयी तो उनका बाथरूम का दरवाजा थोड़ा खुला था और बाथरूम मे उनके बेडरूम से लाइट आ रही थी. कुछ आवाज़ें भी आ रही थी. मैं जान ना चाहती थी कि इतनी रात को वहाँ क्या हो रहा है. मैने धीरे से देखा और मैं समझ गयी कि वो चुदाई कर रहे है और तब से मैं जब भी मौका मिलता है, उनको चोद्ते हुए देखती हूँ. ऐसा वीक मे दो / तीन बार होता है.

चाचा - वो तो ठीक है, पर पर तुम को चुदाई के बारे मे बताया किसने? तुम को क्या पता कि इसको चुदाई कहतें है? तुम को ये कैसे पता है कि हज़्बेंड - वाइफ चुदाई करते है? तुम बहुत छ्होटी हो और मैं समझ नही पा रहा हूँ कि तुम को ये सब इतनी डीटेल मे कैसे पता है?

मैं - वो मैने एक दिन आक्सिडेंट्ली एक ब्लू फिल्म देख ली थी. और तब से मैं जान गयी कि ये चुदाई होती है.

चाचा - ब्लू फिल्म? वो कहाँ देखी तुम ने? अपनी किसी दोस्त के घर पे?

मैं - अपने घर पर ही. मैं किसी फिल्म की कॅसेट तलाश रही थी कि वो मुझे मा की अलमारी से मिली.

चाचा - हे भगवान! साफ साफ बताओ मुझे. क्या तुमने अब तक भी और भाभी को ही चोद्ते देखा है या और भी कुछ किया है? मेरा मतलब है किसी लड़के के साथ तुम ने भी चुदाई की है?

मैं - नही चाचा. मैने सिर्फ़ पापा और मा को ही देखा है. मैने वैसा कुछ नही किया है. मैने किसी से भी नही चुदवाया है.

चाचा - तुम बहुत छ्होटी हो पर अब तुम सेक्स के बारे मैं बहुत जान गयी हो. हम अब साफ साफ बात करते हैं. जब तुम उनको चोद्ते हुए देखती हो तो तुम को कुछ फील नही होता है? क्या तुम्हारी इच्छा नही होती है कि तुम को भी कोई ऐसे ही चोदे?

मैं - मैने अभी तक ऐसा नही सोचा है कि कोई मुझे भी चोदे.

चाचा - फिर तुम क्या करती हो? ये सब देखने के बाद तुम को नींद कैसे आती है?

मैं - मत पुछो चाचा. मुझे शरम आती है.

चाचा - शरमाओ मत बेबी. साफ़ साफ बताओ. मुझे तुम्हारी बहुत चिंता हो रही है कि तुम्हारा क्या होगा. तुम बहुत छ्होटी हो और दुनिया को नही जान ती हो. पता नही क्या होगा तुम्हारा अगर किसी ग़लत हाथ मे पड़ गई तो. मुझे बताओ मेरी बेबी. मैं तुम्हारा चाचा ही नही दोस्त समझो मुझे.

मैं - मैं अपनी उंगली से कर्लेति हूँ.

चाचा - थॅंक गॉड. मैं खुस हूँ कि तुम ने किसी से अब तक नही चुदवाया है. नही चुदवाया है ना?

मैं - नही चाचा. मैने किसी से भी नही चुदवाया है. मेरा विश्वास करो. मैं अपने रूम मे जाऊ?

चाचा - ठीक है. जाओ, पर मैं कल रात को तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा. बहुत सी बातें करनी है तुम से.

मैं - गुड नाइट चाचा.

चाचा ने मुझे गले लगाया और मेरे गाल चूमे और कहा - गुड नाइट बेबी, आराम करो. कल बात करतें हैं.

जब चाचा मुझे गले लगा रहे थे तो मैने कोई कड़क चीज़, लकड़ी जैसी कड़क चीज़ अपने पेट पर महसूस की और तुरंत समझ गई कि ये मेरे चाचा का लंड है.

मैं समझ गई थी कि चाचा ये बात किसी को नही बताएँगे. मैं अपने रूम मे आ गई और सोने की कोशिस करने लगी. काफ़ी देर तक मुझे नींद नही आई. मैने अपनी चूत मे उंगली करने की भी सोची मगर फिर नही की क्यों कि जो कुछ हुआ था उस के बाद मूड नही बन रहा था.

अगले दिन मैं सुस्त थी. जब मा ने कारण पुछा तो मैने कहा कि रात को नींद नही आई पूरी तरह से. बाकी सब ठीक है. मैं स्कूल चली गई. मैं जल्दी से जल्दी आंजेलीना से मिलकर कल रात के बारे मे बात करना चाहती थी. जब मैने उसको सब बताया तो वो कुछ देर तक चुप रही, कुछ नही बोली. बस कुछ सोचती रही. कुछ देर बाद उसने कहा " जूली! ये तुम ने बहुत अच्छा किया कि मेरा नाम नही बताया. अब जब कि सब तुम्हारे चाचा को पता चल गया है तो मुझे लगता है कि तुम्हारा चाचा तुम को चोद्ना चाहता है. इसमे कोई खराबी नही है. केवल एक ही बात का डर है कि तुम सिर्फ़ 14 साल की हो और तुम्हारे चाचा पूरे आदमी है. लेकिन मुझे लगता है कि तुम्हारे चाचा अच्छे आदमी है और तुम्हारा ध्यान रखेंगे. किसी और से चुद्वाने से तो अच्छा है की चाचा ही चोदे. आज नही तो कल, कोई तो चोदेगा, फिर चाचा से चुद्वाने मे क्या हर्ज़ है. घर की बात घर मे ही रहेगी. मेरा कहना मानो तो जो चाचा कहते है वो ही करो. सब ठीक रहेगा." दोस्तो क्या जुली की सहेली ने सही राय दी है आप बताए आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः…………………
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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

जुली को मिल गई मूली—3

गतान्क से आगे……………………………..

मैं ये सोचती हुई दोपहर को घर आई कि क्या सचमुच चाचा मुझे चोदेगा? क्या ये ठीक है? सच पूछो तो मेरा भी बहुत मन कर रहा था कि कोई मुझे चोदे जैसे मेरे पापा मेरी मा को चोद्ते है. अपनी जवानी की पहली चुदाई किसी और से करवाने से तो अच्छा है कि चाचा से ही चुदाई करवाई जाए. अपनी कुँवारी चूत का मोती चाचा को देना ही ठीक है बजाय किसी और को देने से. घर की इज़्ज़त घर मे ही रहेगी. किसी को पता भी नही चलेगा और चुदाई भी होती रहेगी. चाचा के लिए भी ठीक है, उनको भी अपने लंड के लिए चूत घर मे ही मिल जाएगी.

हम ने रात का खाना खाया और मैं अपने बेडरूम मे आ गई. रात के 11.00 बजे मेरे पापा और मा भी सोने चले गये और मैं चाचा का इंतेजार कर रही थी. मैने महसूस किया कि चाचा भी अपने बेडरूम मे आ चुके है. मैं सोच रही थी कि सीधे चाचा के बेड रूम मे चली जाऊ या उन के बुलाने का इंतेजार करू. तभी मेरे बेडरूम का दरवाजा खुला और चाचा दरवाजे पर थे.

चाचा - क्या बेबी ! सो गयी क्या?

मैं अपने बेड से खड़ी हुई तो चाचा मेरी तरफ देख कर मुस्काराए. मैं भी मुस्काराई.

हम दोनो चाचा के बेडरूम मे गये और चाचा ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. मैं अंदाज़ा लगा रही थी और ये सोच कर खुस हो रही थी कि अब क्या होने वाला है. हम दोनो बेड पर बैठे थे और चाचा ने मेरा हाथ अपने हाथ मे लेते हुए कहा...........

"तुम जानती हो जूली कि तुम मुझे कितनी प्यारी हो. कल की बातें होने के बाद तो तुम मुझे और भी प्यारी लगती हो."

मैने चाचा की आँखों मे देखा.

चाचा - जूली! मुझे ख़ुसी है कि तुम जवान हो रही हो. अब से हम दोनो अच्छे दोस्त है. हम एक दूसरे के राज़ को राज़ ही रखेंगे. क्या तुम भी ये चाहती हो कि कोई तुम से भी वैसा प्यार करे जैसे तुम ने देखा है भाई भाभी को करते हुए?

मैं - हां चाचा. पर मैं अभी छ्होटी हूँ और मैं ये सब केवल अपने मज़े के लिए नही करना चाहती.

चाचा - अब जब कि हम आपस मे इतना खुल गये है, बताओ मेरे बारे मे तुम्हारा क्या विचार है. मैं तभी आगे बढ़ुंगा जब तुम हां कहोगी. मैं नही चाहता कि तुम मेरे बारे मे खराब सोचो. चिंता मत करना, तुम्हारा राज़ अब राज़ ही रहेगा. इस बात का अपने प्यार से कोई लेना देना नही है. मैं नही चाहता कि तुम ये सोचो कि मैने तुम्हारी मज़बूरी का फ़ायदा उठाया या कोई ग़लत काम किया. ये पूरी तरह तुम्हारे उपर है. तुम्हारी हां या ना से मुझे कोई फ़र्क नही पड़ेगा.

मैं - नही चाचा, ऐसा नही है. मुझे पता है कि आप मेरा बुरा नही चाहेंगे और मेरे साथ कुछ ग़लत नही करेंगे, पर मुझे डर लगता है.

चाचा - डर? कैसा डर?

मैं - मैं आप की छोटी बच्ची हूँ और आप पूरे आदमी है और मेरे चाचा है. क्या ये संभव है?

चाचा - अच्छा वो? क्या तुम जानती हो कि मैने कल क्यों कुछ करने की कोशिश नही की? मैं बताता हूँ. क्यों कि मैं तुम से प्यार करता हूँ और तुम्हे गुमराह नही होने देना चाहता. मैं तुम्हे कोई नुकसान भी नही पहुँचाना चाहता. अभी तुम छ्होटी हो लेकिन चुदाई के बारे मे अपनी उमर से ज़्यादा जान गई हो. पर तुम्हारे लिए अभी भी बहुत कुछ जान ना बाकी है. हर चीज़ के दो चेहरे होते हैं. सेक्स के भी दो चेहरे है. मैं जानता हूँ कि अब तुम चुदाई के बिना नही रह सकती और मैं नही चाहता कि तुम किसी से भी चुदवाओ और जवान होते होते तुम्हारी ज़िंदगी खराब हो जाए. इसीलिए मैं ये सब कर रहा हूँ. मैं बिना तुम को कोई नुकसान पहुँचाए सब सिखाउन्गा ताकि तुम कभी धोका नही खाओ. तुम मेरी कुँवारी बेबी हो और मैं इस का ध्यान रखूँगा कि तुम्हे जयदा तकलीफ़ ना हो. ये अच्छी बात है कि तुम अपने चाचा से अपनी कुँवारी सील तुडवा रही हो. कल तक मैं भी इस के लिए तय्यार नही था. मैं जो कर रहा हूँ वो सोच समझ कर कर रहा हूँ.

और फिर चाचा ने मुझे जेल्ली की ट्यूब दिखाई जो वो आज खरीद कर लाए थे.

मैं कुछ बोल नही पाई मगर सच्चाई तो ये है कि मैं भी चुदवाना चाहती थी. मैं भी वो मज़ा लेना चाहती थी जो मेरी मा ले रही थी पापा से चुद कर.

चाचा ने मेरा चेहरा अपने हाथो के बीच लिया और अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए. ये मेरे जीवन का पहला किस था. मैने अपने चाचा को कस कर पकड़ लिया और किस मे उनका साथ देने लगी. वो मेरा निचला होंठ चूस रहे थे और मैं उनका उपर का होंठ चूस रही थी. उन्होने मेरी जीभ अपने मुँह मे ली और उसको चूसना चालू कर दिया. मैने भी यही किया. मेरी चूत हमेशा की तरह गीली होना सुरू हो गयी थी और मैं जानती थी कि आज मेरी कुँवारी चूत चुद्ने वाली है. सभी लाइट्स ऑन थी. हम ने अपना चुंबन पूरा किया और चाचा मेरे बदन पर अपना हाथ फिराने लगे. चाचा ने मेरे टॉप के लिकिंटन खोल दिए. मैं उस समय ब्रा नही पहनती थी और मेरे नींबू जैसी छ्होटी छ्होटी कड़क चुचियाँ लाइट मे चमकने लगी. उनको मेरी प्यारी प्यारी छ्होटी चुचियाँ बहुत पसंद आई और उन्होने उनको धीरे धीरे दबाना सुरू कर्दिया. आअह..... वो पहली बार था जब कोई मर्द मेरी चुचियों को टच कर रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उनका हाथ धीरे धीरे नीचे सरका और उन्होने मेरी स्कर्ट का हुक खोल कर अपना हाथ मेरी गोल गोल गंद पर रखा. उन्होने मेरी स्कर्ट निकाल दी और मैं पूरी तरह उनके सामने नंगी हो चुकी थी क्यों कि मैने चड्डी भी नही पहन रखी थी. फिर चाचा ने भी अपने कपड़े उतारे और वो भी मेरी तरह नंगे हो गये. मैने देखा कि उनकी चेस्ट काफ़ी बड़ी है और उस पर काफ़ी बाल भी है. उनका लंड मेरी आँखों के सामने था और किसी खंभे की तरह मज़बूती से खड़ा था. मैने तुलना की तो पाया कि चाचा का लंड मेरे पापा के लंड से थोड़ा बड़ा और थोड़ा मोटा है. मैने सोचना सुरू किया और मेरी समझ मे नही आया कि इतना बड़ा, इतना मोटा, खंबे जैसा चाचा का लंड मेरी छ्होटी सी कुँवारी चूत मे कैसे जाएगा. शायद मेरी चूत फॅट ही जाएगी.

हम दोनो एक दूसरे के सामने नंगे बैठे हुए थे और मैं हैरान थी कि चाचा का इतना लंबा, इतना मोटा और इतना कड़क लंड मेरी छ्होटी सी चूत मे कैसे जाएगा. मैने अब तक दो लंड देखे थे, एक मेरे पापा का और एक अब मेरे चाचा का. मेरे पापा के लंड मुण्ड पर चमड़ी नही थी और दूर से ही उनका गुलाबी लंड मुण्ड नज़र आता था और नीचे काली चॅम्डी थी. चाचा के लंड का अगला भाग काली चॅम्डी से ढका हुआ था और उनके लंड के आगे का और अंदर का भाग थोड़ा सा ही नज़र आ रहा था. मैं साफ साफ चाचा के लंड पर पेशाब का होल देख सकती थी. ये मेरा पहली बार था कि मैं किसी मर्द के सामने नंगी बैठी हुई थी और और किसी नंगे मर्द को अपने इतने करीब से भी मैने पहली बार ही देखा था. मैं तो ये सोच कर ही झुरजुरी ले रही थी कि आज मैं पहली बार चुद्ने जा रही थी. चाचा के हाथ मेरे नंगे बदन पर फिर रहे थे. मैं तो बिस्तर पर चुप चाप बैठी थी बिना कुछ करे क्यों कि मुझे तो मालूम ही नही था क़ि मुझे क्या करना चाहिए. चाचा बोले कि "मेरी बेबी, आज मैं तुम्हे औरत बनाउन्गा और मैं तुम को वो सब कुछ दूँगा जिस की तुम हक़दार हो."

मेरी नींबू जैसी चुचियाँ उनके हाथो मे थी और वो उनको मसल रहे थे. वो बोले कि उन्होने इतनी छ्होटी और कड़क चुचियाँ कभी नही देखी है. वो मेरी चुचियों को धीरे धीरे मसल रहे थे. उन्होने मेरी एक निपल अपने मुँह मे लेकर चूसना चालू कर्दिया जैसे कोई बच्चा दूध पीता है. मेरी आँखें बंद होने लगी और मेरे होंठ फड़फड़ाने लगे. मैने अपने बदन मे एक बिजली सी महसूस की जो कि पहले कभी महसूस नही की थी. मेरा बदन आनंद के मारे अकड़ने लगा था. फिर उन्होने मेरी दूसरी निपल अपने मुँह मे लिया और वो ही किया जो पहली निपल के साथ किया था. मृेरी नन्ही चूत जो पहले ही गीली थी, और भी गीली होने लगी और मैने महसूस किया कि उस मे से रस निकलता ही जा रहा है. उन्होने अपने हाथो मे मेरी छ्होटी सी, गोल और कड़क गंद को दबाया और मालिश सी करने लगे मेरी नंगी गंद पर. मेरा मन जल्दी से जल्दी चुदाई करवाने का होने लगा. चाचा की बालो से भरी चौड़ी छाती मेरे सामने थी. मैं अपने आप को रोक नही सकी और उनकी छाती के बाल साइड मे करके उनकी छ्होटी सी निपल को अपने मुँह मे ले लिया और उसी तरह चूसने लगी जैसे उन्होने मेरी निपल चूसी थी. चाचा के मुँह से आनंद की आवाज़ें निकलने लगी और वो बोले " ओह मेरी छोटी सी डार्लिंग, किसी लड़की या औरत ने ऐसा नही किया मेरे साथ जो तुम कर रही हो. ये बहुत आनंद देने वाला काम है. चुस्ती रहो मेरी जान, चुस्ती रहो. ज़ोर ज़ोर से चूसो . हां..... ऐसे ही........ मेरी प्यारी ...... चूसो......." फिर उन्होने मेरे मुँह मे अपनी दूसरी निपल दी और मैने उसको भी वैसे ही चूसा.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

मैने महसूस किया कि उनका कड़क लॉडा मेरी नन्ही सी चूत खत खता रहा है. मैने देखा कि हालाँकि उनकी कमर नही हिल रही थी पर उनका लंबा लंड उपर-नीचे हो रहा था. मैं उस समय ये नही जान पाई कि उनका लंड अपने आप कैसे हिल रहा है पर अब जानती हूँ कि ये तो नॅचुरल है. एक खड़ा हुआ लंड इसी तरह हिलता है और नाचता है. मैं सोच रही थी कि चाचा मुझे चोद क्यों नही रहे है, चोद्ने मे इतना समय क्यों लगा रहे है. मैं आपे से बाहर होने लगी चुदाई करवाने के लिए मैने अपना हाथ उनके लंड पर रखा. ओह., माइ गॉड, वो बहुत ही कड़क था. एक दम लोहे की रोड जैसा. मैने पहली बार एक लंड को हाथ लगाया था. पहली बार किसी मर्द का लंबा, मोटा, कड़क और गरम खड़ा हुआ लंड मेरे हाथ मे था और मैं सोच रही थी कि अब क्या करूँ उस लंड का. मैने एक बार मा को पापा का लॅंड पकड़े हुए देखा था. मैने भी वैसा ही किया. मैने उनके लंड को ज़ोर से, टाइट पकड़ लिया. उनकी आँखें आनंद से बंद हो गई. मीं चाचा के लंड को देख नही पा रही थी क्यों कि हम एक दूसरे से चिपके हुए बैठे थे. वो थोड़ा सरके और बिस्तर पर उपर होकर पीछे तकिया लगा कर बैठ गये. उन्होने अपनी टांगे सीधी करली थी. उनका लंबा लंड हवा मे खंबे की तरह नाच रहा था.

उन्होने मुझे नज़दीक खींचा और मैं अपने पैर फोल्ड करके उनकी कमर के पास बैठ गई तो उन्होने अपना लंड फिर से मुझे दिया. क्या शानदार लंड था उनका. मैने फिर से उनका लंड अपने हाथ मे पकड़ा. उनका लंड इतना लंबा था कि मेरा एक हाथ आधे से भी कम लंड को कवर कर रहा था. उनका लंड नीचे से मेरे हाथ मे था और उपर का भाग अभी भी मेरी पकड़ के बाहर था. मैने देखा उनके लंड के चारों तरफ छ्होटे छ्होटे काले बाल थे. उन के लंड का मुँह गुलाबी था और कुछ पानी जैसे कलर का चिकना रस उनके लंड के मुँह से बाहर आ रहा था. हालाँकि वो मेरे चाचा थे पर जिस हालत मे हम उस समय थे, मैने सारी शरम छ्चोड़ दी. मैं चुदाई को पूरा समझना चाहती थी. मैने उनसे पूछा " पापा का लंड आप के लंड से अलग कैसे दिखता है ? उन के लंड के आगे का भाग दिखता है पर आप के लंड पर पूरी चॅम्डी है ? ऐसा क्यो ?"

चाचा मुस्काराए और उन्होने मुझे अपना लंड उपर से टाइट पकड़ कर नीचे करने को कहा. मैने वैसा ही किया. मैं हैरान हो गई कि उनकी चॅम्डी जो कि पूरे लंड को कवर थी, अब नीचे आ गई है और उनके लंड का गुलाबी सूपड़ा अब साफ साफ दिख रहा है, बिल्कुल मेरे पापा के लंड जैसा. मेरे ऐसा करने पर उनके लंड से निकलने वाला रस मेरे हाथ पर लग गया और मैने उसको अपनी नाक के पास ले जा कर सूँघा. बहुत ही प्यारी खुसबू आ रही थी उनके लंड रस की. उन्होने मुझे उसको टेस्ट करने को कहा. मैने टेस्ट किया. बहुत ही स्वदिस्त था उनका लंड रस. मुझे पसंद आया. उन्होने मुझे बताया कि लंड के उपर की चॅम्डी अपने आप नीचे हो जाती जब ये चूत मे जाता है. कुछ लोग तो उपर की चॅम्डी को अलग अलग रीज़न्स से कटवा लेटें है. मैं समझ गई. उन्होने आगे बताया कि हर मर्द चाहता है की उसकी साथी लड़की/औरत उसके लंड को मुँह मे ले और उसको मज़ा दे. मैने कहा... " हां. मैने बहुत बार देखा है कि मा ने पापा का लंड मुँह मे लिया है, पर मुँह मे लेने के बाद क्या करते है?" वो मुस्कराए और बोले " मेरी नन्ही डार्लिंग, तुम को अभी बहुत कुछ सीखना है. मैं तुम को सब सिखाउन्गा और एक पर्फेक्ट चुदाई एक्सपर्ट बना दूँगा. मेरे लंड को अपने मुँह मे लो और उसी तरह चूसो जिस तरह तुम ने मेरी चुचि को चूसा था. हम दोनो को मज़ा आएगा."

मैने उनका लंड अपने मुँह मे लेने की कोशिश की तो उनका लंबा और मोटा लंड थोड़ा सा ही मेरे मुँह मे आया. मुझे वो गरम लगा. मैं उसको चूसने लगी और वो और कड़क होता गया. कुछ देर बाद वो बोले कि मैं उनकी जगह बैठ जाऊ और अपने पैर उपर करके, घुटने मोड़ कर चौड़े करलूँ. वो मेरे चौड़े किए हुए पैरों के बीच मे आए और और उनकी आँखें चौड़ी हो गई मेरी नन्ही सी, कुँवारी, प्यारी सी, टाइट और गुलाबी बिन चुदी चूत को देख कर. मेरी चूत पर तब बाल नही आए थे. उन्होने कहा " मेरी जान, मैं पहली बार एक कुँवारी, बिन चुदी, बिना बालों की टाइट चूत देख रहा हूँ. तुम्हारी चूत भी तुम्हारी तरह बहुत सुंदर है. मेरी किस्मत अच्छी है कि पहली बार मैं तुम को चोदुन्गा. मैने सपने मे भी ऐसी प्यारी चूत नही देखी है. तुम को खुद को पता नही है कि तुम्हारी चूत कितनी प्यारी और सुंदर है. तुम्हारी गंद भी कितनी प्यारी है और मैं तो पागल हुआ जा रहा हूँ."

उन्होने अपना हाथ बढ़ाया और मेरी चूत के होठों को छुआ. मेरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया. मैं ऐसी पोज़िशन मे थी कि मैं अपनी चूत सॉफ देख पा रही थी और ये भी देख रही थी कि चाचा क्या कर रहें है. उन्होने अपनी उंगली मेरी चूत के बीच मे रखी और उसको नीचे से उपर की तरफ ले गये. ऐसे पहले आंजेलीना ने भी किया था और मैने खुद कई बार किया था पर जो सुख मुझे अभी मिल रहा था एक मर्द के हाथों से मेरी चूत पर, वो मैं लिख नही सकती. मेरे लिए ये एक नया और मज़ेदार अनुभव था. वो अपनी उंगली मेरी चूत के बीच मे तेज़ी से फिराने लगे और मैं गरम होती चली गयी. मेरी कमर उनकी उंगली के फिरने के साथ साथ उपर नीचे होने लगी थी. मेरी चूत से लगातार चूत रस निकल रहा था जिस से चाचा को मेरी चूत के बीच मे उंगली घुमाने मे आसानी हो रही थी. उन्होने महसूस किया था कि मैं काफ़ी गरम हो चुकी हूँ और झरने वाली हूँ. उन्होने अपनी उंगली मेरी चूत के बीच मे से निकाल ली और अपने होंठ रख दिए मेरी गरम और गीली चूत पर.

वो मेरी चूत चाटने लगे और मेरी चूत का रस भी. उन्होने धीरे से अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाली और उसको अंदर बाहर करने लगे. मैं बहुत गरम हो चुकी थी और वो मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद रहे थे. मेरी कमर उपर - नीचे ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी. और.......... और... अचानक मैं झर गई. मैं वहाँ पहुँच चुकी थी जहाँ आनंद ही आनंद होता है. मैने अपने पैर टाइट कर लिए थे. उनकी गर्दन मेरे पैरों के बीच मे थी और वो मेरी चूत का रस लगातार पिए जा रहे थे, चाट ते जा रहे थे मेरी बिना चुदी चूत को.

मैने धीरे से अपनी पकड़ ढीली की और फिर से पैर चौड़े कर लिए. वो मेरी चूत का सारा रस चाट चुके थे और मेरी चूत बाहर से बिल्कुल सॉफ हो चुकी थी. उन्होने मेरी तरफ देखा और मेरी आँखों मे चुदाई की चमक देख कर बोले " जूली, मैं जानता हूँ कि तुम जल्दी से जल्दी चुद्वाना चाहती हो पर मुझे तुम्हारा पूरा पूरा ख़याल रखना है. तुम्हारी चूत छ्होटी सी है और कुँवारी है. मेरा लंड तुम्हारी बिन चुदी छोटी सी चूत के लिए काफ़ी लंबा औट मोटा है. तुम को पता नही है कि ये इतना आसान नही है जैसे कि तुम्हारे पापा तुम्हारी मा को चोद्ते हैं. तुम को बहुत दर्द होने वाला है. मैं कोशिश करूँगा कि तुम को कम से कम तकलीफ़ हो और ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा आए. दर्द तो होगा, लेकिन सिर्फ़ पहली बार. उस के बाद तुम बिना दर्द के चुदाई का मज़ा ले सकती हो. क्या तुम एक दर्द भरी चुदाई के लिए तय्यार हो?" तो दोस्तो आपने देखा कैसे चाचा इस कमसिन जुली को चोदने की तैयारी कर रहा है क्या ये चुदाई सपूर्ण हो पाएगी आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः…………………
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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

जुली को मिल गई मूली—4

गतान्क से आगे……………………………..

मैं पूरी तरह उनकी बात को समझ नही पाई. ये तो मैं उनका लंबा और मोटा लंड देखते ही जान गई थी कि उस लंड का पूरा मेरी छोटी सी चूत मे जाना मुश्किल है, पर मैं ये नही जानती थी कि ये इतना दर्द भरा होगा जैसे कि वो बता रहे थे. खैर, चुदाई तो करवानी ही थी, मैने उनको आँखों ही आँखो मे चोद्ने का इशारा किया. मैं चुद्वाने के लिए पूरी तरह तय्यार थी. मेरी पहली चुदाई होने वाली थी.

उन्होने बेड के कोने मे रखी जेल्ली की ट्यूब को उठाया और उसे खुद लंड पर लगाया. फिर उन्होने बहुत सारी जेल्ली मेरी चूत पर लगाई. मैं उनको ये सब करते हुए देख रही थी. उन्होने अपनी उंगली की सहायता से मेरी चूत के होल मे लगाई. उन्होने मुझे अपने लंड पर क्रीम मलने को कहा तो मैने बहुत सारी क्रीम उनके खड़े हुए लंड पर अपने दोनो हाथो से लगाई.

मैं अपनी पीठ के बल बिस्तर पर अपनी टाँगे चौड़ी कर के लेटी थी और अपनी चुदाई का इंतेज़ार कर रही थी. वो मेरी दोनो टाँगों के बीच मे बैठ गये और उनका मोटा ताज़ा लंड उनके हाथ मे था. उन्होने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के दरवाजे पर लगाया तो मैं सिहर उठी. क्या गजब का एहसास था. लंड मेरी चूत के दरवाजे पर खड़ा था. मैने मुस्करा के चाचा की तरफ देखा तो वो भी मुस्काराए. उन्होने कहा " अपनी साँस रोक लो मेरी नन्ही चूत वाली, मैं अपने लंड को तुम्हारी छ्होटी सी चूत मे डालने जा रहा हूँ. थोडा दर्द होगा पर आवाज़ मत करना नही तो भाई - भाभी जाग जाएँगे."

और उन्होने अपने लंड को मेरी चूत के दरवाजे पर थोड़ा दबाया. थोड़ा दर्द तो हुआ मुझे और लगा कि उनके मोटे और लंबे लंड का थोडा हिस्सा मेरी चूत के अंदर गया है. उन्होने थोडा और ज़ोर लगाया तो मुझे दर्द ज़्यादा होने लगा. मैने अपना सिर उपर कर के देखा तो पाया कि अभी तो उनके लंबे लंड का मुँह ही मेरी चूत मे गया है. बाकी का सारा का सारा लंड तो अभी बाहर ही है. अब मेरी समझ मे आया कि वो बार बार दर्द की बात क्यों कर रहे थे. अभी तो उनके लंबे लंड का सिर्फ़ थोड़ा सा अगला भाग ही अंदर गया है और मुझे इतना दर्द हो रहा है, पूरा लंड अंदर जाने पर तो शायद मेरी छोटी सी चूत फट ही जाएगी और मैं सिर्फ़ दर्द का अंदाज़ा ही लगा सकती थी. उन्होने कहा " अब सावधान जूली डार्लिंग, अपने होंठ मजबूती से बंद कर्लो और बहुत ज़्यादा दर्द सहन करने के लिए तय्यार हो जाओ. तुम्हारी चूत क्यों कि कुँवारी है इस लिए दर्द भी होगा और खून भी निकलेगा. घबराओ मत, तुम्हारी चूत फटने वाली नही है, जब किसी कुँवारी लड़की की सील टूट ती है तो खून निकलता है. लेकिन ये दर्द और खून सिर्फ़ पहली बार मे ही होता है. फिर चुदाई का मज़ा ही मज़ा आता है."

मैने अपने होंठ मजबूती से बंद कर लिए और उनके लंड का अपनी चूत पर धक्के का इंतेज़ार करने लगी. मैं अपनी पहली चुदाई के लिए पूरी तरह तय्यार थी. आज तो चुदना ही है. उन्होने ज़ोर लगाना चालू किया और उनका लंड धीरे धीरे मेरी छ्होटी सी चूत मे जाने लगा. दर्द भी बढ़ता गया. और वो थोडा रुके. कहा कि " अब जाता हूँ मैं अंदर, तय्यार हो जाओ."

उन्होने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का मारा. उनका लंड इस धक्के से मेरी चूत के अंदर काफ़ी घुस गया और मेरे मुँह से चीख निकलने वाली थी दर्द के मारे, तो उन्होने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख कर मेरी चीख को अंदर ही रोक दिया. ओह मेरी मा....... मरगई मैं तो दर्द के मारे. मेरा मुँह तो बंद कर्दिया था चाचा ने और मेरी आवाज़ नही निकल रही थी पर दर्द के मारे मेरी आँखों से आँसू बहने लगे. बहुत ही ज़्यादा दर्द हो रहा था मेरी चूत मे और लगता था कि चाचा ने मेरी चूत अपने मोटे और लंबे लंड से फाड़ कर दो भागों मे कर्दिया है. मैं तो मर ही गयो थी दर्द के मारे. ओह मेरी मा........ ओह भगवान.......... ऐसी भी क्या चुदाई जिसमे जान निकल जाए. मेरा दर्द बढ़ता ही जा रहा था और मुझे लगा कि आज तो मैं चुदाई का मज़ा लेने की बजाय मर ही जाओंगी. वो तो अच्छा था कि चाचा ने अपने लंड का और धक्का नही मारा. चाचा मेरे पर झुके और मेरे गाल पर किस किया क्यों कि मेरे होंठो पर तो उनका हाथ था. मैने अपनी आँखों से उनको अपना लंड बाहर निकालने की रिक्वेस्ट की. वो मेरे कान मे धीरे से बोले " ओके डार्लिंग. मैं अपना लंड बाहर निकाल रहा हूँ. रोना बंद करो और अपने मुँह से आवाज़ मत निकालना. मेरा विश्वास करो डियर, सब ठीक है और सब ठीक होगा."

मैने अपना हाथ नीचे ले जा कर चेक किया तो पाया कि उनका करीब आधा लंड मेरी चूत मे घुस चुका है और आधा अभी भी बाहर है. मैं सोच रही थी कि अगर पूरा ही घुसा देते तो मैं तो मर ही जाती. मैने अपनी उंगलियों पर कुछ महसूस किया, चिप चिपा सा कुछ, और हाथ उपर कर के देखा तो वो खून था. लाल और गाढ़ा खून जो मेरी चूत से निकल रहा था. वो बोले " मैने कहा था कि थोड़ा खून निकलेगा. ये तुम्हारी कुँवारी सील का खून है. लेकिन चिंता मत करो. अभी सब ठीक हो जाएगा. मैं हाथ हटाता हूँ तुम्हारे मुँह पर से, आवाज़ मत करना. मैं अपना लंड भी बाहर निकाल रहा हूँ. ओके ? कंट्रोल करो डार्लिंग."

मैने अपना सिर हिलाया तो उन्होने अपना हाथ मेरे मुँह पर से हटा लिया और मेरे होंठो पर अपने गरम गरम होंठ रख दिए और मेरे होंठो को धीरे धीरे चूसने लगे. किस करते हुए मैने फील किया कि वो अपना लंड भी मेरी खून भरी चूत से बाहर निकाल रहें है. मेरा दर्द कुछ कम हुआ और मैने रोना बंद कर्दिया था पर मेरी आँखों से अभी भी पानी निकल रहा था. उन्होने किस पूरा किया और बोले " हम थोड़ी देर रुकतें है तब तक तुम्हारा दर्द भी कम हो जाएगा. उस के बाद तुम को भी चुदाई का मज़ा आएगा."

मैने कहा " नही चाचा. कोई चुदाई नही अब. आप ने तो लगता है मेरी चूत ही फाड़ दी है. इतने दर्द मे, खून निकलती हुई चूत मे क्या मज़ा आएगा चुदाई का?"

वो मुश्कराए और कहा " थोड़ी देर रुकतें है डियर. लंड भी मैने बाहर निकाल लिया है. केवल मेरे लंड का टोपा अंदर है तुम्हारी चूत के. तुम खुद देख लो."

मैने चेक किया तो पाया कि वो सच बोल रहें है. मेरा दर्द थोड़ा सा कम हुआ था. धीरे धीरे मेरा दर्द काफ़ी कम हो गया था. हम करीब 15 मिनिट उसी पोज़ीशन मे पड़े रहे.

फिर उन्होने कहा " सुरू करें? दर्द तो थोड़ा फिर से होगा तुम को पर तुम को मज़ा आना भी सुरू हो जाएगा तो तुम दर्द को भूल जाओगी और कुछ देर बाद दर्द नही रहेगा. सिर्फ़ मज़ा और मज़ा रहेगा."

मैं थोड़ा हिचकिचाई पर मुझे चाचा पर पूरा विस्वास था कि वो सब अच्छी तरह ही करेंगे. मैने अपनी मुस्कान से उनकी बात का जवाब दिया.

उन्होने अपना लंड एक बार पूरा बाहर निकाला और फिर से मेरी चूत के दरवाजे पर रख कर एक हल्का सा धक्का दिया. लंड थोड़ा सा मेरी चूत मे गया. फिर से उन्होने लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर से एक धक्का मारा. मुझे दर्द तो हो रहा था पर ज़्यादा नही. वो अपने लंड को इसी तरह अंदर बाहर करने लगे धीरे धीरे. अब मुझे भी थोड़ा थोड़ा मज़ा आने लगा था. उन्होने लंड की धक्का मारने की स्पीड बढ़ा दी तो मेरा मज़ा भी बढ़ने लगा. उन का लंड मेरी चूत मे रगड़ ख़ाता हुआ अंदर जा रहा था और बाहर आ रहा था और मैं अपना दर्द भूलने लगी और चुदाई का मज़ा लेने लगी. अब मज़ा ज़्यादा था और दर्द कम. चाचा ने ठीक ही कहा था. मैं चुद रही थी वो मज़ा ले रही थी जो मैने पहले कभी नही लिया था. मेरी कुँवारी चूत मेरे चाचा के द्वारा चोदि जा रही थी.
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