बीबी से प्यारी बहना complate

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Rohit Kapoor
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Re: बीबी से प्यारी बहना

Post by Rohit Kapoor »

शर्मा जी तुसी छा गये लगता आरएसएस पर दुबारा से मौसम रंगीन हो चला है


ये कहानी भी मजेदार है
mini

Re: बीबी से प्यारी बहना

Post by mini »

apki har story ki tarah y story bhijabardast hit hogi
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rajsharma
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Re: बीबी से प्यारी बहना

Post by rajsharma »

mini wrote:apki har story ki tarah y story bhijabardast hit hogi
Rohit Kapoor wrote:शर्मा जी तुसी छा गये लगता आरएसएस पर दुबारा से मौसम रंगीन हो चला है


ये कहानी भी मजेदार है
mastram wrote:मस्ती से भरपूर कहानी लगती है राज भाई
धन्यवाद दोस्तो
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: बीबी से प्यारी बहना

Post by rajsharma »

शाम को सो कर उठा तो ज़ुबैदा चाय बना कर ले आई और। यहाँ वहाँ की बातें करने लगी और मुझे कहने लगी आप और मैं कुछ दिन लाहौर में अम्मी के पास रह आएँ मैंने कहा ज़ुबैदा अब थोड़े दिन पहले तुम आई हो और अब फिर लाहौर जाने का कह रही हो। मेरी छुट्टी थोड़ी रह गई है मेरे चले जाने के बाद खुद चली जाना और जितने दिन इच्छा हो रह लेना। वह मेरी बात सुनकर चुप हो गई। फिर ऐसे ही कुछ दिन बीत गए नबीला मुझे और मैं नबीला से कतरा रहे थे फिर जब मेरा 1 सप्ताह शेष रह गया तो एक दिन मेरी अम्मी और ज़ुबैदा मेरी मौसी के घर गए हुए थे मौसी का घर दूर नहीं था पास में ही था। और अब्बा जी बाहर किसी काम से गए हुए थे और घर पे शायद मैं और नबीला अकेले ही थे। लेकिन मुझे बाद में पता चला हम दोनों घर में अकेले हैं क्योंकि सुबह अपने कमरे में ही था। फिर लगभग 11 बजे का वक्त था नहाने के लिए अपने अटैच बाथरूम में घुस गया मुझे पता था मेरे कमरे के बाथरूम में मेरे या मेरी पत्नी के अलावा कोई नहीं आता था। इसलिए मैंने दरवाज़ा बंद नहीं किया और बाथरूम में जाकर नहाने लगा। जब मैं ने बाथरूम में प्रवेश करके अपने कपड़े उतार लिए और शावर चला दिया फिर अपने शरीर पे साबुन लगाने लगा जब मैं अपने लंड पे साबुन लगा रहा था तो मेरा लंड खड़ा होने लगा और कुछ देर साबुन लगाने से मेरा लंड तन के खड़ा हो गया और धीरे धीरे मुठ वाले स्टाइल में साबुन लंड पे लगाने लगा मुझे पता ही नहीं चला कि कब नबीला मेरे बाथरूम में आ गई और उसकी सीधी नजर मेरे लंड पै गई तो वह एक बार फिर शर्म से लाल हो गई और दरवाजा बंद करके बाहर से बस इतना ही बोला कि सॉरी भाई मेरा शैम्पू समाप्त हो गया था इसलिए भाभी का लेने के लिए आई थी और यह बोल कर वो चली गई।


मैं भी जल्दी से नहाया और और नहाकर कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गया यह 3सरी बार मेरे और नबीला के बीच हो चुका था। और मुझे तो अब अपने आप पर भी शर्म आने लगी थी हर बार मेरी बहन के साथ ही क्यों हो जाता है वह बेचारी क्या सोचती होगी। मैं सारा दिन बाहर घूम-फिर कर शाम को घर वापस आया और आकर सीधा अपने कमरे में लेट गया। अब तो मेरी पूरी हिम्मत जवाब दे चुकी थी अगर मेरा सामना नबीला से होता है या वह मुझे यह 3 बार की दुर्घटना के बारे में कोई सवाल पूछेगी तो किस मुंह से और क्या जवाब दूंगा। अगले 2 से 3 दिन तक नबीला का सामना नहीं किया और यूं ही दिन बीत गए। वापसी से दो दिन पहले शाम के वक्त छत पे बैठा हुआ था और सऊदी में किसी से फोन पे बात कर रहा था। तो नबीला मेरी चाय लेकर ऊपर आ गई नबीला को देखने में थोड़ा घबरा सा गया क्योंकि मुझे इसका सामना करते हुए शर्म आ रही थी। नबीला आकर खाट पे बैठ गई और चाय मेरी आगे रक्खदी मेंने भी कोई 2 मिनट बात करके कॉल कट कर दिया। फिर नबीला बोली भाई आप अब कब वापस आएंगे। तो मैंने कहा नबीला तुम्हें तो पता है छुट्टी 2 साल बाद ही मिलती है अब 2 साल बाद ही आऊँगा। तो नबीला बोली भाई अब तो हमारे पास खुदा का दिया सब कुछ है तो आप पक्के पक्के वापस पाकिस्तान क्यों नहीं आ जाते और यहां आकर अपना कोई व्यवसाय शुरू कर दें। आपकी यहाँ ज्यादा जरूरत है और अपना घर भी बच जाएगा। मैंने कहा हां नबीला कहती तो तुम ठीक हो लेकिन अब मैं वहां जाकर पैसे जोड़कर पाकिस्तान ही आने की कोशिश करूँगा

मैंने नबीला से कहा मेरा घर कैसे बच जाएगा यह बात तुम क्यों कह रही हो। तो नबीला ने कहा कुछ नहीं वो आपको बताना चाहूंगी। मैंने नबीला को कहा तुमने मुझे कहा था साना की कुछ व्यवस्था कर दो तुम मुझे ज़ुबैदा और चाची के बारे में कुछ बताओगी तुम मुझे अब बताओ भी दो आख़िर समस्या क्या है।

मेरी बात सुनकर वह एकदम लाल लाल हो गई और बोली भाई मैं आपके सामने नहीं बता सकती मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं है। जब आप वापस सऊदी जाओगे तो यहाँ मेरे सामने नहीं होगे तो मैं आप को सब कुछ फोन पे बता दूंगी। मैंने कहा नबीला तुम मुझसे वादा करो तुम मुझे एकएक बात विस्तार से और सच सच बताओगी तो नबीला बोली भाई आप कैसी बात कर रहे हो तुम्हारे अंदर तो हमारी जान है। मैं तुम्हारे साथ कभी झूठ नहीं बोल सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच सच बताना चाहूंगी। फिर मैंने कहा नबीला तुमसे माफी मांगनी है। तो नबीला तुरंत बोली भाई किस बात की माफी। तो मैंने कहा मुझसे उस दिन बहुत गलत हो गया था जब तुम फर्श धो रही थी और ज़ुबैदा वाली हरकत और बाथरूम वाली हरकत पे मैं तुमसे माफी माँगता हूँ मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। नबीला मेरी बात सुनकर शर्मा के लाल लाल हो गई और चुप कर नीचे चली गई।

फिर वह दो दिन भी बीत गए और मैं वापसी के लिए जब एयरपोर्ट आया तो मुझे ज़ुबैदा और नबीला और अब्बा जी छोड़ने के लिए आए जब मैं अंदर जाने लगा तो मेरे अब्बा जी मुझे गले लगाकर मिले और फिर ज़ुबैदा भी मुझे मिली, लेकिन जो मुझे अजीब और आश्चर्यजनक बात लगी जब नबीला आगे हो कर मुझे गले मिली तो उसका कद मेरे से थोड़ा ही छोटा था तो उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे जोर की झप्पी डाली मुझे उसके मोटे और नरम नरम मम्मे मुझे अपने सीने पे महसूस किया। और धीरे से मेरे कान में बोला भाई मेरी वापसी वाली बात पे ध्यान देना और फिर नबीला के बारे में ही सोचते सोचते एयरपोर्ट के अंदर चला गया और वापस सऊदी आ गया। मुझे वापस आए कोई 3 महीने से अधिक समय गुजर चुका था और जीवन अपने सामान्य रूप मे चल रही थी मेरी घर भी बात होती रहती थी। लेकिन मेरी नबीला से अब तक ज़ुबैदा और चाची के विषय पे बात ही नहीं हो रही थी। ज्यादातर अब्बा जी और ज़ुबैदा से बात होकर कॉल कट हो जाती थी।

फिर एक दिन रात को लगभग 10 बजे का समय था और पाकिस्तान में 12 का समय था मुझे नबीला के नंबर से कॉल आई। पहले मैं थोड़ा हैरान हुआ आज इतने टाइम नबीला कॉल क्यों कर रही है। मैंने उसकी कॉल कट कर खुद कॉल मिलाई और तो नबीला से अभिवादन किया तो वह मेरा हाल पूछने लगी। वह शायद मेरे से कोई बात करना चाहती थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रही थी बात कैसे शुरू करे। फिर मैंने ही थोड़ी देर यहाँ वहाँ की बात करके पूछा कि ज़ुबैदा कैसी है तो वह बोली वह आज लाहौर चली गई है।


मैंने कहा नबीला आज समय मिला है तो मुझे आज ज़ुबैदा और चाची के बारे में बताओ। ताकि मेरे दिल को कुछ आराम हो। फिर नबीला बोली भाई आप से चाचा ने आखिरी बार क्या कहा था। मैं उसे चाचा से हुई बात बता दी। तो नबीला बोली भाई चाचा ने बहुत मुश्किल वक्त देखा है ज़ुबैदा और चाची ने चाचा को आख़िरी वक्त में बहुत यातना दी और बेचारे दुनिया में अपनी पत्नी और बेटी की करतूत की वजह से घुट घुट कर दुनिया से चले गए। मैंने नबीला से पूछा नबीला साफ सॉफ बताओ तुम कहना क्या चाहती हो क्यों घुमा फिरा कर बात कर रही हो। तो नबीला बोली भाई चाची और ज़ुबैदा दोनों ठीक औरतें नही हैं ज़ुबैदा का शादी से पहले ही किसी के साथ चक्कर था और वह उसके साथ शादी से पहले ही सो चुकी है। और चाची का भी नौकर के साथ चक्कर है और वह भी नौकर के साथ सब कुछ करती है जैसे ज़ुबैदा करती है और दोनों माँ बेटी को एक दूसरे का पता है। और चाची के 2 दोस्त हैं जिनके साथ उसका चक्कर है। इसलिए मैंने साना को उस घर से निकाला है ताकि उसका जीवन बर्बाद न हो।
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rajsharma
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Re: बीबी से प्यारी बहना

Post by rajsharma »

नबीला की बात सुनकर मेरे सिर में चक्कर आ गया था और मुझे करारा झटका लगा था। मुझे अपनी हनीमून वाली रात की घटना याद आ रही थी और मेरा उस दिन वाला शक आज नबीला की बातें सुनकर विश्वास में बदल चुका था। कुछ देर मुझे चुपचाप देख नबीला बोली भाई आप मेरी बात सुन रहे हैं न। तो मैं उसकी आवाज सुनकर चौंक गया और बोला हां हां नबीला सुन रहा हूँ।

नबीला बोली- आप क्या सोच रहे हैं। मैंने कहा नबीला मुझे अपनी शादी की पहली रात याद आ रही है मुझे उस रात के गुजर ने के बाद सुबह से ही मेरे दिल मे शक आ गया था जो आज तुम्हारी बातों से विश्वास में बदल गया है। तो नबीला बोली भाई मुझे पता है आप उस रात क्यों और कैसे परेशान थे .


उस रात मैंने सफेद चादर जानबूझ कर डाली थी ताकि हम सब को ज़ुबैदा की सच्चाई पता चल सके। मैंने कहा नबीला तुम्हें पता था ख़ून नहीं निकला जो इस बात का सबूत है ज़ुबैदा ठीक लड़की नहीं थी। तो नबीला ने कहा भाई मुझे भी बस शक था। आपने तो सिर्फ सफेद चादर का राज देखा है लेकिन चाची का तो मुझे आपकी शादी से पहले ही पता था कि चाची का चाचा के अलावा भी एक और दोस्त है। मुझे जमीला बाजी ने बताया था क्योंकि जमीला बाजी को भी चाची की अपनी भाभी ने ही चाची और उसके दोस्त का बताया था। और चाची की भाबी जमीला बाजी की सहेली भी है और बाजी के घर के पास केसर ली मोहल्ले में चाची की भाभी की अम्मी का घर भी है। लेकिन बाद में मैंने ज़ुबैदा और चाची को अपनी आँखों से देखा हुआ है।


मैंने कहा तूने चाची और ज़ुबैदा को कहाँ देखा था और किसके साथ देखा था। तो नबीला ने कहा भाई जब आप शादी करके वापस सऊदी चले गए थे तो एक बार ज़ुबैदा अब्बा जी को बोल कर मुझे भी अपने साथ लाहौर अपनी माँ के घर ले गई थी और वहां 15 दिन उनके घर में रही थी। एक दिन दोपहर को जब सब सोए हुए थे तो मैं साना के साथ उसके कमरे में सोई हुई थी तो मैं पेशाब के लिए उठी और बाथरूम में गई उनका बाथरूम ऊपर वाली स्टोरी की जो सीढ़ियों हैं इसके नीचे ही बना हुआ था जब उसके पास पहुंची तो मुझे ऊपर वाले कमरे से चाची के सिसकने की आवाज सुनाई दी। मैं फिर भी बाथरूम में चली गई जब बाथरूम से फारिग हो कर बाहर निकली तो मुझे चाची के सिसकने की आवाज बदस्तूर आ रही थी मैं हैरान भी थी और डर भी रही थी .चाची को क्या हुआ है वह अजीब अजीब आवाज़ें क्यों निकाल रही है। मैं धीरे धीरे चलती हुई ऊपर चली गई ऊपर एक ही कमरे का बना हुआ स्टोर टाइप कमरा था और उसका एक दरवाजा बंद था और और एक साइड का दरवाजा थोड़ा खुला था मैं उस कमरे के पास गई और जाकर अंदर देखा तो अंदर का दृश्य देख कर मेरे पैरों तले जमीन निकल गई क्योंकि अंदर एक जवान 29 या 30 साल का लड़का पूरा नंगा था और चाची भी पूरी नंगी थी और वह ज़मीन पर ही गद्दा डाला हुआ था और वह लड़का चाची को उल्टा लेटा कर चाची को कर रहा था और चाची वहाँ सिसक रही थी। मैंने बस 2 या 3 मिनट ही उन्हें इस हालत में देखा तो मेरा सिर चकरा गया था मैं तेजी के साथ चलती नीचे आ गई और आकर कमरे में साना के साथ लेट गई। मेरा दिमाग घूम रहा था।


चाचा तो अपनी दुकान पे ही होता था और ज़ुबैदा अपनी मां के कमरे में सोती थी। उस दिन रात तक मैं सोचती रही में चाची के बारे में किससे बात करूँ। फिर मैंने ज़ुबैदा से ही बात करने का सोचा उसे बता दूंगी कि उसकी माँ क्या गुल खिला रही है। 2 से 3 दिन तक मौका तलाश करती रही कि अकेले में ज़ुबैदा से बात कर लूँ। लेकिन कोई मौका नहीं मिला तो एक दिन चाचा चाची को लेकर अस्पताल गया था। और ज़ुबैदा और साना घर पे अकेली ही थी। तो मैंने सोचा जब साना दोपहर में सो जाएगी तो ज़ुबैदा कमरे में जाकर उससे बात करूँगी। और फिर दोपहर को जब साना सो गई तो मैं धीरे से उठी और कमरे से निकल कर ज़ुबैदा की माँ के कमरे में गई क्योंकि ज़ुबैदा वहाँ ही सोती थी मैंने दरवाजे पे धीरे दस्तक दी लेकिन कोई अंदर से कोई जवाब नहीं आया और फिर मैंने धीरे से दरवाजा खोला तो वह खुल गया अंदर झांक कर देखा तो कमरा खाली था मैं हैरान थी यह ज़ुबैदा कहाँ गई है फिर वहां से बाथरूम के दरवाजे पे गई तो वह भी खुला था और खाली था। मैं सोचने लगी वह इतनी दोपहर में कहाँ चली गई है। फिर मैंने सोचा शायद वो ऊपर छत पे किसी काम से गई हो। मैं धीरे धीरे ऊपर गई और जब मैं कमरे के पास पहुंची तो अंदर का दृश्य देखा तो मुझे एक गहरा झटका लगा क्योंकि उसी गद्दे पर ज़ुबैदा और वो ही लड़का जो चाची को कर रहा था वह अब ज़ुबैदा के साथ था और वह पैर खोलकर बैठा हुआ था और ज़ुबैदा आगे झुक कर उसका वो मुँह में लेकर चूस रही थी। और मेरा तो यह देखकर ही सिर घूम गया और गिरने लगी और तेज़ी से अपने आप को संभाल लिया तो उस लड़के ने कहा ज़ुबैदा चल जल्दी से घोड़ी बन जा आज पहले तेरी पीछे वाली मारनेका दिल पहले कर रहा है। और ज़ुबैदा ने अपने हाथों से उसका वो निकाला और बोली क्यों नहीं मेरी जान ये तो मैने सिर्फ रखी ही तुम्हारे लिए है। मेरा हॅज़्बेंड तो मुझे बहुत बार पीछे का कह चुका है लेकिन मैं उसे हर बार मना कर देती हूँ में नहीं करवा सकती मुझे दर्द होता है। उस पागल को क्या पता आगे की सील भी किसी और ने तोड़ी है और पीछे वाली तो केवल मेरे जानू इमरान के लिए है। और दोनों खिलखिला कर हँसने लगे। और बाहर मैं उनकी बातें सुनकर पागल हो गई थी और मेरा बस नहीं चल रहा था अंदर जाकर ज़ुबैदा का मुंह तोड़ दूं उसने मेरे परिवार और मेरे भाई के साथ कितना बड़ा धोखा किया है। और फिर अचानक मुझे मेरे कंधे पे किसी का हाथ लगा तो मैं डर गई और पीछे मुड़ कर देखा तो साना खड़ी थी और मुझे उंगली से चुप रहने के लिए कहा और मुझे लेकर नीचे अपने कमरे में आ गई। और भाई उसीने मुझे अपनी माँ और बहन के बारे में बताया कि वे दोनों यह काम कितने साल से कर रही हैं।



वह लड़का ज़ुबैदा बाजी के विश्वविद्यालय के समय का साथी है और बाजी और अम्मी के साथ कई बार मिलकर भी यह काम कर चुका है। और बाजी वसीम भाई के बाहर सऊदी चले जाने के बाद यहां आती ही केवल इस लड़के के लिए है और यह खेल लगभग हर दूसरे दिन इस घर में खेला जाता है। और भाई यह वही लड़का है जो चाचा की फूतगी पे भी घर में नजर आ रहा था और चाची के आगे पीछे ही घूम रहा था। भाई इसलिए मैंने साना को इस घर से दूर रखने के लिए कहा था। क्योंकि उस बेचारी का भी जीवन उन माँ बेटी ने खराब कर देना था

में नबीला की बात सुनकर सदमे की हालत में था और मेरा अपना दिमाग सारी बातें सुनकर घूम चुका था। मैं काफी देर चुप रहा और नबीला की कही हुई बातों पे विचार कर रहा था। इस दौरान नबीला मुझे 2 बार कह चुकी थी भाई आप सुन रहे हैं न। और फिर मैंने धीरे और दुखी मन से कहा हां नबीला में सुन रहा हूँ। नबीला शायद मेरी हालत समझ चुकी थी। उसने कहा भाई मुझे पता है तुम इस वक्त बहुत दुखी हो मैं तुम्हें इसलिए ये बातें नहीं बता रही थी मैंने ये बातें बहुत समय तक अपने दिल में रखी हुई थीं उन बातों को मैंने केवल जमीला बाजी को ही बताया था और आज आपको बता रही हूँ। फिर मैंने कुछ देर बाद हिम्मत करके नबीला से पूछा कि नबीला एक बात बताओ यह लड़का तो ज़ुबैदा और चाची का यार था। लेकिन चाची का पहला यार कौन था जिसकी बात तुमने मुझे पहले बताई थी। नबीला मेरी बात सुनकर चुप हो गई। मैंने कुछ देर इंतजार किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो मैंने फिर नबीला से पूछा बताओ न वह कौन है। तो नबीला धीरे से बोली भाई में नहीं बता सकती मेरे अंदर बताने के लिए हिम्मत नहीं है मुझे शर्म आ रही है। मैंने कहा नबीला जब तुमने इतना मुझे बता दिया है और अब मुझसे क्या शर्म बाकी रह गई है। और तुमने मुझसे वादा किया था तुम मुझे सारी बात सच बताओगी

। नबीला बोली हां भाई मुझे पता है लेकिन अगर आप को यह बता दूंगी तो आप को यकीन नहीं होगा मैंने कहा नबीला न तुम मुझे देख रही हो और न मैं तुम्हें देख सकता हूँ तुम मुझे बताओ कौन है इतना सच सच बता दिया है तो दूसरे आदमी का भी बता दो। तो नबीला कुछ देर चुप रही और फिर बोली भाई वह चाची का अपना छोटा सगा भाई है और वह चाची की भाभी का शौहर भी है। मेरे मुँह से बेख्याली मे निकल गया क्या कह रही हो नबीला तुम होश में तो हो। नबीला कुछ देर के लिए चुप हो गई और फिर बोली भाई हाँ यह सच है और मैं अपने होश में हूं और बिल्कुल सच सच बता रही हूँ। क्योंकि मैंने तो चाची और उसके भाई को करते हुए नहीं देखा लेकिन चाची की भाभी ने खुद कई बार अपने घर में ही देखा था। और फिर उसने बाजी जमीला को बताया था। । भाई मुझे साना ने यह भी बताया था कि ज़ुबैदा का दोस्त पहले केवल ज़ुबैदा के साथ ही करता था लेकिन फिर उसने ज़ुबैदा को ब्लैकमेल करके चाची को भी शामिल कर लिया और अब दोनों माँ बेटी मिलकर काम करती हैं।


और भाई जब मैं और ज़ुबैदा लाहौर से वापस आ रहे थे तो उसके बाद ज़ुबैदा और मेरा ठीक ठाक झगड़ा हुआ था मैने उसे बहुत बुरा भला कहा और उसे सब कुछ बता दिया जो उसकी माँ के घर देख कर आई थी । मेरे अंदर गुस्से की आग ही शांत नहीं हो रही थी। मैंने उससे कहा कि तुम्हें शर्म नहीं आई शादी से पहले ही मुंह काला करवा लिया और फिर शादी के बाद भी अब तक इससे मुंह काला करवा रही हो और साथ में अपने माँ को भी शामिल कर लिया है। कुछ तो अपने पिता या परिवार की इज्जत का ख्याल तो रखा होता। अगर दोनों माँ बेटी में इतनी ही आग भरी हुई थी तो तुम्हारी माँ तो अपने सगे भाई से अपनी आग शांत करवा लेती थी। तुम्हे भी अपनी माँ से कहकर अपने मामे के नीचे लेट जाना था। और अपनी आग शांत करवा लेनी थी कम से कम घर की बात घर में ही रहती और घर के लोगों तक ही रहती। लेकिन तुम तो माँ से भी आगे निकली पढ़ाई के बहाने यार बना लिए पहले ही उनके नीचे लेट गई तो माँ को भी शामिल कर लिया और माँ को देखो अपने सगे भाई से दिल नहीं भरा तो अपनी बेटी के दोस्त को अपना यार बना लिया। और अब पता नहीं जैसे वह तुम्हें ब्लैकमेल करके अपनी माँ को आपने नीचे ला चुका है वैसे ही तेरी माँ को ब्लैकमेल करके पता नहीं किन किन अपने नीचे चुका होगा। क्योंकि तुम तो यहाँ आ गई हो अब पता नहीं पीछे तुम्हारी माँ किस किस को घर बुलाकर अपनी आग शांत करती होगी। उसने तो सगे भाई को नहीं छोड़ा तो और किसी की क्या उम्मीद बाकी रह जाती है।
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