लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- rajsharma
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
क्या बात है दोस्त तुसी तो छा गये ............. इसे कहते धाँसू अपडेट
Read my all running stories
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
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मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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- Rohit Kapoor
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Hot update dear, Excited for NEXT Update . . . .
Read my all stories
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
thanks all
- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
इधर मेरा मज़े से बुरा हाल था.. सो मेने उन्हें पलट कर नीचे लिया और एक बार उनकी रस छोड़ती चूत को जीभ से चाटा और एक तगड़े से झटके में अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…
उनके मुँह से एक लंबी सी सिसकी निकल गयी… आआहह……धीरीईए….डार्लिंग, थोड़ा साँस तो लेने दो….
लेकिन मेने अनसुनी करते हुए अपने धक्के शुरू कर दिए..
कुछ देर बाद वो फिरसे गरम होने लगी और अपनी कमर उच्छाल – 2 कर सहयोग करने लगी…
मेरे धक्के इतने तेज और पॉवेरफ़ुल्ल होते जा रहे थे.. की पूरे कमरे में मेरी जांघों की धाप उनकी गान्ड पर पड़ने की आवाज़ गूँज रही थी..
आधे घंटे मेने उनको रगड़ रगड़ कर छोड़ा.., उसके बाद उनकी चूत को अपने वीर्य से लबा लब भर दिया.. और उनके ऊपर लेट कर हाँफने लगा…
भाभी मेरे साथ चुदाई कर के मस्त हो गयी थी…
कुछ देर बाद हम दोनो बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगे…
थोड़ी देर के बाद भाभी अपने हाथों से मेरे हथियार को फिरसे धार देने लगी और उसकी सेवा करते हुए बोली – क्या कह रहे थे जनाब की, तुम्हें कुछ नही आता है, फिर ये क्या था…? हां !..
उनके सेवा भाव से खुश होकर मेरा शेर फिर से दहड़ने लगा.. और फन फनाकर उन्हें मुँह चिढ़ाने लगा…
मेने भाभी को चूमते हुए कहा – हहहे… वो तो बस अपने आप ही होने लगा… वैसे कैसा लगा आपको मेरे साथ सेक्स करने में..?
वो अपनी मखमली जाँघ से मेरे लौडे को मसल्ते हुए बोली – बस कुछ पुछो मत…मेरे पास ये सब बताने के लिए शब्द नही हैं…
बस इतना ही कहूँगी – यू आर सिंप्ली बेस्ट ! थॅंक्स देवर जी… मेरी इच्छा पूरी करने का बहुत-बहुत धन्यवाद…बिन मोल खरीद लिया आपने मुझे…
उनकी जाँघ की रगड़ से मेरा पप्पू नाराज़ हो गया, और वो उनकी गुदाज जाँघ में ही अपने लिए रास्ता ढूँढने लगा…
मेरे लंड की शख़्ती देखकर भाभी को भी ताव आ गया… और उन्होने उसे अपने मुँह में गडप्प कर लिया… और फिर वो चुसाई की.. कि साले को नानी याद आने लगी…
मेने उन्हें अपनी गोद में उठाया और पलग पर लाकर औंधे मुँह पटक दिया.. और उनकी पीठ पर चढ़ गया…
भाभी ने अपनी गान्ड को पलंग से अधर उठा लिया… जिससे उनकी गगर का मुँह खुल कर अपने साथी को बुलाने लगा……
मेने उनके मस्त गोल मटोल कलश जैसे चुतड़ों को मसल-मसल कर लाल कर दिया, साइड से कमर में हाथ डालकर उनकी गान्ड को और थोड़ा उठा कर चूत का मुँह खोला और अपनी 3 उंगलियाँ उसमें पेल दी…
भाभी के चूतड़ हवा में और ज़्यादा उठ गये…
मेने पीछे से अपना मूसल उनकी सुरंग के मुँह पर रखकर पूरी ताक़त से अंदर पेल दिया…
उउउइईईईईईईई…………माआआ……….उउफफफफफफफफफफ्फ़…..आराम से मेरे रजाआाअ….
उनकी कराह की परवाह ना करते हुए, मेने उनके सुनहरे लंबे बालों को जाकड़ कर पीछे को खींचा, जिससे उनका सर भी हवा में उठ गया…
तकिये पर हाथ टिकाए वो मस्ती से मेरे लंड का मज़ा लूटने लगी…
मेने उनकी चिकनी पीठ को चूमते हुए अपने धक्के शुरू कर दिए.. उनकी गान्ड और थोड़ी ऊपर हो गयी…
क्या मस्त नज़ारा था.. मेरी जांघें जैसे ही उनकी गान्ड के निचले हिस्से पर पड़ती.. तो उनके गोल-गोल चूतड़ बॉल की तरह और ऊपर को उठ जाते….
गान्ड को मसलते हुए बीच-2 में मे उसपर चान्टे भी बरसाता जा रहा था, जिससे उनकी गान्ड लाल सुर्ख हो गयी….
जब ज़्यादा मज़ा आने लगा तो वो अपनी घुटने टेककर घोड़ी बन गयी…
फिर तो चुदाई का वो तूफ़ानी दौर शुरू हुआ की बस पूछो मत… धक्के-पे धक्के… थपा-थप.. फुचा-फूच… शरीर भट्टी की तरह दहकने लगे…
आअहह….मेरे चोदु रजाअ… मेरे लाड़ले देवर जी, चोदो मुझे … फाड़ डालो मेरी चूत को…..
हआइई रीई… मईए.. तो गायईयीईई…….और आइसिस के साथ वो भल्भलाकर झड़ने लगी…
कुछ धक्कों के बाद मेने भी अपना कुलाबा उनकी चूत में खोल दिया…और में उनके ऊपर पसार कर हाँफने लगा…
लंड अंदर डाले डाले ही मेरी आँखें बंद हो गयी… करीब 10 मिनिट मे यौंही उनकी पीठ पर पड़ा रहा फिर उन्होने मुझे अपने ऊपर से साइड को लुढ़का दिया.. और फ्रेश होकर मेरा भी लंड सॉफ किया…
उस रात मेने उन्हें दो बार और चोदा.. वो मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी…
लेकिन भाभी थी बहुत गरम औरत.. उसने मुझे एकदम से जैसे निचोड़ ही लिया था…
थकान और नींद की खुमारी में सुबह के 4 बजे मे जैसे तैसे कर के अपने कमरे में पहुँचा, और धडाम से बिस्तर पर गिर पड़ा…
बेड पर पड़ते ही, मुझे होश नही रहा कि कब नींद आ गयी…
सुबह 8 बजे रामा दीदी ने मुझे झकझोरकर बड़ी मुश्किल से उठाया…
घड़ी पर नज़र पड़ते ही मेने झटपट से बिस्तर छोड़ा, और आधे घंटे में फ्रेश होकर नाश्ता कर के कॉलेज को भाग लिया… !
दूसरे दिन कॉलेज में ग़रीब अनाथ बच्चों के वेलफेर के लिए हम सभी स्टूडेंट्स को टाउन में जाकर लोगों के घरों में कुछ काम – धाम कर के उनसे खरी कमाई कर के फंड इकट्ठा करने का टास्क मिला…
रागिनी उसके भाई की पिटाई की घटना के बाद बिल्कुल सिंपल तरीके से, दूसरे स्टूडेंट्स की तरह ही कॉलेज में सबके साथ बिहेव करने लगी थी…
उसने मुझे रिक्वेस्ट के, की अगर में उसके साथ, उसके घर जाकर फंड इकट्ठा करूँ…, इसी बहाने वो भी मेरे साथ मिलकर अपने घर का कुछ काम करना चाहती है…
वैसे तो घर में उसे कोई कुछ करने नही देता, मुझे भी इसमें कोई बुराई नही लगी… तो हम दोनो उसके घर की तरफ चल दिए…
ठाकुर साब मुझे देख कर बड़े खुश हुए… और अपनी पत्नी और नौकरों को बोल कर मेरे लिए खाने पीने का इंतेज़ाम करने को कहा… तो मेने उन्हें हाथ जोड़कर रोका और कहा…
ठाकुर साब आज मे आपका परिचित या अतिथि नही हूँ… मे और रागिनी मिलकर आपके घर में कुछ काम करने आए हैं..
उससे जो कमाई होगी वो हम ग़रीब और अनाथ बच्चों की भलाई के लिए कुछ करेंगे…
वो बोले – अरे ! भाई तुम लोग बोलो… कितना पैसा चाहिए.. मे देता हूँ ना ! तुम लोगों को काम करने की क्या ज़रूरत है…
रागिनी – नही पापा… हम बिना काम किए आपसे एक पाई भी नही लेंगे.. सो प्लीज़ बताइए… हम दोनो आपका क्या काम करें..?
वो सोचते हुए हॅस्कर बोले – ठीक है.. भाई ! अगर तुम लोग कुछ करना ही चाहते हो तो गॅरेज में हमारी गाड़ियों की सफाई करदो… ठीक है.. कर लोगे ना !
मे – जी बिल्कुल… और हम दोनो पानी की बल्टियाँ भर के गॅरेज की तरफ चल दिए..
हम दोनो ही इस समय टीशर्ट और जीन्स पहने हुए थे.. टाइट टीशर्ट में रागिनी की बड़ी-2 चुचिया एक दम कसी हुई.. कपड़ों को फाड़ कर निकल पड़ने को हो रही थी..
गॅरेज में दो गाड़ियाँ खड़ी थी… एक उनकी स्कॉर्पियो और दूसरी सूडान मॉडेल कार…
मेने दोनो को पहले कपड़ा मार कर धूल सॉफ की फिर रागिनी को पानी मारने को बोला..
उसने एक मॅग से भर-भर कर गाड़ियों पर पानी उच्छालना शुरू किया… उसके अनाड़ीपन की वजह से गाड़ियों पर पानी कम पड़ रहा था.. लेकिन खुद पूरी भीग गयी…
कपड़े गीले होने से उसके बदन से बुरी तरह चिपक गये… मेरा उसे देखते ही लंड खड़ा होने लगा.. जिसे मेने अपनी जीन्स में अड्जस्ट किया…
मुझे उसे देख देख कर हँसी आरहि थी… मुझे हँसता हुआ देख कर उसने एक मॅग भरके मेरी तरफ उछाला… मेने पीछे हट कर बचने की कोशिश की लेकिन फिर्भी उसने मुझे भिगो ही दिया…
मेने कहा… तुम्हें तो कुछ भी नही आता, लाओ मे ही करता हूँ.. तो उसने मना कर दिया और फिरसे गाड़ियों पर पानी डालने लगी…
जब वो पानी डाल चुकी तो मे एक कपड़े से उन्हें फिर से पोंच्छने लगा… स्कॉर्पियो उँची गाड़ी थी… तो मे उसके पयदान पर चढ़ कर उसकी छत को पोंच्छ रहा था…
रागिनी भी गाड़ी के दूसरी तरफ पायेदान पर खड़ी हो गयी, और मेरी तरह ही कपड़ा मारने का प्रयास करने लगी…
उसकी हाइट कुछ कम थी, सो गाड़ी की छत तक पहुँचने के लिए वो उसपर अपने बूब्स टिका कर पोन्छने लगी…
मोटे-मोटे दूधिया उसके बूब्स गाड़ी की शीट से दब कर बाहर को निकलने के लिए मचल उठे, मेरी नज़र अनायास उसकी चुचियों पर चली गयी….!
उनके मुँह से एक लंबी सी सिसकी निकल गयी… आआहह……धीरीईए….डार्लिंग, थोड़ा साँस तो लेने दो….
लेकिन मेने अनसुनी करते हुए अपने धक्के शुरू कर दिए..
कुछ देर बाद वो फिरसे गरम होने लगी और अपनी कमर उच्छाल – 2 कर सहयोग करने लगी…
मेरे धक्के इतने तेज और पॉवेरफ़ुल्ल होते जा रहे थे.. की पूरे कमरे में मेरी जांघों की धाप उनकी गान्ड पर पड़ने की आवाज़ गूँज रही थी..
आधे घंटे मेने उनको रगड़ रगड़ कर छोड़ा.., उसके बाद उनकी चूत को अपने वीर्य से लबा लब भर दिया.. और उनके ऊपर लेट कर हाँफने लगा…
भाभी मेरे साथ चुदाई कर के मस्त हो गयी थी…
कुछ देर बाद हम दोनो बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगे…
थोड़ी देर के बाद भाभी अपने हाथों से मेरे हथियार को फिरसे धार देने लगी और उसकी सेवा करते हुए बोली – क्या कह रहे थे जनाब की, तुम्हें कुछ नही आता है, फिर ये क्या था…? हां !..
उनके सेवा भाव से खुश होकर मेरा शेर फिर से दहड़ने लगा.. और फन फनाकर उन्हें मुँह चिढ़ाने लगा…
मेने भाभी को चूमते हुए कहा – हहहे… वो तो बस अपने आप ही होने लगा… वैसे कैसा लगा आपको मेरे साथ सेक्स करने में..?
वो अपनी मखमली जाँघ से मेरे लौडे को मसल्ते हुए बोली – बस कुछ पुछो मत…मेरे पास ये सब बताने के लिए शब्द नही हैं…
बस इतना ही कहूँगी – यू आर सिंप्ली बेस्ट ! थॅंक्स देवर जी… मेरी इच्छा पूरी करने का बहुत-बहुत धन्यवाद…बिन मोल खरीद लिया आपने मुझे…
उनकी जाँघ की रगड़ से मेरा पप्पू नाराज़ हो गया, और वो उनकी गुदाज जाँघ में ही अपने लिए रास्ता ढूँढने लगा…
मेरे लंड की शख़्ती देखकर भाभी को भी ताव आ गया… और उन्होने उसे अपने मुँह में गडप्प कर लिया… और फिर वो चुसाई की.. कि साले को नानी याद आने लगी…
मेने उन्हें अपनी गोद में उठाया और पलग पर लाकर औंधे मुँह पटक दिया.. और उनकी पीठ पर चढ़ गया…
भाभी ने अपनी गान्ड को पलंग से अधर उठा लिया… जिससे उनकी गगर का मुँह खुल कर अपने साथी को बुलाने लगा……
मेने उनके मस्त गोल मटोल कलश जैसे चुतड़ों को मसल-मसल कर लाल कर दिया, साइड से कमर में हाथ डालकर उनकी गान्ड को और थोड़ा उठा कर चूत का मुँह खोला और अपनी 3 उंगलियाँ उसमें पेल दी…
भाभी के चूतड़ हवा में और ज़्यादा उठ गये…
मेने पीछे से अपना मूसल उनकी सुरंग के मुँह पर रखकर पूरी ताक़त से अंदर पेल दिया…
उउउइईईईईईईई…………माआआ……….उउफफफफफफफफफफ्फ़…..आराम से मेरे रजाआाअ….
उनकी कराह की परवाह ना करते हुए, मेने उनके सुनहरे लंबे बालों को जाकड़ कर पीछे को खींचा, जिससे उनका सर भी हवा में उठ गया…
तकिये पर हाथ टिकाए वो मस्ती से मेरे लंड का मज़ा लूटने लगी…
मेने उनकी चिकनी पीठ को चूमते हुए अपने धक्के शुरू कर दिए.. उनकी गान्ड और थोड़ी ऊपर हो गयी…
क्या मस्त नज़ारा था.. मेरी जांघें जैसे ही उनकी गान्ड के निचले हिस्से पर पड़ती.. तो उनके गोल-गोल चूतड़ बॉल की तरह और ऊपर को उठ जाते….
गान्ड को मसलते हुए बीच-2 में मे उसपर चान्टे भी बरसाता जा रहा था, जिससे उनकी गान्ड लाल सुर्ख हो गयी….
जब ज़्यादा मज़ा आने लगा तो वो अपनी घुटने टेककर घोड़ी बन गयी…
फिर तो चुदाई का वो तूफ़ानी दौर शुरू हुआ की बस पूछो मत… धक्के-पे धक्के… थपा-थप.. फुचा-फूच… शरीर भट्टी की तरह दहकने लगे…
आअहह….मेरे चोदु रजाअ… मेरे लाड़ले देवर जी, चोदो मुझे … फाड़ डालो मेरी चूत को…..
हआइई रीई… मईए.. तो गायईयीईई…….और आइसिस के साथ वो भल्भलाकर झड़ने लगी…
कुछ धक्कों के बाद मेने भी अपना कुलाबा उनकी चूत में खोल दिया…और में उनके ऊपर पसार कर हाँफने लगा…
लंड अंदर डाले डाले ही मेरी आँखें बंद हो गयी… करीब 10 मिनिट मे यौंही उनकी पीठ पर पड़ा रहा फिर उन्होने मुझे अपने ऊपर से साइड को लुढ़का दिया.. और फ्रेश होकर मेरा भी लंड सॉफ किया…
उस रात मेने उन्हें दो बार और चोदा.. वो मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी…
लेकिन भाभी थी बहुत गरम औरत.. उसने मुझे एकदम से जैसे निचोड़ ही लिया था…
थकान और नींद की खुमारी में सुबह के 4 बजे मे जैसे तैसे कर के अपने कमरे में पहुँचा, और धडाम से बिस्तर पर गिर पड़ा…
बेड पर पड़ते ही, मुझे होश नही रहा कि कब नींद आ गयी…
सुबह 8 बजे रामा दीदी ने मुझे झकझोरकर बड़ी मुश्किल से उठाया…
घड़ी पर नज़र पड़ते ही मेने झटपट से बिस्तर छोड़ा, और आधे घंटे में फ्रेश होकर नाश्ता कर के कॉलेज को भाग लिया… !
दूसरे दिन कॉलेज में ग़रीब अनाथ बच्चों के वेलफेर के लिए हम सभी स्टूडेंट्स को टाउन में जाकर लोगों के घरों में कुछ काम – धाम कर के उनसे खरी कमाई कर के फंड इकट्ठा करने का टास्क मिला…
रागिनी उसके भाई की पिटाई की घटना के बाद बिल्कुल सिंपल तरीके से, दूसरे स्टूडेंट्स की तरह ही कॉलेज में सबके साथ बिहेव करने लगी थी…
उसने मुझे रिक्वेस्ट के, की अगर में उसके साथ, उसके घर जाकर फंड इकट्ठा करूँ…, इसी बहाने वो भी मेरे साथ मिलकर अपने घर का कुछ काम करना चाहती है…
वैसे तो घर में उसे कोई कुछ करने नही देता, मुझे भी इसमें कोई बुराई नही लगी… तो हम दोनो उसके घर की तरफ चल दिए…
ठाकुर साब मुझे देख कर बड़े खुश हुए… और अपनी पत्नी और नौकरों को बोल कर मेरे लिए खाने पीने का इंतेज़ाम करने को कहा… तो मेने उन्हें हाथ जोड़कर रोका और कहा…
ठाकुर साब आज मे आपका परिचित या अतिथि नही हूँ… मे और रागिनी मिलकर आपके घर में कुछ काम करने आए हैं..
उससे जो कमाई होगी वो हम ग़रीब और अनाथ बच्चों की भलाई के लिए कुछ करेंगे…
वो बोले – अरे ! भाई तुम लोग बोलो… कितना पैसा चाहिए.. मे देता हूँ ना ! तुम लोगों को काम करने की क्या ज़रूरत है…
रागिनी – नही पापा… हम बिना काम किए आपसे एक पाई भी नही लेंगे.. सो प्लीज़ बताइए… हम दोनो आपका क्या काम करें..?
वो सोचते हुए हॅस्कर बोले – ठीक है.. भाई ! अगर तुम लोग कुछ करना ही चाहते हो तो गॅरेज में हमारी गाड़ियों की सफाई करदो… ठीक है.. कर लोगे ना !
मे – जी बिल्कुल… और हम दोनो पानी की बल्टियाँ भर के गॅरेज की तरफ चल दिए..
हम दोनो ही इस समय टीशर्ट और जीन्स पहने हुए थे.. टाइट टीशर्ट में रागिनी की बड़ी-2 चुचिया एक दम कसी हुई.. कपड़ों को फाड़ कर निकल पड़ने को हो रही थी..
गॅरेज में दो गाड़ियाँ खड़ी थी… एक उनकी स्कॉर्पियो और दूसरी सूडान मॉडेल कार…
मेने दोनो को पहले कपड़ा मार कर धूल सॉफ की फिर रागिनी को पानी मारने को बोला..
उसने एक मॅग से भर-भर कर गाड़ियों पर पानी उच्छालना शुरू किया… उसके अनाड़ीपन की वजह से गाड़ियों पर पानी कम पड़ रहा था.. लेकिन खुद पूरी भीग गयी…
कपड़े गीले होने से उसके बदन से बुरी तरह चिपक गये… मेरा उसे देखते ही लंड खड़ा होने लगा.. जिसे मेने अपनी जीन्स में अड्जस्ट किया…
मुझे उसे देख देख कर हँसी आरहि थी… मुझे हँसता हुआ देख कर उसने एक मॅग भरके मेरी तरफ उछाला… मेने पीछे हट कर बचने की कोशिश की लेकिन फिर्भी उसने मुझे भिगो ही दिया…
मेने कहा… तुम्हें तो कुछ भी नही आता, लाओ मे ही करता हूँ.. तो उसने मना कर दिया और फिरसे गाड़ियों पर पानी डालने लगी…
जब वो पानी डाल चुकी तो मे एक कपड़े से उन्हें फिर से पोंच्छने लगा… स्कॉर्पियो उँची गाड़ी थी… तो मे उसके पयदान पर चढ़ कर उसकी छत को पोंच्छ रहा था…
रागिनी भी गाड़ी के दूसरी तरफ पायेदान पर खड़ी हो गयी, और मेरी तरह ही कपड़ा मारने का प्रयास करने लगी…
उसकी हाइट कुछ कम थी, सो गाड़ी की छत तक पहुँचने के लिए वो उसपर अपने बूब्स टिका कर पोन्छने लगी…
मोटे-मोटे दूधिया उसके बूब्स गाड़ी की शीट से दब कर बाहर को निकलने के लिए मचल उठे, मेरी नज़र अनायास उसकी चुचियों पर चली गयी….!
- Ankit
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- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
दो बड़ी-बड़ी बॉल मानो एक दूसरे से मिला कर रखड़ी गयी हों उसके टॉप के अंदर,
मेरी नज़रों को ताडकर उसने उन्हें और ज़्यादा उभारते हुए गाड़ी को पोन्छ्ना शुरू कर दिया…
कुछ देर बाद वो मेरे बाजू में ही आ गयी.. और मेरे हाथ से कपड़ा लेने लगी.. मेने मना किया तो वो छीना-झपटी करने लगी.. !
मेने उससे कहा – रहने दे रागिनी, मे सॉफ कर लूँगा, वैसे भी तुझे कुछ आता जाता नही है…
ये बात उसे और ज़्यादा पूछ कर गयी, और वो मेरे हाथ से जबरजस्ती से कपड़े को खींचने लगी…
मेने उस कपड़े को अपने पीछे छिपाने की कोशिश की, तो वो ऊपर ही चढ़ने लगी, और कपड़ा लेने के बहाने मेरे सीने से चिपक गयी..
गीले हो चुके टॉप से वैसे भी उसकी बड़ी-2 चुचियाँ उबली पड़ रही थी… मेरी छाती से दब कर और चौड़ी होकर आधी तक ऊपर को उभर आई..
आख़िर मर्द के लौडे को इस सिचुयेशन में जो फील होता है, वहीं मेरे वाले को भी हुआ, भले ही सामने वाली से कैसा भी रबिता रहा हो…
अब वो कड़क होकर रागिनी की चूत के ऊपर ठोकर मारने लगा, जिसकी वजह से उसकी चूत और ज़्यादा खुन्दस में आकर आँसू बहाने लगी होगी…
वैसे तो मे उसकी मनसा बहुत पहले ही समझ चुका था… लेकिन फिर भी मेने अपनी ओर से उसे और ज़्यादा कुछ नही कहा,
चुप-चाप से वो कपड़ा उसे थमाया, और दूसरा कपड़ा उठा कर दूसरी गाड़ी को पोन्छ्ने लगा…
वो बुरा सा मुँह बना कर गुस्से में भुन-भुनाई और कपड़ा ज़मीन पर फेंक कर अपने पैर पटकती हुई घर की तरफ चली गयी…
ये मेरे लिए अच्छा हो गया, चलो मुसीबत टली, अब मे शांति से गाड़ियों को सॉफ कर सकता था…
आधे घंटे में मेने दोनो गाड़ियों को एक दम साफ कर के चमका दिया… और आकर ठाकुर साब को बोला – लीजिए सर आपकी दोनो गाड़ियाँ सॉफ हो गयी.. चाहो तो आप चेक कर सकते हैं…
वो बोले – अरे बेटा ! कैसी बात करते हो… बोलो तुम्हारी कितनी खरी कमाई हुई..?
मेने कहा – जो आप अपने नौकर को देते हो इतने काम के लिए उतना ही दे दो…
तो उन्होने मुझे 500/- का एक नोट पकड़ा दिया.., मेने कहा – ये तो इतने छोटे से काम के लिए बहुत ज़्यादा है…
वो बोले – अरे रखलो, ग़रीब बच्चों के ही तो काम आना है…
मेने उनकी बात का मान रखते हुए वो नोट ले लिया, तब तक रागिनी भी अपने कपड़े चेंज कर के आ चुकी थी…
फिर हम दोनो वापस कॉलेज लौट आए… लेकिन रास्ते भर वो मुझे गुस्से से ही घुरति रही…, लेकिन बोली कुछ नही.
कॉलेज पहुँचते -2 दूसरे स्टूडेंट्स भी आ चुके थे… सबका कलेक्षन कर के जितना पैसा इकट्ठा हुआ, उसे अनाथ आश्रम को भिजवा दिया…
ये सब काम निबटाने में 3 बज गये थे… मे घर आया और सीधा बाथ रूम में जाकर कपड़े चेंज किए.. और एक टीशर्ट के साथ शॉर्ट पहन कर बाहर आया…
बाहर मुझे कोई नही दिखा… किचेन से बर्तन खटकने की आवाज़ आ रही थी.. जाकर देखा तो दीदी बर्तन साफ कर रही थी…
दीदी ने मुझे देखते ही पूछा – अरे भाई तू आज इतना लेट कैसे हो गया रे..?
मेने उन्हें पूरी बात बताई और खाना लेकर वहीं बैठ कर खाने लगा…
खाना खाते-2 ही मेने दीदी से पूछा.. दीदी ! भाभी कहाँ हैं, जो तुम बर्तन सॉफ कर रही हो…!
दीदी – महारानी साहिबा सो रही हैं..! उनका वैसे भी काम करने का कोई मतलव नही है… कुछ आता-जाता हो तो कुछ करें भी..!
इससे अच्छा था कि भैया अपने साथ ले ही जाते तो ठीक रहता…कम से कम मेरे लिए काम तो कम होता…!
मे – अरे ! ये क्या कह रही हो.., वो तो काम की वजह से ही रुकी थी… ऐसा है तो आप उन्हें सिख़ाओ ना…!
दीदी – सिखाया उसको जाता है मेरे भाई… जो सीखना चाहे… उन्हें ये काम करने ही नही हैं तो सीख कर क्या करेंगी… भैया की कमाई पर ऐश करनी है उनको तो…
मे – तो क्यों ना हम भैया को फोन करदें कि उन्हें अपने साथ ले ही जायें...?
दीदी – रहने दे भाई… उन दोनो को ही बुरा लगेगा.. अब जैसे-तैसे कर के ये दिन तो निकालने ही पड़ेंगे… पर मे क्या बोलती हूँ.. तू ना ! उनके साथ इतना मत चिपके रहा कर..
मे कहाँ चिपका रहता हूँ.. जब मेने ये कहा, तो वो एकदम से बोल पड़ी.. रात भर कहाँ था तो फिर…?
मेने झटके से दीदी की तरफ देखा… वो मेरे पास आकर बैठ गयी और मंद-2 मुस्कराते हुए बोली –
अब मे बच्ची नही हूँ.. छोटे लाल ! तेरे से बड़ी हूँ, और ग्रॅजुयेट भी हूँ.. मुझे सब पता है.. तू क्या-2 करता है…
फिर कुछ सीरीयस होकर बोली – तुझे अपनी बेहन के अलावा वाकी सब दिखाई देते हैं इस घर में.. !
मेरी नज़रों को ताडकर उसने उन्हें और ज़्यादा उभारते हुए गाड़ी को पोन्छ्ना शुरू कर दिया…
कुछ देर बाद वो मेरे बाजू में ही आ गयी.. और मेरे हाथ से कपड़ा लेने लगी.. मेने मना किया तो वो छीना-झपटी करने लगी.. !
मेने उससे कहा – रहने दे रागिनी, मे सॉफ कर लूँगा, वैसे भी तुझे कुछ आता जाता नही है…
ये बात उसे और ज़्यादा पूछ कर गयी, और वो मेरे हाथ से जबरजस्ती से कपड़े को खींचने लगी…
मेने उस कपड़े को अपने पीछे छिपाने की कोशिश की, तो वो ऊपर ही चढ़ने लगी, और कपड़ा लेने के बहाने मेरे सीने से चिपक गयी..
गीले हो चुके टॉप से वैसे भी उसकी बड़ी-2 चुचियाँ उबली पड़ रही थी… मेरी छाती से दब कर और चौड़ी होकर आधी तक ऊपर को उभर आई..
आख़िर मर्द के लौडे को इस सिचुयेशन में जो फील होता है, वहीं मेरे वाले को भी हुआ, भले ही सामने वाली से कैसा भी रबिता रहा हो…
अब वो कड़क होकर रागिनी की चूत के ऊपर ठोकर मारने लगा, जिसकी वजह से उसकी चूत और ज़्यादा खुन्दस में आकर आँसू बहाने लगी होगी…
वैसे तो मे उसकी मनसा बहुत पहले ही समझ चुका था… लेकिन फिर भी मेने अपनी ओर से उसे और ज़्यादा कुछ नही कहा,
चुप-चाप से वो कपड़ा उसे थमाया, और दूसरा कपड़ा उठा कर दूसरी गाड़ी को पोन्छ्ने लगा…
वो बुरा सा मुँह बना कर गुस्से में भुन-भुनाई और कपड़ा ज़मीन पर फेंक कर अपने पैर पटकती हुई घर की तरफ चली गयी…
ये मेरे लिए अच्छा हो गया, चलो मुसीबत टली, अब मे शांति से गाड़ियों को सॉफ कर सकता था…
आधे घंटे में मेने दोनो गाड़ियों को एक दम साफ कर के चमका दिया… और आकर ठाकुर साब को बोला – लीजिए सर आपकी दोनो गाड़ियाँ सॉफ हो गयी.. चाहो तो आप चेक कर सकते हैं…
वो बोले – अरे बेटा ! कैसी बात करते हो… बोलो तुम्हारी कितनी खरी कमाई हुई..?
मेने कहा – जो आप अपने नौकर को देते हो इतने काम के लिए उतना ही दे दो…
तो उन्होने मुझे 500/- का एक नोट पकड़ा दिया.., मेने कहा – ये तो इतने छोटे से काम के लिए बहुत ज़्यादा है…
वो बोले – अरे रखलो, ग़रीब बच्चों के ही तो काम आना है…
मेने उनकी बात का मान रखते हुए वो नोट ले लिया, तब तक रागिनी भी अपने कपड़े चेंज कर के आ चुकी थी…
फिर हम दोनो वापस कॉलेज लौट आए… लेकिन रास्ते भर वो मुझे गुस्से से ही घुरति रही…, लेकिन बोली कुछ नही.
कॉलेज पहुँचते -2 दूसरे स्टूडेंट्स भी आ चुके थे… सबका कलेक्षन कर के जितना पैसा इकट्ठा हुआ, उसे अनाथ आश्रम को भिजवा दिया…
ये सब काम निबटाने में 3 बज गये थे… मे घर आया और सीधा बाथ रूम में जाकर कपड़े चेंज किए.. और एक टीशर्ट के साथ शॉर्ट पहन कर बाहर आया…
बाहर मुझे कोई नही दिखा… किचेन से बर्तन खटकने की आवाज़ आ रही थी.. जाकर देखा तो दीदी बर्तन साफ कर रही थी…
दीदी ने मुझे देखते ही पूछा – अरे भाई तू आज इतना लेट कैसे हो गया रे..?
मेने उन्हें पूरी बात बताई और खाना लेकर वहीं बैठ कर खाने लगा…
खाना खाते-2 ही मेने दीदी से पूछा.. दीदी ! भाभी कहाँ हैं, जो तुम बर्तन सॉफ कर रही हो…!
दीदी – महारानी साहिबा सो रही हैं..! उनका वैसे भी काम करने का कोई मतलव नही है… कुछ आता-जाता हो तो कुछ करें भी..!
इससे अच्छा था कि भैया अपने साथ ले ही जाते तो ठीक रहता…कम से कम मेरे लिए काम तो कम होता…!
मे – अरे ! ये क्या कह रही हो.., वो तो काम की वजह से ही रुकी थी… ऐसा है तो आप उन्हें सिख़ाओ ना…!
दीदी – सिखाया उसको जाता है मेरे भाई… जो सीखना चाहे… उन्हें ये काम करने ही नही हैं तो सीख कर क्या करेंगी… भैया की कमाई पर ऐश करनी है उनको तो…
मे – तो क्यों ना हम भैया को फोन करदें कि उन्हें अपने साथ ले ही जायें...?
दीदी – रहने दे भाई… उन दोनो को ही बुरा लगेगा.. अब जैसे-तैसे कर के ये दिन तो निकालने ही पड़ेंगे… पर मे क्या बोलती हूँ.. तू ना ! उनके साथ इतना मत चिपके रहा कर..
मे कहाँ चिपका रहता हूँ.. जब मेने ये कहा, तो वो एकदम से बोल पड़ी.. रात भर कहाँ था तो फिर…?
मेने झटके से दीदी की तरफ देखा… वो मेरे पास आकर बैठ गयी और मंद-2 मुस्कराते हुए बोली –
अब मे बच्ची नही हूँ.. छोटे लाल ! तेरे से बड़ी हूँ, और ग्रॅजुयेट भी हूँ.. मुझे सब पता है.. तू क्या-2 करता है…
फिर कुछ सीरीयस होकर बोली – तुझे अपनी बेहन के अलावा वाकी सब दिखाई देते हैं इस घर में.. !