चुदाई का वीज़ा complete

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rajsharma
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Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

उस रात खाने के बाद में कुछ देर तक बरतन वेघरा धोने में मसरूफ़ रही.

फिर किचन की सफाई से फारिग हो कर मैने शवर लिया और फिर कुछ देर अपने कमरे में बैठ कर भाई से बात करने के लिए अपनी हिम्मत जमा की.

मुझे पता था कि आज मेरी कहानी सुन कर मेरे भाई को बहुत ही दुख हो गा.

मैने भाई से बात करने के लिए रात के वक़्त का इंतिखाब इस लिये किया. क्यों कि मुझे डर था कि दिन के वक़्त भाई कहीं गुस्से में आ कर फॉरन अब्बा और खालिद से लड़ने उन के घर ना चले जाएँ.

में किसी किसम की लड़ाई और अपनी बदनामी नहीं चाहती थी.

बस में ये चाहती थी कि भाई से मशवरा करूँ और तलाक़ ले लूँ.

क्योंकि जब से मेरे शोहर जमाल ने मुझे झूठा साबित करने की कॉसिश की थी.

उसी दिन से मैने ये सोच लिया था. कि जिस शोहर को मेरी बातों पर ऐतबार नहीं उस के साथ ज़िंदगी गुज़ारने में अब कोई मज़ा नही है.

में अपने कमरे में बैठी अपनी अम्मी के सोने का इंतेज़ार कर रही थी.

अम्मी का कमरा ग्राउंड फ्लोर पर था. जब कि बिलाल भाई घर के उपर की मंज़ल पर रहते थे.

रात के तकरीबन 11 बजे जब मुझे यकीन हो गया कि अम्मी अब सो चुकी होंगी.तो में आहिस्ता से अपने कमरे से निकली और दबे पावं स्टेर्स चढ़ती उपर चली आई.

भाई के कमरे में जलती लाइट को देख कर में मुन्तमिन हो गई कि भाई अभी जाग रहा है.

मैने भाई के कमरे को नॉक किया और कुछ देर इंतेज़ार के बाद जवाब ना पा कर में कमारे के अंदर चली गई.

मैने देखा कि भाई उधर तो मजूद नही. मगर भाई के कमरे का डीवीडी प्लेयर और टीवी ऑन हैं और टीवी स्क्रीन पर इंडियन मूवीस के गाने चल रहे थे.

में समझी कि बिलाल भाई हमें बताए बगैर मुहल्ले की दुकान से शायद सिगरेट लाने निकल गये हैं.

भाई को कमरे में माजूद ना पा कर मुझ बहुत मायूसी हुई और में वापिस जाने के लिए मूडी ही थी.कि भाई के कमरे के साथ अतेच्ड बाथरूम का दरवाजा अचानक खुला और अपने जिस्म के गिर्द तोलिया बाँधे बिलाल भाई कमरे में दाखिल हुए.

बिलाल भाई ने एक बड़ा तोलिया तो अपने जिस्म के गिर्द लपेटा हुआ था. जब कि एक और छोटे तोलिये से वो अपने सर के गीले बालों को सुखाने में मसरूफ़ थे.

में इस से पहले काफ़ी दफ़ा भाई को बगैर कमीज़ अपने घर में घूमते हुए देख चुकी थी.

इस के बावजूद हम दोनो बहन भाई एक दूसरे का यूँ इस तरह सामने करने के लिए ज़ेहनी तौर पर तैयार नही थे.

इस लिए भाई को मुझे रात के इस पहर अपने कमरे में और मुझे अपने भाई को यूँ नंगे बदन हालत में देख कर एक दम बहुत ही हर्ट हुई.

और हम दोनो अपनी अपनी जगह बुत बने एक दूसरे को आँखे फाडे देखते रहे.

चन्द लम्हो बाद मुझे ख्याल आया कि मुझे फॉरन इसी वक़्त भाई के कमरे से निकल जाना चाहिए.

“भाई में माफी चाहती हूँ कि में इस तरह आप के कमरे में चली आई” ये कहते हुए में बाहर निकलने के लिए मूडी.


में दरवाज़े से निकल ही रही थी कि भाई ने पीछे से मेरे कंधों पर हाथ रख कर कहा “नबीला रुक जाओ में अभी बाथरूम में जा कर कपड़े चेंज कर आता हूँ और फिर हम बैठ कर बातें करेंगे ”.

में: आप कपड़े पहन कर मुझे बुला लेना मैने आप से एक ज़ुरूरी बात करनी है.

मैने अपना सार नीचे झुकाते हुए बोला.

ये कह कर में फिर बाहर निकलने लगी.तो भाई मेरे सामने आ गया और कहने लगा “ रुक जाओ नबीला मुझे भी तुम से एक बात करनी है, में भी नहाते वक़्त तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था.

इस से पहले कि में मज़ीद कुछ की पाती भाई मुझे हाथ से पकड़ कर अपने कमरे में लेगया और मुझे अपने बेड पर बिठा दिया.

मुझे बेड पर बैठाने के बाद भाई ने बाथरूम में जा कर अपने कपड़े पहने की बजाय ड्रेसिंग टेबल से हेर बुरश उठाया और इसी तरह टावाल में ही मलबूस आ कर मेरे साथ बेड पर बैठ कर अपने बालों में ब्रश फेरने लगा.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

धन्यवाद दोस्तो अपडेट कल आएगा एक और नई कहानी के साथ
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Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

सामने टीवी पर इंडियन सॉंग्स अभी तक चल रहे थे. मैने नोट किया कि भाई जो डीवीडी उस वक़्त अपने टीवी पर प्ले कर रहा था. उस डीईडी के सभी सॉंग्स मर्डर,जिस्म 1,2 और उसी किस्म की गरम मूवीस के गरम सॉंग्स थे.

मुझे भाई के साथ बैठ कर “मेरे साथ कोई रात गुज़ार” जैसे गाने देखने में शरम महसूस हो रही थी.

इस लिए मैने हिचकिचाते हुए कहा “ भाई अगर आप टीवी को बंद कर दें”.

बिलाल भाई: क्यों नबीला तुम ने इस से पहले कभी इंडियन सॉंग्स नही देखे.

में: भाई देखे तो कई बार है मगर इस वक़्त मुझे आप से एक ज़रूरी बात करनी है,इस लिए आप मेहरबानी कर के टीवी को बंद ही कर दें.

में खुल कर कहना नही चाहती थी. कि भाई मुझे आप के साथ बैठ कर इस तरह के गरम गाने देखने में शर्म आ रही है.

मेरी रिक्वेस्ट के बावजूद बिलाल भाई ने मेरी बात को नज़र अंदाज़ कर दिया और डीवीडी को इसी तरह चलने दिया.

मेरे लिए इस सूरते हाल में अपने नंगे बदन भाई के साथ एक ही बेड पर बैठना अब ना क़ाबिले बर्दास्त होने लगा.

में: भाई में अपने कमरे में जा रही हूँ.वैसे मुझे आप से ज़रूरी बात तो करनी है. पर कोई बात नही में फिर आ जाउन्गी या कल सुबह बात कर लेंगे.

बिलाल भाई ने जब देखा कि में उठ कर जाने लगी हूँ. तो उन्हो ने फॉरन मेरे बाज़ू को पकड़ कर मुझे फिर अपने साथ इस तरह बैठा लिया कि अब की बार वो मेरे जिस्म के साथ चिपक से गये.

भाई और में दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी बेतकल्लुफ थे और हम हर बात एक दूसरे से शेयर करते थे.

लेकेन इस के बावजूद हम आपस में इतने भी बे तकल्लुफ नहीं हुए थे.कि में अपने भाई के साथ कोई गरम सीन वाली फिल्म या गाने देख सकती.

में ऑर भाई बेड पर साथ साथ इतना क़रीब बैठे थे. कि भाई की साँसों की आवाज़ भी में बखूबी सुन रही थी.

भाई के अपने साथ यूँ चिपक कर बैठने से मुझे उलझन होने लगी.

मगर भाई थे कि मेरी मौजूदगी की परवाह किय बैगर बहुत इनमेहक से टीवी पर चलते गानों को सुनने और देखने में मसरूफ़ थे.

मैने बिलाल भाई की तवज्जो टीवी से हटाने के लिए उन से पूछा “ कि भाई आप क्या सोच रहे थे मेरे बारे में”.

बिलाल भाई: नबीला सबर तो करो यार बता ता हूँ तुम्हे”

और वो फिर टीवी पर उछलती कूदती जवानियों को देखने में मगन हो गये.

मेरे लिए अब सबर के सिवा कोई चारा नही था. इस लिए में भी खामोश हो गई और टीवी देख ने लगी.

टीवी देखते देखते में ये भी सोच रही थी. कि अगर मैने तलाक़ ले लिया .तो अम्मीं का क्या रियेक्शन हो गा और बिलाल का अमेरिका जाने का क्या बने गा.

बाहर हाल कुछ भी हो अब मेरा फ़ैसला अटल था कि अब में तलाक़ ही लूँगी .

में अपनी ही सोचों में मगन थी. कि भाई ने टीवी देखने के दौरान ही मेरे कंधों पर हाथ रखा.

भाई: नबीला खुश रहा करो चाहे कुछ भी हो, देखो तुम्हारी सेहत कैसी हो गई है और आँखों में धब्बे भी पड़ गये हैं.

इन्ही बातों के दौरान भाई का हाथ मेरे कंधे से फिसल कर अब ना सिर्फ़ मेरी कमर के गिर्द लिपट चुका था. बल्कि अब आहिस्ता आहिस्ता मेरी कमर भी सहला रहे थे.

भाई का हाथ मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी हिप के बिल्कुल उपर आ गया.

अपने भाई का हाथ इस जगह पर मौजूद पा कर में एक दम चोंक गई.

लेकिन फिर सोचा कि भाई टीवी देखने में मगन हैं.इस लिए शायद उसे ख्याल नहीं रहा हो गा.

भाई का हाथ मेरी हिप पर रुक गया और अब वहीं रुके हुए मेरी बटक्स को सहला रहे थे.

हम दोनो ही चुप थे. में इस इंतेज़ार में थी कि कब ये डीवीडी ख़तम हो तो में भाई से अपनी बात करूँ.

इसी दौरान भाई का हाथ दुबारा मेरे कंधे पर आन पहुँचा और फिर भाई के हाथ मेरे कंधे पर आहिस्ता आहिस्ता रेंगने लगा.

में अपने भाई की इस हरकत से मज़ीद परेशान हो गई. कि आज मेरे भाई को ये क्या हो रहा है और वो क्यों इस तरह मेरे साथ बिहेव कर रहे है.

मेने सोचा कि बेहतरी इसी में है कि में अब उन के कमरे से चली जाऊं और बाद में बात कर लूँ.

मगर में अब उठती भी तो कैसे मेरे कंधे पर भाई का मज़बूत हाथ मुझे अपने भाई के आगोश में बैठने पर मजबूर कर रहा था.

मेरे भाई को शुरू से हाथ की लकीरों (पल्मीस्त्री) को देखने का शौक था.
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