आशु: मैं आप ही की कंपनी में जॉब करुँगी तो हम एक साथ और भी टाइम बिता पाएंगे और रही घर जाने की बात तो आपके बस इतना बोलने से की आप ऑफिस के काम में बिजी हो तो कोई कुछ नहीं कहेगा. आप बोल देना की मेरे एग्जाम है...कुछ भी झूठ बोल देना...ज्यादा हुआ तो कभी-कभी चले जायेंगे. एटलीस्ट मुझे एक बार कोशिश तो करने दीजिये, एक बार नितु मैडम से बात तो करने दीजिये!
मैं: अच्छा जी तो सब सोच कर आये हो?! मेरे ऑफिस में जॉब करोगे तो मेरे साथ-आना जाना तो छोडो वहां मुझसे बात भी नहीं कर सकती तुम!
आशु: क्यों भला?
मैं: वहाँ किसी ने पूछा तो क्या कहूँ? ये मेरी भतीजी है! या फिर तुम मुझे सब के सामने 'चाचा' कह पाओगी?
आशु: तो हम वहाँ बिलकुल अजनबी होंगे?
मैं जी हाँ!
आशु: हाय! ये तो बेस्ट हो गया फिर! दुनिया की नजर से छुप-छुप कर मिलना, बातें करना बिलकुल फिल्मों की तरह.
मैं: फिल्मों का कुछ ज्यादा ही भूत नहीं चढ़ गया?
आशु: नहीं ...आपके प्यार का भूत है...जो सर से उतरता ही नही.
मैं: आशु ...देख कल को ये बात खुल गई तो ...सब कुछ खत्म हो जायेगा, प्लीज बात को समझ! (मैंने गंभीर होते हुए आशु के सर को चूमा.)
आशु: मैंने आज तक आपसे जो माँगा है आपने दिया है, एक आखरी बार मेरी ये जिद्द पूरी कर दो और मैं वादा करती हूँ की आगे से कभी कोई जिद्द नहीं करुंगी.
मैं: ठीक है, पर आपको मुझसे एक और वादा करना होगा.
आशु: बोलिये
मैं: कॉलेज खत्म होने से पहले हम शादी नहीं करेंगे. तुम अपनी पढ़ाई को हरगिज़ दाव पर नहीं लगाओगी.
आशु: ओफ्फो!!! जानू आप ना सच में बहुत सोचते हो! किस ने कहा की मैं अपनी ग्रेजुएशन कम्पलीट नहीं करुँगी?! मैं शादी के बाद भी तो कॉरेस्पोंडेंस से पढ़ सकती हूँ ना? फिर तो आप कहोगे तो मैं पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लुंगी. एक्चुअली करना ही पड़ेगा वरना आगे जॉब कहाँ मिलेगी!
आशु ने बड़ी सरलता से ये बात कही पर ये बात मेरे गले नहीं उत्तर रही थी.
मैं: तुमने वादा किया था ना की कॉलेज की नेक्स्ट टोपर तुम बनोगी! मेरी तस्वीर के साथ तुम्हारी तस्वीर लगेगी... भूल गई? (ये कह कर मैं उठ खड़ा हुआ और हाथ बाँधे खिड़की से बाहर देखने लगा.)
आशु: (मुझे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ते हूये.) ठीक है जान! जब तक मेरी ग्रेजुएशन पूरी नहीं होती तब तक हम शादी नहीं करेंगे. पर उससे एक दिन भी ज्यादा नहीं रुकूंगी मैं!
ये कहते हुए आशु ने मेरी नग्न पीठ को चूमा. उसके स्तन मेरी पीठ में गड रहे थे, मैं आशु की तरफ घूमा और उसके होठों को चूम लिया. उसका निचला होंठ मैंने अपने होठों और जीभ से चूसना शुरू कर दिया था.अगले दिन मैंने सर से अपनी सैलरी को ले कर बात करने की ठानी;
मैं: गुड-मॉर्निंग सर!
बॉस: गुड- मॉर्निंग! महालक्ष्मी ट्रेडर्स के नए इनवॉइस आये हैं, उन्हें चढ़ा देना.
मैं: जी...आपसे कुछ बात करनी थी.
बॉस: हाँ बोलो.
मैं: सर मुझे सैलरी में रेज चाहिए.
बॉस: क्यों?
मैं: सर मुझे आपके पास काम करते हुए तकरीबन ३ साल हो गए हैं और इन सालों में मेरी सैलरी में एक भी बार रेज नहीं हुआ.
बॉस: पहले तुम रेगुलर तो बनो.आये-दिन छुट्टी मारते हो, शाम को ऑफिस खत्म होने से पहले ही चले जाते हो. ऐसे थोड़े ही चलेगा!
मैं: सर मेरी छुट्टियाँ पहले से कम हो गई हैं, आखरी बार छुट्टी तब ली थी जब मुझे डेंगू हो गया था. वो छुट्टियाँ भी विथाउट पे थी! शाम को जल्दी जाता हूँ तो बाद में वापस आ कर काम भी तो खत्म कर देता हु. आज तक आपको किसी भी काम के लिए मुझे दो बार नहीं कहना पड़ा है, इसलिए सर प्लीज सैलरी रेज कर दिजिये.
बॉस: देखते हैं...अभी जा कर महालक्ष्मी ट्रेडर्स का डाटा चढ़ाओ.
मैं: सॉरी सर, पर अगर आप सैलरी रेज नहीं करना चाहते तो मैं रिजाइन कर देता हु.
मैंने सर को अपना रेसिग्नेशन लेटर दे दिया.
में: सर इसमें १ महीने का नोटिस पीरियड है, अगले महीने से मैं जॉब छोड़ देता हु.
इतना कह कर मैं चला गया.बॉस बहुत हैरान था क्योंकि उसे ऐसी जरा भी उम्मीद नहीं थी. तकरीबन ३ साल का एक्सपीरियंस था मेरे पास और कहीं भी जॉब कर सकता था. इसलिए मुझे जरा भी परवाह नहीं थी. इधर बॉस की फटी जरूर होगी क्योंकि ऐसा मेहनती 'मजदूर' उसे कहाँ मिलता जो एक आवाज में उसका सारा काम कर देता था. मैंने दोपहर को लंच भी नहीं किया और बिल एंटर करता रहा. लंच के बाद मैडम आईं और जब उन्हें सर से ये पता चला की मैं रिजाइन कर रहा हूँ तो पता नहीं उन्होंने सर को क्या समझाया की सर खुद मुझे बुलाने के लिए आये. मैं उनके केबिन में हाथ बंधे खड़ा हो गया, मैडम और सर मेरे सामने ही बैठे थे;
बॉस: अच्छा ये बताओ की रेज क्यों चाहिए तुम्हें? पार्ट टाइम टूशन तो तुम पढ़ा ही रहे हो और अभी सिंगल हो तो तुम्हारा खर्चा ही क्या है?
मैं: सर २०,०००/- की सैलरी में ८,०००/- तो रेंट है, घर का खर्चा जिसमें खाना-पीना, बिजली-पानी सब जोड़-जाड कर ६-७ हजार हो जाता हे. बाइक का तेल-पानी और मेंटेनेंस १५००/-,तो बचे ३,५००/-! तीन साल में मेरी सेविंग कुछ ६०-६५ हजार ही हुई हे. घर तो मैं ने पैसे भेजना बंद कर दिए! अब आप ही बताइये की आगे शादी करूँगा तो घर कैसे चलेगा मेरा?
मेरा जवाब सुन कर मैडम के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई पर सर के पास कोई जवाब नहीं बचा था.
बॉस: ठीक है मैं २०००/- बढ़ा देता हूँ!
मैं: सॉरी सर! एटलीस्ट मुझे ५,०००/- का रेज चाहिए. (अब मैं बार्गेन करने पर उत्तर आया तो मैडम के चेहरे पर और मुस्कराहट छा गई.)
बॉस: क्या? मैं इतना रेज नहीं कर सकता.
मैं: सर मार्किट में ३०,०००/- का ऑफर मिल रहा है मुझे, मैं तो फिर भी आपसे २५,०००/- मांग रहा हूँ, वो भी ३ साल बाद! हर साल अगर २०००/- भी बढ़ाते तो भी अभी आपको ६,०००/- बढ़ाने पड़ते!
बॉस: नहीं! ३,०००/- बढ़ा दूँगा इससे ज्यादा नहीं!
मैं: सर आप रस्तोगी जी को ३५,०००/- देते हैं, ना तो वो ऑफिस से बाहर का काम करते हैं ना ही ऑफिस के अंदर रह कर कोई काम करते हे. जब तक आप उन्हें चार बार न कह दें वो फाइल खत्म करते ही नही.
बॉस: उनकी फॅमिली है, बच्चे हैं!
मैं: तो सर काबिलियत का कोई मोल नहीं? अगर फॅमिली का ही मोल है तो मैं अपने सारे परिवार को यहीं बुला लेता हूँ! फिर तो मुझे ज्यादा पैसे मिलेंगे ना?
बॉस: क्या करोगे ५,०००/- बढ़वा के? तुम्हारे परिवार के पास इतनी जमीन है!
मैं: सर मैं उनके टुकड़ों पर नहीं पलना चाहता, अपना अलग स्टैंड है मेरा. अगर जमीन ही देखनी होती तो मैं यहाँ २०,०००/-की नौकरी क्यो करता?
Incest अनैतिक संबंध
- rajsharma
- Super member
- Posts: 15829
- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: Incest अनैतिक संबंध
Read my all running stories
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
- rajsharma
- Super member
- Posts: 15829
- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: Incest अनैतिक संबंध
बॉस: चलो अगर मैं सैलरी बढ़ा दूँ तो तुम्हें ये शाम को जल्दी जाना बंद करना होगा!
मैं: सर मैं अगर जल्दी जाता हूँ तो वापस आ कर सारा काम खत्म कर देता हूँ और अगले दिन आपको फाइल टेबल पर मिलती हे. बाकी ऑफिस में सोमवार से शुक्रवार काम होता है मैं तो फिर भी ६ दिन आता हु.
बॉस ने ना में सर हिलाया और मैंने भी आगे कुछ नहीं कहा और वापस अपने डेस्क पर बैठ गया और काम करने लगा. शाम को मैंने इनवॉइस की फाइल सर को कम्पलीट कर के दी और आशु से मिलने निकल पडा. आशु को जब ये सब बताया तो वो ये सुन कर मायूस हो गई. उसने अभी तक नितु मैडम से अपनी जॉब की बात नहीं की थी वरना बॉस मेरी सैलरी कतई रेज नहीं करता.क्योंकि उसे आशु का स्टिपेन्ड भी देना पड़ता और मेरी सैलरी रेज भी करनी पड़ती.
"लगता है आपके साथ ऑफिस में काम करना सपना रह जायेगा." उसने मायूस होते हुए कहा. मैंने आशु की ठुड्डी पकड़ के ऊपर उठाई और उसकी आँखों में ऑंखें डाले कहा; "ये अकेला ऑफिस तो नहीं है ना जहाँ हम दोनों साथ काम कर सकते हैं, ये नहीं तो कोई दूसरा ऑफिस सही."
पर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. करीबन एक हफ्ते बाद एक और एम्प्लोयी ने बॉस के काइयाँपन से तंग आ कर रिजाइन कर दिया. उसी दिन सर ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और कहा;
बॉस: राज मैं तुम्हारी सैलरी रेज कर रहा हूँ, लेकिन अगले महीने से!
मैं: ठीक है सर...थैंक यू!
मैं ख़ुशी-ख़ुशी बाहर आया और अपना काम करने लगा की तभी मैडम आ गईं; "अरे पार्टी कब दे रहे हो?"
"अगले महीने मॅडम ... सैलरी अगले महीने से बढ़ेगी!"
"ये ना!! सच्ची बहुत कंजूस हैं! चलो कोई बात नहीं अगले महीने पार्टी पक्की! अच्छा सुनो...वो प्रोजेक्ट के डिटेल आ गई हैं मेरे पास तो उस पर डिस्कशन करना है, लंच के बाद| ठीक है?
"जी मॅडम"
मैडम के जाते ही मैंने आशु को कॉल किया और उसे खुशखबरी दी और उसे नए प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया. "अभी के अभी मैडम को कॉल कर और कॉफ़ी पीने के बहाने कॉलेज के आस-पास बुला और उनसे जॉब की बात छेड़ और जैसे समझाया था वैसे ही बात करना." ये सुन कर आशु बहुत खुश हुई और उसने तुरंत ही मैडम को फ़ोन मिलाया और उसके कुछ देर बाद मैडम भी निकल गई. आगे जो कुछ हुआ उसके बारे में आशु ने मुझे खुद बताया;
आशु: हाई मॅडम!
नितु मैडम: हाई!!!
दोनों एक टेबल पर बैठ गए और मॅडम ने दो कॉफ़ी आर्डर की.
आशु: आई एम सॉरी टू बोदर यू मॅडम!
नितु मैडम: ओह नो नो नो… दॅट इज ओके! I अल्वेज लूक फॉर रिजन टू इस्केप फ्रॉम ऑफिस! सो व्हॉट डू यू डू? व्हेअर डू यू स्टे?
आशु: आई एम a बी कॉम स्टूडेंटअँड आई लिव्ह इन दीं हॉस्टेल नियरबाय. आई अक्च्युअली निड योवर हेल्प. उमम्म्म...…आई एम अक्च्युअली लूकिन फॉर सम वर्क. अक्च्युअली…उमम्म्म...…. आई डोन्ट वांट टू बी a बरडन ऑन माई फॅमिली…आई थोट आई कॅन … यू नो अर्न समथिंग…. अँड आई अर्न फ्रॉम दीं एक्सपिरियंस… कॅन यू हेल्प मी फाइन अ पार्ट टाइम जॉब? लाईक स्यातर्डे अँड संडे… शायद इन योवर कंपनी? हिअर इज माई १० अँड १२ मार्कशिट! (आशु ने बहुत सोच-सोच कर और घबराते हुए बोला.)
ये सुन कर मैडम कुछ सोच में पड़ गईं और फिर बोलीं;
नितु मैडम: ओके जॉईन मी फ्रॉम स्याटर्डे! आई ह्यावं a प्रोजेक्ट अँड I वाज थिंकइनg ऑफ समवन ऑफ योवर क्यालीबर टू वर्क विद. बट, स्टीपेंड विल् बी १,०००/- ओन्ली, सिन्स यू आर नॉट जोईनिंग अस फॉर ६ डे अ वीक!
आशु: नो प्रॉब्लेम मॅडम, दॅट इज नॉट एन इशू. शुक्रिया मॅडम! शुक्रिया!!!!
लंच के बाद जब मैडम आईं तो वो बहुत खुश लग रहीं थीं, उन्होंने मुझे और रेखा को अपने केबिन में बुलाया.
नितु मैडम: एक लड़की और हमें ज्वाइन कर रही है, पर वो सिर्फ शनिवार और रविवार ही आ पायेगी.
रेखा: क्यों मॅडम?
नितु मैडम: यार! काम ज्यादा है और यहाँ कोई भी नहीं है जो पी. पी. टी. और एक्सेल पर फटाफट काम करता हो. ये लड़की अभी स्टूडेंट है और कुछ काम सीखना चाहती हे. राज जी आप रविवार आ पाओगे? क्योंकि मंडे टू शनिवार तो ऑफिस का काम ही चलेगा पार्ट टाइम में आप दोनों काम करो तो मैं आपको कम्पेन्सेट भी करवा दुंगी.
मैं: ठीक है मॅडम ... नो प्रॉब्लेम.
राखी: ठीक है मॅडम ... कोई दिक्कत नही.
शाम को जब मैं और आशु मिले तो आज मैंने उसे कस कर अपनी बाहों में भर लिया. आशु को समझते देर ना लगी की उसकी नौकरी पक्की हो गई हे. मैंने उसे कुछ बातें साफ की, सब के सामने उसे मुझसे मेरा नाम ले कर बात करनी है और किसी को जरा भी शक नहीं होना चाहिए की हम दोनों एक दूसरे को जानते हैं.ये सुन कर आशु बहुत एक्साइट हो गई! कुछ दिन और बीते और आखिर शनिवार आ ही गया. आशु ने अपने हॉस्टल में आंटी जी से बात कर ली और उन्हें वही तर्क दिया जो उसने नितु मैडम को दिया था. आंटी जी ने बात कन्फर्म करने के लिए मुझे कॉल भी किया और मैंने उन्हें विश्वास दिला दिया की आशु कोई गलत काम नहीं कर रही है.पर उन्हें ये नहीं बताया की वो मेरी ही कंपनी में काम करेगी. शनिवार सुबह मैं जल्दी से ऑफिस पहुँच गया.ठीक १० बजे आशु की एंट्री हुई. नारंगी रंग के सूट में आज आशु क़यामत लग रही थी.
आशु को देखते ही ये बोल अपने आप मेरे मुँह से निकलने लगे;
"एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे
खिलता गुलाब, जैसे
शायर का ख्वाब, जैसे
उजली किरन, जैसे
बन में हिरन, जैसे
चाँदनी रात, जैसे
नरमी बात, जैसे
मन्दिर में हो एक जलता दिया. हो!"
मेरी बगल में ही राखी खड़ी थी और ये गाना सुनते ही मुझे कोहनी मारते हुए बोली; "क्या बात है राज जी?!!" अब मुझे कैसे भी बात को संभालना था तो मैंने बात बनाते हुए कहा; "सच में यार ये हूर-परी कौन है?"
"पता नहीं! चलो न चल के इंट्रो लेते हैं इसका." राखी ने खुश होते हुए कहा.
"ना यार! कहीं बॉस की कोई रिश्तेदार निकली तो सर क्लास लगा देंगे दोनों की." अभी हम दोनों ये बात कर ही रहे थे की आशु के ठीक पीछे से नितु मैडम और सर आ गये. और उन्हें देख कर हम दोनों अपने-अपने डेस्क पर चले गये. मैडम ने बॉस से आशु का इंट्रो कराया और बताया की प्रोजेक्ट के लिए आशु ने 'एज अ ट्रेनी' ज्वाइन किया हे. फिर मैडम ने मुझे और राखी को बुलाया और आशु से इंट्रो कराया; "आशु ये दोनों आपके टीम मेट्स हैं, राखी और राज " आशु ने राखी से हाथ मिलाया और मुझे हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा. ये देख कर राखी के चेहरे से हँसी छुप नहीं पाई और उसे हँसता देख मैडम ने उससे पूछा भी की वो क्यों हँस रही है पर वो बात को टाल गई. "और राज ये हैं डॉली , फर्स्ट ईयर कॉलेज स्टूडेंट हैं." अब मैंने भी अपनी हँसी किसी तरह छुपाई और बस "नमस्ते" कहा. ये देख कर आशु के चेहरे पर भी मुस्कराहट आ गई. "अरे हाँ..आपकी डायरी इन्हीं ने लौटाई थी." मैडम ने मुझे डायरी वाली बात याद दिलाई| "ओह्ह! रियली!!! शुक्रिया डॉली जी!!" मैंने मुस्कुरा कर आशु को थैंक यू कहा.
मैं: सर मैं अगर जल्दी जाता हूँ तो वापस आ कर सारा काम खत्म कर देता हूँ और अगले दिन आपको फाइल टेबल पर मिलती हे. बाकी ऑफिस में सोमवार से शुक्रवार काम होता है मैं तो फिर भी ६ दिन आता हु.
बॉस ने ना में सर हिलाया और मैंने भी आगे कुछ नहीं कहा और वापस अपने डेस्क पर बैठ गया और काम करने लगा. शाम को मैंने इनवॉइस की फाइल सर को कम्पलीट कर के दी और आशु से मिलने निकल पडा. आशु को जब ये सब बताया तो वो ये सुन कर मायूस हो गई. उसने अभी तक नितु मैडम से अपनी जॉब की बात नहीं की थी वरना बॉस मेरी सैलरी कतई रेज नहीं करता.क्योंकि उसे आशु का स्टिपेन्ड भी देना पड़ता और मेरी सैलरी रेज भी करनी पड़ती.
"लगता है आपके साथ ऑफिस में काम करना सपना रह जायेगा." उसने मायूस होते हुए कहा. मैंने आशु की ठुड्डी पकड़ के ऊपर उठाई और उसकी आँखों में ऑंखें डाले कहा; "ये अकेला ऑफिस तो नहीं है ना जहाँ हम दोनों साथ काम कर सकते हैं, ये नहीं तो कोई दूसरा ऑफिस सही."
पर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. करीबन एक हफ्ते बाद एक और एम्प्लोयी ने बॉस के काइयाँपन से तंग आ कर रिजाइन कर दिया. उसी दिन सर ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और कहा;
बॉस: राज मैं तुम्हारी सैलरी रेज कर रहा हूँ, लेकिन अगले महीने से!
मैं: ठीक है सर...थैंक यू!
मैं ख़ुशी-ख़ुशी बाहर आया और अपना काम करने लगा की तभी मैडम आ गईं; "अरे पार्टी कब दे रहे हो?"
"अगले महीने मॅडम ... सैलरी अगले महीने से बढ़ेगी!"
"ये ना!! सच्ची बहुत कंजूस हैं! चलो कोई बात नहीं अगले महीने पार्टी पक्की! अच्छा सुनो...वो प्रोजेक्ट के डिटेल आ गई हैं मेरे पास तो उस पर डिस्कशन करना है, लंच के बाद| ठीक है?
"जी मॅडम"
मैडम के जाते ही मैंने आशु को कॉल किया और उसे खुशखबरी दी और उसे नए प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया. "अभी के अभी मैडम को कॉल कर और कॉफ़ी पीने के बहाने कॉलेज के आस-पास बुला और उनसे जॉब की बात छेड़ और जैसे समझाया था वैसे ही बात करना." ये सुन कर आशु बहुत खुश हुई और उसने तुरंत ही मैडम को फ़ोन मिलाया और उसके कुछ देर बाद मैडम भी निकल गई. आगे जो कुछ हुआ उसके बारे में आशु ने मुझे खुद बताया;
आशु: हाई मॅडम!
नितु मैडम: हाई!!!
दोनों एक टेबल पर बैठ गए और मॅडम ने दो कॉफ़ी आर्डर की.
आशु: आई एम सॉरी टू बोदर यू मॅडम!
नितु मैडम: ओह नो नो नो… दॅट इज ओके! I अल्वेज लूक फॉर रिजन टू इस्केप फ्रॉम ऑफिस! सो व्हॉट डू यू डू? व्हेअर डू यू स्टे?
आशु: आई एम a बी कॉम स्टूडेंटअँड आई लिव्ह इन दीं हॉस्टेल नियरबाय. आई अक्च्युअली निड योवर हेल्प. उमम्म्म...…आई एम अक्च्युअली लूकिन फॉर सम वर्क. अक्च्युअली…उमम्म्म...…. आई डोन्ट वांट टू बी a बरडन ऑन माई फॅमिली…आई थोट आई कॅन … यू नो अर्न समथिंग…. अँड आई अर्न फ्रॉम दीं एक्सपिरियंस… कॅन यू हेल्प मी फाइन अ पार्ट टाइम जॉब? लाईक स्यातर्डे अँड संडे… शायद इन योवर कंपनी? हिअर इज माई १० अँड १२ मार्कशिट! (आशु ने बहुत सोच-सोच कर और घबराते हुए बोला.)
ये सुन कर मैडम कुछ सोच में पड़ गईं और फिर बोलीं;
नितु मैडम: ओके जॉईन मी फ्रॉम स्याटर्डे! आई ह्यावं a प्रोजेक्ट अँड I वाज थिंकइनg ऑफ समवन ऑफ योवर क्यालीबर टू वर्क विद. बट, स्टीपेंड विल् बी १,०००/- ओन्ली, सिन्स यू आर नॉट जोईनिंग अस फॉर ६ डे अ वीक!
आशु: नो प्रॉब्लेम मॅडम, दॅट इज नॉट एन इशू. शुक्रिया मॅडम! शुक्रिया!!!!
लंच के बाद जब मैडम आईं तो वो बहुत खुश लग रहीं थीं, उन्होंने मुझे और रेखा को अपने केबिन में बुलाया.
नितु मैडम: एक लड़की और हमें ज्वाइन कर रही है, पर वो सिर्फ शनिवार और रविवार ही आ पायेगी.
रेखा: क्यों मॅडम?
नितु मैडम: यार! काम ज्यादा है और यहाँ कोई भी नहीं है जो पी. पी. टी. और एक्सेल पर फटाफट काम करता हो. ये लड़की अभी स्टूडेंट है और कुछ काम सीखना चाहती हे. राज जी आप रविवार आ पाओगे? क्योंकि मंडे टू शनिवार तो ऑफिस का काम ही चलेगा पार्ट टाइम में आप दोनों काम करो तो मैं आपको कम्पेन्सेट भी करवा दुंगी.
मैं: ठीक है मॅडम ... नो प्रॉब्लेम.
राखी: ठीक है मॅडम ... कोई दिक्कत नही.
शाम को जब मैं और आशु मिले तो आज मैंने उसे कस कर अपनी बाहों में भर लिया. आशु को समझते देर ना लगी की उसकी नौकरी पक्की हो गई हे. मैंने उसे कुछ बातें साफ की, सब के सामने उसे मुझसे मेरा नाम ले कर बात करनी है और किसी को जरा भी शक नहीं होना चाहिए की हम दोनों एक दूसरे को जानते हैं.ये सुन कर आशु बहुत एक्साइट हो गई! कुछ दिन और बीते और आखिर शनिवार आ ही गया. आशु ने अपने हॉस्टल में आंटी जी से बात कर ली और उन्हें वही तर्क दिया जो उसने नितु मैडम को दिया था. आंटी जी ने बात कन्फर्म करने के लिए मुझे कॉल भी किया और मैंने उन्हें विश्वास दिला दिया की आशु कोई गलत काम नहीं कर रही है.पर उन्हें ये नहीं बताया की वो मेरी ही कंपनी में काम करेगी. शनिवार सुबह मैं जल्दी से ऑफिस पहुँच गया.ठीक १० बजे आशु की एंट्री हुई. नारंगी रंग के सूट में आज आशु क़यामत लग रही थी.
आशु को देखते ही ये बोल अपने आप मेरे मुँह से निकलने लगे;
"एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे
खिलता गुलाब, जैसे
शायर का ख्वाब, जैसे
उजली किरन, जैसे
बन में हिरन, जैसे
चाँदनी रात, जैसे
नरमी बात, जैसे
मन्दिर में हो एक जलता दिया. हो!"
मेरी बगल में ही राखी खड़ी थी और ये गाना सुनते ही मुझे कोहनी मारते हुए बोली; "क्या बात है राज जी?!!" अब मुझे कैसे भी बात को संभालना था तो मैंने बात बनाते हुए कहा; "सच में यार ये हूर-परी कौन है?"
"पता नहीं! चलो न चल के इंट्रो लेते हैं इसका." राखी ने खुश होते हुए कहा.
"ना यार! कहीं बॉस की कोई रिश्तेदार निकली तो सर क्लास लगा देंगे दोनों की." अभी हम दोनों ये बात कर ही रहे थे की आशु के ठीक पीछे से नितु मैडम और सर आ गये. और उन्हें देख कर हम दोनों अपने-अपने डेस्क पर चले गये. मैडम ने बॉस से आशु का इंट्रो कराया और बताया की प्रोजेक्ट के लिए आशु ने 'एज अ ट्रेनी' ज्वाइन किया हे. फिर मैडम ने मुझे और राखी को बुलाया और आशु से इंट्रो कराया; "आशु ये दोनों आपके टीम मेट्स हैं, राखी और राज " आशु ने राखी से हाथ मिलाया और मुझे हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा. ये देख कर राखी के चेहरे से हँसी छुप नहीं पाई और उसे हँसता देख मैडम ने उससे पूछा भी की वो क्यों हँस रही है पर वो बात को टाल गई. "और राज ये हैं डॉली , फर्स्ट ईयर कॉलेज स्टूडेंट हैं." अब मैंने भी अपनी हँसी किसी तरह छुपाई और बस "नमस्ते" कहा. ये देख कर आशु के चेहरे पर भी मुस्कराहट आ गई. "अरे हाँ..आपकी डायरी इन्हीं ने लौटाई थी." मैडम ने मुझे डायरी वाली बात याद दिलाई| "ओह्ह! रियली!!! शुक्रिया डॉली जी!!" मैंने मुस्कुरा कर आशु को थैंक यू कहा.
Read my all running stories
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
- rajsharma
- Super member
- Posts: 15829
- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: Incest अनैतिक संबंध
मेरा आशु को डॉली कहने से उसे थोड़ा अटपटा सा लगा जो उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था.खेर मैडम ने आशु को ब्रीफ करने के लिए हम दोनों तीनों को अपने केबिन में बुलाया और आशु को राखी के साथ प्लानिंग और एनालिसिस में लगा दिया और मेरा काम इनकी प्लानिंग और एनालिसिस के हिसाब से पी. पी. टी. और एक्सेल शीट तैयार करना था. अभी चूँकि मुझे पहले बॉस का काम करना था तो मैं उसी काम में लगा था. पर मेरी नजरें काम में कम और आशु पर ज्यादा थी. आशु को वादा करने से पहले मैं कभी-कभी चाय-सुट्टा पीता था. उसी वक़्त राखी भी आ जाया करती थी पर वो सिर्फ चाय ही पीती थी. आज भी वही हुआ, राखी खुद भी आईं और साथ में आशु को भी ले आई.
राखी: अरे मुझे क्यों नहीं बोला की आप चाय पीने जा रहे हो?
मैं: आप लोग बिजी थे! (मैंने आशु की तरफ देखते हुए कहा और मुझे अपनी तरफ देखता हुआ पा कर आशु का सर शर्म से झुक गया.)
राखी: अच्छा?? (मेरे आशु को देखते हुए राखी ने जान कर अच्छा शब्द बहुत खींच कर बोला. जिसे सुन आशु की हँसी छूट गई.)
मैं: और बाताओ क्या-क्या सीखा रहे हो आप डॉली जी को? (मैंने इस बार राखी की तरफ देखते हुए कहा.)
राखी: घंटा! मैडम तो बोल गई की प्लानिंग करो एनालिसिस करो पर साला करना कैसे है ये कौन बताएगा? (राखी के मुँह से 'घंटा' शब्द सुन आशु हैरान हो गई.)
मैं: तो २ घंटे से दोनों कर क्या रहे थे?
राखी: कुछ नहीं.... कुछ इधर-उधर की बातें.आपकी बातें!!! (राखी ने मुझे छेड़ते हुए कहा.)
मैं: मेरी बातें?
राखी: और क्या? जब मैं पहलीबार ज्वाइन हुई तब मुझसे तो आपने कभी बात नहीं की? और डॉली को देखते ही गाना निकल गया मुँह से?
ये सुन कर मैं जानबूझ कर शर्मा गया और आशु हैरानी से आँखें बड़ी करके मुझे देखने लगी.
आशु: कौन सा गाना गए रहे थे सर?
राखी: एक लड़की को देखा तो....
मैं कुछ नहीं बोला और एक घूँट में सारी चाय पी कर वापस ऊपर आ गया, और मुझे जाता हुआ देख राखी ठहाके मार के हँसने लगी. आज आशु के मुझे 'सर' कहने पर मुझे एक अजीब सी ख़ुशी हुई और वो भी शायद समझ गई थी. लंच के बाद मैं दोनों के साथ रिसर्च, प्लानिंग और एनालिसिस में उनके साथ लग गया.मैंने दोनों को पुराना डाटा दिखाया और उसकी मदद से रेश्यो निकालना बता कर मैं अपने डेस्क पर वापस आ गया.कुछ देर बाद नितु मैडम भी आईं और वो भी मेरे इस बदले हुए बर्ताव से थोड़ा हैरान थी. उन्होंने मुझे दोनों की मदद करते हुए देख लिया था इसलिए मेरी सराहना करने से वो नहीं चूँकि; "अरे भैया तुम दोनों से ज्यादा होशियार है राज ! कुछ सीखो इनसे, अपना काम तो करते ही हैं साथ-साथ दूसरों की मदद भी करते हैं." ये बात मैडम ने रस्तोगी जी को सुनाते हुए कही.
शाम को जब जाने का नंबर आया तो मैं सोचने लगा की कैसे आशु को घर छोड़ूँ? अब मैं सामने से जा कर तो पूछ नहीं सकता था इसलिए मुझे कुछ न कुछ तो सोचना ही था! तभी मैडम ने उसे खुद ही लिफ्ट ऑफर कर दी और मैं बस आशु और मैडम को जाता हुआ देखता रहा. राखी पीछे से आई और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली; "आज लिफ्ट मिलेगी?" मैंने बस मुस्कुरा कर हाँ कहा और फिर आशु की जगह राखी को अपने पीछे बिठा कर उसके घर छोडा. मेरे घर पहुँचने के घंटे भर बाद आशु का वीडियो कॉल आया, वो बाथरूम में बैठे हुए खुसफुसाई;
आशु: आई लव यू जानू! उम्म म्म्म म...... मा....!!!!
मैं: क्या बात है बहुत खुश है आज?
आशु: जानू! बर्थडे के बाद आज का दिन मेरे लिए सबसे जबरदस्त था! कल के दिन के लिए सब्र नहीं कर सकती मैं|
मैं: अच्छा जी? जब मुझसे नाराज हुई थी और हमने पहली बार 'प्यार' किया था वो दिन जबरदस्त नहीं था? (मैंने आशु को छेड़ते हुए कहा.)
आशु: वो दिन तो मेरे जीवन का वो स्वरनािम दिन था जिसका बयान मैं कभी कर ही नहीं सकती. उस दिन तो हमने एक दूसरे को समर्पित कर दिया था. हमारा अटूट रिश्ता उसी दिन तो पूरा हुआ था.
मैं: वैसे आज मुझे तुम्हारे 'सर' कहने पर बड़ी अजीब सी फीलिंग हुई! पेट में तितलियाँ उड़ने लगी थी!
आशु: आपका नाम ले कर आपको पुकारने का मन नहीं हुआ, इसलिए मैंने आपको 'सर' कहा. एक बात तो बताइये, आपने सच में मुझे देख कर गाना गाय था?
मैं: हाँ, तू लग ही इतनी प्यारी रही थी की गाना अपने आप मेरे मुँह से निकल गया.
ये सुन कर आशु मुस्कुराने लगी. फिर इसी तरह हँसी-मजाक करते-करते खाने का समय हो गया और खाना मुझे ही बनाना था पर बुरा आशु को लग रहा था. "हमारी शादी जल्दी हुई होती तो मैं आपके लिए खाना बनाती." आशु ने नाराज होते हुए कहा. "जान! शादी के बाद जितना चाहे खाना बना लेना पर तब तक थोड़ा-बहुत एडजस्ट तो करना पड़ता हे." मैंने आशु को मनाते हुए कहा.
"वैसे कितना रोमांटिक होगा जब आप और मैं एक साथ एक ही ऑफिस जायेंगे?! स्टाफ के सारे लोग हमें देख कर जल-भून जायेंगे!" आशु की बात सुन कर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई.
"लोगों को जलाने में बहुत मजा आता हैं तुम्हें?" मैंने पूछा.
"अब आपके जैसा प्यार करने वाला हो तो जलाने में मजा तो आएगा ही." आशु ये कहते हुए हँसने लगी. तभी बाहर से सुमन की आवाज आई; "अरे अब क्या बाथरूम में बैठ कर एकाउंट्स के सवाल हल कर रही है?! जल्दी बाहर आ, खाना लग गया हे." आशु ने हड़बड़ा कर कॉल काटा और मुझे बहुत जोर से हँसी आ गई. बाद में उसका मैसेज आया; "बहुत मजा आता है ना आपको मेरे इस तरह छुप-छुप कर आपसे बात करने में?!" मैंने भी जवाब में हाँ लिखा और फ़ोन रख कर खाना बनाने लगा. खाना खा कर बड़ी मीठी नींद सोया और सुबह जल्दी से तैयार हो गया, सोचा की आज आशु को मैं ही ऑफिस ड्राप कर दूँ पर फिर याद आया की किसी ने देख लिया तो? तभी दिमाग में प्लान आया की मैं आशु को बस स्टैंड पर छोड़ दूँगा वहाँ से वो पैदल आ जायेगी. पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. आशु को मैडम ही लेने आ रही थी. मैं अपना मन मार के ऑफिस पहुँचा, पर वहां कोई नहीं था तो मैं नीचे चाय पीने लगा, तभी वहां राखी आ गई और वो भी मेरे साथ चाय पीने लगी.
राखी: अरे मुझे क्यों नहीं बोला की आप चाय पीने जा रहे हो?
मैं: आप लोग बिजी थे! (मैंने आशु की तरफ देखते हुए कहा और मुझे अपनी तरफ देखता हुआ पा कर आशु का सर शर्म से झुक गया.)
राखी: अच्छा?? (मेरे आशु को देखते हुए राखी ने जान कर अच्छा शब्द बहुत खींच कर बोला. जिसे सुन आशु की हँसी छूट गई.)
मैं: और बाताओ क्या-क्या सीखा रहे हो आप डॉली जी को? (मैंने इस बार राखी की तरफ देखते हुए कहा.)
राखी: घंटा! मैडम तो बोल गई की प्लानिंग करो एनालिसिस करो पर साला करना कैसे है ये कौन बताएगा? (राखी के मुँह से 'घंटा' शब्द सुन आशु हैरान हो गई.)
मैं: तो २ घंटे से दोनों कर क्या रहे थे?
राखी: कुछ नहीं.... कुछ इधर-उधर की बातें.आपकी बातें!!! (राखी ने मुझे छेड़ते हुए कहा.)
मैं: मेरी बातें?
राखी: और क्या? जब मैं पहलीबार ज्वाइन हुई तब मुझसे तो आपने कभी बात नहीं की? और डॉली को देखते ही गाना निकल गया मुँह से?
ये सुन कर मैं जानबूझ कर शर्मा गया और आशु हैरानी से आँखें बड़ी करके मुझे देखने लगी.
आशु: कौन सा गाना गए रहे थे सर?
राखी: एक लड़की को देखा तो....
मैं कुछ नहीं बोला और एक घूँट में सारी चाय पी कर वापस ऊपर आ गया, और मुझे जाता हुआ देख राखी ठहाके मार के हँसने लगी. आज आशु के मुझे 'सर' कहने पर मुझे एक अजीब सी ख़ुशी हुई और वो भी शायद समझ गई थी. लंच के बाद मैं दोनों के साथ रिसर्च, प्लानिंग और एनालिसिस में उनके साथ लग गया.मैंने दोनों को पुराना डाटा दिखाया और उसकी मदद से रेश्यो निकालना बता कर मैं अपने डेस्क पर वापस आ गया.कुछ देर बाद नितु मैडम भी आईं और वो भी मेरे इस बदले हुए बर्ताव से थोड़ा हैरान थी. उन्होंने मुझे दोनों की मदद करते हुए देख लिया था इसलिए मेरी सराहना करने से वो नहीं चूँकि; "अरे भैया तुम दोनों से ज्यादा होशियार है राज ! कुछ सीखो इनसे, अपना काम तो करते ही हैं साथ-साथ दूसरों की मदद भी करते हैं." ये बात मैडम ने रस्तोगी जी को सुनाते हुए कही.
शाम को जब जाने का नंबर आया तो मैं सोचने लगा की कैसे आशु को घर छोड़ूँ? अब मैं सामने से जा कर तो पूछ नहीं सकता था इसलिए मुझे कुछ न कुछ तो सोचना ही था! तभी मैडम ने उसे खुद ही लिफ्ट ऑफर कर दी और मैं बस आशु और मैडम को जाता हुआ देखता रहा. राखी पीछे से आई और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली; "आज लिफ्ट मिलेगी?" मैंने बस मुस्कुरा कर हाँ कहा और फिर आशु की जगह राखी को अपने पीछे बिठा कर उसके घर छोडा. मेरे घर पहुँचने के घंटे भर बाद आशु का वीडियो कॉल आया, वो बाथरूम में बैठे हुए खुसफुसाई;
आशु: आई लव यू जानू! उम्म म्म्म म...... मा....!!!!
मैं: क्या बात है बहुत खुश है आज?
आशु: जानू! बर्थडे के बाद आज का दिन मेरे लिए सबसे जबरदस्त था! कल के दिन के लिए सब्र नहीं कर सकती मैं|
मैं: अच्छा जी? जब मुझसे नाराज हुई थी और हमने पहली बार 'प्यार' किया था वो दिन जबरदस्त नहीं था? (मैंने आशु को छेड़ते हुए कहा.)
आशु: वो दिन तो मेरे जीवन का वो स्वरनािम दिन था जिसका बयान मैं कभी कर ही नहीं सकती. उस दिन तो हमने एक दूसरे को समर्पित कर दिया था. हमारा अटूट रिश्ता उसी दिन तो पूरा हुआ था.
मैं: वैसे आज मुझे तुम्हारे 'सर' कहने पर बड़ी अजीब सी फीलिंग हुई! पेट में तितलियाँ उड़ने लगी थी!
आशु: आपका नाम ले कर आपको पुकारने का मन नहीं हुआ, इसलिए मैंने आपको 'सर' कहा. एक बात तो बताइये, आपने सच में मुझे देख कर गाना गाय था?
मैं: हाँ, तू लग ही इतनी प्यारी रही थी की गाना अपने आप मेरे मुँह से निकल गया.
ये सुन कर आशु मुस्कुराने लगी. फिर इसी तरह हँसी-मजाक करते-करते खाने का समय हो गया और खाना मुझे ही बनाना था पर बुरा आशु को लग रहा था. "हमारी शादी जल्दी हुई होती तो मैं आपके लिए खाना बनाती." आशु ने नाराज होते हुए कहा. "जान! शादी के बाद जितना चाहे खाना बना लेना पर तब तक थोड़ा-बहुत एडजस्ट तो करना पड़ता हे." मैंने आशु को मनाते हुए कहा.
"वैसे कितना रोमांटिक होगा जब आप और मैं एक साथ एक ही ऑफिस जायेंगे?! स्टाफ के सारे लोग हमें देख कर जल-भून जायेंगे!" आशु की बात सुन कर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई.
"लोगों को जलाने में बहुत मजा आता हैं तुम्हें?" मैंने पूछा.
"अब आपके जैसा प्यार करने वाला हो तो जलाने में मजा तो आएगा ही." आशु ये कहते हुए हँसने लगी. तभी बाहर से सुमन की आवाज आई; "अरे अब क्या बाथरूम में बैठ कर एकाउंट्स के सवाल हल कर रही है?! जल्दी बाहर आ, खाना लग गया हे." आशु ने हड़बड़ा कर कॉल काटा और मुझे बहुत जोर से हँसी आ गई. बाद में उसका मैसेज आया; "बहुत मजा आता है ना आपको मेरे इस तरह छुप-छुप कर आपसे बात करने में?!" मैंने भी जवाब में हाँ लिखा और फ़ोन रख कर खाना बनाने लगा. खाना खा कर बड़ी मीठी नींद सोया और सुबह जल्दी से तैयार हो गया, सोचा की आज आशु को मैं ही ऑफिस ड्राप कर दूँ पर फिर याद आया की किसी ने देख लिया तो? तभी दिमाग में प्लान आया की मैं आशु को बस स्टैंड पर छोड़ दूँगा वहाँ से वो पैदल आ जायेगी. पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. आशु को मैडम ही लेने आ रही थी. मैं अपना मन मार के ऑफिस पहुँचा, पर वहां कोई नहीं था तो मैं नीचे चाय पीने लगा, तभी वहां राखी आ गई और वो भी मेरे साथ चाय पीने लगी.
Read my all running stories
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
- rajsharma
- Super member
- Posts: 15829
- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: Incest अनैतिक संबंध
Read my all running stories
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
-
- Novice User
- Posts: 323
- Joined: 01 Aug 2016 21:16
Re: Incest अनैतिक संबंध
मस्ती से लबालब अपडेट