विवाह compleet

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rajsharma
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विवाह compleet

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विवाह

(लेखक – कथा प्रेमी)




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पात्र परिचय:
लीना: होने वाली बहू. उमर बाईस साल, एक सुंदर आकर्षक कन्या. नौकरी ढूँढ रही है क्योंकि आज कल अच्छा वर मिलने मे नौकरी से काफ़ी मदद मिलती है. माता पिता अब इस संसार मे नही हैं, अपने छोटे भाई के साथ मामा मामी के यहाँ रहती है.

अक्षय: लीना का छोटा भाई, अभी अभी दसवी पास हुआ है.

अनिल: होने वाला वर. उमर सत्ताईस, एमबीए, एक एमएनसी मे अच्छी नौकरी है. परदेस मे पोस्टिंग है.

नीलिमा: अनिलकी बड़ी बहन. बत्तीस साल उमर है, अब तक शादी नही की! सॉफ्टवेर कंपनी मे मॅनेजर है

सुलभा: अनिल और नीलिमा की सौतेली मा. उमर सैंतालीस.


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अक्षय (साला) दीदी की शादी पक्की हो गयी है. अच्छे लोग लगते हैं. काफ़ी मालदार भी हैं. यहाँ जिमखाना रोड पर बड़ा बंगला है. आए भी थे बड़ी टोयोटा कार मे. अच्छा हुआ, दीदी फालतू मे टेन्षन कर रही है. वैसे मुझे भी कोई बहुत अच्छा नही लग रहा है. याने शादी अच्छे घर मे होना ये खुशी की बात है पर दीदी दूर जा रही है यह सहन नही हो रहा है. दीदी की शादी कभी ना कभी होगी यह तो मुझे मालूमा था पर अब जब सच मे हो रही है, तो मुझे अजीब सा लग रहा है. दीदी का होने वाला पति याने मेरे होने वाले जीजाजी काफ़ी हॅंडसम लगते हैं, फिर भी मुझे ना जाने क्यों कुछ दाल मे काला लग रहा है. जीजाजी दीदी की ओर ज़्यादा देख
ही नही रहे थे, इधर उधर ही देख रहे थे. अब लड़की देखने आए हैं और वो भी मेरी दीदी जैसी खूबसूरत लड़की तो कोई भी सोचेगा कि वर महाशय होने वाली बहू को ताकेंगे पर जीजाजी का ध्यान तो और ही कहीं था. कभी अपनी मा और बड़ी बहन की ओर देखते तो उनकी आँखों मे एक अजीब सी चमक आ जाती थी. ना जाने किन ख़यालों मे खोए थे.

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: विवाह

Post by rajsharma »


एक बार तो मुझे भी घूर रहे थे. नज़र मिली तो मुस्करा दिए. वैसे स्वाभाव अच्छा है. काफ़ी मीठी बातें करते हैं. वैसे दीदी की ससुराल के सभी लोग हाइ क्लास लगे. किसी ने भी ऐसा नही दर्शाया कि वे लड़के वाले हैं. दीदी बेचारी टेन्षन मे थी. नौकरी नही करती ना, आजकल सबको नौकरी वाली बहू चाहिए. और हमारे घर की आर्थिक परिस्थिति भी कोई बहुत अच्छी नही है. सामने वाले इतने पैसे
वाले हैं, कम से कम नौकरी होती तो .... पर दीदी की होने वाली सास ने उसकी सारी परेशानी दूर कर दी. बड़े प्रेम से लीना दीदी से बोली. "अरे लीना बेटी, नौकरी करना है या नही ये तेरे उपर है. हमे कोई परेशानी नही है. करना चाहती है तो कर, नही तो कोई बात नही. घर मे ही रह मेरे साथ. समय कैसे कटेगा पता ही नही चलेगा. हमारे घर मे वैसे भी काफ़ी 'कामा' रहता है" और अपनी बेटी नीलिमा की ओर देख कर हंस डी. नीलिमा भी मंद मंद मुस्करा रही थी. उन्हे दीदी पसंद थी ये सॉफ था. अच्छा हुआ. मामाजी बेचारे ज़्यादा खर्च नही कर सकते शादी मे. हम दोनो को याने लीना दीदी और मुझे पाला पोसा, बड़ा किया, यही बहुत है. और कोई होता तो कहीं भी ज़बरदस्ती शादी कर देता बिन मा बाप की लड़की की. पर मामाजी ने जहाँ भी बात चलाई वह परिवार देख कर. बोले कि इतनी सुंदर भांजी है मेरी, अच्छी जगह ही ब्याहेंगे. वैसे बाद मे मामाजी बता रहे थे कि असल मे यह मँगनी थी. उन्होने दीदी को कहीं देख लिया था और उन्हे वह बहुत पसंद आई थी. इसलिए उन्होने किसी के हाथ से संदेसा भिजवाया कि बात चलाएँ. वैसे है ही मेरी दी इतनी सेक्सी ... मेरा मतलब है सुंदर! वैसे अनिल जीजाजी की बड़ी बहन नीलिमा भी बहुत स्मार्ट है. क्या मस्त सलवार कमीज़ पहनी थी! उसके तने हुए मम्मे कैसे उभर कर दिख रहे थे कमीज़ मे से! वैसे मुझे ऐसी बातें सोचना नही चाहिए. दीदी की
बड़ी ननद है वह. पर क्या फिगर है उसका, मस्त तने मम्मे तो हैं ही, कमर के नीचे .... मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए, मेरा मन ज़्यादा ही बहकता है. पर इसकी ज़िम्मेदार लीना दीदी की खूबसूरत जवानी ही है! मुझे दीवाना कर दिया है, मुझे ऐसी ऐसी आदतें लगा दी हैं, आख़िर मैं भी क्या करूँ! नीलिमाजी भी लीना दीदी को बराबर घूर रही थी, जैसे लड़की देखने का काम उसी का हो,
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Re: विवाह

Post by rajsharma »

जीजाजी का नही. लीना दीदी की होने वाली सास, सुलभाजी भी काफ़ी मिलनसार लग रही थी. कोई कह नही सकता कि वी जीजाजी की और नीलिमा की सौताली मा होंगी. एक तो उतनी बड़ी उमर भी नही है, और उपर से दिखने मे भी काफ़ी ठीक हैं, ठीक क्या मस्त ही हैं. साड़ी साड़ी पहनी थी पर एकदम टिप टॉप दिख रही थीं. काफ़ी मॉडर्न विचारो की लगती हैं. उनकी ब्रा की पट्टी ब्लाउज़ मे से दिख रही थी, मज़ा आ रहा था ...अरे बाप रे ... मैं ये क्या सोच रहा हूँ! दीदी को पता चल गया तो मार ही डालेगी मुझे.
दीदी ... ओह दीदी .... तुम्हारी शादी होने के बाद मैं क्या करूँगा ......

लीना (दुल्हन)कुछ समझ मे नही आता क्या करूँ! लड़के वालोने हां कह दी है, अब मैं भी कुछ कह नही सकती, मामाजी क्या कहेंगे! वैसे मना करने का कोई बहाना भी नही है मेरे पास. अच्छे लोग हैं, इतने रईस हैं. अनिल भी कितना इंप्रेस्सिव है. दिखने मे भी बहुत हॅंडसम है पर फिर भी मेरे उसके बीच मे कोई चिनगारी नही उड़ी, स्पार्क नही हुआ. ज़रा ठंडे ठंडे लग रहे थे, मुझे देख कर क्या उनकी घंटी नही बजी? और यहाँ अक्षय को छोड़ कर जाना याने ... मेरा भैया .... मेरी आँखों का तारा .... मेरा सब कुछ ....कैसे रहूंगी उसके बिना! पर मैं हां करूँ या नही? वैसे सब यही समझ रहे हैं कि मेरी तरफ से हां है. ठीक है, ऐसा कुछ भी नही है कि कोई समझदार लड़की ना करे. मेरी होने वाली सास सुलभाजी ... मेरा मतलब है माजी और नीलिमा, मेरी ननद काफ़ी खुश लग रही थी. मुझसे कितने प्यार से बातें कर रही थी. नीलिमा तो इतना तक पूछ रही थी कि मुझे किस रंग के परदे पसंद हैं, वहाँ घर मे नये लगाने हैं, पुराने हो गये हैं! जैसे मैं उस घर की बहू बन ही गयी हूँ. माजी ने तो कितने प्यार से एक दो बार मेरे गालों को हाथ लगाया. उनकी आँखों मे इतना प्यार था कि मुझे लगा वहीं मुझे गोद मे लेकर चूम लेंगी क्या! अपने बेटे अनिल पर बहुत प्रेम है उन्हे. कोई कह नही सकता कि सौतेला बेटा है उनका. नीलिमा दीदी भी कितनी उत्सुकता से मेरी साड़ी देख रही थी. उसे बहुत अच्छी लगी, वैसे इतनी अच्छी है नही, साड़ी तो है! वह क्या पता क्यों उसे ज़्यादा ही भाव दे रही थी. मैं तो चौंक ही गयी थी जब अचानक उसका हाथ मेरे स्तन पर पड़ गया. देखा तो वह असल मे मेरे आँचल का डिज़ाइन देख रही थी. मैने राहत की साँस ली नही तो मैं और ही कुछ समझ बैठती.

यह सब अक्षय की वजह से है, उसी ने मुझे ये सब उलटी सीधी आदतें लगाई हैं. क्या पीछे पड़ता है मेरे .....मामाजी और मामी
के बाहर जाने की राह तकता रहता है और फिर ... बेचारे से असल मे अपनी जवानी का जोश कंट्रोल नही होता. आज भी कैसे घूर रहा था नीलिमा को और माजी को. मुझे भूल ही गया था नही तो रोज 'दीदी' 'दीदी' करते हुए मेरे आगे पीछे करता है. आज देखती हूँ, ऐसा मज़ा चखाऊन्गी कि रो देगा. वैसे उस बिचारे का कसूर नही है. नीलिमा और माजी दिखने मे सुंदर तो हैं ही, उनमे और भी कुछ है ....याने ... याने सेक्स अपील. फिर भी इस मूरख लड़के को उन्हे ऐसे घुरना नही था,
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Re: विवाह

Post by rajsharma »



उन्हे ज़रूर पता चल गया होगा कि वह क्या सोच रहा है.खैर जाने दो. अब शादी की तैयारी करनी पड़ेगी मुझे. अनिल कह रहा था कि वीसा मिलने मे एक साल लग जाएगा, तब तक मुझे यहीं माजी और नीलिमा के साथ रहना पड़ेगा. वह बीच बीच मे एक दो चक्कर लगा जाएगा. चलो ठीक है, मुझे भी अक्षय का साथ मिल जाएगा और कुछ दिन.


मैं तो उसे दोपहर को बुला लिया करूँगी, ख़ास कर अकेले मे. ननद रानी तो नौकरी पर जाती है रोज, माजी भी जाती होंगी किटी पार्टी या सोशियल वर्क पर. मैं और मेरा प्यारा भैया अक्षय अकेले उस घर मे ... ओह अहह मा & ...



अनिल (दूल्हा)

लड़की अच्छी है, अच्छी क्या, एकदम माल है! मा और दीदी को भी बहुत पसंद हैं. वे तो दीवानी हो गयी हैं अपनी होने वाली बहू पर. मुझे भी अच्छी लगी पर मेरी पसंद नापसंद का कोई ख़ास मतलब नही है, हां मा और दीदी को पसंद हो बस और कुछ नही चाहिए. आख़िर वह इस घर की बहू बनने वाली है, और मेरे बजाय अपनी सास और ननद के साथ ही ज़्यादा रहना है उसे. मा ने भी क्या चीज़ ढूंढी है! जैसी उसे चाहिए थी वैसी ही.

दिखने मे सुंदर और थोड़ी कम आमदनी के परिवार की. याने मैके का ज़्यादा सपोर्ट ना हो और ससुराल मे ही ज़्यादा रहे ऐसी, चाहे कुछ भी हो जाए. नीलिमा दीदी ने पूरी जानकारी निकालकर मा को दी थी. फिर मा ने अपनी चचेरी बहन के ज़रिए संदेसा भिजवाया लीना के मामाजी के यहाँ कि रिश्ते का न्योता लेकर हमारे यहाँ आएँ.

दोनो बहुत एग्ज़ाइटेड हैं. होनी भी चाहिए, मेरी शादी की फिकर मुझसे ज़्यादा उन्हे है. मैं भी खुश हूँ, मेरा काम हो गया, अब मैं जर्मनी वापस जा सकता हूँ. वहाँ वो साला हॅंडसम जेसन मेरी राह तकता होगा. उसके साथ बिताए समय की याद आते ही रोमाच सा हो उठता है, रोम रोम मचल उठता है, और भी बहुत कुछ मचलने लगता है ....

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Re: विवाह

Post by rajsharma »


पिछले साल जेसन से मिलने के बाद मेरी जिंदगी ही बदल गयी. मा और दीदी ने भी कितनी समझदारी दिखाई, ज़्यादा झगड़ा नही किया और मेरे और जेसन के संबंध को मन्जूरी दे दी. वैसे मैने उनकी काफ़ी सेवा की है बचपन से. मा और दीदी दोनो के प्रति मैने अपना कर्तव्य निभाया है, उन्हे अपनी तरफ से पूरा सुख देने की कोशिश की है. उन्होने भी मुझे वह सुख दिया है जो शायद ही किसी को मिलता होगा. इसलिए अब उनके सुख के लिए थोड़ा नाटक भी करना पड़े तो मैं करूँगा.
मुझे बस लीना के बारे मे सोच कर कभी कभी थोड़ा बुरा लगता है. उसे मैं फँसा रहा हूँ ऐसा लगता है. उस बेचारी पर ज़्यादती तो नही हो रही है ऐसा लगता है. मा और नीलिमा दीदी जैसे प्लान बना रहे हैं बहू की खातिर कि उन्हे सुनकर कभी कभी मुझे लगता है कि ये दोनो मिलकर बहू पर प्रेम करने वाली हैं या उसकी हालत खराब करने वाली हैं. पर लीना की हालत खराब ही होगी यह भी मैं पक्का नही कह सकता. हो सकता है लीना को भी उसमे बहुत आनंद आए! वह फँस भले ही रही हो पर उसे बहुत सुख भी मिलने वाला है यह निश्चित है. भले ही यह सुख अलग तरह का होगा. मा को मैं जानता हूँ कि इस काम मे वह कितनी कुशल है. मैं और दीदी बचपन से उसका स्वाद ले चुके हैं.



इसीलिए मैं मन को समझा लेता हूँ कि लीना के लिए ज़्यादा फिकर करने की ज़रूरत नही है. लीना भी कोई कम नही है. जिस तरह से वह अपने छोटे भाई की ओर देख रही थी, मैं सब समझ गया. वह छोकरा भी मा और दीदी की ओर देख रहा था. नीलिमा दीदी भी ग्रेट है! क्या तकलीफ़ दे रही थी बेचारे को. बार बार अपनी ओढनी खिसक जाने देती थी. अक्षय भले ही छोटा हो पर असली लावण्य की पहचान है साले को! मैने अनजाने मे प्यार से गाली दी, वैसे अब वह मेरा साला होने ही वाला है. यह छोकरा भी मस्त है. क्या चिकना है, लगता है भगवान ने ग़लती से लड़का बना दिया. जेसन देखेगा तो चढ बैठेगा. मुझे भी उसे देख देख कर लगाने लगा कि अभी .... पर पहली मुलाकात थी, वो भी उसकी बड़ी बहन को देखने की रश्म. वैसे मुझे वीसा के बहाने आना ही है दो महने बाद. तब तक लीना बेचारी अपनी सास और ननद की ठीक से सेवा करना सीख जाएगी. तभी मेरे इस प्यारे साले को बुला लेंगे सेवा करने को. बेचारे को बहुत लोगों की सेवा करना पड़ेगी. एक
तो उमर मे सब से छोटा है, दूसरा लड़की वाला है, लड़के वाले जो बोलेंगे करना पड़ेगा. वैसे मा और दीदी की सेवा करने मे उसे खुद भी बहुत मज़ा आएगा. मुझे तो लगता है कि साला आज कल अपनी बड़ी बहन की सेवा करता है रोज, कैसे देख रहा था लीना की ओर. आदत है उसे. अब मैं अपनी खातिर करवाऊन्गा.... आख़िर उसका जीजा हूँ. मेरा हुकम मानना ही पड़ेगा. कुछ नही तो लीना से कहकर ज़बरदस्ती करवाऊन्गा.


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