दोस्त का परिवार compleet

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rajsharma
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दोस्त का परिवार compleet

Post by rajsharma »

दोस्त का परिवार पार्ट--1


ये बात आज से 9-10 बरश पहले की हैं जब मेरी उमर 20-21 साल की थी. ऊन दिनो मैं बॉम्बे में रहता था. मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार सुखबिनेर रहने आया. वो किराए के मकान में अकेला रहता था. मेरी हम उमर का था इसलिए हम दोनो में गहरी दोस्ती होगयी. वो मुझ पर अधिक विस्वास रखता था क्योंकि में सरकारी कर्मचारी था और उस से ज़्यादा पड़ा लिखा था. वो एक प्राइवेट फॅक्टरी मे मशीन ऑपरेटर था. उसके परिवार में केवल 4 सदस्य थे. उसकी विधवा मा 41 साल की, विधवा भुवा (यानी की उसकी मा की सॅगी ननद) 35 साल की और उसकी कुवारि बहन 18-19 साल की थी. वे सब उसके गाओं मैं रहकर अपनी खेती बड़ी करते थे.


दीवाली वाकेशन में उसकी मा और बहन मुंबई में 1 महीने के लिए आए हुए थे. डिसेंबर में उसकी मा और बहन वापस गाओं जाने की ज़िद करने लगे. लेकिन काम अत्यधिक होने के कर्ण सुखबिंदर को 2 महीने तक कोई भी च्छुटी नही मिल सकती थी. इसलिए वो टेन्षन मे रहने लगा. वो चाहता था कि किसी का गाओं तक साथ हो तो वो मा और बहन को उसके साथ भेज सकता है. लेकिन किसी का भी साथ नही मिला.


सुखबिंदर को टेन्षन में देख कर मैने पुचछा, क्या बात सुखबिनेर, आज कल तुम ज़्यादा टेन्षन में रहते हो ?


सुखबिंदर: क्या करूँ यार, काम ज़्यादा होने के कारण मेरा ऑफीस मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं दे रही हैं और इधर मा गाओं जाने की ज़िद कर रही हैं. मैं चाहता हूँ कि अगर कोई गाओं तक किसी का साथ रहे तो मा और बहन अच्छी तरह से गाओं पहुँच जाएगी और मुझे भी चिंता नहीं रहेगी लेकिन गाओं तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा हैं ना ही मुझे छुट्टी मिल रही हैं इसलिए मैं काफ़ी टेन्षन में हूँ.


यार अगर तुम्हे इतराज़ ना हो तो मैं तुम्हारी प्राब्लम हाल कर सकता हूँ और मेरा भी फ़ायदा होज़ायगा.


सुखबिंदर : यार मैं तुमहरा यह आसहान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा आगर तुम मेरी प्राब्लम हाल कर दो तो. लेकिन यार कैसे तुम मेरी प्राब्लम हाल करोगे और कैसे तुमहरा फ़ायदा होगा ?


यार सरकारी दफ़्तर के अनुसार, मुझे साल में 1 महीने की छुट्टी मिलती हैं. अगर मैं छुट्टी लेता हूँ तो मुझे गाओं या कहीं भी जाने का आने जाने का किराया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती. अगर मैं छुट्टी ना लू तो 1 महीने की छुट्टी लप्स हो जाती है और कुच्छ नहीं मिलता हैं.


सुखबिंदर: यार तुम छुट्टी लेकर मा और बहन को गाओं पहुँचा दो इस बहाने तुम मेरा गाओं भी घूम आना.


अगले दिन ही मैने छुट्टी की लिए आवेदन पत्र देदिया और मेरी च्छुटी मंजूर होगयी.


सुखबिंदर चालू टिकेट लेकर हम दोनो को रेलवे स्टेशन पहुँचाने आया. हुँने टीटी को रिक्वेस्ट कर के किसी तरह 2 सीट अरेंज करली. गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुई. रात करीब 10 बजे हमने खाना खाया और गपशुप करने लगे. बहन ने कहा भाया मुझे नींद आरही हैं और वो उपर के बर्त पर सो गयी. कुच्छ देर बाद मा भी नीचे के बर्त पर चदडार औध कर सो गयी और कहा कि तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जाना. मुझे भी थोड़ी देर बाद नीद आने लगी और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया. सोने से पहले मैने पॅंट खोल कर शॉर्ट पहन लिया. मा अपने बाई तरफ करवट कर के सो गयी. कुच्छ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी उनका चदडार ओढ़ कर सोगया. अचानक रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली मैने देखा कि मा की सारी कमर के उपर थी और उनकी चूत घने झांतो के बीच च्छूपी थी. उनका हाथ मेरे शॉर्ट पर लंड के करीब था. यह सब देख कर मेरा लंड शॉर्ट के अंदर फड़फड़ने लगा. मैं कुच्छ भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ. मैं उठकर पैसाब करने चला गया. जब वापस आया मैं चदडार उठा कर देखा तो अभी तक मा उसी अवस्था मैं सोई थी. मैं भी उनकी तरफ करवट कर के सोगया लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. बार बार मेरी आँखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी. थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया वहाँ 5 मिनिट्स तक ट्रेन रुकी थी और मैं विचार कर रहा था कि क्या करूँ.


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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: दोस्त का परिवार

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जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाइट चली गयी मैने सोचा कि भगवान भी मेरा साथ दे रहा हैं. मैने अपना लंड शॉर्ट से निकाल कर लंड के सूपदे की टोपी नीचे सरका कर सूपदे पर ढेर सारा थूक लगा कर सूपदे को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा. गाड़ी के धक्के के कारण आधा सूपड़ा उनकी चूत मैं चला गया लेकिन मा की तरफ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद मैं थी या वो जनभूज़ कर कोई हरकत नही कर रही थी मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. एक बार तो मेरा दिल हुवा कि एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लंड चूत में डाल दूं लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिमत नहीं हुई. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोडा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लंड ने ढेर सारा फुवरा उनकी चूत और झांतो के उपर फेक दिया. अब मैं अपना लंड शॉर्ट मैं डाल कर सो गया. करीब सवेरे 7 बजे मा ने उठाया और कहा कि चाइ पीलो और तैयार हो जाओ क्यूंकी 1 घंटे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ्रेश हो कर तैयार होगया. स्टेशन आने तक मा बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम सुखबिंदर के घर पहुँचे. वहाँ पर सुखबिंदर की भुवा ने हमारा स्वागत किया और कहा नो धो कर नाश्ता कर्लो. हम नहा धो कर आँगन मैं बैठ कर नास्टा करने लगे. करीब 11:00 बजे भुवा ने मा से कहा “भाभी जी आप लोग थक गये होंगे, आप आराम कीजिए मैं खेत मैं जा रही हूँ और मैं शाम को लोटूगी. मा ने कहा ठीक हैं और मुझसे बोली अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर्लो नहीं तो भुवा के साथ जा कर खेत देख लेना. मैने कहा कि मैं आराम नहीं करूँगा क्यूकी मेरी नीद पूरी होगयी हैं, मैं भुवा के साथ खेत चला जाता हूँ वहाँ पर मेरा टाइम पास भी हो जाएगा.


मैं और भुवा खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगो ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था खेत की एक कोने मे एक छ्होटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी नही आता. खेत पहुँच कर भुवा काम मैं लग गयी और कहा कि तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लूँगी भी हैं चाहे तो लूँगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद करदो.


मैने मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लूंघी बनियान पहनकर भुवा जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी कभी मेरा हाथ भुवा के चूतर पर टच होता था. कुच्छ देर बाद बुवा से मैने पुछा, भुवा यहाँ कहीं पेसाब करने की जगह हैं ? भुवा बोली कि मकान के पिछे झाड़ियो में जाकर कर्लो. मैं जब पिसाब कर के वापस आया तो देखा भुवा अब भी काम कर रही थी. थोड़ी देर बाद भुवा बोली “आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फिर काम में लग जाते हैं” अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और भुवा दोनो ने पहले हाथ पैर धोए फिर खाना खाने बैठ गये. भुवा मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थी. खाना खाते समय मैने देखा कि मेरे लूँगी ज़रा साइड में हट गयी थी जिस कारण मेरे अंडरवेर से आधा निकला हुवा लंड दिखाई दे रहा था.


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Re: दोस्त का परिवार

Post by rajsharma »


और भुवा की नज़र बार बार मेरे लंड पर जा रही थी. लेकिन उन्होने कुच्छ नही कहा और बीच बीच मे उसकी नज़र मेरे लंड पर ही जा रही थी. खाना खाने के बाद भुवा बर्तन धोने लगी जब वो झुककर बर्तन धो रही थी तो मुझे उनके बड़े बड़े बूब्स सॉफ नज़र आ रहे थे. उन्होने केवल ब्लाउस पहना हुवा था. बर्तन धोने के बाद उन्होने कमरे मे आकर चटाई बिच्छा दी और बोली “चलो थोड़ी देर आराम करते हैं” मैं चटाई पर आकर लेट गया. भुवा बोली “बेटे आज तो बड़ी गर्मी हैं” कहा कर उन्होने अपनी सारी खोल दी और केवल पेटिकोट और ब्लाउस पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ करवट कर के लेट गयी.


आचनक मेरी नज़र उनके पेटिकोट पर गयी. उनकी दाहिनी ओर की कमर पर जहाँ पेटिकट का नाडा बँधा था वाहा पर काफ़ी गेप था और गेप से मैसे उनकी कुछ कुछ झांते दिखाई दे रही थी. अब मेरा लंड लूंघी के अंदर हरकत करने लगा. थोड़ी देर बाद भुवा ने करवट बदली तो मैने तुरंत आँखे बंद करके सोने का नाटक करने लगा. थोड़ी देर बाद भुवा उठी और मकान के पिछे चल पड़ी. मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया.


खिड़की बंद थी लेकिन उसमे एक सुराख था मैने सुराख पर आँख लगाकर देखा तो मकान का पिच्छला भाग सॉफ दिखाई दे रहा था. भुवा वहाँ बैठ कर पेसाब करने लगी पेशाब करने के बाद भुवा थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर उठकर मकान के अंदर आने लगी. फिर मैं तुरंत ही अपने स्थान पर आकर लेट गया. भुवा जब वापस मकान में आई तो मैं भी उठकर पिच्छली तरफ पेसाब करने चला गया. मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ लंड पकड़ कर पेसाब करने लगा मैने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और भुवा की नज़र मेरे लंड पर थी. पेसाब करके जब वापस आया तो देखा भुवा चित लेटी हुई थी. मेरे आने के बाद भुवा बोली बेटे आज मेरी कमर बहुत दुख रही हैं. क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो ? मैने कहा क्यों नही. उसने कहा ठीक हैं सामने तेल की शीशी पड़ी हैं उसे लाकर मेरी कमर की मालिश कर देना. और फिर वो पेट के बल लेट गयी.


मैं तेल लगा कर उनकी कमर की मालिश करने लगा. वो बोली बेटे थोड़ा नीचे मालिश करो. मैने कहा भुवा थोड़ा पेटिकोट का नाडा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटिकोट पर तेल भी नहीं लगेगा. भुवा ने पेटिकोट का नाडा ढीला कर दिया अब मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा. उन्होने और थोडा नीचे मालिश करने को कहा. मैं थोडा नीचे की तरफ मालिश करने लगा. थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली बस बेटे और नाडा बंद कर लेट गयी. मैं भी बगल में आकर लेट गया. अब मेरा दिल और दिमाग़ कैसे चोदा जाए यह विचार करने लगा. आधे घंटे के बाद भुवा उठी और सारी पहन कर अपने काम में लग गयी.


शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुँचे. घर पहुँचकर मैने कहा मा में बाजार जा रहा हूँ. 1 घंटे बाद आ जाउन्गा यह कहकर मैं बाज़ार की ओर निकल पड़ा रास्ते में मैने सराब की दुकान से बियर की बॉटल्स ले आया. घर आकर हाथ पैर धो कर केवल लूँगी पहन कर दूसरे कमरे में जाकर बियर पीने लगा.

एक घंटे में मैने 4 बॉटल बियर पी ली थी और बियर का नशा हावी होने लगा. इतने मे भुवा ने खाने के लिए आवाज़ लगाई. हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद मैं सिगरटे की दुकान जाकर सिगरटे पीने लगा जब वापस आया तो आँगन मे सब बैठ कर बातें कर रहे थे. मैं भी उनकी बातों मे शामिल होगया और हँसी मज़ाक करने लगा.


बातों बातों में भुवा मा से बोली “भाभी दीनू बेटा अच्छी मालिश करता हैं आज खेत में काम करते करते अचानक मेरी कमर मे दर्द उठा तो इसने अच्छी मालिश की और कुच्छ ही देर में मुझे आराम आगया” मा हंस पड़ी और मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखने लगी.

मैं कुच्छ नही कहा और सिर झुका लिया. करीब आधे घंटे के बाद बहन और भुवा सोने चली गयी. मैं और मा इधर उधर की बातें करते रहे. करीब रात 11 बजे मा बोली बेटा आज तो मेरे पैर दुख रहे हैं. क्या तुम मालिश करदोगे.


दीनू :हां क्यूँ नही. लेकिन आप केवल सुखी मालिश कारवाओगी या तेल लगाकर


मा: बेटा अगर तेल लगा कर करोगे तो आसानी होगी और आराम भी मिलेगा


दीनू : ठीक है, लेकिन तेल अगरसरसों का हो तो और भी अच्छा रहेगा और जल्दी आराम मिलेगा.


फिर मा उठ कर अपने कमरे मैं गयी और मुझे भी अपने कमरे में बुला लिया. मैने कहा आप चलिए मैं पेसाब करके आता हूँ. मैं जब पेसाब करके उनके कमरे में गया तो देखा मा अपनी सारी खोल रही थी. मुझे देख कर बोली बेटा तेल के दाग सारी पर ना लगे इसलिए सारी उतार रही हूँ. वो अब केवल ब्लाउस और पेटिकोट में थी और मैं बनियान और लूंघी में था. मा तेल की डिबी मुझे देकर बिस्तर पर सोगयी.
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Re: दोस्त का परिवार

Post by rajsharma »

मैं भी उनके पैर के पास बैठ कर उनके पैर से थोड़ा पेटिकोट उपर किया और तेल लगा कर मालिश करने लगा. मा बोली बेटा बड़ा आराम आरहा हैं. ज़रा पींडाली मैं ज़ोर लगा कर मालिश करो. मैं फिर उनका दायां पैर अपने कंधे में रख कर पिंडली में मालिश करने लगा. उनका एक पैर मेरे कंधे पर था और दूसरा नीचे था जिस कारण मुझे उनकी झांते और चूत के दर्शन हो रहे थे क्योनि मा ने अंडर पॅंटी नहीं पहनी थी वैसे भी देहाती लोग ब्रा और पॅंटी नहीं पहनते हैं.

क्रमशः...........


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Re: दोस्त का परिवार

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Dost ka pariwar paart--1


Ye baat aaj se 9-10 barash pahale ki hain jab meri umar 20-21 Saal ki thi. Oon dino main Bombay men rahata tha. Mere Makan ke bagal men Ek Naya Kirayedar Sukhbiner rahane aaya. Vo kiraye ke makan men Akela rahata tha. Meri Hum umar ka tha isliye hum dono men gahari dosti hogayee. Vo muz par adhik viswas rakhta tha kyonki men Sarkari Karmchari tha aur us se jyada pada likha tha. Vo ek private factory me Machine Operator tha. Uske parivar men keval 4 Sadasaya the. Uski Vidhawa Maa 41 saal ki, Vidhawa Bhuwa (Yani Ki Uski Maa ki saggi NANAD) 35 Saal Ki Aur uski Kuwanri Bahan 18-19 Saal Ki Thi. Ve sab uske Gaon main Rahakar apni kheti badi karte the.


Diwali vacation men uski Maa Aur Bahan Mumbai men 1 mahine ke liye aaye huye the. December men Uski Maa aur Bahan wapas Gaon jane ki jidh karne lage. Lekin kam atayadhik hone ke karn Sukhbinder ko 2 mahine tak koi bhi chhuti nahi mil sakti thi. Isliye wo tention me rahane laga. Wo chahata tha ki kisi ka Gaon tak sath ho to wo Maa aur Bahan ko uske saath bhej sakta hai. Lekin kisi ka bhi saath nahi mila.


Sukhbinder ko tention men dekh kar maine puchha, Kya baat sukhbiner, aaj kal tum jyada tention men rahate ho ?


Sukhbinder: Kya karun yaar, Kaam jyada hone ke karan mera office muze agale 2 mahine tak chhuti nahin de rahi hain Aur idhar Maa Gaon Jane ki Jidh kar rahi hain. Main chahata hun ki agar koi Gaon tak kisi ka saath rahe to Maa aur Bahan achhi tarah se Gaon pahunch jayegi aur muze bhi chinta nahin rahegi Lekin Gaon tak ka koi bhi saath nahin mil raha hain na hi muze chhuti mil rahi hain isliye main kafi tention men hun.


Yaar agar tume itaraz na ho to main tumahari problem hal karsaka hun aur mera bhi phayada hojayega.


Sukhbinder : Yaar main tumahara yeh aisahan jindagi bhar nahin bhulunga aagar tum meri problem hal kar do to. Lekin yaar kaise tum meri problem hal karoge aur kaise tumahara phayada hogo ?


Yaar Sarkari Daftar ke anusar, muze saal men 1 mahine ki chhuti milti hain. Agar main chutti leta hun to muze Gaon ya Kahin bhi jane ka Aane Jane ka kiraya bhi milta hai aur ek mahine ki pagar bhi milti. Agar Main chuti Na loo to 1 mahine ki chhuti lapes ho jati hai aur kuchh nahin milta hain.


Sukhbinder: Yaar tum chhuti lekar Maa aur bahan ko gaon pahuncha do is bahane tum mera gaon bhi ghum aana.


Agale din he maine chhuti ki liye aavedan patra dediya aur meri chhuti manjoor hogayee.


Sukhbinder ne chalu Ticket lekar hum dono ko railway station pahunchane aaya. Humne TT ko request kar ke kisi tarah 2 seat arrange karli. Gadi karib raat 8:40 par rawana huyee. Raat karib 10 baje humne khana khaya aur gapshup karne lage. Bahan ne kaha Bhaya muze neend aarahi hain aur vo upar ke birth par so gayee. Kuchh der bad maa bhi niche ke birth par chaddar audh kar so gayee aur kaha ki tum agar sona chahate ho to mere pair ke pass sir rakh kar so jana. Muze bhi thodi der bad need ane lagi aur main unke pair ke pass sir rakh kar so gaya. Sone se pahale main pant khol kar short pahan liya. Maa apne bayee taraf karvat kar ke so gayeee. Kuchh der bad muze bhi neend aane lagi aur main bhi unka chaddar odh kar sogaya. Achanak raat karib 1:30 meri neend khulee maine dekha ki Maa ki sari kamar ke upar thi aur unki Chut ghane Jhanto ke bhich chhupi thi. Unka hath mere Short par lund ke karib tha. Yeh sab dekh kar mera Lund short ke ander phadphadane laga. Main kuchh bhi samaj nahin paraha that ki kya karoon. Main uthkar Paisab karne chala gaya. Jab vapas aaya main chaddar utha kar dekha to abhi tak Maa usi avastha main soyee thi. Main bhi unki taraf karvat kar ke sogaya lekin muze neend nahin aa rahi thi. Bar bar meri ankhon ke samne unki chut ghoom rahi thi. Thodi der bad ek station aaya vahan 5 minutes tak train ruki thi aur main vichar kar raha tha ki kya karoon.
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