दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete

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josef
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Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

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मेरी हथेली की रगड़ पा कर माँ के निप्पल कड़े हो गए. अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घूमा कर बोलीं- बेटा मेरा ब्लाऊज़ खोल दो और ठीक से सहलाओ.
मैंने काँपते हुए हाथों से माँ का ब्लाऊज़ खोल दिया और उन्होंने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया.
मेरे दोनों हाथों को अपने नंगी चूचियों पर ले जाकर वो बोली- थोड़ा कस कर दबाओ ना! मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और, जोश में आकर उनकी रसीली चूची से जम कर खेलने लगा.
क्या बड़ी-बड़ी चूचियाँ थी! कड़ी कड़ी चूचियाँ और लम्बे लम्बे निप्पल्स. पहली बार मैं किसी औरत की चूची को छू रहा था.
माँ को भी मुझसे अपनी चूंची की मालिश करवाने में मज़ा आ रहा था.
मेरा लण्ड अब खड़ा होने लगा था और लुंगी से बाहर निकल आया. मेरा 9 इंच का लण्ड पूरे जोश में आ गया था.
माँ की चूंची मसलते मसलते हुए, मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जाँघों में रगड़ मारने लगा था.

अब उन्होंने कहा- बेटा तुम्हारा लण्ड तो लोहे के समान हो गया है और इसका स्पर्श से लगता है कि काफ़ी लम्बा और मोटा होगा. क्या मैं हाथ लगा कर देखूँ?
उन्होंने पूछा, और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी.
अपनी मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कस के बंद कर ली और बोली- बाप रे! ये तो बहुत कड़क है. वो मेरी तरफ़ घूमी और अपना हाथ मेरी लुंगी मे घुसा कर मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ लिया.
लण्ड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लण्ड के जड़ तक ले गई, जिससे सुपाड़ा बाहर आ गया. सुपाड़े की साईज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गईं.
बेटा कहाँ छुपा रखा था? ऐसा तो मैंने अपनी जिन्दगी में नहीं देखा है! उन्होंने पूछा.

मैंने कहा- यहीं तो था, तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान ही नहीं दिया. यदि आप ट्रेन में गहरी नींद में नहीं होतीं तो शायद आप देख लेतीं क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सुपाड़ा आप की चूत को रगड़ रहा था.

माँ बोली- मुझे क्या पता था कि, तुम्हारा इतना बड़ा लौड़ा होगा! ये मैं सोच भी नहीं सकती थी.
मुझे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य! हुआ जब उन्होंने, ‘लौड़ा’ कहा और साथ ही में बड़ा मज़ा अया.
वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थीं और कस कर दबा रही थीं, फिर माँ ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जाँघों के बीच ले कर रगड़ने लगी.

वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गईं ताकि मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड़ सके. उनकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था.
अचानक! उन्होंने अपनी एक चूची मेरे मुँह मे ठेलते हुए कहा- चूसो इनको मुँह मे लेकर!
मैंने बाईं चूची अपने मुँह मे भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा. थोड़ी देर के लिए मैंने उनकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं तुम्हारा ब्लाऊज़ मे कसी चूची को देखता था और हैरान होता था.

इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह मे लेकर चूसूँ और इनका रस पी लूँ. पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ!
तुम नहीं जानती कि, तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कल रात से कितना परेशान किया है?
अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो! मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो, माँ ने कहा.
फिर क्या था, माँ की हरी झंडी पकड़ मैं टूट पड़ा माँ की चूची पर!
मेरी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी. मैंने अपनी जीभ माँ के उठे हुए कड़े निप्पल पर घूमाया. मैंने दोनों चूंचियो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था.
josef
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Re: दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

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मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा. माँ भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुँह से ओह! ओह! अह! शी! शी! की आवाज निकल रही थी.

मुझसे पूरी तरफ़ से सटे हुए वो मेरे लण्ड को बुरी तरह से मसल रही थीं और मरोड़ रही थीं. उन्होंने अपनी बाईं टांग को मेरे दाईं टांग के ऊपर चढा दिया और मेरे लण्ड को अपनी जाँघों के बीच रख लिया.
मुझे उनकी जाँघों के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. आह! उनकी झांटो से भरी हुईं चूत थी.
मेरा लण्ड का सुपाड़ा उनकी झांटो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बांध टूट रहा था.
मैं माँ से बोला- माँ मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे में नहीं हूँ, प्लीज! मुझे बताओ मैं क्या करूं?
माँ बोली- तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक?
मैंने बोला- नही! कितने दुख की बात है?
कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती है? मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा.
उन्होंने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोलीं- अपनी दोस्त की माँ को चोदोगे?
क्कक!! क्यों!! नही, मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया.
मेरा गला सूख रहा था. वो बड़े मादक अन्दाज़ मे मुस्कुरा दीं और मेरे लण्ड को आजाद करते हुए बोलीं- ठीक है! लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा.
चलो! अपनी लुंगी निकल कर पूरे नंगे हो जाओ. मैंने अपनी लुंगी खोल कर साईड में फेंक दिया. मैं अपने तने हुए लण्ड को लेकर नंगा माँ के सामने खड़ा था.
माँ अपनी रसीली होंठों को अपने दांतों मे दबा कर देखती रही और अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया. तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ, कहते हुए मैंने उनका पेटीकोट को खींचा.

माँ ने अपने चूतड़ ऊपर कर दिए जिससे कि, पेटीकोट उनकी टांगो उतर कर अलग हो गया. अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुई थीं.

उन्होंने अपनी टांगो को फ़ैला दिया और मुझे रेशमी झांटो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नजारा देखने को मिला.
नाईट लेम्प की हल्की रोशनी मे चमकते हुए नंगे जिस्म को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड मारे खुशी के झूमने लगा.

माँ ने अब मुझसे अपने ऊपर चढने को कहा. मैं तुरंत उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूची को दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूसने लगा. माँ ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी .

हाय! क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी! मैं भी उनकी जीभ को जोर शोर से चूसने लगा. हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ पूरे जोश के साथ किया जा रहा था.
कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होंठ उनकी नाजुक गालों पर रगड़ रगड़ कर चूमने लगा. फिर माँ ने मेरी पीठ पर से हाथ ऊपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ़ कर दिया. मैं अपने होंठ उनके होंठों से उनकी ठुड्डी पर लाया और कंधों को चूमता हुआ चूची पर पहुँचा.
मैं एक बार फिर से उनकी चूची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा.

उन्होंने अपने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टांगे एक-दूसरे से दूर हो गईं.
अपनी दाईं हाथ से वो मेरा लण्ड पकड़ कर उसे मुठ्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और, अपनी बाईं हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टांगो के बीच ले गईं.

जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होंने अपनी चूत के दाने को ऊपर से रगड़ दिया.
समझदार को इशारा काफ़ी था. मैं उनके चूची को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा.

बेटा अपनी उंगली अन्दर डालो ना! कहते हुए, माँ ने मेरा उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दिया. मैंने अपनी उंगली उनकी चूत के दरार मे घुसा दिया और वो पूरी तरह अन्दर चली गई.
जैसे जैसे मैंने, उनकी चूत के अन्दर उंगली अन्दर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढता गया!
जैसे ही मेरा उंगली उनके चूत के दाने से टकराई, उन्होंने जोर से सिसकारी लेकर अपनी जाँघों को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी.
josef
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कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी बह रहा था.
थोड़ी देर तक ऐसे ही मजे लेने के बाद मैंने अपनी उंगली उनकी चूत से बाहर निकल लिया और सीधा हो कर उनके ऊपर लेट गया. उन्होंने अपनी टांगे फ़ैला दीं और मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ कर सुपाड़ा चूत के मुहाने पर रख लिया. उनकी झांटो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर माँ ने कहा, अब अपना लौड़ा मेरी बुर मे घुसाओ, प्यार से घुसेड़ना नहीं तो मुझे दर्द होगा, अह्!!
मैं नौसिखिया था, इसलिए शुरु शुरु में मुझे अपना लण्ड उनकी टाईट चूत में घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुईं.

मैं जब जोर लगा कर लण्ड अन्दर डालना चाहा तो उन्हें दर्द भी हुआ. लेकिन पहले से उंगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गई थी.
फिर माँ ने अपने हाथ से लण्ड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे सुपाड़ा अन्दर चला गया.
इससे पहले कि माँ संभलती, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लण्ड मक्खन जैसी चूत की जन्नत मे दाखिल हो गया.
माँ चिल्लाईं- उई! ईई! माआ! उहुहुह्! ओह! बेटा, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, हाय! बड़ा जालिम है तुम्हारा लण्ड, मार ही डाला मुझे तुमने.
मैंने सोचा लगता है माँ को काफ़ी दर्द हो रहा है.
पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनके बुर मे घुसा था. मैं अपना लण्ड उनकी चूत मे घुसा कर चुपचाप पड़ा था.
माँ की चूत फ़ड़ फ़ड़ फड़क रही थी और, अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े को मसल रही थी, पकड़ रही थी.
उनकी उठी उठी चूचियाँ काफ़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी.
मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और मुँह मे लेकर चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद माँ को कुछ राहत मिली और उन्होंने कमर हिलानी शुरु कर दी और मुझसे बोली- बेटा शुरु करो, चोदो मुझे!
ले लो मज़ा जवानी का मेरे रज्ज्जा! और अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदाने लगीं.
मैं थोड़ा अनाड़ी था. समझ नहीं पाया कि कैसे शुरु करु?

पहले अपनी कमर ऊपर किया तो लण्ड चूत से बाहर आ गया.

फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नहीं बैठा और माँ की चूत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल कर गाण्ड मे जाकर फँस गया.
मैंने दो तीन धक्के लगाए पर लण्ड चूत मे वापस जाने के बदले फिसल कर गाण्ड मे चला जाता.

माँ से रहा नहीं गया और तिलमिला कर ताना देती हुई बोलीं- अनाड़ी से चुदवाना चूत का सत्यानाश! करवाना होता है.

अरे मेरे भोले राज बेटे जरा ठीक से निशाना लगा कर अन्दर डालो, नहीं तो चूत के ऊपर लौड़ा रगड़ रगड़ कर झड़ जाऊँगी और, फिर मेरी गाण्ड बिना बात ही चुद जाएगी!
मैं बोला- अपने इस अनाड़ी बेटे को कुछ तो सिखाओ, जिन्दगी भर तुम्हें अपना गुरु मानूँगा और जब चाहोगी मेरे लण्ड की दक्षिणा दूँगा!

माँ लम्बी साँस लेते हुए बोली- हाँ बेटे, मुझे ही कुछ करना होगा नहीं तो मैं बिना चुदे ही चुद जाऊँगी और मेरा हाथ अपनी चूची पर से हटाया और मेरे लण्ड पर रखती हुई बोलीं- इसे पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से.’

मैंने वैसे ही किया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया. फिर वो बोली- अब लण्ड को बाहर निकालो, लेकिन पूरा नही.
सुपाड़ा अन्दर ही रहने देना और फिर दुबारा पूरा लण्ड अन्दर पेल देना, बस इसी तरह से पेलते रहो!

मैंने वैसे ही करना शुरु किया और मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत मे अन्दर-बाहर होने लगा. फिर माँ ने स्पीड बढ़ा कर करने को कहा.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा.

माँ को पूरी मस्ती आ रही थीं और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लण्ड बाहर निकल जाता. इससे चुदाई का सिलसिला टूट जाता.
josef
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आखिर माँ से रहा नहीं गया, और करवट ले कर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे ऊपर चढ गईं.
अपनी जाँघों को फ़ैला कर बगल कर के अपने गद्देदार चूतड़ रखकर बैठ गईं.

उनकी चूत मेरे लण्ड पर थीं और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थीं और बोलीं- मैं दिखाती हूँ कि, कैसे चोदते है? और मेरे ऊपर लेट कर धक्का लगया.
मेरा लण्ड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया.

माँ ने अपनी रसीली चूची मेरी चूचियों पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिया और मेरे मुंह मे जीभ डाल दिया. फिर उन्होंने मज़े से कमर हिला हिला कर शॉट लगाना शुरु किया.
बड़े कस कस कर जोर से शॉट लगा रही थीं. चूत मेरे लण्ड को अपने मे समाये हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुच गया हूँ!

अब पोजिशन उलटी हो गई थीं. माँ तो मानो मर्द थीं जो कि, अपनी माशूका को कस कस कर चोद रहा था! जैसे जैसे माँ की मस्ती बढ़ रही थीं उनके शॉट भी तेज़ होते जा रहे थे.
अब वो मेरे ऊपर मेरे कंधो को पकड़ कर घुटने के बल बैठ गईं, और जोर जोर से कमर चूतड़ों को हिला कर लण्ड को तेज़ी से अन्दर-बाहर लेने लगीं.


उनका सारा बदन हिल रहा था और साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं. माँ की चूचियाँ तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया, और हाथ बढा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा.
माँ एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथों मे लिए हुए, कस कस कर चोद रही थीं. जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थीं उनकी रफ़तार बढती ही जा रही थीं.
कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थीं.

जब उनकी साँस फ़ूल गईं तो खुद नीचे आकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया, और टांगो को फ़ैला कर ऊपर उठा लिया और बोली- मैं थक गई मेरे रज्ज्जा, अब तुम मोरचा सम्भालो!
मैं झट उनकी जाँघों के बीच बैठ गया और, निशाना लगा कर झटके से लण्ड को चूत के अन्दर डाल दिया और उनके ऊपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.
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