Incest माँ का आशिक

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josef
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Re: Incest माँ का आशिक

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रेशमा की गर्म और लपलपाती हुई जीभ का असर हुआ और लंड पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया तो रेशमा ने आधे से ज्यादा लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी। शादाब ने मस्ती थोड़ा सा झुकते हुए उसकी चूचियां पकड़ ली और दबाने लगा तो रेशमा ने लंड को मुंह से बाहर दिया और शादाब के होंठो को चूसने लगी

शादाब ने रेशमा की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार सहित पेंटी को नीचे सरका दिया और रेशमा को दीवार के सहारे झुका दिया तो रेशमा दीवार में बने हुए एक हॉल से बाहर देखने लगी और शादाब ने नीचे झुकते हुए एक जोरदार किस रेशमा की चूत पर किया और अपने मोटे लंड को उसकी चूत पर टिका दिया तो रेशमा मस्ती से भर उठी और बोली:"

" शादाब थोड़ा प्यार से करना, अभी हल्का हल्का जख्म हैं मुझे

शादाब ने अपनी बुआ की बात को ध्यान में रखते हुए अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और एक हल्का सा धक्का मारते हुए लंड के सुपाड़े को चूत में घुसा दिया तो रेशमा दर्द और मस्ती से सिसक उठी

" आह शादाब, उफ्फ कितना मोटा हैं तेरा लोला, हाय मा।

शादाब में धीरे धीरे लंड पर दबाव दिया तो लंड रास्ता बनाते हुए चूत में घुस गया और रेशमा लंड की रगड़ से मस्त हुई जा रही थी और उसने खुद ही अपनी चूत पीछे को लंड पर दबा दी तो लंड जड़ तक घुस गया। शादाब में मस्ती से रेशमा की गांड़ पकड़ ली और जोर जोर से मसलने लगा। रेशमा पूरी तरह से मस्त हो गई और बोली:"

" आह शादाब चोद मुझे अब, मेरी चूत,

शादाब में रेशमा की चूत में हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किए तो रेशमा ने उसे थोड़ा तेज करने का इशारा किया तो शादाब ने थोड़ी सी गति बढ़ा दी और तो रेशमा मस्त हो गई।

शादाब:" आह बुआ मस्त चूत हैं तेरी, उफ्फ टाइट घुस रहा हैं, कहीं कोई अा गया तो

रेशमा:" आह शादाब, तेरा लोला मोटा हैं इसलिए टाइट घुस रहा है, मैं हॉल से सब देख रही हूं तो चोद आराम से मुझे।

शादाब को सुकून मिला और दोनो आंखे बंद करके आगे हाथ करके उसकी चूचियों को थाम लिया और धक्के लगाने लगा।
रेशमा शादाब के धक्के ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी चूत झड़ती चली गई

" हाय गई मेरी चूत, उफ्फ मा री हाय सिई आह शादाब।


शादाब ने भी एक जोर का धक्का मारा और लंड को जड़ तक घुसा दिया तो रेशमा का बदन जोर से कांप उठा और उसके मुंह से एक दर्द भरी कराह निकल गई

" आह शादाब, उफ्फ नहीं आईआई

शादाब ने जोर से रेशमा को कस लिया और उसकी चूत में वीर्य छोड़ने लगा। दोनो अपनी अपनी सांसे दुरुस्त करने लगे।

थोड़ी देर बाद दोनो वसीम के पास पहुंच गए और उससे बात करने लगे।

वसीम: " कैसा लगा रेशमा हॉस्पिटल का डिजाइन और काम ?

रेशमा के होंठो पर एक स्माइल अा गई और बोली:"

" बहुत ही बढ़िया, माफी लंबे और मोटे चौड़े अरिया में बन रहा हैं,

वसीम:" सब कुछ शादाब के हिसाब से हो रहा हैं

रेशमा:" शादाब हैं तो फिर तो सब कुछ मस्त हो होगा, मेरा भतीजा बहुत समझदार हैं। अच्छा सुनो मैं चलती हूं घर आप शाम को किस टाइम तक अा जाएंगे ?

वसीम:" अभी इतनी तेज धूप में कहां जाओगी , सब आराम कर रहे हैं तो तुम भी आराम करो

रेशमा उदास हो गई और शादाब की तरफ देखा तो शादाब बोला :"

" वो मुझे कल शहर जाना हैं इसलिए तैयारी करनी होगी।

वसीम:" ठीक है फिर चले जाओ तुम दोनो, आराम से जाना लेकिन तुम बहुत तेज गाड़ी चलाते हो।


शादाब में अपने फूफा को स्माइल दी और गाड़ी लेकर चल दिया। रेशमा शादाब की जांघ सहलाते हुए बोली:"

" शादाब सच में सड़के खाली पड़ी हुई है कोई नहीं हैं दूर दूर तक !!

शादाब अपनी बुआ का इशारा समझ गया और बोला:"

" बुआ बस अगले मोड़ से घुमा लूंगा वहीं एक सुनसान सड़क हैं जहां हम दोनों चुदाई...

रेशमा ने शादाब के होंठो पर उंगली रख दी और बोली:"

" आह नहीं शादाब करना बस मुंह से मत बोलो कुछ भी ।

शादाब ने एक हाथ रेशमा की जांघ पर रख दिया और सहलाने लगा तो रेशमा ने मस्ती में आकर शादाब का लंड बाहर निकाल लिया और चूसने लगी तो शादाब के मुंह से आह निकल गई। शादाब ने अगले मोड़ से गाड़ी घुमा दी और जल्दी ही वो एक जंगल में पहुंच गए।
josef
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दूर दूर तक कोई नहीं था तो शादाब ने अपनी बुआ को गोद में उठा लिया और जंगल के अंदर ले गया। उसे एक पहाड़ीनुमा जगह दिखी तो काफी ऊंचाई पर थी और वहां हल्की हल्की हवा चल रही थी। शादाब ने रेशमा को वहीं लिटा दिया और खुद अपने सारे कपड़े उतार फेंके तो रेशमा ने जोश में आकर अपनी एक अंगुली अपनी चूत में घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी।

" आह शादाब देख ना कितनी तड़प रही है तेरे लोले के लिए मेरी चूत, अा जा चढ़ जा अपनी बुआ पर !!

शादाब का लंड हवा में लहरा रहा था और शादाब रेशमा की टांगो के बीच में अा गया और लंड को चूत पे रगड़ने लगा तो रेशमा का जिस्म उत्तेजना से हिलने लगा और शादाब ने उसकी आंखो में देखते हुए एक जोरदार धक्का लगाया तो आधे से ज्यादा लंड रेशमा की चूत में घुस गया।

रेशमा के होंठो से दर्द भरी सिसकारियां निकलने लगी और उसका मुंह खुलता चला गया

" आह शादाब, थोड़ा प्यार से कर ना, टांको की जगह पर दर्द होता हैं अभी । जंगल में मेरी चूत में मंगल हो रहा है शादाब

शादाब ने रेशमा की चूचियों को पकड़ लिया और हल्का हल्का सहलाते हुए लंड पर दबाव दिया तो लंड चूत को फैलाते हुए अंदर घुसने लगा। लंड की लंबाई और मोटाई की वजह से रेशमा की चूत फैल रही थी और रेशमा के मुंह से आनहे निकल रही थी। जल्दी ही पूरा लंड अंदर घुस गया तो रेशमा ने चैन की सांस ली।

रेशमा ने शादाब के होंठ चूम लिए और शादाब ने लंड को बाहर निकाला और एक ही धक्के में पूरा जड़ तक घुसा दिया तो रेशमा के मुंह से मस्ती भरी आज निकल पड़ी।

" सीई आईआईओ आह उफ्फ चोद ऐसे ही, उफ्फ ये मस्त लोला

शादाब ने रेशमा की दोनो टांगो को फैला दिया और उसकी आंखो में देखते हुए तेज धक्के लगाने लगा। हर धक्के पर रेशमा की चूचियां हिल रही थी और उसके मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी।

शादाब रेशमा की आंखो में देखते हुए उसे चोद रहा था और उसे जोश दिलाने के लिए मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां भर रही थी।

शादाब ने रेशमा को लंड घुसे घुसे ही अपनी गोद में उठा लिया और हरी हरी घास लेट गया तो रेशमा अपने आप लंड पर उछलने लगी, लंड उसकी चूत की फांकों को रगड़ते हुए अंदर बाहर होने लगा तो रेशमा की आंखे मजे से बन्द हो गई और शादाब ने उसके चूतड़ों को थाम लिया और लंड पर उपर नीचे करने लगा।


रेशमा की चूचियां शादाब की आंखो के आगे लहरा रही थी जिसे उसने मुझ में भर लिया और चूसने लगा तो रेशमा मस्ती से बेकाबू हो गई और उसकी गांड़ तेजी से चलने लगी।

" आह शादाब चूस ले मेरी चूचियों को, आह मेरा क्या होगा तेरे जाने के बाद, कहां से मिलेगा ऐसा लोला मुझे!!

शादाब ने रेशमा के एक निप्पल पर जोर से काट लिया तो रेशमा के मुंह से एक मस्ती भरी कराह निकल पड़ी और उसका जिस्म लंड पर गिरता चला गया जिससे लंड उसकी चूत को पूरी जोर से रगड़ता हुआ अंदर तक घुस गया और रेशमा की चूत झड़ गई

" आह शादाब मार ली तूने मेरी चूत, उफ्फ गई मेरी चूत।

रेशमा की चूत से निकलते हुए गर्म गर्म रस के आगे शादाब का लंड भी जवाब दे गया और उसने अपने जिस्म की पूरी ताकत लगते हुए नीचे से धक्का लगाया तो लंड रेशमा की बच्चेदानी में घुस गया और उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी
" आह फाड़ देगा क्या मेरी बच्चेदानी को तू उफ्फ मा

शादाब ने एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी रेशमा की चूत में मारनी शुरू कर दी और रेशमा इस एहसास को महसूस करके मस्त हो गई।


शादाब थोड़ी देर ऐसे ही रेशमा के उपर पड़ा रहा और और जैसे ही लंड बाहर निकला तो रेशमा को अपनी चूत के अंदर खाली पन महसूस हुआ। रेशमा उठ गई और चूत और वीर्य के मिश्रण से सने हुए लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी। शादाब की आंखे एक बार फिर से मस्ती से बंद हो गई और रेशमा ने अपने हाथो से शादाब की गोलियों को सहलाना शुरू कर दिया तो जल्दी ही लंड फिर से खड़ा होता चला गया और रेशमा ने घोड़ी बनते हुए अपनी चूत शादाब के सामने खोल दी तो शादाब में फिर से एक झटके में उसकी चूत में लंड घुसा दिया और तेजी से धक्के मारने लगा।
एक बार फिर से रेशमा की सिसकियां निकलने लगी और शादाब उसको मस्ती से चोदता रहा। करीब आधे घंटे उसने रेशमा को चोदा और एक बार से अपने वीर्य से उसकी चूत को भर दिया। रेशमा की चूत तो आज इतनी झड़ी कि रेशमा गिनती तक भूल गई।

उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। शहनाज़ ने दोनो को घर जाते ही पानी दिया और शाम तक वसीम भी घर अा गया। रात को सभी लोग आराम से सो गए।

.....................................

अगले दिन सुबह शहनाज़ जल्दी ही उठ गई क्योंकि आज वो इतनी खुश थी कि उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उसने अपने पास लेटे शादाब का मुंह चूम लिया तो शादाब ने भी अपनी आंखे खोल दी और शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया।

शहनाज़:" उठ जा शादाब, जल्दी से तैयार हो जा आज हमे शहर जाना हैं नया मकान देखने के लिए बेटा।

शादाब उसकी चूचियों में अपना मुंह घुसाते हुए बोला:"

" उम्म्म सोने दो ना शहनाज़, अभी तो ठीक से दिन भी नहीं निकला हैं।
josef
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by josef »

शहनाज़:" आलसी कहीं का, मैं तो चली नहाने।

इतना कहकर शहनाज़ बाथरूम में घुस गई। रेशमा भी उठ गई और वो जानती थी कि आज सुबह जल्दी ही शादाब और शहनाज़ शहर जाएंगे इसलिए वो नाश्ता आज खुद तैयार करना चाहती थी।

जैसे ही वो ऊपर अाई तो उसने शादाब को सोते हुए देखा और उसे उस पर बहुत प्यार आया और उसने शादाब का मुंह चूम लिया। जैसे ही रेशमा को किसी के आने की आहट हुई तो वो सीधी होकर पीछे हट गई।

रेशमा ने देखा कि शहनाज़ नहाकर अा गई है। दोनो की एक दूसरे को देखकर हैरान हो गई, शहनाज़ उसे ऊपर देखकर डर गई और मन ही मन खुशी खुश हुई कि मैं पकड़ी नहीं गई जबकि रेशमा इसलिए खुश थी शहनाज़ ने उसे शादाब को किस करते हुए नहीं देखा।

रेशमा आगे बढ़ी और शहनाज़ से मजाक करते हुए बोली:"

" बड़ी जल्दी हैं शहर जाने की भाभी, इतनी सुबह ही उठ गई।

शहनाज़ अपनी असली खुशी छुपाते हुए बोली:"

" अरे मैं तो रोज ही सुबह उठ जाती हूं और खुश इसलिए हूं कि अपने बेटे के साथ रहने को मिलेगा मुझे।

रेशमा ने आगे बढ़कर शहनाज के गाल चूम लिए और बोली:"

" क्या बात हैं भाभी आप तो दिन प्रति दिन जवान होती जा रही हो, आप कहे तो किसी से दोस्ती करा दू आपकी !!

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और वो रेशमा को हल्का सा मारते हुए बोली:"

" चल बदतमीज कहीं की, जो मुंह में आए बोल देती हैं।

रेशमा ने शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया और बोली:"

" सच में भाभी अगर मैं लड़का होता तो आपको लेकर भाग जाता शहनाज।

रेशमा ने उसे आंखे दिखाईं और थोड़ा सा बनावटी गुस्सा करते हुए बोली:"

" रेशमा तुम क्यों मेरे मजाक उड़ा रही हो, इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं।

रेशमा ने उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" तुम सुंदर नहीं कयामत हो कयामत, अब उपर से शहर का फैशन देख लेना भाभी तुम पक्का कांड करके वापिस आओगी ।

शहनाज़ ने उसे जोर से डांट दिया और बोली:" जा चल अपना काम कर, आजकल तेरी जुबान बहुत चलने लगी हैं।

रेशमा उसे जीभ दिखाती हुई चली गई और नाश्ता तैयार करने लगी।थोड़ी देर बाद ही शादाब और शहनाज़ सारे परिवार के साथ नाश्ता कर चुके थे और शहर जाने के लिए तैयार थे तभी शादाब का मोबाइल बज उठा। उसके फोन उठाया और बोला:"

" अजय मेरे भाई मेरे दोस्त कैसे हो तुम ?

अजय:" ठीक ही मैं, घर में कैसे हैं सब, फिर कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना ?

शादाब:" नहीं भाई, सब ठीक हैं, मैंने अपनी जमीन पर हॉस्पिटल का काम एक पार्टी को दे दिया है।जल्दी ही बन जाएगा।

अजय:" भाई ये तो बहुत अच्छी बात है, हमे भी किसी छोटी मोटी जॉब पर रख लेना ।

अजय की बात सुनकर शादाब के चेहरे पर हल्का दर्द दिखाई दिया और बोला:" भाई तुम तो मालिक हो यार, जो तुम्हे अच्छा लगे बता देना मुझे। आज मैं शहर में घर देखने जा रहा हूं क्योकि मैं और अम्मी अब साथ रहेंगे।

अजय:" अबे साले अगर घर ही खरीदना हैं तो होवार्ड यूनिवर्सिटी के आस पास खरीद ले।

शादाब खुशी के मारे उछल पड़ा और बोला:" क्या सच अजय, तू सच बोल रहा है भाई ?

अजय:" हान मेरी जान, तेरा सेलक्शन हो गया हैं, कल रिजल्ट आया है।

शादाब तो जैसे खुशी के मारे पागल हो गया, उसे समझ ही नहीं अा रहा था कि कैसे खुशी मनाए, उसने शहनाज़ को अपने गले लगा लिया और उसके गाल चूम लिए। शहनाज़ रेशमा और वसीम के आगे अपने गाल इस तरह चूमे जाने से शर्मा गई और सबसे बड़ी आज वो पहली बार वसीम के सामने बेपर्दा हुई थी तो उसने झट से अपने मुंह पर फिर से घूंघट डाल दिया लेकिन तब तक वसीम उसका खूबसूरत चेहरा देख चुका था ।

सभी लोग हैरानी से उसे देख रहे थे और मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। हर कोई ये जानना चाहता था कि शादाब की इस खुशी का क्या कारण हैं।

शादाब:" अजय मैं तुझे बाद में कॉल करता हूं भाई, घर मैं सबको बता दू पहले।

इतना कहकर अजय ने फोन काट दिया और बोला:"

" अम्मी बुआ मेरा होवार्ड यूनिवर्सिटी में चयन हो गया है।

शादाब की बाते सुनकर सबके चेहरे खुशी के मारे दमक उठे और उसे मुबारकबाद देने लगे।

तभी शहनाज़ बोली:"

" अरे बेटा अजय का क्या हुआ, एग्जाम तो उसने भी दिया था ना ?

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने तुरंत अजय को कॉल किया और बोला:"

" अरे मेरे भाई, ये तो बता तुम्हारे एग्जाम का क्या हुआ ?

अजय खामोश सा हो गया और उसकी मायूसी भरी आवाज उभरी :"

" शादाब मेरा एक नंबर से रह गया हैं भाई, लेकिन देखना अगली बार तेरा भाई टॉप करेगा।

शादाब की खुशियां आधी हो गई और बोला:"

" भाई मुझे तेरे पर पूरा यकीन हैं, देखना अगले साल सिर्फ तेरे ही चर्चे होंगे।

अजय:" चल ठीक हैं शादाब, मैं तुझे बाद मैं करता हूं।


अजय ने फोन काट दिया और शादाब ने होवार्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट को चैक किया तो देखा कि उसका चयन हो गया है और अजय सच में एक नंबर से रह गया। शादाब को दुख हुआ लेकिन क्या कर सकता था।

दो दिन बाद शादाब और शहनाज एयरपोर्ट के बाहर खड़े हुए थे और दोनो 5 साल के लिए अमेरिका जा रहे थे।

रेशमा और शहनाज़ दोनो की आंखो में आंसू थे क्योंकि उनमें सगी बहनों जैसा प्यार हो गया था। लेकिन जाना तो था ही आखिर कार दोनो ने एक दूसरे को हसरत भरी निगाहों से देखा और दोनो एक दूसरे के गले लग गई।

रेशमा:" भाभी अपना ध्यान रखना और शादाब का भी।

शहनाज़:" तुम भी रेशमा अच्छे से रहना और हम फोन पर बात करेंगे।

इतना कहकर दोनो अलग हो गई और शहनाज़ और शादाब दोनो अंदर चले गए जबकि रेशमा और वसीम ने उन्हें देखकर हाथ हिलाते रहें।

अंदर प्लेन में बैठी हुई शहनाज़ आज जहां एक ओर खुशी थी वहीं डर भी रही थी। शादाब ने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोला:"

" क्या हुआ शहनाज़ परेशान लग रही हो ?

शहनाज़:" बेटा वहां तो बड़ी सुन्दर सुन्दर लड़कियां होगी कहीं तू मुझे छोड़ तो नहीं देगा ?

इतना कहकर शहनाज़ की आंखे भर आई तो शादाब ने अपने रुमाल से उसका मुंह साफ किया और बोला:"

" क्या आपको अपने दूध और खून पर भरोसा नहीं है क्या अम्मी ?

शहनाज़ ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया और बोली:"

" अपने आप से भी ज्यादा मेरे राजा, लेकिन अब तू मुझे अम्मी नहीं सिर्फ शहनाज़ कहकर बुलाएगा ।

शादाब स्माइल करते हुए बोला:"

" ठीक हैं शहनाज़ मेरी जान जैसे आपको अच्छा लगे।

शहनाज़ उसकी बाते सुनकर खुशी से उसकी आंखो में देखने लगी तो शादाब बोला:"

" आई लव यू मेरी अम्मी शहनाज़

इसके साथ ही दोनो मा बेटे एक साथ मुस्कराए और शहनाज़ एक हाथ से उसका कान तो दूसरे से उसका लंड खींचते हुए बोली:"

" तू कभी नहीं सुधर सकता मेरे राजा।

शादाब ने शहनाज़ का हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया और प्लेन उड़ गया।

end
badlraj
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Re: Incest माँ का आशिक

Post by badlraj »

कहानी बहुत ही अच्छी है । इस कहानी में सब कुछ भरपूर मात्रा में है ।
कहानी की समाप्ति भी बहुत अच्छे तरीके से हुई है ।
लेकिन ये कहानी और आगे भी बढ़ाई जा सकती है।

कहानी समाप्त करने के लिए आपको बधाई ।
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