विधवा माँ के अनौखे लाल

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rajsharma
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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जीशान अब हाथो में तेल ले कर शाज़िया के पैरों की मालिश करना शुरू कर देता है और वो अभी बेड के किनारे ही था और मालिश पूरे जोरो से कर रहा था उधर शाज़िया को उसके बेटे का स्पर्श अच्छा लग रहा था कई सालों के बाद आज किसी मर्द ने उसे इस तरह से छुआ था तो उसके योवन में लहरे उठ रही थी दूसरी तरफ जीशान अब अपने अगले हमले के लिए तैयार था और उसने अपना हमला कर दिया और उसका लन्ड फूल कर पैंट में तंबू बना चुका था और जीशान ने उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिस नही करी बल्कि वो और उसे लहरा लहरा कर दिखाने की कोसिस में लगा था

तभी शाज़िया की नजर उसके पैंट में बने तंबू पर गयी और वो अंदर तक कॉप गयी क्योंकि ये पहला मौका था जब जीशान के लन्ड के दर्शन वो इतने करीब से कर रही थी और तभी उसने दूसरी तरफ अपना सिर घूमा लिया । जीशान भली भांति अपने माँ के नजरो का पीछा कर रहा था तभी वो मा से कहता है।

जीशान - मा अब लाओ मैं तुम्हारे कमर की भी मालिश कर देता हूं पलटो।

शाज़िया - नही बेटा हो गया रहने दे अब तू जा अब आराम कर मुझे अब काफी आराम मिल गया है

जीशान - नही मा मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देता हूं लाओ इधर सारा दिन काम काम करती रहती हो अभी थोड़ा सा आराम करने का मौका मिल रहा है तो उसमे भी तुमको चैन नही है लाओ इधर और शाज़िया पलट जाती है तभी जीशान कहता है माँ अपनी साड़ी निकाल दो तभी तो मालिश कर पाऊंगा ऐसे तो तुम्हारी साड़ी गंदी भी हो जाएगी और कमर के चारो तरफ लपेटी हुई है कैसे मालिश करूँगा

ये सुन कर शाज़िया घबरा जाती है कि वो कैसे अपनी साड़ी उतारेगी

तभी जीशान बोलता है माँ उतारो ना और शाज़िया घबराई हुई सी उठती है और जीशान बोलता है माँ मैं आता हूं पानी पी कर प्यास लगी है ।

वो ऐसा इसलिए करता है ताकि वो अपनी माँ के झिझक को खत्म कर सके और वह कमरे से निकल कर वही साइड में छुप कर देखने लगता है

शाज़िया जो खड़ी थी उसकी साँसे बुरी तरह से फूल रही थी क्योंकि वो उत्तेजना में काफी गरम हो गयी थी और जीशान ये नजारा देख कर बार ही खुश हो रहा था उधर शाज़िया की चुचिया ब्लाउज में ऊपर नीचे हो रही थी और तभी शाज़िया ने अपनी साड़ी उतार फेकि ओर पेट के बल लेट कर जीशान के आने का इंतजार करने लगी तभी जीशान कमरे में दाखिल होता है और अपनी माँ को ऐसे हालात में देख कर बुरी तरह से उसका लन्ड झटका खाता है और वो इस बार सीधा बेड पे चढ़ के बैठ जाता है और बोलता है
जीशान -ये ठीक किया मा अब आराम से मालिश कर सकूंगा तुम्हारी

शाज़िया - हा बेटा कर दे और वो अपना चेहरा तकिये में दबा लेती है क्योंकि उसके बेटे का जादुई स्पर्श उसे पागल बनाए जा रहा था और जीशान भी अपने उंगलियों को शाज़िया के कमर पर इस तरह से घुमा रहा था कि उसकी कामाग्नि भड़के और वो खुद पलट कर उसके सामने समर्पण कर दे।

तभी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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तभी जीशान वो करता है जिसकी शायद शाज़िया को उम्मीद नही थी जीशान अपने तेल से गिले हाथो की उंगलियों को उसके पेटीकोट के नाडे के सहारे अंदर घुसाने लगा जो उसके चुतड़ों के दरार के पास छूने लगी जिससे शाज़िया और जीशान दोनो को एक झटका लगता है।

लेकिन शाज़िया की तरफ से कोई विरोध ना पा कर जीशान अपने उंगलियो को जोर जोर से उसकी चुतड़ों के दरार में ले जाने लगा नतीजतन शाज़िया के पेटिकोट का नाडा अब ढीला हो गया था जो सरक कर इतना नीचे आ गया था जहाँ से उसके चुतड़ों की दरार की शुरुआत देखी जा सकती थी तभी जीशान अपने दोनों पैर अपनी माँ के जिस्म के दोनों तरफ कर लेता है और मालिश करने लगता है इस वजह से उसका लन्ड मा के जांघो से होता हुआ उसके चुतड़ों के नीचे टक्कर खाने लगा जिसका एहसास शाज़िया को अच्छे से हो रहा था और उसका पागलपन उसपे हावी होता जा रहा था तभी जीशान ने अपने हाथ इतने जोरो से उसके पेटिकोट के नाडे के पास से रगड़ा की उसके आधे से ज्यादा चुटर नुमायिन्दा हो गये।

और जीशान के लन्ड ने अपनी माँ के चुतड़ों के इस दृश्य से एक जबरदस्त झटका खाया उसकी नसे फटने पे आमादा थी तभी जीशान कहता है।।

जीशान - मा तुम अब आगे की ओर घूम जाओ मैं जांघो की भी मालिश कर देता हूं और वो अपनी के ऊपर से उतर जाता है और शाज़िया घूम जाती है और वो अपनी आंखें मारे आनंद के बंद किये लेटी रहती है और जीशान फिर से अपनी माँ के जिस्म के दोनों तरफ पैर कर के अपनी माँ के पेटिकोट को उठाता है मगर उसका पेटिकोट घुटनो के पास आ कर अटक जाता है तब जीशान कहता है

जीशान - मा तुम अपनी पेटिकोट को ऊपर खिंच लो ताकि तुम्हारी जांघो की मालिश कर सकू

शाज़िया बिना कुछ बोले अपने पेटिकोट को उपर खिंच लेती है जांघो तक और जीशान अपने हाथों के जादूगरी को अंजाम देने में जुट जाता है और मालिश के दरमियान अब उसका वार उसकी माँ की चूत के तरफ था जो कुछ ही देर में उसके आंखों के सामने आने वाली थी।

वो मालिश के दौरान उसके पेटिकोट को इस तरह से छू रहा था कि हर छुअन के साथ उसका पेटिकोट कुछ ऊपर सरक रहा था औऱ शाज़िया पागल हुए जा रही थी अब जीशान खुलकर अपने लन्ड का एहसास अपनी माँ को करवा रहा था।

तभी जीशान कहता है।
जीशान - माँ तुम अपनी पेटिकोट उतार दो ये मालिश में दिक्कत दे रही है और इसमें तेल भी लग रहा है और वो शाज़िया का जवाब सुने बगैर उसके पेटिकोट का नाडा जो केवल नाम के लिए बंधा हुआ था उसे एक झटके में ही खोल कर उसले बदन से नीचे खिंच देता है और अब उसकी माँ उसके सामने नीचे से बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी।

तभी शाज़िया अपनी आँखें खोल कर अचम्भे से जीशान को देखती है जो अभी भी मालिश में व्यस्त था और उसके हाथ अपनी माँ के चूत के चारो ओर औऱ कभी कभी चूत को भी भीच दे रहा था जिससे कि शाज़िया की साँसे अटक जा रही थी तभी वो अचानक उठती है और जीशान इस बात से अनजान था जो अपनी माँ के पैरों के इर्द गिर्द अपनी टांगे फैला रखा था वो मा के अचानक उठने से बेड पे गिर जाता है और शाज़िया अचानक से अपनी पेटिकोट उठा कर बाथरूम में भाग जाती है और जीशान हैरान सा देखता रह जाता है।

बाथरूम में जा कर शाज़िया अभी भी नंगी हालात में पेटिकोट को अपने हाथों में पकड़े अपनी साँसों को काबू में करने की कोशिस में लगी होती है। और मन ही मन सोचती है कि अभी ये क्या हुआ आखिर वो ऐसे कैसे कर गयी है भगवान ये क्या हुआ मुझसे।

तभी जीशान बाहर से आवाज लगाता है....
मा मा ओ मा क्या हुआ मा कुछ बोलो मा

शाज़िया कोई जवाब नही देती जीशान काफी देर तक दरवाजा पे दस्तक देते रहता है मगर शाज़िया कोई जवाब नही देती टैब जीशान वहां से हट कर सोफे पे जा बैठता है
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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कुछ देर बाद शाज़िया बाहर आती है केवल ब्लाउज और पेटिकोट में वो जीशान की ओर बिना देखे रूम मे चली जाती है और कमर बन्द कर लेती है।जीशान फिर से आवाज लगाता है मगर शाज़िया नही जावाब देती है नाही कमरा का दरवाजा खोलती है जीशान उसके इस रवैये से परेशान हो जाता है कि आखिर बात क्या हुई।

तभी आधे घण्टे बाद शाज़िया दरवाजा खोल कर बाहर आती है और किचन में चली जाती है जीशान भी दौरा दौरा किचन में आता है और माँ को पीछे से गले लगा कर कहने वाला ही होता है की तभी शाज़िया उसका हाथ झटक के दूर कर देती है और कहती है

देख जीशान अभी कमरे में जो कुछ हुआ या जो भी तुमने किया वो सब एक बहकावे में हुआ वो हमदोनो के बीच संभव नही है हमारा रिश्ता इस बात की मंजुरी नही देता।और आज के बाद तू इन् सब के तरफ ध्यान ना ही दे तो बेहतर होगा ये मेरी सख्त हिदायत है तुझको इस बार शाज़िया का गुस्सा एक्दम चरम पर था।

जीशान - मा तुम समझ नही रही हो मा मैं तुम्हे प्यार करता हु तुम्हारे बगैर अब नही रह सकता मुझे पता है कि ये रिश्ता कभी भी सही नही होगा ना कोइ मजूर करेगा मगर मा तुम एक औरत हो और मैं एक मर्द और किसी बजी रिश्ते से सबसे पहले रिश्ता है मर्द और औरत का और मैने तुम्हारी बेचैनी देखी है और अच्छे से जानता हु की तुम भी यही चाहती हो मगर पता नही क्यों ऐसे बर्ताव कर रही हो मा समझो मा मैने आज तक किसी और लड़की के बारे में सोचा तक नही है लेकिन जब से तुम्हे उस दिन बाथरूम में देखा उस दिन से ही मेरी जिंदगी में तुम्हारे तस्वीर उत्तर सी गयी है .....

शाज़िया बात को बीच मव काटते हुए कहती है

शाज़िया - जीशान मैंने एक बार कह दिया न कि नही तो नही अब तू जितना जल्दी इस बात को समझ ले उतना ही अच्छा रहेगा।

जीशान बिना कुछ बोले घूम कर चला जाता है तभी वो दरवाजे पे बिना घूमे कहता है कि माँ आज तो तुमने मुझे आज मना तो कर दिया लेकिन मा आज के बाद तुम्हे वो जीशान कही नही दिखेगा जो पहले हुआ करता था और आज तक जो तुमने देखा अब जब तक तुम मुझे खुद आ कर अपने सीने से नही लगा कर कहोगी की बेटा मै तेरी हर बात मानूँगी तू बस पहले जैसा हो जा तब तक ये मेरी प्रतिज्ञा है माँ।

शाज़िया - ये कभी नही होगा जीशान कभी भी नही और मैं भी देखती हूं कब तक तू क्या करता है।

उस दिन कुछ खास नही होता और अगले दिन सुबह में शाज़िया जैसे काम करती थी करने के बाद वो खाना टेबल पर लगा कर खुद का खाना निकाल कर खाने लगी लेकिन जीशान बाहर नही आया नाही उसने कल से शाज़िया से कोई बात करी थी वो काल शाम से ही अपने कमरे में था और इधर न ही शाज़िया उसके कमरे में गयी थी.....लेकिन उसके मन मे ये बात जरूर कौंध रही थी कि आखिर जीशान आगे क्या करने वाला उसने जो कहा है कि वो अब पहले वाला जीशान नही रहेगा उसका क्या मतलब निकलता है।

इधर अनीस को गए हुए आज 5 दिन हो गए थे शाज़िया सोची की अनीस को इस मामले से दूर ही रखती हूं क्योंकि वो नही चाहती थी कि दोनों भाइयों में उसको ले कर कोई झगड़ा हो.....इस बात से अनजान शाज़िया की जीशान और अनीस एक भाई के रिश्ते से कही ज्यादा अपने सारी बाते एल दूसरे को बताते थे।और अनीस को ये पता था कि उसके गैरहाजिरी में क्या क्या हुआ है पटना में.......

जीशान मन ही मन सोचा कि वो अपने मकसद में कामयाब हो ही गया होता अगर मा का ये पवित्रता उकसा नही सकता था इसलिए उसने अनीस को कॉल लगाया

जीशान - भाई कब आ रहे हो वापिस.....यहां पासा उलटा हो गया है जो काम तुमने मेरे जिम्मे छोड़ा था वो अब अटक गया है और फिर उसने सारी आपबीती बयान कर डाली.....

इधर इस बात से अनीस थोड़ा परेशान हुआ मगर अगले ही पल वो जीशान से बोला कि कोई दिक्कत नही है भाई मेरे आने तक इंतजार कर आगे का क्या करना है मैं देखता हूं

जीशान - ठीक है भाई और फिर दोनो आगे कैसे क्या करना है वो डिसकस करते है और फिर फोन कट जाता है।

इधर शाम होने को आई और जीशान अभी भी कमरे में बंद था बीच में वो बाजार गया था और होटल में खाना खा कर आ गया था वो बिल्कुल वैसा ही कर रहा था जैसा अनीस ने उसे करने को कहा था

जब शाज़िया सो कर उठी तो उसने देखा की खाना अभी भी वैसा ही रखा हुआ था उसने सोचा कि जब अकल ठिकाने आ जाएगी तो खुद खाने आएगा.... लेकिन वो अंदर से थोड़ी परेशान भी हुई कि जीशान अब ये नया क्या कर रहा था एक पल को वो सोची की जीशान को टोके मगर अगले ही पल वो ये बात को आने मन से निकाल दी और अपने रात की खाने की तौयारी में जुट गई

……………………………………

रात के समय शाज़िया खाने की मेज पर जीशान का इंतजार की की वो आये और वो खाना खाये मगर ऐसा नही हुआ जीशान नही आया वो अपने कमरे में निश्चिन्त रुप से अपने पार्ट टाइम जॉब के काम को पूरा कर रहा था जिसको उसे इस हफ्ते ईमेल करना था..... इससे पूरे हफ्ते अनीस के जाने के बाद उसने अपने काम पे बिल्कुल भी समय नही दिया था।

इधर शाज़िया को जब यकीन हो गया कि वो अब नही आएगा तो वो खाने को वही टेबल पर ढक कर अपना खाना खा कर सोने को चली गयी लेकिन अब वो थोड़ी थोड़ी परेशान होने लगी थी आखिर जीशान को वो कैसे इस वासना के खेल से दूर करे.....

लेकिन उसे क्या पता था कि उसके बेटे उसके लिए पागल हो चुके है और अब अगला वार अनीस करने वाला था जिसकी योजना अनीस के मन मे बखूबी बन गयी थी कि घर आने के बाद उसे अपनी माँ को बोतल में कैसे उतारना है.....

जीशान को भूख तो लग रही थी लेकिन वो भी पूरी तैयारी कर के आया था मार्केट से उसने अपने बैग से बर्गर निकाल कर बड़े ही चाव से खाया और मस्त पेट भरने के बाद नींद की आगोश में चला गया वैसे भी अब उसे कुछ करना था नही जो वो अपना दिमाग लगाए।
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सुबह जब शाज़िया हॉल में आई तो देखा कि खाना वैसे का वैसा ही रखा हुआ है जिसे देख शाज़िया को बहुत गुस्सा आया और उसने वो सारा खाना कूड़ेदान में फेंक दिया और उसने भी ठान लिया कि देखती हूं आखिर कब तक ये लड़का ऐसे मुझे मजबूर करता है और वो अपने दिनचर्या के कामो में लग गयी।

कुछ देर बाद जीशान कमरे से बाहर आया तो देखा कि शाज़िया हॉल में बैठी टीवी देख रही है वो उसके तरफ बिना कुछ देखे और बोले बाहर निकल जाता है और सीधे रात को लौटता है।

इससे पूरे दिन में शाज़िया बहुत ही परेशान रही कि आखिर जीशान ऐसे कहा चला गया।

कितना भी गुस्सा क्यों न हो थी तो वो आखिर एक माँ ही ना और वो इसी लिए परेशान थी हालांकि जब से उसे जीशान ने उस तरह के हाल में पहुचाया था तब से वो कभी कभी उत्तेजित भी हो जाती थी लेकिन वो उसे खुल कर अपने ऊपर हावी नही होने दे पाती थी और अब तो जीशान की कारस्तानीया भी बंद हो गयी थी।

रात को जब जीशान आया तो उसने सोचा कि जा कर उससे सीधा सीधा सवाल करे या उसे खिंच कर दो थप्पड़ लगाए मगर वो ऐसा कर ना सकी..... हालांकि उसने रात का खाना बनाया था उसके लिए मगर वो आज भी खाना खाने नही आया और तो और इन दिनों में उन दोनो में बात भी नही हुई थी जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो चला था।

अगली सुबह अनीस को आना था और शाज़िया अब सोच ली थी कि वो इस मसले पर अनीस से जरूर बात करेगी मगर अनीस तो कुछ और ही धमाका करने वाला था.......
……………………………………….
सुबह के 11:30 बजने को आये और इन दो दिनों की तरह आज भी जीशान नास्ते के लिए नही आया टेबल पर और अभी शाज़िया सोच रही थी कि कही उसके इस फैसले से वो अपने छोटे बेटे को खो न दे या उसे कुछ हो न जाए हालांकि जीशान मस्त अपनी माँ के लिए आने वाले तोहफे का इंतजार कर रहा था जो अनीस उसके लिए ले कर आ रहा था और वो अपना खाना पीना भी टाइमली कर रहा था लेकिन शाज़िया की नजरों से बच कर और शाज़िया ये जानती थी कि वो बाहर से खाना खा रहा है मगर वो उसकी सेहत को ले कर परेशान थी क्योंकि बाहर का खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है.....2 बजे दोपहर में अनीस फाइनली आ गया और शाज़िया ने ही दरवाजा खोला और अंदर आते के साथ वो अपना बैग को वही उतार कर शाज़िया के गले लग गया और वो अपना हाथ सीधा शाज़िया की पीठ से होता उसके चुतड़ों पर ले आया और कुछ देर जब तक वो गले लगा रहा तब तक अपना हाथ वहां से नही हटाया और नाही शाज़िया ने कोइ विरोध किया क्योकि शाज़िया को अनीस के हाथों का स्पर्श उसके चुतड़ों पर होते ही झटका लगा मगर वो इसे मात्र एक इत्तफाक समझ कर रह गयी।

अनीस - मा मैंने आपलोगो को बहुत मिस किया जीशान कहा है माँ शाज़िया के मन मे आया कि वो अभी ही सारी बात बोल डाले मगर वो कह न पाई और इतना ही बोली कि अपने कमरे में है

तभी जीशान कमरे से बाहर आता है और अरे भाई वेलकम बैक होम कहते हुए गले लग जाता है और गले लगते ही अनीस उसके कानों के पास कहता है

अनीस - आते ही अपने काम मे लग गया हूं....और मुस्कुराता हुआ अलग होता है और कहता है माँ एक खुशखबरी है

शाज़िया - क्या बेटा

अनीस - पूरे एक महीने की छुट्टी ली है जैसा कि मैंने वादा किया था और हा बॉस ने मेरे काम में लगन को देखते हुए मेरे प्रमोशन की बात कही है अगर सब कुछ अच्छा रहा मा तो वेतन में पूरे 5000 की बढ़ोतरी होगी.....शाज़िया के खुशि के मारे आंखों में आँसू आ जाते है और कहती है भगवान तेरी हर मनोकामना पूर्ण कर और तुझे तरक्की दे।

तभी जीशान कहता है अरे वाह भाई कांग्रट्स वैसे भाई मुझे भी एक जरुरी बात बतानी है जिस कंपनी के लिए मैं काम करता हु उसने भी मुझे मेरे सैलरी में इन्क्रीमेंट देने की बात कही है।

और अपनी खुशि को हस कर जाहिर करता है अनीस एक बार फिर उससे गले मिल जाता है और फिर शाज़िया कहती है

अनीस बेटा जाओ और नहा कर आ जाओ मैं खाना लगा देती हूं और अनीस चला जाता है और जीशान भी

शाज़िया किचन में आ कर सोचती है जीशान कुछ भी किया हो मगर अपनी जिम्मेदारियों को सही से निभा रहा है।

तभी अनीस बाथरूम से आवाज लगता है माँ ओ माँ माँ.....

शाज़िया - हा अनीस बेटा बोलो क्या हुआ4

अनीस - माँ मुझे टॉवल देना मैं भूल आया हु

शाज़िया उसके कमरे में आती है और अलमीरा से टॉवल ले कर उसको देने आती है और दरवाजे के पास खड़े हो कर कहती है अनीस बेटे ये लो टॉवल

तभी अनीस दरवाजा खोल देता है और शाज़िया की आंखे फैल जाती है अनीस पूरा नंगा खड़ा था और उसका लन्ड टांगो के बीच मोटे पाइप की तरह लटक रहा था एक पल को शाज़िया एकदम शांत हो गयी मगर अगले ही पल वो उसे कहती है ये लो बेटा और अपना हाथ आगे बढ़ाती है तभी अनीस टॉवल लेने के लिये आगे बढ़ता है और फिसलने का नाटक करते हुए अपनी माँ को साथ मे ले कर गिर पड़ता है औऱ दर्द से कराहने लगता है माँ माँ कर कर

ये सब इतनी जल्दी में हुआ कि शाज़िया को संभालने का मौका ही नही मिला।
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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