नौकर से चुदाई compleet

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rajsharma
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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »



बड़ी देर तक हाफते हुए वह मेरे उपर ही
पड़ा रहा. मेरी चूत मे लंड घुसा ही रहा. जब तक-तब तक की ससुरा
ढीला हो कर खुद ही ना खिसका. घर के घर मे थे कोई जल्दी तो थी
ही नही. बड़ी देर तक दोनो चिपते पड़े रहे..फिर जब मुझे ज़ोर की
बाथरूम आई तभी मैं नीचे से कुनमूनाई. वह मुझे पर से
उतरा. तो मैं उठ कर अपने कपड़े ढूँढने लगी. उसने मुझे रोक दिया.
मैने प्रश्न भरी निगाहों से उसे देखा..छोड़ो ना.जाने दो अब. मेरी
निगाहों मे उस के लिए असीमित प्यार था..अभी नही..वह मुझे पकड़
कर गले से लगा लिया. नंगा वह नंगी मैं सीन मजेदार था..कर तो
लिए..अब और क्या ?कैसा लगा बीबीजी. मैने जवाब तो नही दिया बस मुस्करा
के उसे देखी..बताओ ना.वह मेरी नंगी पीठ पर हाथ चलाया. तब
मैं उसके गाल पर अपनी तरफ से एक किस करी. यह मेरा हरिया को
पहला किस था. और हाथ छुड़ाने लगी..अभी मत जाओ बीबी जी..अभी
मन नही भरा .. मन तो साला मेरा भी सात साल से प्यासा था. पर
यदि मैं बाथरूम ना जाती तो वही निकल पड़ती. क्या करती-जाना
अर्जेंट था. मैने छूटने की कोशिश की तो वही समझ
गया..बीबीजी..पेशाब जाना है क्या ?.मैने शरमा कर हा मे गरदन
हिलाई. वा बोला.यही मोरी पर हो आओ ना.. मैं फिर हा मे गरदन
हिला दी. तब जा के वो छोड़ा. मैं लगभग दौड़ती हुई सी मोरी पर
गयी. वाहा बैठते ही जो मेरी सुर्राटी छूटी तो एक बारगी तो मैं
खुद अपने पर शरमा उठी. अकेले बंद कमरे मे-रात के सन्नाटे
मेमेरी पेशाब निकलने की आवाज़ हरिया ने भी ज़रूर सुनी होगी.क्या
सोचा होगा उसने मन मे...

उस रात भी मेरी दो चुदाई हुई. एक बार तृप्त होने के बाद भी उस
ने मुझे जाने ना दिया.ना कपड़े पहनने दिए.वही अपने साथ सुला
लिया. अकेले बंद कमरे में-अपने नौकर के साथ नंगी पड़ी मुझे शरम
तो बहुत आ रही थी.पर क्या करती. जानती थी कि जवानी का मज़ा इसी
तरह लिया जाता है.-भगवान ने चूत को बनाया ही ऐसी जगह है.
बिना कपड़े खोले इस का मज़ा लिया ही नही जा सकता है. चुदाई के
बाद की खुमारी भी अजीब होती है. मेरा तो उस से अलग होने का मन ही
नही हो रहा था. नंगी होने की वजह से शरम आ रही थी सो मैं तो
हरिया की छाती में ही घुसी जा रही थी. उस के नंगे बदन से
चिपकाने मे मज़ा भी आ रहा था. उपर से वह मुझे बाहों मे ले मेरे
सारे बदन पर यहा वाहा सब जगह हाथ फेर रहा था..बीबीजी..(उसने
मेरी पीठ पर हाथ फिराया.) उम..(मैं अपनी तरफ से उस से चिपक
उठी.)कैसा लग रहा है .. (उसने मुझे अपनी तरफ खीचा तो मेरे
मम्मे उसके छाती से जा लगे.)...(मैं अपने छत्तीस न्म्बर के मम्मों
को हरिया से दबाता हुआ महसूस की.)बोले ना..चुप मत रहा करो..(उसने
पीठ पर हाथ फेरा.)क्या...(मैने आँख उठा कर उसकी तरफ
देखा.)अच्छा लग रहा है ना..(वह मेरे कूल्हों पर पहुँच
गया.)हूंम्म (करके मैं आगे को सरक अपने मम्मों को उस की छाती से
चिबद जाने दी.).और अपना पुराना राग आलापी..हरीयाहह.मुझे
छोड़ के मत जाना कभी..वह मेरे कूल्हों की मालिश किया..नही
बीबीजी..हमारा विस्वास करो.हम आपको छोड़ कर कही नही
जाएँगे..उसके कहने के ढंग पर मुझे बहुत प्यार आ गया. मैने उस
से चिपक कर अपने हेवी कूल्हे पर उस के हाथ का दबाव महसूस
किया..हमने आपकी माँग में सिंदूर भरा है ना बीबीजी.हम..-अब हम
आपको नही छोड़ने वाले है..और उसने मुझे अपने से चिपका लिया
मेरे मम्मे उस के सीने से दब कर पिचक गये. मेरे गाल की पप्पी लिया
तो मुझे बड़ा अच्छा लगा. धीरे धीरे उसमे फिर से उत्तेजना आ रही
थी. और जब उत्तेजना बढ़ी तो वह पुँह मेरे उपर चढ़ता चला आया.
मेरी तरफ से कोई विरोध ना था. मैं पीठ के बल हो गयी. अपनी
टागो को उस के स्वागत में खुद ही फेला दिया. दर-असल जो वो चाहता
था वही मैं भी चाहती थी. संगम लंड और चूत क़ा संगम.. उसने
मेरे घुटनों को हाथ लगा इशारा दिया तो मैने फॉरन अपने घुटने
मोड़ कर उस के लिए जगह बना दी.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

वह बैठ कर अपना कड़ा लंड अपने
हाथ में पकड़कर मेरी चूत से मिलाया तो मेरा पूरा शरीर उस
स्पर्श से सिहर उठा. वह अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर मेरी
बालों भारी चूत से तुलाने लगा तो मुझे बस यह समझिए की
पेशाब रोकना मुश्किल हो गया. मुझे अपनी भाभी की कही पुरानी
बात याद आ गयी. मर्द को अपने वश मे करना है तो.1-उसकी हा मे हा
मिलाओ..2-वो जो कहे वो करो.3-बिस्तर मे चुप मत रहो.ज़्यादातर मर्द
चुप रहने वाली औरत को पसंद नही करते.दिन मे शरमाओ पर रात
मे एक दम रंडी जैसा व्यवहार करो..मुझे हरिया को वश मे करना
था. मुझे हरिया को अपना बनाना था..मैं पिछले तीन दिनों से
हरिया से चुदवा रही थी. हरिया मुझे पसंद था.उसका लंड बढ़िया
था.उसका चोदने का तरीका बढ़िया था. साथ ही घर के घर मे
होने की वजह से उसकी अवेलेबिलिटी बढ़िया थी. यदि हरिया चाहता
है कि मैं बेशरम बनूँ तो यही सही. मुझे एक अच्छा साथी तो मिल
रहा है. बस मन मे यह बात आते ही मैं पड़ी पड़ी सोचने लगी कि अब
क्या करूँ जो हरिया को अच्छा लगे. तभी हरिया के लंड तुलाने से
मेरे अंदर जो सुरसुरी हुई तो लगा कि मेरा मूत ही छूट जाएगा. मैं फॅट से
उठ बैठी..सामने हरिया उकड़ूम बैठा था. मोटा सा- काला
सा-सीधा खड़ा लंड उसके हाथ मे था. देख कर ही मेरे कलेजे मे
हुक सी उठ पड़ी. यह लंड मेरा है इस लंड ने मुझे अभी थोड़ी देर
पहले चोदा था. और अभी चूत दे दूं- तो अभी फिर चोदेगा.
वाओ..क्या लंड है यार. मोटाई तो देखो इसकी.यह तो मेरी फाड़ के
रख देगा यार. है याद रखने लायक है कुछ चीज़.मेने तो सुना भर था कि
पहाड़ी लंड बड़े मस्त होते है. पाला तो अब पड़ा था. मैं अपना हाथ
अपने मुँह पर रख आश्चर्या से कह उठी..ओ मा..ये क्या है जी...
क्रमशः.........


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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

नौकर से चुदाई पार्ट---7
गतान्क से आगे.......

वह मेरे सामने बड़े गर्व से लंड को मुठियाया..क्या बीबी जी.जान
बुझ कर अंजान बन मुझसे पूछा..मैं अपनी नशीली आखों को और
नशीला बनाई.हाथ का इशारा उस के लंड की तरफ दी..य..य..ये..
वह लंड पर हाथ फिरा उसे और बड़ा करता हुआ बोला..यही तो वो
चीज़ है बीबीजी जिसे शरीर का राजा कहा जाता है..मैं अपना
हाथ अपने मुँह पर रख बोल उठी..हाय मा..इत्ता बड़ा... वह गर्व से
अपना लंड मुझे दिखाता हुआ बोला..देख लो बीबीजी..पसंद है
आपको...?.मैं फॉरन उसके गले में हाथ डालती हुई कह उठी.हाय
रे...यह तो बहुत बड़ा है हरिया..हरिया मुझे पकड़ कर बिस्तर
मे लिटाता हुआ बोला..आ जाओ..फिररर्ररर.एक बार और इस का मज़ा ले
लो...बीबीजी.. और मैं बिस्तर पर लेटी. उसने मेरे घुटने मोड. चौड़े
किए. आगे सरक आसन जमाया अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़
मेरी बालों भरी चूत से अड़ाया. दबाया तो गप्प से आगे का हिस्सा
अंदर समा गया. मई पड़ी पड़ी करी.उमुऊऊउ... वा और धक्का दिया.
लंड एक इंच भीतर सरक गया. मैं उसका हाथ पकड़ बोली.हा हा
हरिया..धीरे...करो रे..दरद होता है..दरद हो रहा है
बीबीजी...?.सीईईई.(मैं पहले तो सीत्कारी,फिर उस का हाथ पकड़
उसे अपने उपर गिरा लिया.अपनी बाँहे उसके गले में पिरो दी. फिर
कही.)..ज़रा धीरे धीरे पेला करो.नाआआ..मेरे इस तरह सेक्सी
बातें करने का क्या असर हुआ? वह बदमाश जानते है क्या किया
मेरे साथ. हँस कर एक दम से थेल दिया मेरे. कसी हुई चूत मे जो
मोटा लंड घुसा तो मैं ज़ोर से चीख उठी..ओ मा...मर
गाईईएई..रीईहह. मेरी चीख सुन कर तो वह डर ही गया और
फॉरन मेरे मुँह पर हाथ रखते हुए कहा.अरे अरे क्या करती हो
बीबीजी कोई सुन लेगा.. मैं उस की गर्दन मे डाली बाँह का फँदा सख्त
करती हुई बोली..मैं क्या करूँ...इत्ति ज़ोर से तो पेल दिया मेरे. वह
लंड को और अंदर सरकाते हुए बोला..और जो पड़ोसी सुन लेंगे तो... अब
लंड करीब पूरा ही मेरे अंदर था..हाय क्या करूँ...बड़ा मॉटा है.
मैने फुसफुसा कर उस से कहा..
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Re: नौकर से चुदाई

Post by rajsharma »

कभी इतना मोटा नही ली थी क्या
?(वह मेरा गाल चूमा.एक धक्का लगाया.).मैं जन्नत का मज़ा लूटती
हुई उस से लिपट गयी..ना..ना..नहिईईई.साहब तो चोदते होंगे
आपको.(वह गाल चूमा.दूसरा धक्का लगाया.)ही ही..नही तो यह
बच्चा कहा से आ गया.(मैने गलबहिया डाल चूमने का मज़ा लिया.)चुदवाने
से बच्चा आता है ?(वह चूमा.तीसरा धक्का लगाया)ही ही..(मैं
हँस के उस से कस के चिपक गयी ना.)बताओ ना ..(उसने लंड को बाहर
निकाल पूरा घुसा दिया.मेरा चौथा धक्का.)क्या...एयेए...(मैं धक्के के
ज़ोर से उपर सरक गयी.)बातें करो हम से...शरमाओ मत...(वह
चूमा.धक्का मारा.पाचावा)कर तो रहे है..और कैसे...(मैने अपने
उपर सवार नौकर का गाल चूम लिया)बताओ फिर.(वह गाल चूमा-
सातवा धक्का मारा.)क्या..(मैने उसे अपनी बाहों मे कस शादीवाला
अलबेला मज़ा लिया.)चोदने से बच्चा बनता है..(वह चुम्मा लिया-
आठवा धक्का मारा).हाआआ.(करती हुई मैं उस से बुरी तरह चिपक
गयी.)(और उसके कान के पास मुँह ले जा कर फुसफुसाई)..इसी लिए
तो मुझे बहुत डर लगता है हरिया..कही मेरे कुछ हो गया तो...मैं
कही कि नही रहूंगी..कुछ नही होगा बीबीजी..(वह धक्का मारा-मैं
खटिया मे पड़े पड़े हिल उठी.आप तो तनिक भी फिकर ना करो.(उसने
खच्छ से निकाला और गच्चा से घुसेड़ा)आपरेशन करा लिया
हम,अब कोनो फिकर नाही.चाहे जितना चोदबे के करो..(वह एक दम
जड़ तक घुसा दिया तो मैं बिलबिला कर उस से ही लिपट गयी.).बस वह
धक्के पे धक्के देता गया मैं पड़ी पड़ी एक के बाद दूसरा धक्का
खाती रही..उस का लंड बड़ा अच्छा था..उस का चोदने का स्टाइल बड़ा
प्यारा था..उसकी स्तंभन शक्ति बहुत अच्छी थी..उसने मुझे बहुत
देर चोदा.तब कही जा कर झाड़ा..मैं शरम के मारे ज़्यादा एक्टिव भाग
तो नही ले पाई. पर फिर भी मैने उसका उत्साह बढ़ाया. उसे कही
से यह नही लगने दिया कि मुझे मज़ा नही आ रहा है. वह बहुत खुश
था कि शहर की मालाकिन की मखमली चूत चोदने को मिल रही है.
और मैं भी खुश थी की मुझे घर घर मे एक मज़ा लेने का साधन
उपलब्ध हो गया था. आग दोनो तरफ लगी थी. दोनो ने ही एक दूसरे की
आग बुझाई. लंड बहुत मोटा था. उसने अगले कुछ ही क्षणों मे
रगड़ के रख दिया. मैं इस बार नही झड़ी. पर मैं पिछली बार के
झदने से ही बहुत ज़्यादा संतुष्ट थी. उस रात जब मैं निपट कर
अपने कमरे मे पहुँची तो रात का एक बज चुका था..मुझे ऐसी नींद
आई की सुबह मुन्ना ने ही जगाया.
दोस्तो ये कहानी आपको कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त

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