वतन तेरे हम लाडले complete
- shubhs
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Re: वतन तेरे हम लाडले
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सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- shubhs
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Re: वतन तेरे हम लाडले
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- rajsharma
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Re: वतन तेरे हम लाडले
इस पर साना जावेद ने कहा, ठहरो में पहले चेंज कर लूं इस ड्रेस में परेशान हूँ। यह कह कर साना जावेद ने साथ वाला दरवाज़ा खोला जो उसके बाथरूम का था और अंदर जाकर दरवाजा बंद कर लिया जबकि मेजर राज वहीं पर पड़े एक सोफे पर बैठ गया, कोई आधे घंटे बाद साना जावेद बाहर निकली तो उसका मेकअप आदि बिल्कुल साफ था और टाइट ड्रेस की जगह अब एक ढीली शर्ट और शॉर्ट ने ले ली थी। इस ड्रेसिंग में भी साना जावेद बहुत प्यारी लग रही थी, प्यारी के साथ सेक्सी भी लग रही थी, लेकिन राज को इस समय साना जावेद की मूवी देखने की जल्दी थी। साना जावेद कमरे में आई और अपने एक दराज में से कुछ सीडी निकाल कर उनको चेक करने लगी, फिर एक सीडी कवर से साना जावेद ने सीडी निकाल कर मेजर राज को दी और बोली ये है मेरी फिल्म जिसे इंडिया में चलाया जाएगा। लेकिन याद रखना कि इस फिल्म को अब तक फिल्म की कास्ट स्टाफ और कर्नल इरफ़ान के अलावा किसी ने नहीं देखा, यह लीक नहीं होनी चाहिए। तो राज ने कहा मैम आप चिंता न करें मुझे इस बात का पूरा-पूरा एहसास है। यदि आप का मन नहीं तो मैं यहीं पर यह फिल्म चला सकता हूँ?
साना जावेद ने कहा हां, देखो और अगर मेरे लिए कोई काम नहीं तो मैं सोना चाहती हूँ बहुत थक चुकी हूँ। मेजर राज ने कहा मेडम आप बेफिक्र होकर सोजाएँ बस इस बात का ध्यान रखें कि सुबह जल्दी उठकर आपको अपनी तैयारी करनी है ताकि शाम की फ्लाइट से हम इंडिया रवाना हो सकें। साना जावेद ने कहा, तुम चिंता मत करो मेरी तैयारी पूरी है, यह कह कर साना जावेद बेड पर लेट गई और अपने ऊपर एक हल्की सी चादर ले ली, कमरे में एसी चल रहा था और काफी शांत कमरा था जबकि साना जावेद की ढीली शर्ट और छोटी शॉर्ट में उसके शरीर का अधिकांश हिस्सा नंगा ही था तो उसको थोड़ी ठंड लग रही थी। मेजर राज को फिल्म देखने का कह कर साना जावेद जल्द ही सो गई थी, वह वास्तव में बहुत थक चुकी थी इसलिए उसे बहुत जल्दी नींद आ गई, जबकि मेजर राज सामने पड़े सीडी प्लेयर पर सीडी चलाकर 40 इंच बड़ी एलसीडी पर फिल्म देखने में व्यस्त हो गया था
फिल्म की शुरुआत में हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की स्वतंत्रता के कुछ दृश्य दिखाए गए थे, उनमें अधिकांश दृश्यों में इंडियन क्षेत्रों से मुस्लिम लोगों को विस्थापित करते दिखाया गया था जिन्हें रास्ते में हिंदुओं ने लूटा, किसी का माल लूटा तो किसी के मवेशी लूटे, और जहाँ कोई जवान लड़की दिखाई दी वहां उनकी इज़्ज़त लूटी यानी इस फिल्म की शुरुआत में ही इंडिया के खिलाफ नफरत फैलानी शुरू कर दी गई थी, जबकि पाकिस्तान की सेना को दिखाया कि वह पूर्वी इंडिया के लोगों की रक्षा की खातिर अपने प्राणों का बलिदान करते रहे
उसके बाद पश्चिमी पाकिस्तान की बरबादी ढाका के बाद के हालात दिखाए गए जहां अश्लीलता और नग्नता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी, जबकि उसके प्रांत के लोग अपनी परंपराओं और मूल्यों को सीने से लगाए हुए थे, यहां भी लोगों के साथ उत्पीड़न दिखाए गए थे। साना जावेद की भूमिका एक धार्मिक परिवार की नेक लड़की की थी जिसे कभी किसी गैर मर्द ने देखा तक नहीं था। घाटी के लोग बहुत मिलनसार और प्यार करने वाले थे, जबकि अपनी परंपराओं की खातिर जान कुर्बान करना भी जानते थे, जबकि दूसरी ओर शेष प्रांत मूल्यों और परंपराओं भूलकर पश्चिमी दुनिया के रंग में रंग गए थे। भारत सरकार और सेना मिलकर घाटी के खजाने पर कब्जा करना चाहते थे, वहाँ मादीनियात से घाटी के लोगों को वंचित रखा जा रहा था वहां पर मौजूद सोने की खदानों से प्राप्त होने वाली आय चुपके दूसरे प्रांतों में लगाई जा रही थी जबकि घाटी के लोगो को बताया जा रहा था कि सोने की खदानों से अब सोना निकालना संभव नहीं
वहां की महिलाओं के साथ भी भारतीय सेना उत्पीड़न कर रही थीं। इन्हीं में साना जावेद ने अपने क्षेत्र की महिलाओं के लिए आवाज उठाई तो भारत के सेनाध्यक्ष ने भरे बाजार में साना जावेद जैसी नेक और शरीफ लड़की को बेज़्जत किया और उसके सिर से दुपट्टा उतारकर उसको घाटी की सड़कों पर बालों से पकड़ कर घसीटा । मगर ये बहादुर लड़की सैनिकों से डरी नहीं और अपने लोगों की रक्षा के लिए आवाज बुलंद करती रही।फिर उसी फिल्म में यह भी दिखाया गया कि इसी बहादुर लड़की को भारतीय सेना के 5 जवानों ने मिलकर रात के अंधेरे में अपनी हवस का शिकार बनाया और उसके शरीर को नोच नोच कर लहूलुहान कर दिया। सारी रात सेना के जवान बारी बारी उसका बलात्कार करते रहे कभी आगे और कभी पीछे से उसको चोदते रहे। और इस लड़की की दिलख़राश चीखें सुनने के लिए वहां कोई मौजूद नहीं था। उसके बाद उस लड़की ने बदला लेने की ठानी और अपने लोगों में वापस जाकर उनको भारत के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया और पाकिस्तानी सेना से कॉन्टेक्ट शुरू किया, और प्रांत में अलग वतन का आंदोलन शुरू कर दिया फिल्म में कहीं भी इस बात का हिंट तक नहीं दिखाया कि इंडिया से अलग होने के बाद ये प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा, बल्कि फिल्म में छाप दिया जा रहा था कि घाटी का क्षेत्र स्वतंत्रता आंदोलन सफल होने के मामले में एक स्वतंत्र देश की स्थिति दुनिया के नक्शे पर दिखाई देगा
फिर फिल्म के अंत में घाटी के लोगों ने एकजुट होकर सेनाध्यक्ष को इसी बाजार में घसीटा जहां उसने घाटी की बहादुर बेटी यानी साना जावेद को घसीटा था और उनके पांच जवानों की भी गर्दनें अलग करने के बाद घाटी के लोगों ने अपने आप को भारत से अलग घोषित कर दिया जिसे वैश्विक ताकतों ने तत्काल स्वीकार कर लिया और आखिरकार भारत के अत्याचार से तंग आकर संचालित आंदोलन सफल हुआ और होलस्तान एक अलग देश के रूप में दुनिया के नक्शे पर दिखाया। यह फिल्म देखकर मेजर राज को पसीने आ गए थे, इस फिल्म में जो कुछ दिखाया गया था वह निश्चित रूप से वास्तविकता से बहुत दूर और दुश्मन के प्रचार का हिस्सा था। और यह सब कुछ इतना खतरनाक था कि अगर यह फिल्म घाटी के लोग देख लेते तो जहां पहले ही दुश्मन स्वतंत्रता आंदोलन चला रहे थे मासूम लोगों को गुमराह कर वहां तो आग लग जानी थी और लोकाटी जैसे देश विक्रेता एक आवाज पर लोगों ने विद्रोह की घोषणा कर देना था
मेजर राज को आने वाले हालात पर विचार कर पसीने आ रहे थे, वह यहीं साना जावेद के कमरे से ही लैपटॉप के माध्यम से इस फिल्म से ही चयनित दृश्य भारतीय सेना मुख्यालय को भेज दिए थे, मेजर राज साना जावेद के घर आने के बाद उसके कर्मचारी फ़िरोज़ को गायब करते ही लैपटॉप भी ले आया था क्योंकि वह जानता था कि उसे जरूरत होगी और साना जावेद का लैपटॉप इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता था। यह सब काम करके मेजर राज ने कुछ और जानकारी सेना मुख्यालय तक पहुँचाई और उसके बाद अपने आने की सूचना देकर लैपटॉप बंद किया और सोफे पर ही सो गया
दोपहर 11 बजे के करीब साना जावेद ने राज को जगाया, मेजर राज की आंख खुली तो उसकी आंखों के सामने साना जावेद का चेहरा था, मगर वह खासी झुंझलाई हुई लग रही थी। मेजर ने एकदम आँखें खोली और पूछा क्या हुआ ?? तो साना जावेद ने कहा कब से तुम्हें उठा रही हूँ मगर तुम उठ ही नहीं रहे।फ़िरोज़ तो चला गया लेकिन मेरा बाकी स्टाफ कहाँ हैं ??? इस पर मेजर राज मुस्कुराया और बोला उनको भी मैंने कल छुट्टी पर भेज दिया था आपके प्रबंधक से कहलवा दिया था कि मैम ने इंडिया से वापसी तक आप लोगों को छुट्टी दे दी है ताकि किसी को मेरे बारे में शक न हो सके। उसकी बात सुनकर साना जावेद ने कहा तो अब मुझे भूख लगी है, खाना भी नहीं है, मुझे खाना खाना है पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। ये सुनकर मेजर राज सोफे से उठा और बोला फ्रिज में देख लेते हैं कुछ पडा हो भोजन, लेकिन साना जावेद ने कहा, मैं देख चुकी हूँ कुछ नहीं है फ्रिज में।भूख तो राज को भी लग रही थी उसे भी अब लगा कि कुछ खा लेना चाहिए। मेजर राज अब किचन में गया तो वहां डबलरोटी का एक पैकेट पड़ा था साथ ही शेल्फ पर टोस्टर भी था और किचन मे जेम भी मौजूद था, एक दूध का पैकेट था जो मेजर राज ने निकालकर चाय बनाने के लिए इस्तेमाल किया और टोस्टर में कुछ स्लाइस गर्म करने के साथ जेम और चिकन पुलाव ट्रे में रखा, चाय बनाने के साथ ही राज ने 2 अंडे भी हाफ फ्राई कर लिए और ये गरम नाश्ता लेकर वापस कमरे में चला गया जहां साना जावेद बेचैनी से खाने का वेट कर रही थी।
मेजर राज के हाथ में नाश्ते की ट्रे देखकर साना जावेद तुरंत उठी और नाश्ते पर टूट पड़ी, मेजर राज ने भी साना जावेद के साथ ही हल्का नाश्ता किया। चाय पीकर साना जावेद ने राज की प्रशंसा की कि तुम तो मेरी रसोईये से भी अच्छी चाय बना लेते हो। इस पर राज ने कहा बस मैम हम सैनिकों को ऐसे सभी कार्य करने पड़ते हैं क्योंकि ज्यादातर तो हम घर से बाहर ही रहते हैं, और अगर एक मिशन पर हों तो यह सब काम खुद ही करने पड़ते हैं, सेवा के लिए न तो कोई कर्मचारी होता है ना ही जीवन साथी। यह कह कर मेजर राज हंस पड़ा और साना जावेद भी हंसने लगी कि चलो अच्छा हुआ कि तुम्हें कुछ बनाना आता है वरना मेरी तो भूख से जान ही निकली जा रही थी
नाश्ते के बाद साना जावेद अपने कुछ जरूरी कामों में व्यस्त हो गई जबकि मेजर राज घर से बाहर निकल कर सामने बने स्विमिंग पूल में जाकर स्विमिंग करने लग गया। राज ने शर्ट बनियान और पेंट उतार दी थी, नीचे उसने महज एक अंडर वेअर पहन रखा था। काफी देर राज स्विमिंग करता रहा, ठंडे पानी से उसे काफी संतोष मिल रहा था वैसे भी वह एक आर्मी ऑफिसर था और काफी समय से कोई भी व्यायाम का काम नहीं किया था, और स्विमिंग से अच्छा कोई व्यायाम नहीं जिससे न केवल कसरत हो जाती बल्कि ठंडे पानी से शरीर को उर्जा भी मिलती है। साना जावेद अपने ज़रूरी काम निपटा कर बाहर निकली तो उसको मेजर राज स्विमिंग पूल में तैराकी करता नजर आया साना जावेद स्विमिंग पूल के पास मौजूद बेंच पर जाकर बैठ गई और उसे स्विमिंग करते देखने लगी। जब राज वापार आया तो उसकी नज़र साना जावेद पर पड़ी। वह स्विमिंग पूल के किनारे पर आकर रुक गया और किनारे का सहारा लेकर थोड़ा ऊपर उठा, उसका चुस्त सीना और चेहरा साना जावेद को दिख रहा था, छाती पर नज़र डालकर साना जावेद को अंदाज़ा हो गया था कि ये फ़ौजी काफी कसरत का आदी है और उसका कसरती शरीर किसी भी गर्म लड़की को अपनी ओर खींच सकता था। मेजर राज ने साना जावेद से पूछा कि वह क्या देख रही है ?? तो साना जावेद ने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही तुम पर नजर पड़ी तो इधर आकर बैठ गई,
यह सुनकर संराज ने एक क़लाबाज़ी लगाई और फिर से तैराकी शुरू कर दी। जब राज एक किनारे से दूर हुआ तो साना जावेद अपनी जगह से खड़ी हो गई और उसे कौशल के साथ स्विमिंग करते देखने लगी। दूसरे किनारे पर पहुंचकर मेजर राज फिर से तेजी के साथ वापस आया और फिर स्विमिंग पूल में मौजूद सीढ़ियों से चढ़ता हुआ स्विमिंग पूल से बाहर आ गया।
साना जावेद एक पल के लिए तो राज के के शरीर को देखकर आँखें झपकाना ही भूल गया, ऐसा कसरती शरीर तो उसके प्रेमी फवाद का भी नहीं था, 6 पैक बॉडी, तंग छाती, बड़े डोले, थाईज़ कट ऐसे थे जैसे किसी बॉडी बिल्डर के हों और ऊपर से उसके शरीर से टपकता हुआ पानी .... । ग़रज़ उसके शरीर की बनावट हर लिहाज से ऐसी थी जैसी हर लड़की चाहती है कि मजबूत शरीर का लड़का उसका जीवन साथी बने। फिर साना जावेद की नजरें मेजर राज के सफेद रंग के अंडर वेअर पर पड़ी तो वहां उसे कुछ उभार नजर आया, मगर ये उभार इतना नहीं था कि वह यह कह सके कि अंडर वेअर में मौजूद हथियार अपना सिर उठाए हुए है
मेजर राज ने साना जावेद को अपनी ओर यों देखते हुए पाया तो उसे आंखों के इशारे से पूछा तो साना जावेद ने न में सिर हिलाकर कहा नहीं कुछ नही और इधर उधर देखने लगी। राज अब साथ लगे झूले की ओर चला गया, स्विमिंग पूल के साथ ही एक छोटा सा लॉन था जिसमे एक झूला लगा हुआ था, वहीं मेजर के कपड़े भी पड़े थे राज वहां जाकर झूले पर बैठ गया और अपना शरीर सूखने का इंतजार करने लगा। इतने में राज को शड़ाप की आवाज आई जैसे पानी में कोई चीज गिरी हो। राज ने पीछे मुड़ कर देखा तो स्विमिंग पूल के बाहर साना जावेद की शर्ट और सॉर्ट पड़ी दिखी जबकि सामने स्विमिंग पूल में साना जावेद पानी में तैर रही थी राज ने कुछ देर तो साना जावेद को देखा मगर फिर वापस मुड़ कर हल्का हल्का झूला झूलने लगा। वो साथ आने की स्थिति के बारे में सोच रहा था, उसे इंडिया की चिंता हो रही थी साथ ही वह समीरा के बारे में भी सोच रहा था कि न जाने उसका संदेश समीरा तक पहुँच चुका होगा या नहीं और वह अपनी सुरक्षा के साथ साथ वह काम कर पाएगी या नहीं जिसके बारे में उसे गुप्त संदेश में कहा गया था।
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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Re: वतन तेरे हम लाडले
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