Behatareen update brother.....
Keep writing....
keep posting......
पिशाच की वापसी
- rangila
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Re: पिशाच की वापसी
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
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Re: पिशाच की वापसी
बढ़िया अपडेट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
- SATISH
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Re: पिशाच की वापसी
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पिशाच की वापसी(running])
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लंगडा प्रेत(coming soon)
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- SATISH
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Re: पिशाच की वापसी
पिशाच की वापसी – 14
एक मजदूर अपनी पूरी मेहनत से काम कर रहा था, खच्चच ….. खच्चच, एक जगह हल्की सी खुदाई का काम करना था उसे, वह अपने काम में मग्न था वहां के हालत को भूल के, की तभी उसने ज़मीन पे कुछ देखा, ज़मीन पे हल्का सा पानी भरा हुआ था जिसे उसने उसके अंदर कुछ देखा वह सोचने लगा की क्या है, फिर उसने अपने हाथ आगे बढाया धीरे धीरे उस पानी की तरफ, धीरे धीरे वह हाथ आगे बढा रहा था और जैसे ही उसने उस पानी को चूहा..
"आआआआआआआअ….!!
एक आवाज़ जो चीखने की थी वह अचानक घुट के रही गयी, जिसे कोई और सुन नहीं पाया.
रोज़ की तरह काम हो रहा था, आज का मौसम कुछ अजीब था बाकी दीनों से, कुछ अलग ही माहौल, मानो एक अजीब सी शांति जो ना तो इंसान को भा रही थी और ना ही उस जगह से दूर भेज रही थी, ऐसा लग रहा था मानो उस जगह ने वहां पे सबको जकड़ा हुआ था, बेमन से ही सही पर सब अपने काम में लगे हुए थे.
दोपहर का वक्त था, कुछ लोग आगे के हिस्से में काम कर रहे थे तो कुछ वहां बनी उस उजड़े हुए कब्रिस्तान के उपर, पर एक अकेला ऐसा मजदूर था जो जंगल की गहराई में काम कर रहा था, जगह जगह गढ्ढे खुदे हुए थे, बारिश की वजह से पानी भरा हुआ था.
"खच्चच ….. खच्चच, आवाज़ के साथ वह मिट्टी उठा के साइड में डाल रहा था, उसका काम लगभग खत्म पर ही था, की उसने गढ्डे में भरे पानी के अंदर कुछ देखा, उसकी आँखें बड़ी हो गयी और उसके हाथ उसके खुद के चेहरे पे घूमने लगे, मानो चेहरे से कुछ हटाना चाह रहा हो, तभी उसने अपने चेहरे से हाथ हटाया और फिर दुबारा पानी में देखा, इस बार उसे राहत की सांस आई क्यों की उसका चेहरा अब नॉर्मल दिखाई दे रहा था लेकिन तभी …
देखते ही देखते उसका चेहरा उसके चीन से काला होने लगा, मानो धीरे धीरे जल रहा हो, उसेमें छाले पड़ने लगे, वह जलता गया और धीरे धीरे उपर बढ़ गया और कुछ ही पलों में वह आधा चेहरा अपना जला हुआ देख रहा था, एक बार फिर उसको झटका लगा..
"आआहह..."
वह हलके से चिल्लाते हुआ थोड़ा पीछे हुआ और अपने चेहरे पे हाथ लगाने लगा, लेकिन उसे फिर महसूस हुआ की उसका चेहरा बिलकुल ठीक है, उसके दिल की धड़कने बढ़ रही थी, साँसें इतनी जबरदस्त चढी हुई थी मानो वह मिलो दूर से भाग कर आया हो, चेहरे पे एक डर उभर के उसके चेहरे पे निखर रहा था, उसके हाथ पाव एक पल के लिए फूल गये, हिम्मत तो नहीं हो रही थी की वह आगे बड़े पर फिर भी वह आगे बड़ा, इंसान की लालसा उससे हर वह काम करने की तरफ खिंचती है जिसे नहीं करना चाहिए, वह काँपते हुए पैर को उठा के थोड़ा सा आगे गया और वहाँ जाकर अपनी शकल एक बार फिर पानी में देखी.
"मुझे ही धोका हो रहा है, हरिया सही कहता था, ये जगह ही अजीब है, मुझे यहाँ से निकल जाना चाहिए, नहीं तो में पागल हो जाऊंगा"
कहते हुई वह आदमी वहां से जाने लगता है की तभी उसके कानों में उसे कोई जानी पहचानी आवाज़ सुनाई देती है.
उसे आवाज़ को सुन के वह वहीं रुक गया, लेकिन फिर वह आवाज़ भी आनी बंद हो गयी,
"इस जगह में जरूर कोई गड़बड़ है"
बोलते हुए वह आगे बड़ा की उसे एक बार फिर जानी पहचानी आवाज़ सुनाई पडी, आवाज़ सुन के वह वहीं रुक गया पर इस बार वह आवाज़ नहीं रुकी, वह उस आवाज़ को ध्यान से सुनने लगा तभी उसे महसूस हुआ की वह कोन चिल्ला रहा है.
"ये आवाज़ तो हरिया की है"
बोलते हुए वह पीछे मुडा, लेकिन उसके पीछे कोई नहीं था, थी तो सिर्फ़ वह आवाज़ जिसमें उसका नाम था, मंगलू, मंगलू, बस यही आवाज़ आ रही थी.
"हरिया, हरिया, कहाँ है तू"
मंगलू आगे की तरफ बढ़ता हुआ चिल्लाया.
"में यहीं हूँ, तेरे सामने, मुझे बचा ले भाई, में यहाँ फँस गया हूँ बचा ले मुझे"
हरिया की घबराई हुई आवाज़ सुन के मंगलू के माथे पे शिकन आ गयी और उसके शरीर में डर की एक लहर दौड़ गयी.
"पर मुझे तू क्यों दिखाई नहीं दे रहा, कहाँ है तू"
आगे बढ़ते हुए वह उसेी जगह पे पहुंच गया था जहाँ से वह चला था, वह जंगलो की गहराइयो में देखने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, कोहरा इतना घना था की ज्यादा दूर से आँखों की रोशनी से देखना नामुमकिन था.
"मेरे भाई देख में तेरे पीछे ही हूँ जल्दी कर"
तभी मंगलू के कानो में आवाज़ पडी तो वह फौरन पीछे मुडा और सामने का नज़ारा देख वह पूरी तरह से चौंक गया, उसका शरीर कांप उठा.
"हरियाआआ…..”
मंगलू ज़ोर से चिल्लाया, उसके सामने हरिया उसेी गढ्ढे में पानी के अंदर था और बार बार पानी पे हाथ मार के बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, पर निकल नहीं पा रहा था.
"हरिया, तू, तू अंदर कैसे, हे भगवान ये क्या देख रहा हूँ में"?
मंगलू इस पल को देख के बिलकुल कांप चुका था, उसे यकीन नहीं हो रहा था की ये उसकी आँखें क्या देख रही है, उसका शरीर डर से कांप रहा था वहीं अपने दोस्त को उसे जगह पे ऐसे देख की पूरी तरह से चिंता में था.
"वह सब मत पूछ, मुझे जल्दी बाहर निकाल, मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है बहुत"
हरिया फिर से चिल्लाता है.
"तू चिंता मत कर भाई, में हूँ ना, में बचाता हूँ तुझे"
इतना कहा और वह पानी में उतर गया, पानी उसकी कमर तक आ गया, पर घुसते ही उसे अजीब सी चीज़ महसूस हुई
"पानी गरम, इस जगह पे हे भगवान ये तू आज क्या खेल दिखा रहा है"
इतना सोचते हुई वह कुछ कदम आगे बढा.
पर वह क्या जाने की ये खेल कोई भगवान नहीं, बल्कि कुदरत में जन्मा एक पिशाच खेल रहा है.
मंगलू आगे बड़ा, दूसरी तरफ से हरिया का हाथ उपर उठा मानो पकड़ने के लिए हाथ दे रहा हो, मंगलू का दिमाग इस वक्त उसके साथ नहीं था, उसने भी अपना हाथ उस तरफ बढ़ाया, उंगलीयो ने पानी को छुआ, थोड़ा सा हाथ अंदर गया की तभी…….
उसका हाथ फँस गया, अचानक ही उसके शरीर को झटका लगा, उसे महसूस हुआ मानो उसे कोई खींच रहा हो, इस सब से मंगलू का ध्यान पानी से हट गया और वह अपने हाथ को बाहर खींचने लगा, लेकिन वह हाथ टस से मस ना हुआ, मानो किसी पानी में नहीं बल्कि एक गाढ़े कीचड़ में फँस गया हो, वह कोशिश करने लगा लेकिन उसका हाथ नहीं निकला
"हरिया मेरा हाथ आ, निकल नहीं.."
बस इतना ही कहता है और पानी की तरफ देखता है तो उसे एक और बडा झटका लगता है, पानी में हरिया की छाया या उसका कोई भी अस्तित्व उसे नहीं दिखा, उसकी रूह अंदर तक कांप गयी, उसके बदन में डर की अकड़न पैदा हो गयी, वह चिल्लाया
"बचाओ"
बस इतना ही चिल्ला पाया की उसकी आवाज़ घुट गयी और तभी उसका शरीर पानी के अंदर ऐसे घुस गया मानो किसी ने तेजी से अंदर खिच लिया हो.
कहानी जारी रहेगी...
एक मजदूर अपनी पूरी मेहनत से काम कर रहा था, खच्चच ….. खच्चच, एक जगह हल्की सी खुदाई का काम करना था उसे, वह अपने काम में मग्न था वहां के हालत को भूल के, की तभी उसने ज़मीन पे कुछ देखा, ज़मीन पे हल्का सा पानी भरा हुआ था जिसे उसने उसके अंदर कुछ देखा वह सोचने लगा की क्या है, फिर उसने अपने हाथ आगे बढाया धीरे धीरे उस पानी की तरफ, धीरे धीरे वह हाथ आगे बढा रहा था और जैसे ही उसने उस पानी को चूहा..
"आआआआआआआअ….!!
एक आवाज़ जो चीखने की थी वह अचानक घुट के रही गयी, जिसे कोई और सुन नहीं पाया.
रोज़ की तरह काम हो रहा था, आज का मौसम कुछ अजीब था बाकी दीनों से, कुछ अलग ही माहौल, मानो एक अजीब सी शांति जो ना तो इंसान को भा रही थी और ना ही उस जगह से दूर भेज रही थी, ऐसा लग रहा था मानो उस जगह ने वहां पे सबको जकड़ा हुआ था, बेमन से ही सही पर सब अपने काम में लगे हुए थे.
दोपहर का वक्त था, कुछ लोग आगे के हिस्से में काम कर रहे थे तो कुछ वहां बनी उस उजड़े हुए कब्रिस्तान के उपर, पर एक अकेला ऐसा मजदूर था जो जंगल की गहराई में काम कर रहा था, जगह जगह गढ्ढे खुदे हुए थे, बारिश की वजह से पानी भरा हुआ था.
"खच्चच ….. खच्चच, आवाज़ के साथ वह मिट्टी उठा के साइड में डाल रहा था, उसका काम लगभग खत्म पर ही था, की उसने गढ्डे में भरे पानी के अंदर कुछ देखा, उसकी आँखें बड़ी हो गयी और उसके हाथ उसके खुद के चेहरे पे घूमने लगे, मानो चेहरे से कुछ हटाना चाह रहा हो, तभी उसने अपने चेहरे से हाथ हटाया और फिर दुबारा पानी में देखा, इस बार उसे राहत की सांस आई क्यों की उसका चेहरा अब नॉर्मल दिखाई दे रहा था लेकिन तभी …
देखते ही देखते उसका चेहरा उसके चीन से काला होने लगा, मानो धीरे धीरे जल रहा हो, उसेमें छाले पड़ने लगे, वह जलता गया और धीरे धीरे उपर बढ़ गया और कुछ ही पलों में वह आधा चेहरा अपना जला हुआ देख रहा था, एक बार फिर उसको झटका लगा..
"आआहह..."
वह हलके से चिल्लाते हुआ थोड़ा पीछे हुआ और अपने चेहरे पे हाथ लगाने लगा, लेकिन उसे फिर महसूस हुआ की उसका चेहरा बिलकुल ठीक है, उसके दिल की धड़कने बढ़ रही थी, साँसें इतनी जबरदस्त चढी हुई थी मानो वह मिलो दूर से भाग कर आया हो, चेहरे पे एक डर उभर के उसके चेहरे पे निखर रहा था, उसके हाथ पाव एक पल के लिए फूल गये, हिम्मत तो नहीं हो रही थी की वह आगे बड़े पर फिर भी वह आगे बड़ा, इंसान की लालसा उससे हर वह काम करने की तरफ खिंचती है जिसे नहीं करना चाहिए, वह काँपते हुए पैर को उठा के थोड़ा सा आगे गया और वहाँ जाकर अपनी शकल एक बार फिर पानी में देखी.
"मुझे ही धोका हो रहा है, हरिया सही कहता था, ये जगह ही अजीब है, मुझे यहाँ से निकल जाना चाहिए, नहीं तो में पागल हो जाऊंगा"
कहते हुई वह आदमी वहां से जाने लगता है की तभी उसके कानों में उसे कोई जानी पहचानी आवाज़ सुनाई देती है.
उसे आवाज़ को सुन के वह वहीं रुक गया, लेकिन फिर वह आवाज़ भी आनी बंद हो गयी,
"इस जगह में जरूर कोई गड़बड़ है"
बोलते हुए वह आगे बड़ा की उसे एक बार फिर जानी पहचानी आवाज़ सुनाई पडी, आवाज़ सुन के वह वहीं रुक गया पर इस बार वह आवाज़ नहीं रुकी, वह उस आवाज़ को ध्यान से सुनने लगा तभी उसे महसूस हुआ की वह कोन चिल्ला रहा है.
"ये आवाज़ तो हरिया की है"
बोलते हुए वह पीछे मुडा, लेकिन उसके पीछे कोई नहीं था, थी तो सिर्फ़ वह आवाज़ जिसमें उसका नाम था, मंगलू, मंगलू, बस यही आवाज़ आ रही थी.
"हरिया, हरिया, कहाँ है तू"
मंगलू आगे की तरफ बढ़ता हुआ चिल्लाया.
"में यहीं हूँ, तेरे सामने, मुझे बचा ले भाई, में यहाँ फँस गया हूँ बचा ले मुझे"
हरिया की घबराई हुई आवाज़ सुन के मंगलू के माथे पे शिकन आ गयी और उसके शरीर में डर की एक लहर दौड़ गयी.
"पर मुझे तू क्यों दिखाई नहीं दे रहा, कहाँ है तू"
आगे बढ़ते हुए वह उसेी जगह पे पहुंच गया था जहाँ से वह चला था, वह जंगलो की गहराइयो में देखने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, कोहरा इतना घना था की ज्यादा दूर से आँखों की रोशनी से देखना नामुमकिन था.
"मेरे भाई देख में तेरे पीछे ही हूँ जल्दी कर"
तभी मंगलू के कानो में आवाज़ पडी तो वह फौरन पीछे मुडा और सामने का नज़ारा देख वह पूरी तरह से चौंक गया, उसका शरीर कांप उठा.
"हरियाआआ…..”
मंगलू ज़ोर से चिल्लाया, उसके सामने हरिया उसेी गढ्ढे में पानी के अंदर था और बार बार पानी पे हाथ मार के बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, पर निकल नहीं पा रहा था.
"हरिया, तू, तू अंदर कैसे, हे भगवान ये क्या देख रहा हूँ में"?
मंगलू इस पल को देख के बिलकुल कांप चुका था, उसे यकीन नहीं हो रहा था की ये उसकी आँखें क्या देख रही है, उसका शरीर डर से कांप रहा था वहीं अपने दोस्त को उसे जगह पे ऐसे देख की पूरी तरह से चिंता में था.
"वह सब मत पूछ, मुझे जल्दी बाहर निकाल, मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है बहुत"
हरिया फिर से चिल्लाता है.
"तू चिंता मत कर भाई, में हूँ ना, में बचाता हूँ तुझे"
इतना कहा और वह पानी में उतर गया, पानी उसकी कमर तक आ गया, पर घुसते ही उसे अजीब सी चीज़ महसूस हुई
"पानी गरम, इस जगह पे हे भगवान ये तू आज क्या खेल दिखा रहा है"
इतना सोचते हुई वह कुछ कदम आगे बढा.
पर वह क्या जाने की ये खेल कोई भगवान नहीं, बल्कि कुदरत में जन्मा एक पिशाच खेल रहा है.
मंगलू आगे बड़ा, दूसरी तरफ से हरिया का हाथ उपर उठा मानो पकड़ने के लिए हाथ दे रहा हो, मंगलू का दिमाग इस वक्त उसके साथ नहीं था, उसने भी अपना हाथ उस तरफ बढ़ाया, उंगलीयो ने पानी को छुआ, थोड़ा सा हाथ अंदर गया की तभी…….
उसका हाथ फँस गया, अचानक ही उसके शरीर को झटका लगा, उसे महसूस हुआ मानो उसे कोई खींच रहा हो, इस सब से मंगलू का ध्यान पानी से हट गया और वह अपने हाथ को बाहर खींचने लगा, लेकिन वह हाथ टस से मस ना हुआ, मानो किसी पानी में नहीं बल्कि एक गाढ़े कीचड़ में फँस गया हो, वह कोशिश करने लगा लेकिन उसका हाथ नहीं निकला
"हरिया मेरा हाथ आ, निकल नहीं.."
बस इतना ही कहता है और पानी की तरफ देखता है तो उसे एक और बडा झटका लगता है, पानी में हरिया की छाया या उसका कोई भी अस्तित्व उसे नहीं दिखा, उसकी रूह अंदर तक कांप गयी, उसके बदन में डर की अकड़न पैदा हो गयी, वह चिल्लाया
"बचाओ"
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Re: पिशाच की वापसी
बढ़िया उपडेट तुस्सी छा गए बॉस
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा