विधवा माँ के अनौखे लाल

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rajsharma
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

Post by rajsharma »

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(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

Post by rajsharma »

इधर दोनो भाई आपस में गले मिलते है औऱ कहते है मुबारक हो भाई आखिर हमें आधी सफलता मिल ही गयी....अब बाकी का आधा बड़े ही सोच समझ कर करना होगा....कह कर दोनो फिर से गले मिलते है और अनीस खड़ा होता है और अंगड़ाई लेता है और जीशान उसे आराम से साथ ले कर हॉल में पहुचता है.....जब उनकी नजर उनकी नंगी मा पर जाती है तो उन्न दोनो के लन्ड बगावत पर उतर आए मगर अभी कोई भी जल्दबाजी काम बिगड़ सकती थी.....इसलिए वो आ कर खाने के टेबल पर बैठ जाते है....

शाज़िया खाना ले कर आती है और खुद अपने हाथों से दोनो नंगे बेटो को नंगी हो कर खिलाई और खुद भी खाई....खाना खाने के बाद दोनों भाई वही हॉल में ही सोफे और बैठ जाते है और शाज़िया किचन में नंगी काम कर रही होती है...जिसको दोनो भाई बारी बारी से देख रहे थे और शाज़िया भी जानती थी कि उनदोनो की नजर उसपर ही चिपकी हुई है...काम खत्म करने के बाद वो नंगी ही हॉल में आती है और कहती है कि वो लेटने जा रही है और वो जब जाने लगती है तो अनीस कहता है रुको माँ हम भी चलते है....आज से हम सब एक ही बिस्तर पर सोया करेंगे.... तुम्हारे दूधो को पीते हुए....जैसे बचपन मे सोते थे....

शाज़िया हस कर कहती है ठीक है मेरे बच्चो जैसा तुम कहो....और वो रूम में आ जाती है और जीशान और अनीस उसके पीछे पीछे कमरे में बेड पर पहले जीशान अनीस को चढ़ाता है फिर शाज़िया उसे सहारा दे कर आगे बढ़ाती है फिर जीशान भी चढ़ जाता है अब शाज़िया पूरी नंगी उनदोनो के साथ बेड पर बैठी थी

तभी जीशान कहता है माँ तुम अपने बालों की सफाई नही करती हो उसकी चूत पे हाथ रखते हुए और अनीस भी जीशान की हा में हा मिलाते हुए वो भी हाथ रख देता है जिससे शाज़िया के बदन में सुरसुरी दौड़ जाती है वो केवल इतना ही कह पाती है कि ये सब मुझे नही आता और नाही कभी जरूरत पड़ी.....

तब जीशान कहता है कोई बात नही मा मगर एक बात बताऊ ऐसे बाल रखने से इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है और कभी कभी तो पसीने के कारण खुजली भी हो जाती है और वही खुजली आगे चल कर घाव कर देती है....शाज़िया बोलती है मुझे इन् सब का ज्ञान नही है....मैं शुरू से ऐसी ही रही हु...

अनीस - तभी तो माँ तुम बराबर इसे खुजाती रहती थी अपने साड़ी के ऊपर से....जीशान ऐसा कर शेविंग किट ले आ आज मा की बालो की सफाई कर देते है....

शाज़िया - क्या तुम लोग भी अभी ये सब करना जरूरी है बाद में करेंगे.... अभी रहने दो तभी जीशान कहता है नही मा करवा लो साफ और उठ कर शेविंग किट ले आता है और फिर एक बोतल ठंडा पानी.... और चादर तो थी ही.....

ये सब होने तक शाज़िया कुछ नही कहती और वैसे ही बैठी रहती है....

उसके बाद जीशान कहता है माँ लेट जाओ भइया तुम्हारी बालो की सफाई कर देगा...वो चुपचाप लेट जाती है और जीशान खुद अपने हाथों से शाज़िया की पैरो को फैला देता है जिससे शाज़िया की चूत खुल जाती है....और उन दोनो कि आंखे चमक उठती है....

शाज़िया शर्मा जाती है....ये सोच कर की है भगवान ये वो कहा से कहा आ गयी एक ही दिन में....और अनीस उसकी जांघो के बीच ठंडे पानी की कुछ छीटे उसकी चूत पर गिराता है शाज़िया आह कर उठती है
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

Post by rajsharma »

उसके बाद अनीस अपनी माँ की चूत पे शेविंग फोम लगाता है और कुछ ही सेकण्ड्स के बाद वो रेजर से बड़ी ही सावधानी से उसके बालो की सफाई करने लगता है.....कुछ ही पलों में शाज़िया की चूत चमक उठती है....एकदम पावरोटी के तरह फूली हुई....बिना बालो वाली चूत उसके बेटो के सामने थी.....

तभी जीशान शाज़िया की चुत पर ठंडे पानी का छिड़काव करता है जिससे शाज़िया बोल उठती हक़ी हाय बेटा ये क्या करते हो !!! उफ्फ मेरी जान लोगे क्या....

जीशान - नही माँ कैसी बाते करती है देखो तो अपनी चुत को कैसे निखर आयी है....और तभी अनीस कहता है कि जीशान मा की पीछे भी काफी बाल है उन्हें भी साफ किये देता हूं...इतना कहना था कि जीशान शाज़िया को उलटी कर देता है जिससे उसकी गाड़ उनके सामने आ जाती है

शाज़िया हाथ पीछे ले जा कर कहती है यह कुछ नही है ये गंदी जगह है इसे छोड़ दो...

जीशान - नही मा ऐसा कुछ नही है तुम बस्स लेटी रहो हमे अपना काम करने दो और अब उसकी गांड को जीशान दोनो हाथो से फैला कर अनीस को दिखता है और कहता है भाई यहां भी करो और फ़ी अनीस अपने काम मे लग जाता है जब तक जीशान शाज़िया की गांड को दोनो हाथो से फैलाये रखता है जिससे शाज़िया का गुलाबी छेद उन्न दोनो के सामने खुलता औऱ सिकुड़ता रहता है जिससे शाज़िया के साथ साथ दोनो की भी हालत खराब हो रही थी.....

जीशान का तो मन हो रहा था कि अभी वो अपना लन्ड शाज़िया की गांड में ठूस दे....मगर वो ये सब प्यार से करना चाहता था इतनी मेहनत को वो बेकार नही करना चाहता था....वैसे भी सब्र का फल मीठा होता है.....गांड की भी सफ़ाई करने के बाद वो शाज़िया को पलटते है और शाज़िया का चेहरा देखने लायक था...पूरा लाल लाल हो गया था उसका चेहरा उत्तेजना के कारण....

दोनो भाइयो ने उससे पूछा कि माँ अब देखो तुम्हारी ये चुत की हालत और अपने गांड की भी...

शाज़िया मुस्कुरा कर कहती है तुम दोनों को पसंद आई न तुम्हे ही किया तुमलोगो को पसंद आनी चाहिए....मेरी खुशि तुमदोनो में ही है....

जीशान और अनीस - ओह्ह मा कहते हुए उसे गालो पे चुम लेते है तभी जीशान शेविंग किट उठा कर रख आता है...और वापिस आ कर शाज़िया से चिपक कर लेट जाता है जबकि उन दोनो के हाथ शाज़िया की चुचियो और चूत से खिलवाड़ करते रहते है।।।जिससे शाज़िया रोक कर कहती है अब थोड़ा आराम भी करने दो....जब से लगे पड़े हो....फिर दोनों भाई हस कर अपने सिर शाज़िया की चुचियो पे रख कर लेट जाते है....
…………………
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

Post by rajsharma »

शाम के वक़्त जब शाज़िया जब नींद से जागती है तब वो देखती है कि दोनो बेटे उसकी चुचियो पर सर रखे और हाथ उसकी चूत पर रखे सो रहे है....उसे उनदोनो पर बहुत ही प्यार आता है....कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो उनदोनो को उठाती है और कहती है उठो बच्चो शाम हो गयी है.....और फिर वो दोनों नींद से जागते ही अपनी माँ की चूत को मुट्ठी में भर का भींच देते है जिससे शाज़िया कराह उठती है और कहती है जगते ही शैतानी शुरू....और फिर वो उन दोनो के बीच से उठ कर बेहद ही कामुकता के साथ ये कहते हुए बाहर चली जाती है कि उठ कर मुह हाथ धो लो और जीशान तुम अनीस की मदद कर देना....मैं चाय बना कर लाती हु....और अपनी गांड मटकाती हुई बाथरूम चली जाती है वो आज पहली बार पूरी नंगी हालत में अपने घर मे घूम रही थी वो भी उसके दोनों बेटों के मोजूदगी में....उसे खुद में आश्चर्य होता है

तभी उसका ध्यान अपनी चिकनी चूत पर जाता है उस पर हाथ लगाते ही वो सिहर उठती है उसकी चूत काफी चिकनी हो गयी थी और इसका एहसास उसके लिए बिल्कुल नया था वो सोची की पता नही आगे ये क्या क्या करवाएंगे.....खैर वो मूतने के बाद वापिस नंगी हॉल में आती है जहाँ वो दोनों पहले से ही बैठे रहते है वो शाज़िया को कहते है....

जीशान - मा बहुत ही अच्छी लग रही हो और तो और अब गर्मी भी नही लग रही होगी ।

इनके ऐसे बात सुन कर वो शर्मा जाती है और कहती है चुप करो सब तुमदोनो का किया धरा है....और फिर किचन में चली जाती है.... चाय बना कर लाती है और दोनो बेटो को झुक कर देती है तो उसकी चुचिया लटक जाती है उनके सामने जिससे उनके लन्ड में फिर से तनाव आने लगता है....वो बोलती है अभी सोचना भी मत अभी खाने की तैयारी करनी है कपडे रखे है धोने है....चुय चाप चाय पी कर टिवी देखो मैं चली काम निपटाने.... ये सब रात को....ये बात बोल कर वो फिर से शर्मा जाती है....की वो ये क्या बोले जा रही है और कितनी बेबाक तरीके से नंगी हो कर उनके सामने चाय दे रही है....

तभी जीशान उसकी एक चुचि को चाय के गर्म कप में डूबा कर हटा लेता है जिससे शाज़िया की चुचियो में गरम चाय का एहसास होते ही वो चिल्ला उठती है.....और कहती है ये क्या हरकत है जीशान इनको जला देगा तो चूसेगा किसे...और वो वही सोफे पे उनके बीच मे बैठ जाती है और अनीस अपना हाथ शाज़िया की चुतड़ों पे रख देता है और शाज़िया के बैठते ही वो दब जाते है शाज़िया कुछ नही बोलती और अपनी एक चुची को हाथो में लिए उसे फुकने लगती है तभी जीशान उसकी चुची को अपने हाथो में ले कर मुह में ले लेता है और चुसने लगता है क्योंकि सुबह उन दोनो ने उसकी चुचियो को छील दिया था और अभी उसपे गर्म चाय उफ्फ क्या जुल्म किया था उसने...

.शाज़िया की दूसरी चुची को अनीस चुसने लगता है...5 मिनट की चुसाई के बाद जीशान सोचता है कि आगे बढ़ा जाए मगर तभी शाज़िया खुद ब खुद अपने दोनों हाथ दोनो के लन्ड पर रख देती है और सहलाने लगती है और उसकी साँसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी....उन दोनो के खुसी का ठिकाना नही रहता दरअसल शाज़िया जो है वो कब से अपने अंदर की कामाग्नि को दबाये हुए थी मगर आज वो सब बाहर आने को आतुर था अब वो भी अपने बदन की ज्वाला को बुझाना चाहती थी...लग ही नही रहा था कि वो दो जवान बेटो की माँ है....एक वासना की भूखी औरत की तरह व्यवहार कर रही थी
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