जुली को मिल गई मूली compleet

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rajsharma
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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

मैं तो तीसरी बार झड़ने वाली थी और अपने आप को हवा मे उड़ता हुआ महसूस कर रही थी. उनकी मेरी चूत चोद्ने की रफ़्तार फिर से बढ़ गई थी और उनके लौडे के मेरी चूत मे हर झटके के साथ, हर धक्के के साथ उनके अंडवे की गोलियाँ मेरी गंद के दरवाजे पर टकरा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे उनके अंडवे की गोलियाँ मेरी गंद का दरवाजा खटखटा रही थी. मैने उनके लंड का सूपड़ा अपनी चूत मे आते जाते फूलता हुआ महसूस किया तो मुझे पता लग गया कि उनके लौडे से भी प्रेम रस की, लंड रस की बरसात होने ही वाली है. मैं तो पहले से ही झड़ने के काफ़ी करीब थी.

” आअहहाहह….. ऊऊहूऊहह…..आअहह” मेरे मूह से निकालने लगा. और………और…….और…….. मैं झटके से तीसरी बार झाड़ गई. मुझे पता था कि वो भी झड़ने के, लौडे से पानी बरसाने के करीब थे और वो तूफ़ानी रफ़्तार से अपना लॉडा मेरी चूत मे अंदर बाहर करने लगे.

“आहह…..ऊऊहह…..जुलीईई” उनके मूह से अचानक निकला और उन्होने अपना लंबा लॉडा मेरी चूत के अंदर तक दबा दिया और उनके लौडे से निकलती रस की धार मेरी चूत को भरने लगी. वो मेरे उपर लेट गये और मुझे ज़ोर से अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उनका लंड नाच नाच कर मेरी चूत मे अपना प्रेम रस बरसा रहा था.

हम दोनो बिस्तर मे कुछ देर तक वैसे ही लिपटे हुए, उनका लंड अपनी चूत के अंदर लिए ही सोए रहे. उनके लंड से निकला रस मेरी चूत के रस मे घुल मिल कर मेरी चूत से बाहर आने लगा था. उनका लॉडा भी मेरी चूत मे पड़ा पड़ा नरम होने लगा था. उन्होने अपना नरम पड़ता और छोटा होता हुआ लॉडा मेरी बहती हुई चूत से बाहर निकाला और बिस्तर मे मेरे बराबर मे सो गये.

“डार्लिंग! ज़रा मुझे अपनी नई सेक्सी ड्रेस पहन कर तो दिखाओ.” वो बोले.

मैं मुस्कराई और उनके होठों पर एक प्यारा सा चुंबन दिया.

उनको नई ड्रेस पहन कर दिखाने से पहले मैं अपना बदन सॉफ करने बाथरूम मे गई.

मैं जानती थी कि वो नई ड्रेस भी रात का खाना खाने के बाद मेरे बदन से उतरने वाली है और वो रात को मुझे फिर से चोद्ने वाले हैं.

मैं भी रात को उनसे फिर से चुदवाने के लिए पूरी तरह तय्यार थी.

क्रमशः.................................
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(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

जुली को मिल गई मूली-30

गतान्क से आगे.....................

ये बात मार्च महीने के आख़िरी साप्ताह की है. मैने और मेरे चुड़क्कड़ पति ने ये निस्चय किया कि उस रात को हम अपना मनपसंद चुदाई का खेल अंधेरे कमरे मे, बिना एक दूसरे को देखे हुए खेलेंगे. अब तक उन्होने जब भी मुझे चोदा था या जब भी मैने चुदवाया था, हमेशा या तो रात को पूरी रोशनी मे या दिन की रोशनी मे. चुदाई करते समय रोशनी और एक दूसरे को देखना हम दोनो को ही बहुत पसंद है. हम दोनो ही अंधेरे मे चोद्ने और चुद्वाने का नया अनुभव करना चाहते थे.

यहाँ मैं आप को बता दूं कि चुदाई करना कौन सी नयी या बड़ी बात है. अगर एक ही तरीके से, चूत मे लॉडा डाल कर हमेशा चुदाई होगी तो जल्दी ही चुदाई का मज़ा कम होता जाएगा. इसलिए मैं तो सब को यही सलाह दूँगी कि चुदाई को हमेशा अपनी जिंदगी मे तरोताज़ा रखने के लिए, अलग अलग जगह पर, अलग अलग पोज़िशन मे, अलग अलग तरीके से चुदाई करनी और करवानी चाहिए. हम, मैं और मेरे पति तो हमेशा अलग अलग तरीके से चुदाई करते हैं जिस से चुदाई का मज़ा बढ़ता जाता है और आप लोगों को भी पढ़ने मे मज़ा आता है. मैं अपनी चुदाई के बारे मे इसीलिए इतना लिख पाई हूँ कि मेरी हर चुदाई मे एक नयी बात होती है जो मैं लिख सकती हूँ, वरना चुदाई मे नया क्या है.

उस दिन शुक्रवार ( फ्राइडे ) था. शाम को मेरे पति का फोन आया कि वो रात का खाना मेरे साथ नही खा सकेंगे क्यों कि उनको अपने ऑफीस के काम से एक डिन्नर पार्टी मे जाना था. उन्होने मुझे कहा कि मैं रात का खाना खा लूँ, बेडरूम की लाइट बंद कर दूं और अपने सभी कपड़े उतार कर, नंगी हो कर बिस्तर मे सो जाऊ. वो अपने पास की चाबी से दरवाजा खोल कर घर के अंदर आ जाएँगे. फिर जो खेल हम हमेशा रोशनी मे खेलतें हैं वो बेडरूम के अंधेरे मे खेलेंगे. मेरे लिए भी ये एक नया अनुभव था क्यों कि मैने कभी भी अंधेरे मे नही चुद्वाया था. आज पहले बार मैं अंधेरे मे चुद्वाने जा रही थी.

जैसा कि उन्होने कहा था, मैने खाने के समय पर अपना रात का खाना खाया और मैं बेडरूम मे आ गई. मैने बेडरूम की सभी खिड़कियों पर पर्दे खींच दिए और अपने सेक्सी बदन पर से सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई. मैने अपना नंगा और सेक्सी बदन बेडरूम मे ड्रेसिंग टेबल के बड़े आईने मे देखा. मुझे अपने सेक्सी और सुंदर बदन पर बहुत गर्व है. मैं हमेशा भगवान का शुक्रिया अदा करती हूँ की उन्होने मुझे इतना सुंदर बनाया और मेरे बदन को इतना सेक्सी बनाया कि कोई भी मर्द मुझे देखते ही लार टपकाने लगता है और सभी औरतें या लड़कियाँ मुझ से जलती है की मेरे जैसा सेक्सी बदन उनका क्यों नही है.

काफ़ी देर तक अपने आप को आईने मे नंगी देख कर मैं खुश होती रही और फिर मैं बाथरूम ने आ गई. मैं अपनी गंद को सॉफ कर लेना चाहती थी क्यों कि मुझे पक्का यकीन था कि आज मेरे पति मेरी गंद ज़रूर मारेंगे. वैसे भी मुझे गंद मरवा कर काफ़ी दिन हो गये थे. आज मेरी गंद ज़रूर मारी जाएगी, ये मुझे लग रहा था. मेरे पढ़ने वालों को पता है कि हमारे पास गंद मारने और गंद मरवाने वाला वो समान है जिस से गंद पूरी तरह अंदर से साफ हो जाती है और फिर बिना कॉंडम लगाए गंद मे लॉडा लिया जा सकता है और इन्फेक्षन का कोई ख़तरा नही होता. ये समान हम ने स्विट्ज़र्लॅंड मे खरीदा था और जब भी मेरे पति अकेले या हम दोनो विदेश जाते हैं, हम याद रख कर ये गंद मारने वाला समान ज़रूर ले कर आते हैं.

मैने बिना सुई वाले इंजेक्षन मे दवा भर कर उस का मूह अपनी गंद मे डाला और सारी दवा अपनी गंद मे डाल ली. कुछ ही देर मे मेरे पेट मे और मेरी गंद मे गुदगुदी सी होने लगी और दवा ने अपना काम कर दिया था. मैं टाय्लेट सीट पर बैठ गई और मेरी गंद से सारी गंदगी बाहर निकलती गई. कुछ ही देर मे मेरी गंद अंदर से पूरी तरह सॉफ हो गई और मेरी गंद की सारी गंदगी बाहर निकल गई. मैने पानी से अपनी गंद को अच्छी तरह से सॉफ किया और गंद को नरम बनाने वाली क्रीम अपनी उंगली से अपने गंद के अंदर लगा ली. अब मैं बिना कॉंडम के अपनी गंद मरवाने के लिए पूरी तरह तय्यार थी.

मैं अपनी चूत चुद्वाने और गंद मरवाने के लिए तय्यार हो कर वापस बेडरूम मे आई और बेडरूम की लाइट बंद कर के बिस्तर मे लेट गई.

मैं अपने बेडरूम के अंधेरे मे, अपने बिस्तर मे नंगी लेटी हुई, अपने पति का इंतज़ार कर रही थी क्यों कि थोड़ी देर पहले ही उन्होने फोन कर के बताया था कि वो घर के रास्ते मे ही है. मुझे पता था कि वो कभी भी घर पहुँचने वाले थे.

थोड़ी देर बाद मैने घर का दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनी. मैने उनको बेडरूम मे आते हुए देखा क्यों कि बाहर के कमरे मे नाइट बल्ब जल रहा था जिसकी रोशनी बेडरूम का दरवाजा खुलते ही अंदर आई. मैने देखा कि बेडरूम मे आ कर उन्होने फिर से बेडरूम का दरवाजा बंद किया. बेड रूम मे फिर से अंधेरा हो गया था. खिड़कियों पर पर्दे लगे होने की वजह से बाहर की भी ज़रा सी भी रोशनी बेडरूम के अंदर नही आ रही थी और हमारे बेडरूम मे घना अंधेरा था. कुछ भी दिखाई नही दे रहा था.

मैने उनकी पॅंट के बेल्ट खुलने की आवाज़ सुनी, फिर पॅंट की ज़िप खुलने की आवाज़ सुनी. फिर मैने उनके कपड़े ज़मीन पर गिरने की आवाज़ भी सुनी. उनके पैरो की आवाज़ सॉफ सॉफ सुनाई दे रही थी की वो बिस्तर के करीब आ रहे थे. मैने महसूस किया कि वो बिस्तर पर बैठ गये हैं और मैने अंधेरे मे ही उनका हाथ पकड़ कर अपनी नंगी चुचियों पर रख दिया. तुरंत ही उनके मज़बूत हथीन ने मेरी चुचियों को मसलना और दबाना शुरू कर दिया और वो मेरे नंगे बदन के पास लेट गये. मुझे पता था कि वो भी पूरी तरह, मेरे जैसे नंगे ही हैं. उनके गरम गरम होंठ पहले मेरे गुलाबी गाल पर पहुँचे और फिर उनके होठों ने मेरे होठों का एक लंबा और शानदार चुंबन लिया. मेरे हाथ उनकी चौड़ी, मज़बूत और बालों भरी छाती पर फिर रहे थे.

मैने उनकी मज़बूत बाहों पर हाथ फिराया. मैं उनका हाथ लगते ही बहुत जल्दी गरम हो जाती हूँ. मैने महसूस किया की मेरी फुददी गीली होना शुरू हो चुकी है. उनके होंठ मेरे नंगे बदन पर घूमते हुए मेरी चुचियों तक पहुँचे. मेरी दोनो निप्पल तन कर खड़ी थी. उन्होने मेरी एक निप्पल को अपने मूह मे ले कर चूसना शुरू किया और दूसरी चुचि को, निप्पल को अपने हाथ से मसल्ने लगे. मेरी साँसें तेज हो गई.
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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

उनके होंठ मुझे, मेरे सेक्सी बदन को चूमते हुए नीचे, सही जगह पर, मेरी चूत तक पहुँचे. फिर उन्होने मेरी टाँगों को पकड़ कर चौड़ा कर दिया. उन्होने मेरी जाँघो को चूमा और उनके होंठ मेरी टाँगों के जोड़ पर आ गये. उन्होने मेरे घुटने मोड़ कर जैसे मेरी चुचियों से मिला दिए. मुझे पता था कि इस तरह मेरी चूत खुल कर बाहर निकल आई होगी. हालाँकि हम दोनो ही उस घने अंधेरे मे कुछ भी नही देख पा रहे थे, पर सब महसूस हो रहा था. वो अपनी जीभ से मेरी सफाचट, बिना बालों वाली चूत को बाहर से चाटने लगे. फिर उन्होने मेरी चूत के होठों को ऐसे चूमा जैसे मेरे मूह के होठों को चूमते हैं. मेरी चूत के दोनो होठों को अपने मूह मे ले कर चूस्ते हुए जब उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत के होठों के अंदर डाली तो मैं मज़े के मारे जैसे चिल्ला ही पड़ी. उनकी जीभ मेरी चूत मे लप्लपाति हुई मेरी चूत के खड़े हुए दाने पर पहुँची. उनको भी पता है कि वो जितना मेरी चूत के दाने को चूसेंगे, जितना चाटेंगे, मेरी चूत से उतना ही रस निकलेगा. और उनके मेरी चूत के दाने को चूसने से मेरी चूत से चूत रस की जैसे नदी सी बहने लगी. फिर उन्होने अपनी जीभ नीचे कर के मेरी चूत से निकलते सारे रस को चाट लिया. मेरा भी मन हो रहा था को मैं उनका लंबा, मोटा, गरमा गरम और मज़बूत लॉडा पकड़ कर अपने मूह मे ले कर चुसू. उन्होने जैसे मेरे दिल की बात सुन ली. वो मेरी बगल मे, मेरे सिर की तरफ पैर कर के जैसे ही लेटे, मैं उनके उपर 69 की पोज़िशन मे सवार हो गई. उन के उपर चढ़ कर मैने अपनी गंद उनके मूह के उपर नीची करके अपनी चूत को उनके मूह पर दबाया. मैने महसूस किया कि उनकी चुदाई का औज़ार, उनका तनटनाता हुआ, खड़ा लॉडा मेरे गालों को टच कर रहा है. मैने देर नही की और जल्दी से उनके तने हुए, सख़्त, गरम, लंबे, मोटे और मज़बूत लंड को अपनी हाथ मे पकड़ लिया. मैने उनके लंड पर अपनी हाथ से मालिश की और उनके लंड का सूपड़ा अपने मूह मे ले लिया. उनके सूपदे पर लगा उनके लंड का पानी मैने अपनी जीभ से चाट लिया.

मैने उनके लंबे लंड को नीचे से ले कर उपर तक चाटा और फिर से उनके लंड का मूह अपने मूह मे ले लिया. मेरे मूह के लिए उनका लॉडा काफ़ी बड़ा है. मैं तो उनका आधा लॉडा भी अपने मूह मे नही ले पाती. हमेशा मैं उनका लॉडा अपने गले तक अपने मूह मे लेती हूँ ताकि उनका लॉडा ज़्यादा से ज़्यादा मेरे मूह मे आ जाए. लेकिन कमाल की बात ये है कि उनका लंबा लॉडा जो मैं पूरा अपने मूह मे नही ले पाती, वो लॉडा मैं अपनी चूत मे पूरे का पूरा ले लेती हूँ. जितना मैं अपने मूह मे उनका लॉडा ले सकती थी, उतना ले कर मैने उनके लंड को चूसना चालू किया, चाटना चालू किया, अपने मूह मे अंदर बाहर कर के उनके लौडे से अपने मूह को चुद्वाना चालू किया. और वो मेरे नीचे लेटे हुए मेरी चूत को, मेरी चूत के दाने को सेक्सी तरीके से चाट रहे थे. थोड़ी ही देर मे उन्होने मेरी चूत के अंदर अपनी जीभ डाल कर मेरी चूत को अपनी जीभ से ही चोद्ने लगे. मुझे लग रहा था कि कोई बच्चा अपने नन्हे लौडे से मेरी चूत चोद रहा है. वैसे उनकी जीभ भी बहुत अच्छा चोद्ति है, बिल्कुल उनके लंड की तरह. जिस रफ़्तार से, जल्दी जल्दी वो मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद रहे थे, मैं ज़्यादा देर तक रुक नही सकी, और उनकी जीभ से चुद्वाते हुए मैं झाड़ गई. मैने उनके लौडे को अपने मूह मे जाकड़ लिया और अपनी चूत उनके मूह पर दबा दी और अपने झड़ने का मज़ा लेने लगी.

पूरी तरह, बहुत ज़ोर से झाड़ कर मैं उनके बगल मे लेट गई. उन्होने मुझे अपनी मज़बूत बाहों मे जाकड़ लिया.

फिर उन्होने मेरी गंद के नीचे दो/तीन तकिये लगाए. गंद के नीचे तकिये लगाने से मेरी गंद काफ़ी उपर हो चुकी थी और साथ ही साथ मेरी चूत भी काफ़ी उपर हो कर बाहर निकल आई. वो अपने मज़बूत हाथ मेरे बदन पर फिरने लगे. मेरे कंधे पर, मेरी चुचियों पर, मेरी गोल गोल उपर उठी हुई गंद पर. ये सब वो हमेशा की तरह इतने सेक्सी तरीके से कर रहे थे कि मैं एक बार झड़ने के बाद फिर से गरम होने लगी और मेरी चूत से फिर से ताज़ा रस निकलने लगा और शायद मेरी गंद के नीचे लगे तकियों को भी गीला करने लगा. मैं एक बार झड़ने के बाद, फिर से चुद्वाने के लिए पूरी तरह तय्यार थी. मैने महसूस किया कि उनकी उंगली मेरी चूत के बीच मे, मेरी चूत के दरवाजे से मेरी चूत के दाने तक, मेरी चूत के बीच मे, उपर नीचे घूमने लगी.

मेरा मन कर रहा था कि वो जल्दी से अपना मज़बूत, लंबा और मोटा लॉडा मेरी चूत मे डाल कर मेरी भयंकर चुदाई तूफ़ानी रफ़्तार से कर दें. पर उनके मन मे तो कुछ और था. वो उस अंधेरे का, पहली बार अंधेरे मे चोद्ने का भरपूर मज़ा लेना चाहते थे. उन्होने मेरी चूत के बीच मे अपनी उंगली उपर नीचे करते हुए अचानक अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल दी और मुझे, मेरी चूत को उंगलियों से चोद्ने लगे. पहले उन्होने मुझे अपनी जीभ से चोद कर झाड़ा था और अब अपनी उंगलियों से चोद रहे थे. वैसे तो मैने कई बार, खुद अपनी चूत मे अपनी उंगलियाँ डाल कर हस्त्मैथून किया है, पर जिस तरह वो मेरी चूत मे उंगलियाँ डाल कर मेरी चूत मे हस्त्मैथून कर रहे थे, वैसा मज़ा मुझे खुद अपनी चूत मे उंगली करने मे कभी भी नही आता. मेरी चूत को लॉडा तो अभी तक नही मिला था पर मैं एक बार तो झाड़ चुकी थी और दूसरी बार झड़ने की तय्यारी मे थी. वो अपनी उंगलियों से, बिल्कुल किसी कड़क लौडे की तरह मेरी फुददी मार रहे थे और मैं एक झटके के साथ फिर से झाड़ गई. मेरे बदन ने बहुत ज़ोर से झटका खाया और मेरी गंद उपर हो गई. मैने उनकी उंगलियों को अपनी चूत मे ही, अपने पैर भींच कर जाकड़ लिया. वो प्यार से अपना दूसरा हाथ मेरी गंद पर फिरने लगे क्यों कि उनका एक हाथ तो मैने अपनी चूत मे जाकड़ रखा था. मैं जब तक झाड़ रही थी, तब तब वो अपनी उंगलियों के मेरी चूत मे मोड़ मोड़ कर मेरे झड़ने का मज़ा दुगना कर रहे थे. मैं जब पूरी तरह से झाड़ चुकी थी तो उन्होने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत से बाहर निकाली और उन्ही गीली उंगलियों से, मेरी चूत के रस से गीली उंगलियों से मेरी निप्पल मसल्ने लगे. मेरी निप्पल मेरी ही चूत के रस से गीली हो गई.

मैं तो कब से चाहती थी कि मेरी चूत की उनके मज़बूत लौडे से जम कर चुदाई हो जाए. पर वो मुझे चोद्ने से पहले ही दो बार झाड़ चुके थे. उनका लॉडा भी मेरी चूत के अंदर जाने को बेचैन था. उन्होने अपना लंबा और मोटा लॉडा अपने हाथ मे पकड़ कर मेरी चूत के बीच मे घुमा कर गीला किया ताकि वो आराम से अपनी चूत रानी मे जा सके. मैं तो उनका लॉडा अपनी चूत मे लेने के लिए इतनी बेचैन थी कि मैने कई बार अपनी गंद उपर कर के उनके अपनी चूत के बीच मे घूमते हुए लौडे को अपनी चूत के अंदर लेने को कोशिश की. उन्होने अपने खड़े लौडे को मेरी चूत के दरवाजे से लगाया और मेरी गंद को पकड़ा. मैं समझ गई कि अब लौडे का चूत मे जाने का समय आ गया है. मैने खुद ही अपनी चूत आगे कर के उनके लौडे को अपनी चूत मे लेने की कोशिश की तो उन्होने मुझे चिढ़ने के लिए अपनी गंद ज़रा पीछे कर ली और उनका लॉडा मेरी चूत पर फिसल कर उपर की तरफ आ गया. मेरी इस हरकत से मेरी चूत से निकलता पानी मेरी गंद के दरवाजे तक पहुँच गया था. मेरी चूत तो उनके लौडे की प्यासी थी. मेरी चुदवाने की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.

उन्होने फिर एक बार अपना लॉडा मेरी चूत के बीच मे रगड़ा, गीला किया और एक झतके से मेरी चूत मे डाल दिया. मैं तो जैसे हवा मे उछल पड़ी. मेरी दो बार झड़ी हुई चूत काफ़ी गीली थी जिस से उनको अपना लंबा लॉडा मेरी चूत मे डालने मे ज़्यादा समय नही लगा. उनका लॉडा उनके हर धक्के के साथ मेरी चूत मे और गहरा उतरने लगा और धीरे धीरे मेरी चूत ने उनके पूरे, लंबे और मोटे लौडे को खा लिया था. उन्होने मेरी गंद अपने हाथों मे पकड़ रखी थी और अपने लंड के ज़ोर के धक्के मेरी चूत मे लगा रहे थे. उनका लंबा लॉडा मेरी चूत के सब से आख़िरी हिस्से से टकरा रहा था. एक बार फिर, इस बार अंधेर मे, हमारे बीच मे असली चुदाई का खेल शुरू हो चुका था. मुझे याद नही है कि मैने कभी भी अंधेरे मे चुद्वाया था. आज पहली बार मैं अंधेरे मे चुद्वा रही थी वो भी मुझे पहली बार आंधरे मे चोद रहे थे. मेरी चूत की अन्द्रुनि दीवारें उनके लंबे और मज़बूत लंड पर कसी हुई थी. मुझे चोद्ते हुए, अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करते हुए उन्होने मेरी गंद तो पकड़ ही रखी थी, साथ ही साथ वो मेरी गंद पर भी हाथ फिरा रहे थे. मेरी गंद के मूह पर हाथ लगते ही, उस अंधेरे मे भी वो समझ गये थे कि मैने पहले से अपनी गंद के अंदर की सफाई कर ली है और मेरी गंद मरवाने के लिए तय्यार थी. इसका पता मुझे तब चला जब उन्होने अपने लंड से मेरी चूत चोद्ते चोद्ते ही अपना लॉडा मेरी चूत से बाहर निकाल कर मेरी गंद के मूह पर लगाया.

मैं तो झड़ने ही वाली थी कि उन्होने मेरी चूत से अपना लंड निकाल लिया था. लेकिन उन्होने तुरंत ही,जल्दी जल्दी मेरी चूत का दाना मसलना शुरू कर दिया. शायद उनको पता चल गया था कि मैं झड़ने वाली हूँ. अब मेरे लिए अपना झड़ना रोकना बहुत मुश्किल था. उनका लॉडा मेरी गंद मे घुस चुका था और रफ़्तार से मेरी गंद के अंदर बाहर होने लगा था. वो अपने लंड से मेरी गंद मार रहे थे और अपने हाथ से मेरी चूत का दाना मसल रहे थे. मैं तो झाड़ गई.

मगर वो बिना रुके मेरी गंद मारे जा रहे थे. हां, अब उन्होने मेरी चूत के दाने पर से अपना हाथ हटा लिया था और अपना पूरा ध्यान मेरी गंद मारने मे लगा दिया. यहाँ मैं आप को बता दूं कि हालाँकि उनको मेरी गंद मारने से ज़्यादा मेरी चूत चोद्ना ज़्यादा पसंद है. मुझे भी अपनी चूत चुद्वाना ज़्यादा पसंद है, पर मुझे गंद मरवाने मे भी खूब मज़ा आता है. इसी लिए साप्ताह मे कम से कम एक बार तो मैं उन से अपनी गंद ज़रूर मरवाती हूँ.

उनका लॉडा मेरी गंद के काफ़ी अंदर तक पहुँच रहा था और वो लगातार अपना लंड मेरी गंद के अंदर बाहर कर के मेरी गंद मार रहे थे. मेरी चूत से इतना रस निकला था कि मैं अपनी गंद के नीचे लगे तकिये को भी गीला हो गया महसूस कर रही थी.
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मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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Re: जुली को मिल गई मूली

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अब उन्होने फिर से अपनी उंगलियों से मेरी चूत की मालिश शुरू कर दी. वो अपनी उंगलियाँ मेरी चूत के बीच घुमा रहे थे, मेरी चूत का दाना मसल रहे थे, बीच बीच मे अपनी उंगली मेरी चूत के अंदर भी डाल रहे थे. और इस बीच मैं लगातार उनके लंड से अपनी गंद मरवा रही थी. गंद मरवाते हुए और उनके हाथों का कमाल मेरी चूत पर मुझे फिर से अपने झड़ने की तरफ ले जा रहे थे. मेरी नसें खींचने लगी, मेरी साँसें तेज हो गई और मेरा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा.

मेरी गंद मारते हुए वो लगातार मेरी चूत से खेल रहे थे. उनका लंबा लॉडा मेरी गोल गोल गंद के अंदर बाहर हो रहा था. जब मेरी गंद मारते उनके लंड का सूपड़ा मैने अपनी गंद मे गंद मरवाते हुए फूलता महसूस किया तो मुझे पता चल गया कि अब उनके लौडे से भी पानी निकलने मे ज़्यादा देर नही है. वो भी झड़ने के करीब थे और उनकी मेरी गंद मारने की रफ़्तार बढ़ गई थी. मैं तो पहले से झड़ने के करीब थी ही, वो भी अपने लौडे का पानी मेरी गंद मे बरसाने को तय्यार थे. मुझे उनसे अपनी गंद मरवाने मे बहुत ही मज़ा आ रहा था क्यों कि मेरी चूत तो रोज़ ही चोदते है, दिन मे दो बार से ज़्यादा चोदते है, लेकिन मेरी गंद का नंबर तो साप्ताह मे एक बार ही आता है. इसलिए मैं अपनी गंद मरवाने का पूरा मज़ा ले रही थी.

उन्होने जैसे ही अपना लॉडा एक जोरदार झटके से मेरी गंद के अंदर तक डाल कर धक्का लगाना बंद किया, मैं फिर से एक बार उनके हाथों का कमाल मेरी चूत पर और गंद मरवा कर झाड़ चुकी थी. और लगभग उसी समय, उनके लौडे ने अपने प्रेम रस की बरसात मेरी गंद के अंदर करनी शुरू कर दी. उन का लॉडा नाच नाच कर मेरी गंद के अंदर अपना लंड रस बरसा रहा था.

अपना लॉडा मेरी गंद मे डाले ही, लंबी लंबी साँसें लेते हुए वो मेरे उपर लेट गये. मैं उनके दिल की धड़कनें अपनी चुचि पर सॉफ सॉफ महसूस कर रही थी.

हम दोनो ने उस अंधेरे कमरे मे बहुत शानदार चुदाई की थी. उन्होने मेरी चूत को तो हमेशा की तरह चोदा ही था, मेरी गंद भी मार कर मेरा चुदाई का मज़ा दोगुना कर दिया था, मुझे पता नही था, लेकिन आज पता चल गया था कि अंधेरे मे भी चुदाई करने का एक अलग मज़ा है.

फिर जब उन्होने अपने नरम पड़ते लौडे को मेरी गंद के बाहर निकाला तो उनके लौडे से निकला बहुत सारा रस मेरी गंद से निकल कर गंद के नीचे लगे तकिये पर गिर गया था. मेरी गंद के नीचे लगा तकिया काफ़ी गीला हो गया था, पहले मेरी चूत से निकले रस से और अब मेरी गंद से निकले उनके लंड रस से.

हम दोनो वैसे ही, एक दूसरे से लिपटे हुए, नंगे ही, काफ़ी देर तक बारें करते रहे और और फिर हम एक शानदार चुदाई के थके हुए गहरी नींद मे सो गये. अगले दिन शनिवार था, उनकी छुट्टी थी, इसलिए सुबह उठने की जल्दी नही थी.

अगले दिन, शनिवार को सुबह 8.00 बजे मेरी आँख खुली. मैने उनकी ओर देखा. सुबह की रोशनी खिड़कियों पर लगे पर्दों के बावजूद बेडरूम मे पहुँच रही थी और मैने देखा कि अपने होठों पर प्यारी सी मुश्कान लिए वो गहरी नींद मे सो रहे थे. उन के नंगे बदन को देख कर मुझे बहुत गर्व हुआ कि मेरे पति इतने सुंदर, इतने मज़बूत और चुदाई को मेरी तरह प्यार करने वेल इंसान है. मैं बहुत ही भाग्यशाली हूँ कि मुझे ऐसा जीवन साथी मिला है. मैने अपनी नंगी चुचियों को उनकी चौड़ी छाती पर रगड़ा. तुरंत ही उनकी आँख खुल गई और उन्होने मेरे नंगे बदन को अपनी बाहों मे ले कर अपने नंगे बदन से चिपका लिया. बिना मूह सॉफ किए ही हम ने एक दूसरे को काफ़ी देर तक चूमा.

उन्होने अपने हाथ मेरी गोल गोल नंगी गंद पर फिराए. वही गंद जिसको रात को उन्होने मारा था. उन के हाथ मेरी चुचियों और तनी हुई निप्पल्स से खेलने लगे. नीचे हो कर उन्होने मेरे पेट का चुंबन लिया और मैने उनका हाथ अपनी नंगी फुददी पर महसूस किया.

उनकी उंगलियाँ काफ़ी देर तक मेरी चूत पर बाहर ही फिरती रही और फिर उन्होने अपनी बीच की उंगली मेरी गीली हो चुकी चूत के गीले होठों के बीच डाल दी. मेरे मूह से एक सिसकारी निकली. हमेशा की तरह, हम दोनो सेक्सी और चुड़क्कड़ जोड़े के बीच एक और चुदाई का खेल होने जा रहा था. हम दोनो ही चुदाई का कोई भी मौका अपने हाथ से नही जाने देते. उनके हाथ और उंगली के खेल से मेरी चूत पूरी तरह गीली हो कर चुद्वाने के लिए तय्यार हो गई.

फिर वो ड्रेसिंग स्टूल पर बैठ गये और उन्होने मुझे अपने पैरों के बीच, ज़मीन पर बैठने को कहा. मैने तुरंत ही नीचे बैठ कर उनके लौडे को पकड़ कर अपने मूह मे ले लिया. मैं उनके लंड का सूपड़ा अपने मूह मे ले कर उसको चूसने लगी. उनके हाथ मेरे सिर के बालों मे फिर रहे थे और वो मेरे मूह को अपने लौडे पर दबाने लगे. मैं इतने सेक्सी तरीके से उनके लौडे को चूस रही थी की उत्तेजना से उनकी गंद हिलने लगी.

उन का लंड इतना लंबा है कि वो मेरे गले तक पहुँच गया था और फिर भी आधा तो मेरे मूह से बाहर ही था. उन्होने मेरे सिर को पकड़ा और अपना लॉडा मेरे मूह मे अंदर बाहर करने लगे जैसे हमेशा मेरी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करतें हैं. वो अपने लौडे से मेरा मूह चोद्ने लगे. मैं भी मज़े ले कर उनके लौडे से अपना मूह चुद्वाते हुए उनके लंड को चूस रही थी. सुबह सुबह उनके लंड की चुसाइ हो रही थी. लंड और मूह का ये खेल काफ़ी देर तक चलता रहा.

मैं बिस्तर पर अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और वो मेरे सेक्सी मालिश कर रहे थे. वो एक बहुत शानदार चुड़क्कड़ होने के साथ ही बहुत शानदार मालिश भी करते थे. मुझे हमेशा उनसे अपने सेक्सी बदन पर मालिश करवा कर बहुत मज़ा आता है. काफ़ी देर तक उन्होने मेरे पैरों की मालिश की. मेरे पैरों की मालिश करते वक़्त मेरे पैर उनके तने हुए लंबे लौडे पर टिके हुए थे. मुझे पता था कि उनके लौडे को भी मेरे पैरों का मज़ा आ रहा होगा. वो इसी तरह काफ़ी देर तक मेरे नंगे सेक्सी बदन की मालिश करते रहे. मुझे पता था कि जल्दी ही वो अपने मालिश करने की फीस मेरे सेक्सी बदन से, मेरी चूत से वसूल करने वाले थे. मेरी चूत उनकी सेक्सी मालिश की वजह से गीली हो कर रस बहाने लगी.

फिर उन्होने मुझे नीचे खींचा, मेरी गंद के नीचे तकिया लगाया और मेरे पैर चौड़े कर दिए. इस तरह मेरी गीली फुददी खुल कर उनके सामने आ गई थी.

उन्होने मेरी नंगी झांघों को चूमा . फिर उन्होने मेरी गीली चूत को चूमना शुरू किया. उनको अपनी शेव किए हुए 12 घंटे से ज़्यादा हो गये थे इसलिए उनके मूह पर थोड़ी थोड़ी दाढ़ी – मूँछ ऊग आई थी जो मेरी जाँघो पर, मेरी चूत पर चुभ कर मुझे और भी गरम कर रही थी. उन्होने अपने हाथ से मेरी चूत के मूह को खोला. मेरी चूत से लगातार रस निकलता जा रहा था. फिर उन्होने मेरी चूत से निकलते रस को चाटना शुरू कर दिया.

मेरी चूत का रस चाटने साथ ही वो मेरी चूत का दाना भी चूसने लगे और अपनी जीभ बार बार मेरी चूत के अंदर डाल देते. मेरी गंद उत्तेजना से उपर नीचे होने लगी और मैं फिर एक बार, उस सुबह के पहली बार झड़ने की तरफ बढ़ने लगी. वो मेरी चूत चूस्ते रहे, मेरी चूत का दाना चूस्ते रहे और मैं अपनी गंद हवा मे उठाने लगी. ये देख कर उन्होने मेरी चूत को, चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू किया. मेरे लिए तो इतना ही बहुत था और मैं चूत चटवा ही बहुत ज़ोर से झाड़ गई. मैं झाड़ गई थी, मेरी चूत से रस निकल रहा था और वो अभी भी मेरी चूत चाट रहे थे. फिर वो मेरी चूत पर से अपना मूह हटा कर, उपर आ कर मुझे मेरे होठों पर चुंबन दिया तो मैने अपनी खुद की चूत के रस का स्वाद उनके होठों पर से लिया.

वो मेरे खुले हुए पैरों के बीच मे बैठे, मेरे पैर उठा कर अपने कंधों पर रखे और अपने तनटनाते हुए लौडे का निशाना मेरी चूत के दरवाजे पर लगा कर मेरी खुली हुई चूत मे अपने लंड का अगला भाग घुसा दिया. कुछ ही धक्कों के बाद उनका लंबा लॉडा मेरी चूत मे समा गया. फिर उन्होने मेरी गंद पकड़ कर, अपना लॉडा मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए बकायदा मुझे चोद्ना शुरू कर दिया. मुझे चोद्ते हुए वो मेरे उपर झुके तो मैं करीब करीब दोहरी सी हो गई. उनका मूह मेरे मूह से कुछ ही दूर था और वो अपने लंड को मेरी चूत मे घुसाए, अंदर बाहर करते हुए तेज़ी से और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोद्ने लगे. उनके लंड के मेरी चूत मे जोरदार धक्कों की वजह से मेरा पूरा बदन हिलने लगा था पर वो लगातार मेरी चुदाई करते जा रहे थे.

उनके लौडे से पानी निकलने मे बहुत वक़्त लगता है, इसलिए बीच मे उन्होने अपना लॉडा मेरी चूत से बाहर निकाला, थोड़ी देर उसको पकड़ कर खुद मूठ मारी और फिर मैने भी उनके लौडे को पकड़ कर मूठ मारी. फिर उन्होने अपना लंड वापस मेरी चूत मे डाल कर मुझे चोद्ना शुरू किया. इस तरह उनके लौडे से पानी निकालने मे आसानी होती है. वो लगातार मुझे चोद्ते रहे और मैं तो उनके लौडे से पानी निकलने से पहले ही झाड़ गई थी पर मैने उनको लगातार धक्के लगाने को कहा. वो चोद्ते रहे और मैं चुद्वाती रही.

फिर उनके लंड ने मुझे ने चोद्ते हुए मेरी चूत के अंदर अपना लंड रस बरसाना शुरू कर दिया. मैं बहुत खुश थी कि मैने उनके लौडे का पानी अपनी चूत मे निचोड़ लिया है. उनका लॉडा नाचता हुआ मेरी चूत मे लंड रस की धार पर धार फेंकता जा रहा था.

फिर वो अपना लॉडा मेरी चूत मे ही डाले मेरे उपर लेट गये.

वो शनिवार की सुबह थी और हम दोनो ही जानते थे कि दो दिनो की छुट्टी मे हमारे बीच इस तरह की चुदाई कई बार होने वाली है.

जब वो मेरे उपर से उतरे तो उनका नरम पड़ता लॉडा भी मेरी चूत से बाहर निकल आया और उनके लंड से निकला ढेर सारा रस मेरी चूत से निकल कर तकिये को और भी गीला कर गया.

हमेशा की तरह साथ साथ नहाने के लिए हम बाथरूम मे आ गये.

क्रमशः..................................

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Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

जुली को मिल गई मूली-31end

गतान्क से आगे.....................

हम को, मुझे और मेरे पति को, उनके एक दोस्त ने रात के खाने पर बुलाया था. वो फ्राइडे का दिन था. मेरे पति के दोस्त का घर गुड़गाँवा मे था जो कि हमारे घर से थोड़ा दूर था क्यों कि हमारा घर तो देल्ही मे है.

हम वहाँ शाम को पहुँचे और हम ने उनके दोस्त और उनकी वाइफ के साथ बहुत अच्छा समय बिताया.

रात का खाना बहुत अच्छा था. खाने के पहले हम ने उनके ड्रॉयिंग रूम मे बैठ कर ड्रिंक्स भी किया था. पहले ड्रिंक्स और उसके बाद मे खाना, इन सब मे काफ़ी रात हो गई थी. उन के दोस्त ने कहा कि इतनी रात को, पीने के बाद कार चलाना ठीक नही होगा. हम ने उनकी सलाह मानी और रात को उनके घर पर ही रुकने का फ़ैसला किया.

उन लोगों ने हमारे सोने का बंदोबस्त उनके घर के गेस्ट रूम मे कर दिया.

सोने से पहले, हम सब लोग, मैं, मेरे पति, उनका दोस्त और उसकी वाइफ घर की छत पर गये और वहाँ बैठ कर काफ़ी देर तक बातें करते रहे और मौसम का आनंद लेते रहे. मैं उन सब से पहले नीचे आ कर, गेस्ट रूम मे आ गई.

बिस्तर पर लेट कर मैं मेरे पति का इंतज़ार करने लगी. गेस्ट रूम सीढ़ियों के बगल मे ही था और मैने गस्ट रूम का दरवाजा अपने पति के लिए खुला ही रखा था. गेस्ट रूम की लाइट मैने बंद कर दी थी पर बाहर से रोशनी की एक लकीर खुले दरवाजे से अंदर आ रही थी. थोड़ी देर बाद मेरे पति चुपके से गेस्ट रूम मे आए.

ये बात तो हम दोनो को ही पता थी कि रात को सो सोने से पहले वो मुझे ना चोदे और मैं उनसे ना चुद्वाऊ, ये तो हो ही नही सकता था. हम दोनो जितनी चुदाई करते है, उतनी ही कम लगती है.

मैं जानती थी कि मुझे बिस्तर पर सोया हुआ देख कर ज़रूर उनके बदन मे खलबली मच गई होगी और उनका लॉडा मुझे चोद्ने के लिए बेकरार हो कर ज़रूर फड़फदा रहा होगा, जैसे मेरी फुददी उनके मज़बूत लंड से चुद्वाने के लिए कुलबुला रही थी. मैने बनियान जैसा, बदन को चिपका हुआ टॉप पहन रखा था और अंदर ब्रा नही पहनी थी. मैने नीचे सिर्फ़ चड्डी पहन रखी थी. टॉप तो मुझे उनकी दोस्त की वाइफ ने दिया था और नीचे पहनी चड्डी मेरे अपनी थी. मेरे कपड़े मैने साइड मे रखे थे जिसकी मुझे सुबह वापस जाते समय ज़रूरत पड़ने वाली थी. मैं तकिये का सहारा ले कर पलंग पर अढ़लेटी सी थी. उन्होने गेस्ट रूम का दरवाजा बंद किया और मेरी तरफ बढ़े. मैं उनसे चुदवाने की कल्पना कर के मन ही मन मुस्करा उठी. वो मेरे पैरों के पास आए. शायद आज की चुदाई का सुभारंभ वो मेरे पैरों से करने वाले थे.

उन्होने मेरे खूबसूरत पैरों को चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उपर की तरफ, मेरी जाँघो की तरफ बढ़ने लगे. मैने अपने दोनो पैर चौड़े कर के फैला लिए. जब वो मेरे पैरों के जोड़ पर आए तो उन्होने मेरी चड्डी को और चड्डी के आस पास, चूत के आस पास चुंबन देना शुरू किया. मैं जानती थी कि मेरी चूत की खुसबु उनको हमेशा की तरह चोद्ने के लिए काफ़ी गरम कर देगी. अपनी उंगलियों से उन्होने मेरी चड्डी को साइड मे किया और सीधा मेरी चूत को चूमने लगे. मेरी चूत से चुदाई का मीठा मीठा रस निकलने लगा जो वो लगातार चाट रहे थे. मेरे मूह से भी चूत चत्वाते हुए सिसकारियाँ निकालने लगी जिसे ज़रूर उन्होने सुना होगा. लेकिन मैने अपनी आवाज़ पर पूरा काबू रखा था. मेरी सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी, पर वो सिर्फ़ हम दोनो ही सुन सकते थे. मैं जानती थी कि हम दूसरे के घर मे है और हम अपनी चुदाई के बारे मे उनको पता नही चलने देना चाहते थे. हम नही चाहते थे कि मेरे पति का दोस्त और उसकी वाइफ हमारे बारे मे ये सोचे कि हम कैसे बेशरम है जो उनके घर मे चुदाई भी कर रहे थे और वो भी ऐसे कि सब को पता चले.

मेरी चड्डी को एक हाथ से साइड मे करके, उन की जीभ मेरी चूत के तने हुए दाने पर थी और उनके दूसरे हाथ की पहले एक और जल्दी ही दूसरी उंगली भी मेरी गीली चूत मे घुस गई. मेरी रसीली चूत मे अपनी दो उंगली घुसा कर वो अपनी उंगलियों से ही मेरी चुड़क्कड़ चूत को किसी लौडे की तरह चोद रहे थे. उनकी उंगलियाँ किसी मर्दाना लंड की तरह मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रही थी. उनकी जीभ से अपनी चूत के दाने पर फिरने से और उनकी उंगलियों से मेरी चूत चुदाई होने की वजह से मैं बेकाबू सी हो गई थी और अपनी गांद उपर कर कर के उनके मूह को अपनी चूत मे समेट लेना चाहती थी. मेरी पीठ भी चुदाई के मज़े मे उपर उठी हुई थी. मेरी आँखें ज़रूर चुदाई के आनंद मे बंद थी मगर मेरा मूह खुला हुआ था और मैं धीरे धीरे सिसकारियाँ ले रही थी. मेरी तनी हुई निपल्स मेरे पहने हुए बनियान नुमा चुस्त टॉप मे चुभ रही थी और मैं चाहती थी कि वो जल्दी से जल्दी मेरी चुचियों पर भी ध्‍यान दे और मेरी निपल्स को जी भर कर चूसे.

मैं जानती थी कि असली चुदाई से पहले, लौडे की चूत की चुदाई के पहले वो मुझे एक बार झाड़ देना चाहते थे और यही काम वो कर रहे थे. मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी और लगातार मेरी चूत से रस निकलता जा रहा था. मुझे पता था कि मैं ज़्यादा सहन नही कर सकती और मैं जल्दी ही झाड़ जाने वाली थी. उन से अपनी चूत चटवाना मुझे बहुत अच्छा लगता है. कभी कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि वो भले ही अपना लॉडा मेरी चूत मे डाल कर मुझे ना चोदे, मगर सारी रात मेरी चूत चाट ते रहे. मैने कई बार खुद ही अपनी उंगली अपनी चूत मे डाल कर और बाद मे अपनी उंगली चाट कर ये जान लिया है कि मेरी चूत का रस बहुत स्वदिस्त है, इसीलिए, उनको भी मेरी चूत चाटना बहुत पसंद है. मेरी साँसें तेज होने लगी और मेरी गांद भी जल्दी जल्दी उपर नीचे होने लगी थी. अपनी टांगे चौड़ी किए, चड्डी पहने, मैं तो जैसे पूरी तरह उनसे अपनी चूत चुद्वा रही थी. जवाब मे वो भी उतनी ही तेज़ी से मेरी चूत चाट रहे थे और अपनी दोनो उंगलियाँ मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे. अपनी उंगलियाँ मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए वो अपनी उंगलियों को मेरी चूत मे गोल गोल भी घुमा रहे थे. मैं चुद्वाने मे उस्ताद हू तो वो चोदने मे मुझ से भी बड़े उस्ताद है. उत्तेजना मे मैने उनके सिर के बालों को कस कर पकड़ रखा था और लगातार उनका मूह अपनी रसीली चूत पर दबा रही थी. वो भी समझ चुके थे कि मैं तो बस अब झड़ने ही वाली हू. मेरी गंद तेज़ी से उपर नीचे हो कर अपनी चूत मे जैसे उनके मूह को घुसा रही थी. चुदाई एक तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ चुकी थी. सब कुछ जल्दी जल्दी, तेज़ी से हो रहा था और अचानक ही मैने उनके मूह को अपनी चूत पर ज़ोर से दबाया और मैं बहुत ही ज़ोर से झाड़ गई. उन का मूह मेरी चूत पर चिपका हुआ था और मेरी गंद हवा मे थी. थोड़ी देर बाद मैने अपनी झड़ी हुई चूत को उनके मूह से हटाया और अपनी गंद को फिर से बिस्तर पर टिकाया.

लेकिन फिर भी मेरी गंद रह रह कर उपर नीचे हो रही थी क्यों कि ये तो बहुत ज़ोर से झड़ने का नतीजा था. जब मैं थोड़ी ठंडी हुई तो उन्होने अपना सफ़र फिर शुरू किया. अब वो मुझे चूमते हुए उपर की तरफ आ रहे थे. उन्होने मेरे पेट को चूमा, मेरी नाभि को चूमा. फिर वो और उपर आए और मेरी दोनो चुचियों को, दोनो तनी हुई निप्पल्स को एक के बाद एक, मेरे पहने हुए टॉप के उपर से वो चूसा. मैने अंदर ब्रा तो पहनी नही थी, इसलिए उनके लिए मेरी चुचियों को मेरे टॉप के उपर से ही चूसने मे कोई परेशानी नही हुई. फिर मेरे पहने हुए टॉप पर दो गीले दाग लगा कर उन्होने मेरी गर्दन को चूमा, मेरे कानों को चूमा. आख़िर मे उन्होने अपना सिर उठा कर मेरी बड़ी बड़ी आँखों मे देखा और बिना कुछ बोले मेरे रसीले होठों को अपने होठों के बीच ले कर चूसने लगे. हम दोनो ने ही चुंबन करते करते अपना मूह खोला और एक दूसरे की जीभ चाटने लगे. जिस तरह मेरा चुंबन लेते हुए वो अपनी कोहनियों का सहारा लिए हुए थे और उनका बदन मेरे बदन के उपर था, मैने सॉफ सॉफ उनके तने हुए लौडे की चुभन अपनी नाज़ुक और गीली फुददी पर महसूस की. ऐसा लग रहा था जैसे उनका लंड मेरी चूत का दरवाजा खटखटा रहा है.

मैने हम दोनो के बीच से अपना एक हाथ नीचे करके, उनका तनटनाता हुआ लॉडा उनकी पॅंट के उपर से ही पकड़ कर मालिश करने लगी. कुछ देर बाद मैने उनके लंड को उनकी पॅंट और चड्डी से आज़ादी दिला कर, उनके लौडे को उनकी पॅंट की ज़िप खोल कर बाहर निकाल लिया. वो पॅंट पहने हुए थे, चड्डी भी पहने हुए थे पर उनका लॉडा उनके कपड़ों से बाहर था. मैने उनके नंगे लंड को पकड़ कर हिलाया और उसको अपनी चड्डी साइड मे कर के अपनी चूत के मूह पर लगाया. मैं इतनी गरम थी और मेरी चूत इतनी गीली थी की उनको अपना लंबा चौड़ा मेरी फुददी मे घुसने मे ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी. सिर्फ़ दो तीन धक्कों मे ही उनका चुदाई का बादशाह मेरी चुदाई की बेगम मे पूरा घुस गया.

अब वो धक्के लगा लगा कर, अपना लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर कर के, मुझे बकायडा चोद रहे थे. लंड और चूत का मिलन हो चुका था और मेरी चूत उनके लौडे के धक्के खा कर बहुत मस्त हो रही थी. मैं भी नीचे से अपनी गंद उठा उठा कर चुदाई मे बराबर की हिस्सेदार बन गई थी.

वो अपना लॉडा मेरी चिकनी और गीली फुददी मे लगातात अंदर बाहर करके, अपने चुदाई के औज़ार के जोरदार धक्के मेरी चूत मे लगाते हुए मुझे चोद रहे थे और मैं चुदाई के हर पल का, उनके लंड का मेरी भोसड़ी मे हर धक्के का पूरा पूरा मज़ा लेती हुई चुद्वा रही थी.

चुड़वाते चुद्वाते मैने महसूस किया कि उनके बदन से पसीना निकलता जा रहा है. पसीना तो मुझे भी आ रहा था. ऐसा शायद इसलिए हो रहा था कि एक तो हम दोनो चोद्ते और चुद्वाते हुए गरम हो रहे थे और दूसरे, हम नंगे नही थे. उन्होने पूरे कपड़े पहने हुए थे और मैने आधे. अगर हम दोनो पूरे नंगे होते तो शायद इतनी गर्मी नही लगती और इतना पसीना नही आता.
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मैने उनको चुदाई करते हुए बीच मे ही रोका और बोली कि अगर हम दोनो कपड़े उतार कर चुदाई करे तो बेहतर होगा. उन्होने मेरी बात मानी और अपने चोद्ते हुए लौडे को, मेरी चूत मे घुसे हुए लंड को बाहर निकाला मैने देखा कि उनका पहलवान, लंबा लॉडा जैसे मेरी तरफ ही देख रहा था. उनका चोद्ने का हथियार मेरी आँखों के सामने लहरा रहा था. मेरे पति ने अपना टी-शर्ट निकाला और मेरी तरफ देखा. तब तक मैं भी अपना टॉप उतार चुकी थी और मेरी दोनो चुचियाँ बाहर आ गई थी क्यों कि मैने अंदर ब्रा नही पहनी थी. मेरी दोनो निप्पल्स तन कर खड़ी थी और लंबी हो गई थी. मेरी चुचियों को नंगी, अपनी आँखों के सामने देख कर शायद उनके मूह मे पानी आ गया होगा. वो अपनी पॅंट उतारने के लिए खड़े हुए. इस से पहले की वो अपनी पॅंट उतारे, मैने एक झटके मे अपनी चड्डी उतार फेंकी. मैं पूरी तरह नंगी हो कर चुद्वाने के लिए तय्यार थी. मेरी प्यारी सी, सफाचट, बिना बालों वाली फुददी उनके सामने थी. जैसे मेी चुचियों को देख कर उनके मूह मे पानी आ गया था, वैसे ही उनके तने हुए, गीले, अभी अभी मेरी चूत से बाहर आए लौडे को देख कर मेरे मूह मे भी पानी आ गया था. जैसे ही उन्होने अपनी पॅंट और चड्डी उतारी, मैने उनके फन्फनाते हुए लौडे को पकड़ कर अपने हाथ से प्यार से सहलाया. दो तीन बार उनके लौडे को पकड़ कर मूठ जैसे भी मारी और तुरंत ही उनके लंड को अपने मूह मे ले कर चूसने लगी.

वो पलंग पर बैठ गये और मेरे बालों मे हाथ फिराने लगे. मैं लंड चुसाइ मे बहुत उस्ताद हू जैसे कि चूत को चुद्वाने मे हू. उन को अपना लॉडा चुसवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. मैने उनके लौडे के मूह को अपने मूह मे डाला और उनके लौडे का निचला हिस्सा अपने हाथ मे पकड़ कर मूठ मारने लगी. उनके लंड का सूपड़ा चूस्ते हुए मैं उनको पूरा पूरा मज़ा दे रही थी और खुद भी उनके लंड को चूसने का मज़ा ले रही थी. उनको इतना मज़ा आ रहा था कि वो अपनी गांद उपर कर कर के मेरे हाथ को और मेरे मूह को अपने लंबे लौडे से चोद्ने लगे.

हालाँकि मैं बहुत अच्छी लंड चुसक्कड़ हू, पर मैं उनका लॉडा चूस चूस कर ही पानी नही निकालना चाहती थी. मैं तो चाहती थी कि वो मेरी गीली चूत मे अपना लंड घुसा कर मुझे और चोदे. कुच्छ देर तक उनका लंड चूसने के बाद मैने उनको बिस्तर पर लिटा दिया. अब तक मैने उनका लंड चूस चूस कर उनके लौडे को पानी निकालने के काफ़ी नज़दीक पहुँचा दिया था. उनको पीठ के बल लिटा कर मैं उन पर सवार हो गई और बिना देरी किए, उनका फड़फदता हुआ लॉडा पकड़ कर अपनी गीली चूत मे घुसा लिया. मुझे ये पोज़िशन बहुत पसंद है.

उन्होने नीचे से मेरी गांद पकड़ रखी थी और मैं उनके लौडे पर सवार हो कर उपर नीचे हो रही थी. वो मेरी दोनो चुचियों को देख रहे थे जो मेरे उपर नीचे होने से हवा मे नाच कर उपर नीचे हो रही थी. उन्होने अभी तक मेरी चुचियाँ नही चूसी थी. मैं खुद भी चाहती कि वो मेरी चुचियाँ चूसे. इसलिए, मैं थोड़ा आगे हो गई, उनके सिर के दोनो तरफ अपने हाथ टिकाए और अपनी चुचियाँ उनके मूह तक ले आई. उन्होने अपने हाथ मेरी गांद पर से हटाए और अपने दोनो हाथो से मेरी चुचियाँ मसल्ने लगे. जल्दी ही उन्होने मेरी एक निप्पल को अपने मूह मे ले कर चूसना शुरू किया और मेरी दूसरी चुचि को अपने हाथ से मसल्ने लगे.

मेरी साँसे तेज होने लगी. मेरी चुचि चूसी जा रही थी और मेरी चूत चुद रही थी. मैं जल्दी जल्दी उनके लौडे पर उपर नीचे होने लगी और उनका लॉडा जल्दी जल्दी मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. वो भी नीचे से अपनी गांद उठा उठा कर अपने लंड को मेरी चूत मे काफ़ी अंदर तक घुसा रहे थे. उनके लंबे चौड़े, मज़बूत लौडे से चुद्वाना हमेशा ही बहुत मज़ा देने वाला होता है. मेरी चुचि चूस्ते चूस्ते उन्होने अपने हाथ से मेरी गांद को पकड़ा और बहुत ज़ोर ज़ोर से अपने लौडे पर दबाने लगे, जिस से उनका लंबा लॉडा मेरी चूत के काफ़ी अंदर, मेरी बच्चेदानी के दरवाजे पर दस्तक देने लगा था.

मेरी साँसें और तेज हो गई और मैं पूरे जोश मे उनके लंबे लौडे पर नाचने कूदने लगी. मेरी फुददी का गीलापन बढ़ता ही जा रहा था और मैं जल्दी ही झड़ने वाली थी. जैसे जैसे मेरी गांद उपर नीचे हो रही थी, वैसे वैसे उनका लॉडा मेरी चूत मे अंदर बाहर हो कर मेरी चूत को अंदर तक चोद रहा था. मैं झड़ने से पहले उनसे काफ़ी चुद्वाना चाहती थी, पर मेरी चूत ज़्यादा सहन नही कर सकती ये मैं जानती थी. मैं इतनी ज़्यादा गरम हो जाती हू कि बहुत जल्दी झाड़ जाती हूँ, और मेरे पति का लॉडा इतना मज़बूत है कि उस मे से पानी निकलने मे बहुत वक़्त लगता है. मैं बहुत भाग्यशाली हू जो मुझे बहुत ज़्यादा देर तक चोद्ने वाला पति मिला है. वरना मैं ऐसी कई औरतों को जानती हूँ, जिनके पति उनको पूरा चोद भी नही पाते और औरत के झड़ने से पहले ही झाड़ जाते हैं. मैने एक झटके मे अपनी गंद ज़ोर से नीचे की, उनके लौडे को अपनी चूत के अंदर तक घुसाया और मैं तो झाड़ गई. मेरा बदन अकड़ गया और मैं उनके लंड पर बैठी, उनका लंड अपनी फुददी मे लिए अपने झड़ने का मज़ा लेने लगी.

कुछ देर चुप चाप रहने के बाद मेरी गंद फिर से धीरे धीरे उपर नीचे होने लगी. चुदाई का अगला दौर शुरू हो चुका था. आख़िर उनके लौडे से पानी निकाल कर उनको भी तो झाड़ना था. हम दोनो अभी भी चोद्ते हुए और चुद्वाते हुए चुंबन कर रहे थे. मैने अपनी जीभ उनके मूह मे घुसा और वो मेरी जीभ को चूस्ते हुए मुझे नीचे से चोद्ने लगे और मैं उपर से चुद्वा रही थी या उनको चोद रही थी ये आप ही डिसाइड करो.

मैं उनके उपर सवार हो कर चोद्ते चोद्ते थक गई थी. कुछ ही देर मे, उन्होने मुझे पकड़ कर बिस्तर पर लिटाया और तूफ़ानी रफ़्तार से अपने मज़बूत लौडे से मेरी फुददी की चुदाई करने लगे. मैं उनके लौडे के नीचे लेटी हुई मज़े से चुद्वा रही थी. वो अपने लंड के धक्के मेरी चूत मे ज़ोर ज़ोर से और जल्दी जल्दी लगाने लगे. उनका लंबा लॉडा मेरी चूत से बाहर आता और ज़ोर से फिर मेरी चूत मे घुस जाता.

मेरे पति मुझे अपने दोस्त के गेस्ट रूम मे चोद रहे थे और मेरे दिमाग़ मे आया कि गस्ट रूम मे धूम. वो मुझे चोद्ते जा रहे थे…………………चोद्ते जा रहे थे………………बिना रुके, जल्दी जल्दी, ज़ोर ज़ोर से चोद्ते जा रहे थे. उनके चोद्ने की मशीन, उनका लंबा मोटा लॉडा मेरी चूत को चोद कर मज़े ले रहा था.

जैसा की हमेशा होता है, मैं फिर से एक बार झाड़ गई. मगर उनके लॉड से अभी तक पानी नही निकला था. जैसे ही मेरे पति को मेरे झड़ने का पता चला, उन्होने मुझे चोद्ना बंद कर दिया और अपना लंबा लॉडा मेरी चूत के अंदर घुसा कर रुक गये ताकि मैं अपने झड़ने का मज़ा ले सकूँ.

उनका लॉडा अभी भी मेरी चुदवाइ हुई, झड़ी हुई, संतुष्ट हो गई चूत के अंदर घुसा हुआ था. मुझे लग रहा था कि मेरे पति भी झड़ने से ज़्यादा दूर नही थे. मैं जानती थी कि अगर वो मुझे फिर से चोद्ना शुरू करें तो 15/20 धक्कों मे उनके लौडे से प्रेम रस निकल कर मेरी चूत को भर देगा.

मैने तो अपनी चूत को भरपूर चुद्वा लिया था और अब मैं उनको लंड से पानी निकलने का मज़ा देना चाहती थी. आज मैने चूत चुद्वा ली थी पर चुचियों को नही चुद्वाया था. मुझे पता है कि मेरे पति को मेरी चुचियाँ भी बहुत पसंद है. चूसने के लिए, मसल्ने के लिए और चोद्ने के लिए भी.

मैने उनसे पुछा कि क्या वो मेरी चुचियों को चोद्ना चाहते हैं? तो उन्होने हां मे सिर हिलाया. मैं भी खुश हो गई क्यों कि चुचियाँ चुद्वाने का मज़ा ही कुछ और है.

उन्होने अपना गीला लॉडा मेरी गीली चूत से निकाला और आगे हो कर अपना लंड मेरी दोनो नंगी चुचियों के बीच मे रख दिया. मैने अपने हाथ उनकी गंद पर रखे और उन्होने अपने हाथ से मेरी दोनो चुचियाँ पकड़ कर अपने लौडे को उनके बीच मे दबा लिया. उनका लॉडा गीला तो था ही, इसलिए उस को मेरी चुचियों के बीच आगे पीछे होने मे कोई परेशानी नही हुई. मेरी चुचियाँ पकड़ कर, उनके बीच मे अपना लंड डाल कर वो ऐसे धक्के लगाने लगे जैसे अपना लॉडा मेरी चूत या गंद मे डाल कर लगते है. मेरी नरम नरम चुचियों को भी उनके कड़क, लोहे जैसे लौडे से चुद्वाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. मैने भी अपना सिर थोड़ा उपर किया ताकि जब उनका लंबा लॉडा मेरी चुचियों के बीच से आगे आए तो मेरे मूह तक आ जाए. मैने अपने जीभ बाहर निकाली और जैसे ही उनका लॉडा झटके के साथ मेरे मूह के पास आता तो मैं अपनी जीभ उनके गुलाबी सुपाडे पर फिरने लगी. इसी तरह मेरी चुचियों को चोद्ते हुए उनका लॉडा अब इतना उपर आ रहा था कि मैं उनके लौडे के मूह को आसानी से अपने मूह मे भी ले सकती थी. मेरी चुचियाँ और मूह, दोनो ही उनके लौडे से चुद रहे थे.

इतनी देर तक मेरी चूत छोड़ने के बाद, अब मेरी गीले मूह की गर्मी ऐसी थी कि वो भी ज़्यादा देर तक नही टिक सके. जैसा कि मुझे अंदाज़ा हुआ था, 20/25 धक्कों के बाद मैने उनके लौडे के सूपदे को अपने मूह मे आते जाते फूलते हुए महसूस किया. अचानक वो और आगे आए और जितना हो सकता था, अपना लॉडा मेरे मूह के अंदर डाल दिया.

मैने उनके आंडवे की गोलियों को सहलाया और उनका लॉडा ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. उन्होने दो तीन धक्के लगा कर जैसे अपने लौडे से मेरे मूह को चोदा और फिर अपने लौडे से प्रेम रस की फुहार मेरे मूह के अंदर करनी शुरू कर दी. जितना मुझ से हो सकता था, उतना रस मैं पी गई, मगर उनके लौडे से इतना रस निकलता है, और वो भी तेज तेज धार मे की पूरा रस पीना संभव नही है. काफ़ी सारा रस मेरे मूह से बाहर आ गया.

जब तक उनका लॉडा प्रेम रस बरसाता रहा, मैं पीती गई और उनके लौडे से रस की अंतिम बूँद जब तक नही निकल गई, मैं उनका लॉडा चुस्ती रही और प्रेम रस पीती रही.

अपना नरम होता लॉडा उन्होने मेरे मूह से निकाला और मेरे बराबर मे सो कर मेरे नंगे बदन को अपने नंगे बदन से चिपका लिया.

गेस्ट रूम मे धूम मचाने के बाद ना जाने कब हम दोनो की आँख लग गई और हम एक दूसरे के नागे बदन से लिपटे हुए सपनो की दुनिया मे खो गये. तो दोस्तो मेरी ये कहानी यही ख़तम करती हूँ वैसे तो मेरी जिंदगी मे सेक्स ही सेक्स है पर मैं इसे और लंबा नही करना चाहती और मुझे लगता है कि आप भी अब मेरी कहानी से बोर हो गये होंगे और मैं राज शर्मा की आभारी हूँ जिन्होने मेरी कहानी को अपने ब्लॉग मे जगह दी दोस्तो आपसे भी गुज़ारिश है कि आप अपने कमेंट ज़रूर दे आपकी जूली

समाप्त

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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
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`·.¸.·´ -- raj sharma
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