चिकनी भाभी compleet

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rajsharma
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Re: चिकनी भाभी

Post by rajsharma »

"मेरे बुद्धू देवर जी, मेरा मतलब ये था कि मर्द का वो बहुत तगड़ा होता है, औरत की नाज़ुक पॅंटी उसे कैसे झेल पाएगी ? और अगर वो खड़ा हो गया तब तो फॅट ही जाएगी ना." "भाभी आपने वो वो लगा रखी है, मुझे तो कुच्छ नहीं समझ आ रहा."

"अच्छा अगर तू बता दे उसे क्या कहते हैं तो मैं भी बोल दूँगी." भाभी ने लाजाते हुए कहा.

"भाभी मर्द के उसको लंड कहते हैं."

"हाया…..!, मेरा भी मतलब यही था."

"क्या मतलब था आपका?"

"कि तेरा लंड मेरी पॅंटी को फाड़ देगा. अब तो तू खुश है ना.?"

"हाँ भाभी बहुत खुश हूँ. अब यह भी बता दीजिए कि आपकी टाँगों के बीच में जो है उसे क्या कहते हैं"

"उसे? मुझे तो नहीं पता. ऐसी चीज़ें तो तुझे ही पता होती हैं. तू ही बता दे."

"भाभी उसे चूत कहते हैं."

"ःआआ! तुझे तो शरम भी नहीं आती. वही कहते होंगे."

"वही क्या भाभी?"

"ओह हो बाबा, चूत और क्या." भाभी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा लंड फंफनाने लगा. अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैने भाभी से कहा.

"भाभी इसी चूत की तो दुनिया इतनी दीवानी है."

"अच्छा जी तो देवेर्जी भी इसके दीवाने हैं."

"हां मेरी प्यारी भाभी किसी की भी चूत का नहीं सिर्फ़ आपकी चूत का दीवाना हूँ."

"तुझे तो बिल्कुल भी शरम नहीं है. मैं तेरी भाभी हूँ." भाभी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली.
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(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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Re: चिकनी भाभी

Post by rajsharma »

"अगर मैं आपको एक बात बताऊ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?"

"नहीं आशु. देवर भाभी के बीच तो कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. और अब तो तूने मेरे मुँह से सूब कुच्छ कहलवा दिया है.लेकिन मेरी पॅंटी तो वापस कर दे."

"सच कहूँ भाभी, रोज़ रात को उसे सून्घ्ता हूँ तो आपकी चूत की महक मुझे मदहोश कर डालती है. जब मैं अपना लंड आपकी पॅंटी से रगड़ता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे लंड आपकी चूत से रगड़ रहा हो.

"ओह ! अब समझी देवर्जी मेरी पॅंटी के पीछे क्यों पागल हैं. इसीलिए तो कहती हूँ तुझे एक सुन्‍दर सी बीवी की ज़रूरत है"

"लेकिन मैं तो अनाड़ी हूँ. आपने तो प्रॉमिस कर के भी कुच्छ नहीं बताया. उस दिन आप कह रही थी कि मर्द अनाड़ी हो तो लड़की को सुहाग रात में बहुत तकलीफ़ होती है. आपका क्या मतलब था? आपको भी

तकलीफ़ हुई थी?"

"हां आशु, तेरे भैया अनाड़ी थे. सुहागरात को मेरी साडी उठा कर बिना मुझे गरम किए चोदना शुरू कर दिया. अपने 6 इंच लंबे और 2-1/2 इंच मोटे लंड से मेरी कुँवारी चूत को बहुत ही बेरहमी से चोदा.

बहुत खून निकला मेरी चूत से. अगले एक महीने तक दर्द होता रहा." मेरा लंड देखने के बाद से भाभी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी और बिल्कुल ही शरमाना छोड़ दिया था.

"लड़की को गरम कैसे करते हैं भाभी?"

"पहले प्यार से उससे बातें करते हैं. फिर धीरे धीरे उस के कपड़े उतारते हैं. उसके बदन को सहलाते हैं. उसके होटो को और चुचिओ को चूमते हैं. फिर प्यार से उसकी चुचिओ और चूत को मसल्ते हैं.

फिर हल्के से एक उंगली उसकी चूत में सरका कर देखते हैं कि लड़की की चूत पूरी तरह गीली है. अगर चूत गीली है, इसका मतलब लड़की चुदने के लिए तैयार है.इसके बाद प्यार से उसकी टाँगें उठा कर धीरे धीरे लंड अंदर डाल देते हैं. पहली रात ज़ोर ज़ोर से धक्के नहीं मारते."

"भाभी उस फिल्म में तो वो कालू उस लड़की की चूत चाटता है, लड़की भी लंड चूस्ति है. कालू उस लड़की को कयि तरह से चोद्ता है.

यहाँ तक कि उसकी गांद भी मारता है"

"अरी बुद्धू ये सब पहली रात को नहीं किया जाता, धीरे धीरे किया जाता है."

"भाभी, भैया भी वो सब आपके साथ करते हैं?"

"नहीं रे ! तेरे भैया अनाड़ी थे और अब भी अनाड़ी हैं. (भाभी के चेहरे पर थोड़ी सी उदासी झलक रही थी) उनको तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर पेलना आता है. अक्सर तो पूरी तरह नंगी किए बिना ही चोद्ते हैं. औरत को मज़ा तो पूरी तरह नंगी हो कर ही चुदवाने में आता है."

" भाभी आपको नंगी हो कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है?"

"क्यों में औरत नहीं हूँ ? अगर मोटा तगड़ा लंड हो और चोदने वाला नंगी करके प्यार से चोदे तो बहुत ही मज़ा आता है."

"लेकिन भैया का लंड तो मोटा तगड़ा होगा. हां मेरे लंड की बराबरी नहीं कर सकता है"

"तुझे कैसे पता ? "

"मुझे तो नहीं पता लेकिन आप तो बता सकती हैं"
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Re: चिकनी भाभी

Post by rajsharma »

"में कैसे बता सकती हूँ? मैने तेरा लंड तो नहीं देखा है" भाभी ने बनते हुए कहा. मैं मन ही मन मुस्कुराया और बोला,

"तो क्या हुआ भाभी. कहो तो अभी आपको अपने लंड के दर्शन करा देता हूँ, आप नाप लो किसका बड़ा है."

"हट बदमाश!"

"अगर आप नहीं दर्शन करना चाहती तो कम से कम मुझे तो अपनी चूत के दर्शन एक बार करवा दीजिए. सच भाभी मैने आज तक किसी की चूत नहीं देखी."

"चल नालयक! तेरी शादी जल्दी करवा दें? इतना उतावला क्यों हो रहा है?"

क्रमशः...............
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Re: चिकनी भाभी

Post by rajsharma »

चिकनी भाभी--6

गतान्क से आगे................

"उतावला क्यों ना होऊ? मेरी प्यारी भाभी को भैया सारी सारी रात खूब जम कर चोदे और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक ना हों. इतनी खूबसूरत भाभी की चूत तो और भी लाजबाब होगी. एक बार दिखा दोगि तो घिस तो नहीं जाओगी. अच्छा, इतना तो बता दो कि आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?"

"नहीं रे, जैसे मर्दों के लंड के चारों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं. उस लड़की ने तो अपने बाल शेव कर रखे थे."

"भाभी तब तो जितने घने और सुंदर बाल आपके सिर पर हैं उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शेव नहीं करतीं?"

"तेरे भैया को मेरी झाँटें बहुत पसंद हैं इसलिए शेव नहीं करती."

"हाई भाभी आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कब से पागल हो रहा हूँ, और कितना तडपाओगि ?"

"सबर कर, सबर कर ! सबर का फल हमेशा मीठा होता है." यह कह कर बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराती हुई नीचे चली गयी.

मेरे लंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो भाभी का काफ़ी बुरा हाल था. एक दिन मैने उनके कमरे में मोटा सा खीरा देखा. मैने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी भाभी की पॅंटी में से आती थी. लगता था भाभी खीरे से ही लंड की भूख मिटाने की कोशिश कर रही थी.

मुझे मालूम था कि गंदी पिक्चर भी वो कयि बार देख चुकी थी. भैया को जा कर तीन महीने बीत गये. घर में मोटा ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी भाभी लंड की प्यास में तडप रही थी.

मैने एक और प्लान बनाया. बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही गंदा नॉवेल लाया जिसमे देवर भाभी की चुदाई के क़िस्से थे. उस नॉवेल में भाभी अपने देवर को चोदने के लिए पटाती है. वो जान कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है कि उसके पेटिकोट के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं. ये नॉवेल मैने ऐसी जगह रखा जहाँ भाभी के हाथ लग जाए. एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैने पाया कि वो नॉवेल अपनी जगह पर नहीं था. मैं जान गया कि भाभी वो नॉवेल पढ़ चुकी है.

अगले सनडे को मैने देखा कि भाभी कपड़े बाथरूम में धोने के बजाय बाहर के नल पर धो रही थी. उसने सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था. मुझे देख कर बोली,

"आ आशु बैठ. तेरे कोई कपड़े धोने हैं तो देदे." मैने कहा मेरे कोई कपड़े नहीं धोने हैं और मैं भाभी के सामने बैठ गया. भाभी इधेर उधेर की गप्पें मारती रही . अचानक भाभी के पेटिकोट का पिछला हिस्सा नीचे गिर गया. सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धरकन बढ़ गयी. भाभी गोरी गोरी मांसल जाँघो के बीच में से सफेद रंग की पॅंटी झाँक रही थी. भाभी जिस अंदाज़ में बैठी हुई थी उसके कारण पॅंटी भाभी की चूत पर बुरी तरह कसी हुई थी.

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Re: चिकनी भाभी

Post by rajsharma »

फूली हुई चूत का उभार मानो कछि को फाड़ कर आज़ाद होने की कोशिश कर रहा हो. पॅंटी चूत की फांकों में धँसी हुई थी. पॅंटी के दोनो तरफ से काली काली झांटें बाहर निकली हुई थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. भाभी मानो बेख़बर हो कर कपड़े धोती जा रही थी और मुझसे गप्पें मार रही थी. अभी मैं भाभी की टाँगों के बीच के नज़ारे का मज़ा ले ही रहा था कि वो अचानक उठ कर अंदर जाने लगी.

मैने उदास हो कर पूछा " भाभी कहाँ जा रही हो ?" "

एक मिनिट में आई." थोड़ी देर में वो बाहर आई. उनके हाथ में वोही सफेद पॅंटी थी जो उन्होने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी पॅंटी धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होने पेटिकोट ठीक से टाँगों के बीच दबा लिया. यह सोच के कि पेटिकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा.

मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटिकोट फिर से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेटिकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे होश ही उड़ गये. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें सॉफ नज़र आने लगी. तभी भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह को आ गया. भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी. गोरी गोरी सुडोल जांघों के बीच में उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी.

पूरी चूत घने काले बालों से धकि हुई थी, लेकिन चूत की दोनो फाँकें और बीच का कटाव घनी झांतों के पीछे से नज़र आ रहा था. चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो. भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थी मानो उसे कुच्छ पता ना हो. मेरे चेहरे की ओर देख कर बोली….. " क्या बात है आशु, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?" मैं बोला

"भाभी साँप तो नहीं लेकिन साँप जिस बिल मे रहता है उसे ज़रूर देख लिया."

"क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?" मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थी.

"भाभी आपकी टाँगों के बीच में जो साँप का बिल है ना मैं उसी की बात कर रहा हूँ."

"हाअ..एयेए !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शरम नहीं आई अपनी भाभी की टाँगों के बीच में झाँकते हुए?' यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं.
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