हरामी साहूकार complete

Post Reply
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

निशि का दिमाग़ ही घूम गया...
अपने भाई के बारे में सोचकर अपनी सहेली की चूत चाटना अलग बात थी...
पर उससे सच में चुदाई करवाना अलग बात थी...
ऐसा तो वो सोच ही नही सकती थी.

पिंकी : "क्या सोच रही है...यही ना की अगर तू टॉस हार गयी तो अपने भाई के साथ तू वो कैसे करेगी..उपर से वो इतना खड़ूस टाइप का है...बात-2 पर गुस्सा भी करता है....पर मेरी जान, है तो वो एक मर्द ही ना...जवान जिस्म तो उसे भी पसंद आएगा...और ये भी तो हो सकता है की तू टॉस जीत जाए और लाला से चुदने का मौका पहले तुझे मिल जाए...और सच कहूं , ऐसे में तेरा भाई अगर दूसरे विकल्प के तौर पर मिलेगा तो मुझे उतनी तकलीफ़ नही होगी जितना की होने वाली थी...आख़िर वो भी एक बांका मर्द है...उपर से जवान भी...और मेरी पहली चाहत भी , दोनो ही सूरत में लाला से चुदने का मौका तो बाद में तुझे भी मिल ही जाएगा और मुझे भी...''

पिंकी अपने दिमाग़ में सारी केल्कुलेशन कर चुकी थी...
यानी दोनो ही सूरत में दोनो के हाथ कुछ ना कुछ आने ही वाला था..



एक पल के लिए तो निशि ने सोचा की बेकार में अपने भाई को बीच में लाने का कोई मतलब नही बनता, पिंकी को ही लाला से पहले चुदने का मौका दे देना चाहिए...बाद में उसका भी नंबर आ ही जाएगा..

पर अंदर ही अंदर उसका मन नंदू का नाम सुनकर ललचा भी रहा था...
ये सच था की वो काफ़ी गुस्से वाला था और थोड़ा खड़ूस भी था,
उसके साथ भी वो सीधे मुँह बात नही करता था पर जब से पिंकी के साथ नंगे होकर उसके बारे में बाते करनी शुरू की थी तब से ही एक अलग ही स्थान बन चुका था अपने भाई के लिए उसके दिल में ...
हालाँकि ये ग़लत था पर इस बात पर उसका कोई बस नही चलता था..

इसलिए उसने अनमने मन से बात मानने का बहाना करते हुए हां कर दी...
पिंकी भी यही चाहती थी क्योंकि अंदर ही अंदर नंदू के लंड से चुदने की भूख उसमे भी थी...
ऐसे में उसका नंबर पहले आये या बाद में, आएगा जरूर ।

और पिंकी ने ये भी सॉफ कर दिया की कोई भी जीते, नंदू से चुदाई करवाने में वो दोनो एक दूसरे की मदद करेंगी..
और वो उसने इसलिए कहा ताकि निशि के बाद नंदू उसे भी चोद सके या फिर उसकी चुदाई के बाद निशि का भाई अपनी बहन की भी चूत बजाए ताकि उसका जो ख़ौफ़ है , वो उनपर हावी ना रहे बाद में.

दोनो ने सब क्लियर कर लिया और फिर निशि ने अपने पर्स से एक रुपय का सिक्का निकाल कर टॉस की...
पिंकी ने हेड माँगा और हेड ही आया...
यानी वो जीत गयी थी और अब लाला के लंड से चुदने का मौका पहले उसे मिला था...
और निशि को अब अपने भाई नंदू से अपनी सील खुलवानी पड़ेगी..

दोनो के मन में अलग-2 तरह की कल्पनाओ के जहाज़ उड़ने लगे...

एक तरफ पिंकी लाला से अपनी चूत का उद्घाटन करवाने के ख़याल से खुश हो रही थी और दूसरी तरफ निशि भी अपने भाई के लंड को अपने अंदर लेने की कल्पना मात्र से गीली हुई जा रही थी...

दोनो को ही पता था की बाद उनके पार्ट्नर्स चेंज भी होंगे...
ऐसे में लाला से चुदने का मौका निशि को भी मिलेगा और पिंकी भी नंदू के लंड से चुदाई करवाकर अपनी कच्ची जवानी के पहले प्यार को पा सकेगी..

पर अब मुद्दा ये था की पहले कौन चुदने के लिए जाएगा...
क्योंकि ये तो पहले ही तय हो चुका था की दोनो में से कोई भी चुदाई के लिए तैयार हो, एक दूसरे का साथ वो दोनो देंगी...

इसलिए एक बार फिर से टॉस हुआ, ये जानने के लिए की पहले पिंकी लाला के पास जाए या निशि अपनी भाई के पास...

और इस बार निशि जीती...
यानी पिंकी को निशि की हेल्प करनी थी अब, उसे अपने भाई से चुदवाने में ...
और बाद में उसे लाला से अपनी चूत मरवानी थी..

लाला से चुदाई करवाने का समय बढ़ता जा रहा था...
लेकिन इस नए एंगल यानी नंदू के आने से दोनो के मन सावन के मोर की तरह नाच रहे थे...
एक नयी उत्तेजना का संचार हो चुका था दोनो की सोच में ...
जो अब चुदाई तक जाकर ही रुकनी थी.

घर पहुँच कर दोनो ने नंदू को पटाने के उपाय सोचने शुरू कर दिए...
और वो उपाय इतने रोमांचक और उत्तेजक थे की उन्हे सोचने मात्र से ही दोनो की चूत गीली होती चली गयी और कुछ ही देर में दोनो एकदम नंगी होकर एक दूसरे के बदन को चूम-चाट रही थी..

पिंकी ने अपनी 2 उंगलियाँ एक साथ निशि की कच्ची फांको के बीच घुसा दी..



निशि : "आआआआआआआआअहह....... भेंन की लौड़ी ...... उम्म्म्मममममममम.... धीरेरए कर....... अपनी उंगली से ही फाड़ डालेगी क्या मेरी चूत की झिल्ली.....''

पिंकी ने उसके मुम्मो को चूसते हुए अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी और सिसकारी मारकर बोली : "साली कुतिया ......तेरी ये चूत तो अपने भाई के लंड को लेने की कल्पना मात्र से ही इतनी गीली हुई पड़ी है....ऐसी तो लाला का नाम सुनकर भी नहीं हुई थी आजतक..... लगता है तेरी चूत भी यही चाहती है की तेरे भाई का लंड जल्द से जल्द इसके अंदर घुस जाए....''

निशि : "अहह........ बस कर यार....... नंदू भाई के लंड के बारे में बोलकर तूने पहले से ही मुझे इतना गीला कर दिया है....आज तो इस कमरे में बाढ़ आकर रहेगी...''

और उसके झड़ने की आशंका मात्र से ही पिंकी ने अपनी चूत का मुंह उसकी गीली चूत पर लगा कर उसे रगड़ना शुरू कर दिया, जैसे सच में नंदू उसकी चूत मार रहा हो



और अगले ही पल उसकी चूत से बिना किसी आवाज़ के एक तेज धार निकल कर , अपना बाँध तोड़ती हुई बाहर निकल आयी और पिंकी की चूत रंगहीन पानी से सन कर रह गयी ...

निशि का पूरा शरीर अकड़ गया : "अहह....... नंदू........ डाल दे भाई....मेरी चूत में अपना लौड़ा ....अहह.....''

उसके झड़ने की हालत देखकर ही पिंकी को अंदाज़ा हो रहा था की नंदू का लंड लेते हुए इसका क्या हाल होने वाला है...

उसने उसकी चूत में जीभ ड़ालकर उसका सारा रस चाट लिया



अब तो उन्हे बस अपने बनाए प्लान पर अमल करना था जिसमे फंसकर उस खड़ूस नंदू को अपनी बहन की चुदाई करनी ही पड़ेगी...

अब नंदू की बात कहानी में आई है तो उसके बारे में कुछ बातें बता देता हूँ आपको..
अपने पिता की अचानक मौत से घर की सारी ज़िम्मेदारी नंदू के कंधो पर आ पड़ी थी...
हालाँकि उसमें उसकी माँ ने भी उसका सहयोग किया था पर घर का मर्द होने के नाते नंदू को भी अपनी ज़िम्मेदारियों का अच्छे से एहसास था...
जब तक पिता का साया उसके सर पर था उसे कमाई करने और खेतों के बारे में सोचने की कोई चिंता ही नही थी...
अपने कसरती बदन की वजह से वो पूरे गाँव की लड़कियो में फेमस था...




पर उसका दिल अपनी बहन मीनल की सहेली बिजली पर आया हुआ था...
उसके साथ प्यार की पींगे बढ़नी शुरू ही हुई थी की नंदू के पिता का देहांत हो गया और बाद में बिजली के बदन की आग जो नंदू ने जलाई थी, उसे लाला ने अपने लंड के पानी से बुझाया था.

अपने खेतो और काम के अंदर नंदू इतना डूबा की उसे अब किसी और बात को सोचने - समझने की फ़ुर्सत हि नहीं थी...
अपनी जवान हो रही बहन और विधवा माँ का उसे सहारा बनना था इसलिए उसके मिज़ाज में भी प्यार की जगह कड़वाहट ने ले ली...तभी पिंकी और निशि उसे खड़ूस कहा करती थी.

पर एक मर्द तो आख़िर मर्द ही होता है ना..
इसलिए नंदू को भी उसका लंड बात-बेबात परेशान करता ही रहता था.

और उसे पूरा दिन अपनी माँ के साथ खेतो में रहना पड़ता था इसलिए उसका दिल ना चाहते हुए भी अपनी माँ की तरफ आकर्षित होता चला गया...
और आज आलम ये था की खेतों में काम करते हुए वो अपनी माँ के मांसल शरीर को वो चोर नज़रों से देखकर अपनी आँखे सेका करता था.

नंदू की माँ गोरी की उम्र करीब 42 की थी...
3 बच्चो के बाद भी उसका बदन एकदम कड़क था..
कारण था खेतो में मेहनत भरे काम करना, जो वो अपने पति के साथ भी किया करती थी.
और पति की मृत्यु के बाद तो उसके हरे भरे बदन को चखने वाला भी कोई नही था,
ऐसे में उस कड़क जिस्म की महक जब नंदू तक गयी तो वो अपनी सग़ी माँ के प्रति आकर्षित होने से खुद को नही बचा पाया..
और अक्सर सोते हुए, नहाते हुए या फिर कभी-2 तो खेतो में काम करते हुए भी वो अपने लंड को रगड़ता रहता था.

आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा था...
खेतों में उसकी माँ गोरी काम कर रही थी और दूर पेड़ के पीछे , पेशाब करने के बहाने गया हुआ नंदू, अपनी माँ को झुके देखकर, उनकी निकली हुई गांड पर उसकी नजरें थी जिसे देखकर वो मुट्ठ मार रहा था...

''आआआआआहह माआआआआआअ....... क्या गांड है रे तेरी माँsssssss.... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... मन तो कर रहा है की तेरी साड़ी उठा कर अपना लंड पेल दूँ अंदर..... आअह्ह्ह..... क्या रसीले चूतड़ है तेरे माँ .....अपनी जीभ अंदर डालकर सारी मलाई खा जाऊंगा मैं तेरी.....साली कुत्तिया बना कर चोदुँगा इसी खेत में''

अपने लंड को जोरो से पीटते हुए नंदू बदहवासी में अपनी माँ के रसीले बदन को देखकर गालियां बक रहा था

और अचानक उसकी माँ ने पलट कर उसकी तरफ देखा और ज़ोर से आवाज़ लगाकर बोली : "नंदू...ओ नंदू....अब आ भी जेया जल्दी.... कितना टेम लगता है तूझे पेसाब करन में ...खाने का टेम भी हो रहा है...''

वो तो गनीमत थी की नंदू काफ़ी दूर था, वरना वो अपना लंड हिलाता हुआ सॉफ दिख जाता उन्हे...

पर वो भी बड़ा कमीना था,
अपनी माँ को अपनी तरफ देखते पाकर उसके हाथो की गति और तेज हो गयी...
और एक गंदी सी गाली और देते हुए उसके लंड ने ढेर सारा पानी उस पेड़ के मोटे तने पर फेंकना शुरू कर दिया...

''आआआआहह....भेंन की लोड़ी ......तेरी चूत में डालूँगा इस लोड़े का पानी एक दिन....फाड़ डालूँगा तेरी चूत को मैं मांमाआआआआअ....''

और शांत होने के बाद उसने अपने लंड को धोती में वापिस घुसाया और वापिस अपनी माँ की तरफ आ गया और उन्हे पानी से हाथ धुलवाने के लिए कहा.....

और हाथ धुलवाते हुए जैसे ही गोरी की नज़र अपने बेटे के हाथ पर पड़ी, उसके दिल की धड़कन रुक सी गयी...
नंदू के हाथ पर उसके लंड से निकले गाड़े रस की एक लकीर खींची रह गयी थी...
जिसे शायद नंदू ने भी नही देखा था...
वो तो अपनी मुट्ठ मारकर बड़ी शान से वापिस आया और माँ के मोटे मुम्मो को देखते हुए हाथ धुलवाने लगा..

गोरी का शरीर पहले ही वो सब देखकर काँप रहा था,
हाथ धुलवाने के बाद जब उसने नज़रे उठाकर नंदू की तरफ देखा तो उसे अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया,
धूप में काम करने की वजह से उसका ब्लाउस पूरा गीला हो चुका था, वैसे भी वो उपर के 1-2 हुक खोलकर रखती थी ताकि हवा अंदर जाती रहे...
और उसी वजह से नंदू उन तरबूजो को देखकर अपनी लार टपका रहा था...



ये देखकर गोरी का माथा ठनका ...
और उसने गुस्से से भरकर नंदू से कहा : "कहाँ ध्यान है रे तेरा....चल हाथ धूल गये है, खाना खा ले..''

नंदू का चेहरा एकदम से पीला पड़ गया...
आज पहली बार उसकी माँ ने उसकी चोरी पकड़ी थी..
और अभी तो उसे ये नही पता था की उसकी माँ ने उसके हाथ पर लगा वीर्य भी देख लिया है
वरना एक साथ 2 चोरी पकड़े जाने का बोझ पता नही वो कैसे सह पाता.
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

अब गोरी भी थोड़ी सतर्क होकर बैठी थी अपने बेटे के सामने...
उसने अपने ब्लाउज़ के दोनो हुक बंद कर लिए ताकि जो अपनी तरफ से अंग प्रदर्शन वो कर रही थी वो तो बंद हो ही जाए...

पर मन ही मन वो इस घटना को देखकर ये सोचने पर ज़रूर मजबूर हो गयी थी की आख़िर उसका सागा बेटा उसे उस नज़र से क्यो देख रहा था...
और उसके हाथ पर लगे उस वीर्य को देखकर वो ये भी समझ ही चुकी थी की इतनी देर तक पेशाब के बहाने वो मुट्ठ ही मार रहा था...
और ये काम तो वो लगभग 2-3 बार करता था दिन में..
यानी हर बार वो जब भी मूतने जाता था तो मुट्ठ मारकर ही आता था वापिस.

हे भगवान...
इन जवान लोंडो में कितनी एनर्जी भरी होती है....
पूरा अपने बाप पर ही गया है ये भी...
वो भी शादी के बाद एक दिन में कम से कम 2 बार तो उसकी चुदाई कर ही दिया करते थे...
कई बार तो अपने खेतों में ही चुदी थी वो अपने पति के लंड से
फिर जैसे-2 बच्चे होते गये उनकी चुदाई का फासला बढ़ता चला गया..
और फिर एक दिन उसके पति जब उन्हे छोड़कर चले गये तो वो सब बंद ही हो गया...
उसने भी अपने बच्चों की खातिर अपनी जवानी की परवाह किए बिना अपना जीवन उनके लिए समर्पित कर दिया...
हालाँकि इस बीच एक दो बार उस ठरकी लाला ने उसपर भी डोरे डालने की कोशिश की थी पर उसका रूखा रवेय्या देखकर लाला ने भी फिर कोई कोशिश नही की...
लाला का सिंपल फंडा था, आती है तो आ वरना अपनी माँ चूदा ।
उसके पास गाँव की कमसिन चुतों की कोई कमी थी भला जो वो 3 बच्चों की माँ पर अपना टेलेंट जाया करता.

और ये सब सोचते-2 उसे जब ये एहसास हुआ की आज भी उसके बदन में किसी को आकर्षित करने की क्षमता है तो उसका दिल पुलकित हो उठा...
पूरा दिन मिट्टी में काम करने के बाद उसकी हालत किसी भूतनी जैसी हो जाती थी...
घर जाकर नहाती, बच्चों के लिए खाना बनाती और गहरी नींद में सो जाती...
यही दिनचर्या रह गयी थी उसकी...
ऐसे में अपनी तरफ आई अपने ही बेटे की इस नज़र ने उसके अंदर एक कोहराम सा मचा दिया था.

खाना खाते हुए वो नंदू को देख रही थी और ना चाहते हुए भी उसकी नज़रे उसकी धोती की तरफ चली गयी और ज़मीन पर बैठने की वजह से उसके लंड का एक हिस्सा भी उसे दिखाई दे गया...
उसने तुरंत अपनी नज़रे फेर ली..
अपने बेटे को ऐसी नज़रो से देखने में उसे आत्मग्लानि का एहसास हो रहा था.

वहीं दूसरी तरफ नंदू भी अपनी माँ के चेहरे को देखकर ये जानने की कोशिश कर रहा था की उनके मन में क्या चल रहा है..
पर अपनी माँ की डांट से उसे ये एहसास ज़रूर हो गया की आगे से उसे सतर्क रहना पड़ेगा..

उसके बाद उसने इस तरह की कोई हरकत नही की और हमेशा की तरह सांझ होते-2 दोनो माँ बेटा घर की तरफ चल दिए.

नंदू के पास एक साइकिल थी, जिसपर बैठकर वो आया-जाया करते थे
अब उनके घर जाने के इस साधन में भी नंदू की एक चाल थी...
वो अपनी माँ को पीछे बैठाकर खेतो में ले जाया करता था...
और जब से उसके मन में अपनी माँ के लिए कपट आया था , तब से उसने उनके मस्त बदन को छूने के नये-2 बहाने ढूँढने शुरू कर दिए थे...
इसलिए उसने बड़ी चालाकी से पीछे बैठने के केरियर को तोड़ दिया, जिसकी वजह से उसकी माँ को साइकल के आगे वाले डंडे पर बैठना पड़ता था...
भरा हुआ शरीर था इसलिए वो फँस कर आती थी आगे की तरफ और साइकल चलाते हुए नंदू की दोनो टांगे उपर नीचे होती हुई अपनी माँ के मांसल जिस्म से रगड़ खाया करती थी...
और सबसे ज़्यादा मज़े तो उसके लंड के थे जो अपनी माँ की कमर के ठीक पीछे चिपक कर उसके गुदाजपन के मज़े लिया करता था...
और घर जाते-2 नंदू के लंड की हालत ऐसी हो जाती थी जैसे उसने धोती में कोई रॉकेट छुपा रखा हो...
उपर से नंदू अपनी माँ के ब्लाउज़ में झाँककर उन हिलते हुए मुम्मो को देखकर भी मज़ा लिया करता था.

पर आज गोरी को आगे बैठने में थोड़ी सकुचाहत हो रही थी लेकिन कोई और चारा भी नही था...
इसलिए वो बैठी और वो दोनो घर की तरफ चल दिए...
रास्ते भर वही होता रहा जो रोज हुआ करता था...
पर आज गोरी की अपने बेटे की हरकतों पर कड़ी नज़र थी...
इसलिए आधे रास्ते बाद जब उसकी कमर पर उसे नंदू के लंड की चुभन महसूस हुई तो उसका शक यकीन में बदल गया की उसका बेटा उसके बदन का दीवाना है.

घर पहुँचकर वो सीधा अपने कमरे में गयी और अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस कर नहाने लगी...
नहाते हुए उसके जहन में नंदू की सारी हरकतें चलचित्र की भाँति चल रही थी...
उसे दिख रहा था की कैसे वो पेड़ के नीचे खड़ा होकर मुट्ठ मार रहा है और खेतो में काम करते हुए उसके बदन को अपनी भूखी नज़रो से देख रहा है...
साइकल पर बैठकर उपर से उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा है.

उफफफफ्फ़.....
वो फिर से अपने बेटे के बारे में गंदे विचार ले आई थी...
सुबह तो उसने सोचा था की ऐसी कोई भी बात अपने मन में नही लाएगी और ज़रूरत पड़ी तो नंदू को भी कठोर शब्दो से समझा देगी की अपनी माँ के प्रति ऐसी भावना रखना सही नही है...

पर ये भी तो हो सकता है की वो सारा उसका वहम हो...
हो सकता है की वो किसी और के बारे में सोचकर ये सब करता हो और अपनी माँ को उस नज़र से देखना संयोग मात्र ही हो.

उसने मन में सोचा की काश ऐसा ही हो, यही उन माँ बेटे के संबंधो के लिए सही रहेगा..

उधर नंदू बाहर खाट पर बैठा अपनी माँ के ही विचारो में खोया हुआ था की उसकी बहन निशि अंदर आई...

उस भोले को भला क्या पता था की आज उसकी बहन के मन में उसके लिए क्या चल रहा है...
करीब 2 घंटे तक पिंकी के घर बैठकर उसने अपने भाई को आकर्षित करने के नये-2 तरीके ईजाद किए थे...
और वो इतने उत्तेजक थे की उन्हे सोचकर ही उसकी चूत में पानी भर आया था...
उन्हे जब वो अमल करेगी तो उसका क्या हाल होने वाला था ये तो सिर्फ़ वही जानती थी...
पर आज से वो इस जंग का आगाज़ ज़रूर कर देना चाहती थी.

इसलिए वो लंगड़ाती हुई सी घर पर आई, ये लंगड़ाना उसकी चाल का एक हिस्सा था.

नंदू ने जब उसे ऐसे चलते हुए देखा तो वो घबरा कर उसके करीब आया और उसे अपनी बाँहों का सहारा देकर अंदर ले आया...

नंदू : "अर्रे...ये क्या हुआ निशि ..कहीं चोट लगी है क्या...कैसे हुआ ये ....''

उसके चेहरे पर आई उसके लिए घबराहट सॉफ देखी जा सकती थी...
वो अपनी बहन से बहुत प्यार करता था...
इसका एहसास निशि को भी था.

निशि : "कुछ नही भैय्या ..वो पिंकी के घर से आते हुए पैर मुड़ गया एक गड्डे में जाकर....हाय ...सही से चला भी नही जा रहा ....''

नंदू ने उसे लाकर खटिया पर बिठाया और नीचे झुककर उसके पैर का मुआयना करने लगा...
उसने एक घाघरा पहना हुआ था, जिसे उपर करते ही उसकी गोरी पिंडलियाँ उसके सामने आ गयी जो एकदम भर चुकी थी...
नंदू भी उसकी भरी हुई टांगे देखकर हैरान था की कब और कैसे उसकी छोटी बहन इतनी बड़ी हो गयी है...
उसकी पिंडलियाँ ऐसी है तो उसकी जांघे कैसी होगी....
शायद माँ जैसी मांसल होंगी वो भी...
या हो ही जाएँगी..
आख़िर है तो उन्ही की बेटी ना.

यानी अपनी बहन के माध्यम से भी वो अपनी माँ को ही इमेजीन कर रहा था...
और अभी तक अपनी बहन के लिए उसके मन में कोई बुरा विचार नही था...
और इन विचारो को निशि जल्द ही बदलने वाली थी.

नंदू ने उसकी पिंडली को अच्छे से देखा पर उसे कुछ ख़ास दिखाई नही दिया...
कुछ हुआ होता तो दिखता ना...
निशि ने उसे अंदरूनी मोच कहकर अंदर दर्द होने का बहाना बनाया...
नंदू ने जब कहा की वो उसे डॉक्टर के पास ले चलता है तो वो एकदम से बोली : "नही नही...डॉक्टर के पास नही...उसे तो कुछ नही आता...बस हर बात पर पिछवाड़े पर सुई लगा देता है....''

नंदू उसकी बच्चो वाली बात सुनकर हंस दिया...
और बोला : "अब तू बड़ी हो गयी है निशि ..अब तेरे पिछवाड़े पर नही बल्कि हाथ में लगेगी सुई...और ये मोच है कोई चोट नही जो तुझे टीका लगाना पड़े डॉक्टर को...कोई गोली दे देगा तो दर्द में आराम आ जाएगा ना...''

निशि अपने चेहरे पर क्यूट सी स्माइल लाते हुए बोली : "ना भाई ना....मुझे नही जाना डॉक्टर के पास और ना ही कोई गोली खानी है...बस रात को मालिश करवा लूँगी, वही बहुत है...कल तक ठीक हो जानी है ...''



तब तक उनकी माँ गोरी भी नहा धोकर आ गयी...
नंदू को अपनी बहन के पैरो में बैठा देखकर वो भी चिंतित हो गयी...
नंदू ने उन्हे सारी बात सुना डाली...माँ ने भी डॉक्टर के पास चलने को कहा पर निशि ने मना कर दिया
गोरी भागकर दूध गर्म कर लाई और उसमें हल्दी डालकर निशि को दिया...बेचारी ने बड़ी मुश्किल से उसे पिया.

रात का खाना खाने के बाद जब वो अपने उपर वाले कमरे में जाने लगी तो नंदू ने उससे कहा की वो नीचे ही सो जाए पर उसने यही बहाना बनाया की उसे अपने बिस्तर के सिवा कही और नींद नही आती...

माँ अंदर बर्तन धो रही थी, इसलिए उसने नंदू से कहा की हो सके तो वो उसे उपर तक उठा कर ले जाए.
नंदू के लिए ये कोई मुश्किल काम नही था...
पर अभी कुछ देर पहले ही उसे निशि की जवानी का एहसास हुआ था इसलिए वो थोड़ा सकुचा भी रहा था...
निशि ने भी विनती करी की वो प्लीज़ उसे उपर तक उठा कर ले जाए वरना माँ देखेगी तो गुस्सा करेगी की अब वो छोटे नही रहे ...

नंदू जानता था की माँ ऐसा करने से मना करेगी और गुस्सा भी होगी...
इसलिए उनके बाहर आने से पहले ही उसने झट्ट से निशि के फूल जैसे बदन को अपनी बाँहों में उठाया और उपर चल दिया...
उसके नन्हे संतरे उसकी छाती में शूल की तरह चुभ रहे थे पर उसने उनकी तरफ कुछ ख़ास ध्यान नही दिया...
पर उसकी जाँघो को पकड़ कर उसने जरूर जान लिया की वो सच में काफ़ी भर चुकी है.

उसे बिस्तर पर लिटाकर जब वो जाने लगा तो निशि ने बड़े प्यार से उसे थेंक्स और बोली : "भाई...आप माँ के सोने के बाद प्लीज़ उपर आकर मेरी मालिश कर देना ...बहुत दर्द हो रहा है ... माँ को बोलूँगी तो वो ज़बरदस्ती मुझे डॉक्टर के पास भेज देंगी...और वहां मुझे जाना नही है...''

नंदू ने उसे मुस्कुराते हुए आश्वासन दिया की ठीक है वो आ जाएगा रात को.

और उसके बाद वो नीचे चला गया...

और निशि मन ही मन अपनी योजना के पहले चरण को साकार होते देखकर खुश हो रही थी.

आज की रात उसे नंदू को अपने हुस्न का दीवाना बना देना था,
यही प्लानिंग की थी उसने और पिंकी ने मिल कर...
और नंदू के हाव भाव देखकर इतना तो वो जान ही चुकी थी की मर्द चाहे कोई भी हो, भाई हो या बाप, हुस्न के आगे उसे झुकना ही पड़ता है...
तभी तो उसका ये खड़ूस भाई इतने प्यार से उसके साथ बर्ताव कर रहा था.

अब वो रात की तैय्यारी करने लगी...
आज कुछ ख़ास होने वाला था उसके कमरे में.

यहाँ निशि के दिमाग़ में नंदू चल रहा था तो नीचे नंदू के दिमाग़ में माँ के साथ-2 अब निशि के ख़याल भी आ-जा रहे थे...
और उधर उनकी माँ गोरी भी ना चाहते हुए फिर से अपने बेटे की बाते सोचने लगी थी सोते हुए...
एक ही दिन में घर के तीनो सदस्यो के दिल में एक दूसरे के लिए गंदे विचारो का निर्माण शुरू हो चुका था...
जो आगे चलकर सबको मजा देने वाला था.
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: हरामी साहूकार

Post by rajsharma »

नये वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ दोस्तो
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: हरामी साहूकार

Post by kunal »

निशि तो अपने कमरे में जाने के बाद ऐसे एक्साईटिड हो रही थी मानो आज उसकी सुहागरात हो...
हालाँकि पहली ही बार में उसे अपने भाई का शिकार नही करना था पर उसके साथ कुछ भी करने के एहसास से ही उसके दिल में काफ़ी रंग बिरंगी तितलिया उड़ रही थी..

नंदू के नीचे जाने के बाद वो झट्ट से उठी और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गयी...

अपने नंगे शरीर को शीशे के सामने देखकर वो अपने योवन पर इतरा रही थी...
आज से पहले वो ऐसी अवस्था में खुद को देखकर यही बोला करती थी मन में की वो किस्मत वाला ही होगा जिसे ऐसा मक्खन जैसे बदन मिलेगा...
पर आज उसने यही कहा 'नंदू भैय्या आप तो किस्मत वाले हो , जो आपको मैं मिल रही हूँ ...देख लेना, कितना मज़ा आने वाला है आपको...और मुझे भी...'

इतना कहकर वो खुद की ही बात पर हंस दी.



वैसे सच ही तो कह रही थी वो,
एक कुँवारी और कसी हुई चूत जब किसी को मिलती है तो उसे मारने का मज़ा सिर्फ़ वही बता सकता है,
और अपनी उसी कमसिन चूत में 1 उंगली डाल कर जब निशि ने उसे अंदर धकेला तो अंदर का गाड़ा नींबू पानी बाहर छलक गया...



उस पानी को उसने अपने मुँह में लेकर चाट लिया...

और अपने घुंघराले बालों में दूसरे हाथ की उंगलिया घुमाते हुए सोचने लगी 'हाय ....कैसा फील होगा नंदू भैय्या को जब वो इस रस को चूसेंगे...'

उसकी कल्पना मात्र से ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गये..

खैर, उसने जल्दी से अपनी पेंटी पहनी,
हालाँकि स्कूल में भी वो पेंटी नहीं पहनती थी पर आज की जो प्लानिंग उसने पिंकी के साथ मिलकर की थी, उसमें इस पेंटी का काफ़ी अहम रोल था,
उसके उपर उसने एक स्कर्ट पहनी जो उसके घुटनो तक ही आ रही थी और उपर उसने बिना ब्रा के एक टाइट सी टी शर्ट...
अब वो सच में एक सैक्सी माल लग रही थी.

फिर वो अपने बिस्तर पर लेट कर अपने प्यारे भाई का इंतजार करने लगी..

नीचे नंदू भी आज बेचैन था,
हालाँकि उसने आज तक अपनी बहन को इस नज़र से नही देखा था पर पता नही क्यों उसकी पिंडलियाँ देखने के बाद वो उसकी तरफ आकर्षित सा हो गया था...
क्योंकि वो गोरी पिंडलियाँ उसे उसकी माँ के बदन का एहसास दे गयी थी, जिसे वो ना जाने कब से छूना चाहता था, चूमना चाहता था...

और निशि को उपर ले जाते वक़्त भी उसके बदन के एहसास ने कुछ जागृत सा कर दिया था उसके अंदर..

इसलिए जब निशि ने उसे मालिश करने के लिए कहा तो उसने तुरंत हां कर दी क्योंकि निशि के बदन को छूने के एहसास के पीछे वो अपनी माँ सीमा को महसूस करना चाहता था..

सीमा के दिमाग़ में सोते हुए पुर दिन के चलचित्र चल रहे थे और वो पता नही क्या-2 सोचे जा रही थी.....
पर खेतो में की हुई मेहनत ने उसकी आँखो को कब बोझल कर दिया ये उसे भी पता नहीं चला और कुछ ही देर में वो रोजाना की तरह खर्राटे मारकर सो गयी...

थका हुआ तो नंदू भी था पर उसके पास एक लक्ष्य था जिसने उसे जगा कर रखा हुआ था..
माँ के सोने के बाद वो कुछ देर तक तो उन्हे तकता रहा और फिर धीरे से उठकर वो उपर चला गया..
दरवाजा पहले से खुला था, जिसे उसने अंदर से बंद कर दिया..

कमरे में हल्की रोशनी वाला बल्ब जल रहा था और ज़मीन पर बिस्तर लगाकर निशि गहरी नींद में सो रही थी..

नंदू ने उसे उपर से नीचे तक देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया...
आज पहली बार उसके मन में अपनी बहन के प्रति ग़लत विचार आ रहे थे...
कपड़ों में तो उसकी जवानी का पता ही नही चलता था पर ऐसे सोते हुए वो उसे अच्छे से देख पा रहा था...

लंबी-2 टांगे और भरी हुई पिंडलियाँ...
स्कर्ट भी थोड़ा उपर खिसक कर जाँघो तक पहुँची हुई थी जिसकी वजह से वो उसकी कच्छी को छोड़कर सब कुछ देख पा रहा था...
सीना ढलका हुआ था नीचे की तरफ जिससे उसके उभारो का वजह भी वो देख पा रहा था की वो कितने बड़े हो चुके है...
कुल मिलाकर उस दृशय ने उसके लंड को खड़ा कर दिया था..
Post Reply