चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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rajsharma
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by rajsharma »

नये वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ दोस्तो
Read my all running stories

(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by Rohit Kapoor »

पूनम की मधुर आवाज एक बार फिर से मनोज के कानों में गूंजने लगी,,,, भले ही वह थोड़ा गुस्से में बोली थी लेकिन यह भी मनोज के लिए बड़ा करार दायक था। मनोज की सांसें भी ऊपर नीचे हो रही थी जब से वह पूनम को झाड़ियों के बीच पेशाब करते हुए देखा है तब से उसकी आंखों के सामने बार बार उसकी मदद मस्त गोरी गोरी गांड नजर आने लगती थी,,, अभी भी पूनम उसके आगे ही खड़ी थी जिसकी वजह से मनोज की नजर उसकी कमर के नीचे के घेराव पर ही जा रही थी।,,,,, मनोज कुछ देर तक खामोश ही रहा उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी वह बस एक टक पुनम की कमर के नीचे वाले भाग कोई देखे जा रहा था,,, और यह बात पूनम को बिल्कुल भी पता नहीं थी इसलिए वह एक बार फिर उससे बोली,,,,।

क्या काम है इस तरह से मेरा रास्ता क्यों रोक रहे हो,,,
( पूनम फिर से उसकी तरफ देखे बिना ही बोली बेला को पूनम का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगता था लेकिन कर भी क्या सकती थी।)

वो,,, वो,,,,,,पुनम,,,,

अरे वो वो ही करते रहोगे या इससे आगे भी कुछ बोलोगे,,,,,

वो,,,, मैं तुम से बोला था ना इंग्लिश की नोट्स के लिए,,,,,


हां,,,, तो,,,,,,

तो,,,,,, क्या,,,,, तुम्हारी इंग्लिश की नोट पूरी है।


हां पूरी है ना,,,,,,,


तो क्या तुम मुझे अपनी इंग्लिश के नोट्स दे सकती हो,,,,,, और तुम ही तो कही थी कि मैं पूरी कर लूंगी तो जरुर दूंगी,,,,,,
( मनोज इतना कहकर उसके लहराते बालों को देखने लगा जो की बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे और सुबह से बड़ी ही मादक खुशबू आ रही थी,,, मनोज के बदन में तो जैसे किसी ने उत्तर घोल दिया हो इस तरह से वह उसकी खुशबू में एकदम मस्त होने लगा था,,,, उसे ऐसा लग रहा था कि पूनम आज भी उसे कोई बहाना बनाकर टाल जाएगी,,, क्योंकि अब तक वह ऐसा ही करती आई थी कोई और लड़की होती तो उसके अकड़ पन का जवाब मनोज अच्छी तरह से दे देता लेकिन ना जाने क्यों पूनम के प्रति वह अभी तक नरमी ही दिखा रहा था।,,,, पूनम अभी भी दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी थी और मनोज उसे ही देखे जा रहा था कभी उसके लहराते बालों को तो कभी कमर के,,नीचे के ऊन्नत घेराव को,,,,
( मनोज अपने सपनों की रानी की खूबसूरती को अपनी आंखों से निहार ही रहा था कि तभी पूनम उसकी तरफ पलटी और बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ से अपनी एक टांग को हल्के से ऊपर की तरफ उठा कर उस पर बैग रखकर बैग को खोलि और उसमें से अंग्रेजी कि नोट निकालकर मनोज की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,।

यह लो और अपना काम पूरा करके मुझे जल्दी से लौटा देना,,,,
( मनोज को तो बिल्कुल भी यकीन नहीं था की पूनम उसे अंग्रेजी की नोट देगी यह देख कर बेला और सुलेखा भी दंग रह गई,,,, ऊसे भी अपनी आंखों पर बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वह जानतीे थीे कि पूनम कभी भी किसी लड़के को अपनी नोट्स नहीं देती,,,,, लेकिन यह हकीकत ही था पूनम अपने हाथों से मनोज को अपने नोट्स दे रही थी मनोज के लिए तो जैसे कुदरत ने कोई तोहफा दे दिया हो वह अंदर ही अंदर एकदम से आनंदित हो उठा,,,, और झट से पूनम के हाथों से नोट पकड़ते हुए बोला,,,,,।

थैंक्यू पूनम थैंक यू तुम नहीं जानती कि तुमने आज मेरी कितनी बड़ी मदद कर दी है। मैं इंग्लिश के सब्जेक्ट में अभी बहुत पीछे हुं तुम्हारी नोट से मुझे काफी मदद मिलेगी,,,,


कोई बात नहीं वैसे भी दूसरों की मदद करने में मुझे काफी अच्छा लगता है और मैं चाहूंगी कि तुम जल्द से जल्द अपना काम खत्म करके मुझे मेरी नोट्स वापस लौटा दो गे,,,,,


जरुर,,,,, मैं पूरी कोशिश करुंगा अपना काम खत्म करने की और जल्द से जल्द से मैं यह नोट वापस लौटाने की,,,,

( मनोज की यह बात सुनकर पूनम हल्के से मुस्कुरा दी और बिना कुछ बोले अपने रास्ते जाने लगी मनोज तो उसे वहीं खड़ा देखता ही रह गया उसकी खूबसूरती का पूरी तरह से वह कायल हो चुका था। आप मुस्कुराते हुए इतने करीब से उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी कायनात मुस्कुरा रही हो,,,

पूनम अपने रास्ते चली जा रही थी बेला और सुलेखा उसे देख देख कर मुस्कुरा रही थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,,
पूनम की चाल एकदम से बदल गई थी वह बहुत ही इतरा आकर चल रही थी,,,, बेला और सुलेखा को बार बार उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पाकर वह बोली,,,

तुम दोनों आज इतना दांत क्यों निकाल रही हो,,,,,

हां,,,,,, हां अब तो बोलोगी ही,,,,

अब तो बोलोगी ही,,,,,, इसका क्या मतलब हुआ मैं कुछ समझी नहीं,,,,।


अब ज्यादा अनजान बनने की कोशिश मत करो पूनम,,,, आज कैसे मुस्कुरा कर उसे अपनी इंग्लिश की नोट थमा दी,,, पहले तो कैसे कहती थी कि मुझे इन सब लफड़ो में बिल्कुल नहीं पड़ना है। और आज क्या हो गया,,,


आज क्या हो गया,,, अरे तुम दोनो एकदम बुद्धू हो क्या मैंने उसे अपनी इंग्लिश की नोट दी हुं। ऊसे कोई अपना दिल निकाल कर नहीं देदी हूं जो तुम दोनों इस तरह से बातें कर रही हो,,,,,



अरे क्या भरोसा आज तुमने इंग्लिश की नोट निकालकर दी हो कल दिल भी दे सकती हो और वैसे भी तो दिल के आदान-प्रदान की शुरुआत भी तो स्कूल में किताबों के लेनदेन से ही होती है।( बेला इतना कहकर हंसने लगी और साथ में सुलेखा भी हम दोनों को हंसता हुआ देखकर पूनम को गुस्सा आने लगा और वह गुस्सा करते हुए बोली।)

अरे बुद्धू मैं उसे अपनी इंग्लिश की नोट तो क्या नोट्स का एक पन्ना भी नहीं देने वाली थी लेकिन वह कई महीनों से लगातार मांग रहा था इसलिए मुझे उस पर तरस आ गई इसलिए मैं उसे दे दी,,,,,


अच्छा यह बात है महीनो से मांग रहा था इसलिए उस पर तरस आ गई और तुमने उसे इंग्लिश की नोट दे दी,,,, यही कहना चाहती हो ना तुम,,,,,, वाह पूनम रानी तो आज बड़ी दयालु हो गए कोई महीने से पीछे पड़कर दिन रात एक कर के तुमसे इंग्लिश की नोट्स मांगा तो यह उस पर तरस खा कर के जो काम आज तक नहीं की है वह काम करते हुए उसे अपनी इंग्लिश की नॉट्स थमा दी,,,,( इतना कहते हुए बेला वहीं रुक गई और उसे देखकर पूनम भी खड़ी हो गयी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि बेला क्या कहना चाहती है वह बड़े आश्चर्य से बेला की तरफ देख रही थी और बेला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,) पूनम आज तो उसने तुम्हारे पीछे पढ़कर इंग्लिश की नोट्स मांग ली और तुमने भी उस पर तरस खाकर उसे नोट्स दे दी लेकिन जरा सोचो,,, कहीं वह जिद करके तुम्हारी ये ( उंगली से बुर की तरफ इशारा करके) मांग लिया,,,,तो,,,, तो क्या तुम तरस खाकर उसे अपनी ये भी दे दोगी,,,,,
( बेला की बातों का मतलब समझते ही वह गुस्सा करते हुए उसे मारने को हुई,,,, लेकिन बेला चालाक थी वह इतना कहते ही भागते हुए स्कूल में प्रवेश कर गई और उसके पीछे-पीछे पूनम,,,,,,,, पूनम को मनोज धीरे-धीरे अच्छा लगने लगा था इसी वजह से उसने ना चाहते हुए भी इंग्लिश के नोट्स उसे दे दी थी,,, दूसरी तरफ मनोज इसे अपनी सबसे बड़ी कामयाबी समझ रहा था उसे यकीन हो गया था कि उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने में यह नोट्स ही मदद करेगी,,,,)

शाम के वक्त घर पर सभी लोग अपने-अपने काम में लगे हुए थे पूनम भी आंगन में झाड़ू लगाते हुए साफ सफाई कर रही थी। लेकिन उसका ध्यान मनोज पर ही था ना जाने उसका मन क्यों इस तरह से व्याकुल होने लगा था,,,, अब तो उठते-बैठते सोते जागते बस उसी का ख्याल आने लगा था। मन ही मन वह भी मनुष्य प्यार करने लगी थी लेकिन अपने परिवार की याद आते ही उसका प्यार हवा में फुर्र हो जाता था क्योंकि घर वालों से हिदायत नुमा एक प्रकार की धमकी ही मिली थी,,,की अगर घर की किसी भी लड़की का जिक्र इस तरह के लफड़ों में हुआ तो उन से बुरा कोई नहीं होगा,,,,, लेकिन दिल तो आखिर दिल है कैद में कहां रहने वाला है। अपने मन को लाख बनाने के बावजूद भी मन के अंदर मनोज का ख्याल आ ही जा रहा था,,, । तभी वह झाड़ू लगाते लगाते मनोज को याद करते हुए एक जगह पर बैठ गई,,,,, जब भी वह मनोज को याद करती तो उसके बदन में अजीब प्रकार के सुरसुराहट होने लगती थी। तभी उसकी संध्या चाची को रसोई में साफ सफाई की जरूरत पड़ी तो वह पूनम को आवाज देने लगी लेकिन पूनम तो अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी वह भला अब कहां किसी की बात सुनने वाली थी। बार-बार बुलाने पर भी पूनम की तरफ से कोई भी जवाब ना पाकर रसोईघर से संध्या बाहर आई,,,,,,
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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by Rohit Kapoor »


पूनम अरे, ओ पूनम (इतना कहते हो गए संध्या पूनम के करीब पहुंच गई लेकिन फिर भी पूनम पर जैसे किसी बात का फर्क ही नहीं पड़ रहा था,,,, वह पूनम को कंधे से पकड़कर उसे झक जोड़ते हुए बोली,,,,)

कहां खोई हुई है तू तुझे कुछ सुनाई दे रहा है या नहीं,,,

( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम जैसी नींद से जागी हो इस तरह से हड़बड़ा सी गई,,,,,)

कककक,,, क्या हुआ चाची क्या हुआ,,,,,,

अरे होगा कुछ नहीं लेकिन तू कहां खोई हुई है कि तुझे कुछ पता ही नहीं चल रहा है।
( पूनम अपनी हालत पर खुद ही शर्मा गई,,, करे भी क्या वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, फिर भी बहाना बनाते हुए बोली,,,,।)

कुछ नहीं चाची थोड़ी थकान की वजह से नींद लग गई थी,,,,

अरे वाह रे आजकल की लड़कियां थोड़े से काम में ही इतना थक जाती है कि ऊन्हैं कहीं भी नींद आने लगती है।अच्छा,,, जाओ जाकर रसोई घर साफ कर दो मुझे रसोई तैयार करना है,,, सुजाता कहां रह गई कब से उसे सब्जी लाने भेजी हूं लेकिन कहीं पता ही नहीं है,,,,,, ( संध्या की बात सुनते ही पूनम झट से रसोई घर में जाकर सफाई करने लगी,,,, संध्या सुजाता का इंतजार करने लगी जिसे वह खेतों में हरी सब्जियां लेने भेजी थी।,,,, लेकिन सुजाता खेतों में सब्जी लेने ही नहीं बल्कि अपने आशिक से भी मिलने गई थी इसलिए तो उसे देर हो रही थी,,,,,। सोहन से वह कुछ महीनों से छुप-छुपकर मिलती थी सोहन उनके पड़ोस में ही रहता था। पढ़ाई लिखाई और ना तो कमाई,,, इन तीनों से उसका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था,,,, बाप शहर में अच्छे से कमाता था इसलिए बिना किसी चिंता फिक्र के वह सारा दिन गांव में आवारा गर्दी किया करता था। सुबह पूनम के वहां दूध लेने आया करता था और सुजाता से उसकी नजरें मिल गई.

सोहन सुजाता की खूबसूरती पर फिदा हो गया था,,,, खूबसूरती क्या चीज होती है यह उस लट्ठ के पल्ले कहां पड़ने वाला था वह तो औरतों के बदन के उतार चढ़ाव को ही देख कर मस्त हो जाया करता था,,,, ऐसा नहीं है कि पूनम के घर आकर उसे सिर्फ सुजाता ही अच्छी लगी वह तो पूनम के घर की सारी औरतों को पसंद करता था,,,, उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत,,,,, खूबसूरत क्या,,, अच्छे बदन वाली पुनम की संध्या चाची लगती थी। क्योंकि संध्या की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी नजर आती थी और उनकी बड़ी बड़ी गांड देखकर वह हमेशा मस्त हो जाया करता था। पूनम की ऋतु चाची भी उसे बेहद अच्छी लगती थी और उसी तरह से पूनम तो उसे चांद का टुकड़ा लगती थी लेकिन किसी के भी साथ उसकी दाल गलने जैसी नहीं थी यह उसे भी अच्छी तरह से मालूम था। इसलिए उन लोगों के साथ वह ज्यादा मेल जोल बड़ा ही नहीं पाया वह तो सुजाता से थोड़ा बहुत बातें करते करते,,,, उसके साथ उसका टांका भीड़ गया यह साफ तौर पर मोहब्बत नहीं थी बल्कि एक दूसरे के प्रति आकर्षण ही था। सुजाता के बदन में कामाग्नि भरी हुई थी जो की शादी की उम्र के बावजूद भी अभी तक कुंवारी थी इसलिए उसके बदन को एक मर्द की जरूरत थी। जो की उसके जवानी के रस को पूरी तरह से नीचोड़ सके,,,, इसलिए चुप चुप करो बाहर खेतों में सोहन से मिला करते थे और आज भी जब संध्या ने उसे खेतों से सब्जी लाने भेजी थी तो वह सब्जी लेने के बहाने सोहन से मिल रही थी। खेतों में जंगली झाड़ियां खूब ज्यादा उगी हुई थी जिसकी वजह से शाम के वक्त दूर-दूर तक किसी को कुछ नजर नहीं आ पाता था इसी का फायदा उठा कर के वह सोहन से मिल रही थी।
सोहन सुजाता के करीब आते ही ़ झट से उसके बदन से लिपटने लगता था। रोज की तरह आज भी वह सुजाता को अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने लगा,,,, कुंवारी सुजाता अपने होठों पर मर्द की फोटो का इस तरह से ही पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी। उत्तेजना के मारे वह भी शुभम के बदन से लिपट गई। शुभम तो मौका पाते ही अपनी हथेलियों को उसके पीठ से लेकर के उसके नितंबो तक फीराने लगा,,,, शुभम की दोनों हथेलियां जैसे ही सुजाता के नितंबों पर पहुंचती वैसे ही सोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो जाता और तुरंत सुजाता की गांड को जितना हो सकता था उतना अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए उसे नोचने खसोटने लगता,,,, सोहन की इस हरकत से सुजाता के बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगती,,,, वह पागलों की तरह सुजाता की गुलाबी होठों को चूसते हुए उसके पूरे बदन पर अपनी हथेली फीराता रहता। सोहन को पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था।पेंट मे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर के गदर मचा रहा था वह सुजाता को चोदना चाहता था। इसलिए वह सुजाता कि गुलाबी होठों पर से अपने होंठ को हटाता हुआ अपने हाथ से उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोला,,,

ओहहहह मेरी रानी आज तो खोल दो अपनी सलवार को (इतना कहने के साथ ही हुआ अपने हाथ नीचे ले जाकर के सलवार की डोरी पर रखकर खोलने को हुआ ही था की,,,, सुजाता झट से उसका हाथ पकड़ कर उसको रोते हुए बोली,,,,)

नहीं मेरे राजा अभी बिल्कुल नहीं सही समय और सही मौका आने पर मैं खुद ही अपनी सलवार खोल कर तुम्हें अपना खजाना सौंप दूंगी,,,,,


क्या रानी प्यार में ऐसा भी कोई करता है क्या जब भी मेरा मूड बनता है तब तुम कोई ना कोई बहाना बनाकर बात को टाल जाती होै देखो तो सही मेरा लंड कितना खड़ा हो गया है।

( लंड खड़ा होने की बात सुनते ही सुजाता के बदन में गुदगुदी होने लगी उसकी बुर में उत्तेजना का रस घुलने लगा,,, उसी से रहा नहीं गया और वह हाथ आगे बढ़ाकर पेंट के ऊपर से ही सोहन के खड़े लंड को टटोलने लगी। लंड के स्पर्श मात्र से ही उसकी बुर फुलने पिचकने लगी,,,, सुजाता बड़े अच्छे से पैंट के ऊपर से ही लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोली,,,)

वाहहह सोहन तेरा लंड,,, तो सच में एकदम से खड़ा हो गया है।


तो क्या इसीलिए तो कह रहा हूं कि,,,,, बस एक बार एक बार मुझे चोदने दे,,,,,
( इच्छा तो सुजाता की भी बहुत होती थी चुदवाने की लेकिन क्या करती परिवार वालों से अभी उसे बहुत डर लगता था उसका बस चलता तो इसी समय सोहन के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवा ले लेती,,,,, लेकिन इच्छा होने के बावजूद भी वह अपनी इच्छा को मारते हुए बोली,,,,,)

नहीं सोहन मेरे राजा मैं सच कह रही हूं सही मौका मिलने पर मैं तुझे अपना सब कुछ सौंप दूंगी,,,,


लेकिन अभी क्या अभी तो मेरी हालत एकदम खराब हो गई है एक काम करो तुम एक बार मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर हिला दो मुझे शांति मिल जाएगी,,,,


नहीं सुमन मुझे देर हो रही है मुझे सब्जी लेकर घर जाना है।


देखो कोई बहाना मत बनाओ बस एक बार एक बार इसे अपने हाथ से पकड़ लो मैं और कुछ करने को नहीं कहूंगा,,,
( इतना कहने के साथ ही सोहन जल्दी-जल्दी अपना पेंट की बटन खोलकर लंड को बाहर निकाल लिया,,,, हवा में लहरा रहे काले लंड को देखकर सुजाता की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा आज पहली बार वह लंड देख रही थी,,, उससे भी रहा नहीं गया औरं हांथ को आगे बढ़ाकर सोहन के लंड को जैसे ही पकड़ी और उसकी गर्मी जैसे ही उसकी हथेली में महसूस हुई,,,ही थी की अपने नाम की गुहार दूर से आती सुनाई देते ही वह एकदम से हड़बड़ा,,, गई,,,, और तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच ली,,, सोहन भी कुछ ही दूर से आती आवाज को सुनकर एकदम से सकते में आ गया था और जल्दी-जल्दी अपने पेंट को पहन लिया,,,,, सुजाता भी जल्दी जल्दी नीचे बिखरे हुए सब्जियों को उठाकर अपने,,, दुपट्टे में रखकर खेतों से बाहर आ गई,,,, खेतों के बाहर उसकी बड़ी भाभी खड़ी थी जो कि,,,, थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली,,,,,

इतनी देर कहां लगा दी सुजाता कब से संध्या इंतजार कर रही है।


कहीं नहीं बादी सब्जियां ठीक से नहीं मिल रही थी इसलिए अच्छी-अच्छी ढूंढने में समय लग गया।

अच्छा जा जल्दी जा कर अच्छे से सब्जियां काट दे,,,

जी भाभी,,,,( इतना कहते ही सुजाता भागते हुए घर में चली गई)
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