बीवी के गुलाम आशिक complete

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josef
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Re: बीवी के गुलाम आशिक

Post by josef »

पार्टी एक होटल के गार्डन में रखी गई थी, मेरे सभी ऑफिसर वँहा मौजूद थे ,मुझे मंत्री ने इस्पेसली बुलाया था ,
मैं जानता था की क्यो,शायद मुझे धमकाने के लिए या सौदा करने के लिए …?
हम सभी से मिल रहे थे,सभी मुझसे ज्यादा तज्जवो मोना को दे रहे थे,
“आओ अभी केस कैसा चल रहा है”
SP साहब भी मिल गए..उन्होंने भी मोना को ऊपर से नीचे तक देखा लेकिन मेरा लिहाज रखा ..उसे बस हाय बोलकर मेरी ओर देखने लगे..
“बस नजदीक हु सर ,लेकिन मंत्री जी ..”
sp साहब ने आंखों में ही मुझे चुप करा दिया ..
“पागल हो गए हो क्या ,ये उनकी ही पार्टी है भूलो मत ...मुख्यमंत्री भी आये हुए है ,कुछ उल्टा सीधा का तो तुम सीधे सस्पेंड समझे,सम्हाल कर बोलना जो भी बोलना है “
मोना उनकी बातो से जरा सहमी लेकिन मेरे लिए ये कोई नई बात तो नही थी ..
आखिर मंत्री साहब भी मिल ही गए ,
“आओ आओ अभिषेक कैसे हो ,ओह हाय ये हसीना कौन है “
उन्होंने मेरी ओर बढ़ रहे अपने हाथो को मोना की ओर बड़ा दिया,मोना के चहरे में मुस्कान खिल गई लेकिन मेरी गांड ही जल गई,उन्होंने मोना का हाथ पकड़ा और एक हल्की सी किस उसके हाथो में किया ,
“ये इनकी बेगम साहिबा है हुजूर …”
एक जानी पहचानी आवाज मेरे कानो में पड़ी,और उसे देखते ही मेरी आंखे चौड़ी हो गई ..
“तू यंहा ..”मेरी आवाज में थोड़ा क्रोध था ,
अब्दुल में मोना को नमस्ते किया ,दोनो की आंखे मिली लेकिन अचानक मोना की आंखों में एक अजीब सी चमक दिखाई दी ,वही चमक अब्दुल की आंखों में भी था ..वो मेरी ओर मुड़ा
“क्या करे अभिषेक साहब मंत्री जी ने आपसे ज्यादा अच्छा ऑफर दे दिया “वो हंसा लेकिन मेरे चहरे में बस गुस्से का भाव था वही मंत्री के चहरे में भी एक कुटिल मुस्कान थी ..
वो मुझे मोना से थोड़ा अलग ले गया..
“बेटा जो खेल तुम खेल रहे हो ना हमे उस खेल में महारत हासिल है,तुम्हारे जैसे कितने पुलिस वाले आये और गए हमारा कुछ भी नही उखाड़ पाए ,हा किया है घोटाला,खाया है पैसा मल्टीनेशनल वालो से ,मरवाये है कई पुलिस वाले और आदिवासी ..उखाड़ ले जो उखाड़ना है,तेरे सभी सबूतों की कागज पर मैं भजिया रख कर खाऊंगा और तू कुछ भी नही कर पायेगा,अच्छा है की मेरे साथ मिल जा ,थोड़ा पैसा भी मिल जाएगा,ऐसे भी मेरा झांट भी तो नही उखाड़ सकता तू,इतनी हसीन बीवी है खुदा ना करे की उसे कुछ हो जाए ,तू सस्पेंड हो जाएगा बीवी किसी और की हो जाएगी तो क्या रह जाएगा तेरे जीवन में ,मेरी बात को सोचना आज फोकट की दारू पी और खाना खाकर घर जा …”
वो शैतानी मुस्कान के साथ मुझे देखता हुआ पलटा,मेरे पंजे बंधे हुए थे,मन कर रहा था की उसे अभी एक घूंसा मार दु..
वो फिर से मेरी ओर पलटा इस बार उसकी वही शैतानी मुस्कान और भी ज्यादा थी ..
“ऐसे तेरी बीवी पर मेरा दिल आ गया है,बचा के रखना “
वो अब जोरो से हंसा और वँहा से चला गया,मेरा चहरा गुस्से से लाल हो चुका था…
“क्या हुआ जान आप ठीक तो हो ना “मोना मेरे पास आ चुकी थी..
“कुछ नही बेबी बस ..ठीक हु ,तुम कुछ लोगी ..”
“एक दो ड्रिंक हो जाए ..”वो मुस्कुराई और हम ड्रिंक्स के पास चले गए दो पैक हम दोनो ने लगा लिया था ,मेरा ध्यान पूरे समय बस मंत्री और अब्दुल पर ही था,उन दोनो में कुछ बात हुई और वो होटल की ओर बड़े ,मैं भी मोना से थोड़ा बिदा लेकर उनके पीछे गया,
josef
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Re: बीवी के गुलाम आशिक

Post by josef »

“साहब क्या करना है उसका ..”
“उसकी चिंता मत कर ,जब तक वो फाइल मेरे पास है हमे कोई चिंता नही है ,वो कुछ भी नही कर सकता,लेकिन मैंने तुझे दूसरे काम से बुलाया है ..”
“क्या ..”
वो दोनो ज्यादा दूर नही गए थे,थोड़े अकेले वाले जगह में पेड़ो के पास ही खड़े थे,मैं दोनो की बातो को पेड़ की ओढ़ लेकर सुन रहा था ..
“वो साली उसकी बीवी कमाल की है ,और तुझे देखकर वो अजीब सा एक्सप्रेशन क्यो दे रही थी “
अब्दुल हंसा
“बस साहब है कुछ पुराना “
“वाह साले तू तो खिलाड़ी निकला बे,हमारा कुछ जुगाड़ कर “
दोनो ही हंसे और मेरी अंदर तक जल गई
“आप पहुँचो वही कमरा नंबर 144 में मैं कुछ जुगाड़ चलाता हु “
“ये हुई ना बात “
दोनो ही फिर से चले गए ,कमरा नंबर 144 मैंने कई लोगो से इसके बारे में सुन रखा था ,मैं जल्दी से भागा और अपने कार तक पहुचा तुरंत ही फाइल निकाली और उसे अपने कोट में डाल कर वापस आया ,लेकिन ये क्या मोना कही भी दिखाई नही दे रही थी …………..

मेरी धड़कने तेज थी और माथे में पसीना था,अभी 15 मिनट ही हुए थे और ऐसा लगा जैसे कई युग बीत चुके हो ,
मैं बहुत तेजी से कमरा नंबर 144 में पहुचना चाहता था लेकिन फिर भी मैं आराम से जा रहा था ताकि किसी को भी कोई शक ना हो ,5th माले पर वो एक ही कमरा था,जब मैं लिफ्ट में घुसा तो एक वेटर पहले से एक ट्राली में एक शेमपीएन की बोतल और कुछ स्ट्राबेरी के साथ मौजूद था,मेरे बटन दबाने से पहले ही उसने 5th फ्लोर का बटन दबा दिया ,मैं जानबूझकर 4th का बटन दबाया और उतरकर तेजी से सीढ़ियों से दौड़ता हुआ ऊपर पहुचा ,वेटर के अंदर जाने तक मैंने इंतजार किया और उसके जाते ही मैं कमरे के दरवाजे के पास पहुचा,वँहा से कुछ आवाजे तो आ रही थी लेकिन मैंने अपना काम किया,अभी दरवाजा खुला हल्का खुला हुआ था.मैंने एक रबर का टुकड़ा दरवाजे में लगा दिया ताकि जब वेटर जाए तो दरवाजा पूरा बंद ना होने पाए ,थोड़ी ही देर में वेटर वहां से चला गया और मैं फिर से दरवाजे के पास आया और रबर के टुकड़े के कारण दरवाजा लॉक नही था,मैं अंदर की आवाजे सुनने लगा …
“क्या कर रहे हो थोड़ा तो सब्र करो “
ये एक आवाज मेरी धड़कने रोकने को काफी थी,ये मोना की आवाज थी,साथ ही एक जोरो से हँसने की आवाज सुनाई दी ,दो लोग वँहा मौजूद थे ,
“अरे रानी जब से तुम्हे देखा है मैं तो पागल ही हो गया हु,मुझे तो अब भी अपने किस्मत पर यकीन नही आ रहा की तुम मेरे पास हो ,मान गए तुमको अब्दुल तुम तो यार कमाल ही निकले ..”मंत्री फिर से हंसा साथ ही मोना और अब्दुल भी ..
“अरे मंत्री जी अब तो हमारा नजराना दे दो “
“कमाल करते हो अभी काम पूरा कहा हुआ है अभी तो वो अभिषेक जिंदा है “
“क्या वो मेरे पति है “
मोना की आवाज में चिंता थी ..
“अरे मोना रानी अब छोड़ भी दो ,मंत्री जी के साथ रहो जीवन भर ऐश करो उस कंगाल में क्या रखा है …”
थोड़ी देर तक कमरे में कोई आवाज नही आयी ..
“लेकिन वो मेरा पति है कम से कम मेरे सामने तो ऐसा मत बोला करो “मोना ने बड़ी मासूमियत से कहा और मंत्री और अब्दुल दोनो ही हँस पड़े
“अच्छा बाबा तुम्हारे सामने नही करेंगे इसकी बात,अब्दुल तुम्हे क्या करना है तुम समझ जाओ और मेरी रानी के साथ मुझे थोड़ा समय बिताने दो “
“जी साहब ,मुझे पता था तुम यही फैसला करोगी “
अब्दुल जाने को मुड़ा ही था की ..
“आउच “मोना की आवाज आयी
“क्या हुआ “अब्दुल फिर से मुड़ा
“क्या मंत्री जी अभी से शुरू हो गए थोड़ा तो रुको मुझे जाने दो “दोनो हँसने लगे
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