बढ़िया उपडेट तुस्सी छा गए बॉस
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
पिशाच की वापसी
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Re: पिशाच की वापसी
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
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Re: पिशाच की वापसी
Dhansu update bhai Bahut hi Shandar aur lajawab ekdum jhakaas mind-blowing.
Keep going
We will wait for next update
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I am big fan of your work
आवारा सांड़ अनौखा समागम अनोखा प्यारचमत्कारी Arhann- mohabbat ya nafrat SAAJAN (Family Love FANTASY)
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- SATISH
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Re: पिशाच की वापसी
साथ बने रहने के लिए आप सब का आभारी हूं
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Re: पिशाच की वापसी
पिशाच की वापसी – 7
"वह तो अंत था इस दर्दनाक शुरूवात का"
टपकते खून से ज़मीन पे ये शब्द छाप गये, जावेद ने इन शब्दों को जब पढा और बनते देखा तो उसकी रूह कांप गयी, यही हाल वीरा का भी था, दोनों इस पल को देख के बुरी तरह घबरा गये.
“अभी तक वह पल में नहीं भूल पाया हूँ, वह खून से बनते शब्द मुख्तार साहब अभी तक वह दृश्य मेरी आँखों के सामने घूम रहे हैं"
जावेद ने मुख्तार की आँखों में देखते हुए कहा.
“लेकिन फिर भी ये कहना है की वहां कोई शैतान, या कोई आत्मा है, मुझे ठीक नहीं लगता”
"क्या आपको नहीं लगता, की पिछले दो दीनों में कुछ बदला बदला सा है"
जावेद ने मुख्तार की बात पे ध्यान ना देते हुए उसके बिलकुल करीब आकर कहना शुरू किया,
"क्या आपको नहीं लगता पिछले 2 दीनों में यहाँ ठंड कुछ ज्यादा बढ़ गयी है, क्या आपको नहीं लगता यहाँ की हवा हमें कुछ बताना चाहती है, क्या आपको ऐसा महसूस नहीं होता की मानो हर समय कोई आपके साथ है, कोई है जिसे आप देख नहीं सकते पर ऐसा लगता है वह आपके साथ हो, और आपकी जिंदगी से खेलना चाहता हो"
जावेद ने ये बात इस लिहाज़ से करी की मुख्तार की साँसें थाम सी गयी.
"ये, ये तुम्हें क्या हो गया है जावेद, कैसी बातें कर रहे हो"
मुख्तार थोड़ा पीछे होते हुए बोला.
"ये सब में नहीं मुख्तार साहब, उन मजदूरों का कहना है, उनकी ये बातें ना जाने क्यों मेरे दिमाग में घूम रही है"
जावेद ने इस बार नॉर्मल आवाज़ में कहा.
"तुमने तो डरा दिया था एक मिनट के लिए मुझे"
"मुख्तार साहब, बात इतनी छोटी नहीं है जितनी दिख रही है, वीरा को पैसे का लालच था इसलिए उसने किसी को नहीं बताया, और बिना किसी को पता चले हमने वह लाशें ज़मीन में गडवा दी, पर अगर ये हादसे होते रहे तो शायद अगली बार बचना मुश्किल होगा, हमें ये मौत के सिलसिले को रोकना पड़ेगा"
"में जानता हूँ जावेद, पर तुम तो जानते ही हो, की ये काम कितना जरूरी है, मेयर साहब जबान दे चुके हैं, उसके साथ साथ करोडो रुपये भी ले चुके हैं, अगर ये काम नहीं हुआ तो मेयर साहब हमारा पता नहीं क्या करेंगे, मिस्टर विल्सन का पैसा उन्होंने ले लिया है, अब उनको सिर्फ़ काम से मतलब है, इसके अलावा और कुछ नहीं, वैसे भी यहाँ पे उसे हादसे के बाद, कुछ नहीं बचा, मिस्टर विल्सन की बदौलत अब यहाँ कुछ बनेगा तो लोगों की दिलचस्पी एक बार फिर इस जगह में आ जाएगी, नहीं तो यहाँ कुछ नहीं बचा था सारा पैसा खत्म हो गया था, तुमसे बेहतर कोन जान सकता है ये बात"
मुख्तार ने एक गिलास शराब का भर के उसे खत्म करते करते अपनी बात कही.
"में अच्छी तरह से जानता हूँ, की ये काम कितना जरूरी है"
"इसलिए कह रहा हूँ, किसी भी तरह इस काम को कारवांओ, पुलिस की चिंता मत करो उसेे में संभाल लूँगा तुम बस इन मजदूरों को संभालो, अगर ये बात की अफवा बन गयी तो कोई नहीं आएगा यहाँ"
"हम्म, आप बेफ़िक्र रहिए मुख्तार साहब, अब में इस बात को जान कर रहूँगा की आख़िर क्या हो रहा है ये सब, में आज रात जाऊंगा वहां, आख़िर देखूं तो सही की इस राज़ के पीछे असलियत क्या छुपी है"
जावेद ने माथे पे शिकन लाते हुए कहा.
बारिश बंद हो चुकी थी, पर ठंड बहुत जबरदस्त थी, जावेद रोड पे धीरे धीरे देर रात अकेले उसे रास्ते पे चल रहा था, दिल में एक खौफ और दिमाग में घूम रहा डरावाना मंजर किसी भी इंसान को डराने पे मजबूर कर ही देता है, पर कहते हैं की विश्वास उसे डर को खत्म करता है, लेकिन इस वक्त जावेद के चेहरे पे वह डर की बनावट और चिंता भरी शिकन माथे पे दिखाई दे रही थी, वह धीरे धीरे चलता हुआ उसे सुनसान सड़क पे आख़िर कार वहां पहुंच गया.
सामने वही मंजर जहाँ दिन में जोरों शोरों से काम होता है, पर इस वक्त सिर्फ़ सन्नाटा था, अंधेरा और वह खामोशी थी, जिसे सुना जा सकता था, दिल की धड़कने इस वक्त सहमी हुई थी शायद आने वाले पल के डर से, या फिर इस खौफनाक खामोशी से……….
जावेद ने अपने कदम धीरे धीरे उठाए और जंगल की तरफ बड़ा दिए……. जावेद, मुख्तार के घर से निकल के उसे तरफ चल पड़ा, जहाँ शायद उसेे नहीं जाना चाहिए, उसे जगह पे जहाँ इस वक्त कोई है, जो कुछ चाहता है, शायद जिंदगी……
चलते चलते थोड़ी देर में जावेद उसे जगह पे पहुंच गया…….
जावेद ने अपने कदम धीरे धीरे उठाए और जंगल की तरफ बड़ा दिए, जेब से छोटी सी टॉर्च निकल के ऑन की, तो कुछ उजाला हो गया आँखों के सामने, उसने टॉर्च को सामने की जिसकी रोशनी से बस थोड़ी बहुत आधी अधूरी चीज़ दिखाई दे रही थी और चल पड़ा आगे की तरफ धीरे धीरे.
जैसे जैसे वह आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे जावेद के दिल की धड़कन बढ़ रही थी, माथे पे एक शिकन थी, आँखें आधी खुली हुई थी, वह चल ही रहा था की तभी उसका पैर किसी चीज़ पे पड़ा और पैर पडते हे वह वहां रुक गया, क्यों की उसे समझ आ गया था की उसके पैर के नीचे मिट्टी नहीं कुछ और है, कुछ सेकेंड वह वैसे ही खड़ा रहा उसके बाद उसने वह कदम पीछे खीचा, और धीरे धीरे टॉर्च को नीचे की तरफ करने लगा जैसे ही टॉर्च की रोशनी नीचे पडी, उसकी साँसें थम गयी, नीचे एक आदमी लेटा हुआ था जिसने ब्लैक कलर के कपड़े पहने हुए थे, वह पेट के बल पड़ा था इसलिए उसका चेहरा नहीं दिख रहा था, जावेद एक पल के लिए सोच में पढ़ गया वह घुटनों के बल बैठा और अपने हाथ धीरे धीरे ले जाकर उसके कंधे पे रख के उसको हिलाया, लेकिन वह नहीं हिला
"इतनी रात को एक आदमी यहाँ पड़ा है, कोन हो सकता है ये कहीं मर तो नहीं गया, आप ठीक तो हैं"
बोलते हुई जावेद ने फिर से उसके कंधे को हिलाया, इस बार हिलने पर वह शरीर हिला, तो जावेद के जान में जान आई.
“आप ठीक तो है, आप इतनी रात में यहाँ क्या कर रहे हैं"
बोलते हुये जावेद ने उसके कंधे को उपर की तरफ खींचा, जैसे ही उसे कंधे को उपर की तरफ खींचा, वह कंधा उस शरीर में से अलग होता हुआ जावेद के हाथ में आ गया, मानो किसी गुड़िया के शरीर से उसका हाथ निकाल लिया हो, जावेद उपर से लेकर नीचे तक कांप उठा, उसके मुंह से हल्की से चीख निकल गयी और वह पीछे की तरफ हुआ, उसके पीछे की तरफ होते ही उस शरीर ने अपना चेहरा उपर उठाया और जावेद की तरफ देखने लगा, उसका चेहरा देख के जावेद की रूह कांप उठी, चेहरा इतना भयनक था की इस काली रात में देखने वाला कोई भी इंसान कांप उठे
"वह तो अंत था इस दर्दनाक शुरूवात का"
टपकते खून से ज़मीन पे ये शब्द छाप गये, जावेद ने इन शब्दों को जब पढा और बनते देखा तो उसकी रूह कांप गयी, यही हाल वीरा का भी था, दोनों इस पल को देख के बुरी तरह घबरा गये.
“अभी तक वह पल में नहीं भूल पाया हूँ, वह खून से बनते शब्द मुख्तार साहब अभी तक वह दृश्य मेरी आँखों के सामने घूम रहे हैं"
जावेद ने मुख्तार की आँखों में देखते हुए कहा.
“लेकिन फिर भी ये कहना है की वहां कोई शैतान, या कोई आत्मा है, मुझे ठीक नहीं लगता”
"क्या आपको नहीं लगता, की पिछले दो दीनों में कुछ बदला बदला सा है"
जावेद ने मुख्तार की बात पे ध्यान ना देते हुए उसके बिलकुल करीब आकर कहना शुरू किया,
"क्या आपको नहीं लगता पिछले 2 दीनों में यहाँ ठंड कुछ ज्यादा बढ़ गयी है, क्या आपको नहीं लगता यहाँ की हवा हमें कुछ बताना चाहती है, क्या आपको ऐसा महसूस नहीं होता की मानो हर समय कोई आपके साथ है, कोई है जिसे आप देख नहीं सकते पर ऐसा लगता है वह आपके साथ हो, और आपकी जिंदगी से खेलना चाहता हो"
जावेद ने ये बात इस लिहाज़ से करी की मुख्तार की साँसें थाम सी गयी.
"ये, ये तुम्हें क्या हो गया है जावेद, कैसी बातें कर रहे हो"
मुख्तार थोड़ा पीछे होते हुए बोला.
"ये सब में नहीं मुख्तार साहब, उन मजदूरों का कहना है, उनकी ये बातें ना जाने क्यों मेरे दिमाग में घूम रही है"
जावेद ने इस बार नॉर्मल आवाज़ में कहा.
"तुमने तो डरा दिया था एक मिनट के लिए मुझे"
"मुख्तार साहब, बात इतनी छोटी नहीं है जितनी दिख रही है, वीरा को पैसे का लालच था इसलिए उसने किसी को नहीं बताया, और बिना किसी को पता चले हमने वह लाशें ज़मीन में गडवा दी, पर अगर ये हादसे होते रहे तो शायद अगली बार बचना मुश्किल होगा, हमें ये मौत के सिलसिले को रोकना पड़ेगा"
"में जानता हूँ जावेद, पर तुम तो जानते ही हो, की ये काम कितना जरूरी है, मेयर साहब जबान दे चुके हैं, उसके साथ साथ करोडो रुपये भी ले चुके हैं, अगर ये काम नहीं हुआ तो मेयर साहब हमारा पता नहीं क्या करेंगे, मिस्टर विल्सन का पैसा उन्होंने ले लिया है, अब उनको सिर्फ़ काम से मतलब है, इसके अलावा और कुछ नहीं, वैसे भी यहाँ पे उसे हादसे के बाद, कुछ नहीं बचा, मिस्टर विल्सन की बदौलत अब यहाँ कुछ बनेगा तो लोगों की दिलचस्पी एक बार फिर इस जगह में आ जाएगी, नहीं तो यहाँ कुछ नहीं बचा था सारा पैसा खत्म हो गया था, तुमसे बेहतर कोन जान सकता है ये बात"
मुख्तार ने एक गिलास शराब का भर के उसे खत्म करते करते अपनी बात कही.
"में अच्छी तरह से जानता हूँ, की ये काम कितना जरूरी है"
"इसलिए कह रहा हूँ, किसी भी तरह इस काम को कारवांओ, पुलिस की चिंता मत करो उसेे में संभाल लूँगा तुम बस इन मजदूरों को संभालो, अगर ये बात की अफवा बन गयी तो कोई नहीं आएगा यहाँ"
"हम्म, आप बेफ़िक्र रहिए मुख्तार साहब, अब में इस बात को जान कर रहूँगा की आख़िर क्या हो रहा है ये सब, में आज रात जाऊंगा वहां, आख़िर देखूं तो सही की इस राज़ के पीछे असलियत क्या छुपी है"
जावेद ने माथे पे शिकन लाते हुए कहा.
बारिश बंद हो चुकी थी, पर ठंड बहुत जबरदस्त थी, जावेद रोड पे धीरे धीरे देर रात अकेले उसे रास्ते पे चल रहा था, दिल में एक खौफ और दिमाग में घूम रहा डरावाना मंजर किसी भी इंसान को डराने पे मजबूर कर ही देता है, पर कहते हैं की विश्वास उसे डर को खत्म करता है, लेकिन इस वक्त जावेद के चेहरे पे वह डर की बनावट और चिंता भरी शिकन माथे पे दिखाई दे रही थी, वह धीरे धीरे चलता हुआ उसे सुनसान सड़क पे आख़िर कार वहां पहुंच गया.
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जावेद ने अपने कदम धीरे धीरे उठाए और जंगल की तरफ बड़ा दिए……. जावेद, मुख्तार के घर से निकल के उसे तरफ चल पड़ा, जहाँ शायद उसेे नहीं जाना चाहिए, उसे जगह पे जहाँ इस वक्त कोई है, जो कुछ चाहता है, शायद जिंदगी……
चलते चलते थोड़ी देर में जावेद उसे जगह पे पहुंच गया…….
जावेद ने अपने कदम धीरे धीरे उठाए और जंगल की तरफ बड़ा दिए, जेब से छोटी सी टॉर्च निकल के ऑन की, तो कुछ उजाला हो गया आँखों के सामने, उसने टॉर्च को सामने की जिसकी रोशनी से बस थोड़ी बहुत आधी अधूरी चीज़ दिखाई दे रही थी और चल पड़ा आगे की तरफ धीरे धीरे.
जैसे जैसे वह आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे जावेद के दिल की धड़कन बढ़ रही थी, माथे पे एक शिकन थी, आँखें आधी खुली हुई थी, वह चल ही रहा था की तभी उसका पैर किसी चीज़ पे पड़ा और पैर पडते हे वह वहां रुक गया, क्यों की उसे समझ आ गया था की उसके पैर के नीचे मिट्टी नहीं कुछ और है, कुछ सेकेंड वह वैसे ही खड़ा रहा उसके बाद उसने वह कदम पीछे खीचा, और धीरे धीरे टॉर्च को नीचे की तरफ करने लगा जैसे ही टॉर्च की रोशनी नीचे पडी, उसकी साँसें थम गयी, नीचे एक आदमी लेटा हुआ था जिसने ब्लैक कलर के कपड़े पहने हुए थे, वह पेट के बल पड़ा था इसलिए उसका चेहरा नहीं दिख रहा था, जावेद एक पल के लिए सोच में पढ़ गया वह घुटनों के बल बैठा और अपने हाथ धीरे धीरे ले जाकर उसके कंधे पे रख के उसको हिलाया, लेकिन वह नहीं हिला
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- kunal
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- Joined: 10 Oct 2014 21:53
Re: पिशाच की वापसी
बहुत ही उम्दा. बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
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फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!