बढ़िया अपडेट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
Incest मम्मी मेरी जान
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Re: मम्मी मेरी जान
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
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Re: मम्मी मेरी जान
बढ़िया उपडेट दिये हो सतीश भाई
अगले भाग की प्रतीक्षा में
अगले भाग की प्रतीक्षा में
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
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- rangila
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Re: मम्मी मेरी जान
अगले अपडेट का इंतज़ार है सतीश भाई
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- SATISH
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Re: मम्मी मेरी जान
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- SATISH
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Re: मम्मी मेरी जान
सानिया:-"तुम्हेँ अपनी टांगे दिखाउंगी तो?
मगर तुम मेरी टांगे देख सकते हो"
सानिया अपनी घुटनो तक लम्बी ड्रेस की स्कर्ट को अपने दाएँ हाथ से पकडती है और उसे अपनी जांघो के ऊपर हिलाती डुलाती है.
सतीश:-"कहने का मतलब है ऊपर से." सतीश कामुक अति उत्तेजित आवाज़ में फुसफुसा कर बोला.
सतीश:-"उपर! इसे अपने घुटनो से ऊपर उठाओ"
सानिया सतीश को घूर रही थी. अब तक यह सब सतीश की तरफ से हो रहा था. उस समय किचन में बिलकुल वैसे ही हालात थे जैसे उस दिन लांड्री रूम में थे जब सतिशने अपना पायजामा उतार कर फेंक दिया था और वो सर घुमा कर उसे देख रही थी. फिर समय थम सा गया था. सानिया बिलकुल बूत बनी खड़ी थी और उसने अपने दाएँ हाथ में अपनी स्कर्ट को पकड़ा हुआ था. सतिशने उसकी नज़र से नज़र मिलायी. सतीश भी उसी की तरह बूत बना हुआ था. पायजामे में सतीश का लंड झटका मारता तन कर बिलकुल सीधा खड़ा हो गया था. सानिया की नज़र उसके चेहरे से हटकर निचे उसके लंड पर चलि जाती है मगर इसके अलावा उसका पूरा जिस्म पूरी तरह स्थिर था.
तब उसका हाथ हिला. उसका दाया हाथ नही जिसमे उसने अपनी स्कर्ट पकड़ी हुयी थी वो नहीं बल्कि दूसरा हाथ. उसका बाया हाथ उसकी साइड में निचे गिर जाता है और उसकी स्कर्ट को इकठ्ठा करने लगता है.
सतीश:-“प्लीज डैड निचे नहीं आना, प्लीज”
सतिशने भगवन से प्रार्थना की. सतीश इतनी मुश्किल से हाथ आये इस सुनहरे मौके को हाथ से निकलने नहीं देना चाहता था.
सानिया का हाथ स्कर्ट के कपडे से भर जाता है और वो उसे ऊपर की और लेजाने लगती है और साथ ही सानिया की दूधिया जांघे नुमाया होने लगती है. उसका हाथ अब वहां रुकता है जहासे उसकी जांघे मोटी होने लगती है. इतनी दूर से भी सतीश उसकी दूधिया त्वचा पर हलके रोयें तैरते देख सकता था.
सतीश:-"और उपर....."
उसके गले से घरघराती आवाज़ में शब्द निकल रहे थे.
आश्चर्य था सानिया ने सतीश की इच्छा अनुसार अपनी स्कर्ट को ऊपर उठाना जारी रखा. एक इंच और ऊपर जाते ही सतीश का हाथ उसके लंड पर कस गया था. एक.इंच और ऊपर उठाते ही सतीश अपने लंड को हिलाने लगता है. उसकी आंख उसकी नग्न जांघो पर टिकी हुयी थी. उसकी स्कर्ट का नीचला सिरा अब लगभग वहां तक्क ऊपर उठ चुका था जहा से थोड़ी ऊपर उसकी पेन्टी सुरु होती थी.
सतीश:-"पूरी ऊपर मम्मी..........पूरी तरह ऊपर कर दो"
सतीश कांपते स्वर में बोला. सतीश का हाथ उसके लंड पर ऊपर निचे हो रहा था और उसकी ऑंखे उसके हाथ के साथ साथ ऊपर निचे घूम रही थी.
सानिया की पेन्टी नज़र आने लगती है. उसकी पेन्टी सामने से थोड़ी उभरि हुयी थी और उस उभार के अंदर बिच में एक सिलवट थी जिसमे उसकी पेन्टी हलकी सी अंदर को घुसी हुयी थी बिलकुल वहां जहा से पेन्टी उसकी टांगो के बिच घूम हो जाती थी. उस उभरि जगह पर सतीश की नज़र टिक जाती है. वो उभरि जगह उसकी मम्मी की चुत थी.
सतीश का हाथ उसके लंड पर और भी तेज़ी से चलने लगता है और मम्मी का सर उसके हाथ का पीछा करते हुए ऊपर निचे होने लगता है.
सतीश:-“है भगवान!' मैं इतनी जल्दी चुट्ने वाला हु”.
सतीश कुरसी से लडख़ड़ाते हुए उठ खड़ा हुआ और अपना लौडा मसलते हुये सानिया की तरफ बढा. सतीश सिंक के पास पहुँचना चाहता था मगर वह सिंक तक्क न पहुंह सका. उसके लंड ने वीर्य की तेज़ और भारी पिचकारी मारी जो सीधी मम्मी की जांघो पर जाकर गिरि और उसने अपनी स्कर्ट को छोड़ दिया. उसके लंड ने फिर से पिचकारी मारी मगर वो उसके एप्रन पर जाकर गिरि जो वो खाना बनाते समय पहनती थी. उसके घुटने मूढ़ने लगे और सतिशने अपनी दूसरी बाँह सानिया की कमर में दाल दी और उसके एप्रन से लंड रगडते हुए बाकि वीर्य निकालने लगा. सानिया ने एप्रन उठाकर उसके झटके मार रहे लौडे के गिर्द लपेट दिया ताकि सतीश का वीर्य आसपास न गिर सके. सतीश वीर्य की अखिरी धार निकलने तक बुरी तरह कराह रहा था
सतीश:-"ओह गोद! मम्मी मुझे माफ़ करदो." सतीश अभी भी उत्तेजना से कांप रहा था. "मुझे माफ़ करदो मम्मी"
सानिया:-"इट्स ओके. इट्स ओके." सानिया एप्रन उठाकर उसके लंड को साफ़ करने लगी.
सतीश:-"मम्मी आप इतनी सुन्दर हो के........... के मुझसे रहा नहीं गया." सतीश सिसकते हुये बोला.
सानिया:-"स्स्स्सह्ह्ह्हह्हह्ह्.....इट्स ओके बेटा. मैं तुमसे गुस्सा नहीं हु." सानिया बड़े प्यार से ममतामयी स्वर में बोली. वो एप्रन को उसके लंड पर आगे पीछे करते हुए रगड रही थी. तभी सतिशने सीढ़ियों पर कदमो की आहट सुनी. सानिया एक दम झटके से पीछे को हट कर सीधी खड़ी हो गयी, फिर वो बला की तेज़ी से घूम कर किचन के बाहर की और खुलने वाले दरवाजे से निकल घर के पिछवाड़े की और चलि गयी जहा लॉन्ड्री रुम, स्टोर रूम और एक छोटा सा लॉन था. सतिशने भी जितनी तेज़ी से सम्भव हो सकता था अपना पायजामा ऊपर चढ़ाया और चेयर पर बैठकर उसे घुमाकर टेबल के अंदर की और कर दिया. अभी वह चेयर हिलाकर ही हटा था के किचन के डोर पर डैड खडे थे
मगर तुम मेरी टांगे देख सकते हो"
सानिया अपनी घुटनो तक लम्बी ड्रेस की स्कर्ट को अपने दाएँ हाथ से पकडती है और उसे अपनी जांघो के ऊपर हिलाती डुलाती है.
सतीश:-"कहने का मतलब है ऊपर से." सतीश कामुक अति उत्तेजित आवाज़ में फुसफुसा कर बोला.
सतीश:-"उपर! इसे अपने घुटनो से ऊपर उठाओ"
सानिया सतीश को घूर रही थी. अब तक यह सब सतीश की तरफ से हो रहा था. उस समय किचन में बिलकुल वैसे ही हालात थे जैसे उस दिन लांड्री रूम में थे जब सतिशने अपना पायजामा उतार कर फेंक दिया था और वो सर घुमा कर उसे देख रही थी. फिर समय थम सा गया था. सानिया बिलकुल बूत बनी खड़ी थी और उसने अपने दाएँ हाथ में अपनी स्कर्ट को पकड़ा हुआ था. सतिशने उसकी नज़र से नज़र मिलायी. सतीश भी उसी की तरह बूत बना हुआ था. पायजामे में सतीश का लंड झटका मारता तन कर बिलकुल सीधा खड़ा हो गया था. सानिया की नज़र उसके चेहरे से हटकर निचे उसके लंड पर चलि जाती है मगर इसके अलावा उसका पूरा जिस्म पूरी तरह स्थिर था.
तब उसका हाथ हिला. उसका दाया हाथ नही जिसमे उसने अपनी स्कर्ट पकड़ी हुयी थी वो नहीं बल्कि दूसरा हाथ. उसका बाया हाथ उसकी साइड में निचे गिर जाता है और उसकी स्कर्ट को इकठ्ठा करने लगता है.
सतीश:-“प्लीज डैड निचे नहीं आना, प्लीज”
सतिशने भगवन से प्रार्थना की. सतीश इतनी मुश्किल से हाथ आये इस सुनहरे मौके को हाथ से निकलने नहीं देना चाहता था.
सानिया का हाथ स्कर्ट के कपडे से भर जाता है और वो उसे ऊपर की और लेजाने लगती है और साथ ही सानिया की दूधिया जांघे नुमाया होने लगती है. उसका हाथ अब वहां रुकता है जहासे उसकी जांघे मोटी होने लगती है. इतनी दूर से भी सतीश उसकी दूधिया त्वचा पर हलके रोयें तैरते देख सकता था.
सतीश:-"और उपर....."
उसके गले से घरघराती आवाज़ में शब्द निकल रहे थे.
आश्चर्य था सानिया ने सतीश की इच्छा अनुसार अपनी स्कर्ट को ऊपर उठाना जारी रखा. एक इंच और ऊपर जाते ही सतीश का हाथ उसके लंड पर कस गया था. एक.इंच और ऊपर उठाते ही सतीश अपने लंड को हिलाने लगता है. उसकी आंख उसकी नग्न जांघो पर टिकी हुयी थी. उसकी स्कर्ट का नीचला सिरा अब लगभग वहां तक्क ऊपर उठ चुका था जहा से थोड़ी ऊपर उसकी पेन्टी सुरु होती थी.
सतीश:-"पूरी ऊपर मम्मी..........पूरी तरह ऊपर कर दो"
सतीश कांपते स्वर में बोला. सतीश का हाथ उसके लंड पर ऊपर निचे हो रहा था और उसकी ऑंखे उसके हाथ के साथ साथ ऊपर निचे घूम रही थी.
सानिया की पेन्टी नज़र आने लगती है. उसकी पेन्टी सामने से थोड़ी उभरि हुयी थी और उस उभार के अंदर बिच में एक सिलवट थी जिसमे उसकी पेन्टी हलकी सी अंदर को घुसी हुयी थी बिलकुल वहां जहा से पेन्टी उसकी टांगो के बिच घूम हो जाती थी. उस उभरि जगह पर सतीश की नज़र टिक जाती है. वो उभरि जगह उसकी मम्मी की चुत थी.
सतीश का हाथ उसके लंड पर और भी तेज़ी से चलने लगता है और मम्मी का सर उसके हाथ का पीछा करते हुए ऊपर निचे होने लगता है.
सतीश:-“है भगवान!' मैं इतनी जल्दी चुट्ने वाला हु”.
सतीश कुरसी से लडख़ड़ाते हुए उठ खड़ा हुआ और अपना लौडा मसलते हुये सानिया की तरफ बढा. सतीश सिंक के पास पहुँचना चाहता था मगर वह सिंक तक्क न पहुंह सका. उसके लंड ने वीर्य की तेज़ और भारी पिचकारी मारी जो सीधी मम्मी की जांघो पर जाकर गिरि और उसने अपनी स्कर्ट को छोड़ दिया. उसके लंड ने फिर से पिचकारी मारी मगर वो उसके एप्रन पर जाकर गिरि जो वो खाना बनाते समय पहनती थी. उसके घुटने मूढ़ने लगे और सतिशने अपनी दूसरी बाँह सानिया की कमर में दाल दी और उसके एप्रन से लंड रगडते हुए बाकि वीर्य निकालने लगा. सानिया ने एप्रन उठाकर उसके झटके मार रहे लौडे के गिर्द लपेट दिया ताकि सतीश का वीर्य आसपास न गिर सके. सतीश वीर्य की अखिरी धार निकलने तक बुरी तरह कराह रहा था
सतीश:-"ओह गोद! मम्मी मुझे माफ़ करदो." सतीश अभी भी उत्तेजना से कांप रहा था. "मुझे माफ़ करदो मम्मी"
सानिया:-"इट्स ओके. इट्स ओके." सानिया एप्रन उठाकर उसके लंड को साफ़ करने लगी.
सतीश:-"मम्मी आप इतनी सुन्दर हो के........... के मुझसे रहा नहीं गया." सतीश सिसकते हुये बोला.
सानिया:-"स्स्स्सह्ह्ह्हह्हह्ह्.....इट्स ओके बेटा. मैं तुमसे गुस्सा नहीं हु." सानिया बड़े प्यार से ममतामयी स्वर में बोली. वो एप्रन को उसके लंड पर आगे पीछे करते हुए रगड रही थी. तभी सतिशने सीढ़ियों पर कदमो की आहट सुनी. सानिया एक दम झटके से पीछे को हट कर सीधी खड़ी हो गयी, फिर वो बला की तेज़ी से घूम कर किचन के बाहर की और खुलने वाले दरवाजे से निकल घर के पिछवाड़े की और चलि गयी जहा लॉन्ड्री रुम, स्टोर रूम और एक छोटा सा लॉन था. सतिशने भी जितनी तेज़ी से सम्भव हो सकता था अपना पायजामा ऊपर चढ़ाया और चेयर पर बैठकर उसे घुमाकर टेबल के अंदर की और कर दिया. अभी वह चेयर हिलाकर ही हटा था के किचन के डोर पर डैड खडे थे
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