जादू की लकड़ी

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Mak2215
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Re: जादू की लकड़ी

Post by Mak2215 »

Update kb doge bhai
josef
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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 7

सुबह फिर से मेरी नींद 3 बजे ही खुल गई ,मैंने वही किया जो मुझे करना था,मैदान में गया दौड़ा,योग किया,आसान किया और ध्यान लगाकर बैठ गया ,जब तक काजल मेडम ने आकर मुझे उठाया नही ,आज से मेरी लड़ाई की विद्या शुरू होने वाली थी ,मैंने भगवान का नाम लिया और मेरे गुरुजी बाबा जी को याद किया और इस नई कला में पारंगत होने के लिए भीड़ गया ….

आज स्कूल कुछ अलग था,चारो तरफ मेरे ही चर्चे थे,की कैसे मैंने मोटे एंड गैंग को सबक सिखाया और कैसे मैं जंगल से निंजा सिख कर आया,कुछ कहानिया तो ऐसी थी की मैं खुद हैरान रह गया ,लोग मुझे आकर पूछ रहे थे,केंटीन में मुझे लडकिया और लड़के घेरे बैठे थे…..

“भाई सुना है जंगल में तुझे कोई निंजा मास्टर मिला था जिसने तुझे जादुई विद्या दे दी “

मैंने हा में सर हिलाया,कारण था कारण ये था की जिस लड़के ने ये पूछा था उसने मुझे एक कोल्ड्रिंक भी लाकर दी थी जिसे मैं स्ट्रॉ की मदद से पी रहा था ,अब उस लड़के का दिल तो नही तोड़ सकता था और मुह में स्ट्रा भी थी तो बस सर हिला दिया ,

एक लड़की ने मेरी ओर पिज्जा का एक टुकड़ा सरकाया ..

“सच में तुम्हे निंजा मूव आती है ,यानी तुम तलवार भी चला लेते हो “

मैंने पिज्जा का टुकड़ा मुह में डाला और फिर से मासूमियत से हा में सर हिलाया ..

एक बंदा जो मेरे बाजू में बैठा सेन्डविच खा रहा था वो बोल उठा

“लेकिन मैं नही मानता की निंजा वगेरह होते है “उसने बेतकलुफी से कहा ,मैंने उसे घूर कर देखा और अपने पैरो से उसके घुटनो के पास मार दिया,आज ही काजल मेडम किसी लड़के को ये बता रही थी की यंहा पर की नर्व पर वार करने से एक करेंट सा झटका लगता है ,और वो ...वो उछल गया और मुझे आश्चर्य से देखने लगा ..

“ये कैसे किया ??”

वो हड़बड़ा गया था,मैंने उसके प्लेट में रखी सेन्डविच का एक टुकड़ा अपने मुह में भरा ..

“निंजा मूव..”

सभी बड़े ही इम्प्रेस होकर मुझे देख रहे थे …

तभी मेरी नजर दरवाजे की ओर पड़ी केंटीन में दो इंट्रेंस थे एक तरफ से रश्मि आ रही थी तो दूसरी ओर से निशा …

“चलो बाकी की बाते बाद में “

मैं इन लोगो को छोड़कर खड़ा हो गया लेकिन समझ नही आ रहा था किधर जाऊ तो मैं वही खड़ा हो गया और दोनो ही मेरे पास आ गई..

“हाय राज बड़े फेमस हो गए हो “रश्मि ने आते ही कहा

“हाय भैया आप तो पैदल ही आ गए “निशा भी वंहा आ गई थी

रश्मि ने निशा को अजीब निगाहों से देखा मुझे समझ आ गया था की क्यो…

“आज अपने भाई की याद कैसे आ गई तुम्हे “

रश्मि ने ताना मारा था …..

“याद उनकी आती है जिसे भूल जाया जाता है ,और ये तो मेरे भैया है इन्हें मैं कैसे भूल सकती हु ,भैया आज से क्लास में आप मेरे साथ बैठोगे..”निशा मेरे हाथो को पकड़कर मुझसे चिपक गई थी …

रश्मि की आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था ,ये स्वाभाविक भी था क्योकि रश्मि ने मेरे लिए कई बार निशा से भी लड़ाई की थी और आज निशा मुझपर हक जता रही थी जो की रश्मि को बिल्कुल भी पसंद नही आया ..

“हा सही कहा ..तुम अपनी बहन के ही साथ रहो…”रश्मि गुस्से में पलटी और वंहा से जाने लगी ..

“रश्मि सुनो..”

मैं चिल्लाया लेकिन वो नही रुकी ..

“अरे जाने दो ना उसे “निशा ने मुझसे और ही चिपकते हुए कहा ..

“कैसे जाने दु वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है पागल ,चल उसे मनाना पड़ेगा “

मैंने खुद को निशा से छुड़ाया और रश्मि के पीछे भागा वो स्कूल में बने एक गार्डन की ओर जा रही थी ……

“रश्मि कहा जा रही हो सुनो तो “

मैंने उसका हाथ थाम लिया था

“अब मेरे रहने या नही रहने से क्या फर्क पड़ता है राज ,अब तुम्हारे पास सब कुछ है,तुम्हारी इज्जत है,स्कूल में तुम्हारा रौब हो गया है,लडकिया तुम्हे घेरे बैठी है और तुमपर लाइन मार रही है,स्कूल की सबसे हॉट टीचर तुम्हारी दोस्त जैसी हो गई है ,और अब ...अब तो तुम्हारी बहन जो कल तक तुम्हे कुछ नही समझती थी वो आज तुमपर हक जमा रही है ,तुम्हे तो सब कुछ मिल गया ना राज अब मेरी क्या जरूरत है तुम्हे ..”

रश्मि का गाला भरा हुआ था ,उसके आंखों में आंसू की बूंदे नाच रही थी …

मैंने उसके हाथो को झटका दिया और उसे अपनी ओर खीच लिया वो सीधे मेरी बांहो में आ गई ..

“दुनिया की कोई भी दौलत ,दोस्त,नाम,रुतबा,शोहरत,शराब या शबाब कुछ भी मेरे लिए तुमसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नही है रश्मि….तुमने मेरी उस समय दोस्त बनी जब कोई मुझसे सीधे मुह बात भी नही करता था,तुम्हारी मेरे दिल में क्या अहमियत है मैं बता भी नही सकता,बस इतना कहता हु की पूरी दुनिया भी मिल जाए और तुम ना रहो तो सब मेरे लिए फुजूल है ,अगर तुम्हे लगता है की मुझे जो मिल रहा है उससे तुम मुझसे दूर हो रही हो तो सच कहता हु अभी सब छोड़ दूंगा ,अगर पहले वाला राज तुम्हे पसंद था तो मैं अभी वैसे ही बन जाऊंगा ,पूरी जिंदगी जिल्लत सह कर रहूंगा लेकिन उफ तक नही कहूंगा…”

रश्मि की नजर मुझपर ही टिक गई थी,हमारी आंखे मिली वो मेरे बांहो में जकड़ी हुई थी ,उसने मेरे होठो पर अपनी उंगली रख दी ..

“मुझे ये वाला राज ज्यादा पसंद है ...लेकिन डर लगता है की तुम्हे मुझसे कोई छीन ना ले “

अब मेरे होठो में एक मुस्कान थी

“मैं तो तुम्हारा ही हु ,और किसमे इतनी हिम्मत है की कोई हम दोनो को अलग कर दे “

रश्मि मेरे आंखों में देख रही थी मैं उसकी आंखों में देख रहा था,मेरा सर उसकी ओर झुक रहा था,और उसकी आंखे बंद हो रही थी ,हमारी सांसे एक दूसरे से मिल रही थी ,एक दूसरे को छू रही थी ,हमारे होठ मिलने ही वाले थे की ..

“ओ माय गॉड ..ये तो लैला मजनू वाला सीन चल रहा है …”उस आवाज से हम दोनो ही हड़बड़ाए सामने निशा खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी ,हम दोनो जल्दी से अलग हुए ..

“ह्म्म्म तो ये बात यंहा तक आ पहुची है ...देखो रश्मि हमारे बीच जो दूरिया थी वो अब खत्म हो गई है,और सच कहु की तुमसे भइया को कोई नही छीन सकता इसलिए तुम्हे किसी से भी डरने की जरूरत नही है ,जिस समय भाई अकेला था तुमने ही उसका साथ दिया था,तो तुम उसकी सच्ची दोस्त हो और अब तो …”

वो मुस्कुराई

“ऐसा कुछ नही है समझी ..मैं तो बस इसके आंख में गिरा हुआ कचड़ा निकाल रहा था ..”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा

“ओह तो लगता है की मैंने डिस्टर्ब कर दिया आप कचड़ा निकाल कर आइये मैं क्लास में मिलती हु “

निशा मुस्कुराते हुए चली गई वही उसकी बात को सुनकर रश्मि का सर शर्म से झुक गया था ,

“चलो क्लास चलते है ,”

“पहले कचड़ा तो निकालने दो “

“धत “उसने मेरे बाजुओ पर मुक्का मारा और मुस्कुराते हुए क्लास की ओर चल दी …

कसम से अभी तक मैंने उस रश्मि को जाना था जो की गरज कर बाते करती थी,अच्छे अच्छो की फाड़ कर रख देती थी लेकिन आज जब वो शरमाई तो लगा जैसे ……

खिलता गुलाब ,जैसे शायर का ख्वाब,जैसे उजली किरण,जैसे मन की अगन...etc etc……..

पूरे शायराना मुड़ में मैं क्लास पहुचा और वंहा नक्शा थोड़ा चेंज था,निशा अपना बस्ता लेकर मेरे ही बेंच में आ चुकी थी अब मेरे एक तरफ निशा थी तो दूसरी तरफ रश्मि और मैं बीच में चौड़ा हुआ चौधरी बना बैठा था……

स्कूल की दो सबसे हॉट और खुबसूरत लड़कियो के बीच मैं था,जलने वालो की (लाइक चन्दू ) जल कर राख हो रही थी ,मुझे लग रहा था की स्कूल के कुछ लड़को को कुछ ही दिनों में बबासीर होने वाला है वो भी खूनी…...



काजल मेडम मुझे कुंफू,कराटे,मार्शल आर्ट,और तवाईकवांडो में ट्रेन कर रही थी ,मैं उनकी उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन कर रहा था,मैंने रश्मि और निशा को भी क्लास जॉइन करवा दिया था,दिन बीत रहे थे,मेरा और मेरी बहनो के प्यार में भी वृद्धि हो रही थी ,मेरे जलने वाले अब चुप थे क्योकि सभी को पता चल गया था की मैं कोई निंजा टेक्निक जानता हु ,और मैंने उसका इस्तमाल करने मोटे एंड गैंग की बैंड बजा दी थी,उसके साथ सभी ये भी जानते थे की मैं मेडम के सानिध्य में लड़ाई के गुर भी सिख रहा हु ….

रश्मि और मेरी दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी ,लेकिन मैं कितना भी निडर और आकर्षक क्यो ना हो जाऊ और मैं उस प्यार के धीरे धीरे बढ़ने की फिलिंग को नही खोना चाहता था,मैं उसे एक ही बार में प्रपोज कर अपना नही बनाना चाहता था,क्योकि मैं उस मीठे पलो का मजा लेना चाहता था…

और ऐसे ही हमारा प्यार और भी गहरा होता जा रहा था,हमे पता था की हमारे बीच क्या चल रहा है,हमे क्या मेरी माँ और बहनो को भी पता था की हमारे बीच क्या चल रहा है और साथ ही आधे स्कूल को भी शक था ...लेकिन मैं रश्मि की हर अदा का लुफ्त उठाने में लगा हुआ था …….

अब निशा और रश्मि बेस्ट फ्रेंड बन चुके थे,चन्दू मुझसे ज्यादा बात नही करता था बस मतलब की ही बात करता लेकिन वो भी डरे हुए ,वही निशा से वो बाते किया करता था लेकिन जब मैं सामने आता तो वो थोड़ा झिझकता था,मुझे पता है की निशा और उसके बीच ऐसा कुछ नही है जिसकी मुझे चिंता करनी चाहिए …

फिर भी एक दिन ……

रात हो चुकी थी और मैं अपने बिस्तर में पड़ा था तभी निशा वंहा आयी और आकर टॉमी को बिस्तर से नीचे भेजकर खुद मेरे बाजू में सो गई ,

“भाई एक बात पुछु “

उसने अपना सर मेरे सीने पर रखा और मैं उसके बालो को सहलाने लगा

“आप रश्मि को प्रपोज कब करोगे,सभी को पता है की आप दोनो एक दूसरे से कितना प्यार करते हो लेकिन अभी तक उसे आई लव यु भी नही कहा अपने “

“रश्मि ने कुछ कहा “

“वो क्या कहेगी,ऐसे तो हमेशा बड़ी चौड़ी हो कर घूमती है लेकिन जैसे ही आपका नाम लो नई दुल्हन की तरह शर्माने लगती है ..”

मेरे होठो में मुस्कान आ गई

“क्या मुझे बोलने की जरूरत है “

“हाँ है ,ये हर लड़की के लिए एक स्पेशल मोमेंट होता है जब उसे प्यार करने वाला उसे प्रपोज करे ,और आप को भी वैसे ही प्रपोज करना है ,मैं कोई आईडिया दु क्या “

वो अब ऊपर उठकर मुझे देखने लगी ,उसकी भूरी और कोमल स्किन और काली आंखे मुझे किसी बिल्ली की याद दिला देती थी वो बेहद ही प्यारी थी….

मैं उसके गालो को सहलाने लगा जो की बेहद ही सुकून भरा था..

“वो छोड़ ये बता की चन्दू और तेरा कुछ चल तो नही रहा ना,देख अगर कुछ हो तो बता दे अगर दूसरे तरीके से पता चला तो …”

“आप भी ना टिपिकल भाइयो जैसे शक करना शुरू कर दिए,जब मुझे कोई लड़का पसंद आएगा तो आपको सबसे पहले बताउंगी ,वो मेरा अच्छा दोस्त है बस,वैसे भी जब आप नही थे तो वही तो था जो मुझे समझता था,हा वो कार वाली बात बस थोड़ी बढ़ गई थी लेकिन यकीन मानो मैं उससे आकर्षित नही हु ..”

“ह्म्म्म तो किससे है ..”

मेरे मुह से अनायास ही निकल गया ..

“आपसे ..”

मैं चौका ..

“क्या ??”

वो हंस पड़ी

“हमेशा से आप से ,लेकिन आप ही मुझसे दूर भागते थे,आप तो हमेशा से ही हेंडसम हो ,ताकतवर हो लेकिन कभी भी आपने खुद को नही समझा था,मैं तो हमेशा से ही आपसे आकर्षित रही हु ..”

“तू पागल हो गई है क्या ये क्या बक रही है .”

मैं थोड़ा झल्लाया क्योकि मुझे उसकी बात कुछ समझ नही आयी लेकिन वो मुस्कुरा रही थी जैसे उसने कहने में कोई भी गलती नही की हो ….

“सच कह रही हु और इसमे इतना चौकाने वाली कौन सी बात है ..”

“मैं तेरा भाई हु ..”

“हाँ तो मैंने कब कहा की नही हो “

“लेकिन ..”

वो उठ कर बैठ गई और अपना सर पकड़ लिया

“अरे यार तो क्या एक बहन अपने भाई से आकर्षित नही हो सकती क्या आप ना ज्यादा दिमाग मत लगाओ बस और जाकर रश्मि को प्रपोज करो मैं उसे ऑफिसियल भाभी बोलने को तरश रही हु..”

वो फिर से अपना सर मेरे छाती में छिपा कर सो गई थी,लेकिन उसने मेरे दिमाग में एक सवाल को जन्म दे दिया था की आखिर निशा ने कहा क्या था,क्या वो आकर्षण भाई बहन के रिश्तो की पवित्रता लिए हुए था या और कुछ ….

जैसे और जिस मासूमियत से उसने ये बात कहि थी मुझे दाल में कुछ काला तो नही दिखा,ये अगल बात हो सकती है की मैं काली दाल ही खा रहा था ……...




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