Hindi stori--मौसी का गुलाम compleet

Post Reply
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

रश्मि को बाँहों में भरकर मौसी उस की चुनमूनियाँ पर टूट पडी उसकी मोटी मोटी जांघें अलग कर के वह रश्मि की चुनमूनियाँ पर मुँह लगाकर उसमें से निकल रहे रस पर ताव मारने लगी रश्मि को भी मज़ा आ रहा था और गर्व का अनुभव हो रहा था कि उसकी माँ की मालकिन अपनी नौकरानी की बेटी की चुनमूनियाँ इतने चाव से चूस रही है

मैं करीब करीब रोने को आ गया था मौसी से प्रार्थना करने लगा कि मुझे कोई झडाये मौसी पेट भर कर रश्मि का रस पी चुकी थी, उठ कर रश्मि की जांघों के बीच बैठ गयी और मेरे लंड को हाथ में लेकर कहने लगी "अब बता कौन यह लौडा लेगा? खूब चुदा लिया तुम दोनों ने, अब इस मस्त खड़े लंड से कोई गान्ड मरावाओ, गान्ड में यह मोटा लंड बहुत मज़ा देगा"

ललिता की तरफ जब उसने देखा तो वह मुकर गयी मेरे लंड से गान्ड मराते हुए उसे वैसे ही दुखता था इस हालत में तो वह कतई तैयार नहीं होती मैंने मन ही मन सोचा कि ललिता अगर मेरे लंड से गान्ड मराने में इतना घबराती है तो अगर मौसाजी का सोंटा देखेगी तो क्या करेगी शायद डर से मर ही जाएगी!

रश्मि गान्ड मरवाने को तैयार थी खुशी खुशी बोली "मैं मराती हूँ चलो बहुत दिन से गान्ड मराने की इच्छा है, अब इस छोकरे के प्यारे लंड से अच्छा लंड कहाँ मिलेगा?" वह पलंग पर ओंधी लेट गयी ललिता ने चाट कर और चूस कर अपनी बेटी की गुदा गीली कर दी और उधर मौसी ने मुँह में लेकर मेरा लंड गीला किया

मैं रश्मि पर चढ बैठा और अपना सुपाडा उसकी गान्ड में घुसाने लगा मौसी और ललिता ने मुझसे कहा कि ज़रा प्यार से धीरे धीरे मारूं पर मैं ऐसा उत्तेजित था कि कोई ध्यान नहीं दिया और ज़ोर से रश्मि की गान्ड में लौडा पेल दिया वह दर्द से कराह उठी पर मेरी दशा समझते हुए मुझे प्यार से बोली कि मैं उसकी परवाह ना करूँ, और घुसेड दूं पूरा लंड उसके चुतडो के बीच दो धक्को में ही मेरा लंड जड तक उन मोटे मोटे मुलायम चुतडो के बीच उतर गया

क्रमशः……………………
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मौसी का गुलाम---23

गतान्क से आगे………………………….

मैंने खूब हचक कचक कर बिना दया के उसकी गान्ड मारी साली चुदैल युवती दर्द के बावजूद मेरा गान्ड मराना सहती रही और उसे मज़ा भी बहुत आया गान्ड मारते मारते मैंने रश्मि के खाली हुए मम्मे भी खूब जोरों से मसले उधर ललिता और मौसी इस क्रीडा को देखते हुए सिक्सटी नाइन करने में जुट गयीं आख़िर जब मैं झडा तो चार घंटे की वासना शांत हुई

चुदाई खतम हो गयी थी ललिता और रश्मि कपड़े पहनने लगीं कल आने का वादा करके दोनों घर चली गयीं अब रोज यह मस्ती होने लगी मेरी हालत देखकर मौसी ने मेरे झडने पर राशन लगा दिया क्योंकि बाद में मौसी और मौसाजी के साथ भी तो मुझे चुदाई करना पड़ती थी

अब रोज रश्मि मुझे बच्चे जैसे दूध पिलाने लगी साथ ही हर तरह की चुदाई हमा चारों मिलकर दोपहर भर करते साली ललिता कितनी बदमाश थी और उसके दिमाग़ में कैसी कैसी सेक्स की बातें चलती थीं, यह मुझे एक दिन तब पता चला जब मौसी और रश्मि आपस में सिक्सटी नाइन कर रही थीं और मैं ललिता को चोद रहा था अचानक वह मेरे कान में फुसफुसाई "बेटा, मुझे मालुम है कि तू मौसी का मूत पीता है, मेरा भी पीकर देख ना कभी एकदम खारा मसालेदार जायकेदार पिलाऊन्गि तुझे"

मेरी आँखों में भर आई वासना से खुश होकर वह आगे बोली "मेरे घर आ ना कभी, तुझे चुनमूनियाँ का शरबत तो पिलाऊंगी ही, अपनी और रश्मि की गान्ड का हलुआ भी चखाऊंगी, एकदम गरमागरमा, खूब सारा, मज़े लेकर पेट भर खाना!"

मैं समझ गया कि वह क्या कहा रही है मुझे डर और घिन भी लगी और एक अजीब वासना भी मेरे मन में जागृत हो गयी साली ने सिर्फ़ बात कर के नहीं छोडी, धीरे धीरे मौसी को उकसाने लगी कि कभी अगर वह और मौसाजी बाहर जाएँ तो मुझे उनके पास छोड़कर जाएँ, वह और रश्मि मेरा पूरा खयाल रखेंगे रश्मि को भी मालूम था कि उसकी अम्मा क्या गुल खिला रही है वह रांड़ भी मेरी ओर देखकर मुस्कराती और अपनी आँखों से यह कहती कि बच्चे, हमारे चंगुल में अकेले फन्सो तो कभी, देखो तुम्हारे साथ क्या क्या करते हैं
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मैंने मौसी से यह सब कभी नहीं कहा क्योंकि जहाँ एक ओर मैं बहुत घबरा रहा था, दूसरी ओर मेरा लंड यह कल्पना करके ही बुरी तराहा खड़ा हो जाता था आख़िर ललिता ने अपनी बात मनवा ही ली और एक बार मुझे दो दिन उन दोनों चुदैल और बदमाश माँ बेटी के हवाले करके मौसाजी और मौसी दो तीन दिन को किसी काम से चले गये मैं मौसी को बता देता कि ललिता क्या कह रही थी, तो शायद वह कभी मुझे उनके हवाले नहीं करती

पर मैं एक अजीब उहापोह में था आख़िर तक मैंने सिर्फ़ मौसी से प्रार्थना की कि मुझे ललिता और रश्मि के साथ अकेला ना छोड़े, उसे कारण नहीं बताया शायद मैं भी मन ही मन उस परवर्तित मौके की तलाश में था मौसी को लगा कि मैं सिर्फ़ शरम के कारण ऐसा कहा रहा हूँ और उसने मेरी एक ना सुनी

बाद में मुझे हफ़्ता भर उन रंडी माँ बेटी के साथ अकेला रहना पड़ा उस दौरान क्या हुआ वह बताने लायक नहीं है हाँ इतना कह सकता हूँ कि वासना का अतिरेक हो गया और ऐसे ऐसे काम मुझसे उन दोनों ने करवाए कि मैंने कभी नहीं सोचा था क़ि कोई किसी के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें करता होगा! पर मैंने बाद में मौसी से शिकायत नहीं की मज़ा भी बहुत आया था मुझे और बाद में जो हुआ उसकी तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी! आगे बताऊन्गा

हमारे इस स्वर्गिक संभोग में और भी कई मतवाली घटनाएँ घटीं एक दोपहर को फिर डॉली का फ़ोन आया कि वह यहाँ शहर में आई हुई है और कल आएगी और आफ़िस से गोल मारकर दोपहर भर रहेगी अंकल दौरे पर थे और ललिता ने उस दिन छुट्टी ले ली थी इसलिए रास्ता सॉफ था

इस बार मौसी ने निश्चय कर लिया कि डॉली के साथ उसके संभोग में मुझे शामिल करके रहेगी डॉली को उसने फ़ोन पर ही बता दिया कि वह उसे कुछ मज़ेदार चीज़ दिखाना चाहती है

डॉली के आने के पहले उसने पिछली बार जैसे ही अपनी पैंटी मेरे मुँह में ठूंस कर ब्रेसियर से मेरी मुश्कें बाँध दीं और बिस्तर पर लिटा दिया डॉली आने के बाद वे दोनों साथ के बेडरूम में अपनी कामक्रीडा में जुट गयीं मुझे कुछ दिख तो नहीं रहा था पर चुंबनो और चूसने की आवाज़ से क्या चल रहा होगा, इसका अंदाज़ा मैं कर सकता था

कुछ देर बाद मौसी सिसकने लगी "हाय डॉली डार्लिंग, कितना अच्छा चूसती है तू, तेरे जैसी चूत कोई नहीं चूसता, सिवाय मेरे खिलौने के" उसके बाद फिर पलंग चरमराने और चूसने की आवाज़ें आने लगीं शायद सिक्सटी नाइन चल रहा था

कुछ देर बाद चूसने की आवाज़ें बंद हो गयीं और फिर चुंबनो के स्वर सुनाई देने लगे दोनों झडने के बाद लिपट कर चुंबन लेते हुए प्यार की बातें कर रही थीं डॉली ने पूछा "दीदी, खिलौने का क्या कह रही थी?" मौसी बोली "डॉली रानी, सुन, आज कल मेरे पास एक बड़ा प्यारा खिलौना है, उसे मैं जैसा चाहे इस्तेमाल करती हूँ, चूत चुसवाती हूँ, चुदवाती हूँ और गान्ड भी मराती हूँ"
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

डॉली की आवाज़ में आश्चर्य और अविश्वास था "झूट बोलती हो दीदी, मज़ाक मत करो, रबर का बड़ा गुड्डा मँगवा लिया है शायद तूने बाहर से, जैसा उस दिन हमने एक किताब के इश्तिहार में देखा था पर गुड्डा ऐसा कैसे करेगा?" वह शायद रबर के उन बड़े फूल साइज़ गुड्ड़ों और गुडियों के खिलौनों के बारे में सोच रही थी जो बाहर के देशों में मिलते हैं और जिनका उपयोग स्त्री पुरुष संभोग के लिए करते हैं

मौसी बोली "डार्लिंग रबर का नहीं, जीता जागता प्यारा बच्चा है, और कोई पराया नहीं, मेरी बड़ी बहन का लडका है, मेरा सगा भांजा" डॉली ने हँस कर दाद दी "दीदी, तू तो बड़ी हरामी छुपी रुस्तम निकली" मौसी ने पूछा "देखेगी? आज कल मेरे पास ही है चल तुझे दिखाऊँ, अरे घबरा मत, काटेगा नहीं, बाँध कर रखा है"

दरवाजा खुला और दोनों नग्न नारियाँ अंदर आईं मौसी का मध्यम परिपक्व रूप और डॉली की मादक जवानी को देखकर मैं कसमसा उठा क्योंकि मुँह में मौसी की पैंटी होने से बोलने का सवाल नहीं था

मौसी ने मेरे पास आकर मेरे तन कर खड़े शिश्न को प्यार से पुचकारते हुए कहा "देख क्या प्यारा चिकना लंड है" डॉली खडी खडी मुझे बड़े इंटरेस्ट से देखती रही और फिर मेरे बँधे शरीर को देखकर उसे दया आ गयी "अरे बेचारा, इसे बाँध कर क्यों रखा है दीदी? और मुँह में क्या ठूँसा है?"

मौसी बोली "अरे मेरी पैंटी और ब्रा है, उसे चूसने से इसका और मस्त खड़ा हो जाता है और बाँधूंगी नहीं तो अभी हस्तमैथुन चालू कर देगा, बड़ा शैतान है, हमेशा मेरी चूत चूसने की फिराक में रहता है"

डॉली बोली कि मैं बिलकुल उसके छोटे भाई जैसा दिखता हूँ और मेरे पास बैठकर प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी अब तक मौसी ने मेरा लंड निगल कर चूसना शुरू कर दिया था और जब मैंने अपने नितंब उछाल कर नीचे से ही उसका मुँह चोदना चाहा तो हँसते हुए उसने मुँह में से लंड निकाल दिया डॉली बोली "क्यों सताती हो दीदी बेचारे बच्चे को? खोल दो उसका मुँह"

मौसी ने मेरा मुँह खोल दिया बोली कि मुझे चुनमूनियाँ रस पिलाने का टाइम भी हो गया है फिर डॉली के सामने ही मेरे मुँह पर बैठ कर वह अपनी चुनमूनियाँ मेरे होंठों पर रगडते हुए वह मुझसे चुसवाने लगी मेरे भूखे मुँह और जीभ ने उसे ऐसा चूसा कि दो ही मिनिट में स्खलित होकर उसने मेरे मुँह में अपना चुनमूनियाँ का पानी छोड़ दिया

मौसी हान्फते हुए मुझे पानी पिलाते हुए बड़े गर्व से बोली "देखा रानी, कितना अच्छा चूसता है! झडा दिया मुझे दो मिनिट में, तेरे साथ इतनी देर संभोग के बाद भी मेरी झडी चुनमूनियाँ में से रस निकाल लिया!" फिर मौसी मेरे लंड को अपनी चुनमूनियाँ में घुसाकर मुझे उपर से चोदने लगी डॉली टक लगाकर मौसी की चुनमूनियाँ से निकलता घुसता मेरा किशोर कमसिन लंड बड़े गौर से देख रही थी उसकी आँखों में भी अब खुमारी भर गयी थी

क्रमशः……………………

Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मौसी का गुलाम---24

गतान्क से आगे………………………….

उसका यह हाल देखकर मौसी ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगी डॉली भी मौसी के स्तन दबाती हुई उसके चुंबनो का जवाब देने लगी एक बार फिर झड कर मौसी सुस्ताने लगी डॉली से बोली "मैं मन भर कर इसे चोद लेती हूँ, तब तक तू ज़रा अपना चूत रस पिला दे ना बेचारे को, देख कैसा लालचा कर तेरी सुंदर चूत को देख रहा है"

डॉली पहले तैयार नहीं हो रही थी वह पक्की लेस्बियन थी और शायद एक मर्द से, भले ही वह मेरे जैसा चिकना छोकरा हो, अपनी चुनमूनियाँ चुसवाने की ख़याल उसे कुछ अटपटा लग रहा था मैंने भी उसे 'दीदी' 'दीदी' कहकर छोटे भाई जैसी ज़िद करते हुए खूब मनाया तब जाकर वह तैयार हुई

मौसी की मदद से डॉली मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ जमाकर बैठ गयी आख़िर मुझे उसकी प्यारी खूबसूरत चुनमूनियाँ पास से देखने का मौका मिला डॉली ने पूरी झांतें शेव की हुई थीं और उसकी वह गोरी गोरी चिकनी चुनमूनियाँ ऐसी लग रही थी जैसी बच्चियों की होती है गुलाबी मुलायम भगोष्ठो से घिरा उसका लाल रसीला छेद और एक लाल मोती जैसा चमकता उसका क्लिट देखकर मैं झूम उठा

वह मेरे मुँह पर बैठ गयी और उस मुलायाम गुप्ताँग में मुँह छुपाकर मैंने उसे ऐसा चूसना शुरू किया जैसे जन्म जन्म का भूखा हूँ जीभ अंदर डालकर उसे प्यार से चोदते हुए उसका शहद निकाला और निगलने लगा जीभ से उसके क्लिट को ऐसा गुदगुदाया कि डॉली पाँच मिनिट में ढेर हो गयी मुझे बड़ा गर्व हुआ कि एक पक्की लेस्बियन को मैंने इतना सुख दिया मेरे मुँह में गाढे मीठे चिपचिपे शहद की धार लग गयी इतना स्वादिष्ट अमृत मैंने कभी नहीं चखा था अब समझ में आया कि मौसी क्यों डॉली से इतना प्यार करती है ऐसा अमृत तो नसीबवालों को ही मिलता है

मौसी भी मेरा यह करतब देखकर बड़ी खुश हुई "मैं कहती थी ना कि लडका बड़ा प्यारा और माहिर है! अब तू चोदती रह इसके मुँह को, मैं भी पीछे से आती हूँ, दोनों मिलकर मज़ा करेंगे" मौसी ने आगे झुककर डॉली के स्तन पीछे से पकड़ लिए और उन्हें प्यार से दबाती हुई फिर मुझे चोदने लगी

उधर डॉली भी अब वासना से मेरे सिर को कस कर पकडकर उपर नीचे होकर मेरे मुँह पर स्टमैथून कर रही थी आधे घंटे तक उन्होंने खूब मस्ती से मेरे लंड और मुँह को मन भर कर चोदा आख़िर तृप्त होकर जब डॉली उठी तो बोली "सच बहुत प्यारा बच्चा है, दीदी तूने तो बड़ा लंबा हाथ मारा है"

मौसी मेरे तन्नाए लंड को पक्क से अपनी चुदी चुनमूनियाँ में से खींच कर उठ बैठी मेरा लंड और पेट मौसी के रस से भीग गये थे डॉली बड़ी लालचाई आँखों से अपनी दीदी के उस रस को देख रही थी मौसी ने हँस कर उसका साहस बाँधाया "देखती क्या है रानी, चाट ले ना, तुझे तो मेरी चूत का पानी बहुत अच्छा लगता है ना? तो ले ले मुँह में और चूस"

लंड चूसने के नाम से डॉली थोड़ी हिचकिचा रही थी पर आख़िर मन पक्का करके मेरा पेट और शिश्न चाटने लगी सॉफ करने के बाद वह सीधी हुई और मौसी को बोली कि अभी बाथरूम जाकर आती हूँ
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
Post Reply