मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete
- Dolly sharma
- Pro Member
- Posts: 2746
- Joined: 03 Apr 2016 16:34
Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
superb story
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
-
- Novice User
- Posts: 224
- Joined: 19 Jul 2015 13:51
Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
next update plz
- rajsharma
- Super member
- Posts: 15850
- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
धन्यवाद दोस्तो
अपडेट थोड़ी ही देर में
Read my all running stories
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
- rajsharma
- Super member
- Posts: 15850
- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
मेरी बात सुन कर नुसरत ने मेरी तरफ एक नफ़रत भरी निगाह डाली और गुस्से से अपने पैर पटकती हुई मेरे कमरे में दाखिल हो गई.
नुसरत ने अंदर जाते ही मेरे कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया. मुझ अंदाज़ा था कि वो बहुत गुस्से में है. मगर में क्या करती. आज में जो भी करने जा रही थी वो बहुत ही मजबूर हो कर करने वाली थी.
थोड़ी देर के बाद मेरे कदम भी आहिस्ता आहिस्ता नुसरत के कमरे की तरफ उठने लगे.
कमरे में पहुँच कर में पलंग पर लेट गई और साथ ही मैने बिस्तर के साइड में पड़ी लालटेन की बत्ती को गुल कर दिया. बत्ती के भुजते ही कमरे में गुप्प अंधेरा छा गया.
अभी मुझे अपने भाई के बिस्तर पर लेटे कुछ ही देर गुज़री थी कि मुझे महसूस हुआ कि कमरे का दरवाज़ा हल्की आवाज़ में खुला है.
कमरे में अंधेरा होने के बावजूद मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरा भाई सुल्तान कमरे में दाखिल हो गया है.
अपने भाई की कमरे में मौजूदगी का अहसास करते ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.
सुल्तान ने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और फिर आहिस्ता आहिस्ता लड खडाता हुए बिस्तर पे आन बैठा.
बिस्तर पर बैठते ही भाई सुल्तान ने नशे की हालत में मुझे अपनी बीवी नुसरत समझ कर मेरे जिस्म को हाथ लगाते हुए अपने मुँह को मेरे कान के पास ला कर एक हल्की सी आवाज़ में पुकरा “नुसरत सो गई हो क्याआआआआआआअ”
भाई के काँपते हुए हाथों और फिर उस के मुँह से आती हुई शराब की बू से मेरा मेरा अंदाज़ा सही निकला कि आज मेरा शोहर और भाई दोनो पी कर ज़रूर आएँगे.
मैने भाई के पुकारने का कोई जवाब नही दिया और बिस्तर पर एक करवट बदल कर लेटी हुई सोने का नाटक करती रही.
मेरी तरफ से कोई जवाब ना पा कर मेरा भाई सुल्तान मेरे साथ ही पलंग पर चढ़ कर लेट गया.
में जिस तरह पलंग पर लेटी हुई थी. इस पोज़िशन में मेरा मुँह कमरे की दीवार की तरफ था. जब कि मेरी पीठ अपने भाई सुल्तान की तरफ थी.
बिस्तर पर मेरे साथ लेटने के थोड़ी देर बाद सुल्तान भाई ने भी करवट बदली और मेरे पीछे से मेरे जिस्म को अपनी बाहों में जकड कर मेरे जिस्म को अपने साथ लगा लिया.
अब कमरे में ये हालत थी. कि मेरा भाई मेरे जिस्म के साथ पीछे से चिपटा हुआ था. और उस का एक हाथ मेरे जिस्म के नीचे से होता हुआ मेरे पेट पर आ गया और दूसरा हाथ मेरी गुदाज रान पर आहिस्ता आहिस्ता इधर उधर फिसल रहा था.
में अपनी और भाई की शलवार की मौजूदगी में भी अपने सगे भाई का तने हुए लंड को अपनी गुदाज रानो में से सरकता हुआ अपनी चूत की दीवारों से टकराता हुआ महसूस करने लगी.
अपने भाई की बाहों में खुद को पा कर और उस के लंड की गर्मी को अपनी चूत पर महसूस कर के मेरी हालत उस वक़्त ये हो गई कि “काटो तो बदन में खून नही”
कहते हैं कि सेक्स का ताल्लुक आप के दिमाग़ से होता है. अगर आप दिमागी तौर पर पुर सकून हों तो आप को चुदाई में मज़ा आता है. और दिमाग़ में बे सकूनी हो तो फिर आप का ज़हन चुदाई की तरफ हो ही नही पाता.
शायद इसी लिए में जो कुछ देर पहले तक ये चाहती थी. कि कब वो मोका आए और में रात के अंधेरे में अपने ही भाई से चुदवा कर एक बच्चे को जनम दूं ताकि मेरा घर बच जाय.
मगर अब अपने आप को अपने सगे भाई की बाहों में क़ैद पा कर मेरी तो “रूहह” ही जैसे मेरे जिस्म ने “फ़ना” हो गई थी.
लगता था कि मेरे अंदर की मशराकी औरत अचानक जाग पड़ी थी. और अब वो मेरे उपर लानत मालमंत करते हुए मुझे इस गुनाह भरे अमल से रोकने की कोशिस कर रही थी.
और शायद इस बात का ये असर था कि मेरी चूत जो कि हर वक़्त अपने शोहर के लंड के इंतिज़ार में गरम हो कर पानी टपकाती रहती थी. इस वक़्त किसी बंजर ज़मीन की तरह बिल्कुल खुसक थी.
अब मेरे भाई सुल्तान के हाथ मेरी कमर पर बहुत तेज़ी से रगड़ खा रहे थे. और फिर भाई के हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी छातियों की तरफ़ झपटे और इस से पहले कि में सम्भल पाती. भाई ने मेरी कमीज़ के उपर से ही मेरी एक चूची को अपने हाथ में ले कर ज़ोर से मसल दिया.
अपने मम्मे को अपने भाई की मुट्ठी में पाते ही में काँप गई और में अपने मुँह से निकलने वाली चीख को बहुत मुस्किल से रोक पाई.
इस से पहले कि मेरे भाई के हाथों की गुस्ताखियाँ मजीद आगे बढ़ती और जिस के नतीजे में जिस्म गरम हो कर मेरे इख्तियार से बाहर होता में इस खेल को रोक देना चाहती थी.
इस लिए ज्यूँ ही सुल्तान भाई के हाथों की उंगिलिओं ने मेरे मम्मे को मेरी कमीज़ के उपर से अपनी गिरफ़्त में लिया.
तो मैने एक अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी बाहों को फैला दिया.
जिस की वजह से सुल्तान भाई का हाथ स्लिप हो कर मेरे मम्मे से एलहदा हो गया.
“बेहन चोद हर वक़्त सोती ही रहती है तू” मेरी इस हरकत से मेरे भाई को ये अंदाज़ा हुआ कि उस की बीवी नुसरत शायद गहरी नींद में सो रही है. और अपनी बीवी की चूत मारने से महरूम रह जाने पर सुल्तान भाई को गुस्सा आ गया.
सुल्तान भाई ने इसी गुस्से में दूसरी तरफ करवट बदल ली और वो भी सोने की कोशिश करने लगा.
थोड़ी देर बाद ही कमरे में सुल्तान भाई के खर्राटे ज़ोर ज़ोर से गूंजने लगे.
भाई को अपने आप से अलग होते ही और फिर दूसरी तरफ मुँह मूर कर सोता हुआ पा कर मेरी तो जान में जान आई..
भाई के खर्राटे सुनते ही मुझे यकीन हो गया कि आज में एक गुनाहे अज़ीम से बच गई हूँ.
क्यों कि नुसरत की ज़ुबानी मुझे ये ईलम था. कि मेरे शोहर गुल नवाज़ की तरह मेरा भाई सुल्तान भी एक दफ़ा रात को आँख लग जाने के बाद फिर दूसरी सुबह ही जागते हैं.
नुसरत ने अंदर जाते ही मेरे कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया. मुझ अंदाज़ा था कि वो बहुत गुस्से में है. मगर में क्या करती. आज में जो भी करने जा रही थी वो बहुत ही मजबूर हो कर करने वाली थी.
थोड़ी देर के बाद मेरे कदम भी आहिस्ता आहिस्ता नुसरत के कमरे की तरफ उठने लगे.
कमरे में पहुँच कर में पलंग पर लेट गई और साथ ही मैने बिस्तर के साइड में पड़ी लालटेन की बत्ती को गुल कर दिया. बत्ती के भुजते ही कमरे में गुप्प अंधेरा छा गया.
अभी मुझे अपने भाई के बिस्तर पर लेटे कुछ ही देर गुज़री थी कि मुझे महसूस हुआ कि कमरे का दरवाज़ा हल्की आवाज़ में खुला है.
कमरे में अंधेरा होने के बावजूद मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरा भाई सुल्तान कमरे में दाखिल हो गया है.
अपने भाई की कमरे में मौजूदगी का अहसास करते ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.
सुल्तान ने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और फिर आहिस्ता आहिस्ता लड खडाता हुए बिस्तर पे आन बैठा.
बिस्तर पर बैठते ही भाई सुल्तान ने नशे की हालत में मुझे अपनी बीवी नुसरत समझ कर मेरे जिस्म को हाथ लगाते हुए अपने मुँह को मेरे कान के पास ला कर एक हल्की सी आवाज़ में पुकरा “नुसरत सो गई हो क्याआआआआआआअ”
भाई के काँपते हुए हाथों और फिर उस के मुँह से आती हुई शराब की बू से मेरा मेरा अंदाज़ा सही निकला कि आज मेरा शोहर और भाई दोनो पी कर ज़रूर आएँगे.
मैने भाई के पुकारने का कोई जवाब नही दिया और बिस्तर पर एक करवट बदल कर लेटी हुई सोने का नाटक करती रही.
मेरी तरफ से कोई जवाब ना पा कर मेरा भाई सुल्तान मेरे साथ ही पलंग पर चढ़ कर लेट गया.
में जिस तरह पलंग पर लेटी हुई थी. इस पोज़िशन में मेरा मुँह कमरे की दीवार की तरफ था. जब कि मेरी पीठ अपने भाई सुल्तान की तरफ थी.
बिस्तर पर मेरे साथ लेटने के थोड़ी देर बाद सुल्तान भाई ने भी करवट बदली और मेरे पीछे से मेरे जिस्म को अपनी बाहों में जकड कर मेरे जिस्म को अपने साथ लगा लिया.
अब कमरे में ये हालत थी. कि मेरा भाई मेरे जिस्म के साथ पीछे से चिपटा हुआ था. और उस का एक हाथ मेरे जिस्म के नीचे से होता हुआ मेरे पेट पर आ गया और दूसरा हाथ मेरी गुदाज रान पर आहिस्ता आहिस्ता इधर उधर फिसल रहा था.
में अपनी और भाई की शलवार की मौजूदगी में भी अपने सगे भाई का तने हुए लंड को अपनी गुदाज रानो में से सरकता हुआ अपनी चूत की दीवारों से टकराता हुआ महसूस करने लगी.
अपने भाई की बाहों में खुद को पा कर और उस के लंड की गर्मी को अपनी चूत पर महसूस कर के मेरी हालत उस वक़्त ये हो गई कि “काटो तो बदन में खून नही”
कहते हैं कि सेक्स का ताल्लुक आप के दिमाग़ से होता है. अगर आप दिमागी तौर पर पुर सकून हों तो आप को चुदाई में मज़ा आता है. और दिमाग़ में बे सकूनी हो तो फिर आप का ज़हन चुदाई की तरफ हो ही नही पाता.
शायद इसी लिए में जो कुछ देर पहले तक ये चाहती थी. कि कब वो मोका आए और में रात के अंधेरे में अपने ही भाई से चुदवा कर एक बच्चे को जनम दूं ताकि मेरा घर बच जाय.
मगर अब अपने आप को अपने सगे भाई की बाहों में क़ैद पा कर मेरी तो “रूहह” ही जैसे मेरे जिस्म ने “फ़ना” हो गई थी.
लगता था कि मेरे अंदर की मशराकी औरत अचानक जाग पड़ी थी. और अब वो मेरे उपर लानत मालमंत करते हुए मुझे इस गुनाह भरे अमल से रोकने की कोशिस कर रही थी.
और शायद इस बात का ये असर था कि मेरी चूत जो कि हर वक़्त अपने शोहर के लंड के इंतिज़ार में गरम हो कर पानी टपकाती रहती थी. इस वक़्त किसी बंजर ज़मीन की तरह बिल्कुल खुसक थी.
अब मेरे भाई सुल्तान के हाथ मेरी कमर पर बहुत तेज़ी से रगड़ खा रहे थे. और फिर भाई के हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी छातियों की तरफ़ झपटे और इस से पहले कि में सम्भल पाती. भाई ने मेरी कमीज़ के उपर से ही मेरी एक चूची को अपने हाथ में ले कर ज़ोर से मसल दिया.
अपने मम्मे को अपने भाई की मुट्ठी में पाते ही में काँप गई और में अपने मुँह से निकलने वाली चीख को बहुत मुस्किल से रोक पाई.
इस से पहले कि मेरे भाई के हाथों की गुस्ताखियाँ मजीद आगे बढ़ती और जिस के नतीजे में जिस्म गरम हो कर मेरे इख्तियार से बाहर होता में इस खेल को रोक देना चाहती थी.
इस लिए ज्यूँ ही सुल्तान भाई के हाथों की उंगिलिओं ने मेरे मम्मे को मेरी कमीज़ के उपर से अपनी गिरफ़्त में लिया.
तो मैने एक अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी बाहों को फैला दिया.
जिस की वजह से सुल्तान भाई का हाथ स्लिप हो कर मेरे मम्मे से एलहदा हो गया.
“बेहन चोद हर वक़्त सोती ही रहती है तू” मेरी इस हरकत से मेरे भाई को ये अंदाज़ा हुआ कि उस की बीवी नुसरत शायद गहरी नींद में सो रही है. और अपनी बीवी की चूत मारने से महरूम रह जाने पर सुल्तान भाई को गुस्सा आ गया.
सुल्तान भाई ने इसी गुस्से में दूसरी तरफ करवट बदल ली और वो भी सोने की कोशिश करने लगा.
थोड़ी देर बाद ही कमरे में सुल्तान भाई के खर्राटे ज़ोर ज़ोर से गूंजने लगे.
भाई को अपने आप से अलग होते ही और फिर दूसरी तरफ मुँह मूर कर सोता हुआ पा कर मेरी तो जान में जान आई..
भाई के खर्राटे सुनते ही मुझे यकीन हो गया कि आज में एक गुनाहे अज़ीम से बच गई हूँ.
क्यों कि नुसरत की ज़ुबानी मुझे ये ईलम था. कि मेरे शोहर गुल नवाज़ की तरह मेरा भाई सुल्तान भी एक दफ़ा रात को आँख लग जाने के बाद फिर दूसरी सुबह ही जागते हैं.
Read my all running stories
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
- rajsharma
- Super member
- Posts: 15850
- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
भाई की तरफ से पूर सकून होने के बाद अब में सोचने लगी कि कब सुबह की अज़ान हो.ताकि में और नुसरत बाथ रूम जाने के बहाने अपने अपने कमरे में वापिस जा सके.
अभी सुबह होने में काफ़ी देर थी और मुझे पानी की प्यास बहुत लग रही थी.
काफ़ी देर प्यास को बर्दास्त करनी के बाद मुझ से रहा नही गया और में पानी पीने के लिए कमरे से बाहर निकल कर रसोई की तरफ चल पड़ी.
रसोई की तरफ जाते वक़्त रात की खामोशी में मेरे कानों में एक हल्की सी आवाज़ पड़ी “"आआअहह”.
में ये आवाज़ सुन कर रुक गई और इधर उधर नज़र दौड़ा के देखू तो सही कि ये आवाज़ किधर से आ रही है.
सहन में नज़रें घुमाते हुए मेरी नज़र घर के दूसरे कोने में बने हुए बाथ रूम पर गई.
बाथरूम के अंदर जलती हुई लालटेन की रोशनी को देख कर मुझ अंदाज़ा हुआ कि कोई बाथरूम में मौजूद है और ये आवाज़ उधर से ही आ रही है.
में दबे पावं चलती हुई बाथरूम के दरवाज़े के करीब पहुँची. तो बाथरूम का दरवाज़ा जो पहले ही थोड़ा टूटा हुआ था उस को बिल्कुल खुला पाया.
में बाथरूम की दीवार की साथ लग कर खड़ी हो गई. इस तरह खड़ी हो कर में किसी की नज़रों में आए बेगैर ब आसानी बाहर से बाथरूम में देख सकती थी.
बाहर सहन में बिल्कुल अंधेरा था जब कि बाथरूम में लालटेन जल रही थी. जिस की वजह से सहन में खड़ी हो कर बाथरूम के अंदर का नज़ारा काफ़ी हद तक सॉफ नज़र आ रहा था.
मेरे बाथरूम के करीब पहुँचने तक बाथरूम से आती हुई आवाज़ों का शोर अब थोड़ा मजीद बढ़ गया था. में इन आवाज़ों को सुन कर बहुत हेरान हो रही थी कि ये अंदर हो क्या रहा है .
फिर जब डरते डरते मैने अपना सर आगे बढ़ा कर बाथरूम के अंदर झाँका. तो बाथरूम के अंदर का मंज़र देख कर मेरे तो जैसे “होश” ही उड़ गये.
मैने देखा कि मेरी नंद नुसरत बाथरूम के सिंक के पास झुके हुए अंदाज़ में बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
नुसरत के जिस्म से टपकते हुए पानी की बूँदो से अंदाज़ा हो रहा था कि वो अभी अभी नहा करफ़ारिग हुई है.
नुसरत ने अपने सर पर एक बड़ा सा तोलिया (टवल) ओढ़ा हुआ था. जिस की वजह से उस का चेहरा तोलिया के अंदर छुप गया था. इस हालत में नुसरत का मुँह सिंक की तरफ था और उस की कमर बाथरूम के दरवाजे की तरफ थी.
नुसरत के पीछे मेरा शोहर और नुसरत का सागा भाई गुल नवाज़ भी बिल्कुल नंगा हो कर अपनी बेहन के जिस्म से चिपका हुआ था.
गुल नवाज़ पीछे से नुसरत की नंगी कमर और गरदन पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए अपनी बेहन के नंगे बदन के मोटे गोश्त को अपनी ज़ुबान और दाँतों से चाट और काट भी रहा था
गुल नवाज़ के एक हाथ की दो उंगलियाँ उस की बेहन के बड़े बड़े मम्मो के निपल्स को मसल रही थीं. जब कि दूसरा हाथ बेहन की चूत के दाने (क्लिट) के साथ बहुत तेज़ी से खेल रहा था.
और ये भाई के हाथों का सरूर ही था. जिस के असर की वजह से नुसरत बहुत बे चैन और गरम हो कर सिसकियाँ भरने पर मजबूर हो गई थी.
साथ ही साथ मैने ये देख कर हेरान रह गई कि ना सिर्फ़ गुल नवाज़ के हाथ उस की बेहन के बदन से खेलने में मसगूल थे.
बल्कि नुसरत ने भी अपने राइट हॅंड से अपने भाई के तने हुए सख़्त लंड को अपनी मुट्ठी में जकड़ा हुआ था. और वो भी अपने हाथ से अपने भाई के लौडे की मूठ लगा कर भाई को मज़ा देने में मसरूफ़ थी.
नुसरत का अपने भाई के साथ प्यार का ये वलहिना अंदाज़ देख कर मुझे अपनी आँखों पे यकीन नही हो रहा था. क्योंकि में जो कुछ देर पहले तक अपने भाई के साथ चुदाई करना चाहती थी.
मगर ऐन मोके पर मेरी हिम्मत जवाब दे गई. और इधर वो ही नुसरत जिस ने मेरे प्लान पर नफ़रत का इज़हार किया था. अब वो खुद अपनेही भाई के साथ बाथ रूम में मस्तियों में मसरूफ़ थी.
इसे कहते हैं कि,
“बदलता है रंग आसमान कैसे कैसे”
मुझ गुनाह का सबक देने वाली का ये रूप देख कर समझ आ गई कि इंसान खुद जो मर्ज़ी चाहे वो कर डाले मगर,
“ में करूँ तो साला कॅरक्टर ढीला है”
की तरह को दूसरा करे तो उस पर फॉरन इल्ज़ाम तराशि शुरू कर देते हैं.
थोड़ी देर बाद गुल नवाज़ ने नुसरत को सिंक की तरफ मजीद झुका दिया. जिस से नुसरत की गान्ड मजीद चौड़ी और फैल कर उपर की तरफ उठ गई और पीछे से नुसरत की चूत बाहर को निकल आई.
गुल नवाज़ ने अपनी बेहन की गान्ड के ब्राउन सुराख पर अपनी उंगली फेरते हुए कहा, "क्या चिकनी गान्ड है तेरी.... ".
गुल नवाज़ अब अपनी बेहन के बिल्कुल पीछे आया और अपने जवान सख़्त लंड को अपनी बेहन की चौड़ी गान्ड में फँसा कर हल्के हल्के धक्के मारने लगा.
ये मंज़र देख कर मेरे जिस्म में चीटियाँ दौड़ने लगी. मेरा हाथ खुद ब खूद मेरी एलास्टिक वाली सलवार के अंदर चला गया और मेरी उंगली मेरी पानी पानी होती हुई चूत में आगे पीछे होने लगी. मेरा दूसरा हाथ मेरे बड़े बड़े मम्मो तक जा पहुँचा और में अपने मम्मो को हाथ में ले कर खुद ही अपने मम्मो को अपने हाथ से दबाने लगी.
अभी सुबह होने में काफ़ी देर थी और मुझे पानी की प्यास बहुत लग रही थी.
काफ़ी देर प्यास को बर्दास्त करनी के बाद मुझ से रहा नही गया और में पानी पीने के लिए कमरे से बाहर निकल कर रसोई की तरफ चल पड़ी.
रसोई की तरफ जाते वक़्त रात की खामोशी में मेरे कानों में एक हल्की सी आवाज़ पड़ी “"आआअहह”.
में ये आवाज़ सुन कर रुक गई और इधर उधर नज़र दौड़ा के देखू तो सही कि ये आवाज़ किधर से आ रही है.
सहन में नज़रें घुमाते हुए मेरी नज़र घर के दूसरे कोने में बने हुए बाथ रूम पर गई.
बाथरूम के अंदर जलती हुई लालटेन की रोशनी को देख कर मुझ अंदाज़ा हुआ कि कोई बाथरूम में मौजूद है और ये आवाज़ उधर से ही आ रही है.
में दबे पावं चलती हुई बाथरूम के दरवाज़े के करीब पहुँची. तो बाथरूम का दरवाज़ा जो पहले ही थोड़ा टूटा हुआ था उस को बिल्कुल खुला पाया.
में बाथरूम की दीवार की साथ लग कर खड़ी हो गई. इस तरह खड़ी हो कर में किसी की नज़रों में आए बेगैर ब आसानी बाहर से बाथरूम में देख सकती थी.
बाहर सहन में बिल्कुल अंधेरा था जब कि बाथरूम में लालटेन जल रही थी. जिस की वजह से सहन में खड़ी हो कर बाथरूम के अंदर का नज़ारा काफ़ी हद तक सॉफ नज़र आ रहा था.
मेरे बाथरूम के करीब पहुँचने तक बाथरूम से आती हुई आवाज़ों का शोर अब थोड़ा मजीद बढ़ गया था. में इन आवाज़ों को सुन कर बहुत हेरान हो रही थी कि ये अंदर हो क्या रहा है .
फिर जब डरते डरते मैने अपना सर आगे बढ़ा कर बाथरूम के अंदर झाँका. तो बाथरूम के अंदर का मंज़र देख कर मेरे तो जैसे “होश” ही उड़ गये.
मैने देखा कि मेरी नंद नुसरत बाथरूम के सिंक के पास झुके हुए अंदाज़ में बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
नुसरत के जिस्म से टपकते हुए पानी की बूँदो से अंदाज़ा हो रहा था कि वो अभी अभी नहा करफ़ारिग हुई है.
नुसरत ने अपने सर पर एक बड़ा सा तोलिया (टवल) ओढ़ा हुआ था. जिस की वजह से उस का चेहरा तोलिया के अंदर छुप गया था. इस हालत में नुसरत का मुँह सिंक की तरफ था और उस की कमर बाथरूम के दरवाजे की तरफ थी.
नुसरत के पीछे मेरा शोहर और नुसरत का सागा भाई गुल नवाज़ भी बिल्कुल नंगा हो कर अपनी बेहन के जिस्म से चिपका हुआ था.
गुल नवाज़ पीछे से नुसरत की नंगी कमर और गरदन पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए अपनी बेहन के नंगे बदन के मोटे गोश्त को अपनी ज़ुबान और दाँतों से चाट और काट भी रहा था
गुल नवाज़ के एक हाथ की दो उंगलियाँ उस की बेहन के बड़े बड़े मम्मो के निपल्स को मसल रही थीं. जब कि दूसरा हाथ बेहन की चूत के दाने (क्लिट) के साथ बहुत तेज़ी से खेल रहा था.
और ये भाई के हाथों का सरूर ही था. जिस के असर की वजह से नुसरत बहुत बे चैन और गरम हो कर सिसकियाँ भरने पर मजबूर हो गई थी.
साथ ही साथ मैने ये देख कर हेरान रह गई कि ना सिर्फ़ गुल नवाज़ के हाथ उस की बेहन के बदन से खेलने में मसगूल थे.
बल्कि नुसरत ने भी अपने राइट हॅंड से अपने भाई के तने हुए सख़्त लंड को अपनी मुट्ठी में जकड़ा हुआ था. और वो भी अपने हाथ से अपने भाई के लौडे की मूठ लगा कर भाई को मज़ा देने में मसरूफ़ थी.
नुसरत का अपने भाई के साथ प्यार का ये वलहिना अंदाज़ देख कर मुझे अपनी आँखों पे यकीन नही हो रहा था. क्योंकि में जो कुछ देर पहले तक अपने भाई के साथ चुदाई करना चाहती थी.
मगर ऐन मोके पर मेरी हिम्मत जवाब दे गई. और इधर वो ही नुसरत जिस ने मेरे प्लान पर नफ़रत का इज़हार किया था. अब वो खुद अपनेही भाई के साथ बाथ रूम में मस्तियों में मसरूफ़ थी.
इसे कहते हैं कि,
“बदलता है रंग आसमान कैसे कैसे”
मुझ गुनाह का सबक देने वाली का ये रूप देख कर समझ आ गई कि इंसान खुद जो मर्ज़ी चाहे वो कर डाले मगर,
“ में करूँ तो साला कॅरक्टर ढीला है”
की तरह को दूसरा करे तो उस पर फॉरन इल्ज़ाम तराशि शुरू कर देते हैं.
थोड़ी देर बाद गुल नवाज़ ने नुसरत को सिंक की तरफ मजीद झुका दिया. जिस से नुसरत की गान्ड मजीद चौड़ी और फैल कर उपर की तरफ उठ गई और पीछे से नुसरत की चूत बाहर को निकल आई.
गुल नवाज़ ने अपनी बेहन की गान्ड के ब्राउन सुराख पर अपनी उंगली फेरते हुए कहा, "क्या चिकनी गान्ड है तेरी.... ".
गुल नवाज़ अब अपनी बेहन के बिल्कुल पीछे आया और अपने जवान सख़्त लंड को अपनी बेहन की चौड़ी गान्ड में फँसा कर हल्के हल्के धक्के मारने लगा.
ये मंज़र देख कर मेरे जिस्म में चीटियाँ दौड़ने लगी. मेरा हाथ खुद ब खूद मेरी एलास्टिक वाली सलवार के अंदर चला गया और मेरी उंगली मेरी पानी पानी होती हुई चूत में आगे पीछे होने लगी. मेरा दूसरा हाथ मेरे बड़े बड़े मम्मो तक जा पहुँचा और में अपने मम्मो को हाथ में ले कर खुद ही अपने मम्मो को अपने हाथ से दबाने लगी.
Read my all running stories
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma