सबाना और ताजीन की चुदाई compleet

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rajsharma
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Re: सबाना और ताजीन की चुदाई

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सबाना और ताजीन की चुदाई -5

गतान्क से आगे............
शबाना और ताज़ीन ने अपने बिस्तर ठीक किए और दोनों एकदम संतुष्ट और खुश होकर सो गयी.

सुबह 6 बजे घंटी बजने पर शबाना ने दरवाज़ा खोला दूध लेने के लिए.
"परवेज़ तुम !! ? इतनी जल्दी ? तुम तो शाम को आनेवाले थे ना ?" एकदम चौंक गई थी शबाना. "क्यों मेरा जल्दी आना अच्च्छा नहीं लगा तुम्हें ?" "नहीं ऐसी कोई बात नहीं, यूँही पूच्छ लिया."

शबाना ने चैन की साँस ली. वो आज मारते मारते बची थी, अगर जगबीर ने फोर्स नहीं किया होता तो प्रताप भी वहीं होता और आज उसकी शामत ही आने वाली थी. यह सोचकर उसका दिमाग़ एकदम घूम गया, उसके कानों में जगबीर के शब्द गूंजने लगे "हो सकता है सुबह 6 बजे ही आ जाएँ" ... उसका दिमाग़ चक्कर घिन्नी की तरह घूम गया. उसे शक होने लगा की जगबीर को पहले ही पता था की परवेज़ सुबह आने वाला है.

सुबह 6 बजे आने के बावजूद परवेज़ 9 बजे घर से निकल गया.
"ताज़ीन, तुम्हें जगबीर की बात याद है ?"
"कौनसी ?" बेफ़िक्र ताज़ीन ने जवाब दिया.
"वोही जो उसने जाने से पहले कही थी" शबाना ने ताज़ीन की आँखों में झाँकते हुए पूचछा.
"जिसकी बीवी इतनी सुंदर हो वो वाली ? वो तो उसने सच ही कहा था"
"वो नहीं. सुबह 6 बजे वाली. तुम्हारे भैया सुबह 6 बजे ही आए थे. ठीक उसी समय जो जगबीर ने बताया था." शबान की आवाज़ में डर और चिंता दोनों सॉफ झलक रही थी.
"ऐसे ही तुक्का लगा दिया होगा" ताज़ीन अब भी बेफ़िक्र थी.

"तो इन महाशय की बीवी हैं आप" "जी हां. यही परवेज़ हैं. क्या आप जानते हैं इन्हे ?". "नहीं बस ऐसे ही पूछ लिया, क्या वो शहर से बाहर गये हैं ?" "हां, कल शाम को आ जाएँगे"

फिर उसने यह क्यों कहा "वो शहर से बाहर जाएगा तो भी यही कहेगा शहर में ही है " तो क्या जगबीर सच्चाई से उल्टा बोल रहा था ? याने की परवेज़ शहर में ही था लेकिन उसे कहकर गया कि वो बाहर जा रहा है ? लेकिन परवेज़ झूठ क्यों बोलेगा ? और जगबीर ने उल्टा क्यों कहा अगर वो जानता था कि परवेज़ शहर में ही है.

जहाँ तक जगबीर का सवाल है सरदार ना सिर्फ़ चालाक और होशियार था बल्कि काफ़ी सुलझा हुआ और इंटेलिजेंट भी था. जो भी थोड़ा बहोत वो उसे समझी थी, उससे यही ज़ाहिर होता था. वो बिना मतलब के इतनी बातें करने वालों में से नहीं था. कई सवाल शबाना के ज़हन में गूँज रहे थे लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था.
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: सबाना और ताजीन की चुदाई

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"हेलो, प्रताप कहाँ हो"
"ऑफीस में. कहो कैसे याद किया ?" प्रताप ने पूचछा.
"प्रताप, यह जगबीर क्या करता है ?" शबाना ने सीधे सीधे सवाल किया.
"क्यों जान अब पीछे से वार करने वाले पसंद आ गये, भाई हम तो लूट जाएँगे" प्रताप ने रोमॅंटिक होते हुए कहा
"धुत्त, ऐसी कोई बात नहीं है, ऐसे ही पूच्छ रही हूँ" शबाना ने शरमाते हुए कहा.
"वो असिस्टेंट कमिशनर ऑफ पोलीस है. काफ़ी ऊँची चीज़ है वो. काम है क्या कुच्छ ? अर्रे हम ही आ जाते हैं"
"चुपचाप काम करो अपना, हर वक़्त यही नहीं सोचा करते." शबाना ने बात ख़त्म की. वो नहीं चाहती थी कि इतनी जल्दी दोबारा बुलाया जाए, ख़ासकर ताज़ीन के सामने.

फोन रखने पर शबाना की परेशानी अब बढ़ गई थी. यानी की जगबीर सचमुच काफ़ी पहुँचा हुआ आदमी था. और उसने जो भी कहा था, वो बात जितनी सीधी दिख रही थी उतनी थी नहीं. ज़रूर कुच्छ कारण रहा होगा.

"शबाना क्या सोच रही हो ?" ताज़ीन के प्रश्न ने उसकी तंद्रा भंग की थी.
"कुच्छ नहीं, तुम्हारे भैया आज जल्दी आ गये."
"हां अच्च्छा हुआ, आज तो हम बाल बाल बच गये. अगर मेरे कहने पर जग्गू और प्रताप रुक जाते तो आज तो गये ही थे काम से."

"हाई जगबीर"
"हाई. कौन ?"
"अच्च्छा, तो अब आवाज़ भी नहीं पहचानते हैं जनाब."
"ओह्हो, शबानाजी, बड़े दिनों बाद याद किया." बड़े अदब से चुटकी ली जगबीर ने.
"क्या करें आप तो याद करते नहीं, सो हमने ही फोन कर लिया.एक महीने आपके फोन की राह देखी है." शिकायती लहज़े में कहा शबाना ने.
"आप बुला लेते हम हाज़िर हो जाते" जगबीर के पास जवाब तैयार था.
"अभी आ सकते हैं ?
"अभी नहीं. कल आ जाता हूँ अगर आपको आपत्ति ना हो तो."
"ठीक है. तो कल 11 बजे ?"
"ओके डियर" बिना शबाना के जवाब का इंतेज़ार किए फोन काट दिया जगबीर ने.
"सरदार बहोत तेज़ है. लेकिन साला है बहोत ही इंट्रेस्टिंग." शबाना, जैसे अपनेआप से कह रही हो.

उसने दोबारा फोन लगाया "हां ज़रीना, में घर पर ही हूँ, तुम ज़ीनत को भेज सकती हो"

दरवाज़े की दस्तक से शबाना का ध्यान भंग हुआ. कोई था शायद बाहर.
ज़रीना थी, अपनी बेटी को छ्चोड़ने आई थी. ज़रीना शबाना से उम्र में 15 साल बड़ी थी लेकिन सबसे अच्छि सहेली थी और थोड़ी ही दूरी पर रहती थी, इसलिए कभी कभी आ जाती थी. उसकी बेटी ज़ीनत के 10थ के एग्ज़ॅम्स थे और उसने शबाना से रिक्वेस्ट की थी थोड़ी मदद कर देने के लिए. क्योंकि उस इलाक़े में सबसे ज़्यादा पढ़ी लिखी महिला शबाना ही थी. एमएससी इन केमिस्ट्री.
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Re: सबाना और ताजीन की चुदाई

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ज़रीना के जाने के बाद शबाना ने दरवाज़ा बंद कर लिया.
ज़ीनत काफ़ी खूसूरत थी और उसके मम्मे उसकी उम्र को काफ़ी पीछे छ्चोड़ चुके थे. उसका जिस्म देखकर कोई भी यही सोचेगा की 18-19 की है. पहनावा भी काफ़ी मॉडर्न किस्म का था. कॉनवेंट में पढ़ने वाली ज़ीनत रोज़ घुटनों के ऊपर तक की फ्रॉक पहन कर स्कूल जाती थी. और ज़रीना ने काफ़ी छ्छूट दे रखी थी उसे. आख़िर एकलौती संतान थी वो.

"दीदी, कल केमिस्ट्री की एग्ज़ॅम है. और मुझे तो कुछ समझ नहीं आता है. यह टेबल्स और केमिकल फॉर्मुलास तो मेरी जान ले लेंगे" काफ़ी झुंझलाई हुई थी ज़ीनत.

"कोई बात नहीं, में समझा दूँगी" शबाना ने प्यार से कहा.
तीन घंटे की पढ़ाई के बाद ज़ीनत काफ़ी खुश थी. उसका लगभग सारा पोर्षन ख़त्म हो चुका था. उसने शबाना और खुद के लिए चाइ बनाई. "थॅंक यू दीदी, मुझे तो लगा था में गई इस बार. आपने बचा लिया." कहते हस उसने शबाना को गले लगा लिया.

अगले दिन परवेज़ के जाने के बाद, वो जगबीर का इंतेज़ार करने लगी थी.
ठीक 11 बजे जगबीर आ गया.
"क्यों डार्लिंग बड़े दिनों बाद याद किया. वो भी जब प्रताप बाहर गया है. जब तक वो था, आपने तो हमें याद ही नहीं किया" जगबीर ने सवाल में ही जवाब दाग दिया था.
"लगता है, आप उसके बिना आप कुच्छ कर नहीं सकते. हर बार उसकी मदद चाहिए क्या ?" शबाना ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया.
"पता चल जाएगा जानेमन" कहते हुए जगबीर ने उसे बाहों में उठा लिया.
"क्यों आज शराब नहीं लाए ?" शबाना ने पूचछा.
"में दिन में नहीं पीता, तुम्हें पीनी है तो ले आता हूँ" अब जगबीर उसके जिस्म को हर जगह से दबा रहा था.
"मुझे जो चाहिए तुम्हारे पास है, शराब फिर कभी ट्राइ करूँगी" शबाना ने कहा.
उसने शबाना की सारी का पल्लू हटाया और उसके ब्लाउस के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा. उसके होंठों को अपने होंठों में दबाते हुए उसने एक हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और दूसरे हाथ से उसकी सारी को ऊँचा उठाकर उसकी गंद को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. उसने शबाना को एकदम जाकड़ लिया. शबाना उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस कर सकती थी और उसकी जैसे साँस अटक रही थी.

जगबीर ने फिर उसे अलग किया और उसकी सारी को खींच कर निकाल दिया. उसके पेटिकोट का नारा खींचते ही निकल गया. जगबीर उसके पैरों के बीच बैठ गया और उसकी चड्डी उतार दी. अब उसका मुँह शबाना की नाभि को चूस रहा था और उसका एक हाथ शबाना के दोनों पैरों के बीच उसकी जांघों पर सैर कर रहा था. उसने शबाना की जाँघ पर दबाव बनाया और शबाना ने अपने पैर फैला दिए. अब वो जगबीर को अपनी चूत खिलाने के लिए तैयार थी.उसने अपनी चूत आगे की तरफ धकेली. जगबीर ने अपने दोनों हाथों को उसकी टाँगों के बीच से लेकर उसकी गंद पर रख दिए. शबाना के पैर और फैल गये और उसकी आयेज की तरफ निकली हुई चूत जगबीर के मुँह के ठीक सामने थी. "सस्सीए" सिसकारी छ्छूट गई शबाना की जब जगबीर की जीभ ने उसकी चूत को चॅटा और उसके किनारों पर ज़ोर से रगड़ दी. जगबीर की जीभ उसकी चूत में घुसती जा रही थी और शबाना के पैर जैसे उखाड़ने को थे. जगबीर के हाथ जो शबाना के पैरों के बीच से पीछे की तरह थे, उनसे शबाना के हाथों की कलाईयों को पकड़ लिया, अब शबाना की चूत और आगे की तरफ निकल आई और जगबीर की जीभ उसकी चूत में और अंदर धँस गई. जगबीर ने इसी स्थिति में उसे उठा लिया और एक धक्का देकर बेड के बिल्कुल किनारे पर पटक दिया और खुद बेड के नीचे घुटनों के बल बैठ गया.
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शबाना की गंद के नीचे से निकली हुई जगबीर के हाथों की वजह से उसकी चूत एकदम उठ गई थी और पैर हवा में लहरा रहे थे, एकदम फैले हुए. उसकी चूत में जगबीर की जीभ धँसती जा रही थी. जगबीर ने उसकी चूत में च्छूपे गुलाबी दाने को अपने होंठों में जाकड़ लिया और उसपर बेतहाशा अपनी जीभ रगड़ कर चूसने लगा. शबाना की सिसकारियाँ फूट गई और उसकी चूत में खलबली मच गई. उसका आनंद चरम पर था और वो हिल भी नहीं सकती थी. उसकी कलाईयों को जगबीर ने पूरी ताक़त से पकड़ रखा था और उसकी गंद हवा में पूरी उठी हुई थी. उसकी गंद ने एक ज़ोर का झटका दिया और उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. अब जगबीर ने उसकी कलाईयों को छ्चोड़ा और अपने हाथ उसके पैरों के बीच से निकाल लिए. अब वो बिल्कुल धराशाई हो गई बिस्तर पर. "ओह गॉड...मज़ा आ गया जगबीर"

जगबीर ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को चूसने लगा. शबाना ने जगबीर की बालों से भरी छाती पर हाथ फिराने शुरू कर दिए. अच्च्छा लगता था जब जगबीर की बालों से भरी छाती उसके चिकने भरे हुए मम्मों को रगड़ती थी. अज़ीन तरह की गुदगुदी सी होती थी. अब शबाना बैठ गई और जगबीर की पॅंट के बटन खोले, और उसकी पॅंट और अंडरवेर निकाल कर फेंक दिए. उसने जगबीर के लंड को अपने हाथों में लिया और उसकी जड़ से टोपी तक ऊपर नीचे करने लगी. उसके लंड का सुपरा चमड़ी के पीछे होते ही उसका लाल, गोल सुपरा जैसे हमले की तैयारी में नज़र आता था. शबाना झुकी और जगबीर के लंड कोचूसना शुरू कर दिया. उसने जगबीर के लंड के सुपरे को मुँह में लिया और उसका स्वाद अपनी जीभ पर महसूस करने लगी. उसकी जीभ जगबीर के लंड पर बने छेद में घुसने की कोशिश कर रही थी. उसके सुपरे को अपनी जीभ में लपेट कर शबाना उसके हर हिस्से का मज़ा ले रही थी. जगबीर उसके सर पर हाथ रख कर उसे दबाने लगा. अब शबाना जगबीर के पूरे लंड को अपने मुँह में ले रही थी. जगबीर का लंड उसके गले तक जा रहा था और उसकी आँखें जैसे बाहर आने को थी. उसने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर थोड़ी कोशिश के बाद वो अब उसके लंड को अपने मुँह में अड्जस्ट कर चुकी थी. अब जगबीर को पूरा मज़ा मिल रहा था, शबाना बिल्कुल रंडी की तरह अच्छि तरह उसका लंड चूस रही थी, नीचे से ऊपर, ऊपर से नीचे. अब जगबीर ने उसे नीचे उतरने को कहा.
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शबाना नीचे खड़ी होकर झुक गई और अपने हाथ बेड पर रख दिए. अब वो बेड का सहारा लेकर गंद उठाए खड़ी थी. जगबीर उसके पीछे आकर खड़ा हो गया. शबाना ने अपनी गंद उठा दी और आराम से जगबीर के लंड का अपनी चूत में घुस जाने का इंतेज़ार करने लगी. जगबीर ने शबाना के पैरों को फैलाया और अपने लंड को पकड़कर और शबाना की उठी गंद पर रगड़ने लगा. वो उसके पीछे खड़ा होकर उसकी उठी हुई गंद से लेकर उसकी चूत तक अपने लंड को रगड़ रहा था. शबाना की सिसकारियों से कमरा गूँज रहा था. शबाना की चूत के मुँह पर उसने अपने लंड को अड्जस्ट किया और धीरे धीरे बड़े प्यार से लंड के सुपरे को उसकी चूत में पहुँचा दिया. शबाना ने मदहोश होकर अपनी गंद और उठा दी, और जगबीर ने अपना लंड एक झटके से पूरा का पूरा शाना की चूत में धकेल दिया. शबाना को एक झटका सा लगा और उसकी सिसकारियाँ फूट पड़ी. जगबीर ने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ा और नीचे से ज़ोर ज़ोर से झटके मारने शुरू कर दिए, और शबाना की कमर को पकड़ कर एक लय में उसके जिस्म को हिलाने लगा. शबाना का पूरा जिस्म हिल रहा था उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी चूत को कोई उठा उठा कर जगबीर के लंड पर पटक रहा था, और जगबीर का लंड उसकी चूत को चीरते हुए उसके पेट में घुस रहा था.

शबाना की सिसकारियाँ अब मदहोशी की चीखों में बदल चुकी थी, उसकी चूत के थपेड़े जगबीर के लंड पर बेतहाशा पड़ रहे थे. जगबीर ने उसकी कमर को कस कर पकड़ रखा था और शबाना की गंद से लेकर उसके कंधों तक के जिस्म को झकझोर कर रख दिया था. जगबीर भी उसे बुरी तरह चोदे जा रहा था, शबाना के पैर उठने लगे थे, जगबीर ने उसकी कमर को छ्चोड़ दिया और उसकी जांघों को अंदर की तरफ से पकड़ कर उसे उठा लिया. अब शबाना अपने हाथों को बेड पर टिकाए हवा में लहरा रही थी, और जगबीर उसकी चूत में बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था. जगबीर के धक्के एकदम तेज़ हो गये और शबाना की चूत में जैसे ज्वालामुखी फॅट गया. पता नहीं किसका पानी कब गिरा, दोनों के शरीर अब रुकने लगे. जगबीर ने शबाना के पैरो को ज़मीन पर रख दिया, शबाना घूमी और धदाम से बेड पर गिर गयी. "जगबीर मज़ा आ गया..लव यू डार्लिंग" . जगबीर उसकी बगल में लेट गया. शबाना ने उसके होंठों को चूम लिया. दोस्तो इस तरह जब जावेद घर पर नही होता था तब शबाना अपने यार प्रताप या जगबीर को बुला कर अपनी गर्मी शांत करती थी आपको कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त............



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