जुली को मिल गई मूली compleet

Post Reply
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

एक दिन आंजेलीना ने मुझे अपने घर के पास की होटेल मे डिन्नर के लिए इन्वाइट किया और कहा कि ये मेरे लिए सर्प्राइज़ है और वो मेरी मा से इस की पर्मिशन ले लेगी. वो हमारे घर रात मे करीब 8.30 आई और हम मेरी मा से पूछ कर साथ साथ डिन्नर के लिए रवाना हो गये. वो सच मे सर्प्राइज़ था. रमेश होटेल मे हमारा इंतेज़ार कर रहा था.

रमेश – ” ये डिन्नर मेरी तरफ से है. जूली के साथ नये रिश्ते की सुरुआत के लिए.”

मैं सब समझ गई पर मैं कुछ नही बोली.

रमेश ने सब के लिए बियर का ऑर्डर दिया और हम ने साथ मे चियर्स किया.

अचानक रमेश ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला ” जूली, मुझे आंजेलीना से पता लगा कि तुम मुझे पसंद करती हो और आज मैं सीधे तुम से, आंजेलीना के सामने कहता हूँ कि मैं भी तुम को बहुत पसंद करता हूँ. मैं कहना चाहता हूँ…. आइ लव यू.”

उसके ये सुनहरे शब्द मेरे कान मे पहुँचे और मैं यहाँ बता नही सकती कि मुझे कितना अच्छा लगा था. मैं कुछ बोल नही पा रही थी और आंजेलीना मुश्करा रही थी. मैने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई और कहा ” आइ लव यू टू.”

हम तीनो बहुत खुस थे और हम ने इधर उधर की बातें करते हुए डिन्नर किया.

अगले दिन से ही हमारे बर्ताव मे परिवर्तन आ गया था. हम दोनो आपस मे खुल कर बातें करने लगे थे. उस ने कई बार मेरी गंद पर हाथ फिराया था और कई बार मेरी चुचियों को भी दबाया था. जब मौका मिलता, हम चुंबन भी करते थे. जब भी वो मुझे हाथ लगाता, मुझे अच्छा लगता था. आंजेलीना हमेशा हम को अकेले रहने का मौका देती थी. मैने रमेश को अपने घर भी बुलाया और अपने मा – बाप और चाचा से मिलवाया था. मेरे चाचा ने कहा कि लड़का बहुत अच्छा है. मेरे चाचा ने कहा कि वो कभी भी शादी नही करेंगे और मरते दम तक मुझ से प्यार करते रहेंगे. मगर मेरे सामने मेरी पूरी जिंदगी है और उन्होने मेरी आने वाली जिंदगी के लिए सूभकामनाएँ दी. उन्होने मुझ से ये भी कहा कि जिंदगी मे खुस रहने के लिए मौका देख कर उसको अपने बारे मे सब सच सच बता दूं. अपने लाइफ पार्ट्नर से कुछ भी च्छुपाना अच्छी बात नही है.

मैं भी रमेश के घर पर गई थी और उस के पेरेंट्स से मिली थी. उस के पापा रिटाइर्ड आर्मी ऑफीसर है और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी चलाते थे. उस की मा बहुत ही अच्छी लगी मुझे. स्वीट, बिल्कुल मेरी अपनी मा की तरह.

अब तो कॉलेज मैं भी सब को पता चल चुका था क्यों कि हम हमेशा साथ साथ रहते थे. इसी तरह हमारे दिन प्यार मे गुजरने लगे थे. यहाँ मैं एक बात बताना चाहूँगी कि अब तक हम दोनो ने एक दूसरे को पकड़ा था, दबाया था, चुंबन लिया था पर कभी भी चुदाई नही की थी. चुदाई के लिए ना उस ने कभी कहा ना कभी मैने कहा.

हम कॉलेज की ट्रिप पर करीब 40 स्टूडेंट्स मनाली जा रहे थे. ट्रेन मे हमारा रिज़र्वेशन 3 टीएर ए/सी मे था. हम ने ट्रेन मे डिन्नर किया और ग्रूप बना कर बातें कर रहे थे. ए/सी की वजह से डब्बे मे थोड़ी सी ठंडी थी. मैं और रमेश पास पास मे एक ही कंबल ओढ़ कर बैठे हुए थे. आंजेलीना हमारे सामने की सीट पर बैठी थी. रमेश ने कंबल के अंदर से कई बार मेरी चुचियों को दबाया था. कुछ देर बाद एक एक कर के सब लोग अपनी अपनी बर्थ पर सोने चले गये. सिर्फ़ मैं और रमेश ही कंबल ओढ़ कर बैठे थे. मुझे नीचे की बर्थ पर सोना था और रमेश को बीच की बर्थ पर. आंजेलीना उपर की बर्थ पर सोने चली गई. क्यों कि हम ने बीच की बर्थ नही खोली थी इस लिए हम आराम से बैठ सकते थे नीचे की बर्थ पर और धीरे धीरे बातें कर रहे थे. लाइट्स बंद हो गई थी और डब्बे मे नाइट बल्ब की रोशनी थी.

रमेश ने कंबल के अंदर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे उनको दबाने लगा. वो बड़े प्यार से मेरी चुचियों को दबा रहा था और मालिश कर रहा था. मुझे उस को चूमने का बहुत मन हुआ पर मैं ऐसा कर नही सकी क्यों कि नाइट बल्ब की रोशनी मे किसी के देख लेने का डर था. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए थी. वो भी जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए था. उस ने धीरे से मेरे कान मे मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने को कहा. मैने भी धीरे से जवाब दिया ” नही, कोई देख लेगा. हमारे बारे मे सब को पता है. क्या पता कोई देख ही रहा हो हम को.”

वो अपना एक हाथ मेरे पीछे ले गया, नीचे से मेरी टी-शर्ट मे हाथ डाला और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसने अपना हाथ आगे से मेरी टी-शर्ट मे डाला और मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया. मेरी चुचियों के निपल्स टाइट हो गये और वो मेरी चुचियों को, मेरी निपल्स को दबाने लगा. पहले तो धीरे धीरे दबाया लेकिन फिर ज़रा ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं गरम होने लगी थी और मेरी चूत गीली होना सुरू हो गयी थी. मैने भी अपना हाथ उस के पैरों के बीच की तरफ बढ़ाया. उसने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए और मैने उस की पॅंट की ज़िप खोल दी. मैने अपना हाथ और आगे बढ़ाया और उसके खड़े हुए, तने हुए गरम लंड को उसकी चड्डी के होल से बाहर निकाल लिया. ये पहली बार था कि मैने अपने चाचा के सिवाय किसी और का लंड पकड़ा था. वो 21 साल का जवान था और मुझे उसका लंड अपने चाचा के लंड से थोड़ा मजबूत लगा. उस के लंड के आगे का भाग भी गीला था. ना तो वो मेरी चुचियों को ही देख पा रहा था और ना मैं उसके तने हुए लंड को ही देख पा रही थी, क्यों कि सिर्फ़ हमारा सिर ही कंबल के बाहर था, मेरी नंगी चुचियाँ और उसका नंगा लंड कंबल के अंदर थे. मैने उस के लंड की आगे की चॅम्डी नीचे की और उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे…. उपर नीचे करने लगी. मैं उसके लंड पर मूठ मार रही थी और मज़े मे उसकी आँखें बंद होने लगी और उसने मेरी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से दबानी सुरू करदी.

अपना एक हाथ उसने मेरी जीन्स की ज़िप की तरफ बढ़ाया और मेरी ज़िप खोल दी. मैने अंदर चड्डी पहन रखी थी इसलिए उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर से ही मेरी चिकनी और गीली चूत पर घुमाई. मेरी चड्डी मेरी चूत के उपर मेरी चूत के रस से गीली थी. उसने मेरी चूत की मालिश मेरी चड्डी के उपर से ही की और फिर मेरी चड्डी की साइड से अपनी उंगली मेरी चूत के मूह तक ले गया. वो मुझसे बोला कि बाथरूम चलते है, आगे का काम वहीं करेंगे आराम से. पर मैने ये कहते हुए मना कर्दिया कि हम आपस मे चुदाई पूरे अकेलेपन मे करेंगे फिर कभी जब भी मौका मिलेगा. इस वक़्त तो मैने उस से कहा कि हम एक दूसरे के लंड और चूत पर हाथ से ही मज़ा देंगे और लेंगे, हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे, ये ही ठीक रहेगा. वो थोड़ा सा उदास हुआ लेकिन मेरी बात मान गया.
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

अपनी उंगली से उसने मेरी चूत के मूह मे डाली तो मैने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी चूत मे अच्छी तरह से उंगली कर सके. उसने अपनी उंगली मेरी चूत के बीच मे उपर नीचे घुमानी चालू करदी मेरे दाने को टच करते हुए. मैं भी उसका लंड टाइट पकड़े हुए उसके लंड पर मूठ मार रही थी. उपर नीचे…….. उपर नीचे. वो भी मेरी चूत मे उंगली घुमा रहा था. उपर नीचे….. उपर नीचे. थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से अपनी रुमाल निकाल कर मुझे दी और कहा कि इसको उसके लंड के मूह पर रखूं. मैं समझ गई कि जब उसका पानी निकलेगा तो सिर्फ़ रुमाल मे ही गिरेगा, कंबल खराब नही होगी क्यों कि वो तो रात को ओढनी थी. मैने उसकी रुमाल उसके लंड के मूह पर कवर की और उसको पकड़ कर फिर से मूठ मारने लगी. मैने उसको भी अपनी चूत मे ज़ोर ज़ोर से, स्पीड मे उंगली घुमाने को कहा. उसने ऐसा ही किया. मेरी चूत का दाना कड़क हो गया था और मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. मेरी गंद भी मज़े के मारे आगे पीछे होने लगी थी. वो समझ गया कि मैं झरने वाली हूँ, और वो जल्दी जल्दी मेरी चूत मे उंगली घुमाने लगा. मेरे बदन मे तनाव आने लगा और…..और मैं झर गई. मैने अपने दोनो पैर टाइट कर लिए. उसकी उंगकी अभी भी मेरी चूत के अंदर थी. वो समझ गया था कि मैं झर चुकी हूँ और शायद मेरी चूत के पानी से उसकी उंगली भी बहुत गीली हो चुकी थी. अब वो बहुत धीरे धीरे मेरी चूत मे अपनी उंगली घुमा रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. आज पहली बार मेरे प्रेमी ने मेरी चूत को हाथ लगाया था और मैने भी पहली बार उसका लंड पकड़ा था. मैं भी जल्दी जल्दी…. ज़ोर ज़ोर से उसके लंड पर मूठ मार रही थी उसके लंड को टाइट पकड़ कर. मैं भी उसके लंड से पानी निकाल कर उसको पूरा मज़ा देना चाहती थी. मैने महसूस किया कि अब उसने मेरी झर चुकी चूत मे उंगली घुमाना बंद कर दिया है और उसकी आँखें फिर से बंद होने लगी थी. वो भी अपनी गंद को उपर करने लगा था. मैं समझ गई कि उसका भी होने वाला है. उसके लंड से पानी निकलने वाला है. मैं और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को हिलाती हुई मूठ मारने लगी. अचानक उसके लंड मे हुलचल हुई और उसके लंड से रस का फव्वारा निकला जो कि उसके लंड पर लपेटे हुए रुमाल मे आया. मैने मूठ मारना बंद कर दिया और उसके लंड को टाइट पकड़े रही. उसका लंड नाच नाच कर रस निकाल रहा था और मैने उस के चेहरे पर पूरा सॅटिस्फॅक्षन देखा.

उस ने मुझे लंड पर से हाथ हटाने को कहा तो मैने उस के लंड को छ्चोड़ दिया और हाथ हटा लिया. अब वो अपना लंड कंबल के अंदर अपनी रुमाल से सॉफ करने लगा और मुझ से कहा कि वो बाथरूम जा रहा है लंड को पूरा सॉफ करने और रुमाल को बाहर फेंक ने.

खड़े होते हुए और कंबल हटाते वक़्त उस ने पूरा ध्यान रखा कि मेरी नंगी चुचियाँ किसी को नज़र ना आजाए. मेरी ज़िप भी खुली थी. उस ने अपने मुलायम लंड को फिर से अपनी चड्डी और जीन्स मे डाला और अपनी ज़िप बंद करते हुए बाथरूम की तरफ चला गया. उसके हाथ मे उसके अपने लंड रस से सना हुआ रुमाल था.

मैने अपनी हॅंड बॅग से टिश्यू पेपर निकाला और उस से अपनी चूत को सॉफ किया और अपनी जीन्स की ज़िप बंद कर ली. मैने अपनी चुचियों को भी अपनी ब्रा के कप मे फिट करके ब्रा का हुक बंद किया और मैं भी बाथरूम की तरफ गई.

मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला और रमेश बाहर आने ही वाला था कि मैने उसको फिर से बाथरूम के अंदर धक्का दिया और खुद भी बाथरूम के अंदर आ गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. अब हम दोनो अकेले, साथ मे बाथरूम के अंदर थे. मैने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर उस के होंठो पर किस किया और उसके कान मे बोली – ” तुम अब अपनी सीट पर जाओ, मैं आती हूँ.” वो बोला – ” नही. एक बार और हो जाए बाथरूम मे?” मैने कहा – ” नही. अभी नही. मैं तो कब से तुम को किस करना चाहती थी. इस लिए तुम्हारे पीछे पीछे यहाँ आई हूँ.”

उस ने मेरे नीचे के होठ को अपने होठों के बीच लेकर चूसना शुरू किया और मेरे होंठो मे उसका उपर का होठ था जिस को मैं चूस रही थी. इस तरह हम ने एक लंबा चुंबन किया और वो अपनी सीट की तरफ चला गया. मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपनी जीन्स नीचे की, अपनी चड्डी नीचे की और टाय्लेट सीट पर बैठ कर मूतने लगी. फिर अपनी चूत को पानी से सॉफ करके टिश्यू पेपर से पोन्छा और मैं भी अपनी सीट पर आ गई.

तब तक रमेश ने बीच की सीट खोल दी थी और दोनो सीट्स पर बिस्तर भी लगा दिया था. वो मेरे कान मे धीरे से बोला – ” जूली. हम एक ही सीट पर, एक ही कंबल के अंदर सो जातें है, किसी को पता नही चलेगा और अपना काम भी हो जाएगा.”

मैने उसके गाल पर प्यार का एक थप्पड़ धीरे से मारा और कहा – ” शैतान कहीं के. अब अच्छे बच्चे की तरह चुप चाप अपनी सीट पर सो जाओ.”

वो मुश्कराया और बोला – ” मैं भूका हूँ डार्लिंग और तुम मुझे पूरा खाना भी नही दे रही हो. ये अच्छी बात नही है. खैर कोई बात नही, मैं उस समय का वेट करूँगा जब तुम मुझे पेट भर के खिलाओगी.”

और हम दोनो अपनी अपनी सीट पर सोने चले गये.

सुबह मुझे आंजेलीना ने बताया, जो कि उपर की बर्थ पर थी कि उसको सब पता है जो हम दोनो कंबल के अंदर कर रहे थे. उस ने बताया कि हालाँकि वो कुछ देख नही पाई क्यों कि एक तो रोशनी बहुत कम थी और दूसरे हम कंबल के अंदर थे, पर हिलती हुई कंबल से वो सब जान गई कि कंबल के अंदर क्या हो रहा था. उसने माना कि उस ने खुद अपनी चूत मे उंगली की थी हमारे सोने के बाद.

क्रमशः..................................
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

जूली को मिल गई मूली--6

मेरी उमर उस समय 18 साल की थी और मैं गोआ की एक कॉलेज मैं पहले साल कॉमर्स मे पढ़ती थी. मेरी कॉलेज मेरे घर से करीब 20 किमी. दूर थी. मैने अपने पापा से कॉलेज आने जाने के लिए एक स्कूटर माँगा तो पापा ने मुझे एक साल और वेट करने को कहा और मुझे बस मे कॉलेज आने जाने की सलाह दी. बस हमारे घर के पास से ही जाती थी और कॉलेज के गेट तक जाती थी. बस सर्विस बहुत रेग्युलर थी. मेरी दोस्त आंजेलीना भी मेरे साथ मेरी क्लास मे ही थी. हम दोनो साथ साथ ही कॉलेज जाती थी.

मैने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़का उसी बस मे हमेशा आता जाता था जो कि हमारे कॉलेज मे ही पढ़ता था. मेरी दोस्त आंजेलीना ने भी ये नोट किया था और मुझे बताया कि वो लड़का हमेशा मुझ को ही देखा करता था जब मेरी नज़र कहीं और होती थी. वैसे मैं भी उसको देखा करती थी क्यों कि वो बहुत ही सुंदर, स्मार्ट और अच्छे घर का एक अच्छा लड़का लगता था. शायद मैं मन ही मन मे उसको प्यार करने लगी थी और लगता था वो भी मुझको पसंद करता है.

कुछ दिनो के बाद आंजेलीना ने मुझे बताया कि वो लड़का हमारे कॉलेज मे फाइनल एअर मे पढ़ता है. उस का नाम रमेश है. वो बहुत ही बरिल्लिएंट स्टूडेंट है इस कॉलेज का. आंजेलीना ने मुझे ये भी बताया कि वो हिंदू है और मैं कॅतोलिक लड़की हूँ, इस लिए उसके बारे मे ज़्यादा सीरियस्ली सोचने की ज़रूरत नही है. उस ने मुझ से कहा कि अगर मैं उस के साथ मज़े करना चाहूं तो कोई बात नही है पर उस के साथ सीरीयस रीलेशन शिप यानी प्यार ना करूँ. पर आंजेलीना को क्या पता था कि मेरे सोचने का तरीका अलग है. मुझे वो सचमुच बहुत अच्छा लगता था.

एक दिन, मैं अकेली थी बस मे कॉलेज जाते समय, आंजेलीना मेरे साथ नही थी. बस मे काफ़ी भीड़ थी और बैठने की कोई जगह नही थी. मैने देखा कि रमेश भी उसी बस मे था हमेशा की तरह और मुझ से कुछ सीट पीछे बैठा था जहाँ मैं खड़ी थी. उस ने मुझे इशारे से अपनी सीट ऑफर की तो मैने हाथ हिला कर धन्यवाद का सिग्नल दिया और अपनी जगह खड़ी रही. ये हमारे बीच मे पहला संपर्क था. अचानक खड़े हुए मैने अपनी गंद पर कुछ महसूस किया और मूड कर देखा तो एक आदमी था जो अपना खड़ा हुआ कड़क लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ रहा था. मैं चुदाई के बारे मे जानती थी इस लिए समझ गई कि वो क्या कर रहा है. मैं आप को बता दूं कि मैं ऐसी बातों मे चुप रहने वाली लड़की नही थी. पहले तो मैने सोचा कि ये सब शायद अंजाने मे हो गया होगा. बेचारे का लंड खड़ा हो गया होगा और अंजाने मे ही मेरी गंद पर लग गया होगा. अगर ऐसा होता तो मैं चुप ही रहती. मगर जल्दी ही मैं समझ गई कि वो ये सब जान भूझ कर कर रहा है. उस ने अपना खड़ा लंड बार बार, बस के हर धक्के से साथ मेरी गंद पर दबाना सुरू कर दिया था. मैने उसको सबक सिखाने की सोच ली. मैने अपना हाथ पीछे किया और धीरे से उसके खड़े हुए लंड को हाथ लगाया. वो बहुत ही खुस हुआ ये देख कर कि मैने उसके लंड पर हाथ रखा है. वो समझ रहा था कि मैं उस से पट गई थी और उसका लंड मुझ को अच्छा लग रहा था. वो तो फिर ज़ोर ज़ोर से अपना कड़ा हुआ लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ने लगा था. वो समझ रहा था कि मैं उसका लंड अपने हाथ मे पकड़ना चाहती हूँ. अचानक मैने उसके लंड लो अपने हाथ मे पकड़ कर निचोड़ दिया ज़ोर से. दर्द के मारे वो हवा मे उच्छल पड़ा और ज़ोर से चिल्लाया. बस मे सब उसकी तरफ देखने लगे और पूछने लगे कि क्या हुआ? अब वो कैसे किसी को बताता कि क्या हुआ. उस ने कंडक्टर से बस रोकने को कहा और बोला कि उसकी तबीयत ठीक नही है और वो उतरना चाहता है, और वो बस से नीचे उतर गया.

आख़िर बस कॉलेज के सामने पहुँची और मैं बस से उतर गई. मैने देखा कि रमेश भी पीछे के दरवाजे से उतर गया था.

" हेलो....... मेरा नाम रमेश है और मैं भी इसी कॉलेज मे पढ़ता हूँ." मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी.

"हेलो ...... मैं जुली हूँ." मैने जवाब दिया.

रमेश - " तुम से मिल कर अच्छा लगा जूली."

मैं - " मुझे भी तुम से मिल कर अच्छा लगा रमेश."

रमेश - " मैने देखा जो बस मे हुआ था."

मैं - " क्या हुआ था? कुछ भी तो नही हुआ था."

रमेश - " मैं बता नही सकता, पर मैने सब देखा. वो क्या कर रहा था और कैसे तुम ने जवाब दिया. मुझे अच्छा लगा"

मैं - " मैं ऐसा ही जवाब देने वाली लड़की हूँ."

रमेश - " मुझे भी ऐसा जवाब देने वाली लड़की पसंद है. मैं रोज़ तुम को बस मे देखता हूँ. मैं यहाँ फाइनल एअर मैं हूँ. क्या तुम मुझ से दोस्ती करना पसंद करोगी?"

मैं- " हां. मैं इसी बस से रोज़ आती जाती हूँ. मुझे तुम्हारी दोस्त बन कर खुशी होगी."

रमेश - " तो फिर ठीक है. आज से हम दोनो दोस्त है और बस मे हम साथ साथ सफ़र करेंगे. ठीक है?"

मैं - " ठीक है रमेश. हम को अब अपनी क्लास मे जाना चाहिए."

और हम अपनी अपनी क्लासस मे चले गये. अब हम तीनो रोज बस मे साथ साथ आने जाने लगे, मैं, आंजेलीना और रमेश. कभी कभी हम तीनो कॅंटीन मे भी साथ साथ जाते थे. मैने महसूस किया कि रमेश भी मुझ से प्यार करने लगा है. मुझे च्छुने का वो कोई भी मौका नही छ्चोड़ता था. एक दिन मैने आंजेलीना से कहा कि लगता है वो भी मुझ से प्यार करता है, लेकिन उसने कभी अपने मूह से नही कहा. आंजेलीना ने कहा कि वो इस बारे मे उस से जल्दी बात करेगी. तब तक हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त ही बने रहे.

एक दिन आंजेलीना ने मुझे अपने घर के पास की होटेल मे डिन्नर के लिए इन्वाइट किया और कहा कि ये मेरे लिए सर्प्राइज़ है और वो मेरी मा से इस की पर्मिशन ले लेगी. वो हमारे घर रात मे करीब 8.30 आई और हम मेरी मा से पूछ कर साथ साथ डिन्नर के लिए रवाना हो गये. वो सच मे सर्प्राइज़ था. रमेश होटेल मे हमारा इंतेज़ार कर रहा था.

रमेश - " ये डिन्नर मेरी तरफ से है. जली के साथ नये रिश्ते की सुरुआत के लिए."

मैं सब समझ गई पर मैं कुछ नही बोली.

रमेश ने सब के लिए बियर का ऑर्डर दिया और हम ने साथ मे चियर्स किया.

अचानक रमेश ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला " जूली, मुझे आंजेलीना से पता लगा कि तुम मुझे पसंद करती हो और आज मैं सीधे तुम से, आंजेलीना के सामने कहता हूँ कि मैं भी तुम को बहुत पसंद करता हूँ. मैं कहना चाहता हूँ.... आइ लव यू."

उसके ये सुनहरे शब्द मेरे कान मे पहुँचे और मैं यहाँ बता नही सकती कि मुझे कितना अच्छा लगा था. मैं कुछ बोल नही पा रही थी और आंजेलीना मुश्कारा रही थी. मैने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई और कहा " आइ लव यू टू."

हम तीनो बहुत खुस थे और हम ने इधर उधर की बातें करते हुए डिन्नर किया.
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

अगले दिन से ही हमारे बर्ताव मे परिवर्तन आ गया था. हम दोनो आपस मे खुल कर बातें करने लगे थे. उस ने कई बार मेरी गंद पर हाथ फिराया था और कई बार मेरी चुचियों को भी दबाया था. जब मौका मिलता, हम चुंबन भी करते थे. जब भी वो मुझे हाथ लगता, मुझे अच्छा लगता था. आंजेलीना हमेशा हम को अकेले रहने का मौका देती थी. मैने रमेश को अपने घर भी बुलाया और अपने मा - बाप और चाचा से मिलवाया था. मेरे चाचा ने कहा कि लड़का बहुत अच्छा है. मेरे चाचा ने कहा कि वो कभी भी शादी नही करेंगे और मरते दम तक मुझ से प्यार करते रहेंगे. मगर मेरे सामने मेरी पूरी जिंदगी है और उन्होने मेरी आने वाली जिंदगी के लिए सूभकामनाएँ दी. उन्होने मुझ से ये भी कहा कि जिंदगी मे खुस रहने के लिए मौका देख कर उसको अपने बारे मे सब सच सच बता दूं. अपने लाइफ पार्ट्नर से कुछ भी च्छुपाना अच्छी बात नही है.

मैं भी रमेश के घर पर गई थी और उस के पेरेंट्स से मिली थी. उस के पापा रिटाइर्ड आर्मी ऑफीसर है और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी चलाते थे. उस की मा बहुत ही अच्छी लगी मुझे. स्वीट, बिल्कुल मेरी अपनी मा की तरह.

अब तो कॉलेज मैं भी सब को पता चल चुका था क्यों कि हम हमेशा साथ साथ रहते थे. इसी तरह हमारे दिन प्यार मे गुजरने लगे थे. यहाँ मैं एक बात बताना चाहूँगी कि अब तक हम दोनो ने एक दूसरे को पकड़ा था, दबाया था, चुंबन लिया था पर कभी भी चुदाई नही की थी. चुदाई के लिए ना उस ने कभी कहा ना कभी मैने कहा.

हम कॉलेज की ट्रिप पर करीब 40 स्टूडेंट्स मनाली जा रहे थे. ट्रेन मे हमारा रिज़र्वेशन 3 टीर ए/सी मे था. हम ने ट्रेन मे डिन्नर किया और ग्रूप बना कर बातें कर रहे थे. ए/सी की वजह से डब्बे मैं थोड़ी सी ठंडी थी. मैं और रमेश पास पास मे एक ही कंबल ओढ़ कर बैठे हुए थे. आंजेलीना हमारे सामने की सीट पर बैठी थी. रमेश ने कंबल के अंदर से कई बार मेरी चुचियों को दबाया था. कुछ देर बाद एक एक कर के सब लोग अपनी अपनी बर्थ पर सोने चले गये. सिर्फ़ मैं और रमेश ही कंबल ओढ़ कर बैठे थे. मुझे नीचे की बर्थ पर सोना था और रमेश को बीच की बर्थ पर. आंजेलीना उपर की बर्थ पर सोने चली गई. क्यों कि हम ने बीच की बर्थ नही खोली थी इस लिए हम आराम से बैठ सकते थे नीचे की बर्थ पर और धीरे धीरे बातें कर रहे थे. लाइट्स बंद हो गई थी और डब्बे मे नाइट बल्ब की रोशनी थी.

रमेश ने कंबल के अंदर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे उनको दबाने लगा. वो बड़े प्यार से मेरी चुचियों को दबा रहा था और मालिश कर रहा था. मुझे उस को चूमने का बहुत मन हुआ पर मैं ऐसा कर नही सकी क्यों कि नाइट बल्ब की रोशनी मे किसी के देख लेने का डर था. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए थी. वो भी जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए था. उस ने धीरे से मेरे कान मे मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने को कहा. मैने भी धीरे से जवाब दिया " नही, कोई देख लेगा. हमारे बारे मे सब को पता है. क्या पता कोई देख ही रहा हो हम को."

वो अपना एक हाथ मेरे पीछे ले गया, नीचे से मेरी टी-शर्ट मे हाथ डाला और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसने अपना हाथ आगे से मेरी टी-शर्ट मे डाला और मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया. मेरी चुचियों के निपल्स टाइट हो गये और वो मेरी चुचियों को, मेरी निपल्स को दबाने लगा. पहले तो धीरे धीरे दबाया लेकिन फिर ज़रा ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं गरम होने लगी थी और मेरी चूत गीली होना सुरू हो गयी थी. मैने भी अपना हाथ उस के पैरों के बीच की तरफ बढ़ाया. उसने अपने पैर थोड़े चौड़े कर्लिये और मैने उस की पॅंट की ज़िप खोल दी. मैने अपना हाथ और आगे बढ़ाया और उसके खड़े हुए, तने हुए गरम लंड को उसकी चड्डी के होल से बाहर निकाल लिया. ये पहली बार था की मैने अपने चाचा के सिवाय किसी और का लंड पकड़ा था. वो 21 साल का जवान था और मुझे उसका लंड अपने चाचा के लंड से थोड़ा मजबूत लगा. उस के लंड के आगे का भाग भी गीला था. ना तो वो मेरी चुचियों को ही देख पा रहा था और ना मैं उसके तने हुए लंड को ही देख पा रही थी, क्यों कि सिर्फ़ हमारा सिर ही कंबल के बाहर था, मेरी नंगी चुचियाँ और उसका नंगा लंड कंबल के अंदर थे. मैने उस के लंड की आगे की चॅम्डी नीचे की और उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे.... उपर नीचे करने लगी. मैं उसके लंड पर मूठ मार रही थी और मज़े मे उसकी आँखें बंद होने लगी और उसने मेरी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से दबानी सुरू करदी.

अपना एक हाथ उसने मेरी जीन की ज़िप की तरफ बढ़ाया और मेरी ज़िप खोल दी. मैने अंदर चड्डी पहन रखी थी इसलिए उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर से ही मेरी चिकनी और गीली चूत पर घुमाई. मेरी चड्डी मेरी चूत के उपर मेरी चूत के रस से गीली थी. उसने मेरी चूत की मालिश मेरी चड्डी के उपर से ही की और फिर मेरी चड्डी की साइड से अपनी उंगली मेरी चूत के मूह तक ले गया. वो मुझसे बोला कि बाथरूम चलते है, आगे का काम वहीं करेंगे आराम से. पर मैने ये कहते हुए मना कर्दिया की हम आपस मे चुदाई पूरे अकेलेपन मे करेंगे फिर कभी जब भी मौका मिलेगा. इस वक़्त तो मैने उस से कहा कि हम एक दूसरे के लंड और चूत पर हाथ से ही मज़ा देंगे और लेंगे, हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे, ये ही ठीक रहेगा. वो थोड़ा सा उदास हुआ लेकिन मेरी बात मान गया.

अपनी उंगली से उसने मेरी चूत के मूह मे डाली तो मैने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी चूत मे अच्छी तरह से उंगली कर सके. उसने अपनी उंगली मेरी चूत के बीच मे उपर नीचे घुमानी चालू करदी मेरे दाने को टच करते हुए. मैं भी उसका लंड टाइट पकड़े हुए उसके लंड पर मूठ मार रही थी. उपर नीचे........ उपर नीचे. वो भी मेरी चूत मे उंगली घुमा रहा था. उपर नीचे..... उपर नीचे. थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से अपनी रुमाल निकाल कर मुझे दी और कहा कि इसको उसके लंड के मूह पर रखूं. मैं समझ गई कि जब उसका पानी निकलेगा तो सिर्फ़ रुमाल मे ही गिरेगा, कंबल खराब नही होगी क्यों कि वो तो रात को ओढनी थी. मैने उसकी रुमाल उसके लंड के मूह पर कवर की और उसको पकड़ कर फिर से मूठ मारने लगी. मैने उसको भी अपनी चूत मे ज़ोर ज़ोर से, स्पीड मे उंगली घुमाने को कहा. उसने ऐसा ही किया. मेरी चूत का दाना कड़क हो गया था और मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. मेरी गंद भी मज़े के मारे आगे पीछे होने लगी थी. वो समझ गया कि मैं झरने वाली हूँ, और वो जल्दी जल्दी मेरी चूत मे उंगली घुमाने लगा. मेरे बदन मे तनाव आने लगा और.....और मैं झार गई. मैने अपने दोनो पैर टाइट कर्लिये. उसकी उंगकी अभी भी मेरी चूत के अंदर थी. वो समझ गया था की मैं झर चुकी हूँ और शायद मेरी चूत के पानी से उसकी उंगली भी बहुत गीली हो चुकी थी. अब वो बहुत धीरे धीरे मेरी चूत मे अपनी उंगली घुमा रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. आज पहली बार मेरे प्रेमी ने मेरी चूत को हाथ लगाया था और मैने भी पहली बार उसका लंड पकड़ा था. मैं भी जल्दी जल्दी.... ज़ोर ज़ोर से उसके लंड पर मूठ मार रही थी उसके लंड को टाइट पकड़ कर. मैं भी उसके लंड से पानी निकाल कर उसको पूरा मज़ा देना चाहती थी. मैने महसूस किया की अब उसने मेरी झर चुकी चूत मे उंगली घुमाना बंद कर दिया है और उसकी आँखें फिर से बंद होने लगी थी. वो भी अपनी गंद को उपर करने लगा था. मैं समझ गई कि उसका भी होने वाला है. उसके लंड से पानी निकलने वाला है. मैं और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को हिलाती हुई मूठ मारने लगी. अचानक उसके लंड मे हुलचल हुई और उसके लंड से रस का फव्वारा निकला जो कि उसके लंड पर लपेटे हुए रुमाल मे आया. मैने मूठ मारना बंद कर दिया और उसके लंड को टाइट पकड़े रही. उसका लंड नाच नाच कर रस निकाल रहा था और मैने उस के चेहरे पर पूरा सॅटिस्फॅक्षन देखा.
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Post by rajsharma »

उस ने मुझे लंड पर से हाथ हटाने को कहा तो मैने उस के लंड को छ्चोड़ दिया और हाथ हटा लिया. अब वो अपना लंड कंबल के अंदर अपनी रुमाल से सॉफ करने लगा और मुझ से कहा कि वो बाथरूम जा रहा है लंड को पूरा सॉफ करने और रुमाल को बाहर फेंक ने.

खड़े होते हुए और कंबल हटाते वक़्त उस ने पूरा ध्यान रखा कि मेरी नंगी चुचियाँ किसी को नज़र ना आजाए. मेरी ज़िप भी खुली थी. उस ने अपने मुलायम लंड को फिर से अपनी चड्डी और जीन्स मे डाला और अपनी ज़िप बंद करते हुए बाथरूम की तरफ चला गया. उसके हाथ मे उसके अपने लंड रस से साना हुआ रुमाल था.

मैने अपनी हॅंड बॅग से टिश्यू पेपर निकाला और उस से अपनी चूत को सॉफ किया और अपनी जीन्स की ज़िप बंद कर ली. मैने अपनी चुचियों को भी अपनी ब्रा के कप मे फिट करके ब्रा का हुक बंद किया और मैं भी बाथरूम की तरफ गई.

मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला और रमेश बाहर आने ही वाला था कि मैने उसको फिर से बाथरूम के अंदर धक्का दिया और खुद भी बाथरूम के अंदर आ गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. अब हम दोनो अकेले, साथ मे बाथरूम के अंदर थे. मैने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर उस के होंठो पर किस किया और उसके कान मे बोली - " तुम अब अपनी सीट पर जाओ, मैं आती हूँ." वो बोला - " नही. एक बार और हो जाए बाथरूम मे?" मैने कहा - " नही. अभी नही. मैं तो कब से तुम को किस करना चाहती थी. इस लिए तुम्हारे पीछे पीछे यहाँ आई हूँ."

उस ने मेरे नीचे के होठ को अपने होठों के बीच लेकर चूसना शुरू किया और मेरे होंठो मे उसका उपर का होठ था जिस को मैं चूस रही थी. इस तरह हम ने एक लंबा चुंबन किया और वो अपनी सीट की तरफ चला गया. मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपनी जीन्स नीचे की, अपनी चड्डी नीचे की और टाय्लेट सीट पर बैठ कर मूतने लगी. फिर अपनी चूत को पानी से सॉफ करके टिश्यू पेपर से पोन्छा और मैं भी अपनी सीट पर आ गई.

तब तक रमेश ने बीच की सीट खोल दी थी और दोनो सीट्स पर बिस्तर भी लगा दिया था. वो मेरे कान मे धीरे से बोला - " जूली. हम एक ही सीट पर, एक ही कंबल के अंदर सो जातें है, किसी को पता नही चलेगा और अपना काम भी हो जाएगा."

मैने उसके गाल पर प्यार का एक थप्पड़ धीरे से मारा और कहा - " शैतान कहीं के. अब अच्छे बच्चे की तरह चुप चाप अपनी सीट पर सो जाओ."

वो मुश्कराया और बोला - " मैं भूका हूँ डार्लिंग और तुम मुझे पूरा खाना भी नही दे रही हो. ये अच्छी बात नही है. खैर कोई बात नही, मैं उस समय का वेट करूँगा जब तुम मुझे पेट भर के खिलाओगी."

और हम दोनो अपनी अपनी सीट पर सोने चले गये.

सुबह मुझे आंजेलीना ने बताया, जो कि उपर की बर्थ पर थी कि उसको सब पता है जो हम दोनो कंबल के अंदर कर रहे थे. उस ने बताया कि हालाँकि वो कुछ देख नही पाई क्यों कि एक तो रोशनी बहुत कम थी और दूसरे हम कंबल के अंदर थे, पर हिलती हुई कंबल से वो सब जान गई कि कंबल के अंदर क्या हो रहा था. उसने माना कि उस ने खुद अपनी चूत मे उंगली की थी हमारे सोने के बाद.

क्रमशः...................... Copyrighted.com Registered & Protected SFIA-SBWV-MUNJ-ICOW
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
Post Reply