परिवार हो तो ऐसा

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rajsharma
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Re: परिवार हो तो ऐसा

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परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--2

गतान्क से आगे........

"क्या तुम मेरी पॅंटी मे मूठ मार रहे थे?" प्रीति ने शिकायत करते हुए कहा.

"प्रीति प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना .. वो क्या था ना मेने तुम्हारी पॅंटी वो धोने वाले कपड़ों की बाल्टी मे पड़ी देखी तो पता नही मुझे क्या हो गया... " राज ने जवाब दिया.

"हे भगवान... मुझे अभी भी विश्वास नही हो रहा कि तुम ऐसा भी कर सकते हो... क्या मैं मा को बताउ ये बात?"

"नही प्लीज़ नही..." राज ने घबराते हुए कहा... "प्लीज़ मत कहना... इसके बदले मे मैं तुम्हारे हिस्से का सारा काम कर दूँगा.. या फिर तुम जो कहोगी मैं करूँगा.. लेकिन मम्मी से मत कहना... मैं प्रॉमिस करता हूँ कि में दुबारा ऐसा नही करूँगा."

"ठीक है फिर आज से दो हफ्ते तक मेरे हिस्से का काम तुम करोगे.."

"थॅंक्स प्रीति."

"रूको अभी... एक काम और है." प्रीति ने कहा. "अब क्या है?" "मुझे अपना लंड दीखाओ" "क्या...?" राज चौंक पड़ा.

"हां में देखना चाहती हूँ.. पॅंट के उपर से काफ़ी मोटा और लंबा दीखता है.. में देखना चाहती हूँ कि मेरे भाई का लंड सही मे दीखने मे कैसा है." प्रीति ने कहा.. वो मन ही मन खुश थी कि आज उसे मौका मिल गया था... आज वो पास से अपने भाई के लंड को देखेगी.. जिसके बारे मे सोचते हुए उसने कितने सपने देखे थे. राज ने अपनी जाँघ पर पड़े तकिये को हटा दिया.. उसका लंड उसकी जाँघो के साथ सटा हुआ था. लंड थोड़ा ढीला पड़ चुका था.... "वाउ" प्रीति के मुँह से निकला... वो आश्चर्य चकित नज़रों से उसे देखती रही और वो उसके नज़रों के सामने और लंबा और मोटा होता गया... फिर पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया... "मैं इसे च्छुना चाहती हू.." प्रीति ने कहा.. उसकी नज़रे अपने सामने खड़े लंड से हटाए नही हट रही थी.


राज प्रीति को कहता तो क्या कहता... उसे तो विश्वास नही हो रहा था कि वो इस तरह फँस जाएगा... वो लंड पकड़े पलंग पर बैठा था और उसकी बेहन की पॅंटी उसके पैरों मे पड़ी थी.....

प्रीति अपने भी के सामने नीचे बैठ गयी और उसके लंड को नीचे से पकड़ कर देखने लगी... 'ओह कितना मोटा है...मेरी तो मुट्ही मे भी नही आ रहा...' उसने अपने मन मे कहा... उसने अपनी उंगलियाँ उसके लंड के इर्द गिर्द कस ली..और उसे निहारने लगी.. "राज तुम्हे पता है... मेने आज तक इतना मोटा और लंबा लंड पहले कभी नही देखा... पॉर्न मूवीस मे भी नही.." प्रीति धीरे से फुस्फुसाइ..

"थॅंक्स प्रीति..." राज अपनी ही बेहन के मुँह से ये सुन शर्मा गया..

"राखी को तो चूसने मे और चुदवाने मे बहोत मज़ा आता होगा."

"उम्म्म आज तक उसने ऐसा कुछ किया ही नही....." राज ने जवाब दिया.

"मैं अभी तक कुँवारा हूँ."

"तुम झूठ बोल रहे हो ... मुझे विश्वास नही होता कि तुमने इस लंड से कभी किसी को नही चोदा है....मेरी सहेलियाँ तो इसे देख पागल हो जाएँगी.. " प्रीति ने कहा.

"मुझे लगता है कि राखी डरती है मुझसे... एक बार उसने इसे हाथों से भीच मुझे मुठिया था.. और कुछ नही बस हमेशा कहती थी कि मेने सब कुछ शादी के लिए बचा के रखा है... " राज ने कहा.

प्रीति अब उसके लंड को मसल उसकी चमड़ी उपर नीच कर रही थी... वो अस्चर्य्य से अपनी बेहन को अपने लंड को मसल्ते देख रहा था.

"में ये तो नही कहती कि उसका सोचना ग़लत है.. लेकिन हां वो बहोत ही प्यारी चीज़ से वंचित है... अगर तुम मेरे भाई नही होते तो में तुम्हे अभी अपना बॉय फ़्रेंड बना लेती.. आज तक मेने किसी से चुदवाया नही है.. लेकिन में जानती हूँ की इस घोड़े जैसे लंड से चुदवाने मे बहोत मज़ा आएगा.. बहोत ही खुशनसीब होगी वो जो इससे चुदेगि.."

प्रीति ने उसके लंड को मुठियाते हुए कहा.

"तुम भी कम सेक्सी नही हो.. अगर तुम मेरी बेहन नही होती तो तुम्हारे पीछे पीछे भागता अपनी गर्ल फ्रेंड बनाने के लिए और तुम्हारी ये प्यारी प्यारी चुचियों को बहोत प्यार करता.." राज ने उसकी चुचियों पर नज़र गढ़ाते हुए कहा.

प्रीति अपने भाई की बात सुनकर शर्मा गयी.. उसके निपल तन कर खड़े हो चुके थे... उसे इस खेल मे मज़ा आ रहा था उसने सोचा मेरा भैया है तो क्या हुआ क्यों ना इस खेल को थोडा और आगे बढ़ाए जाए.... "चलो तुम भी च्छू कर देख लो... अब तुमने मुझे छूने दिया तो में कैसे मना कर सकती हूँ... " प्रीति ने उसके लंड को छ्चोड़ा और अपना टॉप निकाल दिया... उसकी भारी चुचियाँ गुलाबी रंग के ब्रा मे क़ैद थी.... उसने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक खोल अपनी ब्रा निकाल दी... जैसे की कोई पंछी पिंजरे से आज़ाद होता है वैसे उसकी चुचियाँ फड़फदा कर आज़ाद हो गयी... राज की तो आँखे फटी की फटी रह गयी... जिन चुचियों को वो सपने मे देखता आया था आज वो उसके सामने थी... उसकी बेहन की चुचियाँ.. ओह्ह्ह कितनी प्यारी है... उसने अपने दोनो हाथ बढ़ा उन दो गोल नारंगियों पर रख दिए... कितनी मुलायम है... ठीक किसी मखमली गेंद की तरह... वो धीरे धीरे उन्हे भींचने लगा... उसने उसके खड़े निपल को पकड़ लिया और अपनी और खींचा... प्रीति कराह उठी...

राज का लगा कि प्रीति को दर्द हुआ है तो उसने अपनी नज़रे उपर उठा उसे देखा... पर प्रीति की आँखे बंद थी और वो उन्माद मे मुस्कुरा रही थी... वो और ज़ोर से भींचने लगा मसल्ने लगा... और प्रीति के होठों पर मुक्स्कुराहट और गहरी होती गयी..
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Re: परिवार हो तो ऐसा

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जब राज ने उसके निपल को पकड़ अपनी ओर खींचा था तो प्रीति लड़खड़ा कर उसकी गोद मे बैठ गयी थी.. उसने महसूस किया कि राज का खड़ा लंड स्कर्ट के उपर से उसकी गंद से टकरा रहा है... "हे भगवान अगर मेने पॅंटी नही पहनी हुई होती तो ज़रूर इसका लंड मेरी चूत पर ठोकर मार रहा होता" उसने सोचा.

प्रीति की चुचियाँ अब राज के चेहरे के सामने थी.. प्रीति ने देखा कि राज ने अपनी जीब बाहर निकाल ली थी और उसके निपल को सहला रही थी.. एक सरसरी सी उसके बदन मे दौड़ गयी और उसका बदन कांप उठा... उसके भाई ने उसकी चुचियों पर अपनी जीब फिराई थी और उसे बहोत अछा लगा था...

उत्तेजना मे राज अपना मुँह खोल उसके निपल को मुँह मे भर चूसने लगा... एक गहरी सांस लेकर वो उसकी चुचि को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह मे भर चूस रहा था... प्रीति उसकी गोद मे बैठी सिसक रही थी.. उन्माद मे उसके मुँह से अया.. आअहह निकल रहा था... उसने अपना हाथ नीचे किया और उसके खड़े लंड को पकड़ लिया... राज भी सिसकने लगा.. दोनो को इस खेल मे मज़ा आ रहा था.

अचानक प्रीति राज की गोद से खड़ी हो गयी.. "अब मेरे लिए अपने लंड का पानी छुड़ा कर दीखाओ." प्रीति ने कहा.

"नही प्रीति हमे ये सब नही करना चाहिए.. हम पहले ही काफ़ी कुछ कर चुके है जो हमे नही करना चाहिए था.." राज ने उसे समझाते हुए कहा..

"ओह्ह्ह राज अब मान भी जाओ ना... में जानती हूँ की तुम मेरे जाते ही अपना लंड मुठीयकर पानी छोड़ोगे.. " प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा.

"अछा बाबा.. मान लेता हूँ.. लेकिन इससे मुझे क्या मिलेगा. " राज ने शैतानी मे कहा.

"मिल तो रहा है तुम्हे भी.. में मम्मी से नही कहूँगी कि तुम मेरी पॅंटी अपने लंड पर लापेट मूठ मार रहे थे.. और हो सकता है कि तुम्हे दुबारा मेरी चुचियों को चूसने का मौका मिल जाए.. " प्रीति ने जवाब दिया.

प्रीति की बात सुनकर राज की आँखों मे चमक आ गयी.. "एक शर्त पर में मूठ मारूँगा अगर तुम मुझे अपना पानी तुम्हारी चुचियों पर छुड़ाने दोगि तब.."

थोड़ी देर सोच कर प्रीति ने अपने भाई की बात मान ली. वो उसके सामने नीचे बैठ गयी... और ज़मीन पर से अपनी पॅंटी उठा उसे पकड़ा डी.

राज ने उसके हाथों से पॅंटी लेकर उसे अपने लंड पर लपेट ली और अपने लंड को मुठियाने लगा... प्रीति अपनी चुचियों को हाथों मे पकड़ अपने भाई के सामने मसल्ने लगी.. वो देख रही थी कि किस तरह उसकी पॅंटी को लपेटे राज मूठ मार रहा था... राज मूठ मारता रहा और उसका लंड पानी छोड़ने को तय्यार हो गया.. उसने अपने लंड को प्रीति की चुचियों की ठीक सीध मे कर दिया... एक पिचकारी चूत कर प्रीति की दाईं चुचि पर गीरी फिर दूसरी उसकी बाईं चुचि पर उसने लंड को थोड़ा उठा दिया तो तीसरी उसकी बेहन के गालों पर गीरी...


"बहुत बदमाश हो तुम" प्रीति उसके हाथों से पॅंटी लेकर अपने गालो पर लगे वीर्य को सॉफ करने लगी..

"थॅंक्स भाई" कहकर प्रीति ने अपना टॉप ब्रा और पॅंटी उठाई और कमरे से बाहर जाने लगी... उसने मूड कर देखा राज पलंग पर वैसे ही बैठा था.. उसका वीर्य उसकी चुचियों से नीचे की ओर बह रहा था..

"शायद हम फिरसे ये सब करेंगे.. मुझे मज़ा आ गया.." कहकर वो हंसते हुए अपने कमरे की ओर भाग गयी.. जिससे की उसके माता पिता आने से पहले वो सफाई कर तय्यार हो जाए..

दूसरे दिन राज फिर पुरानी बाल्टी मे अपनी बेहन की पॅंटी ढूंड रहा था.. वो कल की घटना को याद कर रहा था जब उसकी बेहन ने उसे लंड का पानी अपनी चुचियो पर छोड़ने दिया था.. ज़रूर वो भी उत्तेजित होगी नही तो मुझे ऐसा करने नही देती.. और अगर उत्तेजित थी तो उत्तेजना के निशान उसकी पॅंटी पर ज़रूर होंगे जो उसने कल पहन रखी थी.. वो उसी पॅंटी को ढूंड रहा था.

तभी उसे एक आसमानी रंग की पॅंटी दीखाई पड़ी.. उसे यकीन था कि ये पॅंटी कल इस बाल्टी मे नही थी.. उसने मुस्कुराते हुए वो पॅंटी अपनी जेब मे रख ली... और अपने कमरे मे आ गया...

कमरे मे आकर उसने फिर वीडियो कॅमरा निकाल लिया.. आज फिर उसने फिल्म उतारी थी पहले की तरह... वीडियो देखते हुए वो अपनी बेहन की पॅंटी को सूंघटा रहा और अपने लंड को पॅंट से आज़ाद कर दिया जो तन कर पूरी तरह खड़ा हो चुका था.

वो याद करने लगा कि किस तरह प्रीति ने किस तरह उसके लंड को पकड़ा था.. किस तरह उसके लंड को मसला था.. और उसका मुँह उसके लंड के कीतने करीब था.. काश वो उसके लंड को भी वैसे ही चूस्ति जैसे कि उसने अपने बॉय फ़्रेंड गौरव का लंड चूसा था... वो उसकी पॅंटी को अपने लंड पर लपेट ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और उसके लंड ने पॅंटी मे अपना पानी छोड़ दिया.

आज प्रीति कॉलेज से जल्दी घर आ गयी.. उसने देखा कि राज हॉल मे सोफे पर बैठा टीवी देख रहा है.. राज को देखते ही उसका दिल मचलने लगा.. उसका दिल करने लगा कि राज आज फिर उसकी चुचियों को चूसे.. वो आकर राज के बगल मे बैठ गयी और उसे ललचाई नज़रों से देखने लगी..

राज की समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे... उसने प्रीति की आँखों मे छुपी वासना को पहचान लिया था.. उत्तेजना मे बहक एक बार उसने उसके साथ जो किया इस पर वो अपने आपसे शर्मिंदा था.. आख़िर प्रीति उसकी बेहन थी...

"प्रीति मुझे लगता है कि जो कुछ हमने कल किया वो हमे दुबारा नही करना चाहिए" राज ने कहा.

प्रीति हैरत भरी नज़रों से अपने भाई को देखने लगी.. "क्या कह रहे हो? मुझे तो लगा था कि तुम्हे काफ़ी मज़ा आया था?" प्रीति ने पुचछा.

"हां मज़ा तो बहोत आया था लेकिन तुम मेरी बेहन हो और हमारे बीच ये सब ठीक नही है." राज ने जवाब दिया.

"तो क्या इसी लिए अपना खड़ा लंड लिए यहाँ बैठो हो?" प्रीति ने उसे पूछा और उसके लंड को उसकी जीन्स के उपर से पकड़ लिया..
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Re: परिवार हो तो ऐसा

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"देखो प्रीति सवाल ये नही है कि मुझे अछा लगता है कि नही... बस हमारे बीच ये सही नही है." राज ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा.

"लेकिन में इसे दूसरे ढंग से सोचती हूँ, " प्रीति ने जवाब दिया, "ना तो में तुमसे शादी करने वाली हूँ ना ही तुम्हारे बच्चे पैदा करना चाहती हूँ... मेने तुम्हारे जैसा मोटा और लंबा लंड नही देखा और जब तक कि मुझे तुम्हारे जैसा दूसरा लंड नही मिल जाता में तुम्हे अपने हाथ से जाने नही दूँगी.."

"लेकिन फिर भी में यही कहूँगा कि मुझे नही लगता कि हमारे बीच दुबारा ये सब होगा." राज ने कहा.

"तुम्हे लगता है.. अरे तुम्हे खुद को पता नही कि होगा कि नही.." प्रीति ने उसे चिढ़ाते हुए अपनी दो उंगलियाँ अपने मुँह मे ली और उन्हे चूसने लगी.. "अगर में ये कहूँ कि में तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ तो?

राज उठ कर जाना चाहता था कि प्रीति की बात सुनकर रुक गया, और प्रीति हँसने लगी, "देखा इसी बात पर रुक गये ना?"

"क्या कहा तुमने.. तुम मेरा लंड चूसना चाहती हो?" राज ने पूछा.

"हां और क्या.. अरे इस घोड़े जैसे लंड को कौन चूसना नही चाहेगा..हां लेकिन तुम्हे मेरे लिए भी कुछ करना होगा."

"हुम्म"

"हां सीधी सी बात है.. में तुम्हारा लंड चूस चूस कर तुम्हारा पानी छुड़ा दूँगी और बदले में तुम मेरी चूत चूस कर मुझे झाड़ा देना." प्रीति ने कहा.

राज सोचने लगा... उसने कभी जिंदगी मे कभी किसी लड़की की चूत नही चूसी थी और अगर वो ठीक ढंग से अपनी बेहन की चूत चूस उसे खुश ना कर पाया तो वो उस पर हँसेगी.. इसलिए उसने उससे सच कहना ही उचित समझा, "ऐसा है प्रीति मेने पहले कभी ये किया नही है.. मेने सिर्फ़ कीताबों मे पढ़ा और देखा है... लेकिन मे कोशिश करना चाहता हूँ." राज ने कहा.

"वैसे आज तक मेरी चूत भी किसी ने नही चूसी है.. इसलिए क्यों ना हम दोनो ये नया अनुभव साथ साथ ले.. कुछ सीखने को ही मिलेगा." प्रीति बोली.

"ठीक है... कहाँ करना चाहोगी?" राज ने पूछा.

"मेरे कमरे मे" प्रीति ने जवाब दिया. और उठ कर अपने कमरे मे जाने लगी.. राज भी उसके पीछे पीछे चल दिया... उसका लंड जीन्स के अंदर बुरी तरह मचल रहा था.

जब दोनो प्रीति के कमरे मे पहुँचे तो प्रीति ने उसे कपड़े उतारने को कहा... राज ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गया... उसे डर था कि कहीं उसकी बेहन का इरादा ना बदल जाए...

प्रीति ने अपने भाई एक विशाल लंड को देखा और उछल कर बिस्तर पर उसकी टाँगो के बीच आ गयी... उसने उसके लंड को अपने हाथों मे लिया फिर अपनी जीब उसके सूपदे पर फिराने लगी.. लंड उसके कोमल हाथों मे फड़फदा रहा था.. वो अपनी जीब उसके चारों ओर फिराने लगी...


राज के मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी.. उसने नज़रे नीचे कर देखा कि उसकी बेहन अपने मुँह को खोल उसके लंड को अंदर ले रही है...पहले उसने उसके सूपदे को मुँह मे भर चूसा फिर पूरे लंड को अंदर ले चूसने लगी... राज के बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी..

प्रीति अपना पूरा मुँह खोल उसके लंड को अंदर तक लेने की कोशिश कर रही थी. लेकिन राज का लंड इतना मोटा और लंबा था कि उसके मुँह मे आधा लंड ही समा पाया.. उसने बाकी बचे लंड को अपनी मुट्ठी मे भींच लिया और अपने मुँह को उपर नीचे कर चूसने लगी.. अपने थूक से लंड को चिकना कर वो उसे चूस रही थी.. राज सिसक रहा था

"ओःःः हाआँ चूवसो मेरी बेहन श कितना अच्छा लग रहा है... आज तक

किसी ने मेरा लंड नही चूसा ऑश.. तुम्हारा मुँह कितना कोमल है.."

"हे भगवान राज! मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा कि तुम्हारा लंड इतना मोटा और लंबा है.. मेरे तो मुँह भी नही आ रहा " प्रीति ने राज से कहा, "और मुझे नही लगता कि कोई लड़की इतने विशाल लंड को पूरा अपने मुँह मे ले सकेगी." कहकर वो एक बार फिर उसके लंड को चूसने लगी.

राज के लंड की नसें तनने लगी थी.. वो पूरे उबाल पर था.. उसने उसके सिर को पकड़ा और अपने लंड को और अंदर थेल्ते हुए अपने वीर्य की पिचकारी उसके मुँह मे छोड़ दी..

जब राज का वीर्य उसके गले से टकराया तो प्रीति चौंक पड़ी.. उसका पूरा मुँह उसके वीर्य से भर गया... थोड़ा वीर्य उसके होठों के किनारे से छूकर उसकी तोड़ी को भीगोने लगा... राज ने अपना लंड उसके मुँह से निकाला तो दूसरी पिचकारी उसके चेहरे पर छूटी... तीसरी उसके गालों पर..

राज भी एक बार तो घबरा गया... "तुम ठीक तो हो?" उसने पूछा.

"हां वैसे तो ठीक हूँ... मुझे नही मालूम था कि तुम्हारा लंड इस कदर पानी छोड़ेगा... बस थोड़ा चौक गयी थी.." उसने कहा, "ठीक है अब मुझे बाथरूम जाकर इसे सॉफ करने दो फिर तुम मेरी चूत चूसना" वो बाथरूम मे भाग गयी.. उसने अपने आपको सॉफ किया और वापस अपने कमरे मे आ गयी.

कमरे मे आते हुए उसने अपनी जीन्स उतारी और साथ ही पॅंटी को भी उतार दिया.. वो उछल कर बिस्तर पर लेट गयी और अपनी टाँगो को पूरी तरह फैला दिया..
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Re: परिवार हो तो ऐसा

Post by rajsharma »

राज उसकी टाँगो के बीच आया और अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराने लगा.... एक सनसनी सी मच गयी प्रीति के शरीर मे.. उसकी चूत की पंखुड़ीयाँ फड़फड़ने लगी... राज ने अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर डाली और उसे उसके रस मे भीगो अपने मुँह मे ले चूसने लगा..

जब प्रीति ने देखा की उसका भाई क्या कर रहा है तो उसने पूछा. "अछा लग रहा है क्या?"

"इतना बुरा भी नही है." राज ने जवाब दिया और उसकी टाँगो के बीच झुक अपनी जीब उसकी चूत पर रख दी..

प्रीति ने अपना हाथ नीचे किया और अपनी उंगली को भी अपने ही रस से भीगो उसका स्वाद चखने लगी..

राज ने उसकी चूत को अपने हाथों से फैलाया और अपनी जीब उसके अंदर डाल गोल गोल घुमा कर चाटने लगा... वो उसकी चूत के हर हिस्से को बड़े प्यार से चाट रहा था... प्रीति की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और राज चटकारे ले लेकर चाट रहा था...

प्रीति ने खुद अपने हाथों से अपनी चूत को और फैला कर चौड़ा कर दिया.. "हां अब अंदर तक जीब डाल कर चॅटो.. हां चारों तरफ चॅटो मेरी चूत को ऑश हां ."

जैसा प्रीति कहती गयी वो करता रहा.. प्रीति कहती कि उसे क्या अच्च्छा लग रहा है वो वैसे ही चाटने और चूसने लगता.. प्रीति की चूत और गरमा कर झड़ने के करीब आ चुकी थी.. वो सिसक रही थी..

"हाई भगवान..... हां.. यहीं..डालो अपनी जीब को ..हां और ज़ोर ज़ोर से चूसो..ऑश और ज़ोर से.. . " वो ज़ोर से चिल्लाई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..

प्रीति ने अपने भाई को अपनी चूत से अलग किया और उसे थॅंक्स कहा. उसने कहा कि आज पहली बार चूत चूस्वाकार उसे मज़ा आ गया.. उसने कहा कि वो गौरव को भी इस तरह चूत चूसने के लिए कहेगी...

जब राज जाने लगा तो प्रीति ने उसे ज़मीन पर पड़ी अपनी पॅंटी और जीन्स देने के लिए कहा... जिसे राज ने उठा कर उसकी तरफ उछाल दिया..

प्रीति ने पॅंटी पहन ली और उसे उपर तक चढ़ा ली जिससे उसकी चूत पॅंटी से चिपक सी गयी.. फिर वो अपनी चूत को पकड़ मसल्ने लगी.... ये सब देख राज का लंड फिर खड़ा होने लगा... प्रीति ने अब एक उंगली अपनी चूत मे घुसा दी थी..

राज ने अपने लंड को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मुठियाने लगा... प्रीति उसे देख मुस्कुराती रही... फिर उसने अपनी पॅंटी निकाल कर राज की तरफ उछाल दी...

"ये लो तुम्हे मेरी पॅंटी लपेट मूठ मारने मे मज़ा आता है ना तो लो इसे और खेलो अपने आप से... लेकिन आज इसमे पानी मत छोड़ना शायद रात को एक बार फिर तुम्हारे लंड का स्वाद चखने मे आ जाउ... " प्रीति ने कहा.

क्रमशः.......
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Re: परिवार हो तो ऐसा

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PARIVAR HO TO AISA - paart--2

gataank se aage........

"Kya tum meri panty me muth mar rahe the?" Preeeti ne shikayat karte hue kaha.

"Preeti please mujhe maaf kar dena .. wo kya tha na meine tumhari panty wo dhone wale kapdon ki balti me padi dekhi to pata nahi mujhe kya ho gaya... " Raj ne jawab diya.

"Hey bhagwan... mujhe abhi bhi vishwas nahi ho raha ki tum aisa bhi kar sakte ho... kya mein maa ko bataun ye bat?"

"Nahi please nahi..." Raj ne ghabrate hue kaha... "please mat kehna... iske badle me mein tumhare hisse ka s ara kaam kar doonga.. ya phir tum jo kahogi mein karunga.. lekin mummy se mat kehna... mein promise karta hun ki mein doobara aisa nahi karoonga."

"Theek hai phir aaj se do hafte tak mere hisse ka kaam tum karoge.."

"Thanks Preeti."

"Ruko abhi... ek kaam aur hai." Preeti ne kaha. "Ab kya hai?" "Mujhe apna lund deekhao" "Kya...?" Raj chaunk pada.

"Haan mein dekhna chahti hoon.. pant ke upar se kafi mota aur lamba deekhta hai.. mein dekhna chahti hoon ki mere bhai ka l und sahi me deekhne me kaisa hai." Preeti ne kaha.. wo man hi man khush thi ki aaj use mauka mil gaya tha... aaj wo paas se apne bhai ke lund ko dekhegi.. jiske bare me sochte hue usne kitne sapne dekhe the. Raj ne apni jangh par pade takiye ko hata diya.. uska lund uski jnaghon ke sath sata hua tha. Lund thoda dheela pad chuka tha.... "Wow" Preeti ke munh se nikala... wo aaksrshit nazron se use dekhti rahi aur wo uske nazron ke samne aur lamba aur mota hota gaya... phir puri tarah tan kar khada ho gaya... "Mein ise chhuna chahti hooon.." Preeti ne kaha.. uski nazre apne samne kahde lund se hataye nahi hat rahi thi.


Raj Preeti ko kehta to kya kehta... use to vishwas nahi ho raha tha ki wo is tarah fans jayega... wo lund pakde palang par baitha tha aur uski behan ki panty uske pairon me padi thi.....

Preeti apne bahi ke samne neeche baith gayi aur uske lund ko neeche se pakad kar dekhne lagi... 'oh kitna mota hai...meri to muthhi me bhi nahi aa raha...' usne apne man me kaha... usne apni ungliyan uske lund ke ird gird kas lee..aur use niharne lagi.. "Raj tumhe pata hai... meine aaj tak itna mota aur lamba lund pehle kabhi nahi dekha... porn movies me bhi nahi.." Preeti dheere se phusphusai..

"Thanks Preeti..." Raj apni hi behan ke munh se ye sun sharma gaya..

"Rakhi ko to choosne me aur chudwane me bahot mazaa aata hoga."

"Ummm aaj tuak usne aisa kuch kiya hi nahi....." Raj ne jawab diya.

"Mein abhi tak kunwara hun."

"Tum jhooth bol rahe ho ... mujhe vishwas nahi hota ki tumne is lund se kabhi kisi ko nahi choda hai....meri saheliyan to ise dekh pagal ho jayengi.. " Preeti ne kaha.

"Mujhe lagta hai ki Rakhi darti hai mujhse... ek bar usne ise hathon se bheech mujhe muthiya tha.. ur kuch nahi bas hamesha kehti hi ki meine sab kuch shaadi ke liye bacha ke rakha hai... " Raj ne kaha.

Preeti ab uske lund ko masal uski chamdi upar neech kar rahi thi... wo ascharya se apni behan ko apne lund ko masalte dekh raha tha.

"Mein ye to nahi kehti ki uska sochna galat hai.. lekin haan wo bahot hi pyaari cheez se vanchit hai... agar tum mere bhai nahi hote to mein tumhe abhi apna boy freind bana leti.. aaj tak meine kisi se chudwaya nahi hai.. lekin mein janti hoon ki is ghode jaise lund se chudwane me bahot mazaa aayega.. bahot hi khushnaseeb hogi wo jo isse chudwaigi.."

Preeti ne uske lund ko muthiyate hue kaha.

"Tum bhi kam sexy nahi ho.. agar tum meri behan nahi hoti to tumhare peeche peeche bhagta apni girl friend banane ke liye aur tumhari ye pyaari pyaari chuchiyon ko bahot pyaar karta.." Raj ne uski chuchiyon par nazar gadate hue kaha.

Preeti apne bhai ki baat sunkar sharma gayi.. uske nipple tan kar khade ho chuke the... use is khel me mazaa aa raha tha usne socha mera bhaia hai to kya hua kyon na is khel ko thoda aur aage badhaye jaye.... "Chalo tum bhi chhu kar dekh lo... ab tumne mujhe chune diya to mein kaise mana kar sakti hoon... " Preeti ne uske lund ko chhoda aur apna top nikal diya... uski bhari chuchiyan gulabi rang ke bra me kaid thi.... usne apna hath peeche kiya aur bra ka hook khol apni bra nikal di... jaise ki koi panchi pinjre se azaad hota hai waise uski chuchiyan fadfada kar azaad ho gayi... Raj ki to aankhe fati ki fati reh gayi... jin chuchiyon ko wo sapne me dekhta aaya tha aaj wo uske samne thi... uski behan ki chuchiyan.. ohhh kitni pyari hai... usne apne dono hath badha un do gol narangiyon par rakh diya... kitni mulayam hai... theek kisi makhmali gend ki tarah... wo dheere dheere unhe bheenchne laga... usne uske khade nipple ko pakad liya aur apni aur kheencha... Preeti karah uthi...

Raj ka laga ki Preeti ko dard hua hai to usne apni nazre upar utha use dekha... par Preeti ki aankhe band thi aur wo unmad me muskura rahi thi... wo aur jor se bheenchne laga masalne laga... aur Preeti ke hothon par mukskurahat aur gehri hoti gayi..

Jab Raj ne uske nipple ko pakad apni aur kheencha tha to Preeti ladkhada kar uski god me baith gayi thi.. usne mehsus kiya ki Raj ka khada lund skirt ke upar se uski gand se takra raha hai... "hey bhagwan agar meine panty nahi pehni hui hoti to jaroor iska lund meri choot par thokar mar raha hota" usne socha.

Preeti ki chuchiyan ab Raj ke chehre ke samne thi.. Preeti ne dekha ki Raj ne apni jeeb bahar nikal lee thi aur uske nipple ko sehla rahi thi.. ek sarsari si uske badan me daud gayi aur uska badan kanp utha... uske bhai ne uski chuchiyon par apni jeeb firayi thi aur use bahot acha laga tha...

Uttejna me Raj ne apna munh khol uske nipple ko munh me bhar choosne laga... ek gehri sans lekar wo uski chuchi ko jyada se jyada apne munh me bhar choos raha tha... Preeti uski god me baithi sisak rahi thi.. unmad me uske munh se aaah.. aaahh nikal raha tha... usne apna hath neeche kiya aur uske khade lund ko pakad liya... Raj bhi sisakne laga.. dono ko is khel me mazaa aa raha tha.

Achanak Preeti Raj ki god se khadi ho gayi.. "ab mere liye apne lund ka pani chhuda kar deekhao." Preeti ne kaha.

"Nahi Preeti hame ye sab nahi karna chahiye.. hum pehle hi kafi kuch kar chuke hai jo hame nahi karna chahiye tha.." Raj ne use samjhate hue kaha..

"Ohhh Raj ab man bhi jao na... mein janti hoon ki tum mere jaate hi apna lund muthiyakar pani chodoge.. " Preeti ne muskurate hue kaha.

"Achaa baba.. man leta hoon.. lekin isse mujhe kya milega. " Raj ne shaitani me kaha.

"Mil to raha hai tumhe bhi.. mein mummy se nahi kahungi ki tum meri panty apne lund par lapate muth mar rahe the.. aur ho sakta hai ki tumhe doobara meri chuchiyon ko choosne ka mauka mil jaye.. " Preeti ne jawab diya.

Preeti ki baat sunkar Raj ki aankhon me chamak aa gayi.. "ek shart par mein muth maroonga agar tum mujhe apna pani tumhari chuchiyon par chudane dogi tab.."

Thodi der soch kar Preeti ne apne bhai ki baat man lee. Wo uske samne neeche baith gayi... aur jameen par se apni panty utha use pakda dee.

Raj ne uske hathon se panty lekar use apne lund par lapet lee aur apne lund ko muthiyane laga... Preeti apni chuchiyon ko hathon me pakad apne bhai ke samne masalne lagi.. wo dekh rahi thi ki kis tarah uski panty ko lapete Raj muth mar raha tha... Raj muth marta raha aur uska lund pani chodne ko tayyar ho gaya.. usne apne lund ko Preeti ki chuchiyon ki theek seedh me kar diya... ek pichkari choot kar Preeti ki dayin chuchi par geeri fir doosri uski bayin chuchi par usne lund ko thoda utha diya to teesri uski behan ke galon par geeri...
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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