मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानीcompleet

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rajsharma
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

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गतान्क से आगे.....................

मे बाबू जी की आँखों मे देख रही थी. बाबू जी ने मेरी आँखों को देखते हुए अपनी कमर को नीचे की तरफ धकेला. बाबू जी के लंड का सुपाड़ा एक ही बार मे मेरी चूत की दीवारों को फेलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर घुस्स गया. टाँगें कंधों के ऊपेर होने के कारण इस बार पूरा का पूरा लंड अंदर घुस्स चुका था. और बदन मे दर्द की लहर दौड़ गयी. इस पोज़िशन मे बाबू जी का लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया था. और मेरी बच्चे दानी के मुँह को बाबू जी के लंड का सुपाडे ने दबा दिया था.

मे: अहह बाबू जीईए दर्द हूऊ रहा हाईईइ धीरीईए.

अभी: कोई बात नही मेरे रानी. थोड़ी देर मे तेरा दर्द ठीक हो जाएगा.

और बाबू जी ने तेज़ी से अपनी कमर को हिलाते हुए मेरी चूत को अपने लंड से चोदना चालू कर दिया. लंड बार-2 बाहर निकल कर अंदर जाता और मेरी बच्चेदानी के मुँह पर चोट करता. मे मस्ती मे एक दम से चोदु हो गयी. और बाबू जी के लंड पर अपनी गांद को ऊपेर की तरफ पटककने लगी.

जैसे ही बाबू जी का लंड मेरी चूत के गहराईयो मे उतरता. बाबू जी की जांघे मेरे चुतड़ों पर टकरा जाती. और ठप-2 की आवाज़ करने लग जाती. मे चुदाई के दौरान नयी -2 आवाज़ों को सुन कर शर्मा जाती. बाबू जी की जांघे मेरी गांद पर चोट कर रही थी. जैसे कोई मेरी गांद पर थप्पड़ मार रहा हो.

बाबू जी अब पूरे जोश मे आकर तेज़ी से धक्के लगा रहा थे. लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. जिसके कारण बेड भी छुन चूं की आवाज़ करते हुए हिल रहा था.

मे; अहह बाबू जीई चोदो मेरीए भोसदिईई कूऊव अहह बाबू जीईए कस कस के चोदो और जोर्र्र्ररर से बाबू जीईए. और जोर्र सीईए आह मेरीए चूत्त्त का भोसड़ा बना दो ह बाबू जीईई

फिर बाबू जी ने मेरी टाँगों को अपने कंधों से नीचे उतार दिया. और मुझे उल्टा कर दिया. मे अब बाबू जी के सामने अपने दोनो हाथों और घुटनो के बल थी. बाबू जी ने एक हाथ से मेरे चुतड़ों को फैला कर मेरी चूत के छेद पर अपने लंड के सुपाडे को टिका दिया. जब-2 बाबू जी के लंड का गरम सुपाड़ा मेरी चूत पर लगता मेरे मुँह से आह निकल जाती. और मुझे सुख की अनुभूती होती.

लंड के सुपाडे को चूत पर टिकाने के बाद बाबू जी ने मेरे चुतड़ों को कस के पकड़ लिया. और एक ज़बरदस्त धक्का मारा. लंड का सुपाड़ा फिर से मेरी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर घुस्स गया. और मेरे मुँह से आहह निकल गयी.

इससे पहले कि मुझे साँस लेने का मोका मिलता. बाबू जी ने ताबडतोड़ धक्को के साथ अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत मे उतार दिया.. और मेरे चुतड़ों को दोनो तरफ फैला कर अपनी कमर हिला -2 कर मेरी चूत मे अपना मुन्सल सा लंड अंदर बाहर करने लगे. रूम मे फिर से ठप-2 और मेरी कामुक सिसकारियो की आवाज़े गूंजने लगी.

मे: ( अपनी चूत को पीछे की तरफ बाबू जी के लंड पर पटक-2 कर मारते हुए) आ आह आ ओह ओह्ह्ह बाबू जीईईई बड़ाा मज्जा एयेए रहा हाईईईई. और्र्रर ज़ोर सीए चोदो. ह बाबू जीई आपकाा लौदााअ बड़ा मोटाआ हाई. मेरीए चूत्त्त फॅट गयी ओह बाबू जीईई और तेज़ी सीए पेलूऊ ना.

बाबू जी ने धक्के लगाने बंद कर दिए थे. और बस मेरे चुतड़ों को दोबच-2 कर मसल रहे थे. और मे अपनी चूत को पीछे की ओर पटक-2 कर बाबू जी के लंड को अपनी चूत मे लेकर चुदवा रही थी. मे फिर से झड़ने के करीब थी.

मे: ह बाबू जीईई रुक क्योंन्नणणन् गयी अहह चोदो नाअ मेन्णन्न् झदें वाली हुन्न्ञणणन् अहह बाबू जीई पेलोन्न्न अहह क्यों रुकीए हू

बाबू जी मेरी बातों को सुन कर जोश मे आ गये. और मेरी कमर को पकड़ कर ज़बरदस्त झटके मारने लगे. बाबू जी के मोटे लंड ने मेरी चूत की दीवारों को हिला कर रख दिया था. और कुछ ही धक्को मे मेरी चूत ने अपना पानी उगलना चालू कर दिया.

फिर बाबू जी ने एक ज़ोर दार धक्का मारा. बाबू जी के लंड का मोटा सुपाड़ा मेरी बच्चे दानी के मुँह पर जाकर सॅट गया.

और बाबूजी जी के लंड के सुपाडे से गरम-2 वीर्ये की पिचकारिया निकलने लगी. और मेरी बच्चेदानी को भरने लगी. बाबू जी के गरम वीर्ये को अपनी बच्चेदानी मे भरता हुआ महसूस करके मे सन्तुस्त हो गयी. थोड़ी देर ऐसे ही बाबू जी ने अपने लंड को डाले रखा. जैसे ही बाबू जी का लंड थोड़ा डीला पड़ा. बाबू जी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया. और बेड पर पीठ के बल लेटते हुए तेज़ी से साँसे लेने लगी.

मे इस ज़बरदस्त चुदाई से बहुत थक गयी. तो और मुस्किल से दो घंटे ही सो पाई थी. मेने अपने दोनो के ऊपेर रज़ाई को खींचा. और बाबू जी के साथ सॅट कर उनकी तरफ करवट करके लेट गयी. मे प्यार से बाबू जी के चेस्ट के बालों मे अपनी उंगलयों को घुमाने लगी. फिर मुझे पता नही कब नींद आ गयी
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Post by rajsharma »

अब आगे के स्टोरी रचना की ज़ुबानी फिर से शुरू होती है.

मे रात भर अपनी बेटी नेहा की चुदाई का खेल देख-2 कर गरम होती रही. और अपनी चूत की आग को अपनी उंगली करके ठंडा करने की कोशिस करती रही. पर कहाँ बाबू जी का 8 इंच का लौदा और कहाँ मेरी पतली सी छोटी सी उंगली. मे सारी रात तड़पति रही. सुबह के 3 बजे मे सो गयी.

अगली सुबह मे 10 बजे तक सोती रही . जब मेरी नींद खुली. तो मेने अपने आस पास देखा. मे अभी के साथ वाले रूम मे थी. मेरी सलवार बेड के नीचे फर्श पर गिरी हुई थी. और पॅंटी बेड के एक कोने मे. सुबह मुझे यकीन नही हो रहा था. कि नेहा की बाबू जी ने इतनी जबरदस्त चुदाई की है. मे वैसे ही बेड पर खड़ी हो गयी. और उसे छेद मे से झाँकने लगी.

नेहा बाबू जी के साथ चिपकी हुई सो रही थी. मे सुबह-2 गरम हो कर अपना मूड खराब नही करना चाहती थी. मेने अपनी पॅंटी उठाई और पहन कर बेड से नीचे उतर कर अपनी फर्श पर पड़ी सलवार को उठा कर पहनने लगी.

सलवार पहन कर मे बाहर आ कर बाथरूम चली गयी. फ्रेश होने के बाद मे नहाने लगी. और नहा कर किचन मे आ गयी. टाइम काफ़ी हो गया था. इसलिए सोचा पहले नाश्ता बना लूँ. फिर चाइ बना कर बाबू जी और नेहा को उठाती हूँ.

मे नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाते समय भी मेरे दिमाग़ मे रात को हुई नेहा की चुदाई के सीन ही नज़र आ रहे थे. ना चाहते हुए भी मेरी चूत मे खुजली होने लगी. पर फिर मेने अपने सर को झटका और नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाने के बाद मेने चाइ बना कर कप्स मे डाली और अभी के रूम के तरफ गयी. रूम के डोर के पास पहुच कर मेने डोर क्नॉक किया. मुझे पता था. कि नेहा और अभी दोनो अंदर नंगें है. और उन्हें डोर खोलने मे टाइम लगेगा. कुछ मिनिट बाद मेने फिर से डोर नॉक किया

और थोड़ी देर बाद नेहा ने डोर खोला. नेहा के बॉल बिखरे हुए थे. और उसके होंटो पर दाँतों से काटने के निशान भी थे. मुझे नेहा की हालत पर थोड़ा सा तरस आ गया. मेने नेहा के गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला.

मे: उठ गयी बेटा.

नेहा: जी माँ.

मे: जा बातरूम हो आ. और फ्रेश हो जा. मेने चाइ बना दी है. और नाश्ता भी पहले नहा ले. फिर मे तुझे चाइ नाश्ता देती हूँ.

नेहा: (मुझसे नज़रें मिलाए बिना) ठीक है मा.

और नेहा बाथरूम मे चली गयी. और मे रूम मे अंदर चली गयी. अभी रज़ाई ओढ़ बेड के रेस्ट सीट से पीठ टिका कर बैठा हुआ था. मुझे देखते ही उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी. और मे भी शर्मा कर मसूकुराने लगी.

मेने चाइ की ट्रे को टेबल पर रखा. और अभी के पास जाकर बेड पर बैठ गयी.

अभी: क्यों देखा कैसे नेहा मेरे लंड पर अपनी चूत पटक रही थी. क्यों मज्जा आया.

मे: (उदास सा मुँह बनाते हुए) किया बाबू जी कहाँ मज़ा आया. इधर आप और नेहा चुदने का मज्जा ले रही थी. उधर मे अपनी चूत मे उंगली ले कर चूत की आग बुझाने की कॉसिश कर रही थी.

अभी: अर्रे मेरी रानी नाराज़ क्यों हो रही हूँ. मे तुम दोनो की चूत के खुजली मिताउन्गा ना. अब आगे देखना नेहा और तुम दोनो दिन भर मेरा लंड अपनी चूत मे लेकर रहना. ठीक है

ये कहते हुए बाबू जी मेरे खुले हुए बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. मे बेड पर आ गये.

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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Post by rajsharma »

अभी: (मेरे चुतड़ों को मेरी सलवार के ऊपेर से मसलते हुए) कहे तो अभी तेरी चूत की खुजली मिटा दूं.

मे: (मुँह बनाते हुए) रहने दो बाबू जी. अब उसकी चूत के खुजली मिटाते रहना.

अभी: ( मेरे होंटो को अपने दाँतों से काटते हुए) साली क्यों जल रही है. नखरे तो ऐसे कर रही है. जैसे बिना लंड के जिंदगी गुजर लेगी.

मे: आह बाबू जी कात्त्त्त क्यों रही हो उस बेचारी के फूल जैसे होंटो को कितनी बेदर्दी से चबाया है आप ने. निशान पर गया है उसके होंटो पर.

अभी: तू किया हुआ. ऐसे ही एक निशान तेरे होंटो पर भी बना देता हूँ. (मेरे चुतड़ों को ज़ोर से मसलते हुए)

मे: उईमा क्या कर्र रहूऊ बाबू जीए. नेहा आ गयी तो.

अभी: अच्छा आ गये तो क्या हो जाए गा.

मे: छोड़ो ना बाबू जी अभी नहा कर आई हूँ . फिर से इतनी सर्दी मे नहाना पड़ेगा.

और अभी ने मुझे छोड़ दिया. और उठ कर अपना अंडरवेर और शॉर्ट्स पहन कर बाथरूम मे चला गया.

अभी: (बाथरूम से आवाज़ लगाते हुए) रचना चाइ वापिस ले जाओ. मे नहा लेता हूँ. बाद मे नाश्ते के साथ ही पीएँगे.

मेने चाइ की ट्रे उठा ली. और किचन मे आ गयी. और नाश्ते को डिन्निंग टेबल पर लगाने लगी15- 20 मिंट मे नेहा और अभी भी नहा कर बाहर आ गये. अभी डिन्निंग टेबल पर बैठ कर नाश्ता करने लगा. और मे और नेहा अपने रूम मे बैठ कर नाश्ता करने लगी. नेहा मुझसे नज़रें नही मिला रही थी. नाश्ता करने के बाद अभी घर से बाहर चला गया. शायद उसे कोई काम था.

अभी दोपहर को आने के लिए बोल गया था. इस लिए मे और नेहा 12 बजे तक काम निपटा कर सो गये.इस दौरान नेहा ने मुझेसे कोई बात नही की. शायद वो झीजक रही थी. 2 घंटे सोने के बाद मे और नेहा उठ कर दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी. करीब 2:30 पर डोर बेल बजी. मेने गेट खोला तो सामने अभी खड़ा था. उसके हाथ मे आज भी बहुत से कॅरी बॅग्स थे. शायद वो आज फिर से शॉपिंग करके आया था.

अभी अंदर आ गया. मेने गेट बंद कर दिया. और किचन मे चली गयी. थोड़ी देर बाद अभी किचन मे आया.

अभी: खाना बन गया क्या. बहुत जोरों से भूक लगी है.

मे: हां बाबू जी बस 10 मिनट मे तैयार हो जाएगा.

किचन मे दोनो तरफ सेलफ्स थी. नेहा मेरे पीछे वाली सेल्फ़ पर सलाद काट रही थी. अभी नेहा के पीछे जाकर उससे सॅट कर खड़ा हो गया. मे अपने फेस को पीछे करके चोर नज़रों से अभी और नेहा को देख रही थी.

अभी ने नेहा के चुतड़ों को पकड़ कर मसल दिया. नेहा एक दम से कसमसा गयी. और इधर उधर होने लगी. फिर नेहा ने इशारे से अभी को मेरे माजूदगी होने का बताया. पर अभी ने सर झटक दिया. जैसे कह रहा हो मुझे कोई परवाह नही. और अभी नेहा के चुतड़ों को अपने दोनो हाथों मे थमने मसलने लगा. नेहा अभी के आगे खड़ी कसमसा रही थी.

पर अभी बिना किसी बात के परवाह किए बिना नेहा के चुतड़ों को उसकी सलवार के ऊपेर से मसले जा रहा था. मेने अपने फेस को घुमा लिया. और कुक्कर मे सब्जी को देखने लगी. तभी अचनाक नेहा के मुँह से आह निकल गयी. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. जैसे ही मेने दोबारा पीछे मूड कर देखा तो.अभी ने अपना एक हाथ आगे लेजा कर उसकी सलवार के अंदर घुसाया हुआ था. और सलवार के अंदर से उसकी चूत को मसल रहा था.

ये सब देख कर मेरी चूत मे भी कुलबुलाहट होने लगी. अब खाना तैयार हो चुका था. मेने गॅस स्टोव बंद किया. और बाहर आ गयी. और अपने रूम मे जाकर पर्दे के पीछे से अंदर झाँकने लगी.

नेहा: (कसमसाते हुए) बाबू जी मा देख लेगी.

अभी: देखने दो साली को. तू कहे तो उसे तेरे सामने लाकर यहीं चोद दूं.

नेहा: नही बाबू जी. रहने दो. छोड़ो ना.

अभी: अच्छा ठीक चल मेरे रूम मे चल. देख मे बाजार से तेरे ले किया क्या लाया हूँ. और तेरे मा के लिए भी. जा उसे भी बुला ला.

और ये कह कर अभी अपने रूम मे चला गया. अभी के जाने के बाद नेहा ने अपने सलवार के ढीले हो चुके नाडे को कमीज़ को ऊपेर करके खोला और उसे ठीक से बंद करने लगी. फिर थोड़ी देर बाद नेहा बाहर आ गयी. मे जल्दी से पलंग पर बैठ गयी.

नेहा: (रूम के अंदर आते हुए) मा बाबू जी बुला रहे हैं.

मे : (उठाते हुए) चलो.

मे और नेहा अभी के रूम मे आ गये. हम को देख कर अभी मुस्कुराते हुए बोला.

अभी: देखो मे तुम दोनो के लिए क्या लाया हूँ.
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

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अभी ने एक पॅकेट मे से एक रेड कलर के शॉर्ट नाइटी निकाली और नेहा को देते हुए बोला. ये तुम्हारे लिए है. और फिर दूसरे पॅकेट से दो सारी निकाल कर एक मुझे दी और दूसरी नेहा को देते हुए बोला ये तुम दोनो के लिए है. अभी मेरे लिए ब्लू कलर की सारी और मॅचिंग ब्लाउस लिया था. और नेहा के लिए रेड कलर के सारी लिया था. दोनो सारी पर बहुत हेवी वर्क किया हुआ था.

नेहा सारी को देख कर बहुत खुस हो गयी. उसने अभी तक सारी नही पहनी थी. और उसके पास कोई सारी थी भी नही. और १४ साल की लड़की को सारी संभालने मे भी दिक्कत होती है.

अभी: तुम दोनो को पसंद हैं.

मे: पर बाबू जी ये बहुत ही कीमती होंगी.

अभी: तो क्या हुआ. वो तुम सब छोड़ो.नेहा तुम्हें पसंद आई के नही.

नेहा ने शरमाते हुए हां मे सर हिला दिया.

अभी: देखो मे तुम्हारे लिए कितनी खूबसूरत सारी लाया हूँ. अब एक बार पहले ये नाइटी पहन कर दिखा दो ना.

नेहा एक दम से शर्मा गयी. उसके चहरे का रंग उड़ गया. और ना मे सर हिलाने लगी.

अभी: अच्छा रचना तुम ही इससे कह दो. नही तो ये मेरे बात नही मानेगी.

मे: बाबू जी इतने प्यार से लाए हैं. एक बार पहन कर दिखा दे ना.

नेहा कुछ नही बोली और वैसे ही खड़ी रही.

अभी: अच्छा रचना तुम खाना टेबल पर लगाओ. आज तुम दोनो भी मेरे साथ टेबल पर बैठ कर खाना खाना. और तब तक नेहा नाइटी पहन कर आती हैं.

मे: ठीक है बाबू जी.

और मे खाना लगाने के लिए किचन मे चली गयी. नेहा फेस को नीचे क्ये रूम मे चली गयी. मेने खाना डिननिग टेबल पर लगा दिया. हम दोनो टेबल पर बैठ गये. और नेहा के आने का इंतजार करने लगी. अभी भी अपने कपड़े चेंज कर चुका था. और पयज़ामा और बनियान पहन कर डिन्निंग टेबल पर बैठा था.

अभी: नेहा जल्दी आऊ.

और थोड़ी देर बाद नेहा रूम से बाहर आ गई. वो अपने सर को झुकाए हुए धीरे-2 डिन्निंग टेबल की तरफ आ रही थी. रेड कलर के शॉर्ट नाइटी नेहा के गोरे रंग पर बहुत खिल रही थी. नेहा बहुत ही सेक्सी लेग रही थी. नाइटी नेहा की आधी जाँघो को भी ठीक से धक नही पा रही थी. और नेहा के मखमली चिकनी जांघे देख अभी का बुरा हाल हो चुका था. ट्रॅन्स्परेंट नाइटी मे नेहा की चुचियो से नीचे से लेकर कमर तक का हिस्सा सॉफ दिख रहा था. बस नेहा ने नीचे रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी.

क्रमशः.................

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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

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32

gataank se aage.....................

Me babu jee ke ankhon me dekh rahi thee. Babu jee ne mere ankhon ko dekhate hue apni kamar ko neeche ke taraf dhakela. Babu jee ke lund ka supaaDe ek hee baar me mere choot ke diwaron ko phelta hua poora ka poora andar ghuss gaya. Tangen kandhon ke ooper hone ke karan iss baar poora ka poora lund andar ghuss chuka tha. aur badan me dard ke lehar doud gaye. Iss positon me babu jee ka lund seedha mere bachedani se ja takrya tha. aur mere bache dani ke munh ko babu jee ke lund ka supaaDe ne daba diya tha.

Me: ahhhhhhh babu jeeeee dard hoooo raha haiiii dheereeeee.

Abhi: kyoi baat nahi mere raani. Thodi der me tera dard theek ho jayega.

Aur babu jee ne teji se apni kamar ko hilate hue mere choot ko apne lund se chodna chalu kar diya. Lund baar-2 bahar nikal kar andar jata aur mere bachedani ke munh par chot karta. Me masti me ek dum se chod ho gaye. Aur babu jee ke lund par apni gaand ko ooper ke taraf patkaen lagee.

Jaise hee babu jee ka lund mere choot ke geharyon me utarta. Babu jee ke jhangen mere chutdon par takra jati. Aur thap-2 ke awaz karne lag jati. Me chudi ke duran naye -2 awazon ko sun kar sharma jati. Babu jee ke jhangen mere gaand par chot kar rahi thee. Jaise koi mere gaand par thapad maar raha ho.

Babu jee ab pore josh me aakar teji se dhaken laga raha the. Lund teji se andar bahar ho raha tha. jiske karan bed bhee chun chun ke awaz karte hue hil raha tha.

Me; ahhhhhhhh babu jeeee chodoo mereee bhosdiii kooooo ahhhhhhh babu jeeeee kas kas ke chodo aur jorrrrrr se babu jeeeee. Aur jorr seeeee ahhh mereee choottt ka bhosda bana doooo ahhhh babu jeeeeee

Phir babu jee ne mere tangon ko apne kandhon se neeche utar diya. Aur mujhe ulta kar diya. Me ab babu jee ke samne apne dono hathon aur ghutno ke bal thee. Babu jee ne ek hath se mere chutdon ko faila kar mere choot ke ched par apne lund ka supaaDe tika diya. Jab-2 babu jee ke lund ka garam supaaDe mere choot par lagta mere munh se aah nikal jati. Aur mujhe sukh ke Rachnabahuti hoti.

Lund ke supaaDe ko choot par tikaen ke baad babu jee mere chutdon ko kas ke pakad liya. Aur ek jabrdast dhakka mara. Lund ka supaaDe phir se mere choot ke diwaron se ragar khata hua andar ghuss gaya. Aur mere munh se aahh nikal gaye.

Isse pehale ke mujhe saans lene ka moka milta. Babu jee ne tabrtor dhakon ke sath apna poora ka poora lund mere choot me utar diya.. aur mere chutdon ko dono taraf faila kar apni kamar hila -2 kar mere choot me apna munsal sa lund andar bahar karne lagee. Room me phir se thap-2 aur mere kamuk siskaryon ke awz gunjane lagee.

Me: ( apni choot ko peeche ke taraf babu jee ke lund par patak-2 kar marte hue) ahh ahhh ahh ohhhhh ohhh babu jeeeeeeee badaaaa majja aaa raha haiiiii. Aurrrr jor seee chodo. Ahhhh babu jeeee apkaaaa loudaaaaa bada motaaa haii. Mereee choottt phat gayee ohhhhh babu jeeeeee aur teji seee peloooo naa.

Babu jee ne dhakhen lagen band kar daye thee. Aur bus mere chutdon ko dobach-2 kar masal rahe the. Aur me apni choot ko peeche ke aur patak-2 kar babu je ke lund ko apni choot me lekar chudawa rahi thee. Me phir se jhaden ke kareeb thee.

Me: ahhhh babu jeeeeee ruk kyonnnnnn gayee ahhhhhh chodoo naaa mennnn jhaden wali hunnnnnn ahhhhh babu jeeee pelonnn ahhhhh kyon rukeee hoo

Babu jee ne mere baton ko sun kar josh me aa gaye. Aur mere kamar ko pakad kar jabrdast jhatke maare lagee. Babu jee ke mote lund ne mere choot ke diwaron ko hil kar rakh diya tha. aur kuch hee dhakon me mere choot ne apna pani uglna chalu kar diya.

Phir babu jee ne ek jor daar dhakka mara. Babu jee ke lund ka mota supaaDe mere bache dani ke munh par jakar sat gaya.

Aur babue jee ke lund ke supaaDe se garam-2 veerye ke pichakaryan nikalne lagee. Aur mere bachedani ko bharen lagee. Babu jee ke garam veerye ko apni bachedani me bharta hua mahsoos karke me santust ho gaye. Thodi der aise hee babu jee apen lund ko dale rakha. Jaise hee babu jee ka lund thoda deela padha. Babu jee apna lund mere choot se bahar nikal liya. Aur bed par peeth ke bal leteate hue teji se saanse lene lagee.

Me is jabrdast chudai se bahut thak gaye. To aur muskil se do ghante hee so paye thee. Mene apne dono ke ooper rajai ko kheencha. Aur babu jee ke sath sat kar unki taraf karvat kake let gaye. Me pyar se babu jee ke chest ke balon me apne unglyon ko ghame lagee. Phir mujhe pata nahi kab neend aa gaye

Ab agge ke story Rachna ke jubani phir se shuru hoti hai.

Me raat bhar apni beti neha ke chudai ka khel dekh-2 kar garam hoti rahi. Aur apni choot ke aag ko apni ungli karke thanda karne ke koish karti rahi. Par kahan babu jee ka 8 inch ka louda aur kahan mere patli se choti se ungli. Me sari raat tadhpati rahi. Subah ke 3 baje me so gaye.

Agli subah me 10 baje tak soti rahi hai. jab mere neend khuli. To mene apen aas paas dekha. Me abhi ke sath wale room me thee. Mere salwar bed ke neeche farsh par giri hui thee. Aur panty bed ke ek kone me. Subah mujhe yakeen nahi ho raha tha. ki neha ke babu jee ne inti jabardast chudai kee hai. me waise hee bed par khadi ho gaye. Aur use ched me se jhanken lagee.

Neha babu jee ke sath chipki hui so rahi thee. Me subah-2 garam ho kar apna mood kharab nahi karna chathi thee. Mene apni panty uthi aur pehan kar bed se neeche utar kar apni farash par pdhi salwar ko utha kar pehane lagee.

Salwar pehan kar me bahar aa kar bathroom chali gaye. Fresh hone ke baad me nahane lagee. Aur naha kar kitchen me aa gaye. Time kafi ho gaya tha. isliye socha pehale nasta bana lun. Phir chai bana kar babu jee aur neha ko uathati hun.
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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