Hindi stori--मौसी का गुलाम compleet

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rajsharma
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Re: मौसी का गुलाम

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मौसी मेरी ओर देख कर बोली "तुझे क्या लगा बेटे, तेरे को अकेले तडपते हुए छोड़ देंगे हम?" अंकल भी मुझे आँख मार कर बोले "राज, तेरी मौसी की चूत को तेरे मुँह की बहुत याद आ रही है देख कितना रस बहा रही है तेरे लिए तेरी मौसी भी अडी है, बोली चुनमूनियाँ का रस पिलाऊन्गि तो सिर्फ़ अपने प्यारे भांजे को!"

मौसी ने अपनी जांघें और फैला दीं और बाँहें पसार कर मुझे पास बुलाया "राज, नंगा हो जा और जल्दी से मौसी की जांघों में समा जा बेटे, चूस ले अपनी मौसी की चुनमूनियाँ तुझे रस पिलाए बिना यह चुनमूनियाँ ठंडी नहीं होगी"

मैंने काँपते हाथों से कपड़े उतारे और दौड कर मौसी के सामने उसकी जांघों के बीच बैठ कर मौसी की टपकती चुनमूनियाँ में मुँह डाल दिया मौसी की गान्ड का छेद मेरे मुँह से बस दो तीन इंच दूर था और मौसी का तनकर खुला गुदाद्वार और उसमें फंसा मोटा ताज़ा लंड देखकर मैं और उत्तेजित हो रहा था चुनमूनियाँ का स्वाद लेते हुए मेरी जीभ कभी कभी गान्ड और लंड तक पहुँच जाती थी

मौसाजी नीचे से ही मौसी की गान्ड मार रहे थे और लंड गुदा में से एक दो इंच अंदर बाहर हो रहा था मौसाजी ने अब दोनों हाथों से मौसी की चुचियाँ मसलना शुरू कर दी थीं और मैं अपनी जीभ उसके क्लिट पर रगड रहा था मौसी ने मेरे सिर को कस कर अपनी चुनमूनिया पर दबाया और हुनक कर झड गई बाहर उबल उबल कर निकलते उस चिपचिपे पानी को मैंने चाट चाट कर सॉफ किया और फिर मौसी की झांतों से ढके भगोष्ठो का प्रेम से चुंबन लेने लगा

चुनमूनियाँ चटवाकर मौसी ने मुझे उपर खींच कर अपने सामने खड़ा कर लिया मेरा खड़ा लंड बिलकुल मौसी के चेहरे के सामने मचल रहा था उसे पकड़ कर मौसी ने चूमा और फिर मौसाजी को दिखाया "देखो, कितना प्यारा रसीला लंड है मेरे भांजे का अभी पूरा जवान भी नहीं है लडका, एकदम कमसिन है पर मुझ पिछले दो हफ्तों में बहुत सुख दिया है इसने"

मौसाजी बोले "अरे, फिर इसे थैंक यू तो ज़रूर कहना चाहिए" और सर आगे बढ़ाकर मेरे सुपाडे को चूम लिया मेरा आश्चर्यचकित चेहरा देख कर मौसी हँसने लगी "डर मत राज, तेरे मौसाजी भी तुझे बहुत प्यार करते हैं बस अभी तक मौका नहीं मिला था मैंने जब इन्हें शादी वाली बात बताई तो इन्होंने ही कहा था कि राज को बुला ले और मज़ा कर देख, कितने प्यार से चूस रहे हैं तेरा"

अब तक पूरा सुपाडा मौसाजी ने मुँह में भर लिया था और उसे रसगुल्ले जैसा चूस रहे थे नीचे से उनकी जीभ मेरे सुपाडे के निचले मांसल भाग को ऐसा मस्त सहला रही थी कि मैं सिसक उठा मौसी ने मेरा बहुत बार चूसा था पर अंकल के चूसने में अलग जादू था मौसी बोली "मुझे भी चूसने दो जी, अकेले मत हडप कर जाना यह माल"

रवि अंकल हँस कर बोले "अच्छा चल मेरी रानी, बारी बारी से चूसते हैं इस मस्त लोलीपोप को"

मौसी और अंकल अब बारी बारी से मेरा लंड चूसने लगे उस मीठी अगन से तडपता मैं किसी तरह खड़ा रहा और फिर सहन ना होने से कसमसा कर मौसी के मुँह में झड गया मौसी ने मेरे वीर्य के तीन चार घुन्ट लिए और फिर अपना मुँह बाजू में कर के मौसाजी को मेरा लंड दे दिया मौसाजी ने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे पास खींच लिया और पूरा लंड निगल कर चूसने लगे मुझे उन्होंने तब तक नहीं छोड़ा जब तक मेरे लंड ने आखरी बूँद उनके मुँह में नहीं उगल दी

मेरे झडे लंड को मुँह से निकाल कर मौसाजी चटखारे लेते हुए बोले "क्या स्वादिष्ट है राज तेरा वीर्य तभी तेरी मौसी इतनी खुश लग रही थी मेरे वापस आने पर" मैं लंड में होते मीठे आनंद का मज़ा लेते हुए साँस लेने को पलंग पर बैठ गया मेरा लंड चूस कर मौसाजी गरमा गये थे मौसी को बोले "चल शन्नो रानी, पलंग पर लेट जा, तेरी गान्ड मारूँगा अब"

मौसी को कमर से पकडकर वैसे ही लंड गान्ड में घुसाए हुए उन्होंने उठाया और लाकर पलंग पर पटक दिया मौसी ने सरककर प्यार से अपना सिर मेरी गोद में रख दिया और मेरे लंड का चुंबन लेने लगी उधर मौसाजी अब तक मौसी पर चढकर उसकी गान्ड मारने में जुट गये थे ऐसी जोरदार गान्ड चोदने की क्रिया मैंने पहली बार देखी थी मौसाजी का कड़ा मोटा लंड मौसी की कोमल गान्ड के छेद को चौड़ा करता हुआ सटासट अंदर बाहर हो रहा था

जब लंड बाहर निकलता तो उस की साइज़ देखकर मैं हैरान रह जाता कि आख़िर कैसे मौसी इतने बड़े लंड को अंदर लेती है मौसी धीरे धीरे कराह रही थी और मुझे लगा कि उसे दर्द हो रहा होगा पर उसके चेहरे पर तो बड़े तृप्त भाव थे अब मैं समझ गया कि पहली बार जब मैंने मौसी की गान्ड मारी थी तो कैसे मेरा लंड आरामा से मौसी की गान्ड में चला गया था मौसाजी का हलब्बी लंड लेने के बाद मेरा कमसिन लंड तो उसके लिए बच्चों का खेल था

क्रमशः……………………
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मौसी का गुलाम---8

गतान्क से आगे………………………….

मौसी ने अब तक मेरे लंड को चूम चूम कर फिर खड़ा कर दिया था गान्ड मरावाते हुए पूरा लंड मुँह में लेकर वह आराम से चूस रही थी मौसाजी अब झडने के करीब आ गये थे और तैश में आकर गंदी गंदी बातें कहते हुए पूरे ज़ोर से मौसी की गान्ड मार रहे थे "तेरी गान्ड मारूं मेरी चुदैल रानी, तेरे मस्त मोटे चुतडो को चोदू साली चुदैल, रंडी, क्या गान्ड है तेरी मेरी जान!"

उनका चेहरा इस समय मेरे करीब था और मस्ती में मौसाजी ने झुक कर अपने होंठों मेरे होंठों पर जमा दिए और चूमने लगे उनके मुँह का स्वाद मौसी के मुँह के मीठे स्वाद से थोड़ा अलग था पर था बड़ा मादक पास से उनकी आफ्टरशेव की खुशबू भी आ रही थी

मैंने भी उत्तेजित होकर अपनी बाँहें अंकल के गले के इर्द गिर्द डाल दीं और उन्हें ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा मेरी आँखों में अपनी वासना भरी आँखें डाल कर मौसाजी मेरी जीभ चूसते हुए पूरे ज़ोर से हचक हचक कर मौसी की गान्ड मारने लगे मैं मौसाजी को अपनी जीभ चुसवाता हुआ उचक उचक कर नीचे से ही मौसी के मुँह को चोदने की कोशिश करने लगा उधर मौसाजी ने चार पाँच करारे धक्के लगाए और झड गये उनकी ज़ोर से चलती गरम गरम साँसें सीधे मेरे मुँह में जा रही थीं

मुझे छोड़कर आख़िर तृप्त होकर मौसाजी धीरे से मुस्कराते हुए मौसी पर लेट गये और सुसताने लगे मैं अब बहुत उत्तेजित था और किसी भी तरह किसी से भी संभोग करना चाहता था बहुत देर से मौसी की चुनमूनियाँ चूसने की भी मुझे तीव्र इच्छा हो रही थी मौसी को मैंने कहा कि पलट कर सीधी हो जाए जिससे मैं उसकी चुनमूनियाँ चूस सकूँ मौसी मुस्कराकर बोली "राज, मेरी चुनमूनियाँ का पानी बहुत पिया है, आज थोड़ा स्वाद बदल ले अब तेरे अंकल अपना लंड मेरी गान्ड से निकालेंगे उसे चाट के देख, तेरे को मज़ा आ जाएगा"

मैं खुशी से तैयार हो गया मौसाजी ने अपना लंड खींच कर मौसी के गुदा से निकाला उस पर उनका वीर्य लिपटा हुआ था मैं उसे चाटने लगा बड़ा मज़ा आ रहा था मौसाजी ने मेरे बाल सहलाकार कहा "पूरा लंड मुँह में ले ले बेटे, और मन लगा कर चूस" लंड झड कर अब सिकुड कर छोटे गाजर जैसा हो गया था मैंने उसे आराम से मुँह में भर लिया और जीभ पर लेकर चूसने लगा मौसी की गान्ड की सौंधी खुशबू में भीना अंकल का वीर्य मुझे बहुत भाया मौसी भी मन लगा कर क्यों मेरा लंड चूसती हैं यह भी पता चल गया मन ही मन सोचा कि अगर रोज मौसाजी चूसने दें तो क्या मज़ा आए

पूरा चाटने के बाद भी मैंने लंड मुँह से नहीं निकाला बल्कि उसे अपने गले तक निगल कर उस पर जीभ और होंठ चलाता हुआ मैं उसे और ज़ोर से चूसने लगा असल में वह नरम नरम लंड मुँह में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मौसाजी का लंड मेरे चूसने से फिर खड़ा होने लगा था वे खुश होकर मौसी से बोले "शन्नो, तेरा भांजा तो लंड चूसने में एक्सपर्ट है, देख कैसे मेरा दो मिनिट में फिर से खड़ा कर दिया" मौसी ने भी प्यार से मेरा गाल चूमा कर पूछा "बेटे, अपने मौसाजी की और मलाई खाएगा?"

मैंने खुश होकर सिर हिलाकर हाँ कहा और लंड और ज़ोर से चूसने में लग गया कि जल्दी से उन्हें झडाऊ मौसी बोली"नहीं राजा, ऐसे नहीं, मेरी गान्ड में अभी अभी झडे हैं तेरे अंकल, मुँह लगा कर चूस ले, कम से कम आधी कटोरी मलाई मिलेगी अंदर"

यह कल्पना ही इतनी मादक थी कि मैं तुरंत मौसी के चुतडो पर लपक पड़ा और गान्ड पर मुँह लगाकर चूसने लगा मौसी की गान्ड का स्वाद लगी उस मलाई का क्या कहना मैं चूस चूस कर उसे निगलने लगा मौसाजी ने अपनी पत्नी के चुतड फैला कर रखे जिससे मैं आसानी से माल चूस सकूँ वे बोले "बड़ा प्यारा और चिकना लडका है उसका लंड कैसा तन्ना कर खड़ा है देख"

अंत में मैंने जीभ अंदर डाल कर आखरी बूँद का सफ़ाया कर दिया मौसी हँस कर उठ बैठी "बहुत हो गया बेटे, अब कुछ नहीं बचा मेरी गान्ड के अंदर" अपनी टाँगें फैला कर वह लेट गयी और मुझे अपने उपर खींच लिया"चल अब चोद मुझे जल्दी से"

मैं हचक हचक कर शन्नो मौसी को चोदने लगा मौसाजी ने सिरहाने बैठकर अपना लंड मौसी के मुँह पर दे दिया और वह उसे अपने गालों और आँखों पर प्यार से रगडने लगी लंड मेरे ठीक सामने था और इतने पास से मैंने पहली बार उसे ठीक से देखा करीब आठ इंच लंबा बड़े गाजर जैसा मोटा गोरा लंड और उस पर लाल लाल टमाटर जैसा सुपाडा किसी का भी मन उसे चूसने को करता

लंड का चुंबन लेते हुए जब मौसी ने मेरी आँखों में उतर आई वासना देखी तो मुझे और पास खींच कर मेरा मुँह भी उससे सटा दिया अब हम दोनों लंड को एक साथ चूमने लगे इतना कोमल और चिकना सुपाडा था जैसे चमडी नहीं, रेशम हो और मैं उसे बार बार जीभ से आइसक्रीम कॉन जैसे चाटने लगा

मौसाजी अब मेरे नितंबों को सहलाने लगे ख़ास कर मेरी गुदा को वे बहुत हौले हौले प्यार से रगडने लगे पहली बार किसीने मेरी गान्ड के छेद को छुआ था और मैं मस्ती से हुनक उठा मेरा आनंद देखकर मौसाजी मुस्काराए और मौसी की चुनमूनियाँ से थोड़ा रस अपनी उंगली पर ले कर मेरी गुदा को चिकना करने लगे फिर धीरे धीरे उन्होंने अपनी बीच की उंगली मेरी गान्ड में डालना शुरू की मेरी टाइट कुँवारी गान्ड में वह धीरे धीरे मुश्किल से गई क्योंकि रह रह कर मेरी गान्ड का छल्ला अपने आप सिकुड कर गुदा को और टाइट कर देता
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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मुझे बड़ी अजीब कुछ दर्द भरी पर बहुत मादक अनुभूति हो रही थी पूरी उंगली डालकर जब अंकल उसे अंदर घुमाने लगे तो मैं सिसक उठा तथा और ज़ोर से मौसी को चोदने लगा मेरे धक्कों से आगे पीछे होती मेरी गान्ड में उनकी उंगली अपने आप अंदर बाहर होने लगी अब मैं पागल सा होकर मौसी को बेतहाशा चोदने लगा और एक मिनिट में झड गया पड़ा पड़ा मैं हाम्फता हुआ इस नये आनंद का मज़ा ले रहा था तब मौसी मुझे चिढाते हुए बोली"गान्ड में सिर्फ़ उंगली करने से तेरा यह हाल है, तो आगे क्या होगा, बेटे?"

मौसाजी अब जोश में थे और मौसी की चुनमूनियाँ चूसने को अधीर थे मुझे लगता है कि उन्हें चुनमूनियाँ रस के साथ ख़ास मेरे वीर्य की भूख थी जो मौसी की चुनमूनियाँ में मैंने छोड़ा था पहले तो झट से उन्होंने मेरा मुरझाया शिश्न जिस पर मेरा वीर्य और मौसी की चुनमूनियाँ का पानी लगा था, मुँह में लेकर चूस डाला फिर मौसी की चुनमूनियाँ को चूसने लगे मौसी ने भी उनका सिर अपनी जाँघो में क़ैद कर लिया और खिलखिलाती हुई चूत चुसवाने लगी

जब तक उन्होंने मौसी की चुनमूनियाँ खाली की, मौसी एक बार और झड चुकी थी तैश में आए मौसाजी अब मौसी पर चढ कर उसे चोदने लगे उनकी इस रति क्रीडा को देखकर मैं धीरे धीरे फिर मस्ती में आ गया मेरा लंड खड़ा देखकर अंकल बोले" यहा लडका तो बड़ा काम का है शन्नो, देख कैसा खड़ा है इसका दो बार झड कर भी राज, तू मौसी की गान्ड मार ले, दोनों एक साथ इस चुदैल को सैम्डविच बना कर आगे पीछे से चोदते हैं"

मौसी के चुनमूनियाँ में अपना लंड वैसा ही घुसाए रखकर पलट कर वे नीचे हो गये और मौसी को उपर कर दिया मौसी के मोटे गोरे चुतड मेरे सामने थे अंकल ने मेरी आसानी के लिए अपनी पत्नी के चुतड पकडकर फैलाए और मैंने एक ही वार में घच्च से पूरा लंड मौसी की गान्ड में उतार दिया अब मैं उपर से मौसी की गान्ड मारने लगा और मौसाजी उसे नीचे से ही धक्के दे दे कर चोदने लगे मौसी को तो इस दोहरी चुदाई में ऐसा मज़ा आया कि वह सीतकारियाँ भरने लगी चुनमूनियाँ और गान्ड के बीच की बारीक दीवार में से हम दोनों को एक दूसरे के लंडों का दबाव ऐसा महसूस हो रहा था जैसे बीच में कुछ ना हो

"राज बेटे, मौसी की गान्ड मस्त हो कर मारो, पर झडना मत जब तक मैं ना कहूँ, दोनों एक साथ झड़ेंगे" अंकल बोले अब हम दोनों अपनी पूरी ताक़त से मौसी के दोनों छेद चोदने लगे बार बार पलट कर कभी मौसाजी नीचे होते कभी मैं इससे बारी बारी से हम दोनों को उपर चढ कर कस कर ठुकाई करने का मौका मिलता बीस मिनिट हमने इसी तरह मौसी को भोगा और वह तीन बार झडी अब तो वह मस्ती में किसी नई नवेली दुल्हन जैसे चिल्ला रही थी" ऊीीईईईईई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गईईईईईईईईईई हा या रे मार डा ला रे दोनों ने मिलकर, अरे हरामियों, दया करो, क्या फाड़ दोगे मेरे दोनों छेद!"

आख़िर जब मैं उपर था तब मौसाजी ने इशारा किया और मैंने उछल उछल कर मौसी की गान्ड बेतहाशा चोद डाली और झड गया पलट कर अब मैं नीचे हो गया और मौसाजी उपर से चोदने लगे मौसी ने अब अपनी एक उंगली मौसाजी की गुदा में घुसेड दी और इसके साथ ही मौसाजी इतनी ज़ोर से झडे कि चिल्ला उठे

कुछ देर पड़े पड़े हम तीनों इस सुख का आनंद लेते रहे फिर रस चूसने का एक और कार्यक्रम हुआ मैंने मौसी की चुनमूनियाँ चुसी और उसमें से मौसी की चुनमूनियाँ के पानी और अंकल के वीर्य का मिश्रण पिया मौसाजी ने अपनी पत्नी की गान्ड चूस कर उसमें से मेरे वीर्य का पान किया अब हम तीनों थक गये थे और बिलकुल तृप्त भी हो गये थे तीनों लिपट कर सो गये ऐसी गहरी नींद लगी कि पता ही नहीं चला कि कब सबेरा हुआ

मेरी नींद बहुत देर से खुली मौसी और मौसाजी के हँसने और बोलने की आवाज़ बाथरूम से आ रही थी मुझे लगा कि शायद नहा रहे होंगे पर कुछ देर बाद दोनों बिलकुल नंगे बाहर आए तो बिना नहाए मुझे अचरज लगा कि वे अंदर क्या कर रहे थे कल भी मौसाजी वापस आने के बाद मौसी को लेकर बाथरूम में चले गये थे दोनों काफ़ी देर एक साथ बाथरूम में थे वे वहाँ क्या करते हैं, इस रहस्य का पता मुझे काफ़ी देर बाद चला

चाय पीकर हम तीनों एक साथ नहाने गये दिन के उजाले में मैंने पहली बार रवि अंकल का गोरा सुडौल छरहरा पर मजबूत शरीर पास से देखा अंकल के चुतड पुष्ट और मजबूत थे झांतें भी ट्रिम की हुई थीं झांतों को छोड़ बाकी बदन एकदम चिकना केश रहित था

एक दूसरे को साबुन लगाते हुए जब मेरा हाथ मौसाजी के मस्त खड़े रसीले लंड पर से गुज़रा, मुझे लगा कि अभी चूस लूँ मैं शायद ऐसा करता भी पर उसके पहले मौसी ने मुझे पकड कर अपने सामने बिठा कर मुझसे अपनी गीली चुनमूनियाँ चुसवा ली मैं चुनमूनियाँ चाट रहा था और उस समय मौसाजी मेरे नितंबों को प्यार से सहला रहे थे और पास से उन्हें बड़े गौर से देख रहे थे उन्हें साबुन लगाने के बहाने उन्होंने बहुत देर तक मेरे चुतडो के साथ खिलवाड़ किया मौसी आख़िर उनकी इस हरकत पर हँसने लगी "डार्लिंग, मुझे मालूम है तुम क्या करने के लिए मरे जा रहे हो" मौसाजी कुछ ना बोले, सिर्फ़ अपनी पत्नी को आँख मार दी

फिर प्यार से मेरा चुंबन लेते हुए बोले "तो क्या हुआ, हमारे राज जितनी प्यारी चिकनी गान्ड तो लड़कियों की भी नहीं होती उसे प्यार करने को मन हुआ सो कर लिया" नहाते समय मौसी को छोड़ कोई नहीं झडा मौसी तो रस की ख़ान थी, चाहे जितनी बार झड सकती थी पर हम दोनों ने अपने पर काबू रखा कि बाद में मज़ा करेंगे

क्रमशः……………………
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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मौसी का गुलाम---9

गतान्क से आगे………………………….

नहाने के बाद हमने नंगे ही नाश्ता किया मैं जल्दी नाश्ता खतम करके उठने लगा तो मौसी ने शरारत भरी आवाज़ में पूछा "मलाई नहीं खाएगा रे?" मैं जब समझा नहीं कि मौसी क्या कहा रही है तो उसने समझाया "मेरा मतलब उस मलाई से है जो तेरे अंकल के लंड के अंदर है मलाई निकालने में भी उतना ही मज़ा आएगा जितना खाने में"

मैंने शरमा कर मौसाजी की ओर देखा उन्होंने प्यार से मुझे चूमा और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया "ले बेटे, सब तेरा है मज़ा कर" मैं इतना उतावला हो गया था कि टेबल के नीचे घुसकर उनकी जांघों के बीच बैठ गया उन्होंने अपना सुपाडा बड़े लाड से मेरे होंठों, गाल और आँखों पर रगडना शुरू कर दिया सुपाडे से एक मोटी सी बूँद उनके प्रीकम की निकली जिसे चख कर मैं और बेचैनी से उनके लंड को चाटने लगा

मौसाजी ने तृप्ति की एक साँस ली और बोले "प्यार से आराम से चूसो बेटे, तेरे लिए रात भर से बचा कर रखा है यह माल" मैं अब उस रसीले लंड को चूसने के लिए मरा जा रहा था इसलिए मुँह में लेने की कोशिश करने लगा मौसी ने देखा कि यह मेरा पहला अनुभव है तो उसने बड़े प्यार से मुझे सिखाया कि लंड कैसे चूसा जाता है

मुँह पूरा खोल कर, दाँतों को होंठों से ढक कर आख़िर उस पूरे गोले को मैं मुँह में भर कर चूसने लगा मौसी के सिखाए अनुसार अपनी जीभ मैंने सुपाडे के निचले फूले हिस्से पर रगड़ी तो मौसाजी ने एक सिसकारी भर कर मेरा सिर अपनी गोद में दबा लिया और उपर नीचे होकर मेरा मुँह चोदने लगे चूमा चाटी की आवाज़ से मैंने समझ लिया कि अब दोनों में खूब प्रेम से चुंबनो का आदान प्रदान हो रहा है

"जल्दी मत करना बेटे, तेरे मौसाजी को भी लंड चुसवाने का मज़ा लेने दे" मौसी बोली बीस मिनट मैंने बड़े प्यार से अंकल का लौडा चूसा और फिर आख़िर उनसे ना रहा गया मेरे सिर को पकडकर वे नीचे से ही मेरा मुँह चोदने की कोशिश करने लगे मैं समझ गया और दोनों हथेलियों में उनके लंड का डंडा लेकर मैं ज़ोर ज़ोर से उनकी मुठ्ठ मारने लगा सुपाडा चूसना मैंने जारी रखा

"मार मेरी मुठ्ठ मेरे राजा, लगा जोरदार सडका, चूस ले मेरे सुपाडे को" कहते हुए एक हिचकी के साथ वे झड गये और उनका गाढा वीर्य मेरी जीभ पर निकल आया उस गरमा गरम चिपचिपे गाढे माल को खाने में वह मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकता स्वाद ले लेकर मैंने उसे खाया और लंड को मुठियाता रहा कि आख़िरी बूँद तक निकल आए आख़िर सिकुड कर लंड नन्हा मिरची जैसा हो गया और उसे कुछ देर और प्यार से चूस कर मुँह पोंछता हुआ मैं उठकर बाहर निकल आया

मौसाजी बिलकुल निढाल होकर आँखें बंद करके मौसी की चूची चूस रहे थे मौसी भी प्यार से उन्हें अपनी छाती से लिपटाए हुई थी मुझे उसने शाबासी दी "बहुत अच्छा चूसा तूने राज, तेरे अंकल तो फिदा हो गये तुझ पर" मेरा लंड अब मस्त मचल रहा था और जब मौसाजी ने उसे देखा तो उनकी आँखें चमकने लगीं मुझे खींच कर वे सोफे पर ले गये और मुझे उसपर लिटा कर मेरे बाजू में लेट कर मेरा लौडा चूसने लगे

उनके गीले गरम मुँह ने मेरा वह हाल किया कि मैं भी अपने चुतड आगे पीछे करके उनका मुँह चोदने लगा अंकल ने अपनी बाँहें मेरे नितंबों के इर्द गिर्द डाल दीं और हौले हौले मेरी गुदा सहलाने लगे अब मुझसे नहीं रहा गया और उन्हें पटककर मैं उनके मुँह पर चढ गया और ऐसे चोदने लगा जैसे चुनमुनिया चोद रहा हूँ

यह आसान देख कर मौसी को भी मज़ा आ गया अपने पति को मीठा ताना देती हुई वह बोली "चलो तुम्हारे मुँह को भी चोदने वाला कोई तो मिला!"

कुछ ही पलों में स्खलित होकर मैं हाम्फते हुए मौसाजी के उपर पड़ा रहा मौसाजी बड़े प्यार से मेरा वीर्यापान कर रहे थे और मुझे यह बड़ा सुहाना लग रहा था मौसी इस सारे कामकर्म के दौरान भूखी रह गयी थी इसलिए हमने बारी बारी से उसकी चुनमूनिया चूसकर उसे दो बार झडा दिया

मौसाजी को काम पर जाना था इसलिए रति यहीं रोक दी गयी मौसाजी कपड़े पहनने लगे पर पहले उन्होंने अपने शिश्न पर अमृतांजन लगाया और फिर मेरे शिश्न पर बड़ी जलन सी हुई और लंड एकदम सुन्न हो गया मौसी ने पूछा कि यह क्या कर रहे हो तो उन्होंने कारण बताया बोले कि आज रात को चुदाई के करिश्मे करने के लिए दिन भर लंडों को पूरा आराम मिलना ज़रूरी है जिससे वे पूरे तन्ना कर खड़े हों इसीलिए अंजन से उन्हें बधिर कर देना ही उचित है
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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

उन्होंने यह भी कहा कि मैं आज कपड़े पहना रहूं ताकि पूरा आराम मेरे लंड को मिले जब मौसी इस बात पर चिढ कर चिल्लाने लगी तो अंकल उसे चूमते हुए मुस्काराकर बोले "मेरी रानी, तुझे कोई तकलीफ़ नहीं होगी, तेरा प्यारा भांजा तो दिन भर तेरी चूत चूस सकता है तू मज़ा कर, वैसे भी तेरी चुनमूनिया में इतना रस है कि चाहे जितना पियो, खतम नहीं होता"

हम दोनों का प्यार से चुंबन लेकर मौसाजी काम पर निकल गये काफ़ी दिन बाद मैं घर में दिन भर कपड़े पहन कर रहा एक तंग पैंट मैंने पहनी थी कि लंड दबा रहे मौसी ने भी साड़ी और ब्लओज़ पहन लिया, ब्रा और पैंटी छोड़ दी इससे उसकी चुनमूनिया और चुचियाँ मेरे लिए हमेशा खुले थे दिन भर मैंने कई बार उसकी चुनमूनिया चुसी और मम्मे दबाकर निपल चूसे

दोपहर को हम सो गये क्योंकि जाते जाते अंकल यह कह गये थे कि हम खूब आराम कर लें जिससे रात को ताजे दम से रति की जा सके हम इतनी गाढी नींद सोए कि जब हम उठे तो रात हो चुकी थी देखा कि अंकल भी सोफे पर सो रहे थे काम से जल्दी आकर उन्होंने भी एक गहरी नींद ले ली थी खाना खाने हम बाहर गये जिससे आकर बस अपना काम शुरू किया जा सके वापस आकर हमने साथ साथ स्नान किया लंड पर लगा अंजन धूल जाने के बाद जल्द ही हम दोनों के शिश्न तन्नाने लगे जब तक हम बदन पोंछ कर बेडरूम में आए, हमारे लौडे कस कर खड़े हो गये थे

शुरू में तो मौसी और अंकल सोफे पर मुझे बच्चे जैसे गोद में लेकर बैठ गये और मुझे खिलाने लगे मुझसे तो वे ऐसे खेल रहे थे जैसे मैं कोई गुड्डा हूँ मौसी मेरे लंड को हथेली में लेकर मुठिया रही थी और मौसाजी मेरे होंठ चूसने में लगे थे मेरी आँखों में आँखें डाल कर बड़ी शैतानी से वे मेरी जीभ चूस रहे थे और अपनी जीभ मेरे गले में डाल रहे थे उनका मुखरस मौसी से अलग स्वाद का था पर बहुत मादक लग रहा था और मैं उनकी जीभ को किसी रसीले फल जैसा चूस रहा था फिर मौसी मेरा चुंबन लेने लगी और अंकल झुक कर मेरे शिश्न को चूमने लगे मौसाजी का भी लौडा खूब तन कर खड़ा हो गया था और मेरे नितंब पर रगड रहा था

आख़िर मौसाजी ने मेरा सूज कर सोंटा हुआ लंड अपनी पत्नी को दिखाया "शन्नो रानी, इस मस्त लंड से गान्ड मराने का जी करता है" उनकी आवाज़ में गजब की कामुकता भरी हुई थी मौसी भी उन्हें चूमते हुए बोली "तो मरा लो ना! अपना ही लडका है, हमारा गुड्डा है, जैसा तुम कहोगे वैसा करेगा" फिर मेरी ओर मुड कर मौसी ने मुस्करा कर मुझे आँख मारते हुए पूछा "राज बेटे, अपने अंकल की गान्ड मारेगा?"

मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि कब से मैं अंकल के उन मांसल कसे हुए चुतडो को भोगने के लिए लालायित था मौसाजी के हाथ में पकड़े मेरे लंड ने उछल कर अपना जवाब दे दिया वे भी मेरी इस उत्तेजना पर हँस पड़े और मुझे बाँहों में बच्चे जैसा उठाकर चूमते हुए बेडरूम में पलंग पर ले गये वहाँ एक बार मेरे शिश्न को चूम कर वे खुद ओंढे बिस्तर पर लेट गये मौसी उनके पास बैठकर उनके चुतड सहलाते हुए मुझसे बोली "देख बेटे, क्या मस्त चिकनी टाइट गान्ड है बहुत मज़ा आएगा तुझे पर मारने के पहले इन चुतडोसे ज़रा प्यार व्यार करो, इनको चूम कर मस्त करो, फिर देखो कैसा आनंद देती है तुझे मेरे पति की गान्ड "

मैं भी उन भरे हुए पुष्ट चुतडो को देखकर उत्तेजित हो गया था उन्हें मैंने प्यार से सहलाया और मसला और फिर झुककर उन्हें चाटने लगा मौसी ने कहा "गान्ड के छेद को चूस बेटे, गुदा में जीभ घुसेड दे, जैसे मेरी गान्ड में कल कर रहा था इनकी गान्ड का स्वाद भी मेरी गान्ड से कुछ कम नहीं होगा"

उसने पकड़ कर मौसाजी के चुतड अलग किए और सकरा भूरा गुदाद्वार सॉफ दिखने लगा मैंने एक लंबी साँस ली और उसपर मुँह जमाकर जीभ चलाने लगा गुदा बहुत मुलायम थी और उसमें से जो गंध आ रही थी, वह आज मुझे बड़ी मादक लगी गुदा कुछ देर चूस कर आख़िर मैंने अपनी जीभ अंदर डाल दी जीभ गान्ड में घुसते ही मौसाजी मस्ती से हुनक उठे "चूस मेरी गान्ड राजा, चाट ले, खा जा उसे जीभ से चोद मेरे लाल"

मैं गुदा में जीभ अंदर बाहर करता हुआ मौसाजी की गान्ड जीभ से चोदने लगा गान्ड अंदर से बड़ी कोमल थी और वह गुदाद्वार बिलकुल मुँह जैसा खुलता और बंद होता हुआ मेरी जीभ को पकड़ रहा था आख़िर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मैं उठ कर मौसाजी पर चढ कर बैठ गया

मौसी ने एक क्षण रुकने को कहा और फिर मेरा शिश्न मुँह में लेकर उसे गीला करने को चूसने लगी फिर उसने अंकल के चुतड फैलाए कि मुझे लंड घुसाने में आसानी हो मैंने झट से सुपाडे को गुदा कर रख कर पेल दिया सुपाडा बहुत धीरे धीरे अंदर गया, गान्ड बड़ी टाइट थी, मौसी जैसी नहीं थी; जाहिर था कि अंकल भी पहली बार मरवा रहे थे

मुझे समझ में नहीं आया अगर उनके यार दोस्तों से संबंध थे मरवाई ज़रूर होगी मौसी ने मेरे मन की बात ताड़ ली बोली "अरे ये इस बात में कुंवारे हैं ये मारते हैं, कभी मरावाई नहीं तेरा कमसिन लंड देखकर फिदा हो गये, इसलिए मरवा रहे हैं"

क्रमशः……………………
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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