कलयुग की द्रौपदी

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rajsharma
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Re: कलयुग की द्रौपदी

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रानी ने बेझिझक अपने हाथेलियो से रंगा की गोटियों को मसालने लगी.

- धीरे-धीरे, रानी, बहुत नाज़ुक है. आराम से मींजो ज़रा.

रानी हौले-हौले गोटियाँ मीसने लगी.

इस प्रक्रिया में रंगा को अत्यधिक आनंद आ रहा था. गोटियों के मीसने से खुद-बा-खुद उसके चेहरे पे एक नशीली मुस्कान थिरकने लगी. उसने रानी कर सर पीछे से थाम रखा था. 1-2 मिनिट में उसका नशा बढ़ने लगा तो उसने अपना लंड रानी के मूह में 5“ धकेल दिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी.

रानी का फिर से बुररा हाल होने लगा और उसके गाले से गू...गूओ आवाज़ आने लगी. गाल आँसुओं से तर-बतर हो गये.

5 मिनट बाद रंगा का बाँध टूट गया और रानी के मूह में गरम वीर्य का सैलाब आ गया.

इस गर्माहट में यूँ लग रहा था जैसे उसका पूरा अस्तित्वा बह जाएगा. पर फिर भी अपने देवताओं में आस्था ने उसे हिम्मत दी और उसने एक बूँद भी बाहर गिरने ना दिया. आख़िर में उसने जीभ से होठ चाटकर बाकी वीर्य भी ग्रहण कर लिया.

सब होने के बाद दोनो रानी के आजू-बाजू बैठ गये और प्रशानशा भरे स्वर में बोले – वाह गुड़िया!! तू तो सबसे अच्छी पुजारीन है. इतना प्रसाद तो शायद ही किसी भक्त को मिला होगा. याद रखना जितना ज़्यादा प्रसाद निकलॉगी और पीयोगी उतना तुम्हारा रंग निखरेगा, तंदुरुस्त रहोगी, बाल मजबूत रहेंगे और चेहरे पे तेज रहेगा.

दोनो रानी के लंड चूसने से अती प्रसन्न थे. रंगा बोला – तुमने हमको बहुत प्रसन्न किया है तो अब हम तुमको इनाम देंगे.

उन्होने सोच रखा था की अब वो इस नन्ही कली को फूल बना देंगे, पर रानी ने उन्हे इतना खुश कर दिया था की उन्होने सोचा दर्द देने के पहले थोड़ा रानी को और मीठा सुख दे देते हैं.

ये कहते हुए उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया. अब जग्गा रानी के पावं के तरफ आया और घुटनों से मोडते हुए फैला दिया. इतने में रंगा ने अपने जलते होठ रानी के नरम-नाज़ुक रसीले होठों पे रख दिए. वो रानी के मूह में अपनी जीभ धकेलकर गोल-गोल घुमाने लगा. उसकी ये क्रीड़ा रानी को अच्छी लगी और वो भी जवाब में अपनी जीभ से रंगा के जीभ को चाटने लगी.

रानी के मूह से गुलाब जल और वीर्या की मिली-जुली टेस्ट आ रही थी जो रंगा जी भर कर चूस चाट कर पी रहा था. पर इन सब में रानी को रंगा की घनी मूछों की वजह से चेहरे पर गुदगुदी भी हो रही थी जो सारे क्रीड़ा को और आनंदमयी बना रहा था.

जग्गा ने रानी के घाघरा को कमर तक उपर उठा दिया. जांघों पर ठंडी लहर महसूस कर रानी ने कनखियों से नीचे देखा तो पाया की जग्गा उसके अनछुई चूत के करीब अपने सर घुसाए अधलेटा था. इतने में ही जग्गा की गरम लपलपाति जीभ का एहसास उसे अपने चूत पर हुआ. ठंडी कपकपि से उसका पूरा वजूद हिल गया और रंगा के साथ चुंबन क्रीड़ा थम गयी. रंगा समझ गया और फिर उसने रानी के लबों से अपने होठ हटा दिए ताकि रानी अपनी चूत के साथ होते कलापों को देख सके. अब उसने उसके गर्दन, कान के लाओं, और वाक्स पर चूमना-चाटना शुरू कर दिया.

इधर जग्गा ने पहले चुंबन के बाद रानी की चूत को गौर से निहारा जो किसी नवजात बच्चे के होठों जैसी गुलाबी और फूलों की पंखुड़ी जैसी नाज़ुक दिख रही थी.

कुँवारी होने की वजह से रानी की चूत का दाना (पेशाब की नली) भी नही दिखता था. झाट बिल्कुल नाम मात्र की.

जग्गा ने हौले से दोनो हाथ के अंगूठे से रानी की चूत के फाकों को हल्का सा फैलाया तो दाना दिखने लगा. फिर उसने अपनी लार टपका कर जीभ उस दाने पर रख कर चुभलने लगा.

रानी के पूरे बदन में एक तररतराहट हुई और उसके रोंगटे खड़े हो गये.

1-2 मिनट के बाद जग्गा ने रानी की गहराई नापने की सोची और अपने दाये हाथ की मिड्ल उंगली में लार लगाई और फिर से फाकों को फैलाते हुए चूत के द्वार पर रखा और धीरे से अंदर घुसाने लगा.

अचानक इस क्रीड़ा से रानी को दर्द का आभास हुआ और वो हल्की सी चीक्ख पड़ी. जग्गा समझ गया शायद उसने रानी की झिल्ली टच कर दी है. उसकी उंगली मुस्किल से 2-3“ अंदर ही घुसी होगी. उसने रानी की सील लंड से ही तोड़ने का सोच कर उंगली बाहर निकाल ली और थोड़ा और थूक लगाकर 2“ पेलने लगा.

रानी को अती आनंद आ रहा था. वो कमसिन जवानी आने वाले दर्दनाक पलों से अंजान ये सोचकर आंदोलित थी की क्या यही आनंद का चरम है या अभी और भी कुछ बाकी है.

जग्गा का चूत चूसना और रंगा के चूसने-चाटने से रानी का चेहरा और छाती तो लाल हो ही गया था पर कचौरी जैसी फूली चूत भी सनसना गयी थी.

जग्गा कभी उसके दाने को जीभ से चाट रहा था तो कभी चूत में जीभ डालकर आग लगा रहा था. उंगलियों के पेलने से तो मानो अंदर तूफान सा आ रहा था.

10 मिनट में रानी को लगा उसके बदन की सारी एनर्जी उसकी चूत में आ गयी है और एक बाढ़ (फ्लड) बनकर बाहर निकल जाना चाहती है.

इस अनुभव से अंजान उसके बदन ने एक झटका लिया और सचमुच सारे बाँध तोड़ दिए. जग्गा को रानी के गीलेपन का अहसास अपनी उंगलियों पर हुआ.

अपना सारा रस निकालने के बाद रानी बेड पर निढाल पड़ी रही. करीब 5 मिनट रंगा-जग्गा ने भी उसे डिस्टर्ब नही किया और उस बीच रंगा ने बाहर से कुछ बूटी लाकर बेड के बाजू मैं मेज पर रख दी.

दोस्तो अभी तो शुरू आत है अगले पार्ट मैं रानी की कमसिन चूत और रंगा और जग्गा के 10" लंबे लंड क्या क्या गुल खिलाते है तो दोस्तो फिर मिलेंगे अगले पार्ट मैं रानी की पहली चुदाई के साथ तब तक के लिए विदा आपको कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना आपका दोस्त राज शर्मा
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

कलयुग की द्रौपदी--3

( गतान्क से आगे)

हेल्लो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा कलयुग की द्रौपदी का पार्ट--3 लेकर आपकी अदालत मैं हाजिर हूँ .ओर आशा करता हूँ कि पहले दोनों पार्ट की तरह आपको ये पार्ट भी पसंद आएगा .दोस्तो कहानी के बारे मैं अपनी राय ज़रूर दें . आप लोगो की राय मिलने मेरा उत्साह बढ़ जाता है . ओर मैं ओर जोश के साथ आपके लिए कहानियाँ लिखता हूँ. अभी तक आपने पढ़ा था कैसे रंगा और जग्गा कमसिन कली रानी को उठा लाए थे ओर किस तरह उन्होने मासूम रानी को शादी के सपने दिखाकर झूठ मूठ की शादी करके उसके यौवन का रस पान करने के लिए बेताब हो रहे थे . अब आगे --------

मस्ती और थकान से निढाल रानी 5 मिनट बाद उठके बैठी तो देखा उसका घांघरा कमर तक उठा हुआ था और बदन पर गहनों को छ्चोड़ कुछ भी नही था. अपनी इस अवस्था को भाप रानी शरम से लाल हो गयी और घान्घरे को नीचे तक सरका अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया.

ये देख रंगा हँसते हुए बोला – अभी भी शरमावत है गुड़िया रानी!! अब तो बस आखरी काम बाकी है – तुमको पूरा जवान करने का काम!

ये कहते हुए दोनो बिस्तर पे आ गये और रानी के हाथों को छाती पर से हटके उसे लिटा दिया.

जग्गा ने फिर से रानी के पैर घुटनो से मॉड्कर अपने घुटनों के बल चलता हुआ जांगों के बीच आ गया. रानी ने उसे ऐसा करता देख आने वाले ख़तरे को भापके सहम गयी. माला की सिखाई हुई बातें उसे फिर याद आने लगी और वो जग्गा के मोटे-लंबे लंड को भयभीत नज़रों से देखते हुए सोचने लगी की ये तो उसके कलाई जितना मोटा है कैसे उसके नन्ही सी चूत में समा पाएगा????

इन्ही ख़यालों में खोई हुई थी जब जग्गा ने डब्बी से वॅसलीन निकाला और अपने लंड पे ढेर सारा लगा लिया और अपने दाए हाथ से लंड पकड़कर सूपड़ा रानी के चूत पर रखके सहलाने लगा.

रानी डारी हुई थी पर इस घर्षण से वो फिर से मस्त हो गयी. जग्गा ने दूसरे हाथ की दो उंगलियों से चूत के फाकों को फैलाया और सूपड़ा हल्के दबाव से उसके चूत में ½ “ घुसा दिया. रानी को अभी कुछ ख़ास एहसास नही हुआ.

रंगा ने रानी के सर के तरफ से आकर जग्गा की तरफ फेस कर अपना लंड रानी के मूह में घुसेड दिया. इतने में लंड निशाने पे रख जग्गा ने 1“ और घुसेड दिया.

इस बार रानी को गहरे दर्द का आभास हुआ पर मूह लंड से भरा होने से घुटि-घुटि चीख निकली.

जग्गा ने उतने पे ही रुक कर 1 ½ “ लंड हौले-हौले पेलने लगा.

रानी का दर्द कुछ कम हुआ ही था की 2 मिनट बाद उसने एक करारा झटका दिया और लंड सारी अड़चने पार करता हुआ 5” अंदर समा गया. फ़चक की आवाज़ के साथ रानी की चूत ने खून का कुल्ला किया और लंड के साइड से रीसने लगा. झिल्ली फॅट ते ही रानी की घुटि चीख फिर निकली. तभी रंगा ने लंड मूह से निकाल लिया और रानी की दर्द भरी चीखें उस कमरे में गूंजने लगी.

निका…..काल लीजिए प्लीईईईईईसए हम मर जाएँगे आ.आ.आ…………….आ.आआआ.

फॅट गया मेरा बूर.............प्लीईईईईईसए.

रो-रोकर रानी का बुरा हाल था और दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.

जग्गा बोला – रोवे से कोई फाय्दा नही है गुड़िया, ई तो होना ही था. 5 मिनट में सब ठीक हो जाएगा और तुमको आनंद आएगा.

रानी बकरी जैसी मिमियाते हुए बोली – हम मर जाएँगे. प्लीज़ निकाल लीजिए.

जग्गा ने उसकी बात अनसुनी कर रानी की दोनो जंघें अपने हाथ से थामकर लंड 4” बाहर निकाला और हौले-हौले 5” तक पेलता रहा. रानी दर्द से बिलबिला रही थी और मूह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी जैसे बकरे के गर्देन पर कसाई के चाकू के रेतने पर निकलती है.

2 मिनट बाद जग्गा के हल्के धक्कों से रानी थोडा सामानया हुई पर दर्द अभी भी था.

रंगा अभी भी रुका हुआ था. तब जग्गा एक सेकेंड के लिए ठीठका और फिर एक और जोरदार धक्का दिया. रानी की आँखें बाहर की तरफ उबल पड़ी. उसका मूह खुला का खुला रह गया पर आवाज़ ना निकल पाई.

इस बार करीब 9” अंदर पैठ चुका था जग्गा का लंड. रानी के खुले मुँह में झट से रंगा ने अपना लंड घुसा दिया. अब रानी सिर्फ़ अंदर से दर्द महसूस कर रोती जा रही थी. 5 सेकेंड के पॉज़ के बाद जग्गा ने धीरे-धीरे 9“ पेलने लगा. रानी को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे पैरों के बीच से दो टुकड़ों में काट रहा हो. रंगा के टटटे रानी के नाक पर चोट कर रहे थे जिससे उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी. पर शायद उसके देवता यही चाहते थे.

5 मिनट धीरे पेलने के बाद जग्गा ने महसूस किया की रानी का रोना अब गरम आहों में बदल गया था. तब उसने पेलने की रफ़्तार बढ़ा दी और उसका खून से रंगा लंड रानी के घायल चूत में रेल केइंजन के पिस्टन जैसे अंदर-बाहर करने लगा.

गहरा दर्द अब हल्का मीठा सा लगने लगा था रानी को परजब भी जग्गा का लंड 10” अंदर जाकर उसके गर्भ तक चोट करता तो रानी का बदन झटके लेता था.

रानी ने अब अपनी टाँगें जग्गा के कमर पर लपेटने की कोशिश की जो उसके विशालकाय जिस्म को लपेट भी नही पा रही थी.

कुछ ही समय में रानी ने अपनी कमर उचकाके जग्गा के धक्कों का साथ देने लगी.

पूरे कमरा मैं रानी के पायल की छमछमाहट भर गयी थी. रंगा-जग्गा-रानी की गरम साँसें और चूत पे पड़ रहे लंड की थपथपाहट से रूम गूँज उठा.

उन दोनो सांड जैसे विशालकाय दानवों के बीच में रानी जैसे 4.5’ की नन्ही-मुन्नी गुड़िया पीसती जा रही थी. दूर से कोई देखे तो रानी की जग्गा के जांगों के मुक़ाबले नन्ही टाँगें ही नज़र आ रही थी. मूह तो रंगा के लंड से ढका था और बाकी पूरा जिस्म जग्गा से.
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

जग्गा अब रानी पर थोडा झुक गया और उसकी घुंडीयों को मसल्ने लगा. रानी का मीठा दर्द और बढ़ गया और उसे फिर से एक बाँध के टूटने का एहसास हुआ.

यही समय था जब जग्गा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर एक झटके साथ अपनी कमर रानी की चूत पर चिपकाते हुए अंदर एक लंबी वीर्या की पिचकारी छ्चोड़ी जो रानी के गर्भ को गरम कर गयी.

रानी छटपटा उठी. इतने में रंगा ने भी अपना वीर्य का फव्वारा रानी के गले में छ्चोड़ दिया.

1-1 ग्लास वीर्य अपने दोनो च्छेदों से पीने के बाद रानी थक कर चूर हो गयी थी. जग्गा ने यक्कीन कर लिया की सारा वीर्य गर्भ में समा गया है तो 2-3 मिनट बाद अपना लंड चूत से निकाल लिया. ‘प्लुप्प’ की आवाज़ क साथ उसका खून से सना लंड बाहर निकल गया.

लंड निकला तो रानी की फूलती-पिचकति चूत के दर्शन हुए जो 1” खुली हुई दिख रही थी. आस पास खून जम गया था जो जांघों तक रीस कर भी आ गया था.

रानी तो ऐसा लग रहा था बेहोश हो चुकी हो पर तभी रंगा ने वो बूटी रानी को सूँघाई तो सपकपाते हुए उठ बैठी. अपनी चूत को निहारते हुए उसने बिल्कुल मासूमियत से बोला – आख़िर फॅट ही गया ना मेरा योनि?? पर ठीक है अब बार बार तो नही फटेगा ना??

तभी उसे एहसास हुआ की होठों के साइड से वीर्य की एक धार नीचे गिर रही है तो उसने झट से उसे उंगली में लपेट चाट लिया.

नही फटेगा गुड़िया रानी, अब तो तुमको हमेशा स्वर्ग का आनंद आएगा – रंगा बोला.

जग्गा ने रानी के चुनरी से अपने लंड को सॉफ किया फिर रानी के खून से सने चूत और जांघों को साफ किया.

दो बार हल्का होकर वो भी फिलहाल थक गये थे. रानी को बीच में सुला दोनो उसके आजू-बाजू नगनवस्था में सो गये.

करीब 3-4 बजे सुबह की बात होगी जब रानी ने अलसाते हुए एक मादक अंगड़ाई ली जैसे ही बेड से उठना चाहा, छाती पे एक दबाव की वजह से फिर से बेड पर गिर गयी. ठीक से आँखें कोला तो देखा रंगा जो उसके दाए साइड था मूह दूसरी तरफ करवट कर सोया हुआ था और जग्गा जो उसकी तरफ करवट किए था, उसका लेफ्ट हाथ रानी के सीने पे था और लेफ्ट जाँघ उसके पैरों पे.

रानी को बड़े ज़ोरों से सूसू लगी थी और उसकी कमर टूट रही थी. लंबी चुदाई से उसका चूत का रेशा-रेशा ढीला हो गया था. उसने जग्गा के हाथ को तो उठा कर साइड कर दिया पर उसकी जाँघ बेहद भारी थी. अब वो उठ बैठी थी और किसी तरह जाँघ उठाने का प्रयास कर रही थी. इस चहल-पहल में जग्गा की नींद भी उचट गयी और वो आँखें मीचता हुआ उठ बैठा.

रानी की ठुड्डी पे हाथ रख पुचकारते हुए उसने पूछा – का बात है गुड़िया रानी, का हो गया आधी रात को??

रानी ने अल्साते हुए भोलेपन से बोली – नीचे बहुत दुख रहा है और जल भी रहा है. उसपे से बहुत ज़ोर से पेसाब आया है.

उसके भोलेपन पर जग्गा मुस्कुराया और अपने पैर हटाके बोला – जाओ बूछिया जाओ! जाओ जाके मूत आओ.

रानी बेड से उठी तो एक बार को लड़खड़ा गयी क्यूंकी उसकी थॅकी टाँग और बहाल कमर ने जवाब दे दिया. जैसे तैसे करती वो दरवाजे तक पहुँची तो बाहर देखा काफ़ी अंधेरा था.

वो काफ़ी डर गयी. उसने धीरे से मिन्नत भरे स्वर में आवाज़ दी – आए जी सुनते हैं??

ज़रा हुमको गुसलखाने तक राह दिखा दीजीएना, यहाँ बहुत अंधेरा है!

जग्गा मुस्कुराते हुए उठा और बरामदे की लाइट ऑन कर रानी को गोद में उठा लिया और गुसलखाने तक ले आया.

उनका टाय्लेट-कम-बाथ था जो काफ़ी बड़ा था. बाथ टब भी था.

अंदर घुसकर उसने रानी को उतारा और बोला – मूत ले गुड़िया!

रानी को ज़ोर की लगी थी पर जग्गा की उपस्थिति से वो मूतने में शर्मा रही थी. वो मिन्नंत भरी निगाहों से बोली – आप बाहर तो जाइएना!

जग्गा हंस पड़ा और बोला – चुड़वे के बाद भी शर्मा रही है? चल मूत हमारे सामने फिर हमको भी मूतना है!

मजबूरी में रानी ने अपना घांघरा दोनो हाथों से कमर तक उठाया और कॅमोर्ड की तरफ बढ़ गयी. पर गाओं की उस नादान अनपढ़ लड़की को समझ नही आ रहा था की वो इस बकेट जैसी चीज़ में मूतेगि कैसे.

जग्गा उसकी पशोपेश को समझ गया और बोला – उसपे बैठ जाओ और मूतो.

बैठने से जाने रानी ने क्या समझा, वो कमोर्ड की सीट पर अपनी दोनो पैर रखकर बैठ गयी और मूतने लगी. ऐसा करने से उसकी लाल चुदी हुई बूर के दर्शानजगगा को हो गये और उसका लंड फिर टनटना गया. रानी ने अपने पेसाब की सुनेहरी धार निकालनी चालू की तो उसकी जलती चूत उस गर्माहट से और जलने लगी और वो सीसीया के रह गयी.
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Re: कलयुग की द्रौपदी

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जग्गा हमदर्दी दिखाते हुए बोला – बहुत दरद हो रहा है हमारी रानी??

रानी जो अब खाली हो चुकी थी बोली – जल रहा है बहुत और दरद भी हो रहा है.

ये कहके वो कमोर्ड से उतरने लगी तो जग्गा जल्दी से बोला – अर्रे अरे बैठे रहो! हम अभी एक दवाई लगा देते है जलन दूर हो जाएगा.

ये कहके वो पास आया और अपने लपलपाते लंड का निशाना रानी की चुदासी चूत की तरफ कर के अपने पेसाब की सुनेहरी धार पूरे ज़ोर से निकाल दिया.

उसकी मूत की धार सीधे रानी की चूत पे टकराई तो रानी सीसीया उठी. पर 3-4 सेकेंड में ही उसकी चूत पर बड़ी राहत महसूस हुई. जग्गा के ब्लॅडर में तो मानो पूरा सागर समाया हुआ था. करीब 1 मिनट तक वो रानी की चूत पर मूत ता रहा.

रानी को सचमुच अब काफ़ी अच्छा लग रहा था. वो चहकते हुए बोली – अरे वा ई तो बहुत अच्छा दवाई है. रोज लगाइएएगा मेरी योनि पे. एकद्ूम ठीक हो जाएगा.

जग्गा उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दिया और रानी के होठ पे अपने होठ रख चूसने लगा और उसे गोद में उठा कर रूम में आ गया.

बेड पे लेटते ही रानी रंगा के तरफ करवट कर लेट गयी और सोने का प्रयास करने लगी.

जग्गा, जिसका हल्का होने के बाद लंड फिर से तन गया था, उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी.

वो भी रानी के तरफ करवटसे हो गया और उसे अपने करीब खीच कर उसकी नंगी पीठ अपनी छाती से चिपका दिया.

जग्गा ने जो ट्रीटमेंट दिया था उसकी वजह से रानी को भी उसपर बहुत प्यार आ रहा था. और फिर वो भी हल्का होने के बाद रूम की ए/सी की ठंडक महसूस करने लगी थी इसलिए जग्गा के गरम बदन का स्पर्श उसे अच्छा लगा.

वो और भी जग्गा से चिपेट गयी.

जग्गा ने अपना लेफ्ट हाथ रानी के उपर से ले जाकर उसके चूची पे रख दिया और हल्के-हल्के घुंडी को मीसने लगा. रानी के आँखों में लाल डोरे तैरने लगे और उसकी आँखें अपने आप ही बूँद होने लगी. मीठी गुदगुदी फिर से उसके पुर बदन में दौड़ने लगी.

उसने अपने लेफ्ट हाथ को जग्गा के हथेली पर रखा और प्यार से सहलाने लगी.

जग्गा के लिए तो बस इतना इशारा ही काफ़ी था. उसने अपना लेफ्ट हाट हटाया और दूसरे हाथ को रानी के गर्देन के नीचे से ले जाते हुए रानी के चूचियों पे रख दिया और सेम खेल खेलने लगा.

हालाकी रानी को समझा नही की जग्गा ने ऐसा क्यूँ किया पर उसे अच्छा लग रहा था की ऐसे पकड़ने से उनके जिस्म पूरी तरह से एक-आकार हो गये थे. अब वो जग्गा के राइट कंधे पर सर रख कर मज़े ले रही थी.

जग्गा ने अपने फ्री लेफ्ट हाथ को रानी के जांघों पे रखा और घांघरा खिसकाते हुए कमर तक ले आया.

तभी रानी को अपनी गांद पर जग्गा का गरम सरसराते लंड का एहसास हुआ तो वो समझ गयी की जग्गा ने अपनी अवस्था क्यूँ बदली थी.

पर वो श्योर नही थी की वो जग्गा के लंड को फिर से झेल पाएगी या नही इसलिए वो सवालिए स्वर में पूछी – आए जी सुनिएना! फिर से कीजिएगा क्या??

जग्गा उसके कान में फुसफुसाते हुए बोला – डरो मत, अब तुमको दरद नही होगा. जो होना था वो तो हो गया है. अब तो खाली मज़ा आएगा.

रानी सहम्ते हुए बोली – देख लीजिए, आप ही का गुड़िया हैं, कहीं कुछ हो गया तो आपलोग का सेवा नही कर पाएँगे!

जग्गा ने श्योर करते हुए कहा – कुछ नही होगा, अब तो तुम दो-दो लंड लेने के लिए तैयार हो चुकी हो मेरी रानी! एक चूत में और एक गांद में.

रानी ने उसकी धूर्त बातें सुनकर ‘धात’ कहके शर्मा गयी.

जग्गा ने अपनी बीच की उंगली पर ढेर सारा थूक लगाया और पीछे से रानी के चूत पर फिराते हुए आधा अंदर घुसा के पेलने लगा. फिर से चूत में कुछ महसूस कर पहले तो रानी को हल्का सा दर्द हुआ पर फिर मज़ा आने लगा.

अब उसे माला और जग्गा की बात सही लग रही थी की ‘पहली बार सज़ा, बाद में फिर मज़ा’.

5 मिनट में रानी की चूत गीली हो गयी और वो उखड़ी साँसों से सीसीयाने लगी.

अया ............. धीरे कीजीएना...........अच्छा लग रहा है...........हाआआअन हां.....और थोडा अंदर डालिएना.........आआआआआआः.............सीईईई...........सीईईईईईईईईईईईईई......सी....सी.

जग्गा ने महसूस किया की रानी के चूची और घुंडी टाइट हो गये थे तो उसने सही वक़्त जान अपने लंड को चूत के मुहाने पर लाया और हल्के से एक दबाव से 3” अंदर घुसा दिया.

हल्के दर्द से रानी के मूह से एक हल्की ‘आह’ निकली और वो आगे की तरफ सरकी पर जग्गा ने उसे थामे रखा. उसने रानी के दोनो पैर घुटनो से मॉड्कर छाती तक उपर उठा दिया था जिससे चोदने में आसानी हो रही थी. उसने रानी को अब यूँ जाकड़ रखा था जैसे वो रब्बर की एक गुड़िया हो और रुई की तरह हल्की. सक-सक करता हुआ वो रानी के चूत की गहराई अपने लंड से मापता जा रहा था.

8” तक पेलने के बाद रानी को थोड़ा दर्द हुआ तो वो उसके गर्दन और कान की लाओं पर चूमने-चाटने लगा. रानी झट से मस्ता गयी और धीरे-धीरे अपनी कमर को जग्गा के धक्कों के साथ मेल करती हुई आगे-पीछे करने लगी. उसकी आँखें बूँद थी और उसे लग रहा था की वो सातवे आसमान में उड़ रही हो. चेहरे पर मस्ती से मुस्कुराहट छाइ हुई थी और लबों से कुछ भी आंट-शॅंट निकल रहा था.... हाआन.........ऐसे ही उड़ना है हमको..........एकदम हलका लग रहा है..................बहुत बादल है यहाँ.................अहह........माआआअ..........ज़ोर उड़ाएना हमको............
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

जग्गा उसकी भोली बुदबुदाहट सुनकर और मस्त हो गया और उसने एक हाथ से रानी की चूचियों को कस्के जकड़ा और दूसरे से उसकी मुड़े पैरो को उठा लिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी. अब उसका पूरा 10” रानी के गर्भ पर दस्तक कर रहा था. च्चप्प्प्प्प..........ठप्प्प्प....ठप्प्प्प्प्प्प्प.........सट-सटासट आवाज़ के साथ पिस्टन गाड़ी की रफ़्तार बढ़ाए जा रही था. इसके साथ रानी के पायल की चमचमाहट भी माहौल में रंग भर रही थी.

10 मिनट में रानी के बदन ने 2 बार झटके लेकर ये सूचित कर दिया था की उसके खेत में बाढ़ आ गयी थी.

पर जग्गा तो 15 मिनट तक अपने 2” मोटे लंड से रानी की गुलाबी चूत को पेलता रहा और फिर अपने कमर को एक करारा झटका देकर रानी की गांद पर दबा दिया और रानी के बगीचे में पानी से सीचाई कर दी. ये पानी खाद का काम कर एक दिन मोहक फूलों को जनम देंगे.

गरमागरम वीर्य की धार गर्भ में महसूस करते ही रानी के मुँह से एक ठंडी आआआआअहह निकल गयी.

और 5 मिनट तक ये तसल्ली होने पर की सारा वीर्या रानी की क्यारी में जब्त हो गया है तो जग्गा ने धीरे से अपना लंड नहर से निकाल लिया.

इस चुदाई से रानी को बहुत आनंद आया था. पहले अनुभव के बाद उसने सोचा भी नही था की ये क्रीड़ा इतना सुख देगी.

उसे जग्गा पर बहुत प्यार आया और वो उसकी तरफ करवट कर खुद से उसके होठों को चूमने लगी. जग्गा ने उसे अपने बाहों में भर कर अपनी छाती से चिपका लिया और उसे प्रगाढ़ चुंबन लेने लगा. रानी की लार जी भर पीने एके बाद उसने रानी को अलग किया. फिर रानी ने जग्गा के विशाल छाती में अपना सर च्छुपाया और अपनी एक जाँघ उसके उपर रख नन्ही गुड़िया जैसे सिकुड़कर सो गयी.

सुबह करीब 9 बजे रंगा-जग्गा की नींद खुल गयी. रानी अभी भी सो रही थी. उसके दोनो पैर वी-शेप में फैले हुए थे और एक हाथ सर के उपर और दूसरा बॉडी के साइड में. पूरी बेफिक्री से सो रही थी वो. उसके चेहरे की मासूमियत और दुल्हन जैसा सज़ा-धज़ा बदन देख दोनो सोचने लगे की अच्छा हुआ जो इसने उनके बहकावे में आकर अपना सब-कुच्छ लुटाने को तैयार हो गयी नही तो उन्हे भी रानी का रेप करना पसंद नही आता.

रंगा ने एक 10“ के हाइट और 3 फीट चौड़ाई वाले टब में ढेर सारा रूम डालकर रख दिया और रानी के उठने का इंतेज़ार करने लगा.

करीब 10 बजे रानी की नींद उचट गयी और वो पलंग पर उठ बैठी. अपनी नगनवस्था पर उसके गाल लाल हो गये और वो झॅट से अपनी चोली पहन ली और घांघरा नीचे सरकाते हुई बेड से उतरी.

चूत और कमर तो अभी भी टूट रहा था इसलिए वो थोड़ा लड़खड़ा गयी. खुद को संभालते हुए वो नीचे रसोई में आ गयी. दोनो उसे कहीं नज़र नही आ रहे थे. इतने में रंगा उसे बाथरूम से निकलता नज़र आया तो उसकी तरफ लपकी और सर पे पल्लू लेते हुए झुक कर उसके पैर छू लिए.

रंगा ने उसे आशीर्वाद देते हुए बोला – गुड़िया! रात ठीक से नींद आया रहे की ना? हमरे सोने के बाद कुच्छ आवाज़ हो रहा था और पलंग हिल भी रहा था. वो मुस्कुराते हुए बोला.

उसे मालूम था की जग्गा ने रात में दूसरी पारी खेली थी.

उसके इस सवाल पे रानी झहेप गयी और लजा कर मूह फेर कर किचन में आ गयी.

रंगा उसके पीछे आया और बोला – नही बताना चाहती तो ना बताओ, पर ई तो बताओ की हमरे प्रसाद का कब भोग करोगी बाकी जगह.

चुहलबाज़ी करते हुए रंगा ने रानी के कमर पर चुटकी काटी.

रानी को जग्गा के लंड का अपनी चूत पर हुए क्रूर प्रहार याद आ गये और उससे पैदा होने वाली मस्ती की सोच वो मस्ता गयी.

वो रसोई के बरनर वाले प्लॅटफॉर्म से सट के खड़ी थी और उसकी पीठ रंगा की तरफ थी.

रंगा ने इस बार निरुत्तरर रानी के घान्घरे में हाथ डालके उसकी चूत पकड़ ली.

उसकी इस उनपरत्याशित हरकत से रानी सपकपा गयी और उसके तरफ मूह करके रंगा के छाती में सर छुपा के उसके बदन से लिपट गयी.

रंगा अब अपने दोनो हाथ रानी के नितंबों पर सरसरने लगा और एक हाथेलि से उसकी चूत फिर से दबाकर पूछा – बोलोना गुड़िया रानी, ई भगवान को भोग कब चढ़ाओगी और प्रसाद कब ग्रहण करोगी????

ये कहके उसने लेफ्ट हाथ से रानी का च्चेहरा उठाया तो देखा की उसके गाल लाल हो गये हैं. शरम से उसने आँखें बंद कर रखी थी.

रानी धीरे से शरमाते हुए बोली – आप ही की तो गुड़िया हैं! जैसे चाहे खेल लीजिए!

वो रंगा की छाती तक भी पूरा नही पहुचती थी.

रंगा ने अपना सर झुका कर रानी के जलते होठों पे अपने होठ रख दिए और अपनी जीभ अंदर घुसाके रानी का लार पीने लगा.

रानी को जैसे मालूम था की ऐसा होने वाला है, शायद इसलिए उसने अपने आधार खोल दिए थे ताकि रंगा पूरी तरह उस कली का रस-पान कर सके.

रानी के मूह से अभी भी गुलाब की हल्की खुश्बू आ रही थी. पर टेस्ट उनके वीर्य और शहद का मिक्स आ रहा था.
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