खिलोना compleet

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rajsharma
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Re: खिलोना

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"छ्चोड़िए ना!अभी नही.",अपनी सास का बिस्तर थी करती रीमा को विरेन्द्र जी ने पीछे से दबोचा तो वो छितक कर उनसे अलग हो गयी,"अभी भाय्या हैं घर मे.प्लीज़ आज नही."

"इतना डरती क्यू हो?उसे कुच्छ पता नही चलेगा.",उन्होने उसे गले से लगाया & उसकी गर्दन चूमने लगे.

"नही.आज नही.",रीमा कसमसाई.

"तो तुम्हारे कमरे मे चलते हैं."

"नही.",रीमा ने उन्हे परे धकेल दिया,"पागल हो गये हैं क्या?वाहा तो बिल्कुल नही,अगर भाय्या ने देख लिया तो मैं तो कहीं की ना रहूंगी!"

"तो ठीक है जब वो सो जाएगा तब तुम आ जाना,वरना मैं तुम्हारे कमरे मे आ जाऊँगा.",वो फिर उसके बदन से आ लगे.

"क्यू ज़िद करते हैं?छ्चोड़िए ना."अपनी सास के बिल्कुल बगल मे खड़ी हो अपने ससुर से लिपट कर उनसे किस करवाने मे रीमा को बहुत अजीब सा लग रहा था.

"पहले तुम वादा करो के शेखर के सोने के बाद तुम यहा आ जाओगी."

"ठीक है.पर आप भी वादा करिए की मुझे जितनी भी देर हो आप मेरे कमरे मे नही आएँगे."

"वादा किया.",कह के उन्होने रीमा का गाल चूम लिया.

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अपने कमरे मे आ रीमा ने सारी उतार कर नाइटी पहन ली.उसे प्यास लगी तो देखा की पलंग की साइड टेबल पे रखी बॉटल खाली है.वो बॉटल उठा पानी लेने किचन मे चली गयी.फ्रिड्ज से बॉटल निकाल उसने ग्लास मे पानी डाला & जैसे ही पी कर ग्लास रखा,उसे पीछे से किसी ने बाहो मे भर लिया.

वो चीखने ही वाली थी की 1 हाथ उसके मुँह पे आ गया,"श..!मैं हू,शेखर."

"क्या पागलपन कर रहे हैं?!पिताजी ने देख लिया तो.",शेखर ने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठो से लगा उसे खामोश कर दिया.वो चूमता हुआ उसे किचन से बाहर ले गया.रीमा डर गयी की अगर उसके ससुर अपने कमरे से बाहर आ गये तो.उसने छूटने की कोशिश की पर शेखर के होठ & बाहो की मज़बूर गिरफ़्त से बाहर नही निकल पाई.

शेखर उसे चूमता हुआ अपने कमरे मे ले आया & दरवाज़ा बंद कर उसी दरवाज़े से उसे उसने रीमा की पीठ अड़ा दी & उसके बदन को अपने बदन से दबा उसे पागलो की तरह चूमने लगा.

"प्लीज़...मत करिए...पिताजी हैं घर मे...",रीमा ने मस्ती से उखड़ती सांसो के बीच कहा.

"वो सो गये हैं.मैने खुद देखा है.तुम डरो मत,मैं हू ना.",शेखर ने उसकी नाइटी उठा उसकी बाई जाँघ को उठा लिया.अब वो अपने लंड से उसकी चूत पे धक्के लगा रहा था & उसकी जाँघ सहलाते हुए उसके होंठो का रस पे रहा था.उसकी इस हरकत ने रीमा को भी मस्ती मे ला दिया.वो भी उसके गिर्द बाहे लपेट उसके होंठो को चूमते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से लड़ाने लगी.

रीमा ने शेखर की शर्ट मे हाथ घुसा दिया & उसके हाथ उसकी पीठ पे फिसलने लगे.थोड़ी देर बाद उसने किस तोड़ी & शेखर की शर्ट को निकाल दिया.शेखर ने भी 1 हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोला & उसके कंधे से उसे सरका दिया.नाइटी 1 झटके मे ही नीचे ज़मीन पे पड़ी नज़र आई.

कमरे मे अंधेरा था & खिड़की से आती स्ट्रीट लाइट की रोशनी मे उसका बदन कुच्छ नुमाया & कुच्छ छिप रहा था & कुच्छ ज़्यादा ही नशीला लग रहा था.शेखर ने उसकी जाँघ को उठाए हुए उसे फिर चूमना शुरू कर दिया.दरवाज़े से लगी रीमा भी उसकी नंगी पीठ सहलाती उसका साथ देने लगी.

चूमते हुए शेखर नीचे उसकी गोरी गर्दन पे आया & कुच्छ देर वाहा बिताने के बाद नीचे उसकी छातियो पे झुक गया."ऊहह..!",रीमा ने अपना निचला होंठ अपने दन्तो तले दबा कर अपनी आ को रोका.उसके दिमाग़ के किसी कोने मे अभी भी ये ख़याल था कि कही उसके ससुर को उसके & शेखर के बीच के खेल का पता ना चल जाए.

शेखर की जीभ उसके निपल को छेड़ रही थी,निपल चाटते हुए उसने पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश की पर नाकाम रहा.रीमा ने मस्त हो अपनी कमर हिला उसके लंड मे रगड़ दी & उसके सर को अपनी छाती पे और भींच दिया.काफ़ी देर तक शेखर उसके सीने के उभारो को चूमता,चूस्ता रहा & वाहा अपने मुँह से उसने अपने बाप के बनाए निशानो मे थोड़ा और इज़ाफ़ा कर दिया.

फिर वो अपने घुटनो पे बैठ गया & उसकी बाई जाँघ को अपने हाथ से हटा अपने कंधे पे रख लिया.उसकी जीभ उसके नेवेल रिंग को छेड़ती हुई उसकी नाभि की गहराई मापने लगी.

"ऊन्नह...!",रीमा मस्ती से छट-पटाई & 1 हाथ अपने सर पे रख उसे पीछे झुका कर दूसरे हाथ से शेखर के सर के बालो को भींचती हुई उसके सर को अपने पेट पे दबा दिया.शेखर उसके गोल,सपाट पेट को चूमते हुए नीचे आने लगा.थोड़ी देर तक वो उसके निचले पेट को चूम रीमा को तड़पाता रहा जो चाह रही थी कि जल्द से जल्द वो अपनी लपलपाति जीभ उसकी चूत मे घुसा दे.
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

रीमा ने परेशान हो उसका सर नीचे अपनी चूत की ओर धकेला तो शेखर ने उसकी बात मानते हुए उसकी गीली चूत मे अपनी जीभ घुसा दी.

"एयाया...अहह...!",रीमा खुशी & जोश से कराही.शेखर उसकी कंधे पे रखी जाँघ को शाहलाते हुए उसकी चूत छ्चोड़ उसकी चूत के पास के हिस्से & उसकी अन्द्रुनि जाँघो को चूमने लगा.चूमते हुए वो अपने होटो से वाहा पे ऐसे काटता जैसे की दांतो से काट रहा हो.रीमा तो बस हवा मे उड़ रही थी.

उसकी जाँघो की सैर करने के बाद शेखर की ज़बान वापस रीमा की चूत मे पहुँची & वाहा उसने उसके दाने के साथ जो छेड़ खानी की रीमा तो बस ये भूल ही गयी कि घर मे उसके ससुर भी मौजूद हैं जो उसके मुँह से निकलती बिंदास आहे सुन सकते हैं.अपने जेठ के सर को अपनी चूत पे भींच अपनी कमर बेचानी से हिलती बड़ी मुश्किल से अपनी टांगो पे खड़ी वो झाड़ गयी.

बैठहुए ही शेखर ने अपने शॉर्ट्स निकाल दिए.रीमा की टाँगो मे तो जैसे जान ही नही थी,वो निढाल हो गिरने ही वाली थी कि शेखर उसके जाँघ को कंधे से उतार खड़ा हुआ.उसने दोनो जंघे अपने हाथो मे उठाई & अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी गीली चूत मे पेल दिया.

"आआ...आहह...!",रीमा ने अपनी बाहें उसके कंधे पे डाल उसकी गर्दन को लपेट लिया & उस से चिपक उस से चुदने लगी.शेखर उसकी जंघे थामे लंबे-2 धक्के लगाने लगा.हर धक्के पे रीमा का बदन दरवाज़े से टकरा रा था & धाप-धाप की आवाज़ हो रही थी.रीमा के दिमाग़ मे फिर ख़याल आया कि कही उसके ससुर ये आवाज़ ना सुन ले पर फिर मस्ती उसके दिमाग़ पे ऐसी हावी हुई की वो बस अपने जेठ की कमर पे टांगे लपेट उसके होंठो को चूमती उसके धक्को का मज़ा लेने लगी.

खड़े हो के चुदने से शेखर का लंड हर धक्के पे उसके दाने को भी बुरी तरह रगड़ रहा था & रीमा का हाल बुरा हो गया था.उसने शेखर की पीठ पे नाख़ून गढ़ा दिए & उसके कंधे पे अपने दाँत & झाड़ गयी.शेखर उसकी इस हरकत से कराह उठा & उसने कुच्छ ज़्यादा तेज़ धक्के मार कर अपने छ्होटे भाई की विधवा की चट को अपने पानी से भर दिया.

अपनी बाहो मे रीमा को वैसे ही उठाए हुए वो बिस्तर पे आ लेट गया.अब रीमा अपने जेठ के दोनो ओर टांगे फैलाए उसके सीने से अपनी छातिया दबाती उसके उपर लेटी थी.लेटते ही शेखर का सिकुदा लंड उसकी चूत से निकल गया.

दोनो 1 दूसरे के चेहरे को सहलाते 1 दूसरे के होटो को हल्के-2 चूम रहे थे,"ओह्ह्ह,रीमा!तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मैने आज तक नही देखी & तुमसे जो सुकून मैने पाया है वो आज तक मुझे कभी नही मिला."

"झूठे!ऐसी बातें कितनी लड़कियो से कही हैं?",रीमा ने उसके गाल पे प्यार से चपत लगाई.

"तुम पहली हो,रीमा.सच मे!"

"अच्छा मीना भाभी को नही कहा था?वो तो इतनी सुंदर थी!मेरी समझ मे नही आता आपने उन्हे क्यू छ्चोड़ दिया?"

"मैने नही,उसने मुझे छ्चोड़ा रीमा.",शेखर उसकी गंद सहला रहा था.

"क्या?मगर क्यू?",रीमा उसके निपल को नाख़ून से छेड़ रही थी.

शेखर उसकी गंद सहलाता हुआ काफ़ी देर तक उसकी आँखो मे देखता रहा.फिर दूसरे हाथ से अपने सीने पे दबी उसकी छातियो मे से 1 को दबाने लगा,"मीना को मैं कॉलेज से जानता था & पसंद करता था पर कभी भी उस से प्यार का इज़हार नही किया था.हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे पर फिर भी मेरी हिम्मत नही होती थी."

रीमा ने महसूस किया कि उसकी गंद & चूची पे उसके जेठ के हाथ का दबाव और सख़्त हो रहा था.उसकी चूत मे फिर से खुजली शुरू होने लगी & निपल्स कड़े होने लगे,"फिर 1 दिन उसी ने मुझ से कहा तो मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी.",शेखर ने उसकी गंद की दरार से होते हुए उसकी चूत मे उंगली डाल दी.

"पर शादी के बाद मुझे असलियत पता चली.",रीमा को अपनी गंद पे शेखर के दोबारा तननाए लंड की दस्तक महसूस हुई.शेखर ने उसकी गंद को उठाया तो रीमा उसका इशारा समझ गयी.अपनी गंद उठा उसने हाथ पीछे ले जा अपने जेठ के खड़े लंड को पकड़ा & उसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया.

"ऊओन्नह...",वो अपने जेठ को पकड़ उसे चूमने लगी & कमर हिला उसे चोदने लगी.

"क्या आस...लिया..त पता च..अली?",आहों के बीच उसने पूचछा.

"मीना लेज़्बीयन थी.उसे लड़किया पसंद थी.",उसने उसके कंधे उठा अपने होंठ उसकी छाती से लगा दिए.
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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

खिलोना पार्ट--11

"क्या?!",हैरत के मारे रीमा शेखर के मुँह से अपनी छाती खींचते हुए उठ बैठी.

"हा ये सुन के मेरी भी ऐसे ही हैरानी से आँखे फॅट गयी थी.",उसने अपने हाथो से रीमा के उभरो को मसलना शुरू कर दिया तो रीमा मस्त हो पीछे को झुक गयी & उसकी जाँघो पे हाथ रख अपनी कमर हिला कर उसे चोदने लगी.

"मुझे शक़ तो शादी के फ़ौरन बाद ही हो गया था,जब भी मैं मीना के साथ हुम्बिस्तर होता तो कभी भी उसके प्यार मे वो शिद्दत,वो गर्मी नही महसूस करता जो अभी मैं तुम्हारे साथ महसूस कर रहा हू.",उसने अपनी उंगलियो & अंगूठो के बीच उसके गुलाबी,कड़े निपल्स को मसला.

"ऊनन्न...न्नह...!",रीमा के मुँह से मस्ती भरी आह निकली,"तो इसीलिए आपने उन्हे छ्चोड़ दिया?"

"नही.उसने छ्चोड़ा मुझे.वो समझती थी कि शादी करने के बाद 1 मर्द के साथ सोने से वो अपनी लेज़्बीयन टेंडेन्सीस से छुट कारा पा जाएगी.",उसके हाथ उसकी चूचियो छ्चोड़ उसके पेट से होते उसकी कमर पे आ गये & वाहा सहलाने लगे,"..पर शादी के बाद उसे पता चला कि वो 1 पक्की लेज़्बीयन थी & 1 लड़की के साथ ही उसे सच्ची खुशी मिल सकती थी.तब उसने मुझे पूरी बात बताई & अलग होने की बात कही."

"ये बात बाहर आ जाती तो उसके पिता की बदनामी तो होती ही& उसका मज़ाक उड़ता सो अलग.",शेखर का 1 हाथ अब उसके चूत के दाने को छेड़ने लगा तो दूसरा उसकी गंद मसालने लगा,"हमने कोर्ट मे ये कहा की हमारी नही बनी & अलग हो गये."

रीमा अपनी चूत पे हो रहे दोहरे हमले से और जोश मे आ गयी.शेखर की जाँघो मे नाख़ून गाड़ते हुए उसकी कमर और तेज़ी से हिलाने लगी.तभी शेखर ने अपना हाथ उसकी गंद से हटा 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी & अंदर-बाहर करने लगा.ये रीमा के लिए बहुत था & आहें भरती हुई अपनी चूत अपने जेठ के लंड पे कस्ति वो झाड़ गयी.

उसके झाड़ते ही शेखर ने उसकी चूचिया पकड़ उसे अपनी ओर खींचा,"औच्च..!",रीमा कराही.शेखर ने उसकी कमर को जाकड़ लिया & उचक कर उसकी चूची चूसने लगा & अपने घुटने मोड़ नीचे से अपनी कमर उचका कर धक्के मार उसकी चूत चोदने लगा.

रीमा अपने जेठ के सर को बाहों मे भरे उसके सर को चूमते उसके धक्के सहने लगी.कोई 5 मिनिट तक ज़ोरदार धक्के लगाने के बाद शेखर उसकी चूत मे झाड़ गया.रीमा प्यार से उसके चेहरे को चूमने लगी.

"आपने सही कहा था,हम दोनो ही तन्हा हैं & जिनसे हमने प्यार किया उन्हे शायद हम ठीक से समझ नयी पाए."

"क्या मतलब?रवि & तुम तो बहुत खुश थे."

"हां,पर उसकी मौत के बाद 1 बात जो सामने आई उसने मुझे भी सोचने पे मजबूर कर दिया."

"कौन सी बात?"

रीमा ने उसे रवि के बॅंक से धोखे से लिए गये लोन से जुड़ी सारी बात बता दी.

"क्या?!और पिता जी ने 4 लाख रुपये चुप-चाप दे दिए?",रीमा अपने जेठ के उपर से उतर उसके बगल मे बैठ उसके सीने & माथे को सहलाने लगी.

"हां."

"हो ना हो,पिताजी कुच्छ जानते हैं.",रीमा उठ कर दरवाज़े तक गयी & वाहा गिरी नाइटी उठा पहनने लगी.

"लगा तो मुझे भी कुच्छ ऐसा ही था पर क्या पुछ्ति उनसे?"

"कोई फयडा भी नही होगा पुच्छने से.वो कुच्छ बताएँगे भी नही.ऐसे ही हैं वो बस खुद से मतलब है.",शेखर 1 अपमान भरी हँसी हंसा.

"आपको नही लगता कि इस बात का & रवि की मौत का कोई ताल्लुक हो सकता है?",रीमा ने नाइटी का ज़िप बंद किया.

"नही रीमा.वो तो 1 हादसा था.अगर ज़रा भी शक़ की गुंजाइश होती तो पोलीस ज़रूर हमे कुच्छ बताती,पर पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट्स &पोलीस के अनुभवी अफसरो का भी यही कहना था कि वो 1 आक्सिडेंट था."

"ओह्ह.",रीमा ने ठंडी आह भरी & शेखर के कमरे से निकल गयी.
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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

बाथरूम मे जा उसने अपनी चूत से अपने & अपने जेठ के मिले-जुले पानी को सॉफ किया & उसके बाद अपने कमरे मे जा अपने बिस्तर पे लेट गयी.रवि की मौत की याद ने उसे थोड़ा उदास कर दिया था.थोड़ी देर के बाद जब वो थोडा बेहतर महसूस करने लगी तो उसे अपने ससुर के कमरे मे जाने का ख़याल आया.

ये ख़याल आते ही उसकी आँखो के सामने उनका विशाल लंड घूम गया & वो उसके लिए मचल उठी.शेखर की चुदाई से उसे मज़ा तो काफ़ी आया था पर उसमे वो बात नही थी जो उसके ससुर के लंड की चुदाई मे थी.

वो उठी & अपने ससुर के कमरे मे पहुँच उसे अंदर से बंद कर दिया.उसने देखा कि उसके ससुर केवल 1 पाजामे मे बाई करवट लिए अपनी बाई बाँह फैलाए सो रहे थे.रीमा उनकी बाँह पे गर्दन रख उनके पेट से अपनी पीठ सटा लेट गयी.

"बड़ी देर कर दी आने मे?",उसके ससुर ने अपने बाए हाथ से उसके पेट को दबाया & बाए हाथ से उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा के चूम लिया.

"पहले पक्का कर लिया कि भाय्या सो गये हैं फिर आई.",वीरेन्द्रा जी उसकी गर्दन & कान को अपनी जीभ से चाट रहे थे.

"आहह..!",रीमा हाथ पीछे ले जा के उनकी जाँघ सहलाने लगी.उसके पेट पे दबाव बढ़ा उसके ससुर ने उसे अपने से और चिपका लिया.उनका तना लंड उसकी गंद को छेड़ रहा था.उसने हाथ उनकी जाँघ से सरका कर उनके पाजामे के अंदर घुसा दिया & उनके लंड को दबोच लिया.विरेन्द्र जी जोश से भर उठे & उसकेगुलाबी होटो को अपने होटो की गिरफ़्त मे ले लिया.अपने दाए हाथ से उन्होने उसकी नाइटी उसके पेट तक उठा दी & ये देख कर उन्हे बहुत खुशी हुई की उनकी बहू ने पॅंटी नही पहनी है.

वो उसके नर्म पेट कोसेहलाने लगे तो रीमा मस्त हो उठी.थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे 1 दूसरे से खेलते रहे.फिर विरेन्द्र जी ने ज़िप खोल उसकी नाइटी निकाल दी & साथ ही अपना पाजामा भी.उसके बाद दोनो फिर पहले की तरह ही करवट से लेट गये.विरेन्द्र जी की बाई बाँह रीमा की गर्दन के नीचे थी & वो उसे मोड़ कर उस से उसकी चूचियो दबा रहे थे.उनका दाया हाथ उसके पेट को सहला कर अब उसकी चूत की दरार के अंदर जा चुका था & उसकी चूत मारते हुए उसके दाने से खेल रहा था.

रीमा की मस्त आहें कमरे मे गूँज रही & वो अपना हाथ पीछे ले जाकर लगातार अपने ससुर के लंड को हिला रही थी.विरेन्द्र जी अपने विर्य को यू ही ज़ाया नही करना चाहते थे.उन्होने फ़ैसला किया कि अब बहू की चूत के अंदर लंड पेलने का वक़्त आ गया है.उन्होने रीमा के हाथ को लंड से अलग किया & उसकी जाँघ उठा कर पीछे से उसकी चूत मे लंड को घुसा दिया.

"ऊव्ववव...!",गीली चूत मे 1 ही झटके आधा लंड घुस गया तो रीमा खुशी से करही.विरेन्द्र जी ने 1 ज़ोर का झटका मार लंड को और अंदर घुसा दिया & फिर उसकी कमर थाम उसके कान मे अपनी जीभ फिरते धक्के लगा उसे चोदने लगे.कोई 10 मिनिट तक दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे.

पर इस पोज़िशन मे विरेंड्रा जी को दो मुश्किलो का सामना करना पद रहा था,पहली तो ये की वो अपनी बहू की रसीली,कसी हुई च्चातियो कोचूँ नही पा रहे थे & दूसरी की उनकी बहू की भारी गंद के कारण पीच्चे से लंड पूरा जड़ तक उसकी छूट मे नही उतार रहा था,कोई 2 इंच लंड अभी भी बाहर ही था.

इस उलझन को सुलझाने के लिए उन्होने 2 कदम उठाए.पहले तो उन्होने ने रीमा की दाई बाँह को उठा अपने गले मे डाल दिया,अब वो बड़ी आसानी से कोहनी पे उचक कर उसकी चूचिया चूम सकते थे.दूसरे उन्होने उसकी दाई जाँघ को भी हवा मे उठा घुटने को उपर की तरफ मोड़ दिया.

"या..अहह..!",अगला धक्का पड़ते ही लंड जड़ तक रीमा की चूत मे धँस गया & उनकी झांते उसकी गंद पे गुदगुदी करने लगी.अब विरेन्द्र जी अपनी बहू की टांग हवा मे उठाए उसकी चूचिया चूस्ते हुए उसे चोद रहे थे.तेज़ धक्को से दोनो के बदन टकरा कर ठप-ठप की आवाज़ पैदा कर रहे थे.

चारो तरफ बस रीमा की गरम आहों,विरेन्द्र जी की भारी सांसो,उनके उसकी चूची को चुस्ती ज़ुबान की छाप-छाप & दोनो की जाँघो के टकराने की ठप-ठप की आवाज़े गूँज रही थी.

उसके ससुर का लंड ना केवल उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ उसकी कोख तक उतर रहा था बल्कि साथ ही साथ रीमा के गुलाबी दाने को भी रगड़ रहा था.रीमा खुशी से पागल हो रही थी.उसने अपने ससुर के चेहरे को अपनी चूची पे दबा दिया,उसकी चूत सिकुड़ने-खुलने लगी & उसका बदन जैसे ऐंठ गया,उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी & वो झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही विरेन्द्र जी ने भी अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया.

वो उसकी चूत मे लंड डाले उसे पीछे से थामे थोड़ी दे पड़े सुबक्ती हुई रीमा के बॉल चूमते रहे.जब वो शांत हुई तो उन्होने उसकी चूत से लंड निकाला & उसे अपनी ओर घुमा उसेआपनी बाहों मे भर लिया.रीमा ने भी उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया & हाथ पीछे ले जा उनकी पीठ पे फेरने लगी.
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Re: खिलोना

Post by rajsharma »

"क्या किया आज दिन भर?",वो उसके कंधे को सहला रहे थे.

"कुच्छ खास नही.बस रवि की चीज़े ठीक कर रही थी.",उसने उनके निपल को अपने दाँत & जीभ के बीच दबा हल्के से काटा.

"ओह्ह."

"1 बात पूच्छून?",उसने उनके सीने से सर उठा कर उनकी तरफ देखा.

"पूच्छो.",उन्होने उसके मासूम चेहरे को प्यार से सहलाया.

"आपने रवि के बॅंक मॅनेजर को इतनी आसानी से 4 लाख रुपये क्यू दे दिए?"

विरेन्द्र जी ने उसे पीठ के बल लिटा दिया & उसके उपर झुक उसकी आँखो मे झाँकने लगे,"मुझे पता है तुम्हे अजीब लगा होगा.",उन्होने उसकी छातियो को मसल्ते हुए उसकी गर्दन पे चूम लिया.

"उम्म्म...",रीमा को ये बहुत अच्छा लगा.

"याद है मॅनेजर ने सारे पेपर्स दिखाए थे?वो बिल्कुल सही थे.रवि ने धोखाधड़ी की थी.",वो अपनी 1टांग उसकी जाँघो के बीच फँसाए उसकी चूचिया दबा रहे थे,"..मैं 1 सरकारी मुलाज़िम हू रीमा.अब अगर मैं इस बात पे ज़ोर देता कि पोलीस एंक्वाइरी हो तो बिना मतलब का बखेड़ा खड़ा होता & मेरी नौकरी पे भी कोई असर पड़ सकता था."

दोनो फिरसे सुरूर मे आने लगे थे.विरेन्द्र जी उठ कर घुटनो पे बैठ गये & उसकी चूत मे उंगली करने लगे.रीमा ने भी हाथ बढ़ा कर उनके लंड को थाम लिया & उसे हिला-2 कर फिरसे खड़ा करने लगी.

"और फिर यहा है ही कौन मेरे भार को बाँटने वाला.मैं कौन-2 से काम देखु?तुम्ही बताओ.रीमा उठ बैठी &अपने ससुर के होंठ चूमने लगी,दोनो के हाथ अभी भी 1 दूसरे की गोद मे घुसे 1 दूसरे के कोमल अंगो को छेड़ रहे थे.

"पता है तुम्हे यकीन नही होता होगा,पर रवि ने गबन किया था,ये सच है.",उन्होने किस तोड़ उसके गाल सहलाए,"..हा,उसने ऐसा क्यू किया ये मेरी समझ मे भी नही आता."

"आपको नही लगता हमे इसका पता लगाना चाहिए?"

"रीमा,उसकी मौत 1 हादसा थी लेकिन अगर तुम्हारे मन मे कोई स्शुभा है तो उसे दूर करने हमे बॅंगलुर जाना पड़ेगा & तुम्ही बताओ यहा से मैं कैसे जाऊं?",उन्होने उसके होंठ चूम लिए,"..और तुम्हे मैं अकेले जाने नही दूँगा.पर फ़िक्र मत करो अगर तुम्हारे मन मे कोई सवाल है तो उसका जवाब ढूँदने का कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लूँगा."

"अरे मैं तो भूलही गया था.",उन्होने उसकी चूत से हाथ खींच & बिस्तर से उतार पास रखी स्टडी टेबल के पीछे गये & कुर्सी खींच बैठ गये,दराज़ खोली & उसमे से कुच्छ काग़ज़ात निकले.चूत से हाथ हटते ही रीमा बेचैन हो उठी थी & जैसे ही उसके ससुर ने उसे अपने पास आने का इशारा किया वो बिस्तर से कूद कर उनके पास आ गयी.

विरेन्द्र जी का लंड पूरा तना हुआ था उन्होने रीमा की गंद अपने तरफ कर उसके मुँह कोस्टुडे टेबल के सामने कर खड़ा कर दिया.अब रीमा की टाँगे उनकी टांगो के दोनो तरफ थी.फिर उसकी कमर पकड़ वो उसे नीचे बिठाने लगे.

"ऊऊओववववव......!"विरेन्द्र जी उसकी चूत को अपने लंड पे बिठा रहे थे.रीमा आँखे बंद किए अपनी चूत मे उनके लंड को भरता महसूस कर रही थी.थोड़ी ही देर मे वो उनकी गोद मे मेज़ की ओर मुँह कर बैठी थी & उनका लंड उसकी चूत मे पूरा घुसा हुआ था.

"ये कुच्छ पेपर्स हैं,रवि के नाम कुच्छ प्रॉपर्टी थी जोअब तुम्हारी हो जाएगी.इन्पे दस्तख़त कर दो..",उन्होने उसके हाथ मे कलाम थमाई.रीमा का ध्यान तो बस अपनी चूत मे घुसे लंड & उस से मिलने वाले मज़ेपे था.उसने तो हौले-2 कमर हिलाकर उनकेलुँद को चोदना भी शुरू कर दिया था.उसने कलम थम ली.

"..हा यहा पे..& यहा पे..",उन्होने दिखाया & रीमा ने किसी तरह दस्तख़त कर दिए.विरेन्द्र जी ने काग़ज़ात उठा कर वापस दराज़ मे रख दिए तो रीमा मेज़ पकड़ तेज़ी से कमर हिलाते हुए उन्हे चोदने लगी &विरेन्द्र जी आगे कोझुक उसकी संगमरमर जैसी गोरी पीठ चूमने लगे.

सवेरे रीमा की नींद देर से खुली.रात जेठ & ससुर,दोनो से ही 2-2 बार चुदने के बाद वो थक के चूर अपने कमरे मे आकर सो गयी थी.गणेश की मदद से दोनो मर्दो को नाश्ता करा,दफ़्तर भेज वो अपने कमरे मे आ गयी & बाहर जाने के लिए तैय्यर होने लगी.

रात चुदाई के वक़्त हुई दोनो मर्दो से बातें उसके ज़हन मे घूम रही थी.शेखर कहता था कि मीना लेज़्बीयन थी तो दोनो आपसी रज़ामंदी से अलग हो गये,वही वीरेन्द्रा जी कहते थे कि शेखर ने मीना से पैसे माँगे थे.कोई भी बाप अपनी औलाद पे ऐसा इल्ज़ाम क्यू लगाएगा,चाहे वो औलाद कितनी भी नालयक क्यू ना हो.फिर शेखर का कहना था कि रवि के गबन के पीछे की बात विरेन्द्र जी को पता होगी पर विरेन्द्र जी ने जो कारण उसे बताया वो भी वाजिब था.और तो और उन्होने उसे भरोसा भी दिलाया था कि वो उसके सवालो का जवाब ढूँडने मे उसकी मदद ज़रूर करेंगे.

रीमा ने गहरे भूरे रंग की पॅंट पहनी थी & क्रीम कलर की धारियो वाली फॉर्मल शर्ट.उसके बदन के सभी कटाव & गोलाइयाँ इस लिबास मे पूरे उभर रहे थे.रीमा भी जानती थी की उसकी भारी गंद पॅंट मे और भी मस्त लग रही होगी & जब वो चलेगी तो आज सड़क चलते उसकी मटकती गंद कुच्छ ज़्यादा ही घुरि जाएगी.

तैय्यर होने के बाद अपनी सास के कमरे मे आ उसने देखा की वो आँखे खोले दरवाज़े की तरफ ही उसे देख रही थी.रीमा ने उन्हे नाश्ता & दवाई सब दे दिया था.उनके पास बैठ वो प्यार से उनके सर को सहलने लगी.वो चाहती थी कि वो सो जाएँ तो वो घर से बाहर निकले.
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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