अगले दिन रोज की तरह मयंक और मैं कॉलेज के लिए घर से निकल पड़े. कल की बातों की वजह से मैं मयंक से बात नहीं कर रहा था. मयंक ने बस में मुझसे पुछा, "क्या बात है. आज बड़ा चुप चुप है." मैंने कहा "नहीं कोई ख़ास बात नहीं है." मयंक बोला "सुन आज कॉलेज छोड़ और मेरे साथ चल. तेरा मूड ठीक कर दूंगा." मैंने पुछा "कहा?" तो मयंक बोला "चल तो सही." और वो मुझे लेकर बस से उतर गया और एक सिनेमा हाल के सामने पहुच गया जहा मोर्निंग शो में एक इंग्लिश फिल्म चल रही थी. मयंक ने टिकेट खरीदी और हम दोनों अन्दर चले गए. मैंने डरते हुए मयंक से पुछा "यार अगर कोई जान पहचान का मिल गया तो?" मयंक बोला "पहली बार मोर्निंग शो देखने आये हो क्या? अरे अन्दर कोई किसी को नहीं पहचानता. जो दिखेगा वो भी तो फिल्म देखने ही आया होगा." मैंने पहली बार इतनी गरम फिल्म देखी थी वरना मैं तो अभी तक बस मस्तराम के ही भरोसे था. फिल्म के बाद मयंक बोला "मजा आ गया. आज तो इसी हेरोइन को याद करके मुठ्ठ मारेंगे. क्यों भाई."
"बिलकुल भाई" मैंने जवाब दिया. वैसे तो मयंक से मेरी दोस्ती अच्छी थी पर हम एक दुसरे की नज़र में आज तक शरीफ बने थे. आज जब मयंक और मैंने वो शराफत का नकाब उतार फेका तो हमारे बीच ज्यादा पर्देदारी नहीं बची थी. मैंने मयंक से सीधे ही पूछ लिया "भाई कोई बोल रहा था की तुम मेरी बहन के बारे में कुछ गलत बोल रहे थे इसीलिए मेरा मूड कुछ ख़राब है." मयंक ये सुन कर थोडा चौंका तो पर फिर आराम से बोला "मैंने रश्मि के बारे में किसी से कोई गलत बात नहीं की. तुमने क्या सुना है." मैंने कहा "तुमने किसी से कहा है की वो तुम्हारी गर्ल फ्रेंड है." मयंक ने साफ़ मना कर दिया. वो बोला "मैंने किसी से ऐसा नहीं कहा. हां कभी कभी रश्मि रुची से मिलने घर आती है तो बात हो जाती है. इसीलिए हमारी थोड़ी दोस्ती जरूर है पर इसमें तुम्हे परेशान होने वाली क्या बात है."
नए पड़ोसी complete
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Re: नए पड़ोसी
मैंने मौके पर चौका मार दिया और बोला "अगर मेरी रुची से दोस्ती होती तो तुम्हे कोई परेशानी नहीं होती क्या?" "इसमें परेशानी की क्या बात है. अगर तुम्हे विश्वास नहीं है तुम आज ही शाम को घर आना. मैं खुद तुम्हारी रुची से दोस्ती करवा दूंगा." मुझे लगा की या तो मयंक बहुत बड़ा हरामी है या फिर वो ओम झूठ बोल रहा था पर तभी मुझे याद आया की दीदी की अलमारी में वो कार्ड जिस पर मयंक का नाम था. नार्मल दोस्ती में कौन लड़का लड़की को कार्ड देता है. मैंने बोला "शाम को तो मैं कोचिंग जाऊँगा. कल सन्डे है. कल सुबह मेरी रुची से दोस्ती करवा देना." मयंक सोच में पढ़ गया, उसने सोचा नहीं था की मैं सच में उससे कहूँगा की मेरी दोस्ती उसकी बहन से करवा दो. फिर वो बोला "ठीक है. आ जाना. अब मैं जाता हूँ. कोचिंग में देर हो जाएगी." मैं वापस घर लौट आया. मैं थोडा जल्दी घर पहुच गया था. मैंने देखा की ओम की दुकान बंद है. मुझे थोडा अजीब लगा की ये दुकान बंद करके कहा चला गया. तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया की कहीं ये आंटी के साथ तो नहीं लगा हुआ.
मैं फटाफट ताला खोल कर घर में आया और छत के रस्ते से मयंक के घर अन्दर चला गया. मेरी फट तो बहुत रही थी पर मैंने सोचा की जो होगा देखा जायेगा. मैं दबे कदमो से नीचे आया तो मैंने देखा की आंटी के बेडरूम के दरवाजा बंद था. मैं धीरे से दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा. मेरा शक सही निकला अन्दर से आंटी की हँसने की आवाज आ रही थी. तभी ओम की आवाज आई, "मेरी जान. अब और न तड़पाओ". मैं बिलकुल सही समय पर पंहुचा था अभी कांड शुरू नहीं हुआ था. मैंने सोचा की सुबह मयंक ने एक फिल्म दिखाई और अब मयंक की मम्मी दूसरी फिल्म दिखाने वाली है. मैंने फ़ौरन खिड़की के पास आया और अन्दर देखा. अन्दर ओम के हाथ में आंटी की साड़ी और ब्लाउज था और आंटी ब्रा और पेटीकोट में बेड पर लेटी थी.
मैं फटाफट ताला खोल कर घर में आया और छत के रस्ते से मयंक के घर अन्दर चला गया. मेरी फट तो बहुत रही थी पर मैंने सोचा की जो होगा देखा जायेगा. मैं दबे कदमो से नीचे आया तो मैंने देखा की आंटी के बेडरूम के दरवाजा बंद था. मैं धीरे से दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा. मेरा शक सही निकला अन्दर से आंटी की हँसने की आवाज आ रही थी. तभी ओम की आवाज आई, "मेरी जान. अब और न तड़पाओ". मैं बिलकुल सही समय पर पंहुचा था अभी कांड शुरू नहीं हुआ था. मैंने सोचा की सुबह मयंक ने एक फिल्म दिखाई और अब मयंक की मम्मी दूसरी फिल्म दिखाने वाली है. मैंने फ़ौरन खिड़की के पास आया और अन्दर देखा. अन्दर ओम के हाथ में आंटी की साड़ी और ब्लाउज था और आंटी ब्रा और पेटीकोट में बेड पर लेटी थी.
- Kamini
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Re: नए पड़ोसी
thanks for update Rishu
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- rajsharma
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Re: नए पड़ोसी
bahut hi achhi kahani hai dost
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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- mastram
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Re: नए पड़ोसी
mast kahani hai mitr plz update
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
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