नए पड़ोसी complete
- Rohit Kapoor
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Re: नए पड़ोसी
Keep writing dear, Excited for NEXT Update . . . .
Read my all stories
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
- rajsharma
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Re: नए पड़ोसी
bahut achhi kahani hai
Read my all running stories
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: नए पड़ोसी
घर आकर मैं काफी देर सोचता रहा की क्या किया जाए. एक तरफ तो काफी दिनों से मेरा दिव्या को चोदने का जो सपना था वो पूरा होता दिख रहा था पर दिव्या के पति ने जो शर्त रखी थी वो नामुमकिन थी. एक तो शराब का नशा और उस पर वासना का नशा मैं कुछ भी तय नहीं कर पा रहा था तो मैंने रश्मि दीदी से बात करने की सोची और सोचा की उन्हें यहाँ बुला लेता हूँ. यही सोच कर मैं उन्हें फ़ोन लगाने लगा. काफी बार कोशिश की पर हर बार उनका फ़ोन बिजी आ रहा था. मैं दीदी को फ़ोन लगाने की कोशिश करते करते कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला.
जब मेरी नींद खुली तो लगा की कहीं कोई शोर हो रहा है. मैंने थोडा ध्यान दिया तो पाया की कोई मेरे घर की बेल बजा रहा है. मैंने घडी की तरफ देखा. रात का साढ़े नौ बजा था. मैं काफी देर सो गया. मैंने दरवाजा खोला तो सामने राजेश खड़ा था. वो मुझसे बोला "क्या हुआ यार, तुम्हारी भाभी परेशान है की तुम खाना खाने नहीं आये."
"वो दरअसल आँख लग गयी थी इसीलिए नहीं आ पाया. अभी अभी जगा हूँ. आइये अन्दर आइये." मैंने राजेश को बुलाते हुए कहा.
वो अन्दर आ गया और सोफे पर बैठ गया और बोला "चलो जल्दी से हाथ मुह धो लो और घर चलो. मैंने भी अभी खाना नहीं खाया."
मैं बाथरूम में घुसा और सोचने लगा की अजीब आदमी है. दोपहर को बीविया बदलने की बात कर रहा था और अभी ऐसे बोल रहा है जैसे की कुछ हुआ ही न हो. मैं हाथ मुह धोकर बाहर आया. मुझे देख कर राजेश चलने के लिए उठ कर खड़ा हो गया और बोला "चलो दिव्या वेट कर रही होगी और कुछ सोचा रेणुका के बारे में."
"दो मिनट बैठिये, बात करके ही चलते है." मैंने कहा. मैं नहीं चाहता था की दिव्या के सामने बात हो.
"हां हां बोलो." राजेश वापस बैठ गया.
"देखिये राजेश भैया, ये सच है की मैं आपकी पत्नी को चोदना चाहता हूँ और आप चाहे तो उसके बदले मैं रश्मि दीदी को आपसे चुदवा सकता हूँ पर मेरी बीवी को भूल जाइये क्योंकी वो मेरी बात नहीं मानेगी और जबरदस्ती मैं करूंगा नहीं. अब आप से क्या छुपाना मेरी शादी को इतने दिन हो गए मैंने उसे रौशनी में पूरा नंगा नहीं देखा, उसने कभी मेरा लौंडा नहीं चूसा मैंने कभी उसकी गांड नहीं मारी. वो सेक्स को एन्जॉय नहीं करती बल्कि कतराती है. अब आप ही बताओ इतनी दकियानूसी बीवी को आप स्वैपिंग के लिए मांग रहे हो." मैंने साफ़ साफ़ कह दिया.
"रश्मि को चुदवा सकते हो इसका मतलब तुम भी रश्मि को चोदते हो न." राजेश ने पुछा.
"उसकी शादी से पहले चोदता था पर अभी भी आप कहो तो कुछ दिन के लिए उसे यहाँ बुला लूं वो मेरा कहना नहीं टालेगी." मैंने कहा.
जब मेरी नींद खुली तो लगा की कहीं कोई शोर हो रहा है. मैंने थोडा ध्यान दिया तो पाया की कोई मेरे घर की बेल बजा रहा है. मैंने घडी की तरफ देखा. रात का साढ़े नौ बजा था. मैं काफी देर सो गया. मैंने दरवाजा खोला तो सामने राजेश खड़ा था. वो मुझसे बोला "क्या हुआ यार, तुम्हारी भाभी परेशान है की तुम खाना खाने नहीं आये."
"वो दरअसल आँख लग गयी थी इसीलिए नहीं आ पाया. अभी अभी जगा हूँ. आइये अन्दर आइये." मैंने राजेश को बुलाते हुए कहा.
वो अन्दर आ गया और सोफे पर बैठ गया और बोला "चलो जल्दी से हाथ मुह धो लो और घर चलो. मैंने भी अभी खाना नहीं खाया."
मैं बाथरूम में घुसा और सोचने लगा की अजीब आदमी है. दोपहर को बीविया बदलने की बात कर रहा था और अभी ऐसे बोल रहा है जैसे की कुछ हुआ ही न हो. मैं हाथ मुह धोकर बाहर आया. मुझे देख कर राजेश चलने के लिए उठ कर खड़ा हो गया और बोला "चलो दिव्या वेट कर रही होगी और कुछ सोचा रेणुका के बारे में."
"दो मिनट बैठिये, बात करके ही चलते है." मैंने कहा. मैं नहीं चाहता था की दिव्या के सामने बात हो.
"हां हां बोलो." राजेश वापस बैठ गया.
"देखिये राजेश भैया, ये सच है की मैं आपकी पत्नी को चोदना चाहता हूँ और आप चाहे तो उसके बदले मैं रश्मि दीदी को आपसे चुदवा सकता हूँ पर मेरी बीवी को भूल जाइये क्योंकी वो मेरी बात नहीं मानेगी और जबरदस्ती मैं करूंगा नहीं. अब आप से क्या छुपाना मेरी शादी को इतने दिन हो गए मैंने उसे रौशनी में पूरा नंगा नहीं देखा, उसने कभी मेरा लौंडा नहीं चूसा मैंने कभी उसकी गांड नहीं मारी. वो सेक्स को एन्जॉय नहीं करती बल्कि कतराती है. अब आप ही बताओ इतनी दकियानूसी बीवी को आप स्वैपिंग के लिए मांग रहे हो." मैंने साफ़ साफ़ कह दिया.
"रश्मि को चुदवा सकते हो इसका मतलब तुम भी रश्मि को चोदते हो न." राजेश ने पुछा.
"उसकी शादी से पहले चोदता था पर अभी भी आप कहो तो कुछ दिन के लिए उसे यहाँ बुला लूं वो मेरा कहना नहीं टालेगी." मैंने कहा.
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Re: नए पड़ोसी
"मैंने कई बार दिव्या को बोला की मुझे लगता है की मनीष रश्मि को चोदता है पर वो मानती नहीं थी अब तुम अपने मुह से कहोगे तो उसे भरोसा होगा. वैसे तो तुम्हारी बहन भी बहुत मस्त माल है लेकिन अभी तो रेणुका की बात करो." राजेश ने मेरे प्लान पर पानी फेर दिया.
"फिर तो ये नहीं होगा क्योंकि रेणुका कभी नहीं मानेगी." मैंने हथियार डाल दिए.
"रेणुका को तैयार करना तुम मेरे ऊपर छोड़ दो बस तुम हाँ करो. बस तुम हाँ कर दो. और अगर वो नहीं भी मानी तो फिर रश्मि तो है ही." राजेश ने मुझे आप्शन दिए तो मैं फ़ौरन राजी हो गया. मैंने कहा "अगर ऐसी बात है तो मेरी तरफ से हाँ ही समझिये पर रेणुका के साथ कोई जबरदस्ती..."
"कैसी बात करते हो यार. मैं उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं करूंगा लेकिन एक बात का ख्याल रखना की अब तुमने हाँ कहा है तो आगे से मेरी हर स्कीम में तुम्हे मेरा साथ देना होगा." राजेश ने मुझे भरोसा दिलाया.
"तो फिर बात पक्की पर पहले थोडा अपनी स्कीम के बारे में बताइए." मैंने राजेश से पुछा.
"मुझे तुम्हे यही उम्मीद थी. चलो मैं जाता हूँ और दिव्या को ही खाना लेकर तुम्हारे पास भेज देता हूँ. उससे कह दूंगा की तुम्हारे पास रुक कर तुम्हे प्लान के बारे में बता देगी." राजेश ये कह कर चला गया और मैं बेसब्री से दिव्या का इंतज़ार करने लगा. करीब २० मिनट बाद दिव्या खाना लेकर आ गयी. मैंने खाना टेबल पर रखा और दिव्या को बाँहों में भर कर चूमने लगा पर दिव्या ने मुझे रोका और बोली "पहले खाना खा लो इसके लिए तो पूरी रात पड़ी है."
"ठीक है मैं जब तक खाता हूँ तब तक तुम मुझे राजेश भैया का प्लान बताओ." ये कह कर मैं खाना खाने लगा और दिव्या की बात सुनने लगा. दिव्या कहने लगी "देखो तुम रेणुका को अगले हफ्ते लेने जा रहे थे न अब तुम नहीं जाओगे और कल रेणुका को फ़ोन करके बता देना की तुम बैंक की ट्रेनिंग के लिए १५ दिन के लिए बाहर जा रहे हो और उसे लेने नहीं आ पाओगे पर राजेश किसी जरूरी काम से अपनी कार से दिल्ली जा रहे है और तुम्हारे कहने पर वो वापसी में रेणुका को लेते आएंगे."
"पर रेणुका कहेगी की जब मैं यहाँ नहीं हूँ तो वो यहाँ आकर क्या करेगी." मैंने खाते हुए पुछा.
"तुम उससे कह देना की आजकल यहाँ चोरिया बहुत हो रही है तो इतने दिन घर खाली छोड़ना ठीक नहीं है." दिव्या ने मुझे समझाया.
"हाँ ये ठीक रहेगा रहेगा पर एक बात और. मेरी १५ दिन की ट्रेनिग तो है नहीं तो १५ दिन मैं कहा रहूँगा." मैंने पुछा.
"देखो मैंने अगले हफ्ते स्कूल से करीब १५ दिनों की छुट्टी ली है गोवा जाने के लिए पर अब राजेश को जरूरी काम से दिल्ली जाना पड रहा है तो उसका टिकट वेस्ट हो जायेगा तो क्यों न हम तुम गोवा चले १५ दिनों के लिए." दिव्या ने कहा तो मेरा दिल उछल पड़ा. दिव्या के साथ गोवा में १५ दिनों का हनीमून. इसके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता था. मैं फ़ौरन राजी हो गया और बोला "कल क्यों मैं अभी रेणुका को फ़ोन लगा देता हूँ." मैंने रेणुका को फ़ोन पर सब बात बता दी. पहले तो वो यही बोली की जब आप ट्रेनिंग से लौट आना तब आकर मुझे ले जाना पर मेरे समझाने पर राजेश के साथ लौटने पर मान गयी. फ़ोन रखकर मैंने अब दिव्या पर ध्यान दिया. जब मैं फ़ोन पर बात कर रहा था तबी तक दिव्या ने अपनी साडी उतार दी थी और अब वो ब्लाउज पेटीकोट में मेरे सामने खडी थी. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की ये सब इतना जल्दी जल्दी हो रहा था. दिव्या की मोटी चून्चिया ब्लाउज फाड़ के बाहर निकलना चाहती थी. मैंने फ़ौरन आगे बढ़ कर उसके ब्लोसे के सारे हुक खोल दिए और ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को सहलाने लगा.
"फिर तो ये नहीं होगा क्योंकि रेणुका कभी नहीं मानेगी." मैंने हथियार डाल दिए.
"रेणुका को तैयार करना तुम मेरे ऊपर छोड़ दो बस तुम हाँ करो. बस तुम हाँ कर दो. और अगर वो नहीं भी मानी तो फिर रश्मि तो है ही." राजेश ने मुझे आप्शन दिए तो मैं फ़ौरन राजी हो गया. मैंने कहा "अगर ऐसी बात है तो मेरी तरफ से हाँ ही समझिये पर रेणुका के साथ कोई जबरदस्ती..."
"कैसी बात करते हो यार. मैं उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं करूंगा लेकिन एक बात का ख्याल रखना की अब तुमने हाँ कहा है तो आगे से मेरी हर स्कीम में तुम्हे मेरा साथ देना होगा." राजेश ने मुझे भरोसा दिलाया.
"तो फिर बात पक्की पर पहले थोडा अपनी स्कीम के बारे में बताइए." मैंने राजेश से पुछा.
"मुझे तुम्हे यही उम्मीद थी. चलो मैं जाता हूँ और दिव्या को ही खाना लेकर तुम्हारे पास भेज देता हूँ. उससे कह दूंगा की तुम्हारे पास रुक कर तुम्हे प्लान के बारे में बता देगी." राजेश ये कह कर चला गया और मैं बेसब्री से दिव्या का इंतज़ार करने लगा. करीब २० मिनट बाद दिव्या खाना लेकर आ गयी. मैंने खाना टेबल पर रखा और दिव्या को बाँहों में भर कर चूमने लगा पर दिव्या ने मुझे रोका और बोली "पहले खाना खा लो इसके लिए तो पूरी रात पड़ी है."
"ठीक है मैं जब तक खाता हूँ तब तक तुम मुझे राजेश भैया का प्लान बताओ." ये कह कर मैं खाना खाने लगा और दिव्या की बात सुनने लगा. दिव्या कहने लगी "देखो तुम रेणुका को अगले हफ्ते लेने जा रहे थे न अब तुम नहीं जाओगे और कल रेणुका को फ़ोन करके बता देना की तुम बैंक की ट्रेनिंग के लिए १५ दिन के लिए बाहर जा रहे हो और उसे लेने नहीं आ पाओगे पर राजेश किसी जरूरी काम से अपनी कार से दिल्ली जा रहे है और तुम्हारे कहने पर वो वापसी में रेणुका को लेते आएंगे."
"पर रेणुका कहेगी की जब मैं यहाँ नहीं हूँ तो वो यहाँ आकर क्या करेगी." मैंने खाते हुए पुछा.
"तुम उससे कह देना की आजकल यहाँ चोरिया बहुत हो रही है तो इतने दिन घर खाली छोड़ना ठीक नहीं है." दिव्या ने मुझे समझाया.
"हाँ ये ठीक रहेगा रहेगा पर एक बात और. मेरी १५ दिन की ट्रेनिग तो है नहीं तो १५ दिन मैं कहा रहूँगा." मैंने पुछा.
"देखो मैंने अगले हफ्ते स्कूल से करीब १५ दिनों की छुट्टी ली है गोवा जाने के लिए पर अब राजेश को जरूरी काम से दिल्ली जाना पड रहा है तो उसका टिकट वेस्ट हो जायेगा तो क्यों न हम तुम गोवा चले १५ दिनों के लिए." दिव्या ने कहा तो मेरा दिल उछल पड़ा. दिव्या के साथ गोवा में १५ दिनों का हनीमून. इसके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता था. मैं फ़ौरन राजी हो गया और बोला "कल क्यों मैं अभी रेणुका को फ़ोन लगा देता हूँ." मैंने रेणुका को फ़ोन पर सब बात बता दी. पहले तो वो यही बोली की जब आप ट्रेनिंग से लौट आना तब आकर मुझे ले जाना पर मेरे समझाने पर राजेश के साथ लौटने पर मान गयी. फ़ोन रखकर मैंने अब दिव्या पर ध्यान दिया. जब मैं फ़ोन पर बात कर रहा था तबी तक दिव्या ने अपनी साडी उतार दी थी और अब वो ब्लाउज पेटीकोट में मेरे सामने खडी थी. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की ये सब इतना जल्दी जल्दी हो रहा था. दिव्या की मोटी चून्चिया ब्लाउज फाड़ के बाहर निकलना चाहती थी. मैंने फ़ौरन आगे बढ़ कर उसके ब्लोसे के सारे हुक खोल दिए और ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को सहलाने लगा.
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Re: नए पड़ोसी
उसके बूब्स बहुत सॉफ्ट थे. वो आँखे बंद कर के मजे ले रही थी. अब मैंने उसकी दोनों चूचियाँ कसकर पकड़ ली और उनके होठो पर अपने होठ रख कर चूसने लगा. दिव्या भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैं उसे किस कर रहा था और वो मेरे लंड से खेल रही थी. मैं दिव्या को गले पर किस करने लगा तो वो मदहोश हो जोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
मैंने उसकी ब्रा को उतार कर फेंक दिया और मैंने अपने कपडे भी उतार दिए. मैंने दिव्या को बेड पर लिटाया और खुद उसके ऊपर लेट गया. मैंने उसको उल्टा किया और कमर पर किस करने लगा. ऐसा करते वक्त मेरा लण्ड उसकी गांड के बीच में रगड़ रहा था. उसको भी बड़ा मजा आ रहा था. थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद वो बहुत कामुक हो गयी और सिसकारियाँ लेकर बेडशीट नोचने लगी. फिर मैंने उसे सीधा किया और उनके बूब्स को मुंह में ले लिया और जोर से चूसने लगा. वो तड़पने लगी और अहहहह अहहहहह आहहहहहह करने लगी.
उनकी दोनों चूचियाँ चूसने के बाद मैंने उसकी पैंटी उतार कर उसे एकदम नंगा कर दिया फिर मैंने उनको सिर से लेकर पाँव तक चूमा. मेरे हर किस पर वो मचल रही थी. फिर मैं उनकी जांघों पर किस करने लगा और धीरे धीरे उसकी बिना बालों वाली चूत की तरफ बढ़ा. ये वही चूत थी जिसकी तमन्ना बहुत दिनों से मेरे दिल में थी और बहुत दिनों से मैंने कोई चूत चूसी भी नही थी तो मैं पागलो की तरह दिव्या की चिकनी चूत चूसने लगा. दिव्या भी मस्ती से अपने हाथ पैर पटकने लगी. फिर अचानक से मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी तो उसके मुंह से अहहहह निकल गयी. कई लंड खाने के बाद भी दिव्या की चूत कसी हुई थी. मैं धीरे धीरे उसकी चूत में अपनी ऊँगली को अंदर बाहर करने लगा था. वो जोर जोर से अहहआा स्सस्सस्सस्स अहहहहहह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् कर रही थी. थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद दिव्या ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोली "अह्ह्ह्ह मनीष अब और मत तड़पाओ…"
लेकिन मुझे तो अभी उसकी चूत का और मजा लेना था तो मैं ६९ पोजीशन में आ गया और अपना मुंह फिर से उसकी टांगो के बीच में लगा दिया. मेरा लण्ड अब उसके मुंह के सामने थे. मैंने उसकी कमर के नीचे एक पिलो लगा दिया और चूत को फिर से चाटना शुरू कर दिया. दिव्या बहुत ही उत्तेजित हो उठी और मेरे लण्ड को पकड़ हिलाने लगी. फिर उसने भी मेरा लण्ड अपने मुंह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. करीब १० मिनट के बाद हम दोनों झड़ गए. वो मेरा सारा पानी पी गई और उस ने मेरे लण्ड को चाटकर फिर से कड़क कर दिया.
अब उसकी चूत में लण्ड डालने की बारी थी. मैंने उसकी गांड के नीचे एक और तकिया लगा दिया और उसकी दोनों टांगो को फैला दिया. फिर मैं अपने हथियार को ले कर तैयार हो गया. फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर लगाया और रगड़ना शुरू कर दिया. दिव्या एकदम से तड़प उठी और अपनी गांड को उठा कर मेरे लण्ड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी. मैंने धीरे से अपने लण्ड को उसकी चूत के अंदर कर दिया. चूत गीली होने की वजह से लण्ड पूरा एक ही बार में अंदर चला गया. दिव्या और मेरे मुह से एक साथ संतुष्टि की सिसकारी निकल गयी. लण्ड के अंदर जाते ही वो मुझ से लिपट गयी और मुझे किस करने लगी.
मैंने भी उसको कसकर जकड लिया और अपनी बाहो में ले कर उसी पोजीशन में धक्का लगाने लगा. दिव्या को मजा आ रहा था और वो अहहहहह अहहहहह अहहहह ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके मजे ले रही थी. पुरे रूम में फट फट की आवाज़ गूंज रही थी. दिव्या भी चुतर उछाल उछाल कर मेरे लण्ड को अंदर ले रही थी. उसको चोदते हुए मैं उसकी गदराई हुई चुन्चियो को दबा रहा था.
कुछ देर में दिव्या का पानी निकल गया तो मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी और थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा माल दिव्या की चूत में डाल दिया और फिर उसके ऊपर ही लेट गया.
मैंने उसकी ब्रा को उतार कर फेंक दिया और मैंने अपने कपडे भी उतार दिए. मैंने दिव्या को बेड पर लिटाया और खुद उसके ऊपर लेट गया. मैंने उसको उल्टा किया और कमर पर किस करने लगा. ऐसा करते वक्त मेरा लण्ड उसकी गांड के बीच में रगड़ रहा था. उसको भी बड़ा मजा आ रहा था. थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद वो बहुत कामुक हो गयी और सिसकारियाँ लेकर बेडशीट नोचने लगी. फिर मैंने उसे सीधा किया और उनके बूब्स को मुंह में ले लिया और जोर से चूसने लगा. वो तड़पने लगी और अहहहह अहहहहह आहहहहहह करने लगी.
उनकी दोनों चूचियाँ चूसने के बाद मैंने उसकी पैंटी उतार कर उसे एकदम नंगा कर दिया फिर मैंने उनको सिर से लेकर पाँव तक चूमा. मेरे हर किस पर वो मचल रही थी. फिर मैं उनकी जांघों पर किस करने लगा और धीरे धीरे उसकी बिना बालों वाली चूत की तरफ बढ़ा. ये वही चूत थी जिसकी तमन्ना बहुत दिनों से मेरे दिल में थी और बहुत दिनों से मैंने कोई चूत चूसी भी नही थी तो मैं पागलो की तरह दिव्या की चिकनी चूत चूसने लगा. दिव्या भी मस्ती से अपने हाथ पैर पटकने लगी. फिर अचानक से मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी तो उसके मुंह से अहहहह निकल गयी. कई लंड खाने के बाद भी दिव्या की चूत कसी हुई थी. मैं धीरे धीरे उसकी चूत में अपनी ऊँगली को अंदर बाहर करने लगा था. वो जोर जोर से अहहआा स्सस्सस्सस्स अहहहहहह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् कर रही थी. थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद दिव्या ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोली "अह्ह्ह्ह मनीष अब और मत तड़पाओ…"
लेकिन मुझे तो अभी उसकी चूत का और मजा लेना था तो मैं ६९ पोजीशन में आ गया और अपना मुंह फिर से उसकी टांगो के बीच में लगा दिया. मेरा लण्ड अब उसके मुंह के सामने थे. मैंने उसकी कमर के नीचे एक पिलो लगा दिया और चूत को फिर से चाटना शुरू कर दिया. दिव्या बहुत ही उत्तेजित हो उठी और मेरे लण्ड को पकड़ हिलाने लगी. फिर उसने भी मेरा लण्ड अपने मुंह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. करीब १० मिनट के बाद हम दोनों झड़ गए. वो मेरा सारा पानी पी गई और उस ने मेरे लण्ड को चाटकर फिर से कड़क कर दिया.
अब उसकी चूत में लण्ड डालने की बारी थी. मैंने उसकी गांड के नीचे एक और तकिया लगा दिया और उसकी दोनों टांगो को फैला दिया. फिर मैं अपने हथियार को ले कर तैयार हो गया. फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर लगाया और रगड़ना शुरू कर दिया. दिव्या एकदम से तड़प उठी और अपनी गांड को उठा कर मेरे लण्ड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी. मैंने धीरे से अपने लण्ड को उसकी चूत के अंदर कर दिया. चूत गीली होने की वजह से लण्ड पूरा एक ही बार में अंदर चला गया. दिव्या और मेरे मुह से एक साथ संतुष्टि की सिसकारी निकल गयी. लण्ड के अंदर जाते ही वो मुझ से लिपट गयी और मुझे किस करने लगी.
मैंने भी उसको कसकर जकड लिया और अपनी बाहो में ले कर उसी पोजीशन में धक्का लगाने लगा. दिव्या को मजा आ रहा था और वो अहहहहह अहहहहह अहहहह ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके मजे ले रही थी. पुरे रूम में फट फट की आवाज़ गूंज रही थी. दिव्या भी चुतर उछाल उछाल कर मेरे लण्ड को अंदर ले रही थी. उसको चोदते हुए मैं उसकी गदराई हुई चुन्चियो को दबा रहा था.
कुछ देर में दिव्या का पानी निकल गया तो मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी और थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा माल दिव्या की चूत में डाल दिया और फिर उसके ऊपर ही लेट गया.