मैं बाजी और बहुत कुछ complete

Post Reply
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मैं बाजी और बहुत कुछ

Post by rajsharma »

jay wrote: 12 Jun 2017 23:57Beautiful update
mastram wrote: 13 Jun 2017 10:12 Update ke liye dhanywad bhai
shubhs wrote: 12 Jun 2017 21:21बिंदास
dhanywad dosto
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मैं बाजी और बहुत कुछ

Post by rajsharma »

हमारी क्लास का समय हो चुका था। हम उठे और क्लास की ओर चल पड़े । । साना की बातों से मेरे अंदर मौजूद कई सवालों के जवाब मुझे मिल चुके थे। । । जहां मुझे एक ओर अपनी बहन की पवित्र सोच और अच्छी भूमिका पे गर्व हो रहा था, दूसरी ओर बाजी की अच्छी सोच और सॉफ चरित्र से परेशानी भी। अजीब भाई था मैं भी जो अपनी बहन के पवित्र और नेक होने पे परेशान था। आज तो साना की बातों के बाद मुझे ऐसा लगना शुरू हो गया कि मैं बाजी को लेकर जीतने भी सपने सजाए थे और जो कुछ भी सोचा था अब मुझे भूलना पड़ेगा। पर प्यार करने वाला हार कैसे मान सकता है। चाहे मंजिल मिले या न मिले। । । । । । । । अब मुझे लगने लगा था कि ये विवश्ता के आंसू और ये अधूरी ख्वाहिशें ऐसे ही मेरे सीने में रहते रहते मेरे साथ मर जाएंगी। । । ।
घर पहुँचने पर पता चला कि बाजी जा चुकी हैं। । मेरा मन कर रहा था कि मैं चीख चीख कर रो पडूं। दीवार टक्कर मारूं। आज मुझे मेरा ही घर ही काट खाने कोदोड़ रहा था। ।

आज बाजी को देखे 2 सप्ताह हो चुके थे। । मैं अपने बाथरूम में बैठा स्मोकिंग कर रहा था। । । जीवन तो बर्बाद हो ही चुका था मेरा तो मैने सोचा स्मोकिंग करके थोड़ा और बर्बाद कर लेते हैं। । प्यार में विफलता के बाद इंसान तरह तरह के काम करता है। । चैन तो उसी के पास होता है जिससे वह प्यार करता है ...

बाथरूम से बाहर आया और बेड पे बैठ गया। अचानक मेरी मृत आँखों में इक चमक आई और मैं अपने कमरे से बाहर आया और सीढ़ियाँ उतर के अम्मी के कमरे में आ गया। । अम्मी अपने कमरे में सोई हुई थी मैंने उन्हें जगाया और कहा कि हमारे परिवार की फोटो एल्बम कहां है। अम्मी ने पूछा क्या करना है बेटा परिवार की फोटो एल्बम का। मैंने कहा वैसे ही आज दिल कर रहा थाबचपन के फोटोग्राफ देखने का। अम्मी ने मुझे अपनी चाबी देकर कहा यह लो वहाँ से ले लो। और मैं गया और परिवार का फोटो एल्बम सैफ से निकाल लिया और अम्मी कोचाबियां वापस करते हुए अपने रूम में आ गया। एक अनजानी सी खुशी थी मेरे चेहरे पे जो आज बहुत दिनों बाद मैंने देखी थी।

मैंने एल्बम को खोला और उसके पन्नों को पलट पलट कर देखने लगा। फिर मैं एक पृष्ठ पे आके रुक गया। क्योंकि इस पृष्ठ पे उसकी तस्वीर थी जिस हस्ती के दर्शन के लिये मैं यह एल्बम नीचे ले आया था। और वह सख्श स्पष्ट रूप से एक ही हो सकता है। हाँ वह हस्ती मेरी जान से प्यारी मेरी बाजी की थी। बाजी की ये फोटो आज से 1 साल पहले की थी। । हम लोग अपने एक चचेरे भाई की शादी पे गए थे और वहां मैंने बाजी की यह तस्वीर बनाई थी। तब जब मैंने ये फोटो बनाई थी तब मुझे क्या पता था कि इसी फोटो को 1 सालबाद में देखकर रो रहा हुँगा । मेरे आँसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। । ।


मैंने बाजी की फोटो एलबम से निकाली और जी भर के अपनी बाजी का दीदार किया। बाजी की बड़ी बड़ी सुंदर सी आँखें और बाजी की प्यारी सी नाक बाजी के पिंक होंठ उनके केचमकते गाल और काले लम्बे बाल, बाजी उस दिन व्हाइट ड्रेस में किसी हूर से कम नहीं लग रही थीं। । किसी को वो फोटो दिखा दो और उससे पूछो कि इस दुनिया में सबसे सुंदर स्त्री कौन है तो वो एक ही जवाब देता कि सलमान तेरी मोहब्बत। । । । ।

अचानक मैंने फिर एल्बम के पन्ने फिर पलटने शुरू किए और एक पृष्ठ पे आकर रुक गया। । इस पृष्ठ पे बाजी की एक और तस्वीर थी जिसमें बाजी घास पे बैठी थी। । हम परिवार के सदस्यों के साथ एक बार पिकनिक पर गए थे ये फोटो वहां बनाई थी मैने। । इस तस्वीर में बाजी की गाण्ड की साइड बाजी की कमीज और सलवार के ऊपर से सही नजर आ रही थी क्योंकि बाजी घास पे बैठी थी जिस वजह से बाजी की गाण्ड जमीन पे लगने से बहुत चौड़ी हो गई थी। । मैंने सोचा कि बाजी की पहली वाली तस्वीर देखने के बाद अपनी आत्मा को पल भर का आराम दे दूँ . अब इस तस्वीर को देखते हुए ज़रा अपने शरीर को भी आराम दे लूँ। मैंने बाजी का फोटो एलबम से बाहर निकाला और हाथ में पकड़ के बेड से टेक लगा के लेट गया ....
और अपनी नज़रें बाजी की मोटी गाण्ड की साइड पे जमा ली . मैंने दूसरे हाथ से अपनी सलवार से अपना लण्ड बाहर निकाला जोकि लगभग अब तकखड़ा हो ही चुका था और तस्वीर देखते देखते मुठ मारने लगा। यह उस रात के बाद आज मेरा पहला मुठ था। और मेरे प्यार का आलम यह था कि यह मूठ भी में अपनी बाजी नाम की ही मार रहा था। अजीब आराम और लज़्जत की लहरें मेरी रगों में दौड़ रही थीं। मैं एक नज़र बाजी पे डालता और एक नज़र बाजी बाकी के शरीर पे। । । मेरे लंड से स्पर्म निकल निकल कर मेरे ही हाथों मे लग रही थी और मैं उस स्पर्म को अपनेलंड के ऊपर मस्ल रहा था । अब मेरा हाथ अपनेलंड पे बहुत हल्का महसूस हो रहा था और स्लिप कर रहा था। । । और स्लिप से बहुत मज़ा आ रहा था। पता नहीं ऐसेही कब तक बाजी की तस्वीर को देखते हुए मुठ मा रता रहा। । ।


जब भी फारिग होने लगता तो मुठ में थोड़ा ब्रेक लगा लेता। । । क्योंकि मैं इस मजे की दुनिया से बाहर बेरहम दुनिया में वापस नहीं जानाचाहता था। । । साथ में उसकी आखिरी रात को याद कर रहा था जब मैंने अपने हाथ में बाजी की गाण्ड का वह मोटा पब पकड़ा हुआ था और अपने अंगूठे को अपनी बाजी की गाण्ड की गहरी लाइन में घुसाया हुआ था। यह सोचते सोचते तो जैसे मैं नशे और मज़े में पागल हो चुका था। । अब मैं अपने लंड से निकलती स्पर्म को अपनेलंड के नीचे जो बॉल्स थे उनके पर मलना शुरू कर दिया। अब मामला मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया था। । । मैंने अपने हाथ से मुट्ठी बनाई और उस मुट्ठी के छेद में अपने लंड को डाला और धीरे धीरे नीचे की ओर ले के गया और फिर ऊपर की ओर, नज़रें बाजी की तस्वीर पे मन में वही अंतिम रात का दृश्य और साथ ही आह आह की आवाज के साथ फारिग होना शुरू हो गया और साथ ही मैं सिहर के आगे की ओर हो गया और स्पर्म मेरी टांगों पे गिरना शुरू हो गई। । । । । । । । । । ।


दिन बीतते जा रहे थे। । ।
अब तो मैंने दीदी के छात्रावास के चक्कर भी लगाने शुरू कर दिए थे। । कितनी कितनी देर उनके छात्रावास के बाहर जा के अपनी कार साइड पे पार्क कर कार में बैठा रहता और यही सोच के दिल को सुकून रहता कि चारदीवारी के पार बाजी कहीं बैठी होगी। । । ।
बाजी को घर से गए आज 25 दिन हो चुके थे। । । । । । । । । । ।

ऐसे ही घर पर नीचे टीवी के सामने बैठा अपनी बाजी की यादों में खोया हुआ था कि घर की बेल बजी। मैं उठा और बाहर जा के जबगेट खोला तो मेरा सिर चकरा गया और चक्कर खा के गिरते गिरते बचा और बहुत मुश्किल से मैंने अपने आप को संभाला। । यह सपना तो नहीं हो सकता कि मेरे सामने मेरी बाजी खड़ी थी।

मेरे शरीर में जैसे कीड़े काट रहे थे। । मेरे मन में भी मुझे ऐसे ही लग रहा था कि कुछ कीड़े दौड़ रहे हैं शरीर ठंडा सा पड़ने लगा। क्योंकि बाजी के चेहरे पे अभी भी वही नफरत थी जो उस आख़िरी रात उनके चेहरे पे थी। । । ज़ुबान इतनी भारी हो गई थी कि कोई शब्द निकल ही नहीं पा रहा था मेरी जीभ से। । । बड़ी मुश्किल से मैंने दीदी को सलाम किया जिसका बाजी ने कोई जवाब नहीं दिया और अंदर की ओर चली गई। जिसकी खातिर रातों को नींद नहीं आती, जिसके लिए दिन का चैन छिन गया, जिसकी खातिर खाना पीना भूल गया, और सिगरेट को मुंह से लगा लिया और मेरा वही प्यार आज चुप्पी का थप्पड़ मेरे मुंह पे मार चली गई। । । ।

मैं गेट बंद किया और निराशा के आलम में अंदर आ गया। । बाजी अम्मी के साथ बैठी बातें कर रही थीं। ज्यों ही मैं अंदर आया अम्मी ने मुझे कहा कि तुम्हारी यह जो बहन है ना उसका अब हम से मिलने को जरा सा भी दिल नहीं करता। आज इससे फोन पे कितनी मन्नतें की फिर कहीं जा के यह 2 दिन रहने घर आई है। अम्मी मेरे और दीदी के बीच होने वाले सभी मामले से अनजान मुझसे बाजी की शिकायतें कर रही थीं। में अम्मी की बात सुन बमुश्किल एक स्माइल ला पाया अपने चेहरे पे और अपने रूम की तरफ जाने लगा कि अम्मी ने कहा बहन इतने दिन बाद घर आई है उसके पास बैठो ना। ऊपर कहाँ जा रहे हो। । । में अम्मी के साथ ही बैठ गया और अम्मी ने कहा तुम दोनों बहनभाई बातें करो मैं खाने को जरा देख के आई। । । । अम्मी चली गई। । । ।


बाजी टीवी को देखने लगी और मैं उसकी ओर। । कितने दिन बाद देख रहा था अपनी चाहतों की रानी को। । । मेरे सपनों की रानी को क्या पता था कि मेरे अंदर क्या भावनाओं हैं इसके लिए। । वो तो बस मेरे सीने पे खंजर चलाना जानती थी। । । । अचानक मैंने अपने दिमाग में कुछ सोचा और बाजी कहा; बाजी;

ज्यों ही मेरी आवाज बाजी के कानों से टकराई तो उनके चेहरे पे नफरत और गुस्से के मिलेजुले भाव उभर आए। । । और वह उठकर रसोई मे चली गई। । । और मैं मुंह खोले बाजी को जाते हुए देखता रहा। । ।

इतनी नफरत इतना गुस्सा। । । मेरा अपराध आखिर क्या था कि मुझे बाजी की आत्मा और बाजी के शरीर से प्यार था। । मैं उठा और अपने कमरे में आ गया। रात के खाने पे भी बाजी ने एक बार भी मुझ पे नहीं डाली। । खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और अपनी विफलता ए प्यार पे मातम करने लगा।

रात के 1 बज रहे थे। । । एकाएक बस मेरे मन में यही ख्याल था कि मुझे बाजी से प्यार है सच्चे दिल का प्यार। फिर बाजी को मेरा प्यार समझना चाहिए। । वह बेशक ही मुझसे प्यार न करें जैसा मैं उनसे करता हूँ पर मुझे एक बार मेरे दिल की बात कहने का मौका तोदें। । ।

मैंने अपने रूम का डोर खोला और बाजी के रूम की ओर बढ़ा। । । बाजी के रूम के पास पहुंच के मैंने उनके कमरे के दरवाजे नोक किया। थोड़ी ही देर में कमरे का दरवाजे खुला और मेरे सामने वही सुंदर चेहरा और हूर बदन खड़ी थी। मुझे देखते ही बाजी ने गुस्से से कहा कि '' क्यों आए हो यहाँ '' लगभग 25 दिन बाद आज बाजी ने मुझसे बात की थी। । । । । । मेरी आंखों में आंसू आ गए और कपकपाती आवाज में बोला कि आप से कुछ बात करनी है। । । । बाजी ने मेरे आँसुओं की परवाह न करते हुए कहा मैंने तुम जैसे घटिया और कमीने आदमी से कोई बात नहीं करनी। दफा हो जाओ यहाँ से। । । और मुझसे अब जीवन भर कभी बात करने की कोशिश मत करना। ।


बाजी मुझे घटिया और कमीना और ज़लील आदमी समझती थी। .क्यों कि उन्होंने मुझे उस रात जिस हालत में अपने साथ देखा था। वह उनके लिए नाक़ाबिले माफी था। । बाजी के सामने जो मेरा इमेज बन गया था वह इसलिए कि बाजी ने एक एंगल से मुझे देखा बाजी को यह तो पता था ही नहीं कि वह मेरी जिंदगी मेरी जान बन चुकी हैं। और मैं यही तो बाजी को बताने आया था। उन्होंने उस दिन की तरह आज भी मुझे कोई मौका नहीं दिया। । । मैं आज एक पक्के इरादे के साथ बाजी के पास आया था कि अगर बाजी ने मुझे कुछ कहने का मौका दिया तो ठीक वरना आज मैं अपने आप को खत्म कर दूंगा। । । वह चाहे मुझसे मेरे जैसा प्यार न करें पर एक बार मेरे दिल का हाल तो सुन ले . । बेशक मेरे प्यार को ठुकरा दें पर मेरे दिल की कहानी तो सुनें । ।
पर आज भी बाजी ने मेरी कोईबात सुने बिना मुझे दफा हो जाने का जब कहा तो मैंने अपनी जेब में हाथ डाला और उसमें से एक ब्लेड निकाला (जब रूम से निकला था तब मैं जेब में अपने साथ ले आया था) और बाजी की आँखों में आँखें डाल के उस ब्लेड से अपने हाथ की नस को काट दिया। । । । । । । । । खून का एक फव्वारा सा मेरे हाथ से अचानक निकला और फिर टिप टिप खून जमीन पे गिरना शुरू हो गया। । । खून इतना निकल चुका था कि मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। शायद मौत का अंधेरा और फिर ख्यालों में कहीं गिरता जा रहा था। । । । बाजी का जो अंतिम शब्द मेरे कानों से टकराया वह यह था "सलमान यह तुमने क्या कर दिया"

जब मुझे होश आया तो मैं अस्पताल के कमरे में लेटा हुआ था। । । अम्मी, अबू और बाजी मेरे पास ही मौजूद थे। अम्मी अब्बू के चेहरे पे गंभीर परेशानी थी। जब कि बाजी रो रही थी। उनकी हालत सख्त खराब लग रही थी। । । । । मुझे होश में देख अम्मी अब्बू के चेहरे पे खुशी की लहर दौड़ गई जब कि बाजी थी कि चुप ही नहीं हो रही थी। । अम्मी ने आगे बढ़कर मुझे अपने साथ चिपका लिया और रोना शुरू कर दिया। । जब अम्मी चुप हुई तो मुझसे पूछा कि तुमने ये हरकत क्यू की बेटा। । जरा सा नहीं सोचा अपनी इस माँ के बारे में कि तुम्हारे बिना यह कैसे जी पाएगी । हमें हिना ने बताया कि तुम रात को उसके कमरे में गये और उसे यह कहा कि अम्मी अब्बू से कह देना कि अगर मुझे कुछ गलती हो गई हो तो मुझे माफ कर देना और फिर तुमने अपने हाथ की नस काट ली। । बेटा ये क्या बेवकूफी है। ऐसा क्यों किया तुमने। ।

मेंसमझ गया कि दीदी ने मेरे और उनके बीच के मामले को सामने नहीं आने दिया। मैं चूँकि इकलौता बेटा था इसलिए सारे परिवार के लिए बहुत इम्पोर्टेंट भी था। । अबू के मजबूत दिल का मुझे उस दिन अंदाजा हुआ। कि अबू ने अपने अंदर की परेशानी उस दिन भी पता नहीं होने दी

अम्मी ने मुझे कहा कि सलमान देखो न तुम्हारी बहन कैसे रो रही है तुम्हारे लिए। । । कुछ कहती नहीं है। । बस रोये जा रही है। । इतना प्यार करनेवाली बहन को छोड़ तुम कहाँ जा रहे थे। । ।

मैंने बाजी को देखा जो अभी भी रो रही थीं। । । मैंने कहा: बाजी चुप हो जाओ मैं अब ठीक हूँ ना। । ।
पर बाजी ने फिर भी रोना बंद नहीं किया। । । । अम्मी ने भी काफ़ी कोशिश की कि मैं बता दूं कि ऐसा मैं क्यों किया। पर मैं आगे चुप ही रहा। अम्मी ने कहा: बेटा कोई समस्या है तो हमें बताओ हम तुम्हारी उस समस्या का समाधान करेंगे ।
पर मैं सो बात की इक बात बस चुप ही रहा। । ।

जब अम्मी के बहुत पूछने पे भी कुछ न बोला तो अबू आगे बढ़े और अम्मी केशोल्डर पकड़ के दबा दिया। । शायद वह अम्मी को मेरे से ज़्यादा कुछ पूछने के लिए मना कर रहे थे। । । अम्मी ने कहा: अच्छा बाजी तुम्हारे पास ही रहेगी हम लोग जरा घर से हो आएँ और खाने को भी कुछ ले आएं। । हिना ने कब से कुछ खाया ही नहीं। । और ऐसा कह कर अम्मी अब्बू घर चले गए। ।


अम्मी और अब्बू के जाते ही बाजी मेरे पास चेयर पे आके बैठ गई। और मेरा एक हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर उस पे अपनी आँखें रख कर रोने लगी। । । इतना रोई कि मेरा हाथ उनके आंसुओं से भीग गया। । । मुझे पता था कि बाजी के यह आंसू अपने भाई के लिए हैं। । न कि अपने भाई के उस प्यार के लिए जो उनका भाई उनसे करता है। मेरा दिल ऊब चुका था अब इस दुनिया से। । और मैं चाहता था कि कुछ ऐसा हो कि मैं मर जाऊं। .क्यों बच गया मरने से। । । । अचानक बाजी ने रोते रोते सिर उठाया और कहा: सलमान ऐसा क्यों किया तुमने। तुम्हें पता है तुम मौत के मुंह से वापस आए हो। ।

मैंने कहा: बाजी अब क्या फायदा पूछने का उस दिन तुम्हारे पास आया था आपको कुछ बताने तब तो आपने सुना नहीं। अब मुझे पे यह प्यार कैसा तरस कैसा? और क्यों? बाजी ने कहा व्यर्थ की बातें मत करो और मुझे बताओ क्यों किया ऐसा। । । अपनी बाजी के आँसू देख के अब मेरा दिल भी धीरे धीरे पिघलना शुरू हो गया। ।

फिर आख़िर थोड़ी देर बाद मेरे दिल में जो भी बाजी के लिए था मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया। शरीर के प्यार का भी उन्हें बताया साफ साफ शब्दों में नहीं। बाजी मेरी सारी बात सुनती रहीं और जब मैं चुप हुआ तो तब तक उनका रोना भी बंद हो चुका था। । बाजी ने एक गहरी साँस मी और हल्के से सख्त लहजे में कहा कि सलमान तुम कैसी बात कर रहे होभला भाई बहन कैसे एक दूसरे से प्यार कर सकते हैं। । यह प्यार तो ऐसा प्रेम है जो इस समाज में मौजूद ही नहीं है। तुम बच्चों वाली बात कर रहे हो। । । यह सिर्फ तुम्हारी उम्र का तक़ाज़ा कि इस उम्र में आदमी ऐसी व्यर्थ बातें सोच सकता है। नहीं सलमान ऐसा तो संभव ही नहीं। अपने ही भाई से प्यार। ।
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
Post Reply