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ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
मैने कहा, क्या डालू,
वो बोली वोही अपना वो..
मे – क्या..?
वो- अरे यार वोही समझा करो,
मे- अरे क्या..? उसका नाम तो बताओ…
मुझे शर्म आती है, मे नाम नही बोलूँगी उसका, अब जल्दी से डालो अपना वो, मेरी उसमें..
ये क्या है रिंकी.. ? ये क्या इशारे से कर रही हो..? साफ-साफ बोलो ना क्या डालूं किस्में??
अरे बाबा.. अच्छा ठीक है, आपपना..वउूओ..एल..ल्लून्न ..ड्ड.. डालो मेरी..च..चयू..त्त्त. मे, बॅस… अब जल्दी करो…ना.. प्लस्सस…
मैने थूक लेके अपने सुपाडे पे मला, और उसकी चूत के मुँह पे सेट करके एक सूलमानी धक्का दे दिया…
पूरा लंड सततत्ट… से अंदर पूरा का पूरा, एक ही झटके में…
आअहह…ऊओह… अरुण.. माअररर…ददाालल्ल्लाअ…जाअलिमम्म…
हइई….मम्मि… मर्रीइ…ररीई…आअहह…सस्सिईईई… उउउहह….
उसकी मादकता देख कर मे और जोश मे आ गया.. और दे-दनादन..सटा-सॅट…
धक्के-पे-धक्के…फुल..स्पीड मे लगाने लगा,
लब में थप्प-थप्प की आवाज़ें गूंजने लगी, मेरे मुँह से हुउन्न्ं…हुन्न्ं जैसी आवाज़ें निकल रही थी,
अगर शंकर दरवाजे के नज़दीक हुआ, तो ज़रूर सुन रहा होगा, ये आवाज़ें..
15-20 मिनट की धड़ा-धड़ चुदाई के बाद हम दोनो ही अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये, रिंकी भी लगातार अपनी गान्ड ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड पे मार रही थी, उसकी टाइट लेकिन मुलायम चुचियाँ पेंडुलम की तरह आगे-पीछे झूल रही थी, बड़ा ही मनुहरी दृश्य था.
और फिर एक लंबी हुंकार मार कर वो फलफला के झड़ने लगी… 8-10 करारे धक्कों के बाद मैने भी अपनी पिस्टल का मुँह खोल दिया, और दे-दनादन लगातार कई फाइयर उसकी चूत मे कर दिए…और उसके उपर गिर पड़ा,
वो भी सख़्त डेस्क के उपर पसर गयी.. जैसे ही तूफान थमा, उसने मुझे अपने उपर से उठने के लिए कहा..
हम दोनो खड़े हुए, अपने अंगों को रुमाल से साफ किया, वो रुमाल रिंकी ने अपने पर्स में संभाल के रख लिया, मैने पुछा इस गंदे रुमाल का क्या करोगी, वो बोली ये मेरे पास यादगार के तौर पर रहेगा.
हमने कपड़े पहने और डोर खटखटाया..
1 मिनट बाद शंकर ने डोर खोला, रिंकी अपनी नज़रें नीची करके बाहर चली गयी.. मैने शकर को धन्यवाद किया, और 2 मिनट बाद मे भी बाहर आ गया.
वो बोली वोही अपना वो..
मे – क्या..?
वो- अरे यार वोही समझा करो,
मे- अरे क्या..? उसका नाम तो बताओ…
मुझे शर्म आती है, मे नाम नही बोलूँगी उसका, अब जल्दी से डालो अपना वो, मेरी उसमें..
ये क्या है रिंकी.. ? ये क्या इशारे से कर रही हो..? साफ-साफ बोलो ना क्या डालूं किस्में??
अरे बाबा.. अच्छा ठीक है, आपपना..वउूओ..एल..ल्लून्न ..ड्ड.. डालो मेरी..च..चयू..त्त्त. मे, बॅस… अब जल्दी करो…ना.. प्लस्सस…
मैने थूक लेके अपने सुपाडे पे मला, और उसकी चूत के मुँह पे सेट करके एक सूलमानी धक्का दे दिया…
पूरा लंड सततत्ट… से अंदर पूरा का पूरा, एक ही झटके में…
आअहह…ऊओह… अरुण.. माअररर…ददाालल्ल्लाअ…जाअलिमम्म…
हइई….मम्मि… मर्रीइ…ररीई…आअहह…सस्सिईईई… उउउहह….
उसकी मादकता देख कर मे और जोश मे आ गया.. और दे-दनादन..सटा-सॅट…
धक्के-पे-धक्के…फुल..स्पीड मे लगाने लगा,
लब में थप्प-थप्प की आवाज़ें गूंजने लगी, मेरे मुँह से हुउन्न्ं…हुन्न्ं जैसी आवाज़ें निकल रही थी,
अगर शंकर दरवाजे के नज़दीक हुआ, तो ज़रूर सुन रहा होगा, ये आवाज़ें..
15-20 मिनट की धड़ा-धड़ चुदाई के बाद हम दोनो ही अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये, रिंकी भी लगातार अपनी गान्ड ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड पे मार रही थी, उसकी टाइट लेकिन मुलायम चुचियाँ पेंडुलम की तरह आगे-पीछे झूल रही थी, बड़ा ही मनुहरी दृश्य था.
और फिर एक लंबी हुंकार मार कर वो फलफला के झड़ने लगी… 8-10 करारे धक्कों के बाद मैने भी अपनी पिस्टल का मुँह खोल दिया, और दे-दनादन लगातार कई फाइयर उसकी चूत मे कर दिए…और उसके उपर गिर पड़ा,
वो भी सख़्त डेस्क के उपर पसर गयी.. जैसे ही तूफान थमा, उसने मुझे अपने उपर से उठने के लिए कहा..
हम दोनो खड़े हुए, अपने अंगों को रुमाल से साफ किया, वो रुमाल रिंकी ने अपने पर्स में संभाल के रख लिया, मैने पुछा इस गंदे रुमाल का क्या करोगी, वो बोली ये मेरे पास यादगार के तौर पर रहेगा.
हमने कपड़े पहने और डोर खटखटाया..
1 मिनट बाद शंकर ने डोर खोला, रिंकी अपनी नज़रें नीची करके बाहर चली गयी.. मैने शकर को धन्यवाद किया, और 2 मिनट बाद मे भी बाहर आ गया.
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
सोचा था रिंकी चली गयी होगी अपनी कजिन सिस्टर के साथ, लेकिन जैसे ही मे कॉलेज के मेन गेट के बाहर रोड पे आया, रिंकी मुझे बाहर खड़ी मिली.
मे- क्यों यहाँ क्यों खड़ी हो, तुम्हारी सहेलियाँ कहाँ हैं..??
शायद वो लोग चली गयी, हमें बहुत देर हो गयी अंदर..वो बोली.
मे- कोई नही ! अच्छा रिंकी सच बताना, तुम खुश तो हो..ना..?
रिंकी- सच कहूँ, तो तुम्हारे साथ बिताया मेरा हर पल अनमोल था. उन पलों की यादों के सहारे अपना पूरा जीवन गुज़ार लूँगी. तुम अपना ख़याल रखना, और खूब मन लगा कर पढ़ना, में चाहती हूँ तुम अपने जीवन मे एक कामयाब इंसान बनो.
और हां मुझे अपना अड्रेस दे जाना, हर हफ्ते मे तुम्हें लेटर लिखूँगी, लेकिन तुम अपनी तरफ से उसका जबाब नही देना, मेरे सभी लेटर संभाल के रखोगे ठीक है.. मे चेक करूँगी जब मिलेंगे तब, समझ गये
वो मुझे लेसन देती रही, और में उसकी आँखों मे देखते हुए उसकी मन-मोहिनी बातों को बस सुनता रहा..
थोड़ी देर बाद हम नाम आँखों से एक-दूसरे से विदा हुए और चल दिए अपने-अपने घरों की ओर.
घर आकर मैने सबको अपना रिज़ल्ट दिखाया, सभी बड़े खुश थे मेरे रिज़ल्ट से, पिता जी ने पुछा कि अब क्या करना चाहते हो?
मैने कहा, में इंजीनियरिंग करना चाहता हूँ, फॉर्म भर देता हूँ, डिग्री और डिप्लोमा दोनो के लिए, किसी एक मे तो एडमिशन मिल ही जाएगा. पिता जी ने भी हामी भर दी, और बोले.
तुम जाओ और जो चाहते हो वो करो, में यहा सब संभाल लूँगा, नौकरों के सहारे.
मैने दोनो जगह यूपी टेक्निकल बोर्ड से अफिलीयेटेड इन्स्टिटूषन्स मे फॉर्म भर दिए, और तकरीबन 20 दिनो में ही मेरा इंजीनियरिंग डिग्री के लिए एडमिशन कॉल आ गया, मुझे कॉलेज घर से करीब 150 किमी दूर मिला.
मैने पिता जी को दिखाया, वो बड़े खुश हुए, और अपनी नम आँखों से मुझे गले से लगा लिया, उनकी अब उम्र भी हो चुकी थी, बहुत मेहनत की थी उन्होने अपने जीवन में सो जल्दी शरीर कमजोर पड़ने लगा था, फिर भी उन्होने मुझे इजाज़त दे दी थी.
मुझे गले लगाकर वो भर्राई आवाज़ में बोले… ईश्वर ने मेरे जीवन को सफल कर दिया, मेरे चारों बेटे पढ़ लिख गये, दो तो अपने पैरों पे खड़े हो गये,
प्रभु ने चाहा तो तुम दोनो भी अपना कुछ अच्छा कर ही लोगे, अब मेरी चिंताएँ दूर हो जाएँगे. और खूब मॅन लगाके पढ़ना मेरे बच्चे जिससे कोई भाई तुझे अपने से कम ना समझे.
फिर उन्होने चाचा से बात की,
पिता जी – राम सिंग, अब समय आ गया है, की हम लोगों को अपना काम धंधा भी अलग-अलग कर लेना चाहिए..
चाचा- ऐसा क्या हुआ भाई..??
पिता जी – अब अरुण भी बाहर पढ़ने जा रहा है, में अकेला कहाँ तक तुम लोगों के बराबर कर पाउन्गा, नौकरों का तो तुम जानते ही हो, कल को तुम्हारे बेटे कोई बात खड़ी करें उससे पहले हमें शांति पूर्वक अलग-अलग हो जाना चाहिए, और वैसे भी हम लोगों की मिसाल कायम हो गयी है पूरे इलाक़े में हमारे प्रेम भाव की तो मे चाहता हूँ वो ऐसे ही बरकरार रहे.
बात चाचा को भी सही लगी, और दो दिनो में पटवारी को बुला के खेती की माप करके, दो बराबर हिस्से कर लिए और अलग-अलग हो गये.
आने से पहले मे एक बार और रिंकी से मिलना चाहता था, लेकिन समय ही नही मिला लेकिन किसी तरह अपने कॉलेज का अड्रेस ज़रूर उस तक पहुचवा दिया.
मैने अपने ज़रूरत का समान पॅक किया और बड़ों का आशीर्वाद लेके ट्रेन पकड़ की अपने गन्तव्य स्थान के लिए.
मे- क्यों यहाँ क्यों खड़ी हो, तुम्हारी सहेलियाँ कहाँ हैं..??
शायद वो लोग चली गयी, हमें बहुत देर हो गयी अंदर..वो बोली.
मे- कोई नही ! अच्छा रिंकी सच बताना, तुम खुश तो हो..ना..?
रिंकी- सच कहूँ, तो तुम्हारे साथ बिताया मेरा हर पल अनमोल था. उन पलों की यादों के सहारे अपना पूरा जीवन गुज़ार लूँगी. तुम अपना ख़याल रखना, और खूब मन लगा कर पढ़ना, में चाहती हूँ तुम अपने जीवन मे एक कामयाब इंसान बनो.
और हां मुझे अपना अड्रेस दे जाना, हर हफ्ते मे तुम्हें लेटर लिखूँगी, लेकिन तुम अपनी तरफ से उसका जबाब नही देना, मेरे सभी लेटर संभाल के रखोगे ठीक है.. मे चेक करूँगी जब मिलेंगे तब, समझ गये
वो मुझे लेसन देती रही, और में उसकी आँखों मे देखते हुए उसकी मन-मोहिनी बातों को बस सुनता रहा..
थोड़ी देर बाद हम नाम आँखों से एक-दूसरे से विदा हुए और चल दिए अपने-अपने घरों की ओर.
घर आकर मैने सबको अपना रिज़ल्ट दिखाया, सभी बड़े खुश थे मेरे रिज़ल्ट से, पिता जी ने पुछा कि अब क्या करना चाहते हो?
मैने कहा, में इंजीनियरिंग करना चाहता हूँ, फॉर्म भर देता हूँ, डिग्री और डिप्लोमा दोनो के लिए, किसी एक मे तो एडमिशन मिल ही जाएगा. पिता जी ने भी हामी भर दी, और बोले.
तुम जाओ और जो चाहते हो वो करो, में यहा सब संभाल लूँगा, नौकरों के सहारे.
मैने दोनो जगह यूपी टेक्निकल बोर्ड से अफिलीयेटेड इन्स्टिटूषन्स मे फॉर्म भर दिए, और तकरीबन 20 दिनो में ही मेरा इंजीनियरिंग डिग्री के लिए एडमिशन कॉल आ गया, मुझे कॉलेज घर से करीब 150 किमी दूर मिला.
मैने पिता जी को दिखाया, वो बड़े खुश हुए, और अपनी नम आँखों से मुझे गले से लगा लिया, उनकी अब उम्र भी हो चुकी थी, बहुत मेहनत की थी उन्होने अपने जीवन में सो जल्दी शरीर कमजोर पड़ने लगा था, फिर भी उन्होने मुझे इजाज़त दे दी थी.
मुझे गले लगाकर वो भर्राई आवाज़ में बोले… ईश्वर ने मेरे जीवन को सफल कर दिया, मेरे चारों बेटे पढ़ लिख गये, दो तो अपने पैरों पे खड़े हो गये,
प्रभु ने चाहा तो तुम दोनो भी अपना कुछ अच्छा कर ही लोगे, अब मेरी चिंताएँ दूर हो जाएँगे. और खूब मॅन लगाके पढ़ना मेरे बच्चे जिससे कोई भाई तुझे अपने से कम ना समझे.
फिर उन्होने चाचा से बात की,
पिता जी – राम सिंग, अब समय आ गया है, की हम लोगों को अपना काम धंधा भी अलग-अलग कर लेना चाहिए..
चाचा- ऐसा क्या हुआ भाई..??
पिता जी – अब अरुण भी बाहर पढ़ने जा रहा है, में अकेला कहाँ तक तुम लोगों के बराबर कर पाउन्गा, नौकरों का तो तुम जानते ही हो, कल को तुम्हारे बेटे कोई बात खड़ी करें उससे पहले हमें शांति पूर्वक अलग-अलग हो जाना चाहिए, और वैसे भी हम लोगों की मिसाल कायम हो गयी है पूरे इलाक़े में हमारे प्रेम भाव की तो मे चाहता हूँ वो ऐसे ही बरकरार रहे.
बात चाचा को भी सही लगी, और दो दिनो में पटवारी को बुला के खेती की माप करके, दो बराबर हिस्से कर लिए और अलग-अलग हो गये.
आने से पहले मे एक बार और रिंकी से मिलना चाहता था, लेकिन समय ही नही मिला लेकिन किसी तरह अपने कॉलेज का अड्रेस ज़रूर उस तक पहुचवा दिया.
मैने अपने ज़रूरत का समान पॅक किया और बड़ों का आशीर्वाद लेके ट्रेन पकड़ की अपने गन्तव्य स्थान के लिए.
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
सफ़र कोई 4 से 5 घंटे का था, शाम 5-6 बजे तक पहुँच जाना था, लोकल ट्रेन थी, तो ज़्यादा भीड़ भाड़ भी नही थी,
उपर की एक बर्त पकड़ के समान अपनी सीट पर ही जमा लिया, और लेट गया बर्त पर, अपना सर समान के उपर रख लिया था.
लेटते ही विचारों की दुनिया मे खो गया, कुछ आने वाले फ्यूचर के बारे मे, नया शहर, नये लोग, नये दोस्त, कॉलेज कैसा होगा, टीचर्स कैसे होंगे… वग़ैरह-2..
फिर कुछ अतीत के पन्ने उलटना शुरू हो गये, बचपन किन परिस्थियों में गुजरा था, फिर धीरे-2 सब कुछ सामान्य होता चला गया समय के साथ-2.
कॉलेज के वो छात्र संघ के एलेक्षन से पहले की स्ट्राइक, पोलीस और स्टूडेंट्स की भिड़ंत,
कैसे पोलीस की आँखों में धूल झोंक कर मैने और एक और लड़के ने मिलकर कॉलेज के मैन गेट पर ताला मार दिया था, सारे टीचर्स अंदर ही बंद कर दिए दो दिनों तक,
उसके बाद कॉलेज मॅनेज्मेंट से अपनी शर्तें मनवाई, और एलेक्षन हुआ.
वो एलेक्षन का धमाल, बड़ी ही रोमांचकारी यादें थी जीवन की.
फिर वो शिक्षा मंत्री का इनस्पेक्षन विज़िट, उसके स्वागत समारोह, रिहर्सल मे रिंकी का मिलना, उसके साथ बिताए जीवन के सुहाने पल, यादों को गुदगुदाने लगे… शरीर एक अद्भुत रोमांच से भर गया.
अंत में उसका बिछड़ना, उसका उदास चेहरा यादों में आते ही अनायास आँखें नम हो गयीं…
कितनी ही देर आपनी यादों के भवर्जाल में खोया रहा, ट्रेन अपना सफ़र तय करती रही, स्टेशन आए और चले गये, पता ही नही चला, और करीब शाम 5 बजे मेरे गन्तब्य स्टेशन पर ट्रेन रुकी.
नीचे बैठे पेसेन्जर्स से पूछा तो पता चला मेरा स्टेशन आ चुका था, जल्दी-2 समान उठाया और उतर गया प्लॅटफार्म के उपर.
स्टेशन से बाहर आया, कॉलेज का पता किया, तो वो स्टेशन से कोई 6-8 किमी दूर था शहर के अंत में.
सेपरेट रिक्शे से बात की तो वो ज्यदा पैसे माँग रहा था,
चलने से पहले पिता जी ने समझाया था, कि बेटा वैसे तो में तेरी ज़रूरत पूरी करने की पूरी कोशिश करूँगा, लेकिन चूँकि आमदनी सिर्फ़ ये खेती ही है, और श्याम भी पढ़ रहा है, दोनो बड़े कोई मदद नही करते, सो जितना हो सके पैसों का सही से स्तेमाल करना, आगे तुम खुद समझदार हो.
और बिना ज़रूरत के घर के बार-2 चक्कर लगाने की ज़रूरत नही है, मुझे चिट्ठी लिख दिया करना, मे पैसे मनीओरडर करवा दिया करूँगा प्रेम के हाथों.
मैने पता किया तो उस तरफ शेरिंग घोड़ा गाड़ी (तांगा) जाती थी, तो पुच्छ के अपने समान लेके टाँगे में बैठ गया.
टप-टॅप-टॅप-टॅप, घोड़े की टापो की आवाज़ के साथ तांगा मुझे ले चला मंज़िल की ओर.
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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- rajsharma
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
क्या बात है दोस्त तुसी तो छा गये ............. इसे कहते धाँसू अपडेट
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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