ये मंज़र देख कर मेरे जिस्म में चीटियाँ दौड़ने लगी. मेरा हाथ खुद ब खूद मेरी एलास्टिक वाली सलवार के अंदर चला गया और मेरी उंगली मेरी पानी पानी होती हुई चूत में आगे पीछे होने लगी. मेरा दूसरा हाथ मेरे बड़े बड़े मम्मो तक जा पहुँचा और में अपने मम्मो को हाथ में ले कर खुद ही अपने मम्मो को अपने हाथ से दबाने लगी.
इधर में अपनी चूत और मम्मो से खेल कर मज़ा ले रही थी . तो दूसरी तरफ अपनी बेहन के गोश्त से भरपूर चुतड़ों में धक्के मारने से गुल नवाज़ का लंड पत्थर की तरह सख़्त हो चुका था.और उस को नुसरत की टाँगो की गर्मी में घुस कर बहुत मज़ा और स्वाद मिल रहा था.
थोड़ी देर बाद गुल नवाज़ ने नुसरत की टाँगे फैलाई और उस की दोनो टाँगो के दरमियाँ से अपना लौडा गुज़ारते हुए बेहन की चूत के मूह पर रख दिया
भाई के लंड को पहली बार अपनी चूत के साथ टच होता हुआ महसूस कर के नुसरत के मूह से आअहह ओह्ह्ह्ह की मीठी आवाज़ निकल गई.
फिर मेरे देखते ही देखते मेरे शोहर ने अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाल कर उस को अपने लंड पर मसल दिया.
साथ ही गुल नवाज़ ने अपने घुटनों को थोड़ा बेंड किया. जिस की वजह से उस का लंड नुसरत की उपर उठी हुई गान्ड के बिल्कुल नीचे आ गया.
फिर गुल नवाज़ ने अपनी बेहन की चौड़ी गान्ड को अपने दोनो हाथों से मज़बूती से थामा और फिर अपने जिस्म को सीधा उपर उठाते हुए एक झटका मारा.
थूक लगे लंड और पानी छोड़ती बेहन की फुद्दी के लबों से गुल नवाज़ का लंड बगैर किस दिक्कत के फिसलता हुआ नुसरत की चूत के अंदर तक धँस ता चला गया.
भाई के लंड को अपने अंदर जज़्ब करते ही नुसरत एक इंच उपर की तरफ उछली और उस के के मुँह से “आआहह “की आवाज़ निकली...
लेकिन सॉफ लग रहा था कि ये दर्द की आवाज़ नही है. बल्कि ये तो जोश और मस्ती से भरी चुदाई का मज़ा लेने वाली आवाज़ थी...
क्यों मेरी रानी रुखसाना मज़ा आया... गुल नवाज़ ने नुसरत को अपनी बीवी समझते हुए पूछा. मगर नुसरत जवाब में सिर्फ़ “अहह “कर के रह गई.
ज़ाहिर है कि वो जवाब में अगर बोलती तो गुल नवाज़ को पता चल सकता था.कि वो जिसे अपनी बीवी समझ कर मज़े से चोद रहा है वो उस इस की बीवी नही बल्कि सग़ी छोटी बेहन है.
गुल नवाज़ ने आहिस्ता से अपने लंड को बाहर निकाला और फिर एक और धक्का मारा और उस का पूरा लंड दुबारा उस की बेहन की चूत में दाखिल हो गया.
अब गुल नवाज ने पीछे से नुसरत के दोनो मम्मों का अपने दोनो हाथो में पकड़ कर ज़ोर से दबाया और साथ ही अपनी बेहन की चूत में धक्कों की बरसात चालू कर दी.
गुल नवाज़ बाथरूम में पूरे जोश और पूरी स्पीड से अपनी बेहन की फुद्दी को चोद रहा था ...
गुल नवाज़ के टटटे ज़ोर ज़ोर से नुसरत की गान्ड से टकराने की वजह से बाथरूम में ना सिर्फ़ “पिच पिच की आवाज़ गूँजती .
बल्कि ज़ोर दार झटकों की वजह से नुसरत की गान्ड का गोश्त भी थल थल करते हुए उपर नीचे होता. और आगे से नुसरत के जवान भरे भरे मम्मे भी गुल नवाज़ के हाथों से निकल निकल जाते थे.
उधर बाथरूम में चुदाई का ये मज़ा पा कर नुसरत की “सिसकियाँ” अब रुकने का नाम नही ले रही थीं.
इधर बाहर मेरी चूत में भी अब बुरी तरह से खारिश हो रही थी. बेहन भाई के संगम और मिलाप का ये हसीन मंज़र देख कर मेरी चूत भी अब जैसे लंड माँगने लगी थी.
मेरी उंगलियाँ भी मेरी चूत में उसी तेज़ी से चल रही थीं.. जिस तेज़ी से गुल नवाज़ अपनी बेहन की फुद्दी में लंड को अंदर बाहर कर रहा था.
मेरी साँसे तेज़ तेज़ चलने लगी.... मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी..अयाया ...आअहह...
में ऐसे महसूस कर रही थी.जैसे मेरी चूत में एक मोटा लंड है और वो मुझ ज़ोर ज़ोर से चोद रहा हो...मेरी चूत पानी पानी हो रही थी.
उधर गुल नवाज़ ने अपनी बेहन की चूत में धक्के मार-मार कर के उस की टाँगों को ना सिर्फ़ थका दिया था. बल्कि आज इतनी तेज चुदाई करने पर वो खोद भी थक गया और फिर उस ने अपने लंड का पानी अपनी बेहन की चूत में छोड़ दिया.
फारिग होने के कुछ देर बाद गुल नवाज़ ने अपना लंड नुसरत की चूत से निकाला तो मैने उस के लंड पर उस की बेहन की चूत का पानी चमकते देखा.
“ बेहन चोद इतनी रात को नहाने का क्या मकसद है” कहते हुए गुल नवाज़ ने बाथरूम के फर्श पर पड़ी अपनी शलवार को उठा कर उस के साथ अपनी लंड को सॉफ किया और फिर शलवार को पहन का नाडा बाँधने लगा.
नुसरत अभी तक सिंक पर झुकी पूर सकून और बेसूध खड़ी थी. लगता था कि अपने भाई के साथ साथ वो भी फारिग हो गई थी.
मुझ पता चल गया कि बाथरूम में चुदाई का खेल ख़तम हो चुका है और अब किसी भी लम्हे गुल नवाज़ और नुसरत बाहर आ सकते हैं.
इस लिए मैने अपनी चप्पलो को हाथों में थामा और दबे पावं तेज़ी से चलते हुए वापिस कमरे में चली आई…
में जब नुसरत के कमरे में वापिस आई तो अपने भाई सुल्तान के खर्राटे सुन कर मुझ पता चल गया कि मेरा भाई अभी तक सकून से सो रहा है.
में कमरे का दरवाज़ा बंद कर के खामोशी के साथ पलंग पर आ कर लेट गई.
मेरी आँखों के सामने अभी तक नुसरत और उस के भाई की चुदाई का मंज़र एक फिल्म की तरह चल रहा था.
उन्ही दोनो के बारे में सोचते सोचते मेरा हाथ खुद ब खुद मेरी शलवार के अंदर मेरी पानी छोड़ती फुद्दी तक दुबारा जा पहुँचा.और में अपनी उंगलियों से अपनी चूत को मसल्ने लगी.
में अपनी उंगली अपनी चूत मे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगी. कुछ देर चूत मसल्ने के बाद मेरी स्पीड बढ़ गयी.
मेरे मुँह से सिसकारियाँ हल्की हल्की आवाज़ मे निकलने लगी . मैने अपने आप को थोड़ा संभाला ताकि मेरी सिसकयों की गूँज मेरे भाई के कानों में ना पड़ सके.
अपनी नंद और उस के भाई की चुदाई को याद कर के रात के अंधेरे में अपने ही सगे भाई के साथ एक ही बिस्तर पर लेट कर अपनी चूत के साथ खेलने का ये तजुर्बा मेरे लिए बिल्कुल अनोखा और दिल कश था.
मेरी चूत में एक आग लगी हुई थी और ये आग आहिस्ता आहिस्ता बे काबू होती जा रही थी.
मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete
- rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
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- pongapandit
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
भाई एकदम मस्त अपडेट हैं
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
update plz
update
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- Kamini
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
सूपर सेक्सी कहानी है राज जी
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
Keep writing dear, Excited for NEXT Update . . . .
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