हँसते हँसते मेरे दिमाग़ में एक ख्याल बिजली की मानिंद दौड़ गया कि नुसरत और में बांझ नही. मेरा भाई सुल्तान भी नही तो क्या ये मुमकिन नही कि हो सकता है मेरा शोहर गुल नवाज़ मे ही वो पावर ना हो. जिस की वजह से में अभी तक औलाद की नेहमत से महरूम हूँ.
इस ख़याल ने मेरे दिल और दिमाग़ को घेर लिया और में अगले चन्द हफ्ते इसी बात को सोचती और इस पर गौर करती रही.
इस दौरान मेने एक आध दफ़ा डरते डरती अपने शोहर गुल नवाज़ से इस बारे में बात करने की कोशिश की. कि अगर उस में को “नुक्स” है तो वो जा कर गाँव के हकीम से अपने लिए क्यों ना दवाई वगेरा ले.
मगर अपने शोहर के गुस्से को देखते हुए में उस के सामने अपनी ज़ुबान खोलने से घबराती ही रही.
में इस लिए भी खामोश रही क्यों कि में जानती थी कि हमारे परिवार में सुसराल वाले और खास तौर पर शोहर कभी इस बात को मानने को तैयार नही होते कि उन में भी कोई खराबी हो सकती ही.
और अगर उन से कभी इस बारे में बात की भी जाय तो उन का मर्दाना वक़ार एक दम मजरूह हो जाता है.
इस लिए मैने बेहतरी इस में जानी कि अपनी ज़ुबान को बंद कर के चुप चाप अपने घर में अपने शोहर और सास के साथ जहाँ तक हो सकता है गुज़ारा करूँ.
कुछ दिनो बाद एक रोज में गाँव से बाहर अपने डेरे पर एक दरख़्त की ठंडी छाँव में बैठी थी.
मेरी भांजी मुनि मेरी गोद में बैठी खेल रही थी. जब कि मेरा ध्यान थोड़े फ़ासले पर खेतों में ट्रॅक्टर चलाते हुए अपने शोहर गुल नवाज़ की तरफ था. कि इतने में नुसरत अपने बेटे को उठाए हुए मेरे करीब आई तो मैने नुसरत को अपने बेटे से कहते सुना” पुतर देख तेरे अब्बा जी खेत में कितनी मेहनत से ट्रॅक्टर चला रहे है”.
मैने नुसरत की तरफ हैरानी से देखते हुए कहा” तुम ने कहा अब्बा जी? में तो समझी थी कि ट्रॅक्टर गुल नवाज़ चला रहा है?”
“तुम इतनी देर से इधर बैठी हो तुम ने देखा नही कि भाई गुल नॉवज़ तो कुछ देर पहले ही एक काम के सिल्स्ले में घर वापिस चला गया है.अब उस की जगह मेरा शोहर सुल्तान खैत में काम कर रहा है” नुसरत ने मुस्कराते हुए कहा.
असल में कुछ देर के लिए डेरे पर ही बने बाथ रूम में पेशाब के लिए गई थी. लगता है उसी वक़्त मेरे शोहर गुल नवाज़ की जगह मेरे भाई सुल्तान ने ट्रॅक्टर चलाना शुरू कर दिया था.
जिस का वाकई मुझ ईलम ना हुआ और में अपनी चार पाई पर बैठी अब तक ये ही समझती रही कि अभी भी मेरा शोहर ही खेत में काम कर रहा है.
मैने दुबारा गौर से खैत की तरफ नज़र डाली तो वो वाकई ही मेरा भाई सुल्तान था.
में सोच में पड़ गई कि मेरे शोहार और मेरे भाई का डील डौल और जिसमात कितनी मिलती जुलती है. कि दूर से देखने में वो दोनो एक जैसे नज़र आते हैं.
फिर मैने अपनी कज़िन पर निगाह डाली और नुसरत के सरापे का बगौर जायज़ा लेने लगी.
में खुद तो शुरू से ही थोड़ी मोटी थी जिस की वजह से मेरे मम्मे काफ़ी बड़े और गान्ड भी काफ़ी चौड़ी थी.
जब कि नुसरत शादी से पहले मुझ से थोड़ी पतली थी. मगर शादी और फिर दो बच्चों की पैदाइश के बाद उस का वज़न भी भर गया था. जिस का असर उस के मम्मों और गान्ड पर भी नज़र आ रहा था.
आज पहली बार मुझ खुद ये लगा में और नुसरत क़द काठ और जिस्मानी सखत की वजह से काफ़ी हद तक एक दूसरे से मिलती जुलती है. और पहली बार मुझ लोगो की कही हुई ये बात सच लगने लगी कि हम दोनो भी देखने में जुड़वाँ बहनें नज़र आती हैं.
ये बात मेरे ज़हन में आते ही में एक गहरी सोच में डूब गई.
हम ज़मीन दार लोग हैं. जो कि खेती बाड़ी और जानवर पाल कर अपना गुज़ारा करते हैं.
और इलाक़ों की तरह हमारे एरिया में भी ये रिवाज है. कि हर साल गाँव के लोग अपनी भेंस (बफ्लो) को किसी सांड़ से चुदवा कर बच्चा पैदा करवाते हैं.
इस अमल के दौरान अगर एक सांड़ किसी भेंस को “ग्यावन” (प्रेग्नेंट) ना कर पाए तो फिर दूसरा सांड़ लाया जाता है.
मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
इस बात को सोचते हुए मेरे दिल में भी ये ख़याल आया कि अपना घर बचाने के लिए क्यों ना में भी किसी गैर मर्द से ताल्लुक़ात कायम कर लूँ.
मगर छोटे गाँव में लोगों की ज़ुबाने बहुत बड़ी बड़ी होती हैं. और अगर किसी को पता चला गया तो. इस बात का अंजाम सोच कर मेरी हिम्मत जवाब दे गई.
फिर मुझ याद आया कि कुछ दिन पहले ही नुसरत ने सुल्तान के मुतलक ये कहा था कि उस के वीर्य का एक क़तरा ही बच्चा पैदा करने के लिए काफ़ी है.
“साला एक मच्छर इंसान को हिजड़ा बना देता है” इंडियन आक्टर नाना पाटेकर का ये डायलॉग तो बहुत बाद में आया था.
मगर नुसरत की बात आज दुबारा याद कर के मुझे इस वक़्त ऐसे लगा जैसे वो कह रही हो कि,
“तुम्हारे भाई का एक ही क़तरा बांझ से बांझ औरत की कोख में भी बच्चा बना सकता है”
ये बात दुबारा याद आते ही मेरे ज़हन में एक और ख्याल भी उमड़ आया.
जिस ने ना सिर्फ़ मेरा कलेजा हिला कर रख दिया बल्कि साथ ही साथ मुझ बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर कर दिया.
ये ख्याल ज़हन में आते ही पहले तो में काँप ही गई. क्यों कि मैने आज तक इस बात के बारे में सोचा तक नही था.
मगर हर शादी शुदा लड़की की तरह में भी ये हरगिज़ नही चाहती कि मेरा हँसता बस्ता घर उजड़ जाए. या फिर बिना किसी कसूर के यूँ बैठे बिताए मुझ पर एक तलाक़ याफ़्ता होने का लेबल लग जाए.
मुझ अपना घर हर सूरत बचाना था और इस के लिए में ना चाहते हुए भी हर हद पार करनी पर तूल गई थी.
ये ही सोचते हुए मैने हिम्मत की और नुसरत की तरफ देखते हुए कहा“नुसरत तुम मेरी बेहन हो ना”
“रुकसाना तुम मेरे लिए बेहन से भी बढ़ कर हो, और इसी लिए में अपनी पूरी कॉसिश कर रही हूँ कि अम्मी तुम को तलाक़ ना दिलवाए” नुसरत ने मुझे प्यार से जवाब दिया.
“अच्छा तो फिर मुझे एक सिलसिले में तुम्हारी मदद और तुम्हारी इजाज़त की ज़रूरत है” मैने नुसरत का हाथ अपने हाथ में लेते हुए एक इल्तिजा भरे लहजे में कहा.
“मेरी मदद और इजाज़त किस सिलसिले में” नुसरत ने मेरी तरफ सवालिया नज़रो से देखते हुए कहा.
“वो वो” में कहना तो चाहती थी मगर अल्फ़ाज़ मेरे मुँह में जैसे अटक कर रह गये.
मुझ पता था कि मेरे ज़हन में जो बात और प्लान है वो एक नामुमकिन बात है और नुसरत कभी भी इस बात पर राज़ी नही हो गी.
“कहो ना रुक क्यों गई” नुसरत ने मुझ झिझकते हुए देखा तो मुझे अपनी बात मुकम्मल करने का होसला देते हुए बोली.
मैने नुसरत से बात करने का अपने दिल में इरादा तो कर लिया था मगर दिल की बात को अपने होंठों पर लाने की मुझ में हिम्मत नही पड़ रही थी.
इस लिए मैने खामोश रहते हुए अपना सर उठाया और मेरी नज़रे खेत की तरफ गईं. जिधर मेरा भाई सुल्तान अभी भी ट्रॅक्टर चला रहा था.
और मेडम नूर जहाँ के एक मशहूर गाने के बोलों की तरह कि,
कुछ भी ना कहा और कह भी गये
कुछ कहते कहते रह भी गये
बातें जो ज़ुबान तक आ ना सकीं
आँखों ने कहीं आँखों ने सुनी
कुछ होंठों पे कुछ आँखों में
अनकहे फसाने रह भी गये
कुछ भी ना कहा और कह भी गये
मगर छोटे गाँव में लोगों की ज़ुबाने बहुत बड़ी बड़ी होती हैं. और अगर किसी को पता चला गया तो. इस बात का अंजाम सोच कर मेरी हिम्मत जवाब दे गई.
फिर मुझ याद आया कि कुछ दिन पहले ही नुसरत ने सुल्तान के मुतलक ये कहा था कि उस के वीर्य का एक क़तरा ही बच्चा पैदा करने के लिए काफ़ी है.
“साला एक मच्छर इंसान को हिजड़ा बना देता है” इंडियन आक्टर नाना पाटेकर का ये डायलॉग तो बहुत बाद में आया था.
मगर नुसरत की बात आज दुबारा याद कर के मुझे इस वक़्त ऐसे लगा जैसे वो कह रही हो कि,
“तुम्हारे भाई का एक ही क़तरा बांझ से बांझ औरत की कोख में भी बच्चा बना सकता है”
ये बात दुबारा याद आते ही मेरे ज़हन में एक और ख्याल भी उमड़ आया.
जिस ने ना सिर्फ़ मेरा कलेजा हिला कर रख दिया बल्कि साथ ही साथ मुझ बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर कर दिया.
ये ख्याल ज़हन में आते ही पहले तो में काँप ही गई. क्यों कि मैने आज तक इस बात के बारे में सोचा तक नही था.
मगर हर शादी शुदा लड़की की तरह में भी ये हरगिज़ नही चाहती कि मेरा हँसता बस्ता घर उजड़ जाए. या फिर बिना किसी कसूर के यूँ बैठे बिताए मुझ पर एक तलाक़ याफ़्ता होने का लेबल लग जाए.
मुझ अपना घर हर सूरत बचाना था और इस के लिए में ना चाहते हुए भी हर हद पार करनी पर तूल गई थी.
ये ही सोचते हुए मैने हिम्मत की और नुसरत की तरफ देखते हुए कहा“नुसरत तुम मेरी बेहन हो ना”
“रुकसाना तुम मेरे लिए बेहन से भी बढ़ कर हो, और इसी लिए में अपनी पूरी कॉसिश कर रही हूँ कि अम्मी तुम को तलाक़ ना दिलवाए” नुसरत ने मुझे प्यार से जवाब दिया.
“अच्छा तो फिर मुझे एक सिलसिले में तुम्हारी मदद और तुम्हारी इजाज़त की ज़रूरत है” मैने नुसरत का हाथ अपने हाथ में लेते हुए एक इल्तिजा भरे लहजे में कहा.
“मेरी मदद और इजाज़त किस सिलसिले में” नुसरत ने मेरी तरफ सवालिया नज़रो से देखते हुए कहा.
“वो वो” में कहना तो चाहती थी मगर अल्फ़ाज़ मेरे मुँह में जैसे अटक कर रह गये.
मुझ पता था कि मेरे ज़हन में जो बात और प्लान है वो एक नामुमकिन बात है और नुसरत कभी भी इस बात पर राज़ी नही हो गी.
“कहो ना रुक क्यों गई” नुसरत ने मुझ झिझकते हुए देखा तो मुझे अपनी बात मुकम्मल करने का होसला देते हुए बोली.
मैने नुसरत से बात करने का अपने दिल में इरादा तो कर लिया था मगर दिल की बात को अपने होंठों पर लाने की मुझ में हिम्मत नही पड़ रही थी.
इस लिए मैने खामोश रहते हुए अपना सर उठाया और मेरी नज़रे खेत की तरफ गईं. जिधर मेरा भाई सुल्तान अभी भी ट्रॅक्टर चला रहा था.
और मेडम नूर जहाँ के एक मशहूर गाने के बोलों की तरह कि,
कुछ भी ना कहा और कह भी गये
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
mast chudakkad hain sab ke sab.........
- rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
धन्यवाद दोस्तो
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