मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete

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dil1857
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by dil1857 »

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rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by rajsharma »

धन्यवाद दोस्तो अपडेट कल आएगा एक और नई कहानी के साथ
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
dil1857
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by dil1857 »

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rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by rajsharma »

मुझ लगता था कि नुसरत मेरे भाई के साथ ये सब कुछ करती है. इस लिए अगर आज में नही करूँगी तो भाई शायद गुस्से में आ कर मुझे कुछ कहे.

या आज लंड ना चूसने की वजह पूछे तो फिर मुझे ना चाहते हुए भी “बोलने” पर मजबूर होना पड़ेगा. जिस की वजह से मेरा सारा राज़ खुल सकता था..

में सोचने लगी कि अब जब इतना कुछ हो चुका था तो “लंड चुसाइ “का “तजुर्बा” करने में भी कोई हर्ज नही है.

इस लिए मैने सुल्तान भाई की टाँगों के दरमियाँ अपना सर झुका कर अपना मुँह खोला और अपनी चूत के जूस से भरपूर अपने भाई के लंड का टोपा को मुँह में डाल लिया.

लंड को अपने मुँह में डालते ही पहले तो मुझे अजीब सी घिन होने लगी.जिस की वजह से मैने जल्दी से भाई के लौडे को अपने मुँह से बाहर निकाला ऑर थूकने लगी.

लेकिन दूसरी तरफ सुल्तान भाई ने मेरी गान्ड को अपने हाथों से खोला और अपने मुँह को थोड़ा उपर कर मेरी गान्ड के सुराख पर ज़ोर से “थूका” और साथ ही अपनी ज़ुबान की नुकीली टिप को मेरी गान्ड के सुराख में डालकर मेरी “थूक” से भरपूर गान्ड को चाटने और चोदने लगा.

उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाई की इस हरकत ने तो मेरे तन बदन में एक नई आग लगा दी. वो क्या मज़ा ऑर लज़्जत थी कि में ब्यानकर सकती थी..

में खुद को कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश कर रही थी...लेकिन इतना मज़ा ऑर मज़े की शिद्दत इतनी ज़यादा थी कि मेरी बर्दास्त से बाहर हो गया.

फिर हर बात और बू से बे परवाह हो कर एक मैने जोश में फॉरन अपने भाई के लंड को अपने मुँह में ले लिया.

अब में जोश में इतनी गरम और मस्त हो गई कि भाई के लंड पर लगे अपनी चूत के पानी को भी अपनी ज़ुबान से चाट चाट कर पागलों की तरह सॉफ करने लगी.

सुल्तान भाई नीचे से एक दम उपर हुआ और भाई का लंड एक ही झटके में मेरे हलक के अंदर तक जा पहुँचा.

में तो आज अपने भाई के हाथों चुदाई की ये नई मंज़िलें पा कर हर रिश्ता भुला बैठी थी.

अब मेरे उपर बस एक जिन्सी जनून सवार हो गया. और इसी जुनून के हाथों मजबूर हो कर मैने भाई के लंड पर अपनी ज़ुबान फेरते फेरते भाई के टट्टों को मुँह में लिया और उन को एक एक कर के चूसने लगी.

भाई भी मेरी इस हरकत से जैसे पागल हो गया. वो मज़े से आआअहह की आवाज़ें निकाल रहा था...


में भी इसी तरह अपने भाई के लिए आज की ये रात एक यादगार बनाना चाहती थी. जिस तरह भाई मुझे सेक्स के नये तरीके सिखा कर मेरे लिए इस रात को यादगार बना रहा था.

ये ही सोचते हुए मैने भाई के टट्टो को छोड़ कर अपना मुँह थोड़ा मज़ीद नीचे की तरफ किया और भाई की गान्ड की “मोरी” पर अपनी ज़ुबान रख दी.

ज्यूँ ही मेरी ज़ुबान सुल्तान भाई की गान्ड के सुराख को टच हुई तो पहले तो भाई ने एक दम अपनी गान्ड को ज़ोर से जकड़ा जैसी उसे “गुदगुदी” हुई हो.

मगर दूसरे ही लम्हे जब मैने ज़ुबान भाई की गान्ड पर दुबारा फेरी तो मज़े के मारे भाई की ज़ुबान से सिसकयों का एक सेलाब उमड़ आया.

“लगता है तू तो मुझे आज मार ही डालेगी नुस्तू” भाई ने मज़े से सिसकियाँ बढ़ाते हुए कहा.

भाई अब तेज़ी से मेरी गान्ड के साथ साथ मेरी फुद्दी भी चाट रहा था और में उस का लंड,टट्टो और गान्ड को चूस रही थी. और हम दोनो की सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं.

इतनी देर में मेरी चूत से 2 बार पानी बह निकला तो भाई ने वो सारा पानी चाट चाट कर साफ कर दिया.

मुझे डर था कि अगर में कुछ देर और भाई के लंड को चुसुन्गि तो भाई भी ज़रूर मेरे मुँह में ही फारिग हो जाएगा.

जब कि में अपने भाई का वीर्य अपने मुँह में नही बल्कि अपनी चूत के अंदर डलवाना चाहती थी.इस लिए थोड़ी देर बाद में भाई के उपर से उठ कर भाई के पास बिस्तर पर लेट गई.

भाई ने मुझे अपनी बाहों में लेकर गले से लगाया. हम दोनो ने लंड और फुद्दी के जूस और पानी से भरे अपने होंठ एक दूसरे के मुँह में डाले और में भाई के मुँह में उस के अपने लंड का जूस और वो मेरी चूत का पानी अपने होंठो से मेरे मुँह में मुन्तिकल करने लगा. साथ ही साथ भाई मेरे तने हुए मम्मो से भी खेलने लगा.

कुछ देर बाद भाई ने बिस्तर से नीचे झुक कर अंधेरे में ही फर्श पर करीब ही पड़ी अपनी कमीज़ को टटोल टटोल कर तलाश किया और फिर अपनी कमीज़ की पॉकेट से कुछ निकाल कर बोला “ नुसरत देख में तेरे लिए शहर से “झांझर” (पायल) लाया हूँ”

इस के साथ ही अपनी लाई हुई झांझर को मेरी पाँव की पिंड्लीयो पर बाँधने लगा.

भाई का इस तरह मुझे झांझर का तोहफा देना ऐसे ही था जैसे सुहाग रात को कोई शोहर अपनी बीवी को मुँह दिखाई में तोहफा देता है.

लेकिन मेरे लिए ये मुँह दिखाई की नही बल्कि चूत चुदाई और गोद भराई की रसम और रात थी.

मुझे पायल पहनाने के बाद सुल्तान भाई ने मेरी गान्ड के नीचे एक तकिया रखा और मुझे बिस्तर पर दुबारा लिटा दिया. तकिये की वजह से अब मेरी चूत थोड़ा और उपर हो गई थी.

भाई ने मेरी टाँगों को खोला और उसने मेरी टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं.

साथ ही भाई ने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के बीच रखा और एक ज़ोर दार धक्का मारा और अपना लंड मेरी चूत में जड तक डाल दिया.

भाई मेरे उपर झुक गया और मेरे होठों को अपने मुँह में ले कर मुझ तेज तेज चोदने लगा.

भाई का गर्म लंड मेरी फुद्दी के अंदर तक पहुँच रहा था. और भाई की तेज चुदाई की वजह से मेरी पानी छोड़ती चूत बे हाल हो कर शर्प शरप और थरप थरप की आवाज़ निकल रही थी. जब कि झटकों की वजह से मेरे मोटे मम्मे भी हिलने शुरू हो जाता

मैने मज़े से मदहोश हो कर अपने होंठ भाई की गर्दन पर रख दिये और इस के शोल्डर्स को चाटने ओर काटने लगी और अपनी फुददी को उस के झटको के साथ साथ टाइट और लूस करने लगी.

मेरे पैरो की पायल मेरे भाई के हर धक्के के साथ “छुन छुन” करती हुए बज रही थी.

पायल की आवाज़ से भाई को मज़ीद जोश आने लगा और वो मुझे तेज़ी के साथ चोदने लगा

सुल्तान भाई ने मेरे पैरों को पकड़ कर बहुत ही तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी.

वो मेरी चूत में लंड को अंदर डालते वक़्त मेरे पैरों को दबा देते थे तो मेरी चूत और ऊपर उठ जाती थी और उस का लंड मेरी चूत की गहराई तक घुस जाता था.

“दूरी ना रहे क्यों आज इतने करीब आऊ
में तुम में समा जाऊ तुम मुझ में समा जाओ”

इस गाने के अल्फ़ाज़ की तरह हमारे जिस्म भी पूरी तरह एक दूसरे में समा रहे थे.
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