असली या नकली
- Kamini
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Re: असली या नकली
काली झील जैसी आंखे , तीखे नैन नक्श, पतले गुलाबी होंठ जिनको देखकर बस हमेशा चूसने का मन करे , दिखने में मानो अजंता की कोई मूरत, सुडोल मांसल जांघे जो उसके कसे हुए बदन में झलकियां सी दे रही थी, और जब वो अपना समान उठाने के लिए थोड़ी सी झुकी तो आनंद के दिल पर तो जैसे लाखो छुर्रियाँ चल गयी थी, क्यूंकि उसकी सुन्दर सी लोंग स्कर्ट में से उसकी गदरायी मांसल गांड का नज़ारा उसे घायल किये जा रहा था, आनंद को काटो तो खून नही, वो तो इस सुन्दरता के दर्शन में इतना खो गया कि भूल ही गया था कि वो भी जमीन पर ही पड़ा है
“अबे खाबिज़, तूने मेमसाब का सामान भी गिरा दिया, रुक आज तो तेरी खैर नही” चोकीदार आनंद की तरफ आता हुआ गुस्से से बोला
“अरे भाई भड़कते क्यूँ हो , वो तो गलती से मै इन मोहतरमा से टकरा गया” आनंद चोकीदार को अपनी तरफ बढ़ते देख बोला
“चल खड़ा हो और तुरंत निकल ले यहाँ से इससे पहले कि मेरा गुस्सा और ख़राब हो” चोकीदार गुर्राया और वापस अपनी जगह पर आकर खड़ा हो गया
इधर वो लडकी अभी भी अपना सामान उठाने में लगी थी और साथ ही साथ आनंद को गालियाँ भी दिए जा रही थी
“जी मैं कुछ मदद करूं आपकी” आनंद ने उस लडकी से कहा
“पहले जो मदद की वो कम है क्या मेरा सारा सामान गिरा दिया तुमने, आँखे है या बटन, इतनी बड़ी इंसान दिखाई नही देती तुम्हे, पता नही कहाँ कहाँ से आ जाते है, तुम्हे अंदर किसने घुसने दिया, अभी चोकीदार से कहकर तुम्हे बहार निकलवाती हूँ मैं” लडकी ने गुस्से से आनंद की तरफ देखते हुए कहा
“जी मुझे माफ़ कर दीजिये प्लीज़, मैंने ये जानबुझकर नही किया, वो तो चोकीदार मेरे पीछे डंडा लेकर पड़ा था इसलिए मैं बिना आपकी तरफ देखे भाग रहा था, और इसिलए कब आप सामने आ गयी और कब मैं आपसे टकरा गया, पता ही नही चला, मैं तहे दिल से आपसे माफ़ी मांगता हूँ” आनंद ने भोली सी सूरत बनाते हुए कहा
“हम्मम्मम.......ठीक ठीक है, पर आगे से ध्यान रखना, वैसे चोकीदार ने बिलकुल सही किया तुम्हारे साथ” ये कहकर वो लडकी हल्की सी मुस्कुराने लगी
आनंद को तो ऐसे लगा जैसे चाँद ही जमीन पर उतरकर आ गया हो, इतनी खुबसूरत हंसी उसने आज तक नही देखी थी, आनंद को एहसास हुआ कि आज सुबह से सबसे अच्छी घटना उसके साथ यही हुई है कि वो इस चाँद सी खुबसूरत लडकी से टकरा गया
“अब बुत बने क्यों खड़े हो, मेरी मदद करो सामान उठाने में” लडकी ने कहा
“जी.....जी.....मैं अभी करता हूँ” आनंद ने हडबडा कर कहा
“वैसे तुम हो कौन और यहाँ क्यों आये हो” लडकी ने आनंद से पूछा
“जी, अम्मम्म....मेरा नाम आनंद है, मैं यहाँ वो मैं.......” आनंद समझ नही पा रहा था कि वो क्या बोले
“अरे ये वो वो क्या लगा रखा है, बोलो क्यों आये हो यहाँ, क्या नोकरी के लिए आये हो” लडकी ने कहा
“हाँ ....हाँ.....नोकरी के लिए ही आया हूँ” आनंद बोला
“हम्म्म्म.....समझ गयी....हमारे ऑफिस में चपरासी का पद खाली है....और हमने अख़बार में इस्तेहार (advertisement) दिया था, लगता है तुम भी उसे देखकर आये हो” लडकी बोली
“जी चपरासी......???????” आनंद चोंककर बोला
“तो क्या तुम उसके लिए नही आये, तो फिर तुम जा सकते हो” लडकी बेबाक तरीके से बोली
“नही नही मैं उसी के लिए आया हूँ.....” आनंद बोल पड़ा, दरअसल वो उस लडकी के साथ कुछ वक्त बिताना चाह रहा था, इसीलिए उसने एसा कहा
“हम्म्म्म...ठिक्क है.....वैसे कितना पढ़े हो......चपरासी के लिए भी कम से कम 5 वी तक की पढाई जरूरी है, तुम कहाँ तक पढ़े हो?” लडकी बोली
“जी मैं तो वो ...मैं तो......हाँ मैं भी 5 वी तक ही पढ़ा हूँ” आनंद झूठ बोल गया क्यूंकि उसने तो इंग्लिश में MA किया था और वो भी फर्स्ट डिवीज़न से
“देखो झूठ मत बोलना , अगर बाद में पता चला कि तुम्हे तो पढना भी नही आता तो समझ लेना कि तुम फिर इस शहर में कहीं नोकरी नही कर पाओगे, समझे” लडकी आनंद को डराते हुए बोली
“जी हाँ समझ गया, मैं 5 वी तक पढ़ा हूँ, और हिंदी पढ़ लेता हूँ, पर लिखना नही जानता” आनंद भोला बनते हुए बोला
“उसकी हमे जरूरत नही होगी, वैसे क्या थोड़ी बहुत अंग्रेजी भी जानते हो या नही” लडकी बोली
“जी नही, अंग्रेजी तो नही जानता” आनंद बोला
“फिर तो थोडा मुश्किल होगा, पर देखते है क्या होता है, बाकि और लोग भी आये है नोकरी के लिए, तुम उनके साथ जाकर बैठो” लडकी बोली
शादी का मन्त्र viewtopic.php?t=11467
हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372
शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462
शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461
संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
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- Kamini
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Re: असली या नकली
अब तक सारा सामान लडकी ने वापस अपने पर्स में जमा लिया था और वो गेट की तरफ बढने लगी
“जी वैसे आपका नाम क्या है” आनंद ने पूछा
“चांदनी ....चांदनी नाम है मेरा” लडकी ने कहा
“बहुत सुन्दर....ह्म्म्मम्म..मेरा मतलब बहुत अच्छा नाम है” आनंद बोला
“शुक्रिया ....” चांदनी ने कहा और गेट की तरफ दोबारा बढने लगी
“जी रुकिए” आनंद फिर बोल पड़ा
“अब क्या है?” चांदनी बोली
“जी..वो ...आपका चोकीदार मुझे अंदर नही आने देगा, तो प्लीज़ क्या मैं आपके साथ आ जाऊ?” आनंद मासूम बनते हुए बोला
“ठीक है, आ जाओ” चांदनी मुस्कुरा कर बोली
और फिर वो दोनों ऑफिस के अंदर आ गये
आनंद और चांदनी साथ साथ ऑफिस के अंदर आ गये, ये पहली बार था जब आनंद ने ऑफिस के अंदर कदम रखा था, उसे कुछ पता नही था ऑफिस के बारे में, चांदनी आनंद को लेकर सीधा इनफार्मेशन काउंटर पर आ गयी, वहां पर काम करने वाली लडकी का नाम मीना था
दिखने में बड़ी ही खुबसूरत और प्यारी सी दिखाई पड़ रही थी, कितने प्यारे गुलाबी होंट थे उसके , दूध जैसी रंगत उसके बदन को चार चाँद लगा रही थी, केले के तने जैसी चिकनी बाहें देखकर आनंद का दिमाग भन्ना सा गया था, आनंद को तो अब अपने चारो तरफ बस अप्सराएँ ही नजर आने लगी थी, एक तरफ चांदनी जैसे खुबसूरत कातिल हसीना और दूसरी तरफ मीना जैसी मासूम कली जो फूल बनने के लिए बिलकुल तैयार दिखती थी, आनंद को एसा लगा की शायद मीना उसकी तरफ देख कर हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी पर आनंद ने इसे वहम समझ कर इग्नोर कर दिया
“कैसी हो मीना” चांदनी ने मीना से पूछा
“अच्छी हूँ, चांदनी दीदी, आप बताओ, आज ऑफिस देर से कैसे ?” मीना ने कहा
“अरे यार वो बस देर से मिली थी, इसलिए लेट हो गयी” चांदनी बोली
“ये लड़का कौन है आपके साथ, पहले तो इसे कहीं नही देखा” मीना ने आनंद के बारे में पूछते हुए कहा
“इसका नाम आनंद है, ये हमारे ऑफिस में चपरासी की नोकरी के लिए आया है, अरे हाँ याद आया, क्या चपरासी के लिए जो इंटरव्यू होने थे वो शुरू हो गये क्या?” चांदनी ने पूछा
“हाँ दीदी वो तो कब के शुरू हो गये” मीना ने कहा
“अच्छा कितने लोग आये है ?” चांदनी ने फिर सवाल पूछा
“लगभग 20-25 लोग आये हुए है” मीना ने कहा
“फिर तो आनंद, शायद तुम्हे नोकरी मिलना मुश्किल है” चांदनी ने आनंद की तरफ देखकर कहा
“जी, कोई बात नही, मैं कहीं और देख लूँगा” आनंद ने चांदनी से कहा
“पर फिर भी तुम एक बार कोशिश कर लो, इंटरव्यू हमारे ऑफिस के ही शर्मा जी ले रहे है, बड़े ही सख्त किस्म के आदमी है वो” चांदनी बोली
“ठीक है जैसे आप कहे”आनंद भोली सी शक्ल बनाते हुए बोला
“अच्छा तुम जाकर बाकि लोगो के साथ बैठो मैं बड़े साहब(बद्रीप्रसाद) से मिलकर आती हूँ, कुछ फाइल्स में दस्तखत करवाने है” चांदनी बोली
“पर चांदनी दीदी, बड़े साहब तो अभी थोड़ी देर पहले ही घर के लिए निकल गये, दरअसल उन्हें दिल्ली जाना था, सो वो महेश बाबु और जगदीश बाबु के साथ ही निकल गये” मीना बोली
“दिल्ली, पर अचानक दिल्ली क्यूँ” चांदनी ने पूछा
“दीदी, वो हमारी दिल्ली वाली फैक्ट्री में अचानक कुछ जरूरी काम आ गया, तो बड़े साहब तुरन्त वहां के लिए निकल गये, शायद हफ्ता भर वहीं रहेंगे” मीना ने कहा
इधर आनंद को ये खबर सुनकर बहुत ही ज्यादा सुकून महसूस हुआ, क्यूंकि एक तो उसे हफ्ता भर के लिए ऑफिस आने से बच गया और साथ ही सुबह जो कुछ मोहिनी के साथ हुआ वो अब दादाजी को कम से कम एक हफ्ता तो नही पता चलने वाला था
“ठीक है फिर मैं किसी ओर दिन उनसे दस्तखत करवा लुंगी, अच्छा आनंद अब तुम तुरंत जाओ पर अच्छे से इंटरव्यू दो” चांदनी ने कहा
चांदनी की बात सुनकर आनंद उस कमरे का पता पूछकर सीधा उस ओर निकल गया और काउंटर पर अब सिर्फ चांदनी और मीना ही खड़ी थी
**********************************
आनंद के जाने के बाद चांदनी और मीना आपस में बातें करने लगी
“क्या दीदी, कहां से पकड़कर लाई हो ऐसे खूबसूरत नौजवान को, हाय कितना सुंदर लड़का है ना” मीना बोली
“क्या मीना, तुझे बस ये सब ही सूझता रहता है” चांदनी बोली
“दीदी, अगर इस उम्र में ये सब नहीं सोचेंगे तो कब सोचेंगे” मीना बोली
मीना की बात सुनकर चांदनी बस हल्का सा मुस्कुरा दी
“वैसे दीदी वो लड़का आपको बहुत पसंद करता है” मीना बोली
“हट बदमाश कुछ भी बोलती है” चांदनी मीना के हाथ पर चपत लगाती हुई बोली
“सच दीदी, मीना की आंखें पारखी आंखें हैं, वो लड़का सच में आपको पसंद करता है” मीना ने चांदनी के हाथ पर थोड़ा दबाव देते हुए कहा
“अच्छा तुझे कैसे पता?” चांदनी बोली
“देखा नहीं दीदी, कैसे वो आपके गले की गहराइयों को नाप रहा था: मीना ने हंसकर कहा
“चुप कर बदमाश, कुछ भी बोलती रहती है, थोड़ी बहुत शर्म भी नहीं आती तुझे तो” चांदनी शर्मा सी गयी थी मीना की बात सुनकर
चांदनी को इस तरह शर्माता देख कर मीना बोली “लगता है दीदी आपको भी वो पसंद आ गया है”
“ऐसा कुछ भी नहीं है, मैं तेरी तरह बेशर्म नहीं हूं जो बिना किसी जान पहचान के भी हर किसी को पसंद करने लगे” चांदनी बोली
“ठीक है भई, अगर आपको पसंद नहीं है तो मैं चांस मार कर देखती हूं, आपको तो कोई प्रॉब्लम नहीं ना” मीना बोली
“मुझे क्यों प्रॉब्लम होने लगी, तुझे जो करना है कर” चांदनी ने बोल तो दिया था पर वह थोड़ी सी हिचक रही थी
“ठीक है, फिर मैं ही थोड़ी कोशिश करके देखती हूं, शायद फंस जाये” मीना हंसती हुई बोली
“जैसी तेरी मर्ज़ी” चांदनी ने बेमन से कहा
“दीदी अगर आनंद को यहां नौकरी मिल जाए तो कितना अच्छा हो ना” मीना मुस्कुरा कर बोली
“मुझे क्या पता वो तो तू ही जाने” चांदनी ने थोड़ा सा मुंह बनाकर देखा
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“जी वैसे आपका नाम क्या है” आनंद ने पूछा
“चांदनी ....चांदनी नाम है मेरा” लडकी ने कहा
“बहुत सुन्दर....ह्म्म्मम्म..मेरा मतलब बहुत अच्छा नाम है” आनंद बोला
“शुक्रिया ....” चांदनी ने कहा और गेट की तरफ दोबारा बढने लगी
“जी रुकिए” आनंद फिर बोल पड़ा
“अब क्या है?” चांदनी बोली
“जी..वो ...आपका चोकीदार मुझे अंदर नही आने देगा, तो प्लीज़ क्या मैं आपके साथ आ जाऊ?” आनंद मासूम बनते हुए बोला
“ठीक है, आ जाओ” चांदनी मुस्कुरा कर बोली
और फिर वो दोनों ऑफिस के अंदर आ गये
आनंद और चांदनी साथ साथ ऑफिस के अंदर आ गये, ये पहली बार था जब आनंद ने ऑफिस के अंदर कदम रखा था, उसे कुछ पता नही था ऑफिस के बारे में, चांदनी आनंद को लेकर सीधा इनफार्मेशन काउंटर पर आ गयी, वहां पर काम करने वाली लडकी का नाम मीना था
दिखने में बड़ी ही खुबसूरत और प्यारी सी दिखाई पड़ रही थी, कितने प्यारे गुलाबी होंट थे उसके , दूध जैसी रंगत उसके बदन को चार चाँद लगा रही थी, केले के तने जैसी चिकनी बाहें देखकर आनंद का दिमाग भन्ना सा गया था, आनंद को तो अब अपने चारो तरफ बस अप्सराएँ ही नजर आने लगी थी, एक तरफ चांदनी जैसे खुबसूरत कातिल हसीना और दूसरी तरफ मीना जैसी मासूम कली जो फूल बनने के लिए बिलकुल तैयार दिखती थी, आनंद को एसा लगा की शायद मीना उसकी तरफ देख कर हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी पर आनंद ने इसे वहम समझ कर इग्नोर कर दिया
“कैसी हो मीना” चांदनी ने मीना से पूछा
“अच्छी हूँ, चांदनी दीदी, आप बताओ, आज ऑफिस देर से कैसे ?” मीना ने कहा
“अरे यार वो बस देर से मिली थी, इसलिए लेट हो गयी” चांदनी बोली
“ये लड़का कौन है आपके साथ, पहले तो इसे कहीं नही देखा” मीना ने आनंद के बारे में पूछते हुए कहा
“इसका नाम आनंद है, ये हमारे ऑफिस में चपरासी की नोकरी के लिए आया है, अरे हाँ याद आया, क्या चपरासी के लिए जो इंटरव्यू होने थे वो शुरू हो गये क्या?” चांदनी ने पूछा
“हाँ दीदी वो तो कब के शुरू हो गये” मीना ने कहा
“अच्छा कितने लोग आये है ?” चांदनी ने फिर सवाल पूछा
“लगभग 20-25 लोग आये हुए है” मीना ने कहा
“फिर तो आनंद, शायद तुम्हे नोकरी मिलना मुश्किल है” चांदनी ने आनंद की तरफ देखकर कहा
“जी, कोई बात नही, मैं कहीं और देख लूँगा” आनंद ने चांदनी से कहा
“पर फिर भी तुम एक बार कोशिश कर लो, इंटरव्यू हमारे ऑफिस के ही शर्मा जी ले रहे है, बड़े ही सख्त किस्म के आदमी है वो” चांदनी बोली
“ठीक है जैसे आप कहे”आनंद भोली सी शक्ल बनाते हुए बोला
“अच्छा तुम जाकर बाकि लोगो के साथ बैठो मैं बड़े साहब(बद्रीप्रसाद) से मिलकर आती हूँ, कुछ फाइल्स में दस्तखत करवाने है” चांदनी बोली
“पर चांदनी दीदी, बड़े साहब तो अभी थोड़ी देर पहले ही घर के लिए निकल गये, दरअसल उन्हें दिल्ली जाना था, सो वो महेश बाबु और जगदीश बाबु के साथ ही निकल गये” मीना बोली
“दिल्ली, पर अचानक दिल्ली क्यूँ” चांदनी ने पूछा
“दीदी, वो हमारी दिल्ली वाली फैक्ट्री में अचानक कुछ जरूरी काम आ गया, तो बड़े साहब तुरन्त वहां के लिए निकल गये, शायद हफ्ता भर वहीं रहेंगे” मीना ने कहा
इधर आनंद को ये खबर सुनकर बहुत ही ज्यादा सुकून महसूस हुआ, क्यूंकि एक तो उसे हफ्ता भर के लिए ऑफिस आने से बच गया और साथ ही सुबह जो कुछ मोहिनी के साथ हुआ वो अब दादाजी को कम से कम एक हफ्ता तो नही पता चलने वाला था
“ठीक है फिर मैं किसी ओर दिन उनसे दस्तखत करवा लुंगी, अच्छा आनंद अब तुम तुरंत जाओ पर अच्छे से इंटरव्यू दो” चांदनी ने कहा
चांदनी की बात सुनकर आनंद उस कमरे का पता पूछकर सीधा उस ओर निकल गया और काउंटर पर अब सिर्फ चांदनी और मीना ही खड़ी थी
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आनंद के जाने के बाद चांदनी और मीना आपस में बातें करने लगी
“क्या दीदी, कहां से पकड़कर लाई हो ऐसे खूबसूरत नौजवान को, हाय कितना सुंदर लड़का है ना” मीना बोली
“क्या मीना, तुझे बस ये सब ही सूझता रहता है” चांदनी बोली
“दीदी, अगर इस उम्र में ये सब नहीं सोचेंगे तो कब सोचेंगे” मीना बोली
मीना की बात सुनकर चांदनी बस हल्का सा मुस्कुरा दी
“वैसे दीदी वो लड़का आपको बहुत पसंद करता है” मीना बोली
“हट बदमाश कुछ भी बोलती है” चांदनी मीना के हाथ पर चपत लगाती हुई बोली
“सच दीदी, मीना की आंखें पारखी आंखें हैं, वो लड़का सच में आपको पसंद करता है” मीना ने चांदनी के हाथ पर थोड़ा दबाव देते हुए कहा
“अच्छा तुझे कैसे पता?” चांदनी बोली
“देखा नहीं दीदी, कैसे वो आपके गले की गहराइयों को नाप रहा था: मीना ने हंसकर कहा
“चुप कर बदमाश, कुछ भी बोलती रहती है, थोड़ी बहुत शर्म भी नहीं आती तुझे तो” चांदनी शर्मा सी गयी थी मीना की बात सुनकर
चांदनी को इस तरह शर्माता देख कर मीना बोली “लगता है दीदी आपको भी वो पसंद आ गया है”
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“ठीक है भई, अगर आपको पसंद नहीं है तो मैं चांस मार कर देखती हूं, आपको तो कोई प्रॉब्लम नहीं ना” मीना बोली
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“ठीक है, फिर मैं ही थोड़ी कोशिश करके देखती हूं, शायद फंस जाये” मीना हंसती हुई बोली
“जैसी तेरी मर्ज़ी” चांदनी ने बेमन से कहा
“दीदी अगर आनंद को यहां नौकरी मिल जाए तो कितना अच्छा हो ना” मीना मुस्कुरा कर बोली
“मुझे क्या पता वो तो तू ही जाने” चांदनी ने थोड़ा सा मुंह बनाकर देखा
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- rajsharma
- Super member
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- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: असली या नकली
bahut achha update hai
Read my all running stories
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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`·.¸.·´ -- raj sharma
- Ankit
- Expert Member
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- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: असली या नकली
Superb update
- Smoothdad
- Novice User
- Posts: 914
- Joined: 14 Mar 2016 08:45
Re: असली या नकली
mast chudakkad hain sab ke sab.........