नौकर से चुदाई compleet
- rajsharma
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Re: नौकर से चुदाई
वास्तविक..सच्ची कि चुदाई.मर्द के लंड की चुदाई..ना तो उसने
मेरे मम्मों को हाथ लगाया. ना हमारे बीच कोई चूमा चॅटी हुई.
बस एक मोटे लंड ने एक विधवा चूत को चोद डाला..और फिर जब
खुशी के पल ख़तम हुए तो वह अलग हुआ. अपना ढेर सा वीर्य उसने
मेरे अंदर छोड़ा था. पता नही क्या होगा मेरा.सोचती मैं उठ
बैठी.और नंगी ही दौड़ कर कमरे से बाहर निकल गयी. बाथरूम
तो मैने जा कर अपने कमरे मे किया. बहुत सा वीर्य मेरे जघो और
झटों पर लग गया था.सब मेने पानी से धो कर साफ किया...
(अगले दिन).सुबह जब मैं उठी तो बदन बुरी तरह टूट रहा था. बीते
कल मेने अपने नौकर हरिया के साथ सुहागरात जो मनाई थी. मैं
रोज की तरह स्कूल गयी. खाना खाया..शाम को पड़ोस की मिसेज़ वर्मा
आ गयी तो उनके साथ बैठी. सारा रूटीन चला बस जो नही चला वो
यह था कि मेने सारा दिन हरिया से नज़रें नही मिलाई. रात को
खाने के बाद जब मैं रसोई मे गयी तो वह वहीं था. मेरा हाथ
पकड़ कर बोला.बीबीजी रात को आओगी ना.. मेरे तो गाल शरम से लाल
हो उठे. हाथ छुड़ा कर चली आई. रात मुन्ना के सो जाने के बाद
भी मेरी आँखों मे नींद नही थी. बस हरिया के बारे मे ही सोचती
रही. करीब एक घंटा बीत गया.उसने इंतज़ार किया होगा. मैं नही
गयी तो वही आया. दरवाजे की कुण्डी क्या बजी मेरा दिल बज उठा.
मैने धड़कते दिल को साड़ी से कस कर दरवाजा खोला.वही
था..बीबीजी..मैं अंदर आउ ?.मैं ना मे गरदन हिलाई तो वह मेरा
हाथ पकड़ कल की तरह खीचता हुआ अपने कमरे की ओर ले चला.
मैं विधवा अपने नौकर के लंड का मज़ा लेने के लिए उसके पीछे
पीछे चल दी. उस रात हरिया के कमरे मे मेरी दो बार चुदाई हुई.
पूरी तरह सारे कपड़े खोल कर...मैं तो ना ना ही करती रह
गयी..उसने मेरी एक ना सुनी. वो भी नंगा भी नंगी. अंधेरा कर के.
नौकर की खटिया पर. वही टांगे उठा कर्कल वाले आसन से..एक बार
से तो जैसे उस का पेट ही नही भरा. एक बार निपटने के थोड़ी देर
बाद ही खड़ा करके दुबारा घुसेड दिया. बहुत सारा वीर्य मेरी चूत
मे छोड़ा. पर ना मेरे मम्मों को हाथ लगाया ना कोई चुम्मा चॅटी
किया. बस एक पहाड़ी लंड शहर की प्यासी चूत को चोदता रहा. जब
चुद ली तो कल की तरह ही उठकर चुपचाप अपने कमरे मे आ गयी
उस रात जब मैं सोई तो मैने मंथन किया..सुख कहा है. तकिया दबा
के काल्पनिक चुदाई मे या हरिया के पहाड़ी मोटे लंड से वास्तविक
चुदाई मे. विधवा हू तो क्या मुझे लंड से चुदवाने का अधिकार
नही है ? जिंदगी भर यूँ ही तड़पति रहू ? नही..मैं हरिया का
हाथ पकड़ लेती हू. नौकर है तो क्या हुआ. क्या उसके मन नही है ?
क्या वह मर्द नही है? उसमे तो ऐसा सब कुछ है जो औरत को चाहिए
क्या फ़र्क पड़ता है. फिर ? नौकर है तो क्या हुआ ? मर्द तो है. स्वाभाव
कितना अच्छा है. पिछले दो साल से मेरे साथ है कभी शिकायत
का मौका नही दिया. अरे यह तो और भी अच्छा है. घर के घर
मे.किसी को मालूम भी ना पड़ेगा. समाज ने शादी की संस्था क्यों
बनाई है? ताकि लंड चूत का मिलन घर के घर मे होता रहे. जब
लंड का मन हो वो चूत को चोद ले और जब चूत का मन आए वो लंड से
चुदवा ले. हर वक्त दोनो एक दूसरे के लिए अवेलेबल रहें. अब मान लो
मैं कोई मर्द बाहर का करती हू तो क्या होगा वो आएगा तो पूरे
मोहल्ले को खबर लग जाएगी कि सीमा के घर कोई आया है. रात भर
तो वो हरगिज़ नही रह सकेगा. उस की खुद की भी फेमिली होगी. हमेशा
एक डर सा बना रहेगा.
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj sharma
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Re: नौकर से चुदाई
इस से तो यह कितना अच्छा है. घर के घर मे
पूरा मर्द चाहो तो रात भर मज़ा लो..किसी को क्या पता पड़ता कि तुम
अपने घर मे क्या कर रहे हो. फिर इस की फेमिली भी गाँव मे है. यह
तो गाँव वैसे भी साल छः महीने मे जाता है. उन लोगों को भी क्या
फ़र्क पड़ता है कि हरिया यहाँ किसके साथ मज़े लूट रहा है..तो
मैं क्या करूँ ?.ठीक है- हो गया जो हो गया..भगवान की मरजी
समझ कबूल करती हू..लेकिन हरिया भी क्या इसे कबूल करेगा?.उसे
क्या चाहिए ?.मुझे मालूम है मर्द को क्या चाहिए होता है जो उसे
चाहिए वो मैं उसे दूँगी तो वह क्यों मना करेगा भला?.वह भी तो
बिना औरत के यहाँ रहता है.उस का भी तो मन करता होगा. मन तो
करता ही है तभी तो कल भी चोदा और आज फिर आ गया..यदि मेरे
जैसी सुंदर औरत इस से राज़ी राज़ी से चुदायेगि तो क्यों नही
चोदेगा भला ?.देखते है आगे क्या होता है मेरे भाग्य मे मर्द का
सुख है या नही..
अगला दिन मेरी जिंदगी का खूबसूरत दिन था. मैं फेसला ले चुकी
थी. मैं हरिया से संबंध कायम रखुगी. जवानी के मज़े लूँगी.
सुबह से मेने अपने रोज के काम मे मन लगाया..नहाते मे मेने अपनी
चूत को साबुन लगा लगा कर खूब साफ किया. बाद मे अपनी झांतदार
चूत को खूब पावडर लगाया. चूत पर हाथ लगाते हुए मुझे हरिया
का ही ध्यान आया. अब तक यह चूत हरिया के लंड से दो दिनों मे चार
बार चुद चुकी थी. अब यह चूत हरिया की चूत है..दोपहर मैं स्कूल
गयी. शाम को घर का दूसरा काम किया. खाने के बाद मैं मुन्ना को
लेकर अपने कमरे मे आ गयी. मुझे इंतज़ार था कि मुन्ना सो जाए तो
कुछ हो. मुन्ना सो गया तो सोचा मैं खुद हरिया के पास चली
जाउ.फिर मन मे आया देखु तो सही आज हरिया की क्या रिएक्शन रहती
है.वह इंटरेसटेड होगा तो अपने आप आएगा. मेरे काम सुख का आगे का
भविष्य उसके आने, ना आने पर ही निर्भर रहेगा. मैं इंतज़ार
करती रही... मेरा इंतज़ार व्यर्थ नही गया. भगवान मुझ पर
प्रसन्न था. थोड़ी देर बाद कुंडी खड़की..मेरा मन नाच उठा. मेरी
खुशी का ठिकाना नही था.मैं तो उठ कर सीधी देवी मा के
सिंहासन के पास गयी और उनको हाथ जोड़ कर नमस्कार किया कि हे मा
मेरा सब काम अच्छे से करना.मुझे किसी चीज़ की कमी नही है.घर
है,नौकरी है,बच्चा है...बस मर्द नही हैमर्द का लंड नही
है.सो अब आपने संयोग बनाया है..इसे ठीक से निभाने देना. इतनी
देर मे तो कुण्डी दुबारा खड़क गयी. मेने जा कर दरवाजा
खोला.हरिया सामने था. उसे सामने पा कर मैं ना जाने क्यों शरमा
उठी..सो गयी थी बीबी जी..उसने बड़े प्यार से पूछा..मुझसे तो मुँह
से बोल ही नही फूटा. बस ना मे गर्दन हिला दी. तब...हरिया..मेरा
नौकर..मुझे हाथ पकड़ कल की तरह ही अपने कमरे मे ले गया.
दोस्तो हरिया और सीमा की चुदाई की दास्तान अगले पार्ट मे पढ़े
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
पूरा मर्द चाहो तो रात भर मज़ा लो..किसी को क्या पता पड़ता कि तुम
अपने घर मे क्या कर रहे हो. फिर इस की फेमिली भी गाँव मे है. यह
तो गाँव वैसे भी साल छः महीने मे जाता है. उन लोगों को भी क्या
फ़र्क पड़ता है कि हरिया यहाँ किसके साथ मज़े लूट रहा है..तो
मैं क्या करूँ ?.ठीक है- हो गया जो हो गया..भगवान की मरजी
समझ कबूल करती हू..लेकिन हरिया भी क्या इसे कबूल करेगा?.उसे
क्या चाहिए ?.मुझे मालूम है मर्द को क्या चाहिए होता है जो उसे
चाहिए वो मैं उसे दूँगी तो वह क्यों मना करेगा भला?.वह भी तो
बिना औरत के यहाँ रहता है.उस का भी तो मन करता होगा. मन तो
करता ही है तभी तो कल भी चोदा और आज फिर आ गया..यदि मेरे
जैसी सुंदर औरत इस से राज़ी राज़ी से चुदायेगि तो क्यों नही
चोदेगा भला ?.देखते है आगे क्या होता है मेरे भाग्य मे मर्द का
सुख है या नही..
अगला दिन मेरी जिंदगी का खूबसूरत दिन था. मैं फेसला ले चुकी
थी. मैं हरिया से संबंध कायम रखुगी. जवानी के मज़े लूँगी.
सुबह से मेने अपने रोज के काम मे मन लगाया..नहाते मे मेने अपनी
चूत को साबुन लगा लगा कर खूब साफ किया. बाद मे अपनी झांतदार
चूत को खूब पावडर लगाया. चूत पर हाथ लगाते हुए मुझे हरिया
का ही ध्यान आया. अब तक यह चूत हरिया के लंड से दो दिनों मे चार
बार चुद चुकी थी. अब यह चूत हरिया की चूत है..दोपहर मैं स्कूल
गयी. शाम को घर का दूसरा काम किया. खाने के बाद मैं मुन्ना को
लेकर अपने कमरे मे आ गयी. मुझे इंतज़ार था कि मुन्ना सो जाए तो
कुछ हो. मुन्ना सो गया तो सोचा मैं खुद हरिया के पास चली
जाउ.फिर मन मे आया देखु तो सही आज हरिया की क्या रिएक्शन रहती
है.वह इंटरेसटेड होगा तो अपने आप आएगा. मेरे काम सुख का आगे का
भविष्य उसके आने, ना आने पर ही निर्भर रहेगा. मैं इंतज़ार
करती रही... मेरा इंतज़ार व्यर्थ नही गया. भगवान मुझ पर
प्रसन्न था. थोड़ी देर बाद कुंडी खड़की..मेरा मन नाच उठा. मेरी
खुशी का ठिकाना नही था.मैं तो उठ कर सीधी देवी मा के
सिंहासन के पास गयी और उनको हाथ जोड़ कर नमस्कार किया कि हे मा
मेरा सब काम अच्छे से करना.मुझे किसी चीज़ की कमी नही है.घर
है,नौकरी है,बच्चा है...बस मर्द नही हैमर्द का लंड नही
है.सो अब आपने संयोग बनाया है..इसे ठीक से निभाने देना. इतनी
देर मे तो कुण्डी दुबारा खड़क गयी. मेने जा कर दरवाजा
खोला.हरिया सामने था. उसे सामने पा कर मैं ना जाने क्यों शरमा
उठी..सो गयी थी बीबी जी..उसने बड़े प्यार से पूछा..मुझसे तो मुँह
से बोल ही नही फूटा. बस ना मे गर्दन हिला दी. तब...हरिया..मेरा
नौकर..मुझे हाथ पकड़ कल की तरह ही अपने कमरे मे ले गया.
दोस्तो हरिया और सीमा की चुदाई की दास्तान अगले पार्ट मे पढ़े
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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Re: नौकर से चुदाई
नौकर से चुदाई पार्ट---3
गतान्क से आगे.......
उसके साथ जाते जाते मेरा दिल कल से भी ज़्यादा ज़ोर ज़ोर से धड़क
रहा था. इस घड़ी का तो मैं शाम से इंतज़ार कर रही थी. वहाँ.उस
के कमरे मे..जब वह मुझे पकड़ खीचाने लगा तो मैं छिटक कर बोल
उठी.दरवाजा..वह चुपचाप जा कर दरवाजा लगा आया..तो मैने
साड़ी का पल्लू उंगली पर लपेटते हुए कहा.हर.र.रिया..ला..ई..ट. उसने
चुपचाप जा कर लाईट बुझा कमरे मे अंधकार कर दिया.और पास आ
कर मुझे पकड़ा तो मैं खुद उसके सीने से लग गयी. वह वही खड़े
खड़े मुझे सहलाने लगा..वा मेरी पीठ पर हाथ फेरा..पीठ से
कमर पर आया.और फिर नीचे चूतरो तक पहुँच गया. आपसे सच
कहती हू उसके द्वारा अपने चूतरो सहलाए जाने से मेरी साँस
धोकनि की तरह चलने लगी थी. वह खड़े खड़े बहुत देर तक मेरे
पिछवाड़े पर अपना हाथ फेरता रहा. उसके इस तरह हाथ फेरने
से ही मैं तो गीली हो उठी. और बुरी तरह उस के सीने मे घुसने
लगी..मेरा गला सुख गया था.खड़े रहना मुश्किल हो रहा था. ऐसा
लग रहा था मैं बेहोश हो कर ही गिर पड़ूँगी. उसी हालत मे वह मेरे
कपड़े उतारने लगा तो मेरी हालत और खराब होगयि. उस ने खड़े
खड़े ही अंधेरे बंद कमरे मे मेरे सारे कपड़े खोल
डाले..साड़ी.1.पेटीकोट...2.ब्लाउस..3.और अंत मे ब्रा.4.आपकी
जानकारी के लिए बता दू कि वैसे स्कूल जाते समय तो मैं पेंटी
पहनती हू पर घर मे रहती हू तो उतार देती हू.
और रात मे भी मैं तो साड़ी ब्लाओज मे ही सोती हू.मेक्सी नही पहनती
हू..तो.मैं एक दम नंगी हो कर बहुत शरमाई.वो तो अच्छा था कि
अंधेरा था. फिर पल भर वो अलग हुआ और अपने कपड़े खोल दिए. अब
जो मुझे खड़े खड़े अपनी बाहों मे लिया तो वो पल मेरे लिए बहुत
आनंद दायक था. बहुत अनोखा. एक दम अलग..नंगा वो नंगी मैं.दोनो
एक दूसरे से खड़े खड़े चिपक गये. वही मुझे बाहों मे भीचा मैं
तो बस चुपचाप उसके सीने से लग गयी.मेरे तो शरम के मारे
हाथ ही ना उठे कि उसे अपनी बाहों मे भर लूँ. बहुत अच्छा लग
रहा था. उसने इसी हालत मे जब मेरे पिछवाड़े पर हाथ फिराया तो
बस मुझे लगा मैं खड़े खड़े ही मूत दूँगी. चूत मे अजीब तरह की
सुरसुरी हो रही थी. तभी उसने मुझे अंधेरे मे खटिया पर लिटा
दिया..और मेरे उपर चढ़ कर मेरी टाँगों को उठा दिया. अगले ही पल
उसका मोटा लंड मेरी चूत से आ कर अड़ा..और दबाव के साथ अंदर होने
लगा. मुझे जाँघो के बीच तेज दर्द हुआ. मेरी चूत मोटे लंड के
द्वारा चौड़ी की जा रही थी. मैं बिस्तर मे पड़े पड़े तड़प उठी. पूरी
प्रवेश क्रिया के दौरान मेने एक बार कराह के
कहा.हा..री..य्ाआआः...धीरे..पर यह नही कहा कि हरिया मत करो.
गतान्क से आगे.......
उसके साथ जाते जाते मेरा दिल कल से भी ज़्यादा ज़ोर ज़ोर से धड़क
रहा था. इस घड़ी का तो मैं शाम से इंतज़ार कर रही थी. वहाँ.उस
के कमरे मे..जब वह मुझे पकड़ खीचाने लगा तो मैं छिटक कर बोल
उठी.दरवाजा..वह चुपचाप जा कर दरवाजा लगा आया..तो मैने
साड़ी का पल्लू उंगली पर लपेटते हुए कहा.हर.र.रिया..ला..ई..ट. उसने
चुपचाप जा कर लाईट बुझा कमरे मे अंधकार कर दिया.और पास आ
कर मुझे पकड़ा तो मैं खुद उसके सीने से लग गयी. वह वही खड़े
खड़े मुझे सहलाने लगा..वा मेरी पीठ पर हाथ फेरा..पीठ से
कमर पर आया.और फिर नीचे चूतरो तक पहुँच गया. आपसे सच
कहती हू उसके द्वारा अपने चूतरो सहलाए जाने से मेरी साँस
धोकनि की तरह चलने लगी थी. वह खड़े खड़े बहुत देर तक मेरे
पिछवाड़े पर अपना हाथ फेरता रहा. उसके इस तरह हाथ फेरने
से ही मैं तो गीली हो उठी. और बुरी तरह उस के सीने मे घुसने
लगी..मेरा गला सुख गया था.खड़े रहना मुश्किल हो रहा था. ऐसा
लग रहा था मैं बेहोश हो कर ही गिर पड़ूँगी. उसी हालत मे वह मेरे
कपड़े उतारने लगा तो मेरी हालत और खराब होगयि. उस ने खड़े
खड़े ही अंधेरे बंद कमरे मे मेरे सारे कपड़े खोल
डाले..साड़ी.1.पेटीकोट...2.ब्लाउस..3.और अंत मे ब्रा.4.आपकी
जानकारी के लिए बता दू कि वैसे स्कूल जाते समय तो मैं पेंटी
पहनती हू पर घर मे रहती हू तो उतार देती हू.
और रात मे भी मैं तो साड़ी ब्लाओज मे ही सोती हू.मेक्सी नही पहनती
हू..तो.मैं एक दम नंगी हो कर बहुत शरमाई.वो तो अच्छा था कि
अंधेरा था. फिर पल भर वो अलग हुआ और अपने कपड़े खोल दिए. अब
जो मुझे खड़े खड़े अपनी बाहों मे लिया तो वो पल मेरे लिए बहुत
आनंद दायक था. बहुत अनोखा. एक दम अलग..नंगा वो नंगी मैं.दोनो
एक दूसरे से खड़े खड़े चिपक गये. वही मुझे बाहों मे भीचा मैं
तो बस चुपचाप उसके सीने से लग गयी.मेरे तो शरम के मारे
हाथ ही ना उठे कि उसे अपनी बाहों मे भर लूँ. बहुत अच्छा लग
रहा था. उसने इसी हालत मे जब मेरे पिछवाड़े पर हाथ फिराया तो
बस मुझे लगा मैं खड़े खड़े ही मूत दूँगी. चूत मे अजीब तरह की
सुरसुरी हो रही थी. तभी उसने मुझे अंधेरे मे खटिया पर लिटा
दिया..और मेरे उपर चढ़ कर मेरी टाँगों को उठा दिया. अगले ही पल
उसका मोटा लंड मेरी चूत से आ कर अड़ा..और दबाव के साथ अंदर होने
लगा. मुझे जाँघो के बीच तेज दर्द हुआ. मेरी चूत मोटे लंड के
द्वारा चौड़ी की जा रही थी. मैं बिस्तर मे पड़े पड़े तड़प उठी. पूरी
प्रवेश क्रिया के दौरान मेने एक बार कराह के
कहा.हा..री..य्ाआआः...धीरे..पर यह नही कहा कि हरिया मत करो.
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Re: नौकर से चुदाई
आज मेरी मनहस्थिति दूसरी थी. आज तो मैं खुद चुदवाना चाहती
थी. मैने खुद अपनी टाँगों को फेला कर उसका लंड अंदर करवाया.
वह अंदर घुसा चुका तो बोला..बस बीबी जी...हो गया..लेकिन घुसा कर
रुका नही.बस धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब लंड अंदर जाएबाहर
निकले.मैं पड़ी पड़ी ठुसक़ती जाउ. उँहुक..उँहुक..उँहुक.अंदर-
बाहर.अंडर्बाहर.उँहुक..उँहुक..उँहुक.हरिया ने थोड़ी ही देर मे वो
मज़ा ला दिया जो मेरे नसीब मे था ही नही.जिसके लिए मैं हमेशा
तरसती रहती थी. वो मज़ा मुझे तकिया लगा कर कभी नही आता
था. उँहुक..उहुंक.उँहुक. खटिया को हिलता हुआ मैं साफ साफ महसूस
कर रही थी. उँहुक..उहुंक.उँहुक. जब उसका मोटा सा लंड अंदर जाता
था तो मेरे मुँह से अपने आप ठुसकने की आवाज़ निकलती थी. इस
तरह कमरे मे रात के अंधेरे मे दो आवाज़ें बड़ी देर तक गूँजती
रही.खटिया की चर्र्र्ररर चर्र्ररर और मेरी उँहुक उम. और.फिर...अच्छे काम का
अंत तो होता ही है. मेरी चुदाई का भी अंत हुआ. वह झाड़ा..एक
दम..अचानक से.फॉरसाफूल..वीर्य का फव्वारा मेरी चूत मे छूट
पड़ा. उस समय के लगने वाले झटके बड़े ही अदभुद थे.पहले मेरा
इस ओर ध्यान ही नही गया था. लंड जो कि लोहे की राड की तरह सख़्त
था-मेरे अंदर ऐसी ज़ोर ज़ोर से तुनका कि बस पूछो मत. उसका
फूलनझटका लेना और फ़िरवीर्या छोड़ना महसूस कर मैं खुशी से
पागल हो उठी. और उसी पागलपन मे जानते है क्या हुआ ?.मेरा खुद
का स्खलन हो गया. गौरतलब है कि पिछली चुदायियो मे मेरा
अपना डिस्चार्ज नही हुआ था.यह मेरी आज की मानसिक अवस्था का
परिणाम था कि मैं आज डिस्चार्ज हुई. एक दम बदन हिला..कंपकपि
आई..और.मेरी चूत पानी छोड़ बैठी. मैं तो बहाल...उसी अवस्था मे
मुझे ना जाने क्या सूझा कि मैने हरिया को पकड़ कर अपने उपर गिरा
लिया.उसके गले मे बाहे डाल दी.बुरी तरह लिपट गयी. बेखुदी मे मेरे
होठ कह उठे..हा..रि..या.मेरे..रा..जा. वह झाड़ चुका था. उसी
अवस्था मे अपना लंड मेरे अंदर डाले हैरत से बोल पड़ा.राजा ??
आपने मुझे राजा कहा बीबीजी... मैं उस से और ज़ोर से लिपट गयी और
ज़ोर ज़ोर से साँसे लेते हुए बोली..अब तो तुम ही मेरे सब कुछ हो
हरियाआआआअ..इस भावना के आते ही मेरा और स्खलन हो उठा. चूत
मे से पानी छूटा तो मैं अपने उपर सवार नौकर से और कस कर लिपट
गयी. बस यही जवानी का सुख था. उसने भी मुझे अंधेरे मे ज़ोर से
बाहों मे जाकड़ लिया. दोनो के मन मे बस यही भावना थी कि हमे कोई
एक दूसरे से जुदा ना करे. जल्दी तो कोई थी नही. दोनो घर के
घर मे थे. दोनो इसी अवस्था मे बहुत देर तक पड़े रहे. लंड राम
मेरी चूत मे ही डाले रहे तब तक जब तक कि ढीले हो कर खुद ही बाहर
ना निकल आए. तब जब बहुत देर हो गयी और उसके मुझ पर से
उतरने के कोई आसार ना दिखे तब मैं नीचे से कुनमूनाई.उसे उठने
का इशारा दिया. तब जा के वह मुझ पर से उठा.
मैं भी उठ बैठी.
थी. मैने खुद अपनी टाँगों को फेला कर उसका लंड अंदर करवाया.
वह अंदर घुसा चुका तो बोला..बस बीबी जी...हो गया..लेकिन घुसा कर
रुका नही.बस धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब लंड अंदर जाएबाहर
निकले.मैं पड़ी पड़ी ठुसक़ती जाउ. उँहुक..उँहुक..उँहुक.अंदर-
बाहर.अंडर्बाहर.उँहुक..उँहुक..उँहुक.हरिया ने थोड़ी ही देर मे वो
मज़ा ला दिया जो मेरे नसीब मे था ही नही.जिसके लिए मैं हमेशा
तरसती रहती थी. वो मज़ा मुझे तकिया लगा कर कभी नही आता
था. उँहुक..उहुंक.उँहुक. खटिया को हिलता हुआ मैं साफ साफ महसूस
कर रही थी. उँहुक..उहुंक.उँहुक. जब उसका मोटा सा लंड अंदर जाता
था तो मेरे मुँह से अपने आप ठुसकने की आवाज़ निकलती थी. इस
तरह कमरे मे रात के अंधेरे मे दो आवाज़ें बड़ी देर तक गूँजती
रही.खटिया की चर्र्र्ररर चर्र्ररर और मेरी उँहुक उम. और.फिर...अच्छे काम का
अंत तो होता ही है. मेरी चुदाई का भी अंत हुआ. वह झाड़ा..एक
दम..अचानक से.फॉरसाफूल..वीर्य का फव्वारा मेरी चूत मे छूट
पड़ा. उस समय के लगने वाले झटके बड़े ही अदभुद थे.पहले मेरा
इस ओर ध्यान ही नही गया था. लंड जो कि लोहे की राड की तरह सख़्त
था-मेरे अंदर ऐसी ज़ोर ज़ोर से तुनका कि बस पूछो मत. उसका
फूलनझटका लेना और फ़िरवीर्या छोड़ना महसूस कर मैं खुशी से
पागल हो उठी. और उसी पागलपन मे जानते है क्या हुआ ?.मेरा खुद
का स्खलन हो गया. गौरतलब है कि पिछली चुदायियो मे मेरा
अपना डिस्चार्ज नही हुआ था.यह मेरी आज की मानसिक अवस्था का
परिणाम था कि मैं आज डिस्चार्ज हुई. एक दम बदन हिला..कंपकपि
आई..और.मेरी चूत पानी छोड़ बैठी. मैं तो बहाल...उसी अवस्था मे
मुझे ना जाने क्या सूझा कि मैने हरिया को पकड़ कर अपने उपर गिरा
लिया.उसके गले मे बाहे डाल दी.बुरी तरह लिपट गयी. बेखुदी मे मेरे
होठ कह उठे..हा..रि..या.मेरे..रा..जा. वह झाड़ चुका था. उसी
अवस्था मे अपना लंड मेरे अंदर डाले हैरत से बोल पड़ा.राजा ??
आपने मुझे राजा कहा बीबीजी... मैं उस से और ज़ोर से लिपट गयी और
ज़ोर ज़ोर से साँसे लेते हुए बोली..अब तो तुम ही मेरे सब कुछ हो
हरियाआआआअ..इस भावना के आते ही मेरा और स्खलन हो उठा. चूत
मे से पानी छूटा तो मैं अपने उपर सवार नौकर से और कस कर लिपट
गयी. बस यही जवानी का सुख था. उसने भी मुझे अंधेरे मे ज़ोर से
बाहों मे जाकड़ लिया. दोनो के मन मे बस यही भावना थी कि हमे कोई
एक दूसरे से जुदा ना करे. जल्दी तो कोई थी नही. दोनो घर के
घर मे थे. दोनो इसी अवस्था मे बहुत देर तक पड़े रहे. लंड राम
मेरी चूत मे ही डाले रहे तब तक जब तक कि ढीले हो कर खुद ही बाहर
ना निकल आए. तब जब बहुत देर हो गयी और उसके मुझ पर से
उतरने के कोई आसार ना दिखे तब मैं नीचे से कुनमूनाई.उसे उठने
का इशारा दिया. तब जा के वह मुझ पर से उठा.
मैं भी उठ बैठी.
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
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Re: नौकर से चुदाई
खटिया से उतर कर जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया..जाने दो
ना...अब क्या है.मैं धीरे से बोली.अभी मत जाओ ना बीबीजी..अभी मन
नही भरा. वा सरलता से बोला..सच कहे तो मन तो हमारा भी नही
भरा था. पर मुझे बाथरूम आ रही थी. उसका हाथ छुड़ा धीरे
से बोली.छोड़ो ना..मुझे पिशाब आ रही है.तो यही मोरी पर कर लो
ना..वही पानी भी रखा है..मैं समझ गयी कि अभी ये मुझे छोडने
को तैयार नही है. मैं अंधेरे मे टटोल टटोल कर कमरे मे ही एक
कोने पर बनी मोरी पे गयी. बैठते ही मेरा तो ऐसी ज़ोर से पेशाब
छूटा कि मैं खुद हैरान रह गयी. एक दम तेज सुर्राटी की आवाज़
निकली तो मैं खुद पर ही झेंप गयी.हरिया भी कमरे मे था.सुन रहा
होगा.वो क्या सोचेगा.पर क्या करतीमजबूरी थी.मेरे तो पेशाब ऐसे
ही जोरदार आवाज़ के साथ निकलता है. पेशाब करने के बाद मेने
बाल्टी से पानी ले कर अपनी चूत को धोया. और अंधेरे मे ही
लड़खड़ाती हुई वापस खटिया के पास आई तो हरिया ने पकड़ कर
फॉरन अपनी बगल मे लेटा लिया.. मुझे नंगे बदन उससे लिपट कर मज़ा
ही आ गया. उस के चौड़े सीने मे घुस कर मैं सारे जहा का सुख पा
गयी.उपर से वो पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगा तो सोने मे
सुहागा हो गया. मेने खूब चिपक चिपक कर उसके स्पर्श का आनंद
लिया. जब मैं हरिया के साथ थोड़ी कंफर्टेबल हो गयी तो मेने ही
बात छेड़ी..हरिया..मुझे डर लगता है..-कैसा डर बीबीजी.- मैं
कुछ नही बोली,बस उस के चौड़े सीने मे नाक रगड़ दी..वह मेरे कूल्हे
पर हाथ ले गया.तपथपाया..डरने की क्या बात है बीबी जी,
औरत मरद का तो जोड़ा होता है.या मैं नौकर हू,इस लिए.. मैं एक दम
ज़ोर से उस से लिपट गयी..ऐसा ना कहो,हरियाआ..उसने मेरे कूल्हों पर
हाथ चलाया..फिर.क्या आपकी जिंदगी मे और कोई मर्द है ?.मैं
अंधेरे मे और ज़ोर से उस से लिपट गयी.. नही.धात...तुम भी तो हो
मेरे साथ दो साल से...होता तो क्या तुमको नही दिखता ? मैने उल्टा
सवाल किया.मुझे तो नही दिखा..मैं उस की बाहों मे कसमसाई..नही
है...मुझ विधवा को कौन पसंद करेगा रे..- आपको क्या पता
बीबीजी आप कितनी खूबसूरत हो.-मुझे तो बहुत डर लगता
है..हरियाआअ.मैं उस से चिपक गयी.क्यों डरती हो..बीबीजी.सब कोई
तो करते है यह काम.
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
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