भाभी का बदला

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rajsharma
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Re: भाभी का बदला

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धन्यवाद दोस्तो 😆
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: भाभी का बदला

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“मुझे नही लगता अब यहाँ से वापस जाने के बाद, हम लोगों के बीच डिसकस करने के लिए कुछ बचा है, क्यों?” सोफे पर सबके नंगे बदन पर एक निगाह डालते हुए धीरज बोला. डॉली और तान्या दोनो उसकी बात सुनकर हंस दी, लेकिन राज बस मुस्कुरा कर रह गया.

“फिर भी हम लोगो को कोई टाइम टेबल तो बनाना ही पड़ेगा,” तान्या बोली. “मुझे कयि बार ऑफीस के काम से बाहर भी जाना पड़ता है, मैं नही चाहती कि मैं कोई भी चीज़ मिस करूँ.”

“जब तुम बाहर जाया करोगी, तो क्या राज और धीरज दोनो मेरे हुआ करेंगे?” डॉली ने उसको चिढ़ाते हुए पूछा, लेकिन ये सोच कर ही उसके मन में हलचल होने लगी.

“दीदी, आप को एक साथ दोनो के साथ करने में मज़ा आया होगा?” तान्या ने पूछा. “लेकिन मुझे तो चारों जब एक साथ किया करेंगे उसमें ज़्यादा मज़ा आएगा,” मुस्कुराते हुए तान्या बोली, और अपनी गान्ड पर डॉली के काटने के निशान को देखने लगी.

“जिस तरह से तुम दोनो राज का ख़ास ख्याल रख रही थी, उस से मुझे कोई परेशानी नही है,” धीरज मुस्कुराते हुए बोला, और राज की तरफ देखते हुए उसकी सहमति की प्रतीक्षा करने लगा. राज बस मुस्कुरा कर रह गया.

"मुझे लगता है, अगर हम लोग टाइम टेबल बना लें तो बेहतर रहेगा, लेकिन कभी कभी यदि बिना टाइम टेबल के अचानक किया करेंगे, तो उसका मज़ा भी अलग ही होगा, क्यों तुम्हारा क्या कहना है तान्या,” धीरज ने पूछा, और सोफे से उठ कर खड़ा हो गया.

“चलो, सब की सहमति से कुछ ना कुछ फाइनल कर ही लेंगे,”डॉली मुस्कुराते हुए बोली, और वो भी अपने पति के साथ उठ कर खड़ी हो गयी. “लेकिन अभी तो नहा लेते हैं.” डॉली धीरज के हाथ में हाथ डाल कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगी, और राज अपनी डॉली दीदी की गान्ड पर हर सीढ़ी चढ़ते हुए पड़ रहे डिंपल को देखने लगा.

"चेक आउट करने से पहले अभी हम लोगों के पास 2 घंटे हैं," तान्या ने मज़ाक करते ऊए अपने पति राज से कहा.

"तो चलो हम भी उन दोनो के साथ ही शवर ले लेते हैं?" राज ने जब ये कहा तो तान्या एक बार को तो चौंक ही गयी.

राज ने अपनी पत्नी तान्या का हाथ पकड़ा, उसको अपने साथ सीढ़ियों पर खींचते हुए, डॉली और धीरज को सर्प्राइज़ देने के लिए तेज़ी से बढ़ चला. तान्या की चूंचियाँ सीढ़ियाँ चढ़ते हुए मादक रूप से उछल रही थी, और अंतिम सीढ़ी पर पहुँच कर राज ने तान्या को अपनी बाहों में भर लिया, और उसकी चूंचियों को अपनी छाती से दबा दिया.

"मस्त रही ये गोआ ट्रिप, मज़ा आ गया, लंबे समय तक याद रहेगी ये ट्रिप," राज ने कहा.

"लंबे समय तक नही, जिंदगी भर याद रहेगी," तान्या मुस्कुराते हुए बोली, और डॉली और धीरज के बेडरूम में घुसने से पहले उसने राज को सेक्सी अंदाज में, प्यार दिखाते हुए, एक जोरदार किस कर लिया.




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Re: भाभी का बदला

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बॅक टू प्रेजेंट


राज - तो ये थी मेरी अपनी कहानी जहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ सेक्स है मस्ती है अब मेरी दुनिया में तुम भी शामिल हो चुकी हो क्योंकि जो एक बार मेरा लंड ले लेती है वो हमेशा के लिए मेरी रांड़ बन जाती है

मैं - हाँ अब मैं तुम्हारे बगैर नही रह पाउन्गी.....
और मैंने उसके लिंग को हाथों में भर कर जोर से मसलना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में वो दुबारा सख्त होने लगा।
वो मेरे स्तनों से खेलने में मगन हो गया और मैं उसके लिंग को दुबारा सम्भोग के लिए तैयार करने लगी।
मैंने उसके लिंग को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वो एकदम कड़क हो गया।
राज ने मेरी योनि में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और कुछ ही पलों में मैं सम्भोग के लिए फिर से तड़पने लगी।

उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर चढ़ा लिया, मैंने भी अपनी टाँगें फैला कर उसके लिंग के ऊपर अपनी योनि को सामने कर दिया और उसके ऊपर लेट गई।

अमर ने हाथ से अपने लिंग को पकड़ कर मेरी योनि में रगड़ना शुरू कर दिया। मैं तड़प उठी क्योंकि मैं जल्द से जल्द उसे अपने अन्दर चाहती थी।

मैंने अब उसे इशारा किया तो उसने अपने लिंग के सुपाड़े को योनि की छेद में टिका दिया और अपनी कमर उठा दी, उसका लिंग मेरी योनि में सुपाड़े तक घुस गया, फिर मैंने भी जोर लगाया तो लिंग पूरी गहराई में उतर गया।

मैंने मजबूती से अमर को पकड़ा और अमर ने मुझे और मैंने धक्कों की प्रक्रिया को बढ़ाने लगी। कुछ पलों में अमर भी मेरे साथ नीचे से धक्के लगाने लगा

करीब 10 मिनट में मैं झड़ गई, पर खुद पर जल्दी से काबू करते हुए मैंने अमर का साथ फिर से देना शुरू कर दिया।
हम पूरे जोश में एक-दूसरे को प्यार करते चूमते-चूसते हुए सम्भोग का मजा लेने लगे।

हम दोनों इस कदर सम्भोग में खो गए जैसे हम दोनों के बीच एक-दूसरे को तृप्त करने की होड़ लगी हो। हम भाभी को भी भूल चुके थे कि वो भी कमरे में हैं

मैं अब झड़ रही थी मैंने अपनी पूरी ताकत से अमर को अपने पैरों और टांगों से कस लिया और कमर उठा दी।
मेरी मांसपेसियाँ अकड़ने लगीं और मेरी योनि सिकुड़ने लगी, जैसे अमर के लिंग को निचोड़ देगी और मैं झटके लेते हुए शांत हो गई।
उधर अमर भी मेरी योनि में लिंग को ऐसे घुसा रहा था, जैसे मेरी बच्चेदानी को फाड़ देना चाहता हो।
उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी में जोर से लगता और मैं सहम सी जाती।
उसने झड़ने के दौरान जो धक्के मेरी योनि में लगाए उसे बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था।
करीब 10-12 धक्कों में वो अपनी पिचकारी सी तेज़ धार का रस मेरी योनि में छोड़ते हुए शांत हो गया और तब जा कर मुझे थोड़ी राहत मिली।
अमर झड़ने के बाद भी अपने लिंग को पूरी ताकत से मेरी योनि में कुछ देर तक दबाता रहा। फिर धीरे-धीरे सुस्त हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।
कुछ पलों के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और वो मेरे बगल में सो गया। मैं बाथरूम चली गई और जब वापस आई तो उसने मुझे फिर दबोच लिया और हम फिर से शुरू हो गए।
हमने फिर से सम्भोग किया और मैं बुरी तरह से थक कर चूर हो चुकी थी।
मैं झड़ने के बाद कब सो गई, पता ही नहीं चला।

जब मेरी आँख खुली, मैंने देखा कि शाम के 5 बज रहे थे।
मेरा मन बिस्तर से उठने को नहीं कर रहा था, फिर भी बाथरूम गई, खुद को साफ़ किया और वापस आकर चाय बनाई।
मैंने अमर को उठाया और उसे चाय दी। अमर चाय पीने के बाद बाथरूम जाकर खुद को साफ़ करने के बाद मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगे। भाभी शायद घर जा चुकी थी

उसने कहा- आज का दिन कितना बढ़िया है.. हमारे बीच कोई नहीं.. हम खुल कर प्यार कर रहे हैं और किसी का डर भी नहीं है।
मैंने कहा- पर आज कुछ ज्यादा ही हो रहा है… मेरी हालत ख़राब होने को है।

अमर ने कहा- अभी कहाँ.. अभी तो पूरी रात बाकी है और ऐसा मौका कब मिले कौन जानता है।
यह कहते हुए उसने मुझे फिर से अपनी बांहों में भर लिया और चूमने लगा।

अभी नही रात में उसके सोने के बाद जो मर्ज़ी सो करना।

पर अमर मेरी कहाँ सुनने वाला था, अमर मेरी बात को कहाँ मानने वाला था, वो तो बस मेरे जिस्म से खेलने के लिए तड़प रहे थे।
उसने मुझे तुरंत नंगा कर दिया और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगा
मैं बैठी थी और अमर मेरे स्तनों को चूसने लगा। वो बारी-बारी से दोनों स्तनों को चूसने लगा
मैंने अमर से विनती की कि मुझे छोड़ दे.. पर वो नहीं सुन रहा था। उसने थोड़ी देर में मेरी योनि को चूसना शुरू कर दिया और मैं भी गर्म होकर सब भूल गई।
मैंने भी उसका लिंग हाथ से सहलाना और हिलाना शुरू कर दिया। फिर अमर ने मुझे लिंग को चूसने को कहा, मैंने उसे चूस कर और सख्त कर दिया।
उसने मुझे आगे की तरफ झुका दिया और मैं अपने घुटनों तथा हाथों के बल पर कुतिया की तरह झुक गई, अमर मेरे पीछे आकर मेरी योनि में लिंग घुसाने लगा।
अमर ने लिंग को अच्छी तरह मेरी योनि में घुसा कर मेरे स्तनों को हाथों से पकड़ा और फिर धक्के लगाने लगा।
मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया और आधे घंटे तक सम्भोग करने के बाद हम झड़ गए।
अमर को अभी भी शान्ति नहीं मिली थी, उसने दुबारा सम्भोग किया।
मेरी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी और मेरे बदन में दर्द होने लगा था।
मैंने अमर से कहा- रात का खाना कहीं बाहर से ले आओ.. क्योंकि मैं अब खाना नहीं बना सकती… बहुत थक चुकी हूँ।
अमर बाहर चले गए और मैं फिर से सो गई, मैं बहुत थक चुकी थी।
हमने अब तक 6 बार सम्भोग किया था, पर अभी तो पूरी रात बाकी थी।
कहते हैं कि हर आने वाला तूफ़ान आने से पहले कुछ इशारा करता है। शायद यह भी एक इशारा ही था कि हम दिन दुनिया भूल कर बस एक-दूसरे के जिस्मों को बेरहमी से कुचलने में लगे थे।
लगभग 9 बजे के आस-पास अमर वापस आया फिर हमने बिस्तर पर ही खाना खाया और टीवी देखने लगे।

रात के करीब 11 बजे मैंने अमर से कहा- मैं सोने जा रही हूँ।
अमर ने कहा- ठीक है.. मैं थोड़ी देर टीवी देख कर सोऊँगा।
मैं अभी हल्की नींद में ही थी, तब मेरे बदन पर कुछ रेंगने सा मैंने महसूस किया।
मैंने आँख खोल कर देखा तो अमर का हाथ मेरे बदन पर रेंग रहा था।
मैंने कहा- अब बस करो.. कितना करोगे.. मार डालोगे क्या?
अमर ने कहा- अगर प्यार करने से कोई मर जाता, तो पता नहीं कितने लोग अब तक मर गए होते, एक अकेले हम दोनों ही नहीं हैं इस दुनिया में.. जो सेक्स करते हैं।
फिर उसने मेरे बदन से खेलना शुरू कर दिया, हम वापस एक-दूसरे से लिपट गए।
हम दोनों ऐसे एक-दूसरे को चूमने-चूसने लगे जैसे कि एक-दूसरे में कोई खजाना ढूँढ रहे हों।
काफी देर एक-दूसरे को चूमने-चूसने और अंगों से खेलने के बाद अमर ने मेरी योनि में लिंग घुसा दिया।
अमर जब लिंग घुसा रहा था तो मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं बर्दास्त करने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी।
काफी देर सम्भोग के बाद अमर शांत हुआ, पर तब मैंने दो बार पानी छोड़ दिया था। बिस्तर जहाँ-तहाँ गीला हो चुका था और अजीब सी गंध आनी शुरू हो गई थी।
इसी तरह सुबह होने को थी, करीब 4 बजने को थे। हम 10 वीं बार सम्भोग कर रहे थे। मेरे बदन में इतनी ताकत नहीं बची थी कि मैं अमर का साथ दे सकूँ, पर ऐसा लग रहा था जैसे मेरे अन्दर की प्यास अब तक नहीं बुझी थी।
जब अमर मुझे अलग होता, तो मुझे लगता अब बस और नहीं हो सकता.. पर जैसे ही अमर मेरे साथ अटखेलियाँ करता.. मैं फिर से गर्म हो जाती।
जब हम सम्भोग कर रहे थे.. मैं बस झड़ने ही वाली थी इसलिए अमर को उकसाने के लिए कहा- तेज़ी से करते रहो.. मुझे बहुत मजा आ रहा है.. रुको मत।
यह सुनते ही अमर जोर-जोर से धक्के मारने लगा
मैंने फिर सोचा ये क्या कह दिया मैंने, पर अमर को इस बात से कोई लेना-देना नहीं था.. वो बस अपनी मस्ती में मेरी योनि के अन्दर अपने लिंग को बेरहमी से घुसाए जा रहा था
मैंने अमर को पूरी ताकत से पकड़ लिया, एक तरफ मैं झड़ने को थी और दूसरी तरफ अमर ने मुझे और ताकत से पकड़ लिया और धक्के मारते हुए कहा- बस 2 मिनट रुको.. मैं झड़ने को हूँ।
अब मैं झड़ चुकी थी और अमर अभी भी झड़ने के लिए प्रयास कर रहा था।
मैंने उससे कहा- अब सो जाओ.. कितना करोगे.. मेरी योनि में दर्द होने लगा है।
उसने कहा- हां बस.. एक बार मैं झड़ जाऊँ.. फिर हम सो जायेंगे।
उसने मुझे कहा- तुम धक्के लगाओ।
पर मैंने कहा- मेरी जाँघों में दम नहीं रहा।
तो उसने मुझे सीधा लिटा दिया और टाँगें चौड़ी कर लिंग मेरी योनि में घुसा दिया.. मैं कराहने लगी।
उसने जैसे ही धक्के लगाने शुरू किए… मेरा कराहना और तेज़ हो गया।
तब उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- बस अब छोड़ दो.. दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
तब उसने लिंग को बाहर निकाल लिया मुझे लगा शायद वो मान गया, पर अगले ही क्षण उसने ढेर सारा थूक लिंग के ऊपर मला और दुबारा मेरी योनि में घुसा दिया।
मैं अब बस उससे विनती ही कर रही थी, पर उसने मुझे पूरी ताकत से पकड़ा और प्यार से मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- बस कुछ देर और मेरे लिए बर्दाश्त नहीं कर सकती?
मैं भी अब समझ चुकी थी कि कुछ भी हो अमर बिना झड़े शांत नहीं होने वाला.. सो मैंने भी मन बना लिया और दर्द सहती रही।
अमर का हर धक्का मुझे कराहने पर मजबूर कर देता और अमर भी थक कर हाँफ रहा था।
ऐसा लग रहा था जैसे अमर में अब और धक्के लगाने को दम नहीं बचा, पर अमर हार मानने को तैयार नहीं था।
उसका लिंग जब अन्दर जाता, मुझे ऐसा लगता जैसे मेरी योनि की दीवारें छिल जायेंगी।
करीब 10 मिनट जैसे-तैसे जोर लगाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि अमर अब झड़ने को है.. सो मैंने भी अपने जिस्म को सख्त कर लिया.. योनि को सिकोड़ लिया.. ताकि अमर का लिंग कस जाए और उसे अधिक से अधिक मजा आए।
मेरे दिमाग में यह भी चल रहा था कि झड़ने के दौरान जो धक्के अमर लगाएगा वो मेरे लिए असहनीय होंगे.. फिर भी अपने आपको खुद ही हिम्मत देती हुई अमर का साथ देने लगी।
अमर ने मेरे होंठों से होंठ लगाए और जीभ को चूसने लगा साथ ही मुझे पूरी ताकत से पकड़ा और धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी।
उसका लिंग मेरी योनि की तह तक जाने लगा, 7-8 धक्कों में उसने वीर्य की पिचकारी सी मेरे बच्चेदानी पर छोड़ दी और हाँफता हुआ मेरे ऊपर ढेर हो गया।
उसके शांत होते ही मुझे बहुत राहत मिली, मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और हम दोनों सो गए।
एक बात मैंने ये जाना कि मर्द जोश में सब कुछ भूल जाते हैं और उनके झड़ने के क्रम में जो धक्के होते हैं वो बर्दाश्त के बाहर होते हैं।
मेरे अंग-अंग में ऐसा दर्द हो रहा था जैसे मैंने न जाने कितना काम किया हो
अमर ने मुझे 7 बजे फिर उठाया और मुझे प्यार करने लगा।
मैंने उससे कहा- तुम्हें काम पर जाना है तो अब तुम जाओ.. तुम्हें इधर कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी।
अमर ने कहा- तुमसे दूर जाने को जी नहीं कर रहा।
उसने मुझे उठाते हुए अपनी गोद में बिठा लिया और बांहों में भर कर मुझे चूमने लगा।
मैंने कहा- अभी भी मन नहीं भरा क्या?
उसने जवाब दिया- पता नहीं.. मेरे पूरे जिस्म में दर्द है, मैं ठीक से सोया नहीं, पर फिर भी ऐसा लग रहा है.. जैसे अभी भी बहुत कुछ करने को बाकी है।
मैंने उसे जाने के लिए जोर दिया और कहा- अब बस भी करो.. वरना तुम्हें देर हो जाएगी।
पर उस पर मेरी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था, वो मुझे बस चूमता जा रहा था और मेरे स्तनों को दबाता और उनसे खेलता ही जा रहा था।
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Re: भाभी का बदला

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मेरे पूरे शरीर में पहले से ही काफी दर्द था और स्तनों को तो उसने जैसा मसला था, पूरे दिन उसकी बेदर्दी की गवाही दे रहे थे.. हर जगह दांतों के लाल निशान हो गए थे।
यही हाल मेरी जाँघों का था, उनमें भी अकड़न थी और कूल्हों में भी जबरदस्त दर्द था। मेरी योनि बुरी तरह से फूल गई थी और मुँह पूरा खुल गया था जैसे कोई खिला हुआ फूल हो।
अमर ने मुझे चूमते हुए मेरी योनि को हाथ लगा सहलाने की कोशिश की.. तो मैं दर्द से कसमसा गई और कराहते हुए कहा- प्लीज मत करो.. अब बहुत दर्द हो रहा है।
तब उसने भी कहा- हां.. मेरे लिंग में भी दर्द हो रहा है, क्या करें दिल मानता ही नहीं।
मैं उससे अलग हो कर बिस्तर पर लेट गई, तब अमर भी मेरे बगल में लेट गया और मेरे बदन पे हाथ फिराते हुए मुझसे बातें करने लगा।
उसने मुझसे कहा- मैंने अपने जीवन में इतना सम्भोग कभी नहीं किया और जितना मजा आज आया, पहले कभी नहीं आया।
फिर उसने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- मजा तो बहुत आया.. पर मेरे जिस्म की हालत ऐसी है कि मैं ठीक से खड़ी भी नहीं हो सकती।
तभी मेरी योनि और नाभि के बीच के हिस्से में उसका लिंग चुभता हुआ महसूस हुआ.. मैंने देखा तो उसका लिंग फिर से कड़ा हो रहा था।
उसके लिंग के ऊपर की चमड़ी पूरी तरह से ऊपर चढ़ गई थी और सुपाड़ा खुल कर किसी सेब की तरह दिख रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे सूज गया हो।
अमर ने मुझे अपनी बांहों में कसते हुए फिर से चूमना शुरू कर दिया, पर मैंने कहा- प्लीज अब और नहीं हो पाएगा मुझसे.. तुम जाओ।
लिंग अन्दर घुसते ही मुझे बड़ा आनन्द महसूस हुआ, उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर खिसकता चला गया।
मुझे बड़ी ही गुदगुदी सी महसूस होने लगी। मैंने अपने घुटनों को मोड़ा, उसके सीने पर हाथ रख दिया, उसने भी मेरी कमर को पकड़ लिया और तैयार हो गया
मैंने पहले धीरे-धीरे शुरू किया फिर जब मुझे उसके ऊपर थोड़ा आराम मिलने लगा तो मैंने अपनी गति तेज़ कर दी।
मैं पूरे मस्ती में थी तभी मैं एक तरफ सर घुमाया तो मुझे सामने आइना दिखा जिसमें मैं पूरी दिख रही थी मगर उनका सिर्फ कमर तक का हिस्सा दिख रहा था।
मैंने अपने कमर को पहले कभी ऐसा नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई मस्त हिरणी अपनी कमर लचका रही हो।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सम्भोग के समय मेरी कमर ऐसे नाचती होगी।
मैं यही सोच कर और भी मस्ती में आ गई और बहुत ही मादक अंदाज़ में अपनी कमर को नचाते हुए धक्के लगाने लगी और उसकी तरफ देखा।
राज चेहरे से साफ़ जाहिर था कि उसको मेरी इस हरकत से कितना मजा आ रहा था।
वो इसी जोश में मेरी कमर पकड़े हुए कभी-कभी नीचे से मुझे जोर के झटके भी देता, जिससे मुझे और भी मजा आता था।
मैंने करीब 10 मिनट किया होगा कि फिर से मुझे मस्ती चढ़ने लगी और मैं झटके खाने को तैयार थी, पर मैंने सोचा कि खुद को रोक लूँ सो मैंने लिंग को बाहर निकालने के लिए अपनी कमर उठाई।
पर उसने मेरी कमर पकड़ रखी थी और मुझे खींचने लगा और नीचे से धक्के लगाने लगा
मैं किसी तरह अपनी कमर उठा कर लिंग बाहर करने ही वाली थी कि सुपाड़े तक आते-आते ही मैंने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
मैंने देखा कि मेरे पानी की पेशाब की धार की तरह 3-4 बूँद उनकी नाभि के पास गिरीं और मैं खुद को संभाल न सकी और राज के लिंग के ऊपर अपनी योनि रगड़ने लगी, जब तक मैं पूरी झड़ न गई।
मैं उनके ही ऊपर लेट गई और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी।
लिंग मेरी योनि के बाहर था, तभी राज अपना एक हाथ बीच में डाला और लिंग को वापस मेरी योनि में घुसा दिया।

मुझे फ़िलहाल धक्के लगाने की न तो इच्छा थी न ही दम, सो मैं ऐसे ही साँसें लेती रही।
मुझे पता नहीं आज क्या हो गया था, पहले तो मैं राज मना कर रही थी, पूरी ताकत इनसे अलग होने में लगा रही थी और अब उतनी ही ताकत के साथ सम्भोग कर रही थी और मैं बार-बार झड़े जा रही थी, वो भी जल्दी जल्दी।
मुझमें एक अलग सी खुमारी और मस्ती छाई हुई थी, मैंने पहली बार गौर किया था कि मेरी कमर कैसे नाचती है और इसीलिए शायद मेरे साथ सम्भोग करने वालों को काफी मजा आता था।
मैंने पहली बार यह भी देखा कि मेरा पानी निकला।
इससे पहले ऐसे ही निकला था या नहीं मुझे नहीं पता, ऐसा यह मेरा पहला अनुभव था।
शायद राज अपना लिंग घुसेड़ कर इंतज़ार कर रहा था कि मैं धक्के लगाऊँगी इसलिए उसने 2-3 नीचे से धक्के लगाए, पर मैं तो उसे पकड़ कर उनके सीने में सर रख लेटी रही।
तब राज कहा- क्या हुआ… रुक क्यों गईं..? करती रहो न!
मैंने कहा- अब मुझसे नहीं होगा।
तब राज खुद ही नीचे से अपनी कमर उछाल कर मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं फिर ‘आह-आह’ की आवाजें निकालने लगी।
थोड़ी देर में राज उठा और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया, फिर मेरे चूतड़ों को पकड़ कर वो घुटनों के बल खड़ा हो गया मैं भी उसके गले में हाथ डाल लटक सी गई।
हालांकि वो पूरे पैरों पर नहीं खड़ा था, पर मेरा पूरा वजन उसके हाथों में था, मेरे पैर नाम मात्र के बिस्तर पर टिके थे और फिर वो धक्के लगा-लगा कर मुझे चोदने लगे।
मैं इतनी बार झड़ चुकी थी कि अब मेरी योनि में दर्द होने लगा था, पर कुछ देर में मैं फिर से वो सब भूल गई और मुझे पहले से कहीं और ज्यादा मजा आने लगा था।
अब तो मैं खुद उसके धक्कों का जवाब अपनी कमर नचा कर देने लगी थी।
मुझे यह भी महसूस होने लगा था कि मैं अब फिर से झड़ जाऊँगी।
मैंने सोच लिया था कि इस बार पानी नहीं छोडूंगी, जब तक राज झड़ने वाला न हों।
तो जब मुझे लगा कि मैं झड़ने को हूँ मैंने तुरंत उसको रोक दिया और इस बार खुद कह दिया- अभी नहीं.. रूको कुछ देर.. वरना मैं फिर पानी छोड़ दूंगी।
उसे मेरी यह बात बहुत अच्छी लगी शायद सो तुरंत अपना लिंग मेरी योनि से खींच लिया और मुझे छोड़ दिया, मैं नीचे लेट गई और अपनी साँसें रोक खुद पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
उधर मेरी योनि से लिंग बाहर कर वो खुद अपने हाथ से जोरों से हिलाने लगा था
थोड़ी देर में वो बोला- अब चोदने भी दो.. मेरा भी निकलने वाला है।
मैंने तुरंत अपनी टाँगें फैला उसको न्यौता दे दिया और वो मेरे ऊपर झुक मेरी टांगों के बीच में आकर लिंग को घुसाने लगा, पर जैसे ही उसका सुपारा अन्दर गया, मुझे लगा कि मैं तो गई।
पर मैंने फिर से खुद को काबू करने की कोशिश की, पर तब तक वो लिंग घुसा चुका था और मेरे मुँह से निकल गया- हाँ.. पूरा अन्दर घुसाओ, थोड़ा जोर से चोदना
राज ने मुझे पकड़ा और तेज़ी से धक्के लगाने लगा, मैंने भी उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी।
हम दोनों की साँसें बहुत तेज़ चलने लगी थीं और बिस्तर भी अब हमारे सम्भोग की गवाही दे रहा था, पूरा बिस्तर इधर-उधर हो चुका था और अब तो धक्कों के साथ वो भी हिल रहा था।
मैं भी अपनी कमर उठा-उठा कर राज साथ देने लगी थी, बस अब मैं पानी छोड़ने से कुछ ही पल दूर थी और उसके धक्कों से भी अंदाजा हो गया था कि अब वो भी मेरी योनि में अपना रस उगलने को हैं।

थोड़ी देर के सम्भोग के बाद हम दोनों ही पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे, फिर कुछ जोरदार झटके लेते हुए वो शांत हो गए।
मैंने राज गर्म वीर्य मेरी योनि में महसूस किया, पर मैं अभी भी उसको पकड़े अपनी कमर को उनके लिंग पर दबाए हुए रगड़ रही थी।
हालांकि उसका लिंग अब धीरे-धीरे ढीला पड़ रहा था, पर मैं अभी भी जोर लगाए हुए थी और उनका लिंग इससे पहले के पूरा ढीला पड़ जाता, मैं भी झड़ गई और अपने चूतड़ों को उठाए उनके लिंग पर योनि को रगड़ती रही, जब तक कि मेरी योनि के रस की आखरी बूंद न निकल गई।
मुझे खुद पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि मैं अपनी ही भाभी के यार के साथ यूँ सम्भोग में मस्त हो गई थी। मैं उसको पकड़े हुए काफी देर ऐसे ही लेटी रही।
राज भी जब जोश पूरी तरह ठंडा हुआ तो मेरे ऊपर लेट गया मैंने थोड़ी देर बाद उसे अपने ऊपर से हटने को कहा फिर दूसरी और मुँह घुमा कर सो गई।
सुबह करीब 6 बज रहे थे कि मुझे कुछ मेरी कमर पर महसूस होने लगा।
मैंने गौर किया तो वो मेरे बदन को सहला रहा था
हम दोनों अभी नंगे थे, शीशे की खिड़की से रोशनी आ रही थी, तो हमारा बदन साफ़ दिख रहा था। राज ने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।
कुछ देर बाद उसका हाथ स्तनों से सरकता हुआ नीचे मेरे पेट और नाभि से होता हुआ मेरी योनि में जा रुका, पहले तो उसने मेरी झान्टों को छुआ फिर धीरे-धीरे मेरी योनि के दाने को सहलाने लगा
मेरा दिल नहीं कर रहा था पर पता नहीं मैं उसे मना भी नहीं कर रही थी।
थोड़ी देर में मुझे मेरे चूतड़ों के बीच में उसका लिंग महसूस हुआ, जो थोड़ा खड़ा हो चुका था।
मेरी टाँगें आपस में सटी हुई थीं फिर भी जैसे-तैसे उन्होंने मेरी योनि में एक उंगली डाल दी और गुदगुदी सी करने लगा
अब मुझे भी कुछ होने लगा था।
रात के लम्बे सम्भोग के बाद मेरी टांगों स्तनों और कमर में दर्द सा था फिर भी न जाने क्यों मैं उसे मना नहीं कर रही थी।
उसने कुछ देर मेरी योनि में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर किया जिससे मेरी योनि रसीली हो गई, फिर उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया, मेरी एक टांग को अपनी कमर पर ऊपर चढ़ा लिया, फिर मेरे चूतड़ों के पीछे से हाथ ले जाकर मेरी योनि को सहलाने लगा
मैंने उसे देखा और उसने मुझे फिर मुझे थोड़ी शर्म सी आई तो मैंने उसका सर पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिया और हाथ से एक स्तन के चूचुक को उनके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगा
फिर मैंने एक हाथ ले जाकर उसका लिंग पकड़ लिया और हिलाने लगी, कुछ देर हिलाती रही और उसका लिंग मेरी योनि में जाने के लायक एकदम खड़ा और सख्त हो गया।
उधर मेरी योनि भी उसकी उंगलियों से तैयार हो चुकी थी, जिसका अंदाजा मुझे हो चुका था क्योंकि योनि बुरी तरह से गीली हो चुकी थी।
बस अब राज ने मुझे सीधा किया फिर मेरी टाँगें मोड़ कर फैला दीं और उसे पकड़ कर हवा में लटका दिया फिर अपनी कमर को आगे-पीछे करके लिंग को योनि के ऊपर रगड़ने लगा
थोड़ी देर बाद राज ने लिंग को योनि के छेद में टिका दिया और धक्का दिया, लिंग बिना किसी परेशानी के मेरी योनि में अन्दर तक दाखिल हो गया।
उसने मेरी टांगों को पकड़ हवा में फैलाईं और अपनी कमर को आगे-पीछे करके मेरी योनि को चोदना शुरू कर दिया था। मैं अपने हाथ सर के पीछे कर तकिये को पकड़ लेटी हुई, उसे और उसके लिंग को देख रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे काले-काले जंगलों में एक सुरंग है और एक मोटा काला चूहा उसमें घुस रहा और निकल रहा है।
करीब 10 मिनट हो चुके थे और मेरी टांगों में दर्द बढ़ने लगा था, सो मैंने अपनी टांगों में जोर दिया और उसे नीचे करना चाहा तो वो समझ गया उन्होंने मेरी टाँगें बिस्तर पर गिरा दीं और मेरे ऊपर लेट कर मुझे पकड़ लिया।
मैंने भी उनके गले में हाथ डाल कर उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया।
अब राज ने मुझे धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसका लिंग ‘छप-छप’ करता मेरी योनि में घुसने और निकलने लगा, मैं तो पूरी मस्ती में आ गई थी।
मैंने भी कुछ देर अपनी टांगों को बिस्तर पर रख कर आराम दिया, फिर एड़ी से बिस्तर पर जोर लगा कर अपनी कमर उठा-उठा कर राज का सहयोग करने लगी।
मुझे सच में इतना मजा आ रहा था कि क्या कहूँ.. मैं कभी अपने चूतड़ों को उठा देती, तो कभी टांगों से उसको जकड़ लेती और अपनी ओर खींचने लगती।
मुझे इस बात का पक्का यकीन हो चला था कि उसे भी बहुत मजा आ रहा है।
तभी मेरी नजर खिड़की की ओर गई मैंने देखा कि धूप निकल आई है, सो मैंने उसे कहा- अब हमें चलना चाहिए।
राज ने कहा- बस कुछ देर में ही हो जाएगा।
तो मैंने भी सहयोग किया।
मेरी योनि में अब पता नहीं हल्का-हल्का सा दर्द होने लगा था, मैं समझ गई कि इतनी देर योनि की दीवारों में रगड़न से ये हो रहा है, पर मैं कुछ नहीं बोली बस ख़ामोशी से राज का साथ देती रही।
मेरी योनि में जहाँ एक और पीड़ा हो रही थी, वहीं मजा भी काफी आ रहा था।
जब तक राज धक्के लगता रहा, मैं हल्के-हल्के सिसकारियाँ लेती रही।
वो कभी अपनी कमर को तिरछा करके धक्के लगता तो कभी सीधा, वो मेरी योनि की दीवारों पर अपने लिंग को अन्दर-बाहर करते समय रगड़ रहा था, जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था।
मैं खुद अपने चूतड़ उठा दिया करती थी।
हम दोनों अब पसीने से तर हो चुके थे, मुझे अब अजीब सी कसमसाहट होने लगी थी।
तभी राज ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा, मैंने बिना देर किए उसके ऊपर आकर सम्भोग शुरू कर दिया।
कुछ ही देर के धक्कों से मेरी जाँघों में अकड़न सी होने लगी थी, पर फिर भी मैं रुक-रुक कर धक्के लगाती रही।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद राज ने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से अपनी कमर तेज़ी से उछाल-उछाल कर मुझे चोदने लगा
अब उसके धक्के इतने तेज़ और जोरदार थे कि कुछ ही पलों में मैं अपने बदन को ऐंठते हुए झड़ गई और निढाल हो कर उसके ऊपर लेट गई।
उसे अब मेरी और से कोई सहयोग नहीं मिल रहा था सिवाय इसके कि मैं अब भी उसका लिंग अपनी योनि के अन्दर रखे हुए थी।
तब राज ने मुझे फिर से नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर धक्कों की बारिश सी शुरू कर दी। मैं तो बस सिसक-सिसक कर उसका साथ दे रही थी।
करीब 10 मिनट के बाद राज के जबरदस्त तेज धक्के पड़ने लगे और उन्होंने कराहते हुए, अपने बदन को कड़क करते हुए मेरे अन्दर अपना गर्म लावा उगल दिया।
उनके वीर्य की आखिरी बूंद गिरते ही वो मेरे ऊपर निढाल हो गए और सुस्ताने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने राज को अपने ऊपर से हटाया और गुसलखाने में चली गई, सबसे पहले तो मैंने अपनी योनि से वीर्य साफ़ किया।
यह 3 बार के सम्भोग में पहली बार मैंने खुद से वीर्य साफ़ किया था फिर पेशाब किया।
पेशाब के साथ-साथ मुझे ऐसा लगा जैसे बाकी बचा-खुचा वीर्य भी बाहर आ गया।
फिर बाकी का काम करके मैं नहाई और बाहर आकर कपड़े पहने और राज को भी जल्दी से तैयार होने को कहा।
वो भी जब तैयार हो गया तो मैंने उसको कहा- मुझे मेरे घर छोड़ दो
फिर राज ने मुझे मेरे घर छोड़ दिया
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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rajababu
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Re: भाभी का बदला

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😌

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