अधूरी हसरतें

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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

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( शीतल की बात सुनते ही शुभम भी चम्मच से लेकर पुलाव खाने लगा,,,,, खाते समय शीतल बड़े ध्यान से शुभम को देख रही थी। शुभम का मजबूत गठीला बदन उसकी आंखों में बस गया था वह मन ही मन शुभम के हथियार के बारे में कल्पना करने लगे और कल्पना करते हुए उसे अपनी बुर के अंदर सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। उसे इस बात का अनुभव हो रहा था कि मजबूत शरीर होने की वजह से शुभम का लंड भी काफी तगड़ा होगा,,,,, लंच करते समय शीतल के मन में ढेर सारे ख्याल आ रहे थे वह गौर से शुभम की तरफ देखे जा रही थी शुभम भी नजरों को नीचे करके लंच का लिज्जत उठा रहा था और आंखों की कनखियों से शीतल की तरफ भी देख ले रहा था। शीतल को शुभम के द्वारा कनखियों में उसको ताकना अच्छा लग रहा था। वह समझ गई थी कि शुभम को उसका बदन देखना अच्छा लग रहा है।
इसी पल का लाभ लेकर शीतल अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू जानबूझकर नीचे गिरा दी,,,, पल्लू के नीचे सरकते ही ऐसा लगने लगा की जैसे दो पहाड़ियां खुले आसमान के नीचे आपस में जुड़ कर प्यार कर रहे हो,,,, शीतल की दोनों जवानिया ब्लाउज मैं कैद थी लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज नुमा कटोरे में कोई जवानी का रस घोल दिया हो और वह रस कभी भी ब्लाउज नुमां कटोरे मे से छलक कर बाहर आ जाएगा। शुभम तो आंखें फाड़े दोनो चुचियों को देखे जा रहा था खास करके चुचियों के बीच की गहरी घाटी को जिस में न जाने कितने रहस्य छिपे हुए था। शुभम चम्मच से निवाला तो मुंह में डाल दिया था लेकिन उसे चलाना भूल गया था वह मंत्रमुग्ध सा शीतल की जवानी को देखने लगा,,,,
शीतल जैसे इसी मौके की तलाश में थी और वह झट से बोली,,,,

क्या हुआ शुभम ऐसे क्या देख रहे हो,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह साड़ी का पल्लू अपने कंधे पर रखकर ठीक कर ली।

शीतल को इस बात का एहसास हो गया कि उसका चलाया हुआ तीर ठीक निशाने पर लगा था कि कल की बात सुनकर शुभम जैसे कोई चोरी करता पकड़ा गया हो इस तरह से हकलाते हुए बोला,,,,।)

कककक,,, ककक, कुछ नहीं मैम बस यूं ही,,,, ( डरते हुए पुलाव को खाते हुए बोला।)


क्या यूंही मैं जानती हूं कि तुम क्या देख रहे थे,,,,, तुम मेरे इन को( अपनी चूचियों की तरफ नजर गिरा कर) घूर कर देख रहे थे।
( शीतल की यह बात सुनकर शुभम को एकदम से डर गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी सफाई में क्या कहे उसके माथे पर पसीना ऊभरने लगा,,,, वह पूरी तरह से डर चुका था और डरते हुए बोला।)

नननन,,,, नहीं मेम एसी कोई भी बात नहीं है।

नहीं ऐसी ही बात है मैं लड़को को अच्छी तरह से जानती हूं कि वह लोग औरतों को घूरते रहते हैं और औरतों के कौन से अंग को घूरते रहते हैं।

मैम सच में ऐसा कुछ भी नहीं है बस गलती से मेरी नजर वहां चली गई थी।

शीतल शुभम की बात सुनकर और उसके सफाई देने का अंदाज और उसका झुठ देखकर खिलखिला कर हंसने लगी,,
शीतल को हंसता हुआ देखकर शुभम को कुछ समझ में नहीं आया की वह हंस क्यों रही है तभी शीतल हंसते हुए बोली।

अरे पागल मैं तुझे कुछ कह थोड़ी रही हूं मैं तो बस तुझसे पूछ रही हूं मैं जानती हूं कि तू जिस उम्र के दौर से गुजर रहा है यह सब उसमें आम बात है। और हां डरने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। मुझे तू अपना दोस्त ही समझ,,,,,( तीतर की बात सुनकर शुभम को थोड़ी राहत हुई उसे लगने लगा कि शायद कि कल उसकी हरकत पर गुस्सा नहीं कर रही हैं तभी शीतल ने दो समोसे में से एक समोसा शुभम को थमाते हुए बोली।)

यह लो शुभम समोसे खाओ।
( शुभम भी हाथ आगे बढ़ाकर समोसा थाम लिया और उसे खाने लगा।)

अच्छा एक बात बताओ सुबह तुम काफी हैंडसम खूबसूरत और गबरु जवान लड़के हो क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है।
( शीतल के इस सवाल को सुनते ही शुभम की हालत पतली होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था की शीतल मैंम ये कौन सा सवाल पूछ ली। वह आश्चर्य से शीतल की तरफ देखने लगा।)

डरो मत शुभम में कुछ नहीं कहूंगी यह तो बस औपचारिकता बस तुमसे पूछ रही हूं क्योंकि मैं जानती हूं अधिकतर छोकरे लड़कियों के पीछे दीवाने होते हैं और इस उमर में गर्लफ्रेंड भी रख लेते हैं और तुम तो वैसे ही हैंडसम हो।,,,,

नहीं मैंम ऐसा कुछ भी नहीं है।( शुभम सफाई देते हुए बोला)

चलो कोई बात नहीं अच्छा है कि तुम इस तरह के लफड़े में नहीं पड़े हो,,,
( इतना कहने के साथ शीतल भी समोसा खाने लगी और मन में ढेर सारी बातें सोच रही थी,,,, जहां तक मैं शुभम को जानती थी तो वह सच ही कह रहा था कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। इसलिए वह उसे पूरी तरह से कुंवारा समझ रही थी और मनमोहन यह भी खयाली पुलाव पकाने लगी थी कि एक तुम कुंवारे लड़के के साथ उसके लंड से चुदने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा,,,, शुभम से चुदने के ख्याल मात्र से ही उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। पेंटी का गीलापन उसे साफ-साफ महसूस हो रहा था। शीतल पुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी । तभी हम समोसा खाते हुए शुभम से मुस्कुराते हुए बोली।)

अच्छा सुबह में एक बात तो तय है कि तुम मेरी इन्हीं को ( चूचियों की तरफ नजरों से इशारा करते हुए )देख रहे थे ना।
देखो अब गलती से देखे या अपने मन से यह बात कोई मायने नहीं रखती है लेकिन तुम देख रहे थे ना।

( अब से तुम क्या बोलता है क्या छुपा था सब कुछ तो सामने ही था इसलिए वह नजर झुका कर शरमाते हुए बोला।)


जी हां,,,,

अरे तो शरमा क्यों रहे हो मैं तुम्हें डांट थोड़ी रही हूं,,,, अब यही क्लास में देख लो सारे लड़के मेरे इन्हीं को देखते रहते हैं तो मैं क्या करूं उन्हें यह कह दूं कि तुम मेरी ईनको मत देखा करो,,,,,
( शुभम शीतल की बातें सुनकर उत्तेजित होने लगा था उसके पैंट में खड़ा लंड गदर मचा रहा था। वह बार बार अपने खड़े लंड को एडजस्ट करने के लिए अपना हाथ पेंट की तरफ ले जा रहा था,, शुभम की यह कसमसाहट शीतल भाप गई,,,, वह समझ गई कि उसके बदन का जलवा उसके दिमाग और तन बदन में आग लगा रहा है उसका सीधा असर उसके पैंट के अंदर छुपे उसके हथियार पर पड़ रहा है। शुभम की इस कसमसाहट की वजह को देखने के लिए उसका जी मचलने लगा था वह अपनी आंखों को सेंकना चाहती थी,,, इसलिए वह जानबूझ कर चम्मच को टेबल से नीचे गिरा दी और उसे उठाने के लिए नीचे झुक गई शुभम को तो यह सब औपचारिक ही लग रहा था,,,, उसे क्या पता था कि शीतल ने चम्मच को जानबूझकर नीचे गिरा कर उसके हथियार का जायजा लेने के लिए नीचे झुकी है। चम्मच को उठाते समय जैसे ही शीतल की नजर कुर्सी पर बैठे शुभम की जांघों के बीच उठे हुए पेंट के भाग पर गई तो उसके बदन में गुदगुदी सी मचने लगी। उसकी अनुभवी आंखों में जांघों के बीच ऊठे हुए भाग को देखकर इस बात को महसूस कर ली की शुभम का लंड उसकी बुर के लिए एकदम परफेक्ट है। शीतल के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी थी उसकी दूर उत्तेजना के मारे फूलने पीचकने लगी थी ऐसा लग रहा था कि सारे बदन का लहू उसकी कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा होने लगा है। चेहरा सुर्ख लाल होने लगा था शुभम को कहीं किसी बात पर शक ना हो जाए इसलिए वह तुरंत चम्मच उठाकर कुर्सी पर बैठने लगी लेकिन इस बार अनजाने में ही उसके साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे सरक गया,,,, और एक बार फिर से शीतल की ब्लाउज में कैद दोनों दूध भऱी छातियां मुंह उठाए शुभम की तरफ देखने लगी,,,, शुभम बिचारा क्या करता,,,इस तरह का कामुकता से भरा नजारा किसी जवान लड़के के सामने तो क्या किसी बूढ़े के भी सामने नजर आएगा तो वह लंड पकडे उस नजारे का पूरा मजा लेगा,,,, और यही मजा शुभम भी लूट रहा था।लेकीन शीतल ईस बार ऊसे कुछ भी नही कही बल्की मुस्कुराते हुए अपने साड़ी के पल्लु को ऊठाकर अपने कंधे पर रख ली जैसे ही वह साड़ी के पल्लू को कंधे पर रखी वैसे ही तुरंत शुभम अपनी नजरों को नीचे कर लिया। शीतल की चूचियां शुभम के तन बदन में आग लगा चुकी थी। शीतल के रुप यौवन का जादू शुभम के ऊपर पूरी तरह से चल चुका था। वह अपनी साड़ी के पल्लू को संभालते हुए बोली।

देखा फिर से तुम्हारी नजर मेरी इन पर पड ह़ी गई तुम्हारा दोष नहीं है तुम्हारी उम्र का दोष है।( इतना कहकर वह मुस्कुराने लगी। शुभम तो बेचारा झेंप सा गया,,,, उसके बोलने लायक कुछ बचा ही नहीं था। वह शर्म के मारे नजरें नीचे झुका लिया। दोनों लंच कर चुके थे,,, रिशेश का समय पूरा होने वाला था और शीतल शुभम के पेंट में बने तंबू को फिर से देखना चाहती थी इसके अंदर की कड़क पन को अपने शरीर पर अपने बदन पर महसूस करना चाहती थी खास करके अपने भरावदार नितंब पर,,,,,, लेकिन कैसे यह उसके समझ के परे था क्लास पूरी तरह से खाली थी शुभम के मन में क्या है यह वह नहीं समझ पा रही थी वह तो शुभम को अभी पूरी तरह से कुंवारा लड़का समझती थी।हां ये बात और ठीक कि उसकी हुस्न का जादू देखकर शुभम के अंगों में तनाव आ गया था लेकिन इतने से शीतल को यह समझ में नहीं आ रहा था कि क्या शुभम उसके साथ छुट़छाट लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है या नहीं,,,, इतनी जल्दी तो शीतल भी आगे नहीं करना चाहती थी वह शुभम के मन को पूरी तरह से जांच परख लेने के बाद ही कुछ करने की सोच सकती थी। यही सब सोचते वह वह कुर्सी पर से खड़ी हो गई और उसे देखकर तुरंत खड़ा हो गया लेकिन वह यह भूल गया कि उसके पैंट में तंबू बना हुआ है जो की शीतल की नजरों में कभी भी आ सकता है। इस बात पर जैसे ही उसका ध्यान गया तब तक देर हो चुकी थी क्योंकि शीतल की नजर जैसे ही वह खड़ा हुआ वैसे ही उसकी जांघों के बीच पेंट में बने तंबू पर ही चली गई। उस उठे हुए तंबू को देखकर पीतल के बर्तन में एक बार फिर से हलचल सी मच गई खास करके उसकी जांघों के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी। अब तो उसका दिल एकदम से मचल गया उसके कड़क पन को महसूस करने के लिए,,,, इसलिए वह कुछ बोली नहीं और अपना पर्श उठा कर,,, आगे आगे चलने लगी,,,, जैसे ही वह आगे बढ़ी सुदामा पूरी तरह से निश्चिंत हो गया और वह भी शीतल के पीछे पीछे चलने लगा,,,, शीतल तो बस मौके की ही तलाश में थी,,,, जैसे ही शुभम ठीक है इसके पीछे करीब पहुंचकर चलने लगा वैसे ही तुरंत जानबूझ कर शीतल नें हाथ में पकड़ा हुआ टिफिन का डिब्बा नीचे गिरा दी,,, और सही मौका देख कर तुरंत नीचे झुक कर टीफिन उठाने लगी,,,, ऐसा करते हुए वह पूरी तरह से नीचे झुक गई जिससे उसकी बड़ी बड़ी और भरावदार गांड ऊपर की तरफ उठ गई और ठीक हो के पीछे शुभम चला रहा था जो कि इस तरह से एका एक शीतल के झुकने की वजह से,,, वह अपने आप को रोक नहीं पाया और सीधे जाकर शीतल की बड़ी-बड़ी भरावदार गांड से टकरा गया,,,, शीतल तो यही चाहती थी थी जैसे ही शुभम उसकी बड़ी बड़ी गांड से टकराया उसके पेंट में बना हुआ तंबू सीधा जाकर साड़ी सहित उसकी गांड की दरार के बीचो बीच धंस गया,,,, शीतल की तो हालत खराब हो गई उसे शुभम का लंड अपनी गांड की दरार के बीचो-बीच धंसता हुआ पूरी तरह से महसूस होने लगा था। शीतल की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी,,, ऊसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी हालत में वह उसी तरह से झुकी रहे या खड़ी हो जाए,,, मजा तो उसे से बहुत आ रहा था। आज पहली बार उसके नितंबों पर किसी गैर मर्द के हथियार का कठोर पन महसूस हो रहा था। वह उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गदगद हो चुकी थी। दूसरी तरफ एकाएक शीतल की गांड से टकरा जाने की वजह से शुभम अपने आप को संभाल नहीं पाया और उसके दोनों हाथ शीतल की कमर पर चले गए जिसे वह अनजाने में ही थाम लिया,,, और इस वजह से एैसी स्थिति का निर्माण हो गया कि जैसे लग रहा था की सुभम शीतल को चोद रहा है।
दोनों पूरी तरह से उत्तेजित और आनंदित हो चुके थे। तभी शुभम जल्दी से पीछे हट़ते हुए बोला।
सॉरी मैंम
( अब झुके रहने से कोई फायदा नहीं था इसलिए शीतल भी खड़े होकर बोली।)

कोई बात नहीं,,, (तभी घंटी भी बज गई।)
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rajsharma
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Re: अधूरी हसरतें

Post by rajsharma »

नये वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ दोस्तो
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

शीतल के तन-बदन में वासना की आग सुलगने लगी थी,,
आज शुभम के टनटनाए हुए लंड के कड़कपन ने उसके बदन में सुरसुरी सी मचा दी थी। क्लास में विद्यार्थी आकर बैठ चुके थे,,, लेकिन शीतल का मन आज पढ़ाने में नहीं लग रहा था और लगता भी कैसे शुभम के लंड ने जो पूरी तरह से उसकी जवानी के द्वार पर दस्तक दे दिया था। शीतल ने किया अच्छी तरह से महसूस कर ली थी कि शुभम का लंड अद्भुत ताकत से भरपूर है। पेंट पर का उठान हीं बन उसके लंड की पूरी भौगोलिक रचना को बयां करती थी। कुर्सी पर बैठे-बैठे वह शुभम के बारे में ही सोच रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा है और ऐसे में उसका हथियार कुछ ज्यादा ही ऊफान मारता हुआ,,, अपनी ताकत बिखेरेगा,,, उसकी चूचियों के आकार को देखने मात्र से ही वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। इसलिए शीतल मन में सोच रही थी कि जो देखने मात्र से ही इतना ज्यादा उत्तेजित हो जाता है तो अगर उसे अपने रुप का पूरा जलवा दिखाएगी,,, तब उसके ऊपर उसके रूप का कैसा कयामत गिरेगा,,,, यह सोचकर ही शीतल का बदन उत्तेजना से गनगना जा रहा था। आज बहुत महीनों बाद उसकी बुर इस तरह गीली हुई थी। स्कूल में पहली बार उसके तन बदन में उत्तेजना पूरी तरह से छाई थी,,, और इसके पीछे शुभम का ही हाथ था शीतल उस पल को याद करके पूरी तरह से चुदवासी हो गई थी। जब वह एक बहाने से जो की थी और शुभम अपने आप को संभाल नहीं पाया था और सीधे जाकर के उसके भारी भरकम नितंबों से टकरा गया था। और नितंबों से टकराने की वजह से पेंट में बना तंबू साड़ी सहित गांड की दरार के अंदर तक उतर गया था। तभी उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि शुभम के लंड में बहुत ताकत है। अगर थोड़ा सा और ताकत लगाया होता तो उसके लंड का सुपाड़ा साड़ी के ऊपर से ही बुर के मखमली द्वार पर दस्तक दे चुका होता। अब शीतल का मन पूरी तरह से मचल उठा था वह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए व्याकुल हो चुकी थी। लेकिन यह मंजिल इतनी आसान नहीं थी अपनी मंजिल को पाने के लिए उसे किस रास्ते से गुजर कर मंजिल तक पहुंचना है। इसके बारे में अभी वह पूरी तरह से तैयार नहीं थी लेकिन वह मंजिल तक पहुंचने के लिए अपना मन बना चुकी थी। वह अपने रुप यौवन के जादू से शुभम को पूरी तरह से अपने वश में कर लेना चाहती थी। शुभम तक पहुंचने का और उसे अपने बिस्तर तक ले जाने की पूरी रूपरेखा के बारे में वह सोचने लगी।

दूसरी तरफ से बम की भी हालत खराब हो चुकी थी एक तो कुछ दिनों से उसकी नानी की वजह से वह अपनी मां को चोद नहीं पाया था। संभोग के असीम सुख को प्राप्त करके उसे उस आनंद को लेने की आदत सी पड़ गई थी लेकिन रंग में भंग डालते हुए उसकी नानी की मौजूदगी उसे उस आनंद को लेने से रोक रही थी। एक तो उसका लंड पहले से ही तड़प रहा था निर्मला की बुर मैं जाने के लिए,,,, और ऊपर से शीतल की मदहोश कर देने वाली जवानी में उसकी हालत और खराब कर दी थी। छातियों के उभार ने जो उसके तन बदन में चुदास पन की जो लहर भर दी थी उससे उसके बदन में एक बार फिर से वासना की चिंगारी भड़कने लगी थी,,, और उसकी इस चिंगारी को शोला का रूप देते हुए शीतल ने जो झुकते हुए चम्मच उठाई,,,, और अपने आप को ना संभाल पाने की स्थिति में जिस तरह से वह उसकी भरावार बड़ी बड़ी गांड से टकराया था,,, गांड का घेरावपन और उसकी गर्माहट को अपने बदन में महसूस करके खास करके लंड पर महसुस करके,,, उसकी जवानी की आग पूरी तरह से भड़क चुकी थी।। शीतल के झुकने पर जिस तरह से वह उसके बदन से सटकर अनजाने में ही उसकी कमर को थाम लिया था वह एक पल तो ऐसा सोचने लगा कि जैसे वह सच में क्लास के अंदर शीतल की चुदाई कर रहा है। सच बेहद आनंदित और कामोत्तेजना से भरपूर वह पल था। उस पल को याद करके वह पूरी तरह से कामोत्तेजीत और चुदवासा हो चुका था उसका लंड तड़प रहा था,, रसीली बुर में जाने के लिए लेकिन आज उसके पास सब कुछ होते हुए भी खाली खाली सा लग रहा था। क्योंकि ना तो शीतल के साथ बहुत कुछ कर सकता था और ना ही घर पर जाकर अपनी मां को चोद सकता था क्योंकि घर पर तो नानी थी और यहां पर शीतल जोकि शुभम उसके साथ कुछ कर पाने की स्थिति में अभी नहीं था।
स्कूल से छूटकर वह घर चला गया शीतल उसका रास्ता देखती रही लेकिन शुभम जल्दबाजी में था इसलिए वह शीतल से नहीं मिल सका,,,,, घर पर पहुंचकर अपनी नानी को देखते ही उसका मन उदास हो गया। बात ही ना खाए वही कुर्सी पर बैठकर इस बारे में सोचने लगा कि कैसे वह अपनी मां की चुदाई करें और इस नानी को कितने दिन लगेंगे अपने घर जाने के लिए,,,, लेकिन उससे कुछ सूझ नहीं रहा था और वह कुछ देर तक वहीं बैठा रहा निर्मला की नजर जब शुभम पर पड़ी तो उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे लेकिन अपनी मां की हाजिरी की वजह से फिर से उसका चेहरा उदास हो गया। दोनों एक दूसरे के तन बदन के मिलन के लिए तड़प रहे थे । दोनों अति व्याकुल थे संभोग करने के लिए,,,, दोनों की हालत ऐसी हो गई थी जैसे किसी नए नए शादीशुदा जोड़े की होती है। क्योंकि शादी होने के बाद से ही लड़के और लड़की सबसे पहले अपनी जिस्मानी प्यास को बुझाने में लगे रहते हैं। कुछ महीनों तक दूल्हा-दुल्हन दोनों एक दूसरे को चुदाई का पूरा भरपूर सुख देने और लेने में लगे रहते हैं। ऐसे में उनके लिए एक पल भी जुदा होना महीनों के बराबर हो जाता है। मौका मिलने पर तुरंत कपड़े उतारकर संभोग सुख की प्राप्ति में लग जाते हैं। और ऐसे में अगर दोनों ना मिल पाए या किसी कारणवश परिवार के सदस्य की उपस्थिति में दोनों का मिलन संभव ना हो पाए ऐसी हालत में दोनों की मनोस्थिति का जो हाल होता है ठीक वैसा ही हाल निर्मला और शुभम का था। उन दोनों की भी हालत ऐसी हो चुकी थी कि मानो दोनों शादी करके पति पत्नी हो चुके हैं और किसी कारणवश दोनों का संसर्ग नहीं हो पा रहा है। और दोनों संभोग सुख ना पाने की स्थिति में एकदम से झुंझला रहे है।
शुभम को यूं उदास बैठा देखकर निर्मला भी उसके करीब बैठ गई। सब कुछ जानते हुए भी वह बोली।

क्या हुआ बेटा इतना उदास क्यों है।

मम्मी तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं,,,

मैं सब कुछ जानती हूं,,,( लंबी आहें भरते हुए) लेकिन कर भी क्या सकती हूं मजबूर हूं,,,,

मुझे तुमसे ढेर सारा प्यार करना है लेकिन नानी की वजह से नहीं कर पा रहा हूं,,,,

मैं तुम्हारी हालत समझ सकती हूं बेटा मैं भी तो तुमसे ढेर सारा प्यार करना चाहती हूं तुम्हें क्या लगता है कि मेरा काम हो गया है अभी तो शुरुआत है,,,, जिस तरह से तू तड़प रहा है उसी तरह से मेरी तरफ रही हूं मुझे लगा था सब कुछ साफ हो चुका है अब मैं जब चाहूं तुझसे प्यार कर सकती हूं।
लेकिन मम्मी के यहां जाने की वजह से सब कुछ,,,,,,( इतना कहते हुए अपनी मां की तरफ देखी जो की कुर्सी पर बैठकर नींद का झोंखा खा रही थी। )

मम्मी सब कब ठीक होगा मुझसे तो बिल्कुल रहा नहीं जाता तुम्हें देखता हूं तो न जाने मुझे क्या होने लगता है,,,,,( इतना कहते ही शुभम की नजर निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियो पर चली गई,,, जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी ऐसा लग रहा था कि बिल्कुल नंगी उसकी आंखों के सामने झुल रही हो,,,,) मुझे एकदम से,,,, दबाने का मन करने लगता है मुंह मे लेकर चूसने का मन करने लगता है,,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला की हंसी छूट गई लेकिन वह मुंह दबा ली ताकि कहीं उसकी मां न जग जाए,,,,,)

तू तो एकदम दीवाना हो गया है लगता है मेरे बगैर तेरा एक पल भी नहीं बीतता,,,,, क्या अभी भी तेरे बदन में कुछ-कुछ हो रहा है,,,,।
( अपनी मां के सवाल का जवाब वह बिना बोले बस हां में सिर हिला कर दे दिया। निर्मला अभी कुछ दिनों से शुभम का लंड देखे बिना दिन गुजार रही थी इसलिए उसकी बातें सुनकर उसका मन मचलने लगा और वह हांथ को आगे बढ़ा कर,, पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को टटोलते हुए बोली,,)

ना देखूं तो कहां हो रहा है कुछ कुछ,,,,,,( इतना कहने के साथ ही जैसे निर्मला के नरम नरम ऊंगलियो पर पेंट के ऊपर से ही शुभम के खड़े लंड से हुआ,,,,, वैसे ही जैसे निर्मला को करंट लगा हो इस तरह से उसका पूरा बदन झनझना गया,,,, और वह कस के अपने बेटे के लंड को मुट्ठी में पकड़ते हुए बोली,,,)

अरे तू तो सच कह रहा था सच में तेरे बदन में कुछ-कुछ हो रहा है,,,,, ( निर्मला पेंट के ऊपर से ही उसके लंड को मसलने लगे शुभम को भी मजा आने लगा,,,, वह अपनी नानी की तरफ देखते हुए हाथ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची को दबाने लगा,,,, अपने बेटे के द्वारा चूची दबाने में निर्मला को मजा आने लगा और वह मुस्कुराने लगी लेकिन उत्तेजना के मारे उसके बदन में सुरसुरी सी फैलने लगी थी,,,, उसका चेहरा सुर्ख लाल होने लगा बुर से पानी की बूंदे टपकने लगी,, निर्मला पूरी तरह से चुदवा सी होने लगी थी वह बार-बार अपने बेटे के लंड को पेंट के ऊपर से मसल मसल कर एकदम से लाल कर दी थी,,,, शुभम तो बार-बार अपनी नानी की तरफ देख ले रहा था और जोर-जोर से,,, अपनी मां की चुचियों को दबा रहा था कुछ ही देर में वह दोनों हाथों से ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की चूची को दबाना शुरु कर दिया इस वजह से निर्मला की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट में लगी जिसे वह काफी मुश्किल से कंट्रोल में किए हुए थी।

मम्मी मुझ से रहा नहीं जा रहा है मुझे तुम्हें चोदना है। ( शुभम उत्तेजना के मारे अपने मन की बात फोटो पर ला दिया था जिसे सुनकर निर्मला का भी मन चुदवाने के लिए करने लगा था लेकिन वह भी लाचार नजर आ रही थी। शुभम तो स्कूल में ही एकदम चुदवासा हो चुका था कुछ दीनो से,,ऊसे अपनी मां की बुर के दर्शन तक नहीं हुए थे और ऐसी हालत में शीतल ने उसके बदन में आग सी लगा दी थी,,,, क्योंकि इसने उसकी मां उसने उसके लंड को दबाते हुए भड़का दी थी। निर्मला की भी हालत खराब थी कुछ दिनों से उसकी बुर ने भीें लंड का

कुछ दिनों से उसकी बुर में लंड का स्वाद नहीं चखा था इसलिए वह भी अपने बेटे के लंड को लेने के लिए तड़प उठी,,,, वह कुछ सोचते हुए बोली,,,,।)

मैं बाथरुम में नहाने जा रही हूं तू चलेगा,,,,
( शुभम अपनी मां का इशारा अच्छी तरह से समझ गया था उसे भला क्यो इंकार होता,,, वह तो खुद ही अपनी मां को चोदने के लिए तड़प रहा था लेकिन फिर भी अपनी मां की बात सुनकर वह अपनी नानी की तरफ नजर घुमाया तो निर्मला बोली,,,,।)

तु ऊनकी चिंता मत कर वह सो रही है और वैसे भी हम दोनों बाथरुम में है इसका पता उन्हें थोड़ी चलेगा अगर ढुंढ़ेगी तो भी कमरे में ढुंढेंगी तब तक तो हम दोनों का काम हो जाएगा (,,निर्मला धीरे से उसके कान में बोली,,,, शुभम को अपनी मां का यह आइडिया अच्छा लगा और वह भी बाथरुम में जाने के लिए तैयार हो गया लेकिन वह बोला,,,,।)

तुम चलो मैं आता हूं,,,,
( निर्मला खुश हो गई और जल्दी से कुर्सी पर से उठ खड़ी हुई और बाथरूम की तरफ जाते हुए उसने बोलते गई,,,)

जल्दी आना,,,,,

( शुभम पैंट के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए अपनी मां को चाहती देखता रहा और मन में यही सोचता रहा कि आज उसकी मां की बुर में आग लगी हुई है जिसे उसे बुझा ना है इसलिए थोड़ी देर बाद वह भी बाथरूम की तरफ जाने लगा,,
जाते जाते वो अपने नानी की तरफ देखा तो वह अभी भी झोंके खा रही थी,,,,
दूसरी तरफ बाथरूम में निर्मला चुदवासी हो करके अपने बदन से साड़ी उतार फेंकी थी,,, और बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ कर अपने बेटे के आने का इंतजार कर रहे थी,,
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और कुछ ही पल में शुभम भी बाथरुम मै घुस गया,, बाथरूम में घुसते ही जैसे उसकी नजर उसकी मां पर पड़ी उसके बदन में हलचल सी मच गई,,, निर्मला उसके सामने केवल पेटीकोट और ब्रा में ही खड़ी थी बाकी के कपड़े उसने खुद ही उतार फेंकी थी इस हालत ने अपनी मां को देखते ही शुभम एकदम से चुदवासा हो गया और आगे बढ़ कर के अपनी मां को बाहों में भर कर चूमने लगा,,,, निर्मला भी कई दिनों से प्यासी थी इसलिए बाथरुम मे अपनी बेटे को अकेले पाकर वह भी शुभम को चूमने चाटने लगी,,, शुभम तो कसके अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया था। ब्रा में कैद चूचियां बाहर आने को क्या पढ़ा रहे थे जो कि उसके सीने से दबी जा रहीे थी,,, निर्मला से रहा नहीं गया तो वह खुद ही अपनी बेटे के टी शर्ट को ऊपर की तरफ सरका कर उतारने लगी,,, कुछ ही पल में शुभम अपनी मां की आंखों के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था उसका टनटनाया हुआ लंड उसकी बुर में जाने के लिए हिचकोले खा रहा था। अपने बेटे की खड़े लंड को देखकर निर्मला तड़प उठी और आगे हांथ बढ़ाकर उसके लंड को पकड़ कर मुट्ठीयाने लगी,, वक्त और सब्र बहुत ही कम था इसलिए शुभम एक पल भी गंवाए बिना ही अपनी मां की पेटीकोट की डोरी को पकड़कर एक झटके से खींच दिया,,,, और तुरंत निर्मला की पेटीकोट नीचे गिर गई अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी मे हीं खड़ी थी जिसे शुभम ने तुरंत उसके बदन से अलग कर दिया और मां बेटे दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में हो गए। दोनों अब एक पल भी रुक नहीं सकते थे इसलिए एक बार फिर से एक दूसरे के बदन से लिपटनें चिपकने लगे,,, शुभम एक बार फिर से अपनी मां को नंगी करके अपनी बाहों में भर लिया और उसका खड़ा लंड उसकी मां की बुर के द्वार पर ठोकर मारने लगा जिसकी वजह से निर्मला की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी,,, वह तुरंत गर्म सीत्कारी भरते हुए अपने हाथ को नीचे ले आए और अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर उसके गरम सुपाड़े को अपने बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर,,, रगड़ने लगी ऐसा करने पर उसके मुंह से गर्म सिसकारी और तेज निकलने लगी,,,,

ससससहहहह,,,,,, आााहहहहहहहहह,,,,,, सुभम मुझसे रहा नहीं जा रहा है बस डाल दे तू अपने लंड को मेरी बुर में,,,,आहहहह,,,, बहुत गरम लंड है तेरा,,,,,

( शुभम भी अपनी मां की निप्पल को मुंह में भरकर चूसते हुए बोला,,,,,)

तुम्हारी बुर भी तो बहुत गर्म है इसलिए तो मेरा लंड इतना ज्यादा टाइट हो गया है,,

तो डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में मेरी प्यास बुझा दे,,,,,,
( निर्मला के साथ-साथ शुभम भी एकदम उतावला हो गया था अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए,,,,, लेकिन उसको बहुत मजा आ रहा था इसलिए वह अपनी मां की चूची को पीते हुए हल्के हल्के से कमर हिला रहा था जिसकी वजह से उसके लंड का सुपाड़ा बुर के ईर्द गिर्द रगड़ खा रहा था,,,, लेकिन इस हरकत पर निर्मला की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,, वह जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी,,, उससे जब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह खुद ही अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर,,, अपनी कमर हटी की तरफ सरकाई तो बुर एकदम गीली होने की वजह से सुपाड़ा हल्का सा अंदर चला गया,,,, इतने से तो निर्मला के बदन की कामाग्नि और भी ज्यादा प्रज्वलित हो गई,,,, शुभम तो चूची पीने में व्यस्त था उसे आज चुची पीने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था। क्योंकि उसके तन बदन में शीतल की चूची के वजह से ही कामाग्नि भड़की थी,,,, निर्मला तो एकदम से कामोत्तेजित हो करके शुभम को अपनी बाहों में कस ली और खुद ही अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगी,,, लेकिन उसका यह प्रयास बिल्कुल भी सफल नहीं हो पा रहा था वह एकदम से बेताब हो चुकी थी,,,,,

प्लीज शुभम प्लीज मुझसे रहा नहीं जा रहा है तेरे मोटे लंड को मेरी बुर में डाल दे चोद मुझे,,,,, चोद मुझे शुभम,,,,,,
( इधर निर्मला व्याकुल हुएें जा रही थी और दूसरी तरफ उसकी मां झोंके खाते-खाते कुर्सी पर से गिरते हुए बची तो उसकी नींद खुल गई,,,, उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए कुर्सी पर से उठ कर वह बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, बाथरूम में निर्मला और शुभम दुनिया से बेखबर,,, अपनी ही मस्ती में डूबे हुए थे । शुभम अपनी मां के उतावलेपन को देखकर वह भी एक दम से अधीर हो गया,,
वह उसी तरह से खड़े खड़े ही एक हाथ से अपनी मां की कमर को थाम कर दूसरे हाथ से उसकी मांसल जांघे को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दिया और एक ही प्रहार में , आधे से भी ज्यादा लंड वह अपनी मां की बुर में उतार दिया,,, कमर को अच्छे से पकड़कर धीरे-धीरे चोदना शु्रु किया ही था कि तभी भड़ाक की आवाज के साथ दरवाजा खुला और दोनों की नजर दरवाजे पर चली गई,,,, निर्मला की मां अपने आप को संभालना पाने की वजह से लड़खड़ाते हुए सामने की दीवार से टकराने ही वाली थी कि उसके हाथ में हैंगर से लटका हुआ टॉवल आ गया जिसे वह पकड़ कर संभल गई,, लेकिन आंखों से चश्मा निकल कर नीचे गिर. गया,,, बाथरूम में निर्मला को आई हुई देखकर निर्मला की तो होश ही उड़ गए,,,,शुभम की भी हालत खराब हो गई । दोनों को लगने लगा कि आज वह लोग रंगे हाथ पकड़े गए हैं। दोनों कुछ भी बोलने लायक स्थिति मे नहीं थे। शुभम का आधा से भी ज्यादा लंड ऊसकी बुर मे घुसा हुआ था। दोनों जैसे के तेसे उसी स्थिति में खड़े थे। निर्मला समझ गए कि पकड़े हो गए हैं अब छुपाने से कोई फायदा नहीं था और वह हड़बड़ाहट में बोली,,,,

,,,,,मममममम,,,,,,,,मम्मी तुम,,,,,, तुम,,,, यहां,,,,,,,,,,,,

अरे बेटी तू भी यहीं है ज़रा देख तो मेरा चश्मा नीचे गिर गया है। ( वह नीचे झुक कर अपना चश्मा ढूंढ रहीं थी,,, तभी निर्मला अपनी मां की तरफ ध्यान से देखी तो वह अब तक नीचे झुक कर चशमा ही ढुंढ रही थी। निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां की नजर अभी तक उन दोनों पर नहीं पड़ी है। शुभम भी यह बात समझ गया,,,, और अपनी मां का इशारा पाते ही कपड़े लिए बिना ही वह नंगा ही बाथरुम से निकल गया।
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jay
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Re: अधूरी हसरतें

Post by jay »

superb bro..................
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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