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बहू नगीना और ससुर कमीना
- rajaarkey
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
Happy new year Dosto
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
Happy new year friends
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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- rajsharma
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
नये वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ दोस्तो
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
Thanks all for your encouraging comments.
- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
शिवा के देखकर मालिनी बोली: ले आए पापा का सामान?
राजीव हँसकर: वाह मेरा सामान? जैसे सिर्फ़ मैंने ही पीना है और सब तो यहाँ साधु संत हैं।
सरला: और क्या आप ही तो पीयोगे? बाक़ी कोई नहीं पिएगा।
शिवा आकर अपनी सास के बग़ल में आकर बैठा और उसकी जाँघ सहलाकर बोला: मम्मी आपको तो मै ख़ुद पिलाऊँगा? क्यों राजेश ठीक है ना?
राजेश उठकर अपनी माँ के पास बैठकर उसकी दूसरी जाँघ सहलाते हुए बोला: हाँ मम्मी आपको आज वाइन तो पिलाएँगे ही।
राजीव भी चारु को गोद में खींचकर प्यार करते हुए बोला: आज तो मुन्नी और चारू भी पिएँगे।
शिवा: सिर्फ़ मालिनी को नहीं पिलाएँगे क्योंकि वो गुड़िया को दूध पिला रही है ।
मालिनी: कोई बात नहीं मैं सबको पीते देखकर ख़ुद नशे में आ जाऊँगी।
इस बात पर सब हँसने लगे।
फिर शिवा उठा अपने कमरे की ओर जाते हुए बोला: मै फ़्रेश होकर आता हुँ।
मालिनी भी उसके पीछे कमरे में चली गयी।अपने कमरे में शिवा मालिनी को बाँह मे कसकर बोला: क्या आज सचमुच राजेश ने तुम्हारी चूत चाटी ?
मालिनी: हाँ बहुत मज़े से चाटी और देर तक दूध भी पिया। सच मेरा भाई मम्मी का तो दीवाना ही है । कितने प्यार से देखता रहता है मम्मी को।
शिवा अपने कपड़े उतराते हुए बोला: अच्छा ही तो है । जैसे पापा तुम्हारा ध्यान रखते हैं वैसे वो मम्मी का ध्यान रखता है । तुम्हारी माँ की उम्र मे तो औरतें मुरझा जाती हैं क्योंकि उनके पति तो छोटी छोटी लड़कियों से मज़े लेने लगते हैं और बिचारियों को कोई पूछता ही नहीं। कम से कम तुम्हारी माँ का ख़्याल उसका अपना बेटा तो रख रहा है ना। इसीलिए मम्मी देखो अभी भी मस्त माल लगती हैं क्योंकि चुदाई की खुराक रोज़ मज़े से मिल रही है ना उनको।
शिवा अब सिर्फ़ चड्डी मे आ चुका था। मालिनी ने चड्डी के ऊपर से उसके लंड को दबाया और बोली: आज इसको तो बहुत मज़ा मिलेगा? आज किस किस को चोदोगे?
शिवा मुस्कुराकर उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: तुम बताओ। मम्मी और चारु ही तो हैं । मुन्नी की तो कल ली थी। पता नहीं क्या हाल है उसकी बुर का?
मालिनी प्यार से उसकी चड्डी निकालकर नीचे झुककर उसकी चड्डी नीचे गिरा दी और प्यार से उसके खड़े हो रहे लौड़े को सहलाकर बोली: अब ठीक है । आज वो भी चुदेगी अब पापा से या राजेश से ये देखते हैं। चलो आप नहा लो। मैं कपड़े निकाल देती हुँ। वो उसके लौड़े के आगे घुटने के बल बैठी और उसे चूसने लगी। पाँच मिनट चूसकर वो उठी और मुँह पोंछकर बोली: जाओ नहा लो। मस्त है जी आपका लंड ,मज़ा गया चूसकर।
शिवा हँसता हुआ बाथरूम मे चला गया।
जब मालिनी बाहर आयी तो देखी कि चारु राजीव की गोद में बैठी मज़े से अपनी चूचियाँ दबवा रहीं थी। राजेश ने सरला की साड़ी का पल्लू गिरा दिया था और उसकी चूचियाँ दबा रहा था। मुन्नी बारी बारी से दोनों जोड़ों को देख रही थी और अपनी पेंटी के ऊपर से अपनी बुर को कुरेद रही थी।
मालिनी मुस्कुरा कर बोली: वाह यहाँ तो सब शुरू भी हो गए। मुन्नी जाओ तुम पापा के पास बैठो और उनसे अपनी चूचियाँ भी दबवा लो।
मुन्नी इठला कर: मुझे नहीं दबवानी । वो चारु से ही ख़ुश हैं देखो ना।
राजीव: अरे मेरी प्यारी बच्ची आओ मेरे पास। ग़ुस्सा मत करो। मै तो इसे शिवा के लिए तय्यार कर रहा हुँ। आज तो मै तुमसे ही मस्ती करूँगा। ठीक है ना मालिनी?
मालिनी किचन में जाते हुए: बिलकुल ठीक है मुन्नी जाओ पापा के पास जाओ।
मुन्नी शर्माकर राजीव के पास आयी और चारु उसकी गोद से उठती हुई बोली: लो आओ बैठो अंकल की गोद में।
राजीव की लूँगी मेंउभार बना हुआ था। मुन्नी मस्ती में आकर उसी उभार पर अपनी मस्त छोटी सी गोल गोल गाँड़ रखकर बैठ गयी। राजीव ने बड़े प्यार से उसके गाल चुमे और उसकी चूचियाँ दबाके बोला: बिटिया आज हमसे चुदवाओगी ना? कैसी है तुम्हारी चूत अब? वो एक हाथ पेंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाकर बोला: अभी भी दुःख रही है क्या?
मुन्नी मस्ती में आके सिसकारी लेकर बोली: आऽऽऽह अंकल नहीं अब ठीक है । अब दर्द नहीं हो रहा है ।
राजीव फिर उसके कान में फुसफ़ाया: तो फिर चुदवाओगी ना?
मुन्नी ने शर्माकर कहा: जी अंकल ।
राजीव ख़ुशी से उसके होंठ चूम लिया और चूचियाँ मसलकर मस्ती में उसको अपनी गोद में दबाने लगा जिससे उसका खूँटा उसकी नर्म गाँड़ में गड़ने लगा और मुन्नी आऽऽऽऽह कर उठी।
तभी शिवा नहाकर आया। वह भी एक टी शर्ट और हाफ़ पेंट में था। उसकी मोटी तगड़ी जाँघे जो बालों से ढकी हुई थी उसके मर्दानेपन का अहसास करा रहे थे। उसके हाफ़ पेंट के सामने का हिस्सा काफ़ी फूला हुआ था और सरला अपने दामाद के हथियार का सोचकर मस्त हो गयी। राजेश अब भी उसकी एक चूची और एक जाँघ दबा रहा था।
शिवा आकर चारु के पास बैठा और उसे अपनी गोद में खींचकर बोला: आज दुकान में तो बहुत मज़ा दी तुम पापा के साथ। अब क्या मूड है ?
चारू हँसकर: जैसा आपका मूड है वैसा मेरा भी है ।
शिवा उसकी स्कर्ट ऊपर करके उसकी पेंटी के अंदर हाथ डाला और उसकी पनियायी हुई बुर सहलाकर बोला: अरे यहाँ तो गंगा जमुना बह रही है । उफ़्फ़्फ़्फ क्या गरम हो रखी हो तुम।
चारु: अंकल इतनी देर से छातियाँ दबा रहे थे और अपना हथियार मेरे पिछवाड़े में दबा रहे थे उसका असर तो होना था ही ना।
इस पर शिवा भी एक हाथ से उसकी एक चूची दबा दिया और दूसरे हाथ से उसकी बुर में दो उँगली डालकर उसे हिला कर गरम करने लगा।
तभी बाहर की घंटी बजी। मालिनी किचन से बाहर आयी और बोली: सब लोग ठीक से बैठो। शायद खाना आया होगा।
सब लोग अपने कपड़े ठीक करके अलग होकर बैठ गए। दरवाज़े पर एक लड़का था वो खाने का पेकेट अंदर लेकर आया और टेबल पर रखा और सबको देखने लगा। उसे कुछ भी असमान्य नहीं लगा। एक परिवार जैसे बैठा था और बातें कर रहा था। मालिनी ने उसे पैसे देकर विदा किया और जाकर दरवाज़ा बंद की। फिर वह खाना उठाने के लिए झुकी। तभी राजीव ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। और उसे चूमते हुए बोला: बहू चलो अब पार्टी शुरू करते हैं।
मालिनी मुस्कुराकर: ठीक है पापा । मैं ड्रिंकस लाती हुँ। चारु और मुन्नी चलो मेरे साथ किचन में।
वो तीनों किचन में चली गयीं। शिवा अब उठकर सरला के पास बैठा और उसकी एक चूची दबाकर राजेश से बोला: यार साले साहब मम्मी को तो कल लेकर चले जाओगे आज तो कम से कम मुझे मज़ा ले लेने दो मम्मी से।
राजेश झेंपकर: जीजू मैंने कहाँ मना किया है । आप ले लो ना मज़ा मम्मी से।
सरला उसके लंड को पेंट के ऊपर से पकड़कर दबाकर बोली: : राजेश तुमको मुन्नी को चोदना चाहिए। चारु को तो दोपहर में चोद ही चुके हो। बोलो क्या कहते हो?
राजेश: आऽऽऽह मम्मी ठीक है । तो आप शिवा से चुदोगी क्या?
सरला ने अपने दूसरे हाथ से दामाद का लंड दबाया और कहा: अगर शिवा चाहेगा तो ज़रूर चुदवाऊँगी उससे ।
शिवा: मम्मी मैं तो आपको ही चोदूँगा अगर राजेश को इतराज ना हो तो। आख़िर आप इसी का तो माल हो ना।
इस पर सब हँसने लगे। अचानक राजीव उठा और किचन में पहुँचा और वहाँ देखा कि तीनों लड़कियाँ दारू का जाम बना रहीं थी। वह मालिनी के पीछे खड़ा हुआ और उसकी नंगी कमर सहलाकर बोला: मालिनी आदमियों के लिए विस्की बनाना और लड़कियाँ वाइन पियेंगी।
मालिनी इठला कर अपनी गाँड़ पीछे की और ससुर के पैंट के अगले हिस्से से सटा दी और वहाँ अपनी गाँड़ हिलाकर बोली: जी पापा वैसे ही बना रही हूँ।
अब राजीव भी पीछे से हाथ बढ़ाकर उसकी मस्त चूचे दबाकर अपने लौड़े को उसकी गाँड़ के उभारों पर दबा कर बोला: आऽऽऽह बहू कल डॉक्टर से मिलकर आओ। पूछो कब से चुदवा सकती हो? बहुत मन कर रहा है तुम्हें चोदने का।
मालिनी: ठीक है ३/४ दिनों में जाती हूँ डॉक्टर के पास और पूछतीं हूँ। अब छोड़िए ना ये पीना नहीं है क्या? वैसे आज आप किसकी लेंगे पहले?
राजीव हँसकर: शिवा और राजेश जिसे भी मेरे लिए छोड़ेंगे उसकी ही लूँगा। वो यह कहकर मुन्नी और चारु के पीछे आकर उनकी गाँड़ भी दबाने लगा। वो दोनों आऽऽऽह अंकल कह कर मुस्कुरा दीं।
अब वो चारों बाहर आके टेबल पर ड्रिंकस रखे। आदमियों ने व्हिस्की और लड़कियों और सरला ने वाइन उठा ली। सिर्फ़ मालिनी अपने लिए एक जूस का गिलास लायी थी वो पीने लगी।
मुन्नी ने पहला घूँट लिया और बुरा सा मुँह बनाई: उफ़्फ़्फ अजीब सा टेस्ट है ना चारु?
चारु: मुझे तो पसंद आया। मस्त स्वाद है। दो चार घूँट पी ले फिर अच्छा लगेगा।
सब मज़े से पीने लगे और थोड़ी बहुत छेड़ छाड़ भी कर रहे थे। जल्दी ही मालिनी ने सबके दूसरे पेग भी बना दिए। अब सब मस्ती में झूम रहे थे। राजेश शायद पहली बार पी रहा था इसलिए जल्दी ही नशे में आ गया और मस्ती में आकर दूसरा पेग डाल रही मालिनी को पकड़कर अपनी गोद में खींच लिया और उसके गाल चूमता हुआ बोला: उफ़्फ़्फ़्फ दीदी यहाँ की सब लड़कियों में आप ही सबसे सेक्सी हो। मुझे आज बहनचोद बनना है। मादरचोद तो मैं पहले से ही हूँ।
मालिनी उसके खड़े लौड़े को अपनी गाँड़ में महसूस करके बोली: आऽऽऽह भाई सुनो तो कुछ दिनों के बाद तुम मेरी ले लेना। आऽऽऽऽऽह आज मुन्नी की लो ना।
राजेश उसकी चूचियाँ मसल कर बोला: दीदी मुन्नी तो अभी जवान हो रही है। आप तो बिलकुल मम्मी जैसे गदरा गयी हो।
सरला: अरे मालिनी चूत नहीं तो गाँड़ मरवा ले भाई से। डॉक्टर तो कुछ भी कहते रहते हैं । मैं भी तुम दोनों के जन्म के बाद गाँड़ जल्दी ही मरवा ली थी। क्यों भाई सांब आप क्या कहते हो?
राजीव: मुझे तो ठीक ही लग रहा है। और आपको तो अनुभव है ही। वैसे मैंने भी सविता की गाँड़ से शुरुआत की थी जब शिवा हुआ था। बहू तुमको कोई ऐतराज़ है क्या?
मालिनी: पापा मुझे क्यों ऐतराज़ होगा आप सब यही चाहते हो तो। हाँ मेरे पति देव की पर्मिशन तो लगेगी ही।
शिवा हँसते हुए: अरे मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है भला। साले सांब मार लो अपनी बहना की मस्त गाँड़ और बन जाओ बहनचोद ।
इस पर सब हँसने लगे।
राजीव हँसकर: वाह मेरा सामान? जैसे सिर्फ़ मैंने ही पीना है और सब तो यहाँ साधु संत हैं।
सरला: और क्या आप ही तो पीयोगे? बाक़ी कोई नहीं पिएगा।
शिवा आकर अपनी सास के बग़ल में आकर बैठा और उसकी जाँघ सहलाकर बोला: मम्मी आपको तो मै ख़ुद पिलाऊँगा? क्यों राजेश ठीक है ना?
राजेश उठकर अपनी माँ के पास बैठकर उसकी दूसरी जाँघ सहलाते हुए बोला: हाँ मम्मी आपको आज वाइन तो पिलाएँगे ही।
राजीव भी चारु को गोद में खींचकर प्यार करते हुए बोला: आज तो मुन्नी और चारू भी पिएँगे।
शिवा: सिर्फ़ मालिनी को नहीं पिलाएँगे क्योंकि वो गुड़िया को दूध पिला रही है ।
मालिनी: कोई बात नहीं मैं सबको पीते देखकर ख़ुद नशे में आ जाऊँगी।
इस बात पर सब हँसने लगे।
फिर शिवा उठा अपने कमरे की ओर जाते हुए बोला: मै फ़्रेश होकर आता हुँ।
मालिनी भी उसके पीछे कमरे में चली गयी।अपने कमरे में शिवा मालिनी को बाँह मे कसकर बोला: क्या आज सचमुच राजेश ने तुम्हारी चूत चाटी ?
मालिनी: हाँ बहुत मज़े से चाटी और देर तक दूध भी पिया। सच मेरा भाई मम्मी का तो दीवाना ही है । कितने प्यार से देखता रहता है मम्मी को।
शिवा अपने कपड़े उतराते हुए बोला: अच्छा ही तो है । जैसे पापा तुम्हारा ध्यान रखते हैं वैसे वो मम्मी का ध्यान रखता है । तुम्हारी माँ की उम्र मे तो औरतें मुरझा जाती हैं क्योंकि उनके पति तो छोटी छोटी लड़कियों से मज़े लेने लगते हैं और बिचारियों को कोई पूछता ही नहीं। कम से कम तुम्हारी माँ का ख़्याल उसका अपना बेटा तो रख रहा है ना। इसीलिए मम्मी देखो अभी भी मस्त माल लगती हैं क्योंकि चुदाई की खुराक रोज़ मज़े से मिल रही है ना उनको।
शिवा अब सिर्फ़ चड्डी मे आ चुका था। मालिनी ने चड्डी के ऊपर से उसके लंड को दबाया और बोली: आज इसको तो बहुत मज़ा मिलेगा? आज किस किस को चोदोगे?
शिवा मुस्कुराकर उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: तुम बताओ। मम्मी और चारु ही तो हैं । मुन्नी की तो कल ली थी। पता नहीं क्या हाल है उसकी बुर का?
मालिनी प्यार से उसकी चड्डी निकालकर नीचे झुककर उसकी चड्डी नीचे गिरा दी और प्यार से उसके खड़े हो रहे लौड़े को सहलाकर बोली: अब ठीक है । आज वो भी चुदेगी अब पापा से या राजेश से ये देखते हैं। चलो आप नहा लो। मैं कपड़े निकाल देती हुँ। वो उसके लौड़े के आगे घुटने के बल बैठी और उसे चूसने लगी। पाँच मिनट चूसकर वो उठी और मुँह पोंछकर बोली: जाओ नहा लो। मस्त है जी आपका लंड ,मज़ा गया चूसकर।
शिवा हँसता हुआ बाथरूम मे चला गया।
जब मालिनी बाहर आयी तो देखी कि चारु राजीव की गोद में बैठी मज़े से अपनी चूचियाँ दबवा रहीं थी। राजेश ने सरला की साड़ी का पल्लू गिरा दिया था और उसकी चूचियाँ दबा रहा था। मुन्नी बारी बारी से दोनों जोड़ों को देख रही थी और अपनी पेंटी के ऊपर से अपनी बुर को कुरेद रही थी।
मालिनी मुस्कुरा कर बोली: वाह यहाँ तो सब शुरू भी हो गए। मुन्नी जाओ तुम पापा के पास बैठो और उनसे अपनी चूचियाँ भी दबवा लो।
मुन्नी इठला कर: मुझे नहीं दबवानी । वो चारु से ही ख़ुश हैं देखो ना।
राजीव: अरे मेरी प्यारी बच्ची आओ मेरे पास। ग़ुस्सा मत करो। मै तो इसे शिवा के लिए तय्यार कर रहा हुँ। आज तो मै तुमसे ही मस्ती करूँगा। ठीक है ना मालिनी?
मालिनी किचन में जाते हुए: बिलकुल ठीक है मुन्नी जाओ पापा के पास जाओ।
मुन्नी शर्माकर राजीव के पास आयी और चारु उसकी गोद से उठती हुई बोली: लो आओ बैठो अंकल की गोद में।
राजीव की लूँगी मेंउभार बना हुआ था। मुन्नी मस्ती में आकर उसी उभार पर अपनी मस्त छोटी सी गोल गोल गाँड़ रखकर बैठ गयी। राजीव ने बड़े प्यार से उसके गाल चुमे और उसकी चूचियाँ दबाके बोला: बिटिया आज हमसे चुदवाओगी ना? कैसी है तुम्हारी चूत अब? वो एक हाथ पेंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाकर बोला: अभी भी दुःख रही है क्या?
मुन्नी मस्ती में आके सिसकारी लेकर बोली: आऽऽऽह अंकल नहीं अब ठीक है । अब दर्द नहीं हो रहा है ।
राजीव फिर उसके कान में फुसफ़ाया: तो फिर चुदवाओगी ना?
मुन्नी ने शर्माकर कहा: जी अंकल ।
राजीव ख़ुशी से उसके होंठ चूम लिया और चूचियाँ मसलकर मस्ती में उसको अपनी गोद में दबाने लगा जिससे उसका खूँटा उसकी नर्म गाँड़ में गड़ने लगा और मुन्नी आऽऽऽऽह कर उठी।
तभी शिवा नहाकर आया। वह भी एक टी शर्ट और हाफ़ पेंट में था। उसकी मोटी तगड़ी जाँघे जो बालों से ढकी हुई थी उसके मर्दानेपन का अहसास करा रहे थे। उसके हाफ़ पेंट के सामने का हिस्सा काफ़ी फूला हुआ था और सरला अपने दामाद के हथियार का सोचकर मस्त हो गयी। राजेश अब भी उसकी एक चूची और एक जाँघ दबा रहा था।
शिवा आकर चारु के पास बैठा और उसे अपनी गोद में खींचकर बोला: आज दुकान में तो बहुत मज़ा दी तुम पापा के साथ। अब क्या मूड है ?
चारू हँसकर: जैसा आपका मूड है वैसा मेरा भी है ।
शिवा उसकी स्कर्ट ऊपर करके उसकी पेंटी के अंदर हाथ डाला और उसकी पनियायी हुई बुर सहलाकर बोला: अरे यहाँ तो गंगा जमुना बह रही है । उफ़्फ़्फ़्फ क्या गरम हो रखी हो तुम।
चारु: अंकल इतनी देर से छातियाँ दबा रहे थे और अपना हथियार मेरे पिछवाड़े में दबा रहे थे उसका असर तो होना था ही ना।
इस पर शिवा भी एक हाथ से उसकी एक चूची दबा दिया और दूसरे हाथ से उसकी बुर में दो उँगली डालकर उसे हिला कर गरम करने लगा।
तभी बाहर की घंटी बजी। मालिनी किचन से बाहर आयी और बोली: सब लोग ठीक से बैठो। शायद खाना आया होगा।
सब लोग अपने कपड़े ठीक करके अलग होकर बैठ गए। दरवाज़े पर एक लड़का था वो खाने का पेकेट अंदर लेकर आया और टेबल पर रखा और सबको देखने लगा। उसे कुछ भी असमान्य नहीं लगा। एक परिवार जैसे बैठा था और बातें कर रहा था। मालिनी ने उसे पैसे देकर विदा किया और जाकर दरवाज़ा बंद की। फिर वह खाना उठाने के लिए झुकी। तभी राजीव ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। और उसे चूमते हुए बोला: बहू चलो अब पार्टी शुरू करते हैं।
मालिनी मुस्कुराकर: ठीक है पापा । मैं ड्रिंकस लाती हुँ। चारु और मुन्नी चलो मेरे साथ किचन में।
वो तीनों किचन में चली गयीं। शिवा अब उठकर सरला के पास बैठा और उसकी एक चूची दबाकर राजेश से बोला: यार साले साहब मम्मी को तो कल लेकर चले जाओगे आज तो कम से कम मुझे मज़ा ले लेने दो मम्मी से।
राजेश झेंपकर: जीजू मैंने कहाँ मना किया है । आप ले लो ना मज़ा मम्मी से।
सरला उसके लंड को पेंट के ऊपर से पकड़कर दबाकर बोली: : राजेश तुमको मुन्नी को चोदना चाहिए। चारु को तो दोपहर में चोद ही चुके हो। बोलो क्या कहते हो?
राजेश: आऽऽऽह मम्मी ठीक है । तो आप शिवा से चुदोगी क्या?
सरला ने अपने दूसरे हाथ से दामाद का लंड दबाया और कहा: अगर शिवा चाहेगा तो ज़रूर चुदवाऊँगी उससे ।
शिवा: मम्मी मैं तो आपको ही चोदूँगा अगर राजेश को इतराज ना हो तो। आख़िर आप इसी का तो माल हो ना।
इस पर सब हँसने लगे। अचानक राजीव उठा और किचन में पहुँचा और वहाँ देखा कि तीनों लड़कियाँ दारू का जाम बना रहीं थी। वह मालिनी के पीछे खड़ा हुआ और उसकी नंगी कमर सहलाकर बोला: मालिनी आदमियों के लिए विस्की बनाना और लड़कियाँ वाइन पियेंगी।
मालिनी इठला कर अपनी गाँड़ पीछे की और ससुर के पैंट के अगले हिस्से से सटा दी और वहाँ अपनी गाँड़ हिलाकर बोली: जी पापा वैसे ही बना रही हूँ।
अब राजीव भी पीछे से हाथ बढ़ाकर उसकी मस्त चूचे दबाकर अपने लौड़े को उसकी गाँड़ के उभारों पर दबा कर बोला: आऽऽऽह बहू कल डॉक्टर से मिलकर आओ। पूछो कब से चुदवा सकती हो? बहुत मन कर रहा है तुम्हें चोदने का।
मालिनी: ठीक है ३/४ दिनों में जाती हूँ डॉक्टर के पास और पूछतीं हूँ। अब छोड़िए ना ये पीना नहीं है क्या? वैसे आज आप किसकी लेंगे पहले?
राजीव हँसकर: शिवा और राजेश जिसे भी मेरे लिए छोड़ेंगे उसकी ही लूँगा। वो यह कहकर मुन्नी और चारु के पीछे आकर उनकी गाँड़ भी दबाने लगा। वो दोनों आऽऽऽह अंकल कह कर मुस्कुरा दीं।
अब वो चारों बाहर आके टेबल पर ड्रिंकस रखे। आदमियों ने व्हिस्की और लड़कियों और सरला ने वाइन उठा ली। सिर्फ़ मालिनी अपने लिए एक जूस का गिलास लायी थी वो पीने लगी।
मुन्नी ने पहला घूँट लिया और बुरा सा मुँह बनाई: उफ़्फ़्फ अजीब सा टेस्ट है ना चारु?
चारु: मुझे तो पसंद आया। मस्त स्वाद है। दो चार घूँट पी ले फिर अच्छा लगेगा।
सब मज़े से पीने लगे और थोड़ी बहुत छेड़ छाड़ भी कर रहे थे। जल्दी ही मालिनी ने सबके दूसरे पेग भी बना दिए। अब सब मस्ती में झूम रहे थे। राजेश शायद पहली बार पी रहा था इसलिए जल्दी ही नशे में आ गया और मस्ती में आकर दूसरा पेग डाल रही मालिनी को पकड़कर अपनी गोद में खींच लिया और उसके गाल चूमता हुआ बोला: उफ़्फ़्फ़्फ दीदी यहाँ की सब लड़कियों में आप ही सबसे सेक्सी हो। मुझे आज बहनचोद बनना है। मादरचोद तो मैं पहले से ही हूँ।
मालिनी उसके खड़े लौड़े को अपनी गाँड़ में महसूस करके बोली: आऽऽऽह भाई सुनो तो कुछ दिनों के बाद तुम मेरी ले लेना। आऽऽऽऽऽह आज मुन्नी की लो ना।
राजेश उसकी चूचियाँ मसल कर बोला: दीदी मुन्नी तो अभी जवान हो रही है। आप तो बिलकुल मम्मी जैसे गदरा गयी हो।
सरला: अरे मालिनी चूत नहीं तो गाँड़ मरवा ले भाई से। डॉक्टर तो कुछ भी कहते रहते हैं । मैं भी तुम दोनों के जन्म के बाद गाँड़ जल्दी ही मरवा ली थी। क्यों भाई सांब आप क्या कहते हो?
राजीव: मुझे तो ठीक ही लग रहा है। और आपको तो अनुभव है ही। वैसे मैंने भी सविता की गाँड़ से शुरुआत की थी जब शिवा हुआ था। बहू तुमको कोई ऐतराज़ है क्या?
मालिनी: पापा मुझे क्यों ऐतराज़ होगा आप सब यही चाहते हो तो। हाँ मेरे पति देव की पर्मिशन तो लगेगी ही।
शिवा हँसते हुए: अरे मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है भला। साले सांब मार लो अपनी बहना की मस्त गाँड़ और बन जाओ बहनचोद ।
इस पर सब हँसने लगे।