मस्तानी ताई

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rajsharma
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Re: मस्तानी ताई

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गतान्क से आगे...............

फिर अपने शरीर की प्यास बुझा के में और ताइजी घर की ओर चल पड़े, घर जा के देखा तो मा और दीदी हमारा खाने के लिए इंतज़ार कर रही थी, हम वहाँ पोहचे हाथ मूह धोया और खाना खाने बैठ गये, खाना खाने के बाद मुझे बड़ी नींद आराही थी, में अपने रूम में सोने चले गया, और बिस्तर पे जाके लेट गया, में ताइजी की गांद मारने के ख़याल से ही बेताब हुआ जा रहा था, मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, में उसे पॅंट के उपर से सहलाने लगा, अब में ताइजी की गांद चाटने के लिए और मारने के लिए तड़प रहा था, मेने अपना लंड बाहर निकाला और उसे सहलाने लगा, मुझे फिर किसी के आने की आवाज़ आई तो मेने तुरंत अपना लंड अंडर किया, और सोने का नाटक करने लगा, देखा तो मा आई थी रूम में, उन्होने मुझे आवाज़ दी बेटा सो गया क्या, मेने नींद में होने का बहाना करते हुआ कहा, कहो मा क्या बात है, वो बोली कुछ नही देख रही थी के सोया के नही, में पलंग पे सोया था, और मा नीचे चटाई बिछा के लेट गयी, वो लेटे लेटे पूछने लगी, के बेटा तुझे यहाँ अछा लगता है के नही, मेने ऐसे दिखाया के में यहाँ उनके और पापा के कहने से रुका हूँ और मुझे यहाँ रुकने में कोई इंटेरेस्ट नही है, में और मा एक दूसरे को देखे बिना ही बात कर रहे थे, तभी मेने साइड की करवट ली और मा की तरफ मुड़ा, और जैसे ही मुड़ा में उन्हे देखता ही रह गया, मा का पल्लू सरक गया था, और उनके बड़े बड़े बूब्स ब्लाउस से बाहर आने के लिए तड़प रहे थे, मुझे एक पल के लिए समझ ही नही आया के क्या हो रहा है, मुझे बड़ा अजीब लगा और अपने आप पे गुस्सा भी आया के में अपनी ही मा के बूब्स देख रहा हूँ, खैर में फिर सीधा होके सो गया और सोचने लगा के किस तरह से मेरी ज़िंदेगी पूरी तरह बदल गयी है गाओं आते ही, और अब मुझे चोदने के सिवाय और कुछ नही सूझ रहा है, पहले तो अपनी ताइजी और आज अपनी मा के बूब्स भी देख लिए, मा इन सब बातों से अंजान थी और वैसे ही लेटे हुए मुझसे बात कर रही थी, मेने बोहत कोशिश की पर अपना ध्यान मा के बूब्स से नही हटा पाया, इसी कशमश में मेरे आँख लग गयी, फिर कुछ देर बाद जब रूम में आवाज़ हुई तो मेरी आँख खुल गयी, मा अपने बॅग में सामान निकल कर कपबोर्ड में रख रही थी, मा की पीठ मेरी तरफ थी, में मा की तरफ गौर से देखा तो पाया के मा का शरीर गथिला था, और वो ताइजी से ज़्यादा फिट भी थी, मा की गांद गोल और भरी हुई थी और चुचियाँ भी बड़ी बड़ी थी, वो अपने काम में लगी हुई थी और में उनकी गांद का नज़ारा कर रहा था, मुझे बोहत अजीब भी लग रहा था और दूसरी तरफ ऐसा करने से मज़ा भी आरहा था, में अपने आप को मा की तरफ देखने से रोक नही पाया इसीलिए में वहाँ से बाहर चले गया, मेने महसूस किया के इन सब ख़यालों से मेरा लंड खड़ा हो रहा था, मेने नीचे आते ही ताइजी को ढूँढा, पर वो कहीं गयी हुई थी, में खेतों की तरफ निकल पड़ा ताकि अपना ध्यान मा की ओर से हटा सकूँ, चलते चलते में पंप हाउस तक पोहच् गया, मेने देखा के पार्वती कपड़े धो रही है, में वहीं खड़ा हो के देखने लगा, उसने अब तक मुझे नही देखा था, में उसे देखने लगा, उसने अपनी सारी घुटनो के उपर तक उठा रखी थी और पल्ला भी ठीक नही था, वो दिखने में इतनी सुंदर नही थी और थोड़ी पतली भी थी, गांद और चुचियाँ भी मा और ताइजी जितनी नही थी, में इतना चूत का पागल हो गया था के मुझे ठीक सी देखने वाली काम वाली की भी चूत चाहिए थी, कुछ दिन पहले मुंबई में अछी अछी लड़कियाँ छोड़ड़ दी थी और अब यहाँ साला गाओं की काम वाली भी मस्त लग रही थी, में कुछ देर खड़ा होके देखने लगा उसका कलर सावला था, वो जब भी कपड़ो पे धोका मारती तो उसकी गांद पीछे से उँची हो जाती, और उसके चुचियाँ घुटनो से दब के बाहर आने की कोशिश करती थी, मेरा बड़ा बुरा हाल था, मुझे चूत किसी भी कीमत पे चाहिए थी, मेने कुछ आवाज़ की, तो उसका ध्यान मेरी तरफ गया, उसने मुझे नमस्ते किया और अपना काम करने लगी, मेरे वहाँ होने पे भी उसने अपने कपड़े ठीक नही किए, वैसे एक बात बताउ दोस्तों गाओं की औरतें बड़ी तेज होती है, में भी बेशरम होके वहीं उसके आगे खड़ा होगया और यहाँ वहाँ देखने लगा, अब में उसके सामने खड़ा हुआ था तो उसकी झांघों के बीच का हिस्सा भी दिख रहा था,
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: मस्तानी ताई

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उसने शायद सफेद रंग की पॅंटी पहनी थी, उसने मुझे अपनी चूत की तरफ देख ते देख लिया था, पर उसने कोई रिक्षन नही दिया और अपना काम करने लगी, मेरा मॅन कर रहा था साली को वहीं कपड़े धोते हुए ही चोद दूं, मेने उसे पूछा के भोला कहाँ है तो वो कहने लगी के वो किसी काम से बाहर गये हैं शाम तक आजाएँगे, उसने कहा साहेब आप दिन में इतनी धूप में बाहर क्यूँ आए, मेने कहा ऐसे ही, वो बोली आप अंडर रूम में जाके बैठिए में पानी लाती हूँ, में अंडर चले गया, और खाट पे बैठ गया, कुछ देर बाद पार्वती अंडर आई और मटके में से ग्लास पानी भर के मुझे दिया, जब वो मेरे सामने ग्लास दे रही थी तो मेने देखा उसके ब्लाउस के बीच के 2 हुक टूटे हुए है और उसकी सफेद रंग की ब्रा भी दिख रही थी और थोड़ा हिस्सा चुचि का भी दिख रहा था, पल्लू ठीक ना होने की वजह से तो पहले ही उसकी चुचि की लकीर दिख रही थी, अब यह देख मेरा लंड पॅंट में उच्छल ने लगा, मेने सोचा क्यूँ ना इसके उपर ही हाथ सॉफ कर लिया जाए, मेने उससे कहा के तुम्हारा काम हो गया वो बोली हाँ साहेब होगया है बस कपड़े सुखाने हैं, उसने पूछा कोई काम है क्या मेने कहा हां, तो वो बोली में कपड़े सूखा के आती हूँ, में खाट पे लेट गया और उसके आने का इंतज़ार करने लगा, वो मुझे उसके मालिक की तरह ही ट्रीट कर रही थी, कुछ देर बाद वो कपड़े सूखा के आई तो उसने पूछा क्या काम है साहेब, मेने उसके तरफ देखा और कहा तुम तो पूरी गीली हो चुकी हो, वो कहने लगी हां साहेब वो धुले हुए कपड़े कंधे पे रखे तो थोड़ा पानी गिर गया, मेने कहा मेरे पाँव बोहत दर्द कर रहे हैं ज़रा दबा दो, वो बोली साहेब आप जवान आदमी हो और भोला भी घर पे नही है, अगर किसी ने देख लिया तो बिना बात के बदनामी हो जाएगी, मेने कहा भोला तुम कह रही हो शाम को आएगा तो किस बात की चिंता है, चलो दबाओ पाँव वो बोली ठीक है, अब वो मेरे पाँव के पास आके नीचे बैठ गयी और मेरे पाँव दबाने लगी, उसके हाथ शायद काम करने की वजह से सख़्त हो गये थे, मुझे उसके हाथ का स्पर्श अछा लग रहा था, मेने बातों बातों में उससे कहा तुम्हारे हाथ में तो बोहत दम है, वो बोली साहेब काम बोहत हो जाता है इसी वजह से ऐसे हो गये हैं, वो मेरे घुटनो के नीचे का हिस्सा ही दबा रही थी, और अब वो जब झुकती तो उसके चुचियाँ मुझे सॉफ नज़र आती, मेने उससे कहा ज़रा उपर भी दबा दो, वो नीचे बैठे ही घुटनो के उपर दबाने लगी मुझे उसमे मज़ा नही आरहा था, मेने उससे कहा तुम खाट पेर बैठ कर दबाओ ऐसे आछे से नही दबा पा रही हो, वो कुछ बोली नही और खाट पे आके बैठ गयी, मेने सोचा क्यूँ ना इससे सिड्यूस किया जाए, मेने उससे पूछा के शादी को कितना समय होगया वो बोली 4 साल, मेने कहा तो तुम्हारे बच्चे कहाँ है, तो उसकी आँखों में आँसू आगाये, में समझ गया के बात क्या है, वो कहने लगी के उससे बच्चा नही हो पा रहा है, और सब लोग उसे बांझ कह के बुलाते हैं, उसे यह नही पता था के किस की वजह से नही होरहा है, मतलब भोला की वजह से या उसकी वजह से, मेने कहा तो क्या तुमने डॉक्टर से जाँच करवाई तो उसने कहा नही, पर उसे लगता था के उसकी वजह से ही बच्चा नही पा रहा है, फिर मेने उससे कहा के तुम डॉक्टर से जाँच कारवओ पता चल जाएगा के तुम सच में बांझ हो के भोला में तकलीफ़ है, वो बोली उसे इस जाँच के बारे में कुछ नही पता, मेने कहा मुझे मालूम है, वो बोली अगर आप मेरी जाँच डॉक्टर से करवा दे तो बोहत मेहेरबानी होगी, मेने कहा उसके लिए शहेर जाना होगा और पैसे भी लगेंगे, वो बोली साहेब मेरे पास पैसे तो नही है, मेने कहा वो में दे दूँगा पर उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा, वो बोली साहेब में ग़रीब हूँ आप को पैसे कहाँ से दे सकती हूँ, मेने कहा पैसे कौन माँग रहा है, और मेने हिम्मत कर के कह दिया के मुझे तो तुम में इंटेरेस्ट है, वो सुन के एक दम चौक गयी और मेरी तरफ देखने लगी, मेने कहा क्या हुआ, वो बोली आपको शरम नही आती मुझसे इस तरीके की बातें करते हुए, मेने कहा सोच लो, इलाज के पैसे तो दूँगा उसके इलावा और भी पैसे दूँगा, वो कुछ देर सोचने लगी और कहने लगी, के अपने आप को बांझ ना साबित करने के लिए में किसी भी काम के लिए तैयार हूँ, फिर क्या था मेरी लॉटरी निकल गयी, मेने उसका हाथ पकड़ लिया वो कुछ नही बोली और शरमाने लगी, में खाट पे बैठ गया, और वो मेरे सामने खड़ी हो गयी, मेने उसके हाथ को मसला और फिर अपना एक हाथ उसकी चुचि पे ले गया और उसे सारी के उपर से दबाने लगा, ओह्ह्ह उसके बूब्स बड़े सख़्त थे, और उन्हे अपने हाथों में भरने में बड़ा मज़ा आरहा था, वो भी कसमसा रही थी, और अपने होंठों को दातों तले दबा रही थी, मुझे बड़ा अरमान था के में किसी के साथ रफ चुदाई करू पर आज तक मेरा वो अरमान पूरा नही हुआ था, पर पार्वती के हां कहने पे मेरा वो अरमान पूरा होता दिख रहा था, फिर में अपने दोनो हाथों से उसकी चुचियाँ दबाने लगा और उसका पल्लू हटा के साइड में कर दिया, अब मेने उसके ब्लाउस के हुक खोलना शुरू कर दिया, वो भी मस्त हुए जा रही थी, मेने धीरे धीरे उसके सारे ब्लाउस के हुक खोल दिया और फिर ब्रा के उपर से उसकी चुचि दबाने लगा, वो भी मस्त हो रही थी, ओह्ह सहीएबब्ब क्य्ाआ कार रहहे हूऊ पुउउरी ताअन मेंन्न हुलचूल्ल्ल्ल सी हूओ रहिी हाीइ, अब मेने उसकी ब्रा को उँचा कर दिया और उसके बूब्स नीचे से बाहर आगाये, मेने देखा के उसके बूब्स बड़े तो नही थे पर टाइट थे, और निपल एक दम कड़क हो चुके था, मेने उसका हाथ पकड़ा और उसे नीचे बिठा दिया और अपना लंड अपनी पॅंट से बाहर निकाला और उसके मूह के सामने रख दिया, वो समझ गयी के क्या करना है, उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और फिर उसका टोपा अपने मूह में लिया और उसे लॉलिपोप की तरह चूसने लगी, मेने उससे पूछा इससे पहले किस का लंड मूह में लिया है, वो बोली भोला को अछा लगता है मेरा लंड चूसना, वो फिर उसे चूसने लगी, मेने एक हाथ से उसका सर अपने लंड पे दबाया हुआ था और दूसरे हाथ से उसकी चुचि ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा, उसे दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आरहा था, उसने मेरा लंड पूरा का पूरा अंडर तक ले लिया था, अब मेने दोनो हाथों से उसका सर पकड़ा और लंड उसके मूह में अंडर तक घुसाने लगा, मुझे बड़ा मज़ा आरहा था, वो भी पूरा साथ दे रही थी, अब मेने उससे हटाया और खड़ा हो गया, और फिर उसके मूह की आगे लंड रख दिया, वो उसे चूसने लगी, और मेरे बॉल्स के साथ खेलने लगी, अब मेने उसका सर पकड़ा और उसका मूह चोदने लगा, वो मेरे बॉल्स को दबा रही थी और मेरा लंड अंडर तक ले रही थी, ओह्ह्ह दोस्तों कितना मज़ा आरहा था, उसके मुहह से ऊऊन्नह ऊओह की आवाज़ आरहि थी, फिर मेने अपनी रफ़्तारर बधाई और तेज़ी से उसके मूह को चोदने लगा, उसने अपना एक हाथ मेरी गांद पे रखा और उसे दबाने लगी, ऑश कितना सही ब्लो जॉब दे रही थी, फिर मेने उससे कहा के में झड़ने वाला हूँ, उसने लंड मूह से निकाला और कहा अंडर ही पानी निकाल दो और फिर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी, और साथ साथ मेरे लंड से मूठ भी मारने लगी, मेरे मूह से आवाज़ निकल गयी, ऑश पार्वती अयाया शाबश ऐसे ही चुस्स्स मेराअ लुंद्द्द्द्ड आआअहह मजाआ आअगेय्ाआ तुउउउ तो मस्सस्त लुंद्द्द्द्ड चुस्स्स्ती है रीई अयाया लीयी मेरिइई राणिीई मेराअ लुंदड़ड़ और अपनीई मुहह मीई लीयी अयाया, ओह्ह्ह में झाड़ने वलाआ हूँ,,, उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी, मेने उसका सर अपने हाथ में पकड़ा और उसके मूह में अपना पानी छोड़ दिया, ऑश मेरी रनीईइ ले मेराअ पाणिि पििई लीयी आआआः और में उसके सर को टाइट पकड़ के रखा और पिचकारी पे पिचकारी छोड़ता गया, उसका गला चोक हो गया था, फिर भी मेने नही छोड़ा और जब शांत हुआ तब मेने अपनी ग्रिप ढीली की और उसे छोड़ड़ दिया, वो मेरा सारा पानी पी गयी और जो मूह से बाहर आया उसे भी चाट लिया, उसकी शकल देख के लगता नही था के उसने कभी लंड चूसने की बात भी सुनी होगी, फिर भोला की आवाज़ आई, हम दोनो घबरा गये, उसने फॉरन अपने कपड़े पहने और बाहर देखने चली गयी, भोला काफ़ी दूर से ही चिल्लाता हुआ आरहा था, मेने भी अपने कपड़े ठीक किए और दूसरे रास्ते से घर की ओर बढ़ चला, हम दोनो ही निराश हुए के हमे चोदने का मौका नही मिला, और में अपना मॅन मारके घर आगेया, जब में घर पोह्चा देखा मा ताइजी और दीदी बैठ के बातें कर रहें थे, फिर मुझसे ताइजी ने पूछा कहाँ गया था मेने बताया ऐसे ही चक्कर मारने चला गया था, फिर कुछ देर बाद तीनो खाना बनाने में लग गये और में अपने रूम में जाके बैठ गया, जब खाना तैयार हुआ तो मुझे नीचे बुलाया और हम सब ने मिलके खाना खाया, में मा से नज़रे नही मिला पा रहा था, खाना खा के में अपने रूम में आगेया, ताइजी ताउजि की मालिश करने चली गयी, मा और दीदी घर के बाकी काम ख़तम करने में लग गये, कुछ देर बाद जब मा रूम में आई, तो वो पलंग पे आके बैठ गयी और इधेर उधेर की बातें करने लगी, वो बात करते हुए अपने पाँव दबा रही थी, मेने मा से पूछा के क्या बात है क्या पाँव दुख रहा है, वो बोली हां आज पाँव ज़रा दुख रहा है बेटा, मेने आछे मंन से उनसे पूछा के क्या में दबा दूं, वो बोली अगर तू थक ना गया हो तो, मेने कहा इसमे क्या थकने की बात, लाइए में दबा देता हूँ, मा पलंग पे लेट गयी और में उनके पाँव दबाने लगा, उन्हे अछा लग रहा था, में सारी के उपर से ही दबा रहा था, फिर मा सोगयि, और में उनके बगल में सो गया, मुझे नींद जल्दी आगाई,
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Re: मस्तानी ताई

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में खुश था के मा के प्रति ग़लत विचार अब मेरे मॅन में नही आरहे थे, रात में अचानक मेरी नींद खुल गयी, मेने देखा मा मेरे पास ही सोई है, मा ने सारी निकाल दी थी और वो सिर्फ़ पेटिकोट ओर ब्लाउस में सो रही थी, और उनका पेटिकोट घुटनो तक आगेया था, में उठा और बाथरूम चले गया, मेरे दिमाग़ में मा को लेके फिर से कामुक विचार आने लगे थे, मेने बोहत कोशिश की पर अपने आप को उनके बारे में सोचने से रोक नही पाया, में फिर से अपने बिस्तर पे आया और सोने का प्रयास करने लगा, पर में अपने मंन पे काबू ना पा सका, फिर मेने मा को छुने का सोचा, मेने अपने काँपते हुए हाथ मा के हाथ पे रखे, मुझे बोहत डर भी लग रहा था और यह सब करने में एक मज़ा भी आरहा था, मा मेरी तरफ पीठ कर के सो रही थी, मा के कोई हरकत ना दिखाने पे मेने मा के हाथ पे अपने हाथ हल्के से घुमाने लगा, ओह्ह कितना मज़ा आरहा था, मेरा लंड पॅंट में टाइट हुआ जा रहा था, फिर मेने अपना हाथ उनके हाथ से हटाके उनकी पीठ पे रख दिया, उनकी पीठ का स्पर्श बड़ा ही सुखदायी था, में अपना हाथ उनकी पीठ पे घुमा रहा था, और उनकी कमर पे भी घुमा रहा था, मेरे अंडर का शैतान सिर्फ़ अपनी वासना की भूक मिटाना जानता था, अब मुझे इस बात की भी परवाह नही थी के वो भूक में अपनी मा को च्छू के बुझा रहा हूँ, मेने धीरे धीरे अपने आप को उनसे सटा दिया, अब मा की गांद मेरे लंड से हल्का हल्का टच हो रही थी, और मेरा हाथ उनकी कोमल पीठ के स्परश का आनंद ले रहा था, मा ने कोई भी हरकत नही की और मेने अपने लंड को मा की गांद से थोड़ा और सटा दिया, अब उनके चूतड़ की गर्मी मुझे अपने लंड पे महसूस हो रही थी, और मेरा लंड उनकी गांद की दरार में फँस रहा था, अब मेने अपना हाथ उनकी कमर और चूतड़ के एरिया पे रख दिया और उनके चूतड़ को हल्के हल्के सहलाने लगा, और साथ साथ कोई हरकत ना होने पे उनकी गांद में अपना लंड भी दबाए जा रहा था, में धीरे धीरे अपना हाथ उनकी झंघों पे घुमाने लगा, मा कोई भी हरकत नही कर रही थी, तो मेने उनका पेटिकोट उपर उठाना शुरू कर दिया, ओह दोस्तों मुझे इतना मज़ा कभी नही आया, मेरा लंड मा की मोटी मुन्सल गांद में फँसा हुआ, मेरे हाथ उनकी झंघों को फील कर रहे थे, और में अपने आप को सातवे आसमान पे पा रहा था, मेने धीरे धीरे मा का पेटिकोट कमर तक उठा दिया था, ऑश कितना मज़ा आरहा था उनकी चिकनी झंघों पे हाथ घुमाने में, मा बिल्कुल नही हिल रही थी और ना ही कोई रिक्षन दे रहे ही, और में इस बात का पूरा फयडा उठा रहा था, मेने धीरे धीरे हाथ मा की पॅंटी तक पोह्चा दिया, और जैसे ही मेरा हाथ उनकी पॅंटी से टच हुआ मेरे शरीर में जैसे बिजली सी दौड़ गयी और मेरा शायद प्रेकुं च्छुत गया, मुझे अपनी पंत में गीला पं महसूस हो रहा था, मेने अपने आप को मया से और चिपका लिया अब मेरे पेट का हिस्सा और मा की पीठ जुड़ चुकी थी, मा की चूत का स्पर्श पॅंटी के उपर से बड़ा मजेदार थी, मा की चूत फूली हुई थी और मोटी थी, में हल्के हल्के मा की चूत भी दबा रहा था, ओह क्या बताउ दोस्तों कितना मज़ा आरहा था, मेने मा की चूत को पॅंटी हटा के महसूस करने का सोचा तभी मा ने करवट बदली, मेरी तो साँसे रुक गयी और में सोने का नाटक करने लगा और मुझे पता ही नही चला के मुझे कब डर के मारे नींद आगाई, सुबेह जब उठा तो देखा मा नही थी, में फॉरन फ्रेश हुआ और नीचे आगेया, मा और ताइजी और दीदी बैठ के बात कर रहे थे, मुझे देख के मा ने कहा उठ गया बेटा, उन्होने दीदी से कहा, सुजाता बेटा इसके लिए चाइ नाश्ता ले आओ, दीदी वहाँ से किचन में चली गयी, और अब में मा और ताइजी बैठे थे, मा के व्यवहार में कोई फरक ना देख के मेरी जान में जान आई, फिर मेरी नज़र ताइजी पे पड़ी, वो उस वक़्त पाँव मोड बैठी हुई थी और उनकी सारी घुटनो तक उँची हो चुकी थी, उनकी गोरी टांगे देख के मुझे उन्हे चोदने का मॅन कर रहा था, उन्होने मुझे उनकी टाँगो की ओर देखते हुए देख लिया था, उन्होने मुझे एक नॉटी स्माइल दी और अपनी टाँग ढकने के बजाय थोड़ी और खोल दी अब ताइजी की जाँघ का नज़ारा सॉफ था, मेरा लंड पॅंट में खड़ा हो रहा था, ताइजी इस स्तिति का भरपूर फयडा उठा रही थी और मुझे और ललचा रही थी, इतने में दीदी चाइ लेके आ गयी, जैसे ही वो मुझे चाइ दे रही थी, और में चाइ का कप उनके हाथ से लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया में देखता ही रह गया, दीदी के झुकने की वजह से उनकी चुचियाँ सॉफ दिख रही थी, उन्होने काले रंग की ब्रा पहनी थी और उनकी चुचियाँ बड़ी बड़ी थी, में सोच रहा था, के मेरा यहाँ आना ही ग़लत हो गया, क्यूंकी पहले ताइजी फिर मा फिर पार्वती और अब दीदी को भी में वासना भरी नज़र से देखने लगा था, और में अपने आप को चाइ पीते पीते कोस रहा था, तभी ताइजी ने कहा चल बेटा चाइ पी ली हो तो ज़रा खेतों में चक्कर लगा के आजाएँ, मेने कहा ठीक है, इतने में मा ने भी कहा के में भी आती हूँ, ताइजी के चेहरे पे तो मायूसी आगाई और मेरे भी, खैर हम तीनो खेतों की ओर चल दिए,
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कुछ ही देर में पंप हाउस आगेया, वहाँ पार्वती और भोला दोनो थे, उन्होने हमे देख के प्रणाम किया, फिर ताइजी ने उससे पूछा के सबके पैसे आगाये, उस ने कहा मालिकन सिर्फ़ 2 लोगो के बाकी है, उन्होने आज देने का वादा किया है, फिर ताइजी ने उससे कहा के जाओ अभी लेके आओ, वो ताइजी की बात ख़तम होते ही निकल गया, मा ने ताइजी से कहा के मुझे आप हमारे आम के बाग दिखाओ ना, तो ताइजी ने कहा चलिए, में वहीं बैठा था, तो ताइजी ने कहा तुम नही चलोगे बेटा, मेने कहा नही में यहीं ठीक हूँ आप हो आइए, और फिर वो दोनो आम के बगीचे की तरफ चल दिए, जैसे ही वो थोड़ा दूर पोहच् गये में पंप हाउस के अंडर चला गया, वहाँ पार्वती खाना बना रही थी, वो रोटियाँ सेक रही थी, उसने मुझे देखा नही था, मेने उससे कहा कभी हमे भी रोटियाँ सेकने का मौका दे दो, वो पीछे पलटी और मुझे देख के एक कातिल मुस्कान दी, कहने लगी के सेक लेना साहेब रोका किसने है, मा ताइजी और दीदी को देखने के बाद में चोदाइ के लिए तड़प रहा था, मेने पार्वती का हाथ पकड़कर उसे खड़ा कर दिया, और अपनी बाहों में ले लिया और इससे पहले के वो कुछ बोलती में अपने होंठ उसके होंठ पे रख दिए, वो समझ गयी के आज में बोहत जोश में हूँ, वो देहाती थी पर किस करना उसे अछी तरह आता था, उसने मेरा भरपूर साथ दिया, और अपनी जीभ मेरे मूह में डालके उसे मेरे मूह में घुमाने लगी, में ब्लाउस के उपर से उसकी चुचियों को मसल रहा था, वो भी पागलों की तरह मेरा साथ दे रही थी, फिर मेने बिना देर किए उसे दीवार से सटा दिया और चूमते हुए ही उसकी सारी उपर करने लगा, जैसे ही सारी कमर तक आई, मेने देखा उसने पॅंटी नही पहनी थी और उसकी चूत पे काफ़ी बाल थे, मेने उससे पूछा के पॅंटी क्यूँ नही पहनी वो बोली ऐसे ही अछा लगता है, मेने उससे कहा के चूत के बाल सॉफ रखा करो और मुझे बालों वाली चूत पसंद नही वो बोली अगली बार नही मिलेंगे, फिर में ज़रा सा झुका लंड उसकी चूत के सामने आया, मेने पूरी तेज़ी के साथ लंड उसकी चूत में पेल दिया, आधा ही गया था और मेरी और उसकी जान निकल गयी, उसकी चूत बोहत टाइट थी, और मेरा लंड मुश्किल से आधा अंडर गया, वो कहने लगी साहेब निकाल लो बोहत दर्द हो रहा है, मेने अपना लंड पूरा बाहर निकाला उसकी जान में जान आई, मेने फिर पूरी तेज़ी से लंड उसकी चूत में डाल दिया, उसकी चीख निकल गयी, ओह साआहेबब्ब्ब्ब्बबब क्याआआआ कार्रर्ररर दियाआआआ उउउउउउईईईईई माआआअ मररर्र्र्र्ररर गौईईईई बाहर्र्र्ररर निकाल्लूऊ साहेबब्ब्ब्ब्बबब, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था, और सच बताउ दोस्तों उसकी चूत किसी कुँवारी लड़की जैसी थी, जिसे कभी किसीने चोदा नही हो, मेने उससे पूछा के भोला का लंड छोटा है क्या, वो बोली हाआनन्न साअह्हीएब्ब, उसस्स्काअ लुंद्ड़द्ड बोहत्त्त्त छोटाआ, वो बुरी तरह हाँफ रही थी और अब धीरे धीरे उसको मज़ा आने लगा था,
क्रमशः................

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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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rajsharma
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Re: मस्तानी ताई

Post by rajsharma »

gataank se aage...............

Phir apne sharer ki pyaas bujha ke mein aur taiji ghar ki ore chal pade, ghar ja ke dekha to maa aur didi humara khane ke liye intzar kar rahi thi, hum wahan pohche haath muh dhoya aur khana khane baith gaye, khana khane ke baad mujhe badi neend aarahi thi, mein apne room mein sone chale gaya, aur bistar pe jake let gaya, mein taiji ki gaand maarne ke khayal se hi betaab hua ja raha tha, mera lund phir se khada ho gaya, mein usse pant ke upar se sehlane laga, ab mein taiji ki gaand chatne ke liye aur maarne ke liye tadap raha tha, meine apna lund bahar nikala aur usse sehlane laga, mujhe phir kisi ke aane ki aawaj aayi to meine turant apna lund under kiya, aur sone ka naatak karne laga, dekha to maa aayi thi room mein, unhone mujhe aawaaj di beta so gaya kya, meine neend mein hone ka bahana karte hua kaha, kaho maa kya baat hai, woh boli kuch nahi dekh rahi thi ke soya ke nahi, mein palang pe soya tha, aur maa neeche chataai biccha ke let gayi, woh lete lete puchne lagi, ke beta tujhe yahan acha lagta hai ke nahi, meine aise dikhaya ke mein yahan unke aur papa ke kehne se ruka hun aur mujhe yahan rukne mein koi interest nahi hai, mein aur maa ek dusre ko dekhe bina hi baat kar rahe the, tabhi meine side ki karwat li aur maa ki taraf muda, aur jaise hi muda mein unhe dekhta hi reh gaya, maa ka pallu sarak gaya tha, aur unke bade bade boobs blouse se bahar aane ke liye tadap rahe the, mujhe ek pal ke liye samajh hi nahi aaya ke kya ho raha hai, mujhe bada ajeeb laga aur apne aap pe gussa bhi aaya ke mein apni hi maa ke boobs dekh raha hun, khair mein phir seedha hoke so gaya aur sochne laga ke kis tarah se meri zindegi puri tarah badal gayi hai gaon aate hi, aur ab mujhe chodne ke siway aur kuch nahi sujh raha hai, pehle to apni taiji aur aaj apni maa ke boobs bhi dekh liye, maa in sab baton se anjaan thi aur waise hi lete hue mujhse baat kar rahi thi, meine bohat koshih ki par apna dhyan maa ke boobs se nahi hata paya, isi kashmash mein mere aankh lag gayi, phir kuch der baad jab room mein aawaj hui to meri aankh khul gayi, maa apne bag mein saaman nikal kar cupboard mein rakh rahi thi, maa ki peeth meri taraf thi, mein maa ki taraf gaur se dekha to paya ke maa ka sharer gathila tha, aur woh taiji se jyada fit bhi thi, maa ki gaand gol aur bhari hui thi aur chuchiyan bhi badi badi thi, woh apne kaam mein lagi hui thi aur mein unki gaand ka najara kar raha tha, mujhe bohat ajeeb bhi lag raha tha aur doosri taraf aisa karne se maja bhi aaraha tha, mein apne aap ko maa ki taraf dekhne se rok nahi paya isiliye mein wahan se bahar chale gaya, meine mehsus kiya ke in sab khayalon se mera lund khada ho raha tha, meine neeche aate hi taiji ko dhunda, par woh kahin gayi hui thi, mein kheton ki taraf nikal pada taki apna dhyan maa ki ore se hata sakun, chalte chalte mein pump house tak pohch gaya, meine dekha ke parvati kapde dho rahi hai, mein wahin khada ho ke dekhne laga, usne ab tak mujhe nahi dekha tha, mein usse dekhne laga, usne apni saree ghutno ke upar tak utha rakhi thi aur palla bhi thik nahi tha, woh dikhne mein itni sunder nahi thi aur thodi patli bhi thi, gaand aur chuchiyan bhi maa aur taiji jitni nahi thi, mein itna chut ka pagal ho gaya tha ke mujhe thik si dekhne wali kaamwali ki bhi chut chahiye thi, kuch din pehle Mumbai mein achi achi ladkiyan chodd di thi aur ab yahan sala gaon ki kaamwali bhi mast lag rahi thi, mein kuch der khada hoke dekhne laga uska colour sawla tha, woh jab bhi kapdo pe dhoka maarti to uski gaand piche se unchi ho jati, aur uske chuchiyan ghutno se dab ke bahar aane ki koshish karti thi, mera bada bura haal tha, mujhe chut kisi bhi keemat pe chahiye thi, meine kuch awaaj ki, to uska dhyan meri taraf gaya, usne mujhe Namaste kiya aur apna kaam karne lagi, mere wahan hone pe bhi usne apne kapde thik nahi kiye, waise ek baat bataun doston gaon ki auratein badi tej hoti hai, mein bhi besharam hoke wahin uske aage khada hogaya aur yahan wahan dekhne laga, ab mein uske saamne khada hua tha to uski jhaanghon ke beech ka hissa bhi dikh raha tha,

usne shayad safed rang ki panty pehni thi, usne mujhe apni chut ki taraf dekh te dekh liya tha, par usne koi reaction nahi diya aur apna kaam karne lagi, mera mann kar raha tha saali ko wahin kapde dhote hue hi chod dun, meine usse pucha ke bhola kahan hai to woh kehne lagi ke woh kisi kaam se bahar gaye hain shaam tak aajayenge, usne kaha saheb aap din mein itni dhoop mein bahar kyun aaye, meine kaha aise hi, woh boli aap under room mein jake baithiye mein paani lati hun, mein under chale gaya, aur khaat pe baith gaya, kuch der baad parvati under aayi aur matke mein se glass pani bhar ke mujhe diya, jab woh mere saamne glass de rahi thi to meine dekha uske blouse ke beech ke 2 hook tute hue hai aur uski safed rang ki bra bhi dikh rahi thi aur thoda hissa chuchi ka bhi dikh raha tha, pallu thik na hone ki wajah se to pehle hi uske chuchi ki lakeer dikh rahi thi, ab yeh dekh mera lund pant mein uchhal ne laga, meine socha kyun na iske upar hi haath saaf kar liya jaye, meine usse kaha ke tumhara kaam ho gaya woh boli haan saheb hogaya hai bas kapde sukhane hain, usne pucha koi kaam hai kya meine kaha haan, to woh boli mein kapde sukha ke aati hun, mein khaat pe let gaya aur uske aane ka intzar karne laga, woh mujhe uske maalik ki tarah hi treat kar rahi thi, kuch der baad woh kapde sukha ke aayi to usne pucha kya kaam hai saheb, meine uske taraf dekha aur kaha tum to puri gili ho chuki ho, woh kehne lagi haan saheb woh dhule hue kapde kandhe pe rakhe to thoda paani gir gaya, meine kaha mere paanv bohat dard kar rahe hain jara daba do, woh boli saheb aap jawan aadmi ho aur bhola bhi ghar pe nahi hai, agar kisi ne dekh liya to bina baat ke badnaami ho jayegi, meine kaha bhola tum keh rahi ho shaam ko aayega to kis baat ki chinta hai, chalo dabao paanv woh boli thik hai, ab woh mere paanv ke pass aake neeche baith gayi aur mere paanv dabane lagi, uske haath shayad kaam karne ki wajah se sakht ho gaye the, mujhe uske haath ka sparsh acha lag raha tha, meine baton baton mein usse kaha tumhare haath mein to bohat dum hai, woh boli saheb kaam bohat ho jata hai isi wajah se aise ho gaye hain, woh mere ghutno ke neeche ka hissa hi daba rahi thi, aur ab woh jab jhukti to uske chuchiyan mujhe saaf najar aati, meine usse kaha jara upar bhi daba do, woh neeche baithe hi ghutno ke upar dabane lagi mujhe usme maja nahi aaraha tha, meine usse kaha tum khaat per baith kar dabao aise ache se nahi daba pa rahi ho, woh kuch boli nahi aur khaat pe aake baith gayi, meine socha kyun na isse seduce kiya jaye, meine usse pucha ke shaadi ko kitna samay hogaya woh boli 4 saal, meine kaha to tumhare bacche kahan hai, to uski aankhon mein aansun aagaye, mein samajh gaya ke baat kya hai, woh kehne lagi ke usse baccha nahi ho pa raha hai, aur sab log usse banjh keh ke bulate hain, usse yeh nahi pata tha ke kis ki wajah se nahi horaha hai, matlab bhola ki wajah se yan uski wajah se, meine kaha to kya tumne doctor se jaanch karwayi to usne kaha nahi, par usse lagta tha ke uski wajah se hi baccha naho pa raha hai, phir meine usse kaha ke tum doctor se jaanch karwao pata chal jayega ke tum sach mein banjh ho ke bhola mein taklif hai, woh boli usse iss jaanch ke bare mein kuch nahi pata, meine kaha mujhe malum hai, woh boli agar aap meri jaanch doctor se karwa de to bohat meherbani hogi, meine kaha uske liye sheher jana hoga aur paise bhi lagenge, woh boli saheb mere pass paise to nahi hai, meine kaha woh mein de dunga par uske badle mein mujhe kya milega, woh boli saheb mein garib hun aap ko paise kahan se de sakti hun, meine kaha paise kaun maang raha hai, aur meine himmat kar ke keh diya ke mujhe to tum mein interest hai, woh sun ke ek dum chauk gayi aur meri taraf dekhne lagi, meine kaha kya hua, woh boli aapko sharam nahi aati mujhse iss tarike ki baatein karte hue, meine kaha soch lo, ilaaj ke paise to dunga uske ilawa aur bhi paise dunga, woh kuch der sochne lagi aur kehne lagi, ke apne aap ko banjh na saabit karne ke liye mein kisi bhi kaam ke liye taiyaar hun, phir kya tha meri lottery nikal gayi, meine uska haath pakad liya woh kuch nahi boli aur sharmane lagi, mein khaat pe baith gaya, aur woh mere saamne khadi ho gayi, meine uske haath ko masla aur phir apna ek haath uski chuchi pe le gaya aur usse saree ke upar se dabane laga, ohhh uske boobs bade sakht the, aur unhe apne haathon mein bharne mein bada maja aaraha tha, woh bhi kasmasa rahi thi, aur apne honthon ko daaton tale daba rahi thi, mujhe bada armaan tha ke mein kisi ke saath rough chudaai karu par aaj tak mera woh armaan pura nahi hua tha, par parvati ke haan kahne pe mera woh armaan pura hota dikh raha tha, phir meine apne dono haathon se uski chuchiyan dabane laga aur uska pallu hata ke side mein kar diya, ab meine uske blouse ke hook kholna shuru kar diya, woh bhi mast hue ja rahi thi, meine dheere dheere uske saare blouse ke hook khol diya aur phir bra ke upar se uski chuchi dabane laga, woh bhi mast ho rahi thi, ohh saheeebbb kyaaaa karr rahhe hoooo puuuree taaan meinnn hulchullll si hooo rahiii haiii, ab meine uski bra ko uncha kar diya aur uske boobs neeche se bahar aagaye, meine dekha ke uske boobs bade to nahi the par tight the, aur nipple ek dum kadak ho chukka tha, meine uska haath pakda aur usse niche bitha diya aur apna lund apni pant se bahar nikala aur uske muh ke saamne rakh diya, woh samajh gayi ke kya karna hai, usne mere lund ko apne haathon mein liya aur phir uska topa apne muh mein liya aur usse lollipop ki tarah chusne lagi, meine usse pucha isse pehle kis ka lund muh mein liya hai, woh boli bhola ko acha lagta hai mera lund chusna, woh phir usse chusne lagi, meine ek haath se uska sar apne lund pe dabaya hua tha aur dusre haath se uski chuchi jor jor se masalne laga, usse dard bhi ho raha tha aur maja bhi aaraha tha, usne mera lund pura ka pura under tak le liya tha, ab meine dono haathon se uska sar pakda aur lund uske muh mein under tak ghusane laga, mujhe bada maja aaraha tha, woh bhi pura saath de rahi thi, ab meine usse hataya aur khada ho gaya, aur phir uske muh kea age lund rakh diya, woh usse chusne lagi, aur mere balls ke saath khelne lagi, ab meine uska sar pakda aur uska muh chodne laga, woh mere balls ko daba rahi thi aur mera lund under tak le rahi thi, ohhh doston kitna maja aaraha tha, uske muhh se oooonnhhhh ooohhhh ki awaaj aarahi thi, phir meine apni raftarr badayi aur teji se uske muh ko chodne laga, usne apna ek haath meri gaand pe rakha aur usse dabane lagi, ohhh kitna sahi blow job de rahi thi, phir meine usse kaha ke mein jhadne wala hun, usne lund muh se nikala aur kaha under hi pani nikal do aur phir jor jor se chusne lagi, aur saath saath mere lund se muth bhi maarne lagi, mere muh se awaaj nikal gayi, ohhhh parvati aaaah shaabsh aaise hi chusss meraaa lunddddd aaaaahhhh majaaaa aaagayaaaa tuuuu to massst lunddddd chussstii hai reeee aaaah leee meriiiii raniiiii meraaa lunddd aur apneeee muhhhh meeee leee aaaah, ohhh mein jhaadne walaaaa hun,,, usne apni speed aur bada di, aur jor jor se chusne lagi, meine uska sar apne haath mein pakda aur uske muh mein apna paaani chod diya, ohhhh meri raniiiii le meraaa paniii piii leee aaaaah aur mein uske sar ko tight pakad ke rakha aur pichkari pe pichkari chodta gaya, uska gala choke ho gaya tha, phir bhi meine nahi choda aur jab shant hua tab meine apne grip dheeli ki aur usse chodd diya, woh mera saara pani pi gayi aur jo muh se bahar aaya usse bhi chaat liya, uske shakal dekh ke lagta nahi tha ke usne kabhi lund chusne ki baat bhi suni hogi, phir bhola ki awaaj aayi, hum dono ghabra gaye, usne foran apne kapde pehne aur bahar dekhne chali gayi, bhola kaafi dur se hi chilata hua aaraha tha, meine bhi apne kapde thik kiye aur doosre raste se ghar ki ore bad chala, hum dono hi niraash hue ke hume chodne ka mauka nahi mila, aur mein apna mann maarke ghar aagaya, jab mein ghar pohcha dekha maa taiji aur didi baith ke baatein kar rahein the, phir mujhse taiji ne pucha kahan gaya tha meine bataya aise hi chakkar maarne chala gaya tha, phir kuch der baad teeno khana banane mein lag gaye aur mein apne room mein jake baith gaya, jab khana taiyaar hua to mujhe neeche bulaya aur hum sab ne milke khana khaya, mein maa se najre nahi mila pa raha tha, khana kha ke mein apne room mein aagaya, taiji tauji ki maalish karne chali gayi, maa aur didi ghar ke baki kaam khatam karne mein lag gaye, kuch der baad jab maa room mein aayi, to woh palang pe aake baith gayi aur idher udher ki baatein karne lagi, woh baat karte hue apne paanv daba rahi thi, meine maa se pucha ke kya baat hai kya paanv dukh raha hai, woh boli haan aaj paanv jara dukh raha hai beta, meine ache mann se unse pucha ke kya mein daba dun, woh boli agar tu thak na gaya ho to, meine kaha isme kya thakne ki baat, layiye mein daba deta hun, maa palang pe let gayi aur mein unke paanv dabane laga, unhe acha lag raha tha, mein saree ke upar se hi daba raha tha, phir maa sogayi, aur mein unke bagal mein so gaya, mujhe neend jaldi aagayi,
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मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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