उधर गोरी लड़की मेरे लण्ड पर उछल रही थी। उसके मम्मे गेंद की तरह उछल रहे थे और वह दोनों हाथों से अपने मम्मे पकड़ रखी थी। वह काफी देर तक मेरे लण्ड पर उछलती रही लेकिन मैं झड़ा नहीं था। बल्की मुझे तो लगता ही नहीं था कि मेरा लण्ड उसकी चूत में जा रहा था। मेरा लण्ड एकदम सुन्न हो चुका था। शायद वह तेल इसीलिए लगाया था कि मैं देर तक चारों को चोद सकें।
थोड़ी ही देर में अंजली की आहें तेज हो गईं। मैंने चाट-चाटकर उसे झड़ा दिया। वह मेरे मुँह पर ही झटके लेने लगी। वह मस्ती में अपने हाथों से अपने मम्मे दबाती रही और आआआ... उम्म्म्म ... करती हुई अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ती रही। उसने मेरा पूरा मुँह गंदा कर दिया था।
अब गोरी वाली लड़की भी तेज-तेज उछलने लगी। वह भी झड़ने वाली थी, और एक जोरदार आह्ह्ह... के साथ वह भी झड़ गई, उसकी गति कम हो गई। उसका पूरा बदन झटके ले रहा था। मैं दो लड़कियों को झड़ा चुका था। अब गोरी लड़की बिस्तर से उतर गई। लेकिन अंजली नहीं उतरी।
अंजली मेरे लण्ड पर बैठने लगी। अंजली की चूत टाइट थी। जब वह अंदर ले रही थी तब उसकी चीख निकल रही थी, और बड़ी मुश्किल से उसने मेरा लण्ड अन्दर लिया। वह कुछ देर ऐसे ही मेरा लण्ड अन्दर लिए बैठी रही। फिर उसने हिलना शुरू किया। उसके मम्मे भी उसके उछलने के साथ-साथ हिलने लगे। वह भी दोनों हाथों से उन्हें पकड़ने लगी। अंजली अब मेरे ऊपर झुक गई। वह मुझे चोदने लगी और अपने कूल्हे उछाल-उछालकर अपनी चूत को मेरे लण्ड पर मारने लगी। वह बुरी तरह मुझे किस कर रही थी। उसकी चूत का पानी जो मेरे होंठों पर लगा था वह अब उसके होठों पर था, और वह उसे जीभ से चाटने लगी।
फिर अंजली मेरे लण्ड से उतर गई और बेड के पीछे जाकर मेरे हाथ खोले। वह बिस्तर पकड़कर झुक गई और मुझे पीछे से चोदने को कहा। मेरे हाथ बंधे थे। मैं अंजली के पीछे गया और गोरी वाली लड़की ने मेरे लण्ड को पकड़कर अंजली के पीछे वाले छेद पर रख दिया और मुझे झटके मारने को कहा। मैंने जैसे ही झटका मारा अंजली चिल्ला उठी। उसकी चीख पूरे कमरे में गूंज गई। मैंने तुरंत अपना लण्ड निकाल लिया।
अंजली ने चैन की सांस ली और पीछे मुड़कर मुझे एक थप्पड़ मारा। उसने मुझे पीछे वाले छेद में डालने की वजह से मारा था।
मैंने कहा- “मेरे तो हाथ बंधे हैं मुझे तो उसने कहा था अंदर डालने को..."
फिर अंजली ने गोरी वाली लड़की को घूरकर देखा और बोली- “यह क्या हरकत थी? तुम्हें पता है मुझे कितना दर्द हुआ?”
गोरी वाली लड़की सारी कहने लगी।
फिर अंजली फिर से झुक गई और गोरी लड़की ने इस बार मेरा लण्ड चूत पर रखा। मैंने झटका नहीं मारा बल्की धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। अंजली फिर से आहें भरने लगी। मैंने धीरे-धीरे गति बढ़ा दिया। अब अंजली पागल होने लगी। उसने बेड की चादर को जोर से पकड़ रखा था। जैसे वह तड़प रही हो। अंजली कुछ ही देर में फिर झटके लेने लगी। उसके मुँह से आह्ह्ह... ओह्ह्ह... निकलने लगी। मैंने गति दी, और अंजली का शरीर अकड़ने लगा। वह थोड़ी ही देर में ठंडी आहें भरने लगी और उसका शरीर ढीला पड़ गया।
Hindi Sex Stories By raj sharma
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
अंजली बेड पर इसी तरह झुकी रही, और मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। मैं दो लड़कियों को चोद चुका था। लेकिन मेरा लण्ड पहले से अधिक अकड़ चुका था। मैं झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अब बाकी की दो लड़कियों की बारी थी। इन दोनों ने मुझे सोफे के पास बुलाया और मैं चला गया।
वो दोनों चुदाई के लिए तैयार थीं। उन्होंने आपस में प्यार करके एक दूसरे को इतना बेचैन कर लिया था कि बस अब उनको लण्ड की जरूरत थी। मैं सोफे के पास गया तो एक लड़की सोफे पर बैठ गई और उसने अपने पैर हवा में उठा लिये तो उसकी चूत मेरे सामने थी और वह मुझे चोदने का कह रही थी। मैं उसकी टांगों के बीच गया और दूसरी लड़की ने मेरा लण्ड पकड़कर उसके छेद पर रखा।
अंजली को थप्पड़ मुझे याद था। इसीलिए धीरे-धीरे डालने लगा। लेकिन दूसरी एक लड़की खड़ी हो गई और मेरे पीछे से मुझे धक्का मारा तो मेरा पूरा लण्ड उसके अंदर चला गया।
वो चिल्ला उठी- “आआआ... कमीने, बेगैरत, इतनी जोर से डाल दिया... आआआ...”
मैंने भी कहा- “मैंने कुछ नहीं किया, इस लड़की ने मुझे मारा...”
यह सुनकर दूसरी लड़की ने मुझे पीछे से कमर पर मारा और बोली- “चल झटके मार..."
मैं तुरंत हिलने लग गया। सोफे वाली लड़की आहें लेने लगी- “उफफ्फ... ओफफ्फ... साले, मेरी चूत फाड़ डाली। इतना मोटा लण्ड है तेरा। उफफ्फ... उम्म्म..." वह आहें और सिसकियां ले रही थी और मैं लगातार झटके मारे जा रहा था।
इतने में मेरे पीछे वाली भी सोफे पर अपनी टाँगें उठाकर बैठ गई और मुझसे कहा- “अब मुझे चोदो...”
मैंने लण्ड निकालकर उसकी चूत में डाल दिया। लण्ड एक ही झटके में पूरा अन्दर चला गया और लड़की की एक आह्ह..नहीं निकली। उसने अपने हाथ मेरी कमर में डाले और मुझे अपने पास खींचा तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। वह मेरा लण्ड अंदर लेकर अपनी चूत को घुमाने लगी। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। मैं भी और अंदर करने लगा। अब मेरी चिंता बढ़ गई थी। मैंने उसके हाथ हटाए और जोर-जोर से झटके मारने लगा। इतनी जोर से झटके मार रहा था कि सोफे के स्प्रिंग के कारण वह लड़की उछल रही थी।
कुछ ही देर में मेरे मुँह से एक जोरदार आह... निकली- “आह्ह्ह...” और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। मेरा पानी कंडोम में भर गया। लेकिन मेरा लण्ड वैसे ही खड़ा था। मैं झड़ने के बाद भी झटके मारता रहा। मेरा शरीर तो ढीला पड़ रहा था लेकिन लण्ड अभी भी अकड़ा हुआ था, और मैं चोदता रहा। कुछ ही देर में वह लड़की भी झड़ गई।
अब बराबर वाली लड़की की बारी थी। मैंने कंडोम बदलने को कहा तो उसने यह वाला उतारकर दूसरे पहना दिया। अब मैं उसे चोदने लगा। उसकी चूत सबसे टाइट थी। इसीलिये उसे दर्द हो रहा था। शायद यह लड़की अभी तक नहीं चुदवायी थी। मैं अपनी गति से उसे चोदता रहा।
उसके मुँह से आहों के साथ चीखें भी निकल रही थीं- “ओहह... चोदो मुझे, चोदो मुझे... बास्टई..." वह बाकी लड़कियों से अधिक सेक्सी थी जिसकी आवाज मुझे फिर से मदहोश कर रही थीं। अब यह भी झड़ने करीब थी, और कुछ ही देर में झटके लेते हुए यह भी झड़ गई। उसका शरीर ढीला पड़ गया। वह मस्ती में अपने मम्मे दबाने लगी।
मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया। अब मैं चारों को खुश कर चुका था। मैं अभी जाना चाहता था। मुझे दो घंटे हो गए थे। मेरा बास मुझे फोन कर रहा होगा लेकिन मेरा मोबाइल दूसरे कमरे में था जहां मेरे कपड़े उतरे थे।
मैंने अंजली से कहा- “मुझे जाने दो प्लीज...”
अंजली ने कहा- “एक शर्त पे यहाँ से जा सकते हो? अगर इस बात का जिक्र किसी से किया तो अपनी जान से हाथ धो बैठोगा, और अगली बार जब भी पिज्जा आर्डर करेंगे, तुम ही डेलिवरी लाना...”
मैंने इस समय तो अंजली की सारी बातें मान ली तो एक लड़की ने मेरे कपड़े ला दिये, दूसरी ने मेरे हाथ खोले। मैं तैयार होने लगा लेकिन पैंट नहीं पहन सका। मेरा लण्ड अकड़ा हुआ था, जो पैंट में नहीं जा रहा था।
अंजली मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर फिर से बेड के पास ले गई। वे बेड पर झुक गई और बोली- “अब वहाँ डालो जहां पहले डाला था...”
मैं समझा नहीं तो उसने मेरा लण्ड पकड़कर पीछे वाले छेद पर रखा। उसने मुझे कंडोम उतारने को कहा। मैंने कंडोम उतारा और लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर रखकर अन्दर करने लगा। छेद बहुत सख्त था, वह मेरे लण्ड को भींच रहा था। धीरे-धीरे पूरा अन्दर चला गया। अंजली की तो जैसे सांसें रुक रही थीं। वह दर्द को सहन कर रही थी।
अब मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। अंजली दर्द से कराह रही थी। शायद अंजली को मजे से अधिक दर्द हो । रहा था। कुछ देर अंदर-बाहर करने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने अपनी गति बढ़ा दी। अंजली अब आराम में आ चुकी थी। वह भी मेरी तेजी से मजा कर रही थी। मैंने अचानक अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरा सारा पानी अंजली के चूतड़ों पर चला गया। अंजली की साँसें तेज-तेज चल रही थी।
अंजली बेड पर झुकी-झुकी लेट गई। अब मेरा लण्ड भी अकड़ने लगा था। मैंने तौलिये से अंजली के कूल्हे साफ किए और तैयार हो गया। मैंने अंजली से अब जाने के लिए कहा तो उसने भी कपड़े पहन लिये और मेरे साथ बाहर आ गई। बाकी की लड़कियां भी कपड़े पहनकर मेरे साथ दरवाजे तक आईं। अंजली ने मुझे अपना नंबर दिया कि अगर कभी यहाँ से गुजरना हो या हम चारों का आनंद फिर से लूटना हो तो आ जाना।
मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और दुकान के लिये निकल पड़ा। रास्ते भर मेरी नजरों के सामने इन चारों का नंगा बदन आ रहा था। मुझे इस बात की जरा भी चिंता नहीं थी कि दुकान पर पहुँचकर मेरा क्या हाल होगा? मैं दुकान पहुँचा तो मालिक का पारा सिर पर था। वह मुझपर चीखने चिल्लाने लगा और मेरे लेट आने का कारण पूछे बिना मुझसे बाइक की चाबी ली और मुझे नौकरी से निकाल दिया।
मैं अपना सामaन लेकर वहां से चल दिया लेकिन नौकरी का गम मुझे दुखी नहीं कर रहा था। मुझे तो बस इन चारों का नंगा बदन मेरी नजरों के सामने घूमता नजर आ रहा था।
***** समाप्त ***
अब बाकी की दो लड़कियों की बारी थी। इन दोनों ने मुझे सोफे के पास बुलाया और मैं चला गया।
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अंजली को थप्पड़ मुझे याद था। इसीलिए धीरे-धीरे डालने लगा। लेकिन दूसरी एक लड़की खड़ी हो गई और मेरे पीछे से मुझे धक्का मारा तो मेरा पूरा लण्ड उसके अंदर चला गया।
वो चिल्ला उठी- “आआआ... कमीने, बेगैरत, इतनी जोर से डाल दिया... आआआ...”
मैंने भी कहा- “मैंने कुछ नहीं किया, इस लड़की ने मुझे मारा...”
यह सुनकर दूसरी लड़की ने मुझे पीछे से कमर पर मारा और बोली- “चल झटके मार..."
मैं तुरंत हिलने लग गया। सोफे वाली लड़की आहें लेने लगी- “उफफ्फ... ओफफ्फ... साले, मेरी चूत फाड़ डाली। इतना मोटा लण्ड है तेरा। उफफ्फ... उम्म्म..." वह आहें और सिसकियां ले रही थी और मैं लगातार झटके मारे जा रहा था।
इतने में मेरे पीछे वाली भी सोफे पर अपनी टाँगें उठाकर बैठ गई और मुझसे कहा- “अब मुझे चोदो...”
मैंने लण्ड निकालकर उसकी चूत में डाल दिया। लण्ड एक ही झटके में पूरा अन्दर चला गया और लड़की की एक आह्ह..नहीं निकली। उसने अपने हाथ मेरी कमर में डाले और मुझे अपने पास खींचा तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। वह मेरा लण्ड अंदर लेकर अपनी चूत को घुमाने लगी। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। मैं भी और अंदर करने लगा। अब मेरी चिंता बढ़ गई थी। मैंने उसके हाथ हटाए और जोर-जोर से झटके मारने लगा। इतनी जोर से झटके मार रहा था कि सोफे के स्प्रिंग के कारण वह लड़की उछल रही थी।
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अब बराबर वाली लड़की की बारी थी। मैंने कंडोम बदलने को कहा तो उसने यह वाला उतारकर दूसरे पहना दिया। अब मैं उसे चोदने लगा। उसकी चूत सबसे टाइट थी। इसीलिये उसे दर्द हो रहा था। शायद यह लड़की अभी तक नहीं चुदवायी थी। मैं अपनी गति से उसे चोदता रहा।
उसके मुँह से आहों के साथ चीखें भी निकल रही थीं- “ओहह... चोदो मुझे, चोदो मुझे... बास्टई..." वह बाकी लड़कियों से अधिक सेक्सी थी जिसकी आवाज मुझे फिर से मदहोश कर रही थीं। अब यह भी झड़ने करीब थी, और कुछ ही देर में झटके लेते हुए यह भी झड़ गई। उसका शरीर ढीला पड़ गया। वह मस्ती में अपने मम्मे दबाने लगी।
मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया। अब मैं चारों को खुश कर चुका था। मैं अभी जाना चाहता था। मुझे दो घंटे हो गए थे। मेरा बास मुझे फोन कर रहा होगा लेकिन मेरा मोबाइल दूसरे कमरे में था जहां मेरे कपड़े उतरे थे।
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अंजली ने कहा- “एक शर्त पे यहाँ से जा सकते हो? अगर इस बात का जिक्र किसी से किया तो अपनी जान से हाथ धो बैठोगा, और अगली बार जब भी पिज्जा आर्डर करेंगे, तुम ही डेलिवरी लाना...”
मैंने इस समय तो अंजली की सारी बातें मान ली तो एक लड़की ने मेरे कपड़े ला दिये, दूसरी ने मेरे हाथ खोले। मैं तैयार होने लगा लेकिन पैंट नहीं पहन सका। मेरा लण्ड अकड़ा हुआ था, जो पैंट में नहीं जा रहा था।
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मैं समझा नहीं तो उसने मेरा लण्ड पकड़कर पीछे वाले छेद पर रखा। उसने मुझे कंडोम उतारने को कहा। मैंने कंडोम उतारा और लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर रखकर अन्दर करने लगा। छेद बहुत सख्त था, वह मेरे लण्ड को भींच रहा था। धीरे-धीरे पूरा अन्दर चला गया। अंजली की तो जैसे सांसें रुक रही थीं। वह दर्द को सहन कर रही थी।
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
दोस्तो ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना
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- naik
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
bahot achchi lagi
superb very nice
superb very nice