बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त
Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
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- rajsharma
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
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(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
नेहा दादाजी के लम्बे लंड की तारीफ करती जा रही थी और दादाजी थे की अपनी पोती ने नंगे जिस्म को आँखों से चूमने में लगे हुए थे....नेहा के मोटे ताजे निप्पल और उभरी हुई गांड देखकर दादाजी के बैठते हुए लंड ने फिर से उठना शुरू कर दिया.....
नेहा : "वाव....दादाजी...इतना लम्बा और मोटा तो मैंने...मैंने आज तक नहीं देखा....मुझे तो कुछ होने लगा है....अभी से...." वो किसी सम्मोहन में बंधी हुई सी दादाजी के पास गयी और अपनी पतली-२ उंगलियों से दादाजी के काले नाग को बाँधने की कोशिश करने लगी... मैंने ऋतू की गांड में लंड की स्पीड पहले जैसी बनायीं रखी...
दादाजी के मन में न जाने क्या आया की उन्होंने अपनी फूल जैसी पोती को एक झटके से उठाया और उसकी जांघे पकड़कर हवा में ही चौडा करके उसकी चूत को फेलाया और अपने खड़े हुए लंड के ऊपर उसकी चूत के होंठों को फिट करके उसे भींच लिया.... नेहा कुछ न समझ पायी, सिवाए अपने हाथों को दादाजी के गले में बांधकर अपने आप को गिराने से बचने के अलावा वो कुछ और सोच ही नहीं पायी...और दादाजी के लंड का बाजुका उसकी चूत की सुरंग की कई परते उधेड़ता हुआ अन्दर तक समाता चला गया....
"आआअह्ह......ऊऊऊ......माय........गोड.......ऊऊऊ........माआआ..........मार डाल......आआ... ....आआआअह्ह्ह.... ....दादाज.....ईई...........म्मम्मम............म........" उसने अपनी गर्दन दादाजी के कंधे पर रख दी और गहरी साँसे लेने लगी....
दादाजी का लंड एक ही बार में उस मासूम की चूत को फाड़ता हुआ अन्दर तक चला गया था...
फिर दादाजी ने धीरे-२ उसकी चूत में धक्के मारने शुरू किये...अब नेहा का सुबकना भी सिस्कारियों में बदल चूका था.... "अह्ह्हह्ह.....दादाजी......क्या लंड है...आपके पास....म्मम्मम.....ऊह्ह्ह......मजा आ गया......आज मेरी चूत पूरी तरह से भर गयी है.....अह्ह्ह.......म्मम्म.........मारो....मेरी .....चूत....को....दादाजी....और तेजी से......और तेज......दादाजी....."
और फिर तो दादाजी ने अपनी छोटी पोती नेहा की चूत के अन्दर अपने लंड से जो फायरिंग करनी शुरू की तो उसकी चूत में हर कोने में बैठे हुए मीठे दर्द , बिलख -२ कर बाहर की और आने लगे...
उसकी चूत से इतना रस निकल रहा था की नीचे घोड़ी बन कर गांड मरवा रही ऋतू के ऊपर मानो चिपचिपी सी बारिश हो रही थी.... और जल्दी ही दोनों बहने झड़ने के करीब पहुँच गयी.....
मैंने भी स्पीड तेज कर दी...और दादाजी ने भी.... हम सभी लोग लगभग एक साथ ही झड़ने लगे....
"अह्ह्ह्हह्ह........ऊओह्ह्ह्ह ....दादाजी.....मैं तो गयी...."
दादाजी ने भी अपना कंटेनर नेहा की चूत में खाली कर दिया...."आह्ह्ह्ह....बिटिया......ले.....ले मेरा रस......अपनी चूत में....अह्ह्ह......" मेरे लंड से भी रसीला रस निकल कर ऋतू की गांड में दाखिल होने लगा जिसकी गर्माहट पाकर उसकी चूत ने भी आग उगलनी शरू कर दी....
"अह्ह्हह्ह.....भैय्या......अह्ह्ह्ह.....म्मम्म.......ऊऊ.....ऊऊऊओ.......मजा आ गया......"
ऊपर से जैसे ही दादाजी ने नेहा को अपनी गोंद से उतरा, उसकी चूत से जैसे कोई बाँध सा टूट गया, जिसे नीचे घोड़ी बनी हुई ऋतू ने अपना मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया....वर्ना कमरे में बाड़ ही आ जाती नेहा की चूत के रस की और दादाजी के वीर्य की....
अपना रस ऋतू को पिलाने के बाद नेहा पीछे आई और ऋतू की गांड में मुंह लगाकर वहां से मेरे लंड से निकला कोल्ड ड्रिंक बिना स्ट्रा के पीने लग गयी... उसके बाद ऋतू ने दादाजी का और नेहा ने मेरा लंड चूसकर साफ़ कर दिया... बाद में नेहा ने आराम से दादाजी की गोंद में बैठकर, ऋतू और मेरे मुंह से सारी कहानी सुनी...और सुनते हुए ही उसने दो बार और चुदाई भी करा ली...
अब हमने रात का कुछ ऐसा प्रोग्राम बनाया की नीचे बैठे अजय चाचू और आरती चाची को अपने खेल में किसी मनोरंजक तरीके से शामिल किया जाए...ताकि सभी को मजा आये...
अब तो बस रात का इन्तजार था...
*****
नेहा की चुदाई करने के बाद तो दादाजी के लंड में चार चाँद लग गए थे, वो ऐसे खुश हो रहे थे मानो दुनिया जीत ली हो उन्होंने..
दादाजी : "बेटा आशु, अजय और बहु के साथ करने में मुझे थोडा डर लग रहा है...
मैं : "क्यों दादाजी, अब तक तो आप काफी खुल चुके हैं..इनके साथ ही डर क्यों लग रहा है आपको..
आपने वहां मोम के साथ किया, ऋतू के साथ भी और आज तो नेहा को भी चोद दिया...अब किसलिए डर रहे हैं..."??
मैं समझ गया की अपने बेटे के सामने एकदम से अपनी बहु को तो नहीं चोद सकते न वो , वहां दिल्ली में भी उन्होंने फार्म हॉउस पर मम्मी को जब चोदा था तो पापा नहीं थे..
अगर वो होते तो शायद दादाजी मम्मी को कभी न चोदते...बाद में भी जब दादाजी मम्मी को पापा के सामने चोद रहे थे तो भी वो थोडा कतरा रहे थे..पापा के कहने पर ही दादाजी थोडा खुले थे.
वहां पापा को तो मालुम था की दादाजी पहले से ही मम्मी और ऋतू की चुदाई कर चुके हैं फार्म हॉउस में पर यहाँ तो अजय चाचू को अभी तक पता भी नहीं था की दादाजी इतने बड़े चुतमार हो चुके हैं की अपनी बहु और पोती को भी चोदने से बाज नहीं आ रहे..इसलिए शायद दादाजी को थोड़ी सी हिचक हो रही थी.. पर मैं ये जरुर जानता था की आरती चाची को अगर दादाजी अकेले में फंसाए तो वो ज्यादा ना नुकुर नहीं करेगी..
इसके लिए मुझे जल्दी ही कुछ सोचना होगा..और अगले ही पल मेरे दिमाग में एक आईडिया आया.
मैंने उन सभी को प्लान समझाया और मैं नीचे गया और अजय चाचू और आरती चाची के साथ जाकर बैठ गया..
आरती चाची : आशु, बड़ी देर लगा दी तुमने तो ऊपर...क्या हो रहा था...
मैं : कुछ नहीं, वो दादाजी तो अपने कमरे में सो रहे हैं, तो हम तीनो भाई बहन जरा थोड़ी सी मस्ती कर रहे थे..नेहा कह रही थी की उसे हमारी बड़ी याद आती है, तो मैं और ऋतू मिलकर उसकी उदासी दूर कर रहे थे.
चाची : अरे वाह, आते ही शुरू हो गए तुम तो..वैसे नेहा के साथ-२ मुझे भी तुम्हारी चुदाई बड़ी याद आती है.. उनके ये कहने की देर थी की मैंने उन्हें अपनी तरफ खींचा और अपनी गोद में बिठा कर उनके होंठ चूसने लगा..
अजय चाचू बड़े गौर से मुझे अपनी बीबी से मजे लेते देख रहे थे..उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे हिलाना शुरू कर दिया..
चाची ने साडी पहनी हुई थी. मैंने उनके पल्लू को साईड किया और उनके बड़े-२ पपीते अपने हाथो से दबाने शुरू कर दिए. तभी ऊपर से नेहा और ऋतू नीचे आई और हमें मजे लेते देखा और अजय चाचू को अपने हाथ से मेहनत करते देखकर वो सीधा उनके पास गयी और ऋतू ने अपना मुंह उनके लंड के ऊपर करके उनके लम्बे लंड को चूसने लगी..
"आआआअह्ह्ह्ह ऋतू......तेरे जैसा लंड चूसने वाला कोई नहीं है...अह्ह्हह्ह.....जरा अपनी छोटी बहन को भी सिखा, ये तो मेरा लंड चूसती कम और काटती ज्यादा है..."
नेहा :"पापा...आप भी न..मुझे टाईम ही कितना हुआ है लंड चूसते हुए...सीख लुंगी जल्दी ही..." और फिर वो ऋतू को गौर से देखते हुए लंड चूसने के "गुर" सीखने लगी.. नेहा ने अपने सारे कपडे उतार दिए...चाचू ने भी अपनी टी शर्ट उतारी और ऊपर से नंगे हो गए, ऋतू ने नीचे से उनकी पेंट खींच कर नीचे कर दी और उन्हें पूरा नंगा कर दिया.
नेहा ने नंगी होने के बाद ऋतू को भी खड़ा किया और उसके कपडे उतारकर उसे भी नंगे गेंग में शामिल कर लिया.
चाचू : "अरे यहाँ ये सब करना ठीक नहीं है...चलो मेरे कमरे में चलते हैं."
उन्हें शायद ऊपर सो रहे अपने बाप का डर था , कहीं वो नीचे न आ जाए..पर उन्हें क्या मालुम था , वो ऊपर से, दरवाजे के पीछे खड़े हुए, नीचे का सारा नजारा देखकर अपने भीमा को मसल रहे हैं. वैसे अन्दर जाने की बात अगर चाचू न करते तो ऋतू या नेहा उनसे कहने ही वाली थी, जैसा की मैंने उन्हें कहने को कहा था. वो तीनो उठ कर अन्दर चले गए.
नेहा : "वाव....दादाजी...इतना लम्बा और मोटा तो मैंने...मैंने आज तक नहीं देखा....मुझे तो कुछ होने लगा है....अभी से...." वो किसी सम्मोहन में बंधी हुई सी दादाजी के पास गयी और अपनी पतली-२ उंगलियों से दादाजी के काले नाग को बाँधने की कोशिश करने लगी... मैंने ऋतू की गांड में लंड की स्पीड पहले जैसी बनायीं रखी...
दादाजी के मन में न जाने क्या आया की उन्होंने अपनी फूल जैसी पोती को एक झटके से उठाया और उसकी जांघे पकड़कर हवा में ही चौडा करके उसकी चूत को फेलाया और अपने खड़े हुए लंड के ऊपर उसकी चूत के होंठों को फिट करके उसे भींच लिया.... नेहा कुछ न समझ पायी, सिवाए अपने हाथों को दादाजी के गले में बांधकर अपने आप को गिराने से बचने के अलावा वो कुछ और सोच ही नहीं पायी...और दादाजी के लंड का बाजुका उसकी चूत की सुरंग की कई परते उधेड़ता हुआ अन्दर तक समाता चला गया....
"आआअह्ह......ऊऊऊ......माय........गोड.......ऊऊऊ........माआआ..........मार डाल......आआ... ....आआआअह्ह्ह.... ....दादाज.....ईई...........म्मम्मम............म........" उसने अपनी गर्दन दादाजी के कंधे पर रख दी और गहरी साँसे लेने लगी....
दादाजी का लंड एक ही बार में उस मासूम की चूत को फाड़ता हुआ अन्दर तक चला गया था...
फिर दादाजी ने धीरे-२ उसकी चूत में धक्के मारने शुरू किये...अब नेहा का सुबकना भी सिस्कारियों में बदल चूका था.... "अह्ह्हह्ह.....दादाजी......क्या लंड है...आपके पास....म्मम्मम.....ऊह्ह्ह......मजा आ गया......आज मेरी चूत पूरी तरह से भर गयी है.....अह्ह्ह.......म्मम्म.........मारो....मेरी .....चूत....को....दादाजी....और तेजी से......और तेज......दादाजी....."
और फिर तो दादाजी ने अपनी छोटी पोती नेहा की चूत के अन्दर अपने लंड से जो फायरिंग करनी शुरू की तो उसकी चूत में हर कोने में बैठे हुए मीठे दर्द , बिलख -२ कर बाहर की और आने लगे...
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मैंने भी स्पीड तेज कर दी...और दादाजी ने भी.... हम सभी लोग लगभग एक साथ ही झड़ने लगे....
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दादाजी ने भी अपना कंटेनर नेहा की चूत में खाली कर दिया...."आह्ह्ह्ह....बिटिया......ले.....ले मेरा रस......अपनी चूत में....अह्ह्ह......" मेरे लंड से भी रसीला रस निकल कर ऋतू की गांड में दाखिल होने लगा जिसकी गर्माहट पाकर उसकी चूत ने भी आग उगलनी शरू कर दी....
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आपने वहां मोम के साथ किया, ऋतू के साथ भी और आज तो नेहा को भी चोद दिया...अब किसलिए डर रहे हैं..."??
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
उनके जाते ही चाची ने किस तोड़ी और मुझसे बोली : "बेटा...चलो, हम भी अन्दर चलते हैं..."
मैं : "क्यों चाची...आप क्यों डर रही है...अपने ससुर के आने का डर है क्या..?"
चाची- "हाँ...और किसलिए मैं तुझे अन्दर जाने को कह रही हूँ..चल न...देख मेरी चूत में से कितना पानी निकल रहा है...जल्दी से अन्दर चल और इसे चाटकर अन्दर अपना लंड पेल दे..."
मैं : "अरे चाची, आप घबराओ मत..ऊपर दादाजी गहरी नींद में सो रहे हैं...वो दो घंटे से पहले नहीं उठेंगे..."
चाची : "पर फिर भी...कोई रिस्क क्यों ले हम...."
मैं : "चिल चाची...चिल..आप घबराओ मत...अगर वो आ भी गए तो क्या हुआ..तुम्हे नंगा देखकर तो कोई भी पागल हो जाएगा, वो गुस्सा क्या ख़ाक होंगे...जब तुम्हारे ये मोटे-२ तरबूज देखेंगे न, तो ससुर-बहु का सारा रिश्ता भूल जायेंगे...देखना..."
मेरी बात सुनकर चाची के शरीर में रोंगटे खड़े हो गए, शायद वो इमेजिन करके देख रही थी की अगर असली में ऐसा हो जाए तो क्या होगा...
मैं : "वैसे, दादाजी का लंड है बड़ा ही लम्बा और मोटा..."
चाची मेरी तरफ हेरानी भरी निगाहों से देखने लगी...
चाची : "तुने...तुने कब देख लिया उनका...उन्हें...ऐसे ही..."
वो जब ये बात कर रही थी तो उनकी जांघो की पकड़ मेरी टांगो पर मजबूत होने लगी थी...और उन्होंने अपनी चूत को साडी के ऊपर से ही मेरी टांगो पर रगड़ना शुरू कर दिया था..
मैं समझ गया की अपने ससुर के लंड के बारे में सुनकर उन्हें उत्तेजना फील हो रही है..
मैं : "वो क्या है न, जब वो हमारे घर पर थे तो एक दिन मैंने उन्हें बाथरूम में पेशाब करते हुए देख लिया, उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था..और जब मैं अन्दर गया तो मेरे तो होश ही उड़ गए..उनके हाथ में उनका लंड देखकर ... वो पुरे दस इंच का था, और बड़ा ही मोटा भी...मैंने उन्हें सॉरी बोला और जल्दी से बाहर निकल गया ...पर सच कहूँ, मैंने इतना बड़ा लंड आज तक नहीं देखा.."
उम्म्म्म.........सस्स्स्स......
चाची ने अपनी साडी ऊपर की और मेरी पेंट की जिप खोली और लंड निकाल कर सीधा अपनी रस टपकाती हुई चूत उस पर रख दी और बैठ गयी मेरे लंड महाराज के ऊपर....
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......हाय........स्सस्सस्सस.........क्या लंड है ......म्मम्मम........."
उन्होंने अपने पुरे कपडे उतारने की भी ज़हमत नहीं उठाई...मैंने उनका एक मुम्मा बड़ी मुश्किल से ब्लाउस से बाहर निकाला और उसे चूसते हुए मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.... पर उनकी चूत अपने ससुर के लंड की लम्बाई के बारे में सुनकर ही इतनी गीली हो चुकी थी की उन्हें झड़ने में दो मिनट भी नहीं लगे...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......ओह्ह्हह्ह्ह्ह.......मैं तो गयी रे....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह..........आआअग्ग......."
मैंने उनकी गांड को पकड़कर जल्दी-२ धक्के मारने शुरू कर दिए और अगले पांच मिनट में मेरा रस भी उनकी रस भरी चूत के अन्दर जाकर डिपोजि़ट हो गया.
मैं : "वाह चाची...इतनी गरम तो आप आज तक नहीं हुई...क्या बात है...दादाजी के लंड के बारे में सोच रही थी. न..."
चाची : "चल हट...तू भी न...सोचने से क्या होता है...चल अब बेकार की बाते न कर, कपडे उतार और एक बार और मेरी चूत मार...मुझे अभी और मजे लेने है..."
मैं :"ठीक है...ऐसा करते हैं, बाथरूम में चलते हैं...वहीँ करेंगे और नहा भी लेंगे एक साथ..."
चाची : "हाँ...ये ठीक है...चलो..."
और फिर मैं और चाची बाथरूम की तरफ चल दिए..
मैंने ऊपर खड़े दादाजी को इशारा करके नीचे आने को कहा...
अन्दर जाते ही चाची पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी...मैंने भी सारे कपडे उतारे और उनके साथ शावर के नीचे खड़ा होकर नहाने लगा... मैंने उनके पुरे जिस्म पर साबुन लगाना शुरू कर दिया...उनके चिकने शरीर पर मेरे साबुन वाले हाथ फिसल रहे थे.. मैंने उनके पीछे खड़े होकर अपने हाथ आगे किये और उनके टेंकर पकड़कर उन्हें साबुन लगाना शुरू कर दिया..मेरा लंड उनकी मखमली गांड से घिस्से लगाकर पुरे शबाब पर आने लगा था...
मैं :"चाची...सच बताना...दादाजी के लंड के बारे में ही सोच रही थी ना आप बाहर..."
चाची : "हूँ..."
मैं :"अगर मिले तो ले लोगी क्या..."??
चाची: "म्मम्मम....."
मैं : "उनका लंड तुम्हारी चूत फाड़ देगा चाची...."
चाची : "ऊऊ........म्मम्मम......."
उन्होंने हाथ पीछे करके मेरे लंड को बुरी तरह से पकड़ा और उसे हिलाने लगी...और अपनी गांड पीछे करके उसके छेद में डालने की कोशिश करने लगी..
मैं : "ना चाची...इतनी आसानी से नहीं...पहले आप मुझे बताओ की क्या सोच रही थी दादाजी के बारे में.."
चाची तो किसी सम्मोहन में बंधी हुई थी जैसे...
चाची :"ओह्ह्ह्ह......मेरी चूत में ससुर जी...अपना...पूरा...लंड ...एक ही बार में...डाल कर....मुझे कुत्ती की तरह से चोद रहे हैं....अह्ह्ह्हह्ह .."
मैं :"तो तुम मुझे अपना ससुर समझो और मुझसे उसी तरह से चुदवाओ..."
चाची : "हाँ....म्मम्म......चोदो न......मुझे...पिताजी.....ऊऊ गोड....चोदो मुझे अपने मोटे लंड से..... अह्ह्हह्ह......"
मैं अब दादाजी का रोल प्ले कर रहा था..
मैंने पीछे मुंह करके दादाजी को अन्दर आने का इशारा किया....
वो तो पहले से ही नंगे होकर अन्दर झाँक कर सब कुछ देख रहे थे...मैं पीछे हुआ और अगले ही पल दादाजी ने मेरी जगह ले ली...
चाची : "ओह्ह्ह....पिताजी.......अपना लंड .....मेरी चूत में डालो न.....चोदो अपनी बहु को....तुम्हारे लंड की प्यासी हूँ मैं....फाड़ डालो आज मेरी चूत और गांड अपने दमदार और मोटे लंड से....अह्ह्हह्ह..... मम्म......"
इतना कहकर उन्होंने पीछे हाथ करके फिर से मेरे यानी दादाजी के लंड को पकड़ लिया...और उसकी लम्बाई देखकर वो अचरज में पड़ गयी... वो पलटकर देखना चाहती थी की तभी दादाजी ने बड़ी चालाकी से उनके चेहरे पर साबुन लगा दिया...
चाची : "हम्म....ओह्ह....ये क्या...."
वो अपना चेहरा साफ़ करने लगी पर फिर भी कुछ साबुन लगा रहने की वजह से वो अपनी आँखे नहीं खोल पा रही थी... तभी दादाजी ने मौका पाकर अपना लंड उनकी चूत के ऊपर लगाया और पीछे से एक तेज धक्का मारा...
मैं : "क्यों चाची...आप क्यों डर रही है...अपने ससुर के आने का डर है क्या..?"
चाची- "हाँ...और किसलिए मैं तुझे अन्दर जाने को कह रही हूँ..चल न...देख मेरी चूत में से कितना पानी निकल रहा है...जल्दी से अन्दर चल और इसे चाटकर अन्दर अपना लंड पेल दे..."
मैं : "अरे चाची, आप घबराओ मत..ऊपर दादाजी गहरी नींद में सो रहे हैं...वो दो घंटे से पहले नहीं उठेंगे..."
चाची : "पर फिर भी...कोई रिस्क क्यों ले हम...."
मैं : "चिल चाची...चिल..आप घबराओ मत...अगर वो आ भी गए तो क्या हुआ..तुम्हे नंगा देखकर तो कोई भी पागल हो जाएगा, वो गुस्सा क्या ख़ाक होंगे...जब तुम्हारे ये मोटे-२ तरबूज देखेंगे न, तो ससुर-बहु का सारा रिश्ता भूल जायेंगे...देखना..."
मेरी बात सुनकर चाची के शरीर में रोंगटे खड़े हो गए, शायद वो इमेजिन करके देख रही थी की अगर असली में ऐसा हो जाए तो क्या होगा...
मैं : "वैसे, दादाजी का लंड है बड़ा ही लम्बा और मोटा..."
चाची मेरी तरफ हेरानी भरी निगाहों से देखने लगी...
चाची : "तुने...तुने कब देख लिया उनका...उन्हें...ऐसे ही..."
वो जब ये बात कर रही थी तो उनकी जांघो की पकड़ मेरी टांगो पर मजबूत होने लगी थी...और उन्होंने अपनी चूत को साडी के ऊपर से ही मेरी टांगो पर रगड़ना शुरू कर दिया था..
मैं समझ गया की अपने ससुर के लंड के बारे में सुनकर उन्हें उत्तेजना फील हो रही है..
मैं : "वो क्या है न, जब वो हमारे घर पर थे तो एक दिन मैंने उन्हें बाथरूम में पेशाब करते हुए देख लिया, उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था..और जब मैं अन्दर गया तो मेरे तो होश ही उड़ गए..उनके हाथ में उनका लंड देखकर ... वो पुरे दस इंच का था, और बड़ा ही मोटा भी...मैंने उन्हें सॉरी बोला और जल्दी से बाहर निकल गया ...पर सच कहूँ, मैंने इतना बड़ा लंड आज तक नहीं देखा.."
उम्म्म्म.........सस्स्स्स......
चाची ने अपनी साडी ऊपर की और मेरी पेंट की जिप खोली और लंड निकाल कर सीधा अपनी रस टपकाती हुई चूत उस पर रख दी और बैठ गयी मेरे लंड महाराज के ऊपर....
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......हाय........स्सस्सस्सस.........क्या लंड है ......म्मम्मम........."
उन्होंने अपने पुरे कपडे उतारने की भी ज़हमत नहीं उठाई...मैंने उनका एक मुम्मा बड़ी मुश्किल से ब्लाउस से बाहर निकाला और उसे चूसते हुए मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए.... पर उनकी चूत अपने ससुर के लंड की लम्बाई के बारे में सुनकर ही इतनी गीली हो चुकी थी की उन्हें झड़ने में दो मिनट भी नहीं लगे...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......ओह्ह्हह्ह्ह्ह.......मैं तो गयी रे....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह..........आआअग्ग......."
मैंने उनकी गांड को पकड़कर जल्दी-२ धक्के मारने शुरू कर दिए और अगले पांच मिनट में मेरा रस भी उनकी रस भरी चूत के अन्दर जाकर डिपोजि़ट हो गया.
मैं : "वाह चाची...इतनी गरम तो आप आज तक नहीं हुई...क्या बात है...दादाजी के लंड के बारे में सोच रही थी. न..."
चाची : "चल हट...तू भी न...सोचने से क्या होता है...चल अब बेकार की बाते न कर, कपडे उतार और एक बार और मेरी चूत मार...मुझे अभी और मजे लेने है..."
मैं :"ठीक है...ऐसा करते हैं, बाथरूम में चलते हैं...वहीँ करेंगे और नहा भी लेंगे एक साथ..."
चाची : "हाँ...ये ठीक है...चलो..."
और फिर मैं और चाची बाथरूम की तरफ चल दिए..
मैंने ऊपर खड़े दादाजी को इशारा करके नीचे आने को कहा...
अन्दर जाते ही चाची पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी...मैंने भी सारे कपडे उतारे और उनके साथ शावर के नीचे खड़ा होकर नहाने लगा... मैंने उनके पुरे जिस्म पर साबुन लगाना शुरू कर दिया...उनके चिकने शरीर पर मेरे साबुन वाले हाथ फिसल रहे थे.. मैंने उनके पीछे खड़े होकर अपने हाथ आगे किये और उनके टेंकर पकड़कर उन्हें साबुन लगाना शुरू कर दिया..मेरा लंड उनकी मखमली गांड से घिस्से लगाकर पुरे शबाब पर आने लगा था...
मैं :"चाची...सच बताना...दादाजी के लंड के बारे में ही सोच रही थी ना आप बाहर..."
चाची : "हूँ..."
मैं :"अगर मिले तो ले लोगी क्या..."??
चाची: "म्मम्मम....."
मैं : "उनका लंड तुम्हारी चूत फाड़ देगा चाची...."
चाची : "ऊऊ........म्मम्मम......."
उन्होंने हाथ पीछे करके मेरे लंड को बुरी तरह से पकड़ा और उसे हिलाने लगी...और अपनी गांड पीछे करके उसके छेद में डालने की कोशिश करने लगी..
मैं : "ना चाची...इतनी आसानी से नहीं...पहले आप मुझे बताओ की क्या सोच रही थी दादाजी के बारे में.."
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
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