Horror ख़ौफ़

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rajsharma
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Horror ख़ौफ़ -5

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“नहीं संस्कृति। तुम ठीक हो जाओगी; इससे अधिक जानना तुम्हारे लिए गैरजरूरी है। तुम हिप्नोसिस से बाहर आयी हो। यू नीड टू टेक सम रेस्ट। सी यू अगेन।” कहने के बाद डॉक्टर, युवक की ओर मुखातिब हुए- “तुम मेरे साथ आओ साहिल। कुछ जरूरी बात करनी है।”

“श्योर।”

साहिल ने संस्कृति का धड़ चादर से ढका और कमरे से बाहर निकल रहे डॉक्टर के पीछे लपक गया।

“सिचुएशन क्रिटिकल है।” डॉक्टर ने कमरे से बाहर आते ही साहिल से कहा।

“क्या मतलब?” साहिल ने केबिन की ओर बढ़ रहे डॉक्टर के साथ कदमताल करते हुए व्यग्र भाव से पूछा।

“आई मीन इस लड़की का केस थोडा स्ट्रेंज है।”

“पूरी बात बताइये डॉक्टर?”

डॉक्टर ने तब तक कुछ नहीं कहा, जब तक कि अपने केबिन में नहीं पहुंच गये। रिवॉल्विंग चेयर पर आसीन होने के बाद उन्होंने साहिल को सामने पड़ी विजिटर्स चेयर्स में से एक पर बैठने का इशारा करते हुए कहा- “बैठो, बताता हूं।”

विचित्र तरद्दुद में फंसा साहिल एक विजिटर्स चेयर पर बैठ गया। डॉक्टर ने चश्मा दुरुस्त करते हुए मेज पर पड़े कुछ पेपर्स को उठाया और उनका अवलोकन करते हुए कहा- “मृत्यु एक घटना है, जिसके तहत मनुष्य की चेतना का उसके मस्तिष्क से बहिर्गमन हो जाता है। ये वही चेतना होती है, जिसे विज्ञान में ऊर्जा का शुध्दतम रूप कहा जाता है। अर्थात जिस प्रकार ऊर्जा का नाश नहीं होता है, उसी प्रकार चेतना का भी नाश नहीं होता है। यानी कि किसी व्यक्ति व्दारा जन्म से लेकर मृत्यु के क्षणों तक अर्जित की गयी समस्त चेतना, उसके मरणोपरांत स्थूल शरीर से अलग हो जाने के बाद भी ब्रह्माण्ड में कहीं न कहीं व्याप्त रहती है। ये चेतना जब किसी अन्य व्यक्ति की चेतना से जुड़ जाती है, तो ये अतिरिक्त चेतना उस व्यक्ति के लिये पिछले जन्म की स्मृति बन जाती है।”

“इस थ्योरी का संस्कृति से क्या सम्बन्ध है?”

“सम्बन्ध है, क्योंकि उसके साथ ऐसा ही हुआ है।”

“यू मीन वह किसी लावारिस चेतना का शिकार हुई है?”

“ऑफ़कोर्स। हिप्नोटिज्म के दौरान उसे जो कुछ नजर आया, वह उस लावारिस चेतना यानी कि उसके पूर्वजन्म का ही एक हिस्सा था।”

“लेकिन ऐसा हुआ क्यों? ब्रह्माण्ड में भटक रही लावारिस चेतनाओं के किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ने की क्या वजह होती है?”

“कई वजहें हो सकती हैं। बगैर केस स्टडी किये वजह बता पाना मुश्किल होता है। धर्मशास्त्रों में तो पुनर्जन्म की आठ वजहें बताई गयी हैं। जिनमें से एक वजह ये भी है कि जीवात्मा अपनी अधूरी इच्छा पूरी करने, किसी से प्रतिशोध साधने या अपने कर्मों के अधूरे फल भोगने के लिए इस धरती पर वापस आती है, किन्तु पैरासाइकोलॉजी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहता है कि ब्रह्माण्ड में लावारिस भटक रही चेतनाओं के हमारे वर्तमान पर हावी होने के लिए हमारा अवचेतन मस्तिष्क यानी कि सबकॉन्शियस माइण्ड जिम्मेदार होता है। नींद की अवस्था में जब हमारा अवचेतन मस्तिष्क क्रियाशील होता है तो वह उन्हीं चेतनाओं से रूबरू होता रहता है।”

“तो क्या स्वप्न में हम जो कुछ देखते हैं, वे ब्रह्माण्ड में भटक रही लावारिस चेतनाएं ही होती हैं?”

“एब्सल्युटली! लेकिन नींद की अवस्था से बाहर आने पर हम उन सपनों को पचहत्तर फीसदी भूल चुके होते हैं, इसलिए वे हमारी वर्तमान चेतना अर्थात इस जन्म की चेतना पर हावी नहीं हो पाते, किन्तु जब कभी स्वप्न के रूप में दिखाई पड़ने वाली ये चेतनाएं किन्हीं रहस्यमयी कारणों से किसी के वर्तमान पर हावी हो जाती हैं, तो उन रहस्यमयी कारणों को तलाशना जरूरी हो जाता है, क्योंकि ज्यादातर स्थितियों में ये लावारिस चेतनाएं बेहद खतरनाक होती हैं।”

“संस्कृति के केस में वह रहस्यमयी कारण क्या हो सकता है?”

“गुड क्वेश्चन! लेकिन मैं चाहता हूं कि मेरा ऑन्सर सुनने से पहले तुम ये चारों स्केचेज देख लो।”

डॉक्टर ने वे पेपर्स साहिल की ओर बढ़ा दिये, जिनका थोड़ी देर पहले वे अवलोकन कर रहे थे। साहिल पन्नों पर उभरे स्केचेज को देखते ही चौंक पड़ा। उसके चेहरे पर ऐसे भाव काबिज हुए, जैसे वह इन स्केचेज को पहले भी कई बार देख चुका हो। दरअसल उसके चौंकने की वजह ये थी कि उसे इन स्केचेज के यहाँ होने का ज़रा भी अंदाजा नहीं था।
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: Horror ख़ौफ़

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(^%$^-1rs((7)
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Re: Horror ख़ौफ़

Post by rajsharma »

पहले पन्ने पर एक भव्य महल का स्केच बनाया गया था। दूसरे पन्ने पर जलते हुए पीपल का पेड़ बनाया गया था, जिसके तने से कोई इंसान बंधा हुआ नजर आ रहा था। तीसरे पन्ने पर एक व्यक्ति को दर्शाया गया था, जिसकी वेशभूषा अट्ठारहवीं सदी के ब्राह्मणों से मिलती-जुलती थी। उसके सफाचट सर पर चोटी नजर आ रही थी। चौथे पन्ने पर एक तालाब के किनारे घास पर लेटी राजकुमारी का स्केच उकेरा गया था, जो दाहिने गाल पर हाथ रखे हुए जल में अपनी परछाईं देख रही थी।

“क्या तुम जानना चाहते हो कि ये स्केचेज किसने बनाये हैं?”

“संस्कृति ने?”

“करैक्ट। शायद वह खाली समय में स्केचेज बनाने की शौक़ीन है। जब तुम उसे यहाँ छोड़कर कुछ जरूरी काम निपटाने के लिए इलाहबाद गये थे तो उसने अपना सत्र आने तक का समय काटने के लिए नर्स से कुछ कोरे कागज और पेन्सिल की माँग की थी। उसी दौरान उसने ये स्केचेज बनाए। इन्हें देखकर पहले तो हमने यही सोचा कि उसने मन बहलाने के लिये ये स्केचेज बनायी होंगी, किन्तु जब उसने हिप्नोटिज्म के दौरान देखे हुए दृश्य को बताया तो अचानक ही मेरे दिमाग में एक ख्याल आया।”

“कहीं आप ये तो नहीं कहना चाहते कि ये स्केचेज संस्कृति व्दारा हिप्नोटिज्म के दौरान देखे गये दृश्य से सम्बन्धित हैं?”

“गौर से देखो साहिल।” डॉक्टर मुस्कुराये- “क्या तुम्हें नहीं लगता कि ये उन्हीं दृश्यों से सम्बंधित स्केच हैं, जो संस्कृति ने हिप्नोटिज्म के दौरान देखे?” कहने के बाद डॉक्टर ने साहिल के हाथ से पन्नों को ले लिया और उस पन्ने को, जिस पर महल का स्केच बना हुआ था, साहिल को दिखाते हुए बोले- “इस महल को देखो। क्या ये महल शंकरगढ़ के राजमहल जैसा नहीं दिख रहा है?” साहिल के जवाब की प्रतीक्षा किये बगैर डॉक्टर ने उसे अगला स्केच दिखाया और कहा- “क्या राजकुमारी जैसी नजर आ रही इस युवती का चेहरा संस्कृति से नहीं मिल रहा है? क्या पीपल के तने से बांधकर जलाया जा रहा ये इंसान संस्कृति को हिप्नोटिज्म के दौरान नजर नहीं आया था़?”

“तो अब इन सबसे आपने क्या निष्कर्ष निकाला?”

“ये दृश्य पहले से ही संस्कृति की चेतना का हिस्सा थे, जो हिप्नोटिज्म की अवस्था में इतने स्पष्ट हो गये कि उसे चलचित्र की भांति नजर आये। ये इस बात का कन्फर्मेशन है कि संस्कृति के वर्तमान पर उसका पिछला जन्म हावी है।”

“लेकिन अभी तक आपने इसकी वजह नहीं बताई।”

“दरअसल सही वजह जानने के लिये हमें सम्बंधित व्यक्ति को कई बार पास्ट लाइफ रिग्रेशन के चक्र से गुजारना पड़ता है। उस दौरान उसे नजर आने वाले पूर्वजन्म के दृश्यों का विश्लेषण करके हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि पिछला जन्म उसे क्यों याद आ रहा है? वजह सामने आ जाने के बाद हमारा अगला लक्ष्य उस वजह को खत्म करना होता है। इस लक्ष्य के पूरा होते ही आदमी को उन यादों से छुटकारा मिल जाता है। परामनोविज्ञान में पूर्वजन्म से विरासत के तौर पर आयीं बीमारियों का इलाज इसी प्रकार से किया जाता है।”

“संस्कृति के सन्दर्भ में ये तरीका कितना कारगर हो सकता है?”

“देखो साहिल, आज संस्कृति के पास्ट लाइफ रिग्रेशन सत्र का पहला दिन था और इस पहले दिन में उसे जो कुछ नजर आया है, उसे किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए पर्याप्त नहीं समझा जा सकता है।”

“क्या मतलब?”

“मतलब कि किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए हमें संस्कृति की पास्ट लाइफ को सिलसिलेवार जानना होगा। और ऐसा तभी हो सकता है, जब उसे उसके पास्ट लाइफ की सभी महत्वपूर्ण घटनाएं नजर आयें।”

“ऐसा कैसे होगा?”

“हिप्नोटिज्म के जरिये ही होगा, लेकिन संस्कृति के केस में ये मुझे सुरक्षित नहीं लग रहा है। हम जो जानना चाहते हैं, उसे जानने के लिये हमें संस्कृति को लम्बे समय तक हिप्नोटाइज्ड रखना पड़ सकता है, जो कि जोखिम भरा है, क्योंकि पांच मिनट से अधिक समय का हिप्नोटिज्म, हिप्नोटाइज्ड व्यक्ति की स्थायी चेतना के लिये खतरनाक होने लगता है। इसमें उसकी याद्दाश्त भी जा सकती है।”

“ओह।” साहिल ने गहरी सांस ली- “संस्कृति को पास्ट लाइफ में रिग्रेश करने के लिये हिप्नोटिज्म ही एक जरिया है, यदि आप इसे जोखिम भरा मान रहे हैं, तो अब आपके पास दूसरा ऑप्शन क्या है?”

“एक विकल्प है। हम संस्कृति को पास्ट लाइफ में रिग्रेश किये बिना ही वह सब-कुछ जानने की कोशिश करेंगे, जो हम जानना चाहते हैं। इसके लिये हम वही तरीका अपनाएंगे, जिसे प्रायः सभी साइकोलॉजिस्ट याद्दाश्त से जुड़ी छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज लिये इस्तेमाल करते हैं।”

“क्या है वह तरीका?” साहिल थोड़ा व्यग्र हुआ।

“संस्कृति को जो दृश्य नजर आया है, उसे सूत्र के रूप में प्रयोग करते हुए आगे बढ़ना होगा। इस तरीके से शायद हमें कुछ पता चल सकता है।” डॉक्टर ने थोड़ी देर तक कुछ सोचा फिर आगे कहा- “एक भीड़ किसी आदमी को पीपल के पेड़ से बांधकर ज़िन्दा जला देती है। यह घटना संस्कृति को दिखी, इसका मतलब ये है कि यह घटना संस्कृति के पिछले जन्म की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। जलने वाला व्यक्ति कौन था? उसे भीड़ ने क्यों जलाया? ये दो अहम सवाल हैं, जिनके जवाब तलाशना जरूरी है।”
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Re: Horror ख़ौफ़

Post by rajsharma »

डॉक्टर थोड़ी देर के लिये रुके। उन्होंने उस पन्ने पर, जिस पर संस्कृति ने राजमहल का स्केच बनाया गया था, दृष्टिपात करते हुए कहा- “संस्कृति ने राजमहल का स्केच बनाया, इससे ये जाहिर होता है कि उसके पास्ट लाइफ में जो कुछ हुआ था, उसमें राजमहल भी इन्वॉल्व था।”

साहिल गौर से सुनता रहा, जबकि डॉक्टर ने उस पेज पर नजर डाली, जिस पर पुरातन काल के ब्राह्मण का स्केच बना हुआ था- “ये आदमी, जो वेशभूषा से अट्ठारहवीं सदी का ब्राह्मण लग रहा है, ये भी संस्कृति की पास्ट लाइफ का हिस्सा लगता है।” डॉक्टर ने साहिल का विचार जानने के लिए उसकी ओर देखा- “तुम्हें क्या लगता है, कौन हो सकता है यह?”

साहिल ने स्केच पर नजर डाले बगैर लापरवाह अंदाज में कहा- “शायद वही, जिसे भीड़ ने जिन्दा जला दिया।”

उपरोक्त वाक्य को बोलते समय उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह डॉक्टर से कुछ छुपा रहा है, किन्तु डॉक्टर ने उसके इन भावों पर गौर नहीं किया।

“मे बी।” डॉक्टर की आँखें सोचने की मुद्रा में सिकुड़ गयीं- “लेकिन श्योर नहीं हुआ जा सकता।...और अब इस तीसरे स्केच के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?” डॉक्टर ने उस स्केच की ओर इशारा किया, जो जल में प्रतिबिम्ब निहारती राजकुमारी का था।

“इस युवती की शक्ल संस्कृति से मिल रही है। शायद संस्कृति ने अपने पास्ट लाइफ का रिफ्लेक्शन बनाया है?”

डॉक्टर ने चारों चित्रों को इकट्ठा किया और संस्कृति की ट्रिटमेण्ट से जुड़ी फाइल में लगाने के बाद कहा- “डेफिनेटली ऐसा ही है। संस्कृति ने जो स्केचेज बनाये हैं और हिप्नोटिज्म के दौरान उसे जो विज़न नजर आये हैं, वे सभी उसके पिछले जन्म से जुड़े क्लू हैं। हमें इन्हीं का इस्तेमाल करके उसके पास्ट लाइफ को जानना होगा। हमें संस्कृति से ये जानना होगा कि किस भावना के तहत उसने ये स्केचेज बनाएं? और इन्हें बनाते समय उसके जेहन में क्या चल रहा था?”

साहिल खामोश बैठा रहा। वह समझ नहीं पा रहा था कि एक दृश्य और चार स्केचेज की सहायता से किसी के पिछले जन्म में कैसे झाँका जा सकता है।

“क्या तुम संस्कृति को व्यक्तिगत रूप से जानते हो?”

“नहीं। उससे मेरी मुलाकात हुए आज दूसरा दिन है।”

“ओह! अब तक की इस छोटी सी जान-पहचान में तुम्हें संस्कृति की किसी
खास आदत के बारे में पता चला?”

साहिल ने पहले दिमाग पर जोर डाला, फिर मुंह खोला- “हां डॉक्टर। उसकी एक आदत मुझे अजीब लगी।”

“क्या?”

“उसे आग से डर लगता है।”

“आग से डर तो सभी को लगता है। इसमें अजीब क्या है?”

“आग के प्रति संस्कृति के डर को सामान्य नहीं कहा जा सकता डॉक्टर। यदि उसके आस-पास सिगरेट की लाइटर भी जल जाती है तो वह बुरी घबरा जाती है।”

“ओह।” डॉक्टर के होंठ सिकुड़कर गोल हो गये- “तुम्हें उसकी इस आदत के बारे में कैसे पता चला?”

“यहाँ आने से पहले हम एक रेस्टोरेंट में गये थे। वहां संस्कृति बगल वाली मेज के उस आदमी पर बुरी तरह बरस पड़ी थी, जो सिगरेट सुलगाने के लिए लाइटर जला रहा था।”

“हूं! मैं ये शर्तिया कह सकता हूँ कि पिछले जन्म में उसकी मौत जलकर मरने से हुई थी, इसीलिये आग का डर इस जन्म में भी उस पर हावी है।” साहिल कुछ नहीं बोला तो डॉक्टर ने आगे कहा- “देखो साहिल! इतना तो तय है कि संस्कृति के साथ जो कुछ भी हुआ है, उसमें राजमहल की अहम भूमिका है। उसने किसी के हांफने की अजीबोगरीब आवाज सबसे पहले राजमहल के गुप्त तहखाने में ही सुनी थी। तहखाने में मौजूद ताबूत के खुलने के बाद से ही पारलौकिक घटनाओं का सिलसिला शुरू हुआ। इसलिये मेरा ये विश्वास अब और भी मजबूत हो चुका है कि राजमहल के अतीत में जरूर कुछ ऐसा है, जो एक दहशत बनकर संस्कृति के वर्तमान पर मंडरा रहा है। हम उसके पास्ट लाइफ के बारे में जो कुछ जानना चाहते हैं, उसके लिये राजमहल में गड़े मुर्दे उखाड़ना बेहद जरूरी है। किसी भी तरह, चाहे शंकरगढ़ के लोगों से या फिर राजमहल के किसी सदस्य या नौकर से, तुम राजमहल का अतीत जानने की कोशिश करो। ये पता करने की कोशिश करो कि क्या ठाकुर खानदान के इतिहास में किसी की आग-दुर्घटना में मौत हुई है? इसके साथ-साथ संस्कृति के रहन-सहन, उसके स्वभाव और आदतों पर भी नजर रखो। जब तक हमें ये नहीं पता चल जाता कि पूर्वजन्म की चेतना इस जन्म में उस पर क्यों हावी है, तब तक हम उसकी प्रॉपर ट्रिटमेण्ट नहीं कर सकते।”
कहने के बाद डॉक्टर ने कुर्सी छोड़ दिया।

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