Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

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rajsharma
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

Post by rajsharma »

सलमा को चोदने के बाद भी आज राज को अपना लण्ड पूरी तरह से शांत नहीं लग रहा था। उसे शांत तो सिर्फ नजमा ही कर सकती है। ऐसा सोचकर राज मुश्कुरा देता है और अपनी पैंट पहनकर बाहर आ जाता है,

और कमरा लाक करके अपनी गाड़ी की तरफ चल देता है। उसका घर स्कूल से 60-70 किलोमीटर दूर था वो कभी-कभी वहीं स्कूल में रुकता था, नहीं तो हर रोज घर से आता जाता था।


राज पूरे रास्ते में सिर्फ नजमा को चोदने का ही प्लान बनाता रहा, और घर जाकर नहा धोकर थैयार होकर घर से बाहर निकलकर होटल की तरफ चला जाता है।
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

Post by rajsharma »

उधर नजमा आज अपने आपको बहुत ज्यादा उत्तेजित महसूस कर रही थी। वो घर पहुँचकर सबसे पहले बाथरूम में घुस जाती है, और नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतारकर शावर के नीचे बिल्कुल नंगी खड़ी हो जाती है। ये पहली बार नहीं था, उसके नहाने का तरीका ही यही था। नहाते समय वो अपने हर अंग को अच्छे से साफ करती थी। क्योंकी उसे पता था उसका पति घर आकर सबसे पहले चूत में ही मुह मारता है। ये सोच कर बो इस पड़ती है और नहाने के बाद बाथरूम से बाहर आकर अपना नाइट गाउन पहन लेती है।

नजमा नाइट गाउन के नीचे कभी भी साया नहीं डालती थी। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही रहती थी। खाना बनाने के बाद वो जुनैद का इंतजार करने लगती है। और उसे आज के स्कूल के बारे में बताने के लिये पूरा उत्तेजित हो जाती है।

जुनैद करीब 8:30 बजे घर आता है। नजमा जुनैद को देखकर खुश हो जाती है, और उससे जाकर लिपट जाती है। जुनैद को नजमा की इस हरकत का पता था। वो जानता था की जब नजमा उत्तेजित होती है तभी वो ऐसा करती है। नजमा के लिपटते ही जुनैद भी मूड में आ जाता है और धीरे से नजमा की गाण्ड दबाने लगता है। जिसका विरोध नजमा नहीं करती। वो भी अपनी टांग ऊपर की तरफ उठा देती है जिससे जुनैद आसानी से उसकी गाण्ड को मसलने लगता है।

नजमा और जुनैद अब धीरे-धीरे गरम हो गये थे। जुनैद नजमा को गोद में उठाकर अपने बेडरूम में ले जाता हैं

और उसे बैड पर लिटाकर अपने परे कपड़े खोल देता है। नजमा जुनैद का पूरा नंगा देखकर शर्मा जाती है। लेकिन छुपी नजरों से जुनैद के लण्ड को बार-बार घुरती है, और खड़ी होकर तुरंत उसे मैंह में लेकर चूसना शुरू कर देती है। लण्ड चूसना उसे जुनैद ने ही सिखाया था, नहीं तो शादी के पहले सिर्फ उसे चुदने का ही पता था। शादी के बाद ही जुनैद ने उसे लण्ड चूसने और चूत चाटने जैसे अनुभव दिए थे।

जुनैद के लण्ड का साइज 6" लंबा और 2" मोटा था। जिसे नजमा बहुत पसंद करती थी। नजमा की नजरों में बड़ा लण्ड उसके पति का है, ऐसा उसका मानना था। जुनैद ने भी उसे यही भरोसा दिलाया था की उसका लण्ड सबसे बड़ा है। वैसा ही वो समझ रही थी। लण्ड चुसवाना जुनैद को ज्यादा पसंद नहीं था क्योंकी उसे पता था की नजमा दो मिनट में ही उसे झड़ा देगी।

जुनैद तुरंत नजमा के मुंह में लण्ड खींचता है और नजमा को बैड पर लिटाकर अपना मुँह उसकी गरम चूत पे रख देता है। जिससे नजमा पागल हो जाती है और जुनैद का सिर अपनी चूत में जोर से दबाती है। जुनैद को उसकी ये अदा बहुत पसंद आती है। करीब 5 मिनट की चूत चुसाई के बाद जुनैद नजमा की दोनों टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रखता है और अपना लण्ड नजमा की चूत में लगाकर एक जोर का झटका मारकर पूरा लण्ड एक बार में ही उसकी चूत में उतार देता है।

जिससे नजमा की चीख निकल जाती है और नजमा अपने नाखून जुनैद की पीठ में गड़ा देती है। पूरा लण्ड अंदर लेने के बाद नजमा हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर देती है।

जिससे जुनैद भी अपनी स्पीड बढ़ा देता है। करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद जुनैद अपना लण्ड बाहर निकाल कर सीधा नजमा की गाण्ड के छेद में लगाकर अपना पूरा माल नजमा की गाण्ड में निकाल देता है। जिससे नजमा भी उत्तेजित होकर अपना पानी छोड़ देती है। दोनों निढाल होकर बिस्तर पर ही सो जाते है।

नजमा अपनी शादी के तीन साल में बहुत ही कम दो या तीन बार ही चुदी थी। जुनैद हमेशा एक बार चोद कर ही सो जाता था। नजमा को भी यही लगता था की इससे ज्यादा चुदाई नहीं होती होगी। लेकिन नजमा का मन उस चुदाई से नहीं भरता था, और बो और ज्यादा के लिए सोचने लगती है और सोचती है की जुनैद से बात करेगी।

सुबह नजमा की आँख जब खुली तो उस समय सुबह के 6:30 बज रहे थे। नजमा को 9:00 बजे स्कूल के लिए निकलना था तो वो जल्दी से तैयार होकर खाना बनाने लगती है। जुनैद की नींद खुलती है तो वो सीधे किन में जाकर नजमा को पीछे से पकड़ लेता है और किस करने लगता है।

नजमा उसे अपने अलग करते हुए कहती है- "जान... मैं लेट हो जाऊँगी प्लीज़... छोड़ दो..."

जुनैद उसे छोड़ देता है और स्कूल के बारे में पूछने लगता है, तो नजमा उसे बहा के स्टाफ के बारे में बताती है की उसके स्कूल में तीन औरतें और एक मर्द है जो की स्कूल का प्रिन्सिपल है।

तभी जुनैद उसको छेड़ते हुए कहता है- "प्रिन्सिपल की तो बल्ले-बल्ले है.."

नजमा उसका मतलब समझ जाती है और जुनैद को बताती है- "हमारे प्रिन्सिपल बहुत अच्छे नेचर के है, और बहुत शांत रहते हैं."

जुनैद चुटकी लेते हुए कहता है- "देखना मेरी जान कहीं तुम जैसी हाट माल को देखकर अशांत ना हो जाए और मैं अपनी बीबी को खो दूं.." और जोर से हँसने लगता है।

नजमा उसकी पीठ में घुसा मारती है और कहती है- "वो ऐसे नहीं हैं, और होंगे भी तो क्या?" ये बात वो आँख मार कर कहती है। नजमा टाइम देखकर कहती है- "जुनैद मैं लेट हो रही हूँ प्लीज... मुझे बस स्टैंड तक छोड़ दोगे?"

जुनैद उसे बाइक से बस स्टैंड तक छोड़ देता है। नजमा अपने घर से स्कूल तक बस से ही जाती थी। स्कूल जाते समय नजमा ने आज साड़ी पहनी हुई थी जिससे उसका हर अंग आज पूरी तरह से कहर ढा रहा था। आज उसे देखकर अच्छे अच्छे पागल हो रहे थे। उसकी गाण्ड आज अच्छे-अच्छे लण्ड को खड़ा कर रही थी।
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

Post by rajsharma »

रास्ते में ट्रैफिक होने की वजह से नजमा पहले ही दिन आधा घंटा लेट हो गई थी। उसके दिमाग में अजीब से खयाल आ रहे थे की पहले ही दिन बा स्कूल आने में लेट हो गई है, कहीं राज साहब कुछ कहे ना? इसी उधेड़बुन में वो स्कूल पहुँचती है। स्कूल पहुँचते ही वो सीधे प्रिन्सिपल के आफिस चली जाती है। सलमा उस दिन छुट्टी पर थी और वहीदा क्लास में बच्चों को पढ़ा रही थी। राज अपने आफिस में बैठकर नजमा के बारे में ही सोच रहा था, जिससे उसका लण्ड पूरी तरह से खड़ा था।

नजमा बिना नाक किए हुए ही राज के आफिस में घुस जाती है। जिससे राज हड़बड़ाकर खड़ा हो जाता है और उसका लण्ड पूरी तरह से दिखने लगता है। जैसे ही नजमा राज को देखती है वो अवाक हो जाती है। उसके मुँह से बिल्कुल भी आबाज नहीं निकलती। वो सिर झुका कर नीचे देखने लगती है।

राज को भी कुछ समझ में नहीं आता की क्या हो गया? वो भी चुपचाप खड़े होकर नजमा को देखता रहता है।

नजमा अपनी नजरें झुका कर सिर्फ राज के लण्ड को देख रही थी, और मन में सोच रही थी ये क्या हो गया मुझसे?

राज को इस बात का अंदाजा हो जाता है की नजमा उसके लण्ड को ही घूर रही है तो अपने लण्ड को हाथ में लेकर अइजस्ट कर लगता है।

नजमा का चेहरा ये सब देखकर लाल हो जाता है और वो वहां से भागकर बाहर चली जाती है। आफिस से निकलकर नजमा सीधे अपनी क्लास में जाकर चेयर पे बैठ जाती है। उसकी सांसें ऊपर-नीचे हो रही थी और दिमाग में सिर्फ लण्ड का उभार ही घर रहा था। नजमा जैसे तैसे अपने आपको कंट्रोल करती है और क्लास में पढ़ाना शुरू कर देती है।

राज अभी तक अपने लण्ड को शांत नहीं कर पा रहा था। वो बार-बार जाते समय नजमा की जो गाण्ड दिखी थी उसी को सोचकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था। आज से पहले राज ने अपने आपको इतना उत्तजित महसूस नहीं किया था। तभी उसके रूम में वहीदा आती है अटेंडेंन्स रजिस्टर पर साइन करने के लिए।

राज उसे देखते ही उछल पड़ता है और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचता है। जिससे वहीदा उसके ऊपर गिर जाती है। राज तुरंत अपना हाथ बढ़ाकर उसकी गाण्ड को दबाना शुरू कर देता है। वहीदा को कुछ समझ में नहीं आता। वो भी डर जाती है। तभी राज उसको चोदने की बात कहता है, और उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगता है।

लेकिन वहीदा मना कर देती है, और कहती है- "मेरा पीरियड चल रहा है इसलिए मैं चूत नहीं मरवा सकती..."

तभी राज उसके बाल पकड़कर नीचे बिठा देता है और अपने पैट की जिप खोलकर लण्ड बाहर निकाल लेता है वहीदा को समझने में देर नहीं लगती और लण्ड को पकड़कर मुँह में ले लेती है और ब्ला-जाब देना शुरू कर देती है। राज को बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था और वो एक झटका जोर से मार कर आधे से ज्यादा लण्ड को वहीदा के गले में उतार देता है।

वहीदा इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी अचानक हए इस हमले से वहीदा तिलमिला जाती है। उसकी सांसें और आँखें बाहर आने लगती हैं। क्योंकी आज से पहले उसने इतनी अंदर तक राज का लण्ड नहीं लिया था। वो उसका आधा लण्ड हो चूमती थी। लेकिन आज उसकी जान जा रही थी। तभी राज अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल लेता है जिससे वहीदा की जान में जान आती हैं और वो बहुत जोर से हाँफने लगती है। उसकी आँखें पूरी लाल हो गई थी।

राज उसकी हालत देखकर उससे सारी बोलता है और कहता है - "मैं पागल हो गया था जब से नजमा की गाण्ड देखी है.."

वहीदा इस बात को सुनकर होश में आ जाती है और वो राज के लण्ड को फिर से चूसना शुरु कर देती है। वहीदा राज से कहती है- "राज साहब, किसी की तो गाण्ड और चूत बख़्श दो। बो बैचारी आपका लण्ड नहीं ले पाएगी..."

राज बोलता है- "तूने तो ले लिया था.."

सुनीता कहती है- "राज साहब हमारे बच्चे हो गये थे तब आपने पेला था हमें। जिस दिन मैंने आपका मूसल अंदर लिया था उस दिन से तीन दिन मैंने अपने पति को पास नहीं आने दिया था। हर रोज अपनी चूत को गरम पानी से सेंकती थी, तब जाकर आराम मिला था| और नजमा बेचारी तो अभी सही में चदी भी नहीं हैं। उसकी तो आप फाड़ ही डालोगे."

तभी दरवाजे पर नाक होती है। दरवाजा पर नाक हातं ही वहीदा का दिल डर की वजह से जार-जोर से धड़कने लगता है। वहीं राज को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। वो जानता था की दरवाजे के पीछे नजमा होगी और उसका ये सोचना सही भी था।

तभी कमरे में एक मीठी सी आवाज गँजती है- "में आई कम इन सर?"

आवाज सुनते ही राज खुश हो जाता है और उसके दिमाग में एक आइडिया आता है। वो वहीदा के डर को अपना रोमांच बनाने की सोचना है और वहीदा को इशारा करके टेंबल के नीचे जाने को कहता है। वहीदा टेबल के नीचे हो जाती है और राज का लण्ड छोड़ देती है। लेकिन राज उसका सिर पकड़कर अपने लण्ड पर दबा देता है। वहीदा की सांस फूल रही थी लेकिन उसे ये सब करने में एक अजीब सा मजा आ रहा था। वहीदा तुरंत राज के लण्ड को मैंह में लेकर चूसना शुरू कर देती है। राज अपनी चेयर में आधा लेटा हुआ नजमा को अंदर आने के लिए कहता है।

जब नजमा अंदर आती है तब वो राज को आधा लेटा हुआ देखकर कुछ सोच में पड़ जाती है।

तभी राज उससे बोलता है- "हाँ नजमा, बोलो क्या काम था? कोई जरूरी काम था क्या?"
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Re: Adultery हसीनों का मेला वासना का रेला

Post by rajsharma »

तभी राज उससे बोलता है- "हाँ नजमा, बोलो क्या काम था? कोई जरूरी काम था क्या?"

नजमा- सारी सर, वो मैं सुबह बिना नाक किए आ गई थी। मुझे पता नहीं था।

राज- कोई बात नहीं, गलती मेरी ही है। मुझं ऐसे नहीं करना चाहिए था और मुझे पता भी नहीं था की सुबह सुबह ही इतनी हसीन औरत सीधै मेरे पास आ जाएगी, जिसकी वजह से ये कुछ ज्यादा ही हो गया.."

नजमा में सब सुनकर शर्म से लाल हो जाती है। उसे कुछ समझ में नहीं आता की वो क्या करें? तभी राज उसे चेयर पे बैठने को कहता है लेकिन नजमा अब वहां दो मिनट भी नहीं रुकना चाहती थी।

तभी वहीदा राज के लण्ड को जोर से चूसती है, जिससे राज की आँखें बंद होने लगती हैं। उधर नजमा को कुछ समझ में नहीं आता की क्या हो रहा है? तभी राज जानबूझ कर थोड़ा ऊपर की तरफ उठता है जिससे चूड़ियों की खन-खन नजमा को सुनाई पड़ती है। नजमा को कुछ समझ में नहीं आता और वो तेजी से रूम से बाहर निकल जाती है, और सीधे वहीदा की क्लास में जाती है जहां वहीदा उसे नहीं दिखाई पड़ती है। उसके दिमाग में सिर्फ यही आ रहा था की टेबल के नीचे वहीदा राज साहब को ब्लो-जाब दे रही थी।

नजमा को इस बात पर यकीन नहीं होता और बाहर जाकर वहीदा का इंतजार करती है। करीब 20 मिनट बाद वहीदा अपना मुँह साफ करते हुए राज के कमरे से बाहर निकलती है। तब नजमा को पूरा यकीन हो जाता है की बो वहीदा के मामले में सही थी।

उधर झड़ने के बाद भी राज का लण्ड किसी रोड की तरह कड़क था। वो बाहर निकलकर टायलेंट के लिए चला जाता है।

वहीदा को आता देखकर नजमा वहीदा से ही हेलो करती है और उसके दिन के बारे में और सलमा के बारे में पूछती है। तभी वहीदा उसे याद दिलाती है की वो अटेंडेन्स रजिस्टर पर साइन कर दे। नजमा को भी मौका सही लगता है की वो जाकर जल्दी से साइन करके आ सकती है, और वो राज के आफिस की तरफ चल देती है
और रूम में पहुँचकर टेबल पर रजिस्टर ढूँढने लगती है, और रजिस्टर उसे मिल जाता है।

तभी राज भी आफिस के बाहर खड़े होकर नजमा की गाण्ड को देखने लगता है और जैसे ही नजमा झुकती है, उसकी कातिल गाण्ड बाहर की तरफ निकल जाती है। जिसका फायदा राज उठाने की सोचता है। वो जानबूझ कर नजमा के पीछे से होकर आगे की तरफ जाने की सोचता है।

नजमा को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था की उसकी गाण्ड पे आज कोई बड़ा लण्ड दस्तक देगा। नजमा का पूरा ध्यान रजिस्टर पे था। वा एक-एक पेज पलट रही थी।

तभी राज आकर उसके पीछे खड़ा हो जाता है और उसका लण्ड सीधे नजमा की उभरी हुई गाण्ड के कटाव के बीच में फंस जाता है।

नजमा को अपनी गाण्ड में कोई बड़ा सा इंडा महसस होता है, जो सीधा उसकी गाण्ड के छेद में घुसने की कोशिश कर रहा था। उस समय नजमा को कुछ भी समझ नहीं आता और वो सीधी होकर खड़ी हो जाती है, जिससे वो राज से बिल्कुल चिपक जाती है। उसकी पूरी बाडी सुन्न पड़ जाती है।

तभी राज धीरे से अपने हाथ आगे लेजाकर नजमा की बड़ी-बड़ी चूचियों को प्यार से मसल देता है और धीरे से आगे बढ़ जाता है। राज के आगे बढ़ते ही नजमा राज की तरफ देखती है और अपनी आँखें नीचे झुका लेती हैं। क्योंकी उस समय राज उसे पूरी तरह वासना और हवस से भरी नजरों से देख रहा था।

नजमा की लाइफ का ये पहला चान्स था जब उसे किसी अजनबी का स्पर्श मिला था। वो पूरी तरह से लाल हो गई थी। उसकी आँखों में भी हवस धीरे-धीरे बढ़ रही थी। उसे एहसास हो रहा था की अगर वो यहां से नहीं गई तो आज वो किसी अजनबी से चुद भी सकती है और पता नहीं उससे क्या-क्या हो जाएगा।


नजमा अपनी सांसें संभालते हए कमरे से बाहर चली जाती है। रूम से निकलकर नजमा सीधे अपनी क्लास में जाती हैं और चेयर में बैठ जाती है। चेयर में बैठने के बाद भी उसे राज का लण्ड अपनी गाण्ड में महसूस हो रहा था। उसे लग रहा था जैसे राज का लण्ड अभी भी उसकी गाण्ड में है। एक अजीब सी फीलिंग उसके मन में बार-बार आ रही थी। उसकी उत्तेजना में सब सोचकर लगातार बढ़ रही थी और उसकी चूत राज के ख्याल से पानी छोड़े जा रही थी। अब स्कूल में टाइम निकालना उसके लिए मुश्किल हो रहा था।

नजमा जब अपने आपको कंट्रोल कर लेती है तो वो बाहर की तरफ चल देती है। बाहर जाकर उसे बाहर का मौसम बहुत ही सुहाना लगता है। लेकिन उसके दिमाग में एक टेन्शन होने लगती है की अगर मौसम खराब हो गया, बारिश शुरू हो गई तो वो घर कैसे जाएगी? तभी उसका सोचना सही हो जाता है और जार की हवा चलने के साथ बारिश भी शुरू हो जाती है। नजमा का दिमाग भी अब काम करना बंद कर देता है और पूरी सिचुयेशन भगवान पर छोड़ देती है।

जब बारिश शुरू होती है तो राज अपने आफिस से बाहर आकर मौसम का मजा लेने लगता है। तभी उसकी नजर नजमा पे पड़ती है जो उदास खड़ी थी। तब राज एक बच्चे को भेजकर नजमा का अपने पास बुलाता है।
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