Adultery मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

Post Reply
User avatar
SATISH
Super member
Posts: 9811
Joined: 17 Jun 2018 16:09

Re: Adultery मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

Post by SATISH »

भाभी की अपनी चुदाई की कहानी


रश्मि मुझ को सचमुच हैरानी से देख रही थी और उसकी आँखों में यह सवाल साफ़ झलक रहा था कि सतीश राजा कैसा लड़का है जो इतनी देर की चुदाई में एक बार भी नहीं गिरा?उस बेचारी का भी दोष नहीं था क्यूंकि आमतौर पर बड़े बड़े घुड़सवार दो तीन शूटिंग्स के बाद सर फ़ेंक देते हैं.लेकिन यह कुदरत की बड़ी मेहर रही कि हर सवारी के बाद मेरा औज़ार अगली लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार रहता था.
मैंने रश्मि की तरफ देखा और कहा- हाँ रश्मि भाभी, अब तुम बताओ तुम्हारी कहानी क्या है? किस किस ने तुमको चोदा और किस किस को तुमने चोदा?वो कुछ देर सोचती रही और फिर उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और हल्के हल्के उसको चूसने लगी.
मैं भी उसकी गीली चूत में उँगलियाँ चला रहा था थोड़ी देर हम ऐसा ही करते रहे फिर रश्मि बोली- सतीश सच बताना, कौन सी उम्र से चोदना शुरू कर दिया था तुमने?मैं ज़ोर से हंस पड़ा और बोला- वाह रश्मि, मैं तुमसे पूछ रहा हूँ लेकिन तुम मेरे से सवाल कर रही हो? खैर मैंने तो कमसिन उम्र से सीखना शुरू किया यह सब काम और फिर कुछ सालों में मैंने इस काम में डिग्री भी ले ली लेकिन तुम यह सब क्यों पूछ रही हो?

रश्मि बोली- मैंने पहली बार एक कॉलेज जाने वाले एक लड़के को फंसाया था और वो भी अपने घर के सहन में!मैं बोला- अच्छा? वो कैसे?
रश्मि बोली- मेरी नई नई शादी हुई थी और सिर्फ 15 दिन की चुदाई के बाद मेरा पति अपनी नौकरी पर वापस लौट गया था. इन 15 दिनों में उसने मुझको केवल 3-4 बार ही चोदा क्यूंकि घर मेहमानों से भरा हुआ था तो जगह और समय के अभाव में हम दोनों को ज़्यादा समय ही नहीं मिल पाया था.
अभी मैंने पूरी तरह से चुदवाना सीखा भी नहीं था कि पति जी शहर चले गए और मैं फिर अकेली रह गई जबकि चुदाई का चस्का लग चुका था.कुछ महीने बाद मुझको लंड की कमी बहुत ही ज़्यादा खलने लगी और मैंने इधर उधर देखना शुरू कर दिया.
एक दिन मैं दिन के टाइम पर अपने सहन में चारपाई पर लेटी हुई थी और सामने मैदान में कुछ लड़के क्रिकेट खेल रहे थे. फिर अचानक मुझ को ऐसा लगा कि कोई चीज़ मेरे ऊपर आकर गिरी है, हाथ लगा कर देखा तो वो टेनिस की बाल थी.थोड़ी देर में एक गोरा सा लड़का सेहन में आया और कुछ ढूंढने लगा तब मैंने उससे पूछा- क्या ढूंढ रहे हो भैया जी?
वो बोला- भाभी, हमारी गेंद गिरी है यहाँ… आपने तो नहीं देखी?मैं बोली- देख शायद मेरी चारपाई पर गिरी हो कहीं?लड़का झिझकता हुआ मेरी चारपाई के पास आया और इधर उधर ढूंढने लगा फिर उसको मैंने कहा- देख कहीं मेरे नीचे ना चली गई हो?जब उसको वहाँ भी नहीं मिली तो मैंने अपनी साड़ी थोड़ी ऊपर कर दी और उसको कहा- देख कहीं यहाँ तो नहीं पड़ी?
उसने कहा- भाभी यहाँ तो दिख नहीं रही, शायद आपकी साड़ी के अंदर ना चली गई हो?मैंने भी बेहया हो कर कहा- तो साड़ी को उठा कर ढूंढ ले ले ना उसको, शायद अंदर ना चली गई हो?
उस लड़के ने झिझकते हुए अपना हाथ साड़ी के अंदर डाला और इधर उधर ढूंढता रहा और इस चक्कर में एक दो बार उसके हाथ मेरी बालों से भरी चूत पर भी लग गए.फिर उसको गेंद साड़ी के अंदर ही मिल गई और वो बोला- मिल गई गेंद, यह तो आपकी साड़ी में घुसी हुई थी..
मैं बोली- चलो शुक्र है मिल गई… हाँ, तुम्हारा नाम क्या है?उसने शर्माते हुए कहा- मेरा नाम राजू है और मैं आप के साथ वाले मकान में रहता हूँ और यहाँ कॉलेज में पढ़ता हूँ.
मैंने उसको अपने पास बुलाया और उससे हाथ मिलाया और कहा- राजू, तुम काफी छबीले नौजवान लगते हो. तुम तो जानते हो तुम्हारे भैया तो शहर गए हैं, मैं बहुत अकेली हो जाती हूँ यहाँ. अगर हो सके तो तुम कभी कभी आ जाया करो मेरे पास, मेरा दिल बहल जाया करेगा. आओगे ना?राजू बोला- आऊँगा भाभी कॉलेज के बाद शाम को!मैंने कहा- कल जरूर आना, मेरी सासू जी कहीं बाहर जा रही हैं.राजू बोला- ज़रूर आ जाऊँगा.और फिर वो मुस्कराता हुआ बाहर चला गया.
वो दो दिन तो नहीं आया लेकिन तीसरे दिन जैसे ही मेरी सास सोई उसने मेरी खिड़की को हल्के से खटखटाया और मैंने झट से खिड़की को खोल कर देखा तो राजू ही खड़ा था, मैंने उसको अंदर बुला लिया.
अंदर आते ही वो शर्माते हुए एक साइड में खड़ा हो गया और मेरे से पूछने लगा- भाभी क्या करना है मुझको?मैंने कहा- पास तो आओ राजू, कुछ बातें करते हैं तुम्हारे बारे में तुम्हारे कॉलेज के बारे में, आओ बैठो मेरे पास!
फिर उसको मैंने अपने पास बिठा लिया और हम उसके बारे में बातें करने लगे जैसे वो कॉलेज में क्या पढ़ता है और उसके कॉलेज में लड़कियाँ भी हैं या नहीं इत्यादि.मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसको हल्के से सहलाने लगी और फिर उसके हाथ को धीरे धीरे मैंने अपनी गोद में ले लिया और उसकी उंगलियों के साथ खेलने लगी.
User avatar
SATISH
Super member
Posts: 9811
Joined: 17 Jun 2018 16:09

Re: Adultery मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

Post by SATISH »

यह देख कर वो थोड़ा सहज होने लगा और अपना हाथ मेरे मम्मों से भी कभी कभी टकराने लगा.फिर उसको पानी देने के बहाने से मैं उठी और वापस बैठते हुए मैंने अपनी साड़ी को थोड़ा ऊपर खिसका दिया और मेरी हल्के भूरे बालों से भरी टांगों की पिंडलियाँ उसको दिखने लगी.
उसकी नज़र एक टकटकी बांधे हुए मेरी लातों पर ही टिकी हुई थी और मैंने साड़ी को ठीक करने के बहाने से साड़ी को एकदम ऊपर उठा दिया और फिर झट से नीचे कर दिया.इस साड़ी एक्शन में उसको मेरी बालों से भरी चूत की एक झलक ज़रूर मिल गई थी और वो अब मेरे मम्मों और मेरी साड़ी के ऊपर नंगे पेट को बड़े ध्यान से देख रहा था.
मैंने भी देखा कि उसके पजामे में उसके लण्ड में हरकत होनी शुरू हो गई थी और जल्दी ही मैंने मक्खी हटाने के बहाने से उसके लंड को पयज़ामे के बाहर से ही छू लिया.और फिर मैं उठते हुए जान बूझ कर उसके ऊपर गिर गई और सॉरी बोल कर मैं यह देखने चली गई कि सासू जी गहरी नींद में सोई हैं क्या?
सासू जी बड़ी गहरी नींद में सोई हुई थी और खूब जोर जोर से खुर्राटे मार रही थी.मैंने आकर राजू से पूछा- क्या कोई लड़की पटाई हुई है तुमने राजू?
राजू थोड़ा शरमा गया और बोला- नहीं भाभी, आप तो जानती हैं गाँव में यह सब कितना मुश्किल होता है? अच्छा अब मैं जाऊँ क्या?थोड़ा सो लेता मैं भी!मैं बोली- ठीक है राजू जाओ सो जाओ, शाम को क्रिकट भी तो खेलना है तुमको!मैं राजू को घर के बाहर तक छोड़ आई और वापस आकर बड़ी गहरी नींद सो गई.
तीन चार दिन ऐसा ही चलता रहा और मैं हर रोज़ उसको अपने शरीर का कोई न कोई अंग चोरी छिपे दिखाती रही और उसके लंड के उठने बैठने को देखते रही.
फिर एक दिन सासू जी किसी काम से किसी रिश्तेदार के घर गई हुई थी और मैं घर में बिल्कुल अकेली थी, मैं बेसब्री से राजू का कॉलेज से आने का इंतज़ार करती रही और वो थोड़ी देर में कॉलेज से वापस आया तो मैंने उसको घर के बाहर से आवाज़ मार कर कहा कि वो जल्दी आये, कुछ ज़रूरी काम है.
राजू खाना खा कर जल्दी ही आ गया और बोला- भाभी, बताओ क्या काम है?मैंने उसको ठंडी गाढ़ी लस्सी पीने को दी और फिर उसके सामने ही अपनी साड़ी को ऊंचा कर के अपनी गोरी कमर के ऊपर से साड़ी हटाते हुए उसको कहा- राजू मुझ को यहाँ बहुत दर्द हो रहा है, थोड़ी देर इस जगह को दबा दो प्लीज.
राजू लस्सी पीते हुए मेरे चूतड़ों को देख कर एदम अवाक हो गया और लस्सी के गिलास को एक तरफ रख कर मेरी कमर को हाथ से दबाने लगा.उसके पजामे में उसका लंड एकदम अकड़ा हुआ लगा और मैंने थोड़ा साहस करके राजू के खड़े लंड को पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी.
राजू ने मेरी कमर को दबाना थोड़ी देर रोका और मेरी गांड के ऊपर हाथ फेरने लगा.उसने शायद किसी युवा स्त्री की मोटी और फूली हुई गांड इससे पहले नहीं देखी थी, वो आश्चर्यचकित हुआ मेरी गांड को एकटक देख रहा था.
अब मैंने मौका अच्छा देखा और एक पलटी मार कर अपनी चूत को उसके सामने कर दिया.वो चूत को इतना पास से देख कर एकदम पागल हो गया और पजामे सहित मेरे ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा लेकिन मैंने उसको एक क्षण रोक दिया और फिर उसका पजामे नीचे कर दिया और तब उसको अपने ऊपर आने दिया.
मैंने उसके लंड को अपनी चूत के मुंह पर रख दिया और तब राजू ने एक ज़ोर से धका मारा और फच से लंड मेरी चूत के अंदर चला गया.बड़े अरसे के बाद मेरी गर्म और नर्म चूत को एक लंड नसीब हुआ था, मैं उस लंड का पूरा पूरा आनन्द उठाना चाहती थी.
लेकिन मेरी आशंका के मुताबिक राजू थोड़े धक्कों में ही झड़ गया पर राजू काफी समझदार था, उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला ही नहीं और वो उसी तरह मेरे ऊपर लेटा रहा और वो मुझको मेरे सारे चेहरे पर खूब चूमता चाटता रहा.
मैंने भी उसके लंड को पुनः खड़ा होता हुए चूत में महसूस किया और इसके पहले वो फिर से धक्का पेल शुरू करता, मैंने उसको अपने गोल और कठोर मम्मों को चूसने के लिए उकसाया.मम्मों की चुसाई से वो इतना गर्म हो गया था कि उसका लंड अब अपने आप ही अंदर बाहर होने लगा और उसने मुझको कस कर अपनी बाँहों में बाँध रखा था लेकिन उसकी कमर बड़ी ही तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी.
राजू की पहली चुदाई में मैं कम से कम तीन बार स्खलित हो गई थी और वो दो बार झड़ चुका था.हम दोनों की भलाई के लिए मैंने उसको जल्दी ही अपने घर जाने के लिए बोला ताकि मेरी सास के आने से पहले वो वहाँ से चला जाए.
मेरा और राजू का चोदन कई महीनों तक चला और हर बार वो इतना अधिक कामुकता से चोदन करता था कि मैं निहाल हो उठती थी.हमारा मिलन तब तक जारी रहा जब तक उसकी शादी नहीं हो गई.यह कह कर रश्मि राजू की यादों में खो गई.
अब मैं रश्मि के ऊपर चढ़ने की सोच ही रहा था कि चंचल भाभी, जो अब तक मेरे लौड़े के साथ खेल रही थी, मेरे लंड खींचने लगी और जल्दी से घोड़ी बन कर मुझको उस पर सवारी करने के लिए उकसाने लगी.मैंने रश्मि को अपने ख्यालों में डूबा रहने दिया और खुद चंचल भाभी की चंचल चूत में अपने खड़ी लौड़े की एंट्री मार दी और उसकी भट्टी की तरह तप रही चूत में घमासान धकम्मपेल शुरू कर दी.
चंचल भाभी इतनी गर्म हो चुकी थी, वो चुदाई में पूरा योगदान दे रही थी और खूब आगे पीछे होकर अपने को तसल्ली से चुदवा रही थी.चंचल भाभी का जब पांचवी बार छूटा तो वो कंपकंपाती हुई कराहने लगी. भाभी ने अपनी गांड को मेरे लंड के साथ चिपका कर सर को बिस्तर पर टिका दिया और हाय हाय… करने लगी.
और तभी रश्मि ने भी अपनी पुरानी यादों से निकल कर हमारी तरफ देखा और हैरानगी से बोली- उफ़्फ़ सतीश, तुम्हारा अभी भी खड़ा है? यह नामुमकिन है यार? यह हो ही नहीं सकता.
ये बातें चल ही रही थी कि कमरे का दरवाज़ा फिर एक झटके से खुला और पूनम तेज़ी से अंदर घुस आई और हँसते हुए बोली- सतीश जी, लगे हो अपने बहुत पुराने खेल में? अब तक कितनी? दोनों भाभियों को कितनी कितनी बार पार लगाया है?
पहले तो हैरान हुआ लेकिन फिर जल्दी ही सम्भल गया और मैं तो मुस्करा रहा था लेकिन दोनों भाभियों की घिग्घी बंध गई थी.मैं मुस्कराते हुए बोला- आओ पूनम रानी, तुम्हारी ही प्रतीक्षा थी क्यूंकि तुम तो चुदाई की खुशबू सूंघ कर पहुँच जाती हो उस जगह पर जहाँ चुदाई का दंगल चल रहा हो.


कहानी जारी रहेगी.
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15850
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: Adultery मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

Post by rajsharma »

बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त


😡 😡 😡 😡 😡 😡
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
Post Reply